Desi Sex Kahani वेवफा थी वो - Page 2 - SexBaba
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Desi Sex Kahani वेवफा थी वो

#10



अगले दिन से ही मैं काम पर लग गया……मैने सारे हिन्दुस्तान से , और ज़रूरत पड़ी तो ओवरसीस से प्रॉफ्षनल्स की टीम को इकट्ठा किया ………….सारे टेक्नीशियन्स और इंजिनीयर्स की टीम ने मिलकर मेरे प्लान पर काम करना शुरू कर दिया …….मैं और मिस्टर.चौधरी इस

काम पर दिन रात एक करके लगे हुए थे ………हमारा प्लान था कि हम यह काम 3 साल में पूरा कर लेंगे , पर हमारी अथक मेहनत का ही नतीजा था कि यह काम हम लोगो ने 2 साल में ही पूरा कर लिया



जी हां , 2 साल के अंदर राज नगर में लक्ष्मी बॅंक की पहली ब्रांच बन कर तय्यार हो गयी ……..एक ऐसा बॅंक जो अपने आप में अनूठा था , जिसकी मिसाल कम से कम हिन्दुस्तान में तो नही थी



यह अपने आप में एक फुल्ली ऑटो ऑपरेटेड बॅंक था……जैसे कि एटीएम मशीन्स होती हैं , कस्टमर्स को सब कुछ अपने आप करना होता था…….अकाउंट्स खोलते समय कस्टमर्स के सिगनेचर्स के अलावा उनके फिंगर प्रिंट्स, वाय्स सॅंपल्स और आइ-मॅप के सॅंपल्स लिए जाते थे

…………… उनको कस्टमर्स की डीटेल्स के साथ स्टोर किया जाता था और इन सब चीज़ो का इस्तेमाल वो अपने अकाउंट्स को ऑपरेट करने में कर सकता था ……….



बॅंक के मेन गेट पर 4 गार्ड्स की एक टीम रहती थी , जो हर आने वाले कस्टमर्स को चेक करती थी …….सारे कस्टमर्स को एक स्पेशल आइ कार्ड दिया गया था जिसको दिखाकर वो बॅंक के अंदर जा सकता था ………..अंदर पूरे बॅंक में सारे काउंटर्स ऑटोमॅटिक कंट्रोल्ड थे ………कस्टमर्स अपने फिंगर प्रिंट्स या दूसरे तरीक़ो से वेरिफिकेशन करवा कर अपना अकाउंट ऑपरेट कर सकता था …..एटीएम मशीन्स की

तरह ही हर काउंटर पर अलग अलग मशीन्स रखी हुई थी , जो वो सारे काम करती थी , जो दूसरे बॅंक में मनुअल होते थे …… जैसे कि कॅश का ट्रॅन्सॅक्षन , चेक्स को कॅश करवाना , ड्रॅफ्ट्स बनवाना एट्सेटरा एट्सेटरा



इसके अलावा एक बड़ा लॉकर रूम भी था………जो वैसे ही ऑपरेट होता था , जैसे कि बॅंक के अन्य काउंटर्स …………कुछ स्टाफ भी बॅंक के अंदर रहता था , पर उसका काम सिर्फ़ इतना था कि जो चेक्स और स्लिप्स मशीन्स के अंदर जाती हैं , उनको कलेक्ट कर के फाइलिंग

करते रहना ….



अभी 1 महीने पहले ही इस ब्रांच की ओपनिंग हम लोगो ने की थी …………..एक महीने के अंदर ही बॅंक के पास कस्टमर्स की लाइन लग गयी थी ….स्पेशली लॉकर्स लेने वालो की …………राज नगर एक तेज़ी के साथ डेवेलप हो रहा शहर था , इसलिए यहाँ अमीर लोगो की कमी

नही थी , जो हमारे इस बॅंक के कस्टमर्स बन-ना चाहते थे ………..



\कुल-मिलकर हमारा यह प्रयास सफल रहा था ……….मिस्टर.चौधरी का सपना सच हो चुका था ………….उस का यह इनाम मुझे मिला था कि मुझे आज लक्ष्मी बॅंक का वाइस चेर्मन बना दिया गया था …………



मेरा यह सफ़र , जिसमे मैं राजू से राजीव चौधरी बन गया था, एक लंबा और थका देने वाला साबित हुआ था…………जी हां दोस्तो , मेरा यह नया नाम और सरनेम मुझे मिस्टर.चौधरी ने तब दिया था जब मैं पुणे के स्कूल में अड्मिशन ले रहा था……..मैं जानता था कि , यह भी उनके दूसरे एहसानो की तरह ही था ……..जिसका क़र्ज़ मैं शायद ता-जिंदगी भी नही उतार सकता था………..



सोचता सोचता कब मैं नींद में डूबता चला गया मुझे खुद भी मालूम नही पड़ा……….यहाँ बाल्कनी पर ठंडी हवा मेरे शरीर पर लग रही थी , रात में मालूम नही कब मेरी आँख खुली तब मुझे एहसास हुआ कि मैं बाल्कनी में ही चेयर पर बैठ बैठा सो गया हूँ ………..मैं अंदर उठकर

अपने बेड पर आकर लेट गया और फिर से सो गया ………मुझे मालूम था कि कल से मुझे ज़िंदगी के एक और नये सफ़र की शुरुआत करनी है


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#11


अगली सुबह 10.30 बजे मैं अपने ऑफीस में बैठा हुआ था ………….हमारा यह ऑफीस राज नगर के सबसे शानदार इलाक़े , संगम विहार में बना हुआ था……..एक 20 स्टोरीड बिल्डिंग जो लक्ष्मी ग्रूप ऑफ इंडस्ट्रीस का हेडक्वॉर्टर थी …….इस बिल्डिंग के 13थ फ्लोर पर मेरा
ऑफीस था …….अभी तक मैं जीएम (स्पेशल प्रॉजेक्ट) की पोस्ट पर काम कर रहा था……..अब क्योंकि मेरा डेसिग्नेशन चेंज हो चुका था
…उम्मीद थी कि मुझे किसी और ऑफीस में शिफ्ट किया जा सकता था

मेरे इंटरकम की बेल बजी , मैने फोन उठाया……..उधर से मिस्टर. चौधरी की आवाज़ आई “ राजीव !!”

“ गुड मॉर्निंग सर “ मैं पूरी इज़्ज़त के साथ बोला

“ गुड मॉर्निंग राजीव ……………1/2 घंटे के बाद कान्फरेन्स रूम में मिलो “ कह कर उन्होने फोन काट दिया……..यही उनकी आदत थी ……..कभी भी कोई फालतू बात नही करते थे ………..मैने अपने कुछ ज़रूरी काम निपटाए और फिर कान्फरेन्स रूम की तरफ चल दिया…

इस बुल्ड़ींग के 5थ फ्लोर पर मिस्टर.चौधरी का ऑफीस था ,और उस के पास ही कान्फरेन्स रूम …….मैं ठीक 11 बजे उस रूम में पहुँच गया

रूम में एंटर होकर मैने देखा कि कुछ लोग वहाँ पहले से ही मौजूद थे …..जिनमे से सभी को मैं जानता था……लगभग 40 लोगो के एक साथ बैठने के लिए एक राउंड टेबल इस रूम में थी …….जिस के इर्द –गिर्द इस समय करीब 20 के आस-पास लोग यहाँ मौजूद थे ………..

मैं जाकर एक सीट पर बैठ गया …..और बाकी लोगो पर निगाह दौड़ाने लगा ………टेबल के एक साइड में एक बड़ी सी चेयर थी , जो कि
मिस्टर.चौधरी के लिए थी और इस समय खाली थी

उनके राइट साइड वाली चेयर पर एक शख्स बैठे हुए थे , मिस्टर.अनिल चौधरी , यह मिस्टर.विजय चौधरी के बड़े भाई थे …..उमर कोई 55 के आस पास , उन ही की तरह लंबा कद , थोड़ा सा मोटा शरीर और थोड़ा सा दबा हुआ रंग ……आँखों पर चश्मा …….मिस्टर.अनिल ,
विजय चौधरी के कुछ बिज़्नेस में उनके पार्ट्नर थे और कुछ में सिर्फ़ शेर होल्डर ……बड़े भाई होने के बावजूद , कुल मिलाकर इस सारे ग्रूप में वो करीब 15% के शेयर होल्डर थे ……..

उनके साथ वाली चेयर पर एक लड़का बैठा हुआ था …….वो अनिल चुधरी का बेटा था मिस्टर.शरद चौधरी ……उमर कोई 27-28 के आस-पास ………लंबा कद , गोरा रंग और शानदार पर्सनॅलिटी ………….यह एक शख्स था जो मुझे कभी भी पसंद नही करता था ……..शायद
इसलिए कि उसके पिता के छोटे भाई , उस से ज़्यादा मुझे मानते थे ……..यह उसकी जलन की एक वजह हो सकती थी …..वैसे भी वो कुछ तुनक –मिज़ाज़ आदमी था ………मालूम ही नही पड़ता था कि कब खुश हो रहा है और कब दुखी

उसके बराबर में 3-4 सीट्स पर ऑफीस के ही कुछ पुराने लोग बैठे हुए थे …….फिर 2 सीट्स खाली थी और उसके बाद 1 सीट्स पर एक लड़की बैठी हुई थी ………वो विजय चौधरी की बेटी थी ………..प्रिया ….. उमर करीब 23-24 साल, सुंदर नैन-नख्श , पतला और लंबा शरीर ………बस एक ही कमी थी उस मे , उसका रंग कुछ दबा हुआ था ……..जो शायद अपने पिता पर गया था ……. मेरे विचार में वो एक
बहुत मिलन सार और नेक दिल लड़की थी……हमेशा खुश रहने वाली ………प्रिया अपने पिता की इकलौती संतान थी , फिर भी मुझे नही
लगा कि उसको मुझ से कोई शिकायत रही हो …….. मुझे उसके पिता ने अपना नाम दिया और एक बेटे जैसा प्यार दिया , फिर भी वो
हमेशा मेरे साथ अच्छे से पेश आती थी …………वो भी कंपनी की डायरेक्टर्स में से एक थी और कन्स्ट्रक्षन डिविषन की वाइस चेरपर्सन थी

उसके बाद एक सीट खाली थी और फिर 4 सीट्स पर कुछ ऑफीस स्टाफ के लोग बैठे हुएथे ….फिर कुछ सीट्स खाली और फिर वो सीट जहाँ मैं अभी बैठा हुआ था ……..मेरे बराबर में , मेरे साथ वाली सीट पर मेरा असिस्टेंट करण बैठा हुआ था ………करण एक लंबा-पतला सा लड़का था ……उमर करीब 30 के आस-पास थी , चेहरे पर चश्मा और टिपिकल स्कूल बॉय का लुक …..कुल मिलाकर वो एक होनहार और ईमानदार आदमी था …

उसके बराबर में 2 सीट्स खाली थी और फिर 4-5 लोग बैठे हुए थे …….उसके बाद एक लंबी कतार खाली थी फिर एक साथ एक लड़का और एक लड़की बैठे हुए थे …….लड़की निधि , वो अनिल चौधरी की बेटी थी …….उमर उसकी भी करीब 24-25 के आस-पास होगी
………अपने दूसरे भाई-बेहन की तरह वो भी कंपनी की शेयर होल्डर थी………फाइनान्स की पढ़ाई कर के उस ने अभी कंपनी को जाय्न किया था …..

उसके साथ बैठ लड़का , राजन ………..लक्ष्मी ग्रूप का जीएम (फाइनान्स) ….उमर कोई 30-32 के आस पास ……….. बॅंक के सारे काम में
उसने मेरा काफ़ी साथ दिया था…..कुल मिलाकर एक मेहनती और ईमानदार आदमी

सभी लोग मिस्टर.चौधरी का वेट कर रहे थे ………..कान्फरेन्स रूम का दरवाज़ा धीरे से खुला और फिर जो अंदर आया ( या कहिए आई ) वो मेरे लिए तो बिल्कुल अंजान थी ………..पर उसको देखकर ना जाने क्यों मेरी धड़कने अचानक तेज़ हो गयी

वो थी ही कुछ ऐसी …………मुझे नही मालूम कि मैने अपनी ज़िंदगी में इस से ज़्यादा खूबसूरत लड़की को कभी देखा हो ………..लंबा कद , सफेद रंग …..बिल्कुल ऐसा की हाथ लगा दो तो शायद मैला हो जाए , लंबे काले बाल , जो अभी बँधे हुए थे ……..नीली आँखें और दिलकश मुस्कान ……..सलीके से बँधी हुई आसमानी साड़ी , मॅचिंग ब्लाउस ………सामने अपने सीने से सटा कर उसने कुछ फाइल्स को पकड़ा हुआ था …….कुल मिलाकर वो इस ऑफीस के लायक तो नही पर किसी ब्यूटी कॉंपिटेशन के लायक बिल्कुल पर्फेक्ट थी……..उसने एक
बार सबको देखा फिर राजन के पास वाली खाली सीट्स में से एक पर बैठ गयी………अब वो मेरी आँखों के बिल्कुल सामने बैठी हुई थी …………..वो सबको एक-एक करके देख रही थी और साथ ही सबका सर हिला कर अभिवादन कर रही थी ……..औरो का तो मालूम नही
, पर मेरी निगाहें तो उस पर से नही हट रही थी

रूम का दरवाज़ा खुला और मिस्टर. चौधरी अंदर दाखिल हुए ………सबने खड़े होकर उनका अभिवादन किया और उनके बैठने के बाद सब लोग वापस अपनी सीट पर बैठ गये ………
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#12

“ गुड मॉर्निंग एवेरिबडी…….” मिस्टर चौधरी ने बोलना शुरू किया “ आज की यह मीटिंग मैने किसी ख़ास रीज़न से बुलाई है , और इसी लिए कुछ ख़ास ही लोग इसमे शामिल भी हुए हैं …”

2 सेकेंड्स रुक कर उन्होने आगे बोलना शुरू किया “ जैसा कि आप लोग जानते हैं , लक्ष्मी बॅंक की फर्स्ट ब्रांच की ओपनिंग हो चुकी है ……जितनी हम लोगो को उम्मीद थी , उस से कहीं ज़्यादा अच्च्छा रेस्पॉन्स हम लोगो को मिला है ….पहले महीने में ही 5500 से ज़्यादा अकाउंट्स
खुल चुके हैं और मुझे उम्मीद है कि अगले एक महीने में ही यह 3 गुना से ज़्यादा हो सकते हैं………”

सब लोगो ने टेबल्स को थप-थपा कर उनकी इस बात को चीर किया …..

वो लगातार बोलते जा रहे थे “ पहले महीने में ही हमारे बॅंक के सारे लॉकर्स , जो कि कुल 500 हैं , ऑक्युपाइड हो चुके हैं ……हम लोग अपने लॉकर रूम का एक्सपॅन्षन प्लान कर रहे हैं …. शायद अगले 6 महीने के अंदर 1000 नये लॉकर्स पब्लिक के लिए अवेलबल हो….” सबने एक बार फिर उनकी इस बात पर चियर किया

“ अब मैं चाहूँगा कि इस प्रॉजेक्ट के इंचार्ज और लक्ष्मी बॅंक के नये वाइस चेर्मन मिस्टर. राजीव चौधरी आप सब को इस बॅंक की टेक्निकल डीटेल्स बतायें …….. पर उस से पहले मैं आप सब का परिचय अपने नये साथी से करवाना चाहूँगा……” कह कर उन्होने उस लड़की की
तरफ इशारा किया और बोले “ मीट नेहा……….. नेहा मेरे एक दोस्त की बेटी हैं और इन्होने एमबीए ( मार्केटिंग ) किया हुआ है….इस से
पहले वो एक्सबीसी बॅंक में 3 साल काम कर चुकी हैं , आइ होप ये हमारे ग्रूप के लिए काफ़ी अच्छि साबित होंगी “

नेहा ने अपनी चेर से थोड़ा सा उठ कर सब लोगो का अभिवादन किया ………फिर वापस अपनी सीट पर बैठ गयी

मैने अपने लॅपटॉप को प्रोजेक्टर के साथ अटॅच किया और फिर एक साथी ने हॉल की सारी लाइट्स ऑफ कर दी …….मेरे राइट साइड वाली दीवार पर एक स्क्रीन लगी हुई थी …….जिस पर मेरे लॅपटॉप की सारी डीटेल्स प्रोजेक्टर के थ्रू दिखाई पड़ने लगी …….मैं डीप्ले कर रहा था और साथ ही साथ सारी डीटेल्स भी सब को बताता चल रहा था ….

अगले 10 मिनिट तक मैं प्रेज़ेंटेशन के थ्रू बॅंक की सारी टेक्निकल डीटेल्स , जो मैं उन लोगो के साथ शेयर कर सकता था…बताता रहा ……..फिर मैने डिसप्ले को ऑफ कर दिया ……….हॉल की लाइट ऑन कर दी गयी और सब लोगो ने एक बार फिर टेबल को थप-थपा कर मुझे चियर्स किया ………मैं अपनी सीट पर बैठ गया और पूछा …

“ एनी क्वेस्चन फ्रेंड्स ? “

एक हाथ ऊपर हुआ ……….शरद का

“ यस, मिस्टर शरद …….? “मैने पूछा

“ सारा कॉन्सेप्ट बहुत अच्छा है राजीव ………पर अगर कोई किसी तरह ड्यूप्लिकेट आइडेंटिटी कार्ड्स अरेंज कर ले तो ? वो बॅंक में एंटर तो कर ही सकता है ? “

“ नही मिस्टर.शरद, ड्यूप्लिकेट आइ-कार्ड से वो सिर्फ़ अपनी आइडेंटिटी प्रूफ कर सकता है ………हर कस्टमर को एक यूनीक कोड इश्यू किया जाता है ..जिसको एंटर करने पर ही वो बॅंक के गेट के अंदर घुस सकता है …….इसके अलावा उसको हर काउंटर पर अपनी बायो-मेट्रिक्स आइडेंटिटी भी देनी होती है ………वो उसको तो मॅच नही कर सकता “ मैने उसको समझाया

“ फिर भी ……….मान लो कोई बॅंक के अंदर घुसने में कामयाब हो ही जाए ……..क्या वो लॉकर्स को खोल सकता है …..?”

“ नही ……..जैसे बाकी काउंटर्स पर होता है ….वैसे ही लॉकर्स के लिए भी उसको अपनी आइडेंटिटी को प्रूफ करना पड़ेगा………कुल मिलाकर हमारा बॅंक 99% सेफ है “ मैने सबको देखते हुए कहा …….सबसे आख़िर में मेरी निगाह नेहा की तरफ गयी और कुछ सेकेंड्स के
लिए उसके ऊपर ही टिक गयी ……..वो पूरे ध्यान से सिर्फ़ मेरी तरफ ही देख रही थी …….

“ और वो 1% चान्स क्या है राजीव ? “ यह क्वेस्चन प्रिया ने किया था ………थोड़ा सा मुस्कुराते हुए

“ सारे कस्टमर्स की डीटेल्स या तो मेरे पास स्टोर हैं, या फिर चौधरी सर के पास…..अगर हम दोनो में से ही कोई चाहे तो लॉकर्स खोल सकता है …………” मैने भी मुस्कुराते हुए जवाब दिया

“ और अगर कोई जबरन बॅंक पर कब्जा करना चाहे तो ? मेरा मतलब हथियारों के बल पर ? “ यह क्वेस्चन फिर शरद ने ही किया था…

“ उस केस में वो बॅंक के अंदर तो पहुँच सकता है ……पर वहाँ कोई ट्रॅन्सॅक्षन तो नही कर पाएगा ……इसके अलावा अगर वो लॉकर्स को खोलने की कोशिश करेगा तो एक अलार्म पास के पोलीस स्टेशन में बज जाएगा ……..फिर 5 मिनिट्स के अंदर ही वो पोलीस के कब्ज़े में
होगा …” कह कर मैं चुप हो गया ……सब लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे ……बहुत ज़्यादा इंप्रेस्सिव निगाहों से ………जिन मे से एक जोड़ी आँखें नेहा की भी थी …………….
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#13

अगले कुछ सेकेंड्स तक सब लोग खामोश ही बैठे रहे फिर मिस्टर.चौधरी ने बोलना शुरू किया …..

“ फ्रेंड्स……….आइ होप , आप सब लोग अब मिस्टर.राजीव के इस विचार से सहमत होंगे कि हमारा यह बॅंक एक यूनीक टाइप ऑफ बॅंक है …….और सही मायनो में एक फुल सेक्यूर बॅंक है ……..इन सब बातों से एनकरेज होकर ही मैं , ऐज ए चेर्मन ऑफ लक्ष्मी ग्रूप आंड लक्ष्मी बॅंक …यह डिसाइड कर रहा हूँ कि हम लोग इस बॅंक की ब्रॅंचस कुछ और सिटीस में भी खोलेंगे……”

सब लोगो ने फिर टेबल्स पर थप-थपा कर उनके प्रपोज़ल का स्वागत किया …….उन्होने आगे बोलना शुरू किया …

“ पर मैं यह चाहता हूँ कि बॅंक की ब्रॅंचस स्टार्ट करने से पहले हम लोग यह पक्का कर लें कि हर शहर में कुछ लोग ऐसे ज़रूर हो कि जो हमारे कस्टमर्स बन-ने के लिए तय्यार हो ………. हम लोगो को हर बड़े शहर में जाकर उन लोगो से मिलना होगा जो हमारे कस्टमर्स बन-ना चाहते हैं ……..मेरे पास कुछ लोगो के ईमेल्स और फोन कॉल्स आए हैं ……..लगभग हर बड़े शहर में कुछ ख़ास लोग हमारे बॅंक की सर्विस लेना चाहते हैं “ कुछ देर के लिए रुक कर उन्होने पानी पिया और फिर आगे बोलना शुरू किया..

“ मैने चाहता हूँ कि आप लोग 3 टीम्स बना कर इंडिया के अलग-अलग सिटीस में जाओ …..मैं यह काम किसी मार्केटिंग टीम से भी करवा सकता हूँ ….पर क्योंकि बॅंक की सारी टेक्निकल डीटेल्स सिर्फ़ आप ही लोगो को मालूम है ………मैं नही चाहता कि हम वो सब चीज़ें सब
के साथ शेयर करें ………इसलिए आप लोग खुद जा कर सब शहरों में प्रेज़ेंटेशन्स दो ……..और फिर देखो कि वहाँ हमारे लिए क्या स्कोप है “ कह कर वो चुप हो गये ……….फिर सबकी तरफ देखने लगे

पहला सवाल शरद ने ही किया “ ठीक है अंकल ………आप बताइए …किस-किस को जाना है …….हम लोग टीम्स बना लेते हैं “

मिस्टर.चौधरी ने सब की तरफ देखा और कहा “ मेरे ख्याल से ……..शरद, राजीव, राजन, प्रिया, निधि और नेहा……….आप 6 लोग , 2-2 की टीम बना कर अलग-अलग एरिया में चले जाओ ………….आप लोग नॉर्थ, ईस्ट और साउत इंडिया के अलग अलग शहरो में जा सकते हो ……….टीम्स आप लोग अपने आप डिसाइड कर लो “

फिर प्रिया और निधि उठ कर शरद के पास पहुँच गये ……….वो तीनो आपस में धीमी आवाज़ में बातें करते रहे ….मैं हमेशा उन लोगो से अपने आप को अलग ही रखने की कोशिश करता था ………मिस्टर.चौधरी चाहे मुझे बेटे जैसा मानते हो , पर मुझे मालूम था कि मैं उन लोगो में से नही हूँ ….ना ही कभी मैं उनकी बराबरी कर सकता था ………मेरी निगाह सब लोगो के ऊपर से होती हुई फिर से नेहा की तरफ चली गयी ………मुझे ऐसा लगा की शायद वो भी मेरी तरफ ही देख रही थी , पर मेरे देखते ही उस ने अपनी निगाहें फिरा ली …….

उसके चेहरे में कुछ ख़ास ही बात थी ………..मालूम नही , उसकी आदत थी या फिर उसके होंठों की बनावट ही कुछ ऐसी ही थी
………जब भी उसको देखो ऐसा लगता था कि वो धीरे से मुस्कुरा रही है……….अगले कुछ सेकेंड्स के लिए मेरी आँखें उसके चेहरे पर ही
टिक गयी……….इस सब से बे-खबर कि मैं कहाँ बैठा हूँ और क्या कर रहा हूँ ………

मुझे वापस होश आया , निधि की आवाज़ सुनकर ……….वो मिस्टर.चौधरी से कह रही थी “ अंकल ………..हम लोगो ने 3 टीम्स बना ली हैं…….पहली टीम में शरद भैया और नेहा , दूसरी में प्रिया दीदी और मिस्टर.राजन और तीसरी में मैं और राजीव ……….” कहते हुए उसने एक बार मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा ………..

चौधरी साब कुछ सेकेंड्स चुप रहे फिर बोले “ मेरे हिसाब से इस में एक चेंज होना चाहिए ……….. क्यों कि नेहा बिल्कुल नयी है, और राजीव से ज़्यादा टेक्निकल नालेज यहाँ किसी को नही है …….इन दोनो को एक टीम में रखो ……..बाकी टीम अपने हिसाब से चेंज कर लो “

उन्होने जो कुछ कहा वो मेरे लिए तो मानो एक सर्प्राइज़ गिफ्ट की तरह था ……..एक ऐसी लड़की जिसको मैं नज़दीक से देखना चाह रहा था …….अब अगले 10-15 दिन तक मेरे साथ ही रहेगी ……..मेरे दिल की धड़कन मानो अचानक बहुत तेज़ी के साथ भागने लगी ………..

फिर 5 मिनिट के बाद डिसाइड हो गया कि मैं और नेहा , नॉर्थ इंडिया का एरिया कवर करेंगे …..प्रिया और शरद , ईस्ट एरिया ….और निधि और राजन साउत इंडिया ……..आज थर्स्डे था ………..हम लोगो ने फ़ैसला किया कि हम सब नेक्स्ट मंडे एक साथ अलग-अलग एरिया की
तरफ निकल जाएँगे ………उस से पहले हम लोग अलग अलग सिटीस में होटेल्स और कॉन्फरेन्सस के लिए सारा अरेंज्मेंट कर लेंगे ……….

फिर मिस्टर.चौधरी सीट से उठ कर बाहर निकल गये ………जाते जाते वो मुझ से कह गये कि मैं दो-पहर में उन से आकर मिलूं ………फिर हम सब लोग आपस में बातें करने लगे ……..अपनी आदत के अनुसार मैं कम ही बोल रहा था …….सुन ज़्यादा रहा था ………..हम
लोगो ने उन सिटीस के नाम डिसाइड कर लिए जहाँ हम लोगो को जाना था ………

फिर सब लोग एक-एक करके कमरे से बाहर निकलने लगे …..मेरा असिस्टेंट करण मेरा लॅपटॉप और बाकी फाइल्स लेकर कमरे से बाहर निकल गया……वहाँ अब केवल मैं , नेहा और स्टाफ के 2 लोग बचे हुए थे ……..नेहा ने अपनी फाइल्स उठाई और सीट से उठ कर खड़ी हो गयी ……फिर वो धीरे धीरे चलती हुई मेरे पास आई , चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हुए ………मैं अपनी सीट से उठ कर खड़ा हो गया …….

उसने अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ाया और बोली ……… “ हेलो मिस्टर.राजीव …………माइ सेल्फ़ नेहा ……….आपकी नयी साथी “ कह कर वो फिर से मुस्कुराइ

मैने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ लिया ……… “ हाई नेहा……….वेरी नाइस टू मीट यू ……..आइ होप, हम दोनो साथ
मिलकर बहुत अच्च्छा काम करेंगे …….” कह कर मैने उसका हाथ छोड़ा और कमरे से बाहर निकल गया……….

बाहर निकल कर मैं लिफ्ट में सवार हो गया और 13थ फ्लोर पर , अपने ऑफीस की तरफ चल दिया ……मुझे अभी तक अपने हाथ में , उसका हाथ महसूस हो रहा था ……..मैं अंदर ही अंदर बड़ा ही रोमांचित सा था……..मालूम नही यह क्या एहसास था ……..जो मेरे लिए तो बिल्कुल नया सा था …
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#14

उस दिन मैं लगभग पूरे समय सिर्फ़ नेहा के बारे में ही सोचता रहा…….उस से यह मेरी पहली मुलाकात थी , फिर भी ना जाने क्यों ऐसा लग
रहा था कि जैसे में उसको हमेशा से जानता हूँ…

पिच्छले 10 साल मैने सिर्फ़ पढ़ाई और काम में ही बिता दिए थे ………. अपने खुद के बारे में सोचने की फ़ुर्सत ही नही मिली थी ……मुझे खुद भी मालूम नही पड़ा कि कब मेरा बचपन बीत गया और कब मैं जवान हो गया ……..इस से पहले भी कयि लड़कियों ने मेरे साथ पढ़ाई और काम किया था ……पर मुझे उनमें से किसी के साथ इतना अट्रॅक्षन फील नही हुआ , जितना आज नेहा को देख कर हो रहा था ……

दो-पहर हो गयी थी ……..मैने मिस्टर.चौधरी को फोन कर के पूछा कि क्या मैं उन से मिलने आ सकता हूँ …….उन्होने हाँ में जवाब दिया ……. फिर अगले कुछ मिनिट्स के बाद मैं मिस्टर.चौधरी के सामने बैठा हुआ था ……….

“ राजीव………आइ थिंक यू हॅव डन आ वेरी नाइस जॉब ……….हमारे बॅंक के बारे में जो मैने सिर्फ़ सोचा ही था , वो सब तुमने हक़ीकत में
बदल कर दिखा दिया …..आइ आम वेरी प्राउड ऑफ यू माइ बॉय “ वो कहे जा रहे थे …

“ थॅंक यू सर ……. पर यकीन मानिए मैने ऐसा कुछ नही किया जो कुछ अनोखा काम हो ………यह सब टेक्नालजी अब आम बात है…..मैने तो सिर्फ़ इन सब को एक जगह इकट्ठा किया है….” मैं बोला

….

“ तुम्हे ऐसा लगता है राजीव ……..पर मेरी निगाह से देखो तो मालूम पड़ेगा कि तुमने क्या काम किया है……” वो बोले

“ सर…जो कुछ आपने मेरे लिए किया , उसके सामने तो यह सब कुछ भी नही है …….अगर आप ना होते तो शायद यह राजू कभी भी
उस ढाबे से बाहर ना आ पाता ….” मैं भावपूर्ण लहज़े में बोला

“ तुम्हारा यह सोचना ग़लत है बेटा ……..मैने तुमसे पहले भी कहा था कि तुम एक हीरा हो , और में एक जोहीरी ……अगर मेरी निगाह तुम पर ना पड़ती तो शायद किसी और की पड़ जाती …….पर यह तुम्हारी ही चमक है जो सब तरफ बिखरी हुई है …..इसमें मेरा या किसी और का कोई योगदान नही है “

कुछ देर रुक कर उन्होने फिर से बोलना शुरू किया “ मैने आज मीटिंग में तुम्हे एक नयी ज़िम्मेदारी सौंपी है बेटा ……फिर बाद में मुझे याद आया कि मैने तुम्हे आराम तो करने का मौका ही नही दिया है…….पिच्छले कयि सालो से तुम सब कुछ भूल कर सिर्फ़ काम में ही लगे हुए
हो ………मैं चाहता हूँ कि तुम कुछ दिन छुट्टी लेकर कहीं घूम आओ …….यह सब काम के लिए मैं किसी और से कह दूँगा , तुम्हारी जगह
टूर पर भी कोई और चला जाएगा “

मैं उनकी बात सुनकर तुरंत बोला “ अरे नही सर………मुझे आराम की कोई ज़रूरत नही है……और फिर यह टूर भी तो मेरे लिए एक छुट्टी की तरह ही होगा …आप मेरी फिक्र मत कीजिए …..मंडे से पहले मैं कुछ दिन तो वैसे भी आराम करने वाला ही हूँ “ कहते हुए एक बार मेरे
जेहन में नेहा का चेहरा उभरा ……..

“ ओके माइ बॉय ………ऐज यू विश ………बेस्ट ऑफ लक फॉर युवर टूर ……गो आंड ट्राइ टू एंजाय ऐज मच ऐज पासिबल”

“ थॅंक्स सर….” कह कर मैं सीट से उठा और कमरे से बाहर आ गया…
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#15

आज मेरा भी दिल काम में नही लग रहा था……शायद इसलिए कि बहुत दिनो के बाद मैं अपने आप को ज़िम्मेदारियों से फ्री महसूस कर रहा था..

मैं 5 बजे ही ऑफीस से उठ गया और अपने फ्लॅट की तरफ चल दिया…….बहुत दिनो के बाद मैं इस शहर की सुहानी शाम को महसूस कर रहा था…..मैं फ्लॅट पर पहुँचा और थोड़ी देर के लिए बिस्तर पर लेट गया और टीवी देखते हुए आराम करने लगा ……….

शाम को करीब 6.30 बजे के आस-पास मैं फिर से उठा और बाथरूम में चला गया …थोड़ा सा फ्रेश होकर मैने कपड़े चेंज किए और फिर फ्लॅट से निकल कर नीचे आ गया …….

मैने अपनी सैंट्रो गाड़ी निकाली और खुद ही ड्राइव कर के चल दिया ……..ड्राइवर को मैने जानबूझ कर अपने साथ नही लिया था …….अब मैं कुछ दिन सही मायनो में आराम करना चाहता था ……..बिल्कुल अकेले रहकर , बिना किसी पा-बंदी के ………

मैं रॉयल क्लब पहुँचा और वहाँ पार्किंग में अपनी गाड़ी खड़ी कर दी ……….रॉयल क्लब , राज नगर के सबसे अच्छे क्लब्स में से एक था ……शहर के काफ़ी बड़े – बड़े लोग यहाँ के मेंबर्ज़ थे , जिन में से एक मैं भी था ……..काम के अलावा अगर मुझे कोई शौक था तो वो था बॅडमिंटन खेलना, स्विम्मिंग करना और ड्राइविंग करना …

वैसे तो पूरा शहर ही समंदर के किनारे बसा हुआ था….पर यह क्लब तो बिल्कुल ही समंदर के नज़दीक था………यहाँ एक बड़ा गोल्फ कोर्स था, कुछ आउटडोर स्पोर्ट्स के लिए ग्राउंड्स थे …और इसके अलावा एक बड़ा सा इनडोर हॉल था …..जहाँ लगभग सभी इनडोर गेम्स
खेले जाते थे …….मैं गाड़ी से उतर कर इनडोर हॉल की तरफ बढ़ गया….

मैं लॉकर रूम में गया और वहाँ चेंज करने के बाद हाल की तरफ चल दिया ……..एक काफ़ी बड़ा हाल , जिसमें बॅडमिंटन, टेन्निस , बोलिंग, स्केटिंग एट्सेटरा के लिए कोर्ट्स बने हुए थे और उन सबको छोटी छोटी दीवारो और नेट्स की हेल्प से सेपरेट किया हुआ था …………अगर आप एक तरफ खड़े होते , तो हॉल के दूसरे कोने पर खड़े हुए इंसान को देख सकते थे …….

मैं सीधा बॅडमिंटन हॉल पर पहुँच गया …..यहाँ 2 कोर्ट्स बने हुए थे ….एक पर कुछ लॅडीस खेल रही थी और दूसरे पर कुछ जेंट्स …..मैं
जेंट्स वाले कोर्ट पर पहुँचा और वहाँ बेंच पर बैठ कर गेम देखने लगा ……..

अचानक मुझे अपने कंधे पर किसी के हाथ का स्पर्श महसूस हुआ …….मैने पीछे मूड-कर देखा…और बोला

“ हेलो ..कमल ……….हाउ आर यू “

“फाइन राजीव…………तुम बताओ , तुम कैसे हो ………कहाँ थे इतने दिन यार ………बहुत दिनो बाद दिखाई दिए हो ………..” आने वाला मेरे पास बैठ गया और लगातार सवाल पूच्छने शुरू कर दिए ……..

वो कमल था ……….मेरी ही तरह इस क्लब का मेंबर ……वैसे वो राज नगर पोलीस में एसीपी की पोस्ट पर था ………..उमर करीब 27-28 के आस पास…….शानदार पर्सनॅलिटी का मालिक ………….राज नगर में कुछ ही लोग ऐसे थे जिनसे मेरी प्रोफेशनल जान-पहचान नही थी
…….उसँमें से कमल भी एक था ………हमारी पहली मुलाकात यहीं इस क्लब में ही हुई थी ……….और तब से ही हम दोनो में दोस्ती जैसा रिश्ता बन गया था………..

“ बस ऐसे ही ……….कुछ काम ज़्यादा था……..अब फ्री हो गया तो सोचा क्लब चल कर आप सब से मिल लूँ “ मैने कहा ……..

“ क्लब ना सही ……….वैसे ही कभी कभी मिल लिया करो …या कम से कम फोन ही कर लिया करो …….”
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#16

कोर्ट पर चल रहा गेम ख़तम हो गया था ……….मैं और कमाल उठ कर खड़े हो गये और कोर्ट पर आ गये …….वहाँ 2 लोग और भी थे ………हम लोगो ने डबल्स गेम खेलना शुरू कर दिया ……………मैं और कमल एक साइड , और बाकी दोनो लोग दूसरी साइड ………….

हम लोगो ने 2 गेम्स खेले ………मैं बॅडमिंटन का अच्च्छा खिलाड़ी था और कमल भी ………..20 मिनिट से भी कम समय में हम लोगो ने दोनो गेम्स जीत लिए ………..

उसके बाद बाकी दोनो लोग चले गये और हम दोनो ही रह गये ……..हम लोगो ने अब सिंगल्स खेलना शुरू किया…………

“ आज फिर से तुम मेरी वजह से मॅच जीत गये राजीव ………..” कमल ने हंसते हुए कहा…….

“ अभी फ़ैसला हो जाएगा दोस्त कि कौन , किस की वजह से जीता …………” मैने भी हंसते हुए जवाब दिया …….

फिर हम दोनो ने गेम शुरू कर दिया ………..15 मिनिट से पहले ही …मैं यह गेम 21-10 से जीत गया ……………

हम दोनो ब्रेक के लिए वापस बेंच पर आकर बैठ गये ………मैने हंसते हुए कहा “ क्यों सर…………अब मालूम पड़ गया कि कौन , किस
की वजह से जीता था ? हा हा हा हा “

जवाब में कमल सिर्फ़ मुस्कुरा दिया ….फिर हम दोनो दूसरे गेम के लिए कोर्ट पर पहुँच गये ……गेम शुरू हुआ ..3 मिनिट से भी कम समय
में मैं 6-0 से आगे था ……कि अचानक जो कुछ मैं देखा , वो मेरी सांसो को थामने के लिए काफ़ी था …….

बॅडमिंटन कोर्ट के पीछे , टेन्निस का कोर्ट था…….जहाँ इस समय दो लड़कियाँ खेल रही थी ……..वो जगह मेरे से काफ़ी दूर थी , फिर भी मैं
नेट के थ्रू देख सकता था कि उन में से एक नेहा थी……….

वो पूरे ध्यान से टेन्निस खेलने में लगी हुई थी ……….सुबह जो रूप मैने उसका देखा था , इस समय उस से बिल्कुल ही अलग था ……..डार्क ब्लू टी-शर्ट और सफेद मिनी स्कर्ट में वो इस समय बिल्कुल किसी कॉलेज गर्ल की तरह लग रही थी ……… उसके बाल पोनीटेल में बँधे हुए
थे और खेलते समय कुछ बाल बार-बार उसके चेहरे पर आ जाते थे ……जिनको वो अपनी कलाई से पीछे कर लेती थी ……..

मेरा ध्यान अब मेरे गेम से हट चुका था ………..सर्विस करते समय , पायंट्स के बाद और ब्रेक्स के बीच में …….बार बार मेरा ध्यान उस ही
की तरफ जा रहा था …….मालूम नही कौन सी चुंबक थी जो मेरा निगाहों को अपनी तरफ खींचे जा रही थी ….
इसका नतीज़ा भी सामने आ गया …….कमल ने मेरी कंडीशन का पूरा फ़ायदा उठाया और मैं दोनो गेम 21-9 और 21-7 से हार गया …….और शायद इसके अलावा कुछ और भी था जो मैं धीरे धीरे हार रहा था ……
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#17

गेम फिनिश होने के बाद हम दोनो फिर से बेंच पर आकर बैठ गये

“ क्या हो गया राजीव..?

" इतना अच्छा खेल रहे थे, अचानक क्या हो गया था…?” कमल ने हंसते हुए पूचछा……वो अपना समान अपने किट में डाल रहा था

“ कुछ नही ………शायद आप मुझ से भी अच्च्छा खेल रहे थे “ मैं जवाब दिया ……फिर मेरी निगाह उधर , टेन्निस कोर्ट पर गयी ……वहाँ भी गेम शायद अब फिनिश हो चुका था …….दोनो लड़कियाँ अब चेर्स पर बैठी हुई थी ……..

कमल ने अपना किट उठाया…..और खड़े होकर किट को कंधे पर डाल लिया… फिर अपना राइट हॅंड मेरी तरफ बढ़ा कर बोला “ ओके डियर………फिर मिलेंगे …………आते रहा करो “

मैने उसका हाथ पकड़ा और बोला “ कुछ देर रूको ना यार……चल कर एक-एक ड्रिंक लेते हैं ? “

“ अभी नही दोस्त ……आज नाइट में पेट्रॉल्लिंग का प्रोग्राम है ……..आज की ड्रिंक आप पर उधार रही “ उसने हंसते हुए कहा और फिर एक तरफ को चल दिया …

मैने भी अपनी कीट उठा कर कंधे पर तंग ली और फिर से यूयेसेस तरफ देखा ….अब वहाँ से दोनो लड़किया जेया चौकी थी ………मैं स्विम्मिंग पूल की तरफ चल दिया …..स्विम्मिंग पूल के चारो तरफ कुछ टेबल्स पड़ी हुई थी …….जहाँ बैठ कर क्लब के मेंबर्ज़ रेस्टोरेंट और बार की सर्विस ले सकते थे ……..

मैं एक टेबल के पास गया और अपना बॅग रख कर चेयर पर बैठ गया …………वेटर मेरे पास आया और मैने उस को एक स्माल ड्रिंक का ऑर्डर दिया …………. फिर मैं इधर उधर निगाह दौड़ाने लगा …………थोड़ी ही देर में मुझे वो दिखाई पड़ गयी , जिसको मेरी आँखें ढूँढ
रही थी ………वो थोड़ी दूर पर एक टेबल पर बैठी हुई थी ……अकेली ………

मुझे एहसास हो गया था कि वो मुझे देख चुकी है……..पर मैने ऐसा दिखाया मानो मेरा ध्यान उसकी तरफ हो ही ना ……….मैने अपने आखों के कोनो से देखा कि वो अपनी सीट छोड़ कर मेरी तरफ ही आ रही थी ……….मेरी तरफ बढ़ रहे , उसके हर एक कदम के साथ मेरे दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी ………….

वो मेरे सामने आ कर खड़ी हो गयी और बोली …..” हेलो सर !!”
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#18

मैने पहले उसकी तरफ देखा और फिर चारो तरफ निगाह घुमाई …जैसे कि कुछ ढूँढ रहा हूँ

“ क्या हुआ सर…………..” वो अचरज भरे स्वर में बोली …….

“ देख रहा हूँ ….यहाँ सर कौन है “ मैने मुस्कुराते हुए कहा ….

“ हा हा हा ……आप , और कौन ? “ कहते हुए वो मेरे सामने वाली चेयर पर बैठ गयी ……… “ गुड ईव्निंग सर “

“ गुड ईव्निंग नेहा जी ………..आपने मुझे यह सर कहना क्यों शुरू कर दिया …..मुझे याद है कि आज सुबह तो ऐसी कोई बात नही थी “

वो मुस्कुराइ और बोली “ सुबह मुझे मालूम नही था कि मिस्टर.राजीव ……..यानी की आप ... लक्ष्मी बॅंक के वाइस चेर्मन हैं “ उसने मेरी आँखों में देखा और फिर नज़रें झुका ली ……

“ पर मैं तो वही हूँ , जो सुबह था………..स…… और वैसे भी यह ऑफीस नही है, क्लब है ……यहाँ मैं राजीव हूँ…..सिर्फ़ राजीव…….क्यों ? “ मैने पूछा……..

उसने अपने चेहरे पर गिरे हुए बालो को एक हाथ से पीछे किया और फिर मुस्कुरा दी …….

“ अब बताइए नेहा जी ……..क्या लेंगी आप ? “ मैने उसकी आँखों में झाँकते हुए पूछा………..

“ अभी मुझे लेक्चर दे रहे थे , और खुद तकल्लूफ कर रहे हैं …………..यह नेहा के साथ जी कहाँ से आ गया ?” वो शिकायत भरे लहजे मैं बोली ….

“ ओह्ह्ह्ह …सॉरी ……….तो बोलिए ……..क्या लेंगी आप नेहा” मैने पूछा…तब तक वेटर मेरी ड्रिंक लेकर आ गया था……..

“ लाइम जूस……..” उसने कहा और वेटर वहाँ से चला गया……..अगले कुछ सेकेंड्स हम दोनो बिल्कुल चुप चाप रहे और फिर उसने ही पहले सवाल किया ….

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#19

“ आपको यहाँ आज पहली बार देखा है राजीव ……?”

“ क्यों ? आप डेली यहाँ आती हैं क्या ? “ मैने उल्टा सवाल किया …..

“ जी हां …..पिछले एक हफ्ते से , डेली ही यहाँ आ रही हूँ “ उसने कहा

“ और इत्तेफ़ाक़ देखिए ………..मैं पिच्छले एक हफ्ते से ही यहा नही आ पाया हूँ “ में कहा और फिर हम दोनो एक साथ हंस दिए……….वेटर उसकी ड्रिंक रख कर चला गया था ………हम दोनो अब अपनी अपनी ड्रिंक्स को सीप कर रहे थे …….
उसका तो मालूम नही , पर मैं तो शब्द ढूँढ रहा था …….उस से बात शुरू करने के लिए …..बीच बीच में मैं चोर निगाहों से उसकी तरफ देख रहा था………उसकी नज़रें स्विम्मिंग पूल की तरफ थी …….. मैने उसके ऊपर एक निगाह दौड़ाई ………..उसका शरीर अब भी पसीने से भीगा हुआ था………टी-शर्ट के बाहर , उसके शरीर का जो भी हिस्सा नुमाया हो रहा था ….. किसी के भी दिल की धड़कने बढ़ाने के लिए काफ़ी था……….गोरा रंग और उस पर पसीने की बूंदे …….उसके बाल बार बार उड़ कर उसके चहरे पर आ जाते थे ……….जिनको वो अपनी उंगलियों से फिर से अपने कान के पीछे कर रही थी …………..अचानक उसने मेरी तरफ देखा और मैने जल्दी से निगाहें हटा ली
………मुझे एक-दम ऐसा लगा जैसे की किसी ने मेरी चोरी को पकड़ लिया हो …………..

“ इसका मतलब आप यहाँ अक्सर आते रहते हैं …..? “ उसने चुप्पी को तोड़ते हुए सवाल किया……

“ जी हां…….पिच्छले कुछ दिनो , ज़्यादा बिज़ी होने के कारण नही आ पाया …….पर अब कोशिश करूँगा कि डेली शाम को आऊँ………और आप ? “ मैने उस से सवाल किया …

“ मैं तो डेली आती हूँ …….सुबह को गोल्फ खेलने और स्विम्मिंग करने ……..और शाम को टेन्निस खेलने “ उसने बड़े उत्साह से बताया ……….

“ अच्च्छा !! इसका मतलब आप ज़्यादा टाइम घर से बाहर बिताना ही पसंद करती हैं ….क्यों , घर पर दिल नही लगता क्या ? “ मैने हंसते हुए पूछा ….

“ घर पर दिल लगाने के लिए है ही कौन ………..मैं यहाँ राज नगर में अकेली रहती हूँ “ उसने मुस्कुराते हुए बताया ……….

“ ओह्ह्ह्ह………और बाकी लोग , मेरा मतलब है आपकी फॅमिली ? “ …………

“ मेरी बाकी फॅमिली देहरादून में रहती है ……….मैं यहाँ अकेली हूँ “ उसने कहा , इस बार कुछ उदास सी आवाज़ मैं……….फिर कुछ सेकेंड्स के लिए हम दोनो चुप हो गये……..
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