desiaks
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मैने घड़ी में टाइम देखा…..दो-पहर के 2.30 बज रहे थे …… मैं अब वापस घर निकलने के मूड में था………मैं अपना सामान समेटने लगा कि दरवाज़े पर फिर से नॉक हुई………मैने देखा, यह करण था……वो कमरे के अंदर आ गया और एक पॅकेट मेरी तरफ बढ़ा दिया……….मैने पॅकेट हाथ में लेकर उसकी तरफ सवालिया निगाहो से देखा…..वो बोला
“ आपकी टिकेट्स और होटेल बुकिंग के पेपर्स हैं इस में “
“ ओह्ह्ह………थॅंक्स करण ….मुझे तो याद ही नही था….. “ मैने कहा ….जवाब में वो बोला …….
” इट्स ओके सर……….” और फिर बाहर की तरफ चल दिया ……फिर दरवाज़े पर जाकर रुका और पलट कर बोला…………” एक काम था आपसे ? “
“ हां ……….बोलो करण ? “
“ मुझे शायद कुछ दिनो के लिए अपने घर जाना पड़े……..मेरे फादर की तबीयत कुछ ठीक नही चल रही है …… “ उसने धीरे से कहा…
“ इट्स ओके……..तुम जब चाहे जा सकते हो , मेरी आब्सेन्स में तुम मिस्टर.चौधरी और निधि को इनफॉर्म कर देना……” मैने उसको समझाया…… “ और कुछ चाहिए हो तो बताओ ? “
“ नही ……….बस इतना ही काफ़ी है , थॅंक्स “ कह कर वो बाहर निकल गया ……….
मैने अपना बॅग और वो पॅकेट उठाया और कमरे से बाहर आ कर नीच की तरफ चल दिया ……. बिल्डिंग से नीचे आकर मैने ड्राइवर को
बुलाया और वो मेरी गाड़ी लेकर आ गया ……….मैं गाड़ी की पिच्छली सीट पर बैठा और उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी……
कुछ ही देर में मेरी सोच फिर से नेहा पर पहुँच गयी ……..मैने तय कर लिया था कि मैं इस तौर पर अपने दिल की बात उस से कर लूँगा …….जैसी कि मुझे उम्मीद थी , वो इनकार तो नही करेगी ……..फिर वापस आकर मैं मिस्टर.चौधरी को भी इनफॉर्म कर दूँगा
………….इस विचार के आने से ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी………
मैं कुछ देर बाहर देखता रहा फिर करण का दिया हुआ पॅकेट उठाया और उसको खोल कर उसमें रखे पेपर्स को चेक करने लगा ……….कुछ एर टिकेट्स, होटेल बुकिंग के पेपर्स , हमारी मीटिंग्स के प्लॅन्स और कुछ और पेपर्स उसमें थे ………
मैने एर टिकेट्स निकाले और उनको चेक करने लगा …………पहला टिकेट खोला , वो मेरे नाम से था …..लखनऊ टू देल्ही , दूसरा टिकेट भी मेरे नाम से ही था… राज नगर टू लकनऊ ………तीसरा टिकेट खोल कर देखते ही मैं चौंक गया ……. ऐसा लगा जैसे बिजली का जोरदार झटका मुझे लगा हो ……टिकेट पर पॅसेंजर का नाम लिखा था……मिसेज़. नेहा वर्मा……………मेरे दिल की धड़कने अचानक कयि गुना बढ़ गयी थी ………मैने जल्दी जल्दी सारे टिकेट्स को चेक किया ……………..आधे टिकेट्स पर , जो मेरे नही थे , वही नाम लिखा
हुआ था ….मिसेज़.नेहा वर्मा……..
मैने तुरंत करण को फोन लगाया ………….. उसके फोन रिसीव करते ही मैने उस से सवाल किया
“ करण , तुम ने टिकेट्स चेक किए थे ना ? “
“ जी हां सर …….क्यों कोई ग़लती है क्या ? “
“ हां ….शायद …………नेहा के नाम में उन्होने मिसेज़ लगा दिया है……” मैने धड़कते दिल के साथ बोला ………
“ जी …….तो सही ही है ना ………नेहा जी मॅरीड हैं सर ……क्यों ? आपको नही मालूम था क्या ? “ उधर से करण की आवाज़ आई ……….
“ ओह्ह्ह……….इट्स ओके करण ………थॅंक्स “ कह कर मैने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……..
मुझे अपना सर घूमता हुआ महसूस हो रहा था……. मैने सारे पेपर्स वापस पॅकेट में रख दिए और सर को पीछे सीट से टीका दिया……...जो कुछ अभी हुआ था, वो मेरे लिए किसी शॉक से कम नही था…………..
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“ आपकी टिकेट्स और होटेल बुकिंग के पेपर्स हैं इस में “
“ ओह्ह्ह………थॅंक्स करण ….मुझे तो याद ही नही था….. “ मैने कहा ….जवाब में वो बोला …….
” इट्स ओके सर……….” और फिर बाहर की तरफ चल दिया ……फिर दरवाज़े पर जाकर रुका और पलट कर बोला…………” एक काम था आपसे ? “
“ हां ……….बोलो करण ? “
“ मुझे शायद कुछ दिनो के लिए अपने घर जाना पड़े……..मेरे फादर की तबीयत कुछ ठीक नही चल रही है …… “ उसने धीरे से कहा…
“ इट्स ओके……..तुम जब चाहे जा सकते हो , मेरी आब्सेन्स में तुम मिस्टर.चौधरी और निधि को इनफॉर्म कर देना……” मैने उसको समझाया…… “ और कुछ चाहिए हो तो बताओ ? “
“ नही ……….बस इतना ही काफ़ी है , थॅंक्स “ कह कर वो बाहर निकल गया ……….
मैने अपना बॅग और वो पॅकेट उठाया और कमरे से बाहर आ कर नीच की तरफ चल दिया ……. बिल्डिंग से नीचे आकर मैने ड्राइवर को
बुलाया और वो मेरी गाड़ी लेकर आ गया ……….मैं गाड़ी की पिच्छली सीट पर बैठा और उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी……
कुछ ही देर में मेरी सोच फिर से नेहा पर पहुँच गयी ……..मैने तय कर लिया था कि मैं इस तौर पर अपने दिल की बात उस से कर लूँगा …….जैसी कि मुझे उम्मीद थी , वो इनकार तो नही करेगी ……..फिर वापस आकर मैं मिस्टर.चौधरी को भी इनफॉर्म कर दूँगा
………….इस विचार के आने से ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी………
मैं कुछ देर बाहर देखता रहा फिर करण का दिया हुआ पॅकेट उठाया और उसको खोल कर उसमें रखे पेपर्स को चेक करने लगा ……….कुछ एर टिकेट्स, होटेल बुकिंग के पेपर्स , हमारी मीटिंग्स के प्लॅन्स और कुछ और पेपर्स उसमें थे ………
मैने एर टिकेट्स निकाले और उनको चेक करने लगा …………पहला टिकेट खोला , वो मेरे नाम से था …..लखनऊ टू देल्ही , दूसरा टिकेट भी मेरे नाम से ही था… राज नगर टू लकनऊ ………तीसरा टिकेट खोल कर देखते ही मैं चौंक गया ……. ऐसा लगा जैसे बिजली का जोरदार झटका मुझे लगा हो ……टिकेट पर पॅसेंजर का नाम लिखा था……मिसेज़. नेहा वर्मा……………मेरे दिल की धड़कने अचानक कयि गुना बढ़ गयी थी ………मैने जल्दी जल्दी सारे टिकेट्स को चेक किया ……………..आधे टिकेट्स पर , जो मेरे नही थे , वही नाम लिखा
हुआ था ….मिसेज़.नेहा वर्मा……..
मैने तुरंत करण को फोन लगाया ………….. उसके फोन रिसीव करते ही मैने उस से सवाल किया
“ करण , तुम ने टिकेट्स चेक किए थे ना ? “
“ जी हां सर …….क्यों कोई ग़लती है क्या ? “
“ हां ….शायद …………नेहा के नाम में उन्होने मिसेज़ लगा दिया है……” मैने धड़कते दिल के साथ बोला ………
“ जी …….तो सही ही है ना ………नेहा जी मॅरीड हैं सर ……क्यों ? आपको नही मालूम था क्या ? “ उधर से करण की आवाज़ आई ……….
“ ओह्ह्ह……….इट्स ओके करण ………थॅंक्स “ कह कर मैने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……..
मुझे अपना सर घूमता हुआ महसूस हो रहा था……. मैने सारे पेपर्स वापस पॅकेट में रख दिए और सर को पीछे सीट से टीका दिया……...जो कुछ अभी हुआ था, वो मेरे लिए किसी शॉक से कम नही था…………..
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