desiaks
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“बुड्ढे तुम्हारी खास पसन्द जान पड़ते हैं ।” - मुकेश ने उसके कान के पास मुंह ले जाकर कहा ।
“क्या !” - रिंकी सकपकाई सी बोली ।
“मैं सिन्धी भाई की बात कर रहा था ।”
“अरे, वो सिर्फ चालीस साल का है ।”
“मुझे तो पचास से कम नहीं जान पड़ता ।”
“होगा । मेरे को कौन सा उससे शादी बनाना है ।”
“खीर खाने न देनी होतो चम्मच भी नहीं देना चाहिए ।”
“क्या ?”
“कुछ नहीं । बाई दि वे तुम कितनी उम्र की हो ?”
“लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछते, बुद्धू ।”
“ठीक है, नहीं पूछता । चलो, यही बताओ कि असल में तुम कहां की रहने वाली हो ? क्योंकि इधर की तो तुम नहीं जान पड़ती हो; न नाम से, न सूरत से ।”
मैं पंजाब से हूं । अमृतसर की । और मालूम ?”
“क्या ?”
“मैं वहां की बड़ी हस्ती हूं ।”
“अच्छा !”
“हां । मेरे जन्म दिन पर पंजाब सरकार छुट्टी करती है । भले ही मालूम कर लेना कि तेरह अप्रैल को सारे पंजाब में छुट्टी होती है या नहीं ।”
“तेरह अप्रैल को पंजाब में तुम्हारे जन्म दिन की वजह से छुट्टी होती है ?”
“हां ।”
“बैसाखी की वजह से नहीं ?”
“नहीं ।”
“अभी तक कितनी बैसाखियां देख चुकी हो ?”
“तेईस ।”
“फिर तो तुम्हारी उम्र सवा तेईस साल हुई ।”
“अरे ! मेरा इतना पोशीदा राज खुल गया !”
मुकेश हंसा ।
“तुम वकील हो या जासूस ?”
“वसूस ।”
“वसूस ! वो क्या होता है ?”
“आधा वकील आधा जासूस ।”
तभी बैंड बजाना बन्द हो गया ।
तत्काल नृत्य बन्द हुआ, नर्तक जोड़ों ने तालियां बजाई और अपनी अपनी टेबलों की ओर लौट चले ।
वादे के मुताबिक मुकेश ने रिंकी को वापिस करनानी की टेबल पर जमा कराया । वो अपने केबिन में लौटा तो उसने पाया कि वहां केवल मीनू सावन्त मौजूद थी ।
“मिस्टर देवसरे कैसीनो में हैं ।” - उसके पूछे बिना ही उसने बताया ।
“ओह !”
उसके सामने एक अनछुआ ड्रिंक पड़ा था जो उसने मुकेश की तरफ सरका दिया ।
“आन दि हाऊस ।” - वो बोली - “कर्टसी अनन्त महाडिक ।”
“थैंक्यू ।” - मुकेश बोला - “आई नीडिड इट ।”
दो मिनट में उसने अपना गिलास खाली कर दिया और सोफे पर पसर गया ।
“मैं और मंगाती हूं ।” - मीनू बोली ।
“अभी नहीं ।”
“काफी थके हुए जान पड़ते हो ?”
“हां ।”
“खूबसूरत, नौजवान लड़की के साथ डांस करके कोई थका हो, ऐसा कभी सुना तो नहीं मैंने ।”
जवाब में मुकेश केवल मुस्कराया, उसने एक जमहाई ली और बोला - “सॉरी ।”
“नैवर माइन्ड ।”
मुकेश खामोश हो गया, उसने एक और जमहाई ली और फिर सॉरी बोला ।
मीनू अपलक उसके हर हाव भाव का मुआयना कर रही थी ।
तभी महाडिक वहां पहुंचा ।
“इट्स टाइम फार युअर नम्बर, हनी ।” - वो मीनू से बोला ।
मीनू सहमति में सिर हिलाती उठ खड़ी हुई ।
“स्टेज पर जा रही हूं ।” - वो बोली - “सुनना मेरा गाना ।”
मुकेश ने सहमति में सिर हिलाया ।
मीनू स्टेज पर पहुंची ।
बैंड बजने लगा ।
मीनू कोई विलायती गीत गाने लगी ।
मुकेश और ऊंघने लगा, सोफे पर और परसने लगा । गीत संगीत की आवाज उसके कानों में यूं पड़ने लगी जैसे फासले से आ रहा हो और जैसे वो फासला बढता चला जा रहा हो ।
आखिरकार फासला इतना बढ गया कि उसे गीत संगीत सुनायी देना बन्द हो गया ।
“क्या !” - रिंकी सकपकाई सी बोली ।
“मैं सिन्धी भाई की बात कर रहा था ।”
“अरे, वो सिर्फ चालीस साल का है ।”
“मुझे तो पचास से कम नहीं जान पड़ता ।”
“होगा । मेरे को कौन सा उससे शादी बनाना है ।”
“खीर खाने न देनी होतो चम्मच भी नहीं देना चाहिए ।”
“क्या ?”
“कुछ नहीं । बाई दि वे तुम कितनी उम्र की हो ?”
“लड़कियों से उनकी उम्र नहीं पूछते, बुद्धू ।”
“ठीक है, नहीं पूछता । चलो, यही बताओ कि असल में तुम कहां की रहने वाली हो ? क्योंकि इधर की तो तुम नहीं जान पड़ती हो; न नाम से, न सूरत से ।”
मैं पंजाब से हूं । अमृतसर की । और मालूम ?”
“क्या ?”
“मैं वहां की बड़ी हस्ती हूं ।”
“अच्छा !”
“हां । मेरे जन्म दिन पर पंजाब सरकार छुट्टी करती है । भले ही मालूम कर लेना कि तेरह अप्रैल को सारे पंजाब में छुट्टी होती है या नहीं ।”
“तेरह अप्रैल को पंजाब में तुम्हारे जन्म दिन की वजह से छुट्टी होती है ?”
“हां ।”
“बैसाखी की वजह से नहीं ?”
“नहीं ।”
“अभी तक कितनी बैसाखियां देख चुकी हो ?”
“तेईस ।”
“फिर तो तुम्हारी उम्र सवा तेईस साल हुई ।”
“अरे ! मेरा इतना पोशीदा राज खुल गया !”
मुकेश हंसा ।
“तुम वकील हो या जासूस ?”
“वसूस ।”
“वसूस ! वो क्या होता है ?”
“आधा वकील आधा जासूस ।”
तभी बैंड बजाना बन्द हो गया ।
तत्काल नृत्य बन्द हुआ, नर्तक जोड़ों ने तालियां बजाई और अपनी अपनी टेबलों की ओर लौट चले ।
वादे के मुताबिक मुकेश ने रिंकी को वापिस करनानी की टेबल पर जमा कराया । वो अपने केबिन में लौटा तो उसने पाया कि वहां केवल मीनू सावन्त मौजूद थी ।
“मिस्टर देवसरे कैसीनो में हैं ।” - उसके पूछे बिना ही उसने बताया ।
“ओह !”
उसके सामने एक अनछुआ ड्रिंक पड़ा था जो उसने मुकेश की तरफ सरका दिया ।
“आन दि हाऊस ।” - वो बोली - “कर्टसी अनन्त महाडिक ।”
“थैंक्यू ।” - मुकेश बोला - “आई नीडिड इट ।”
दो मिनट में उसने अपना गिलास खाली कर दिया और सोफे पर पसर गया ।
“मैं और मंगाती हूं ।” - मीनू बोली ।
“अभी नहीं ।”
“काफी थके हुए जान पड़ते हो ?”
“हां ।”
“खूबसूरत, नौजवान लड़की के साथ डांस करके कोई थका हो, ऐसा कभी सुना तो नहीं मैंने ।”
जवाब में मुकेश केवल मुस्कराया, उसने एक जमहाई ली और बोला - “सॉरी ।”
“नैवर माइन्ड ।”
मुकेश खामोश हो गया, उसने एक और जमहाई ली और फिर सॉरी बोला ।
मीनू अपलक उसके हर हाव भाव का मुआयना कर रही थी ।
तभी महाडिक वहां पहुंचा ।
“इट्स टाइम फार युअर नम्बर, हनी ।” - वो मीनू से बोला ।
मीनू सहमति में सिर हिलाती उठ खड़ी हुई ।
“स्टेज पर जा रही हूं ।” - वो बोली - “सुनना मेरा गाना ।”
मुकेश ने सहमति में सिर हिलाया ।
मीनू स्टेज पर पहुंची ।
बैंड बजने लगा ।
मीनू कोई विलायती गीत गाने लगी ।
मुकेश और ऊंघने लगा, सोफे पर और परसने लगा । गीत संगीत की आवाज उसके कानों में यूं पड़ने लगी जैसे फासले से आ रहा हो और जैसे वो फासला बढता चला जा रहा हो ।
आखिरकार फासला इतना बढ गया कि उसे गीत संगीत सुनायी देना बन्द हो गया ।