Desi Sex Kahani वेवफा थी वो - Page 4 - SexBaba
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Desi Sex Kahani वेवफा थी वो

मैने घड़ी में टाइम देखा…..दो-पहर के 2.30 बज रहे थे …… मैं अब वापस घर निकलने के मूड में था………मैं अपना सामान समेटने लगा कि दरवाज़े पर फिर से नॉक हुई………मैने देखा, यह करण था……वो कमरे के अंदर आ गया और एक पॅकेट मेरी तरफ बढ़ा दिया……….मैने पॅकेट हाथ में लेकर उसकी तरफ सवालिया निगाहो से देखा…..वो बोला
“ आपकी टिकेट्स और होटेल बुकिंग के पेपर्स हैं इस में “

“ ओह्ह्ह………थॅंक्स करण ….मुझे तो याद ही नही था….. “ मैने कहा ….जवाब में वो बोला …….

” इट्स ओके सर……….” और फिर बाहर की तरफ चल दिया ……फिर दरवाज़े पर जाकर रुका और पलट कर बोला…………” एक काम था आपसे ? “

“ हां ……….बोलो करण ? “

“ मुझे शायद कुछ दिनो के लिए अपने घर जाना पड़े……..मेरे फादर की तबीयत कुछ ठीक नही चल रही है …… “ उसने धीरे से कहा…

“ इट्स ओके……..तुम जब चाहे जा सकते हो , मेरी आब्सेन्स में तुम मिस्टर.चौधरी और निधि को इनफॉर्म कर देना……” मैने उसको समझाया…… “ और कुछ चाहिए हो तो बताओ ? “

“ नही ……….बस इतना ही काफ़ी है , थॅंक्स “ कह कर वो बाहर निकल गया ……….

मैने अपना बॅग और वो पॅकेट उठाया और कमरे से बाहर आ कर नीच की तरफ चल दिया ……. बिल्डिंग से नीचे आकर मैने ड्राइवर को
बुलाया और वो मेरी गाड़ी लेकर आ गया ……….मैं गाड़ी की पिच्छली सीट पर बैठा और उसने गाड़ी आगे बढ़ा दी……

कुछ ही देर में मेरी सोच फिर से नेहा पर पहुँच गयी ……..मैने तय कर लिया था कि मैं इस तौर पर अपने दिल की बात उस से कर लूँगा …….जैसी कि मुझे उम्मीद थी , वो इनकार तो नही करेगी ……..फिर वापस आकर मैं मिस्टर.चौधरी को भी इनफॉर्म कर दूँगा
………….इस विचार के आने से ही मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी………

मैं कुछ देर बाहर देखता रहा फिर करण का दिया हुआ पॅकेट उठाया और उसको खोल कर उसमें रखे पेपर्स को चेक करने लगा ……….कुछ एर टिकेट्स, होटेल बुकिंग के पेपर्स , हमारी मीटिंग्स के प्लॅन्स और कुछ और पेपर्स उसमें थे ………

मैने एर टिकेट्स निकाले और उनको चेक करने लगा …………पहला टिकेट खोला , वो मेरे नाम से था …..लखनऊ टू देल्ही , दूसरा टिकेट भी मेरे नाम से ही था… राज नगर टू लकनऊ ………तीसरा टिकेट खोल कर देखते ही मैं चौंक गया ……. ऐसा लगा जैसे बिजली का जोरदार झटका मुझे लगा हो ……टिकेट पर पॅसेंजर का नाम लिखा था……मिसेज़. नेहा वर्मा……………मेरे दिल की धड़कने अचानक कयि गुना बढ़ गयी थी ………मैने जल्दी जल्दी सारे टिकेट्स को चेक किया ……………..आधे टिकेट्स पर , जो मेरे नही थे , वही नाम लिखा
हुआ था ….मिसेज़.नेहा वर्मा……..

मैने तुरंत करण को फोन लगाया ………….. उसके फोन रिसीव करते ही मैने उस से सवाल किया

“ करण , तुम ने टिकेट्स चेक किए थे ना ? “

“ जी हां सर …….क्यों कोई ग़लती है क्या ? “

“ हां ….शायद …………नेहा के नाम में उन्होने मिसेज़ लगा दिया है……” मैने धड़कते दिल के साथ बोला ………

“ जी …….तो सही ही है ना ………नेहा जी मॅरीड हैं सर ……क्यों ? आपको नही मालूम था क्या ? “ उधर से करण की आवाज़ आई ……….

“ ओह्ह्ह……….इट्स ओके करण ………थॅंक्स “ कह कर मैने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……..

मुझे अपना सर घूमता हुआ महसूस हो रहा था……. मैने सारे पेपर्स वापस पॅकेट में रख दिए और सर को पीछे सीट से टीका दिया……...जो कुछ अभी हुआ था, वो मेरे लिए किसी शॉक से कम नही था…………..
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#28

मैं वापस अपने फ्लॅट पर आ गया था…….कुछ देर पहले जो उत्साह , आशा और रोमांच मेरे अंदर था , वो अब गायब हो गया था …….उसकी जगह एक अजीब सी निराशा , मायूसी और दर्द ने ले ली थी …….

मैं समझ नही पा रहा था कि मुझे कैसे रिक्ट करना चाहिए …….. ज़ोर ज़ोर से चीखू , चिल्लाऊं ……या नेहा को फोन कर के दिल की सारी
भडास उस पर निकाल दूँ ………..

पर मैने ऐसा कुछ भी नही किया………..ज़िंदगी में पहली बार मैने किसी से मोहब्बत की थी और पहली बार में ही मुझे मायूसी हाथ लगी थी
…….यह सब कुछ मेरे लिए किसी शॉक से कम नही था………इस से बाहर निकलने का सिर्फ़ एक ही तरीका मुझे मालूम था……….

मैने अपना मोबाइल साइलेंट मोड पर कर दिया और फिर बेड पर लेट गया और टीवी ऑन कर के देखने लगा …………. इस दर्द से बाहर निकलने का एक यही तरीका था कि मैं अपने दिमाग़ को डाइवर्ट करने की कोशिश करूँ और टीवी से अच्छा कोई तरीका फिलहाल तो मेरे दिमाग़ में नही था ………..

पूरी दो-पहर और फिर शाम को भी , मैं यूँ ही टीवी देख देख कर टाइम पास करता रहा ………बार बार मेरा ध्यान फिर से नेहा की तरफ चला जाता था और बार बार मैं उसको अपने दिमाग़ से निकालने की कोशिश करने लगता था ………..

रात होने को आई थी ……….मैं अपने फ्लॅट से बाहर आया और बिल्डिंग से उतार कर नीचे आ गया ………फिर पैदल ही बिल्डिंग से बाहर की तरफ चल दिया ……..सामने वाले रेस्टोरेंट में जाकर मैने खाना खाया और फिर बाहर निकल कर आ गया …

अगले 1 ½ घंटे तक मैं यूँ ही सड़को पर टहलता रहा………..फिर जब मुझे थकान सी महसूस होने लगी तो वापस अपने फ्लॅट में आ गया………….. मैने विस्की की बॉटल निकाली और गिलास लेकर बाल्कनी में आकर बैठ गया ……आम तौर पर मैं कभी एक-दो पेग से ज़्यादा नही लेता था…….पर उस दिन मैं पीता रहा……..तब तक जब मेरे होश मेरा साथ छोड़ गये ………….मैं सोचने लगा था कि मैं
अपना टूर कॅन्सल कर दूँ , इन हालातों में मुझे नेहा के साथ टूर पर जाना सही नही लग रहा था…………….मुझे नही मालूम पड़ा कि कब मैं सोचते सोचते बेहोश हो गया ………….

सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि मैं बाल्कनी में ही , चेयर पर बैठे बैठे ही सो गया था………..मेरा सर दर्द से फट रहा था जो मेरी कल की करतूत का असर था …………मैं उठ कर बाथरूम मैं गया और कपड़े उतार कर , शवर को ऑन किया और उसके नीचे बैठ
गया…………..अगले 1 – 1 ½ घंटे तक मैं ऐसे ही पानी के नीचे बैठा रहा…….फिर थोड़ा सा सही महसूस हुआ तो बाहर निकला और कपड़े पहन कर तयार हो गया………………..

मैं अपने बेड रूम में आया और अपना मोबाइल उठा कर चेक किया…………..40 मिस कॉल्स थी उसमें ………मैने चेक किया – कमल,
निधि , नेहा और कारण , सभी ने कयि कयि बार कॉल की थी ….

मैने फोन को फिर से पलंग पर डाल दिया और बाल्कनी में आकर खड़ा हो गया……नीचे सड़को पर ट्रॅफिक अपनी रोज़ की ही रफ़्तार से भाग रहा था …………आज सनडे होने की वजह से कुछ रश कम था …..

मैं फिर से कमरे में आकर बैठ गया और फिर से सारे हालात पर गौर करने लगा ……..यह सही था कि नेहा के शादी शुदा होने से मुझे दुख हुआ था , पर अगर सही तरह से सोचा जाए तो इसमें उस का क्या कसूर था ……….अगर मैं उस से प्यार करने लगा था तो इस में उसकी
तो कोई ग़लती नही थी , ना ही मैने उस से पूछ कर उस को प्यार किया था ………….यह सही था कि उस ने मुझे अपने शादी-शुदा होने के बारे में नही बताया, पर यह भी सच था कि मैने कभी उस से इस बारे में पूछा ही नही ……….

दो-पहर होने को आई थी , मैने रेस्टोरेंट में फोन किया और लंच का ऑर्डर किया …….फिर मैं एक फ़ैसला किया ………मुझे अपने आप को कमजोर साबित नही करना था ……..अगर नेहा मुझे नही मिल सकती तो ना सही …….पर इस वजह से मैं अपनी जिंदगी को तो नही रोक
सकता …………..सारे काम ठीक उस ही तरह से होने चाहिएं जैसे पहले हो रहे थे ………दा शो मस्ट गो ऑन

मैने फिसला किया और फिर मेरी निगाह अपने मोबाइल पर गयी ………..किसी की कॉल आ रही थी ……..मैने फोन उठा कर देखा…..यह नेहा की कॉल थी ………

मैने कॉल रिसीव की “ हेलो ……”

“हेलो राजीव !! कहाँ हैं आप ? कल और आज कितनी बार आपका नंबर ट्राइ किया ,कोई रेस्पॉन्स ही नही मिला ? क्या हुआ ? आप ठीक तो हैं ? “ उसने एक साथ कितने सारे सवाल पूच्छ डाले……….

“ हाँ मैं ठीक हूँ ……..बताओ कैसे फोन किया था ? “ मैने बड़े ही रूखे स्वर में पूछा ……….

वो कुछ सेकेंड्स चुप रही फिर बोली “ कल के प्रोग्राम के बारे में कन्फर्म करना था………”

“ कल सुबह 7.00 बजे की फ्लाइट है ………..तुम 5.30 तक तय्यार रहना ……..मैं तुम्हे पिक कर लूँगा . “ मैने कहा और फोन डिस-कनेक्ट कर दिया …………….
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#29

मंडे , 20थ डिसेंबर
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राज नगर से लखनऊ जाने वाली फ्लाइट के एग्ज़िक्युटिव क्लास में हम दोनो ( मैं और नेहा ) बैठे हुए थे ………सुबह मैने ही उसको उसके
घर से पिक किया था , फिर हम दोनो साथ साथ ही एरपोर्ट गये और फिर अब साथ साथ लखनऊ जा रहे थे ……..

सुबह कार में और अब फ्लाइट में, मैं उस से कम से कम बात करने की कोशिश कर रहा था……..अब मैने अपने हाथ में एक मॅगज़ीन पकड़ी हुई थी और अपने आप को मॅगज़ीन पढ़ने में बिज़ी दिखा रहा था ……….बीच बीच में उस ने एक-दो बार मुझ से बात करने की कोशिश भी की , पर मैने बात को शॉर्ट कट में ही निपटा दिया …….

लखनऊ एरपोर्ट पर हमारा प्लेन लॅंड हुआ और फिर हम लोग एर पोर्ट से निकल कर बाहर आ गये ………बाहर एक गाड़ी हमारा वेट कर रही थी , जो हम दोनो को लेकर सीधे होटेल पहुँच गयी और फिर थोड़ी ही देर के बाद मैं अपने रूम में आराम कर रहा था…………..

हम दोनो के लिए होटेल के 5थ फ्लोर पर 2 डेलक्स रूम्स बुक थे………. दोपहर हो चुकी थी , मैने कपड़े चेंज किए और जैसे ही बेड पर
बैठा , तभी मेरे रूम का फोन बज उठा , मैने फोन पिक किया “ हेलो ….”

“ हेलो राजीव ………मैं नेहा” उधर से उसकी मधुर आवाज़ मेरे कानो में पड़ी

“ हां नेहा ……..कहो , क्या बात है ?” मैने पूछा…

“मैने सोचा कि लंच साथ साथ कर लें ?” उसने धीरे से पूछा …

“नही ……..अभी मेरा खाने का मूड नही है , तुम खा लो “ मैने उसको टालने की कोशिश की …….

“ क्यों ….? तबीयत सही नही है आपकी ? “ उसने पूछा……

“ नही कुछ ख़ास बात नही है……तुम खा लो “ कह कर मैने फोन काट दिया………

मैने नेहा को टाल दिया था, पर मुझे भूख तो लग ही रही थी …….मैने इंटरकम पर रूम सर्विस को अपने लिए लंच का ऑर्डर दिया और
नहाने के लिए बाथरूम में चला गया……..

10 मिनिट बाद मैं बाथरूम से बाहर आया और कपड़े पहन लिए…….तभी रूम की बेल बजी …….मैने डोर ओपन किया, रूम सर्विस वाला लंच लेकर आया था……उसने ट्रॉल्ली को रूम में पड़ी हुई सेंटर टेबल के पास लगाया और फिर लंच को डाइनिंग टेबल पर लगा
दिया………..वो रूम से बाहर चला गया और मैं जल्दी से डाइनिंग टेबल पर आकर खाना खाने बैठ गया………..

अभी मैने खाना खाना शुरू ही किया था कि डोर बेल फिर से बज उठी …….मुझे लगा कि रूम सर्विस वाला फिर से आया होगा ……..मैं उठा और जाकर दरवाज़ा खोला ………सामने नेहा खड़ी थी ……………

“ आप की तबीयत सही नही है शायद , इसलिए मैने सोचा कि मैं खुद चल कर आपके लिए लंच का ऑर्डर ………” कहती हुई वो कमरे के अंदर को आ गयी और फिर उसकी निगाह सामने टेबल पर पड़ी ………सॉफ दिखाई पड़ रहा था कि मैं खाना खाते खाते उठ कर आ गया था ……….

कुछ सेकेंड्स तक वो कभी मुझे देखती रही और कभी टेबल पर लगी हुई प्लेट्स को ………..फिर धीरे से बोली “ सॉरी सर………मुझे लगता है कि मैने आपको ग़लत टाइम पर डिस्टर्ब कर दिया ..” कह कर वो पलटी और कमरे से बाहर निकल गयी ………….जाते जाते उसने अपने पीछे कमरे का दरवाज़ा भी बंद कर दिया …….मैं कुछ देर तक खड़ा हुआ सोचता रहा फिर धीरे धीरे चलता हुआ टेबल की तरफ बढ़ गया………..

शाम को 6 बजे हमारी मीटिंग थी , जो उस ही होटेल के ग्राउंड फ्लोर पर एक हॉल में अरेंज की गयी थी ……….मैं सही टाइम पर तय्यार हो कर अपने रूम से बाहर निकला और फिर नेहा के रूम के बाहर जा कर डोर नॉक किया……..10 सेकेंड से भी कम समय में दरवाज़ा खुल गया और नेहा बाहर आ गयी और मेरे साथ चल दी ……

हम दोनो खामोशी के साथ नीचे कान्फरेन्स हॉल में आ गये और अपनी अपनी सीट पर बैठ गये………मैने गौर किया, उसके चेहरे पर हमेशा मौजूद रहने वाली मुस्कुराहट आज गायब थी ………और मुझे तो उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा ही देखने की आदत पड़ चुकी थी ……………मैने फिर से अपने सर को झटका देकर उसके ख्याल को अपने दिमाग़ से निकाला और अपने सामने बैठे क्लाइंट्स से बात करने में बिज़ी हो गया……….

अगले 2 घंटे तक हमारी मीटिंग चलती रही ……….हमने सभी लोगो को अपने प्रपोज़्ड प्लॅन्स के बारे में समझाया……..सब लोगो को हमारे प्लॅन्स काफ़ी इंट्रेस्टिंग लग रहे थे…………मीटिंग ख़तम होते होते यह बात तो पक्की हो गयी थी कि इस शहर में भी हमारे लिए काफ़ी स्कोप
है ………….कुल मिलाकर मीटिंग बहुत अच्छि साबित हुई ………

उसके बाद वहीं कान्फरेन्स हॉल में सभी के लिए डिन्नर का अरेंज्मेंट था, डिन्नर के साथ साथ ही हेड टू हेड डिस्कशन चलता रहा और फिर एक के करके सब लोग वहाँ से जाने लगे …………रात 11.00 बजे तक मीटिंग हॉल खाली हो गया था……….हम दोनो भी अपने पेपर्स एट्सेटरा लेकर अपने रूम्स की तरफ चल दिए ………….

नेहा के रूम के सामने पहुँचने पर उसने मुझे गुड नाइट विश किया और अपने रूम का डोर ओपन करके, धीरे से अंदर चली गयी और रूम का दरवाज़ा बंद कर लिया …………..

मैं कुछ सेकेंड्स तक उसके रूम के बंद दरवाजे को देखता रहा ……..फिर खुद भी चलता हुआ अपने रूम में आ गया …………

ट्यूसडे & वेडनेसडे – 21स्ट & 22न्ड डिसेंबर
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यह दो दिन हम लोगो के लिए बहुत ज़्यादा बिज़ी साबित हुए ………..लखनऊ और कानपुर में कुल मिलाकर 6 अलग-अलग मीटिंग्स हम
लोगो ने इन 2 दिनो में अटेंड की ….सुबह से शाम तक का टाइम सिर्फ़ ट्रॅवेलिंग में ही बीत-ता जा रहा था ………

मैं उसको अवाय्ड करना चाहता था और शायद यह बात उसकी समझ में आ गयी थी ………वो खुद भी मुझ से दूर दूर रहने की कोशिश करने लगी थी …..हम लोग मीटिंग्स में साथ साथ होते थे, साथ साथ ही सारे डिस्कशन्स होते थे , लंच और डिन्नर भी साथ में ही करते थे ……..पर जैसे ही हम दोनो अकेले होते थे , एक अजीब सी दूरी और खामोशी हम दोनो के बीच पैदा हो जाती थी ………..

मैं खुद भी यही चाहता था कि वो मुझ से दूरी बना के रखे ……..जिस से कि उस के ख्याल को भी अपने दिमाग़ से निकाल सकूँ ………पर इस सब के बीच , उसके चेहरे की हँसी और ज़िंदा-दिली बिल्कुल गायब हो चुकी थी ………..मालूम नही क्यों , पर मुझ से उसकी यह खामोशी भी बर्दाश्त नही हो रही थी …………..
वेडनेसडे की रात को 11 बजे हम लोगो ने लकनऊ छोड़ दिया और देल्ही के लिए रवाना हो गये ………….
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#29 (2)

थर्स्डे , 23र्ड डिसेंबर
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देल्ही में भी हमारे लिए होटेल बुक था , पर मैने होटेल की जगह मिस्टर.चौधरी के फार्म हाउस पर जाना सही समझा……….

यह फार्म हाउस देल्ही के सुल्तानपुर एस्टेट्स में बना हुआ था ………… काफ़ी बड़ा फार्म हाउस , जिसका यूज़ मिस्टर.चौधरी सिर्फ़ ऐज आ गेस्ट हाउस ही करते थे ……..फार्म हाउस के सेंटर में एक 2 फ्लोर बिल्डिंग थी , जिसको गेस्ट हाउस भी कहा जा सकता था , इसके ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा हॉल , किचन , एक जिम , सेरवेंट रूम्स और स्टोर रूम्स थे ……..फर्स्ट फ्लोर पर 4 बेडरूम्स थे विथ अटॅच्ड
बाथरूमस…………..फार्म हाउस की देख भाल के लिए एक अलग स्टाफ था, जिसमे से 2 लोग – एक हज़्बेंड / वाइफ वहीं गेस्ट हाउस में ही रहते थे ……

हम लोग देर रात यहाँ आ गये थे और फिर अलग अलग रूम्स में जाकर सो गये थे ……..सुबह मेरी आँख लगभग 8 बजे की आस पास खुली और मैं उठ कर अपने रूम की बाल्कनी पर आ गया ……
यह बाल्कनी फार्म हाउस के बॅक साइड में खुलती थी ……….पीच्चे एक बड़ा सा गार्डेन , एक फाउंटन और एक स्विम्मिंग पूल भी था ………….डिसेंबर तो ऐसे भी काफ़ी सर्द महीना होता है , और देल्ही की सर्दी तो वैसे भी काफ़ी फेमस है ……..दूर दूर तक कोहरा पसरा
हुआ था, सर्द हवा मेरे चेहरे पर टकरा रही थी ……पर यह ठंडी हवा भी काफ़ी सकून देने वाली लग रही थी ………

मैं वापस रूम में गया और फिर अपने बेग में से एक जॅकेट निकाल कर पहन लिया और फिर सीडीयाँ उतर कर नीचे आ गया………….धीर धीरे चलता हुआ मैं पीछे लॉन में पहुच गया ………..यहाँ कोहरा इतना ज़्यादा था कि 5 मीटर की भी दूरी पर दिखाई नही दे रहा था
……………. पर सामने लॉन में टहलते हुए उस साए को मैं पहचान सकता था ……….यह नेहा थी………….वो इस समय गार्डन में टहल रही थी……….नंगे पाँव

मैं थोड़ा सा तेज़ चलते हुए उसके पास पहुँचा और बोला “ गुड मॉर्निंग नेहा …..”

उसने मूड कर मेरी तरफ देखा , एक बार मुस्कुराइ और फिर जैसे अचानक कुछ याद आ गया हो , उसके चेहरे पर वही उदासी छा गयी ……….उसने धीरे से जवाब दिया “ गुड मॉर्निंग राजीव ………….”

“ नंगे पाँव क्यों टहल रही हैं आप ……….ठंड लग जाएगी “

“ नही…….. मुझे आदत है ………..मैने कहीं पढ़ा था कि सुबह सुबह नंगे पाँव घास पर टहलना , सेहत के लिए अच्छा होता है……” उसने
धीरे से ही जवाब दिया …………

फिर एक खामोशी हम दोनो के बीच पसर गयी ……….हम साथ साथ टहल रहे थे , पर बिल्कुल चुप-चाप ……….ऐसे , जैसे कि अभी अभी पहली बार मुलाकात हुई हो …….इस सब की शुरुआत मैने ही की थी , पर यह खामोशी और उसकी उदासी अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रही थी ………..

उसने जैसे मेरे दिल की बात समझ ली हो , वो अचानक बोली “ मुझे आपसे कुछ बात करनी थी राजीव ………अगर आप नाराज़ ना हो तो ?” कहकर वो रुक गयी , और मेरी आँखों में देखने लगी , फिर सर नीचे झुका लिया …………

“ हां ……..बोलो, क्या बात है ? “ मैने पूछा……….हालाँकि मैं जानता था कि वो क्या पूच्छने वाली है ……………

उसने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि अचानक मेरी जेब में पड़ा मेरा मोबाइल बजने लगा…….मैने एक बार उसकी तरफ देखा और फिर जेब से मोबाइल निकाल कर चेक किया ………मिस्टर.चौधरी की कॉल थी ………मैने कॉल रिसीव की और थोड़ा सा हट कर बात
करने लगा …” गुड मॉर्निंग सर……..”

“ गुड मॉर्निंग राजीव ……..कैसे हो बेटा ?”

“ मैं ठीक हूँ सर…….आप बताइए “मैने कहा …

“ राजीव ………मेरी कल स्टेट मिनिस्ट्री से मीटिंग हुई थी और आज सेंट्रल मिनिस्ट्री के साथ मीटिंग है ……..आइ होप, 1-2 दिन में हमारा कांट्रॅक्ट फाइनल हो जाएगा……. मैं दिल्ली पहुँच चुका हूँ ………1 घंटे में तुम्हारे पास पहुँच जाउन्गा, फिर बाकी बात करेंगे ….” कह कर उन्होने फोन काट दिया…….

मैने मोबाइल को अपनी जेब में रखा और फिर पलट कर देखा……नेहा अब वहाँ नही थी ………मैने चारो तरफ निगाह घुमाई , वो शायद
वापस गेस्ट हाउस में जा चुकी थी …….

मैं भी जल्दी से गेस्ट हाउस की तरफ बढ़ गया…….मिस्टर.चौधरी के आने से पहले मुझे तय्यार होना था …….

1 ½ घंटे के बाद हम तीनो नीचे हॉल में बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे …….मिस्टर.चौधरी ½ घंटे पहले आ चुके थे और ब्रेक फास्ट करते हुए ही सारी बात मुझे बता चुके थे ………..

कल स्टेट गवर्नमेंट के साथ उनकी मीटिंग सफल रही थी ………कांट्रॅक्ट हमको मिलना लगभग तय था ……….आज सेंट्रल फाइनान्स मिनिस्ट्री के साथ मीटिंग थी , जिसमें अगर हम लोग साथ रहते हैं तो , के काफ़ी बड़ा कांट्रॅक्ट हमारे बॅंक को मिल सकता था …….मिस्टर.चौधरी चाहते थे कि मैं उनके साथ सारी मीटिंग्स अटेंड करूँ और नेहा बाकी के शेड्यूल्ड प्रोग्राम्स को निपटा ले ……….नेहा की हेल्प के लिए एक आदमी देल्ही के ऑफीस से अरेंज कर दिया गया था ………………

मिस्टर.चौधरी काफ़ी उत्साहित थे , और साथ ही मैं भी ……….उनका एक ड्रीम प्रॉजेक्ट अब सफल होता दिखाई पड़ रहा था और मेरे लिए इस से इंपॉर्टेंट कुछ भी नही था ……मैने उनकी बात से सहमति जताई और फिर सारा प्रोग्राम तय हो गया …..अगले 2 दिन मुझे
मिस्टर.चौधरी के साथ रहना था और नेहा को एक स्टाफ मेंबर की हेल्प से बाकी की मीटिंग्स निपटानी थी ……….

सारी बात के बीच में मैं गौर कर रहा था कि नेहा के चेहरे का रंग उतरा हुआ है ……. वो हमारे साथ ही ब्रेक फास्ट कर रही थी और बातों में भी इन्वॉल्व थी , पर सॉफ दिखाई पड़ रहा था की उसका दिमाग़ हमारे साथ नही था ………

½ घंटे के बाद मैं और मिस्टर.चौधरी एक साथ , एक गाड़ी में अपने लोकल ऑफीस की तरफ जा रहे थे ………..नेहा, वहीं फार्म हाउस में रुक गयी थी , उसको लेने के लिए एक दूसरी गाड़ी थोड़ी देर में पहुँचने वाली थी …

वो सारी बात मेरे साथ क्लियर करना चाहती थी और मैं भी यही चाहता था कि जो खामोशी की दीवार मेरे और उसके बीच में थी , अब गिर जानी चाहिए ……मैं फ़ैसला कर चुका था कि उसका प्यार ना सही , पर उसकी दोस्ती भी मुझे मंजूर थी ……..पर अचानक हुए प्रोग्राम चेंज
की वजह से फिलहाल तो मुझे उस के साथ बात करना पासिबल नही दिखाई पड़ रहा था ………………
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#30

सॅटर्डे – 25थ डिसेंबर
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पिच्छले 2 दिन बहुत ज़्यादा बिज़ी साबित हुए थे , देल्ही में मिनिस्टर्स और उनके ऑफीस स्टाफ के साथ मीटिंग्स में ही 2 दिन निकल गये …………हम दोनो , मैं और मिस्टर.चौधरी सुबह गेस्ट हाउस से निकलते और फिर पूरे दिन अलग अलग ऑफीस में घूमते रहते ……..अपने
लिए हम लोग चाहे कितने भी बड़े आदमी हो , पर इन मिनिस्टर्स और उनके स्टाफ के लिए हमारी कोई औकात नही थी …….

सुबह से शाम तक सीक्रेटरेट के चक्कर लगाते रहते , बीच में जब भी टाइम मिलता अपना लंच कर लेते थे , और फिर से उन लोगो से मिलने का इंतेज़ार करते रहते थे … ………….और फिर 2 दिन की मेहनत , और ना जाने कितनी मीटिंग्स के बाद आख़िर हमारी डील फाइनल हो गयी ………

सेंट्रल मिनिस्ट्री ने हमारा प्रपोज़ल आक्सेप्ट कर लिया ……….मुंबई में रखा हुआ गोल्ड रिज़र्व हमारे बॅंक में शिफ्ट करना लगभग तय हो गया था , जिसके लिए वॉल्ट हमें तय्यार करना था ………..कुल मिलाकर पहली बार में ही करीब 1000 करोड़ वॅल्यू का गोल्ड हमें मिलना था ……………. एक हफ्ते के अंदर अफीशियल डेक्रेशन हो जानी थी ………

यह एक बड़ी कामयाबी थी ……….मिस्टर.चौधरी बहुत खुश थे और साथ ही मैं भी ……कल शाम तक मीटिंग्स चलती रही और आज सुबह से हम लोगो ने अपने लोकल ऑफीस में बैठ कर बाकी के प्रोग्राँस फाइनल कर लिए थे ……..मिस्टर.चौधरी आज ही वापस राज नगर जा रहे थे और जैसा की हम लोगो ने डिसाइड किया था , कल से ही वो वॉल्ट का कन्स्ट्रक्षन वर्क स्टार्ट करवा देंगे ……… बाकी की टेक्निकल सेट्टिंग्स मुझे वहाँ पहुँचने पर करनी थी ……………….

इस बीच , नेहा के साथ हमारी मुलाकात सिर्फ़ रात को गेस्ट हाउस में ही हो रही थी ……..वहाँ पर भी , डिन्नर टेबल पर पूरे दिन की मीटिंग्स डिसकस होती थी और अगले दिन का प्रोग्राम भी ...........देर रात तक मैं मिस्टर.चौधरी के साथ ही रहता था और फिर हम तीनो अपने अपने
कमरे में सोने चले जाते थे………….कुल मिलाकर, एक बात जो हम दोनो करना चाह रहे थे , वो अभी तक नही हो पा रही थी
…………हम दोनो साथ साथ कुछ पल अकेले बिताना चाहते थे और वो हम को मयस्सर ही नही हुए थे

दोपहर के 2 बज गये थे ………मिस्टर.चौधरी एर पोर्ट की तरफ चले गये थे, वापस राज नगर जाने के लिए और मैं फार्म हाउस की तरफ चल दिया…………..

फार्म हाउस के गेट के अंदर गाड़ी दाखिल हुई और बिल्डिंग की तरफ चल दी ……………आज धूप बहुत तेज़ निकली थी , सर्दी का एहसास कुछ कम था……….गाड़ी रुकने पर मैं नीचे उतरा और फिर अपने रूम की तरफ चल दिया…….रूम में पहुँच कर मैने कपड़े चेंज किए और 2 मिनिट आराम करने के लिए बेड पर लेट गया………..कुछ देर बाद मैं उठा और दरवाज़ा खोलकर बाल्कनी पर आ गया……….

मेरी निगाह सामने गार्डन में होती हुई स्विम्मिंग पूल पर पहुँची……… स्विम्मिंग पूल से थोड़ी दूर पर , घास में एक कपड़े के ऊपर नेहा लेटी हुई थी ……..एक स्लीवेलेस्स टी-शर्ट और शॉर्ट में ……..वो पीठ के बल लेटी हुई थी , बिल्कुल सीधी ………..वो काफ़ी दूर थी पर मुझे
दिखाई पड़ रहा था कि उसकी आँखें बंद हैं ………..मैं वापस कमरे में आया और फिर बाहर निकल कर स्विम्मिंग पूल की तरफ चल दिया ………….
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#31

मैं धीरे धीरे चलता हुआ स्विम्मिंग पूल के पास पहुँचा…..उसने अब अपनी एक बाँह अपने माथे पर कुछ इस तरह रख ली थी, जिससे उसकी आँखें भी ढक गयी थी ………….मैं उसके पास जा कर खड़ा हो गया, बिना कोई आहट किए ……. और फिर उसके पास ही पड़ी एक खाली कुर्सी पर बैठ गया………

उसने इस समय एक पिंक कलर की स्लीवेलेस्स टी-शर्ट और एक वाइट शॉर्ट पहना हुआ था……वो सीधी लेटी हुई थी और एक टाँग को थोड़ा सा मोड़ कर उठाया हुआ था ………धूप बहुत तेज़ थी …. उसका गोरा बदन तेज़ धूप में मानो चमक रहा था , जिस पर पसीने की छोटी
छोटी बूंदे अलग से चार चाँद लगा रही थी ………कुछ सेकेंड्स के लिए तो मैं अपने आप को भूल ही गया……..फिर मैं उसको अपने वहाँ
होने के एहसास कराया………. “हाई नेहा ………..”

वो एकदम चौंक सी गयी ………जैसे नींद में से जागी हो ….हड़बड़ा कर पहले तो मेरी तरफ देखा और फिर सीधी होकर बैठ गयी ……….” हेलो राजीव ……….आप कब आए ? “

“ बस अभी थोड़ी देर पहले ही …………आपको धूप का मज़ा लेते हुए देखा तो यहाँ चला आया “

उसने अपने पास पड़ा एक टवल उठा कर अपने शरीर से पसीना पोन्छा और फिर सवाल किया “ कैसी रही आपकी मीटिंग्स ? …….मिस्टर.चौधरी कहाँ है ? “

“ सर तो वापस राज नगर चले गये ………..और हमारी मीटिंग भी काफ़ी अच्छि रही ……..” मैने कहा और फिर उसको अपनी मीटिंग्स के बारे मे बताने लगा ………..फिर उसने भी अपनी कल की और आज की मीटिंग्स के बारे में मुझे बताया ……….
हम बात ही कर रहे थे कि फार्म हाउस का केर टेकर कृष्णा वहाँ आया और लंच के बारे में पूच्छने लगा ……….मुझे तो भूख लग ही रही थी
, मैने नेहा से पूछा तो उसने भी सहमति जाता दी …………

उस गार्डन क एक साइड में , स्विम्मिंग पूल के पास ही , एक हट टाइप की जगह बनी हुई थी …….जिस के नीचे कुछ चेर्स और एक टेबल
पड़ी रहती थी ………मैने कृष्णा को वहीं लंच लगा देने को कहा और हम दोनो उठ कर उस जगह पर आ गये…..

कृष्णा लंच लगा कर जा चुका था और नेहा प्लेट्स में सर्व कर रही थी …….मुझे लगा कि यही सही मौका है , उस अधूरी बात को पूरा करने
का ………मैने पूछा “ आप उस दिन मुझे से कुछ बात करना चाहती थी ………? “ अंदर से मैं जानता था कि वो क्या बात करने वाली है ….

वो कुछ सेकेंड्स चुप चाप, सर नीचे झुका कर लंच सर्व करती रही फिर धीरे से बोली “ मुझे नही मालूम राजीव कि मुझे आप से यह बात करनी चाहिए भी या नही …..प्लीज़ अगर आपको बुरा लगे तो मुझे ज़रूर बोल देना …..”

कुछ देर चुप रहकर उसने मेरी तरफ देखा और फिर आगे बोलना शुरू किया “ हम दोनो को मिले हुए हालाँकि कुछ ही दिन हुए हैं , और इतने कम दिनो में ही हम लोग बहुत अच्छे दोस्त भी बन गये थे ………….पर अचानक जाने क्यों , आप मुझ से कुछ खिंचे खिंचे से रहने लगे …………हो सकता है कुछ पर्सनल रीज़न्स हो …….पर एक दोस्त होने के नाते में वो वजह जान-ना चाहती हूँ ? “

“ तुमको ग़लत लग रहा है ……..ऐसी कोई बात नही है “ मैने कहा, बिना उसकी तरफ देखे हुए ……….

“ आप झूठ बोल रहे हैं राजीव ……आप शायद नही जानते कि एक औरत किसी भी आदमी के चेहरे को देख कर ही उसके अंदर की बात मालूम कर सकती है , और आप एक औरत से ही छुपाने की कोशिश कर रहे हैं …………..मैं आपसे कोई ज़बरदस्ती नही करूँगी , अगर
आप शेयर करना चाहें तो मुझे बता सकते हैं …………”

मैं कुछ देर चुप रहा……….शायद बोलने के लिए शब्द ढूँढ रहा था फिर उसकी तरफ देख कर बोला “ आपने मुझको बताया नही था कि आप शादी-शुदा हैं ? “

“ मतलब ? “ उसने आँखें सिकोड कर मेरी तरफ देखा , जैसे कुछ समझना चाह रही हो , फिर उसकी आँखें फैलती चली गयी और मुँह खुला का खुला रह गया

“ ओह ……………ओह माइ गॉड !! क्या सिर्फ़ इसलिए आप मुझ से नाराज़ हैं ? “ फिर उसने हँसना शुरू कर दिया ……….”हा हा हा
………….इतनी छोटी सी बात के लिए आप पिच्छले 7 दिनो से मुझ से नाराज़ हैं ? “

मैने हैरानी से उसकी तरफ देखा और बोला “ आपको यह छोटी सी बात लगती है ? “

“ और क्या …..मुझे तो लगा था कि कोई गंभीर बात होगी …….वैसे राजीव , हमारे बीच कभी इस का जिकर भी नही आया ……….मैने आपको नही बताया कि मैं शादी-शुदा हूँ , पर यह भी तो मानिए कि आपने भी मुझ से कभी नही पूछा ? “ उसने मेरी आँखों में झाँकते हुए
पूछा …
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#32

उसकी बात सही थी , सारी ग़लती उसकी ही नही थी ……..बल्कि उसकी तो कोई ग़लती थी ही नही , यह तो मैं ही था जो बिना कुछ भी पूच्छे उस से प्यार करने लगा था ……….मैं चुप होकर खाना खाने लगा , फिर उसने ही बात शुरू की

“ वैसे भी मेरी शादी-शुदा जिंदगी ऐसी नही है जिसका जिक्र किया जाए …………या यूँ कहिए कि मैं शादी-शुदा हूँ भी और नही भी …..”

अब चौंकने की बारी मेरी थी ……..मैं खाना छोड़ कर उसकी तरफ देखने लगा …..वो सर नीचे झुकाए , धीरे धीरे खाना खा रही थी ………फिर जैसे ही उसने सर उठा कर मेरी तरफ देखा तो मुझे लगा की उसकी आँखें भीग गयी हैं ……

“ क्या बात है नेहा ? …………मैं तुम्हारी बात का मतलब समझा नही ? ‘ मैं एक तक उसकी तरफ देखते हुए कहा ……….
उसने अपने हाथ में पकड़ा चम्मच नीचे रख दिया और फिर बोली “ नही कोई ख़ास बात नही है , आप खाना खाओ राजीव “

“ अभी तो मुझे दोस्ती की दुहाई दे रही थी , और अब अपने आप मुझ से कुछ छिपा रही हैं आप ? प्लीज़ बताओ ना , क्या बात है ? “ मैने उसके हाथ को पकड़ कर कहा ……

उसने धीरे से अपना हाथ मेरे हाथ में से खींच लिया और फिर थोड़ा सा पीछे को होकर सीधी बैठ गयी , कुछ सेकेंड चुप रही और फिर बोलना शुरू किया ……
“ मेरी शादी मेरे लिए एक बुरे सपने के समान है राजीव …….मैं चाहती हूँ कि मैं इस से बाहर निकल जाऊं , पर अपने आप कोई रास्ता नही निकल पा रहा है …….”

“ क्या मतलब ? “

“ मेरी शादी करीब 5 साल पहले हुई थी , मेरे हज़्बेंड आर्मी में कॅप्टन थे ……वो देहरादून में, हमारे घर के पास ही रहते थे …..पता नही उनकी पर्सनॅलिटी का असर था या शायद उनकी वर्दी का …….मैं उनसे उमर में 8 साल छोटी होने के बावजूद उनसे प्यार करने लगी ……..मेरे पापा ने मुझे काफ़ी समझाया की वो मेरे लिए सही नही हैं , पर मैने उनकी एक बात भी नही मानी ……..फिर हमारी शादी हो गयी ……….”
कुछ देर रुक कर उसने फिर आगे बोलने शुरू किया “ शादी के बाद मेरे सामने उनका सही रूप आया ……….दिन रात शराब के नशे में धुत रहते थे वो, जिसकी वजह से उनको कयि बार वॉर्निंग्स भी मिल चुकी थी ……..वो बीमारी का बहाना बना कर लंबी लंबी छुट्टी करते रहते
थे ………. फिर एक दिन इंडियन आर्मी ने उनको हमेशा के लिए छुट्टी दे दी …..उनको रिटाइर कर के घर भेज दिया गया……….”

“ घर आकर वो कयि महीनो तक खाली बैठे रहे ………फिर एक-दो जगह नौकरी भी की , पर उनकी आदतो की वजह से उनको जल्दी ही निकाल दिया गया……..आख़िर में हार कर मैने ही नौकरी करने की ठानी ……….मुझे नौकरी मिल भी गयी , पर उनको शायद यह भी मंजूर नही था ………..आए दिन हमारे बीच झगड़े होने लगे , वो मेरे पर शक करते थे कि मेरे दूसरे आदमियों से भी संबंध हैं ……. फिर उन्होने और ज़्यादा शराब पीना शुरू कर दिया………मेरे साथ मार-पिटाई भी करने लगे …………”

“ कुछ दिन तक तो मैं भी बर्दास्त करती रही ………..पर फिर जब पानी सर से ऊपर निकलने लगा तो मैं अपने पापा के घर वापस आ गयी ………..अब पिच्छले 2 सालो से में अपने पापा के साथ ही रह रही थी ”

वो चुप हो गयी थी ………पर उसकी आँखों से निकलने वाले आँसू उसके दिल की हालत मुझे समझा रहे थे …………..

मेरा दिल किया कि आगे बढ़कर उसके आँसू पोंछ दूँ , पर अपने जज्बातों को अपने सीने में ही दफ़न कर लिया ………….मैं उसके आँसू
रुकने का इंतेज़ार करने लगा फिर बोला “ पर आप उस से डाइवोर्स तो ले सकती हो ? “

उसने नज़रें उठा कर मेरी तरफ देखा और फिर बोली “ मैने उसके लिए भी कोशिश की है राजीव ……..वो मुझे डाइवोर्स देने के लिए तय्यार नही हैं , इसलिए मैने ही कोर्ट में अप्लिकेशन लगाई हुई है …….देखते हैं , कब तक मुझे इस बंधन से मुक्ति मिल जाएगी ….” कह कर उसने
अपने आँसू पोंछे और फिर मुस्कुराने लगी …….और बोली “ देखो ना मैं अपनी बातों से तुम्हे भी परेशान कर दिया “

वो सर झुका कर बैठ गयी थी और मैं भी उसकी तरफ ही देखे जा रहा था , फिर मैने पूछा “ और आप राज नगर कैसे पहुँची ? मेरा मतलब है मिस्टर.चौधरी को कैसे जानती हैं ? “

“ वहाँ देहरादून में मेरे हज़्बेंड मुझे परेशान करते रहते थे , आए दिन वो मेरे घर पहुँच जाते थे …………. मिस्टर.चौधरी और मेरे पापा बचपन में साथ साथ पढ़ते थे , उन्होने ही मुझे राज नगर भेजा था………जिस से कि मैं अपने हज़्बेंड से दूर रह सकूँ “ उसने कहा और कुछ देर के
लिए फिर चुप हो गयी …………फिर शरारत से मुस्कुराते हुए पूछा

“ वैसे एक बात मुझे समझ में नही आई …मेरे शादी शुदा होने से तुम्हे नाराज़गी क्यों हो गयी ……..”

मैं कुछ देर सर झुकाए चुप रहा फिर उसकी तरफ देख कर बोला “ मैं तुमसे प्यार करता हूँ , इसलिए “

वो मानो कुछ देर के लिए सन्न रह गयी ………..एक-टक मेरी तरफ देखती रही ……..फिर मैं धीरे से मुस्कुरा दिया और बोला …” मज़ाक कर रहा हूँ “

और मेरी मुस्कुराहट देख कर वो भी मेरे साथ ही मुस्कुरा दी …………फिर बोली “ अच्च्छा जी ………आपको भी फ्लर्ट करने के लिए मैं ही मिली हूँ …………., मुझे नही मालूम था की तुम मज़ाक भी कर लेते हो राजीव “

फिर वो अपनी चेयर से उठ कर खड़ी हो गयी और गेस्ट हाउस की तरफ चल दी ……..मैं उसको जाते हुए देखता रहा, जब तक वो मेरी आँखो से ओझल नही हो गयी ………
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#33

मैं जानता था कि जो कुछ मैने अभी उस से कहा है , वो मेरे लिए तो मज़ाक कतयि नही था ….पर अभी उस से यह सब कहने की हिम्मत मैं
नही कर पा रहा था ……मुझे मालूम था कि एक ना एक दिन तो यह बात मैं उस से ज़रूर कहूँगा, पर सही समय आने पर ……….

मैं गेस्ट हाउस की तरफ आया ……वो अपने रूम में जा चुकी थी और मैं भी अपने रूम में चला गया…..

अगले 2 घंटे मैं अपने रूम में आराम किया …….शाम को 6 बजे के करीब मैं रूम से बाहर आया और उसके रूम पर जाकर नॉक किया ……..उसने दरवाज़ा खोला

“ ओह्ह राजीव !! …….आइए , अंदर आ जाइए ……”

“ नही, ऐसे ही ठीक है नेहा…………..मैं आपसे कुछ पूछने आया था ? “

“ जी हां……..कहिए ? “

“ अभी कोई काम तो नही है और हम दोनो ही फ्री हैं …… अगर आप कहें तो कहीं घूमने चलते हैं ? “ मैने पूछा…

“ ह्म ……..कहाँ ले जाएँगे आप ? “ वो कुछ सोचते हुए सी बोली …..

“ कहीं भी ……..मेरा मतलब है , दिल्ली बहुत बड़ा शहर है ………कहीं भी घूमने चलते हैं “ मैने उसकी आँखों में देखते हुए कहा ……
.
“ ओके ………………जैसा आप कहें ….आप 10 मिनिट रुकिये , मैं तय्यार होकर आती हूँ …..” कह कर वो वापस कमरे में चली गयी और दरवाज़ा बंद कर लिया …….

10 मिनिट बाद ही वो तय्यार होकर आ गयी …………एक लाइट ग्रीन कलर की लूस शर्ट और ब्लॅक जीन्स में ………मैने उसकी तरफ देखा और हंसते हुए बोला

“यह क्या पहना हुआ है आपने मेडम ?”

वो आँखें सिकोडते हुए बोली “ क्यों ? क्या बुराई है इसमें “

“ बुराई तो कोई नही ही , पर आप दिल्ली की सर्दी का ख़याल तो रखिए ……” मैने हंसते हुए कहा …..

“ कोई बात नही ………हम गाड़ी में ही तो घूमने जा रहे हैं ना ……..इट्स ओके फॉर मी “ उसने कहा और बाहर की तरफ चल दी …….मैं भी हंसते हुए उसके पीछे हो लिया ….

15 मिनिट बाद ही हमारी गाड़ी दिल्ली की सड़को पर भाग रही थी ………मैं ड्राइवर को साथ नही लाया था और खुद ही ड्राइव कर रहा था ………………… मैने गाड़ी चलते समय उसकी तरफ देखा , वो बिल्कुल खामोश बैठी हुई थी और बाहर की तरफ देख रही थी ………..मैने बात शुरू करने के इरादे से पूछा

“ क्या हुआ ? बड़े चुप-चाप बैठी हैं आप ? “

उसने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोली “ नही …….कोई बात नही है “

“ आज जो कुछ भी हुआ , उसके लिए मैं आपसे सॉरी बोलना चाहता हूँ नेहा ……..मेरी वजह से आपका मूड ऑफ हो गया …”

“ अर्ररे नही राजीव ………ऐसी कोई बात नही है…. ईवन , मुझे तो खुशी है कि मेरा एक दोस्त जो मुझसे बिना वजह रूठा हुआ था ………मुझे वापस मिल गया ….” उसने मेरी तरफ देख कर कहा……..

“ तो फिर आपके चेहरे पर से मुस्कुराहट क्यों गायब है ? “ मैने कहा ……और जवाब में वो खिलखिला कर हंस दी …………

उसके बाद हम दोनो अगले 3 घंटे तक दिल्ली दर्शन करते रहे ……….जैसा कि आम तौर पर लॅडीस के साथ होता है , उसका सारा इंटेरेस्ट शॉपिंग करने में ही था……….एक माल से दूसरे माल ………एक शॉप से दूसरे शॉप …..हम घूमते रहे ………वो शॉपिंग करती रही और मेरे हाथों में बॅग्स की गिनती बढ़ती रही ………

फिर हम दोनो ने एक रेस्टोरेंट में डिन्नर किया और सबसे आख़िर में हम लोग इंडिया गेट पहुँच गये …………..वीकेंड मैं इंडिया गेट पर वैसे भी काफ़ी भीड़ रहती है ………….हम भी उस ही भीड़ का एक हिस्सा बन गये थे ………..थोड़ी देर हम लोग ऐसे ही टहलते रहे और फिर उसने मेरा हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया ………
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#34

मेरे लिए यह बहुत प्यारा एहसास था ………उसने अपना हाथ मेरे हाथ में दे दिया था , और मेरी भी यही तमन्ना थी कि मैं सारी जिंदगी इसको अपने हाथ में ही थामे रखूं ………हम दोनो धीरे धीरे चलते हुए भीड़ से थोड़ा दूर होते चले गये ……. हमारी बातों का टॉपिक अभी तक
हमारी प्रोफेशनल लाइफ तक ही था कि अचानक उसने पूछा………

“ राजीव ………..एक पर्सनल सवाल पूछू आपसे ? “

“ जी हाँ………कहिए “

“ आपकी लाइफ में कोई लड़की है क्या ? …..आइ मीन , आपकी फियान्से या कोई गर्लफ्रेंड ? “ उसने मेरी तरफ देख कर पूछा और फिर नीचे की तरफ देखने लगी …………..

“ नही ……..अभी तक तो नही है …….” मैने जवाब दिया

“ क्यों ? ……..आइ मीन , आप हॅंडसम हैं , सक्सेस्फुल हैं …….आप पर तो कोई भी लड़की मर मिटेगी “ उसने मुस्कुराते हुए पूछा……..

“ क्या बात कर रही हैं आप ........... अब इतना भी अच्छा नही हूँ मैं “ मैने हंसते हुए कहा……….

“ मैं सच कह रही हूँ राजीव …………आप जिस भी लड़की को पसंद करेंगे, वो आपको ना नही कर सकती “ उसने सीरीयस लहज़े में कहा………

मैं रुक गया……और साथ में वो भी , उसका हाथ अभी भी मेरे हाथों में था …….मैं उसकी आँखों में झँकता हुआ बोला “ क्या आप भी ……? “

वो कुछ सेकेंड मेरी आँखों में देखती रही , फिर सर नीचे झुका लिया और बोली “ आप फिर मज़ाक करने लगे राजीव “

“ क्या आपको लग रहा है कि मैं मज़ाक कर रहा हूँ ? “ मैने कहा और उसके थोड़ा और नज़दीक आ गया……..उसकी साँसे अचानक तेज़ हो गयी थी …………और नज़रें नीचे को ही झुकी हुई थी …

कुछ देर हम दोनो खामोश ऐसे ही खड़े रहे ……….फिर उसने अपना हाथ मेरे हाथ से छुड़ाया और आगे को बढ़ गयी

मैने तेज़ी से चलता हुआ उसके पास पहुँचा और उसके साथ चलने लगा …..फिर मैने अपना सवाल दोहराया “ आपने बताया नही ? ……..क्या आपको लगता है की मैं मज़ाक कर रहा हूँ ? “

वो रुक गयी ………मेरी तरफ देखा और बोली “ मुझे नही पता ………पर मुझे इतना मालूम है कि मुझे बहुत तेज़ ठंड लग रही है ………और मैने आपकी बात ना मान कर बहुत बड़ी ग़लती की है “ कह कर वो हँसने लगी ……….सॉफ दिख रहा था कि वो मेरे सवाल से बचना चाहती है ……………

मैने बिना कुछ कहे अपनी जॅकेट उतारी और उसकी तरफ बढ़ा दी ……..उसने जॅकेट को मेरे हाथ से लेकर पहन लिया और फिर हम दोनो साथ साथ चलने लगे ……..मैने अपना हाथ बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ लिया …….इस बार मेरे हाथों की पकड़ पहले के मुक़ाबले सख़्त थी
…….शायद उसको यह एहसास कराने के लिए कि मैं अब उसका हाथ कभी भी छोड़ना नही चाहता …………

हम अपनी गाड़ी की तरफ चल दिए और फिर थोड़ी देर के बाद हमारी गाड़ी फार्म हाउस की तरफ जा रही थी ………वो चुप चाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी……मैं खुद भी अभी उस बात को आगे बढ़ाना नही चाहता था ……..मुझे मालूम था कि वो अपने अतीत और वर्तमान के बीच झूल रही है ………मैं उसको समय देना चाहता था , जिस से वो अपने आप कोई फ़ैसला कर सके ……….
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#35

सनडे , 26थ डिसेंबार
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कल रात हम दोनो फार्म हाउस वापस आकर अपने अपने कमरे में चले गये थे , और सो गये थे ………और कोई ख़ास बात हम दोनो के बीच नही हुई थी ….

सुबह 7 बजे मेरी आँख खुल गयी थी ……..सर्दी बहुत जबरदस्त हो रही थी और रज़ाई से निकलने का मन नही कर रहा था ……. पर मेरी आदत नही थी देर तक सोने की , इसलिए मैं उठा और बाल्कनी में आकर खड़ा हो गया ……..

बाहर बहुत घना कोहरा था ………चारो तरफ एक सफेद चादर सी बिछि हुई थी …….सामने गार्डन और स्विम्मिंग पूल नज़र नही आ रहे थे ……..सुस्ती दूर करने का एक ही तरीका मुझे समझ में आ रहा था…….मैं नीचे ग्राउंड फ्लोर पर बने हुए जिम में चला गया और फिर अगले
½ घंटे तक मैं जिम में पसीना बहाता रहा …………..सर्दी गायब हो चुकी थी और शरीर गर्म हो चुका था …….

कुछ मिनिट्स सुसताने के बाद में बाहर की तरफ चल दिया और फिर स्विम्मिंग पूल के पास पहुँच गया ………..कृष्णा अभी स्विम्मिंग पूल के पास ही था ……वो पूल को खाली कर के सॉफ कर चुका था और उसको फिर से ताज़े पानी से भर रहा था ……

यह मेरी एक बहुत बड़ी कमज़ोरी थी …………सॉफ पानी और वो भी भरा हुआ…….मेरा मन नहाने को मचल गया ……..मुझसे रहा नही गया ……….और मैं कपड़े उतार कर पूल में उतर गया…………..क्यों कि पानी बिल्कुल ताज़ा था, इसलिए ठंडे शरीर पर बहुत अच्च्छा
महसूस हो रहा था…………अगले 10 मिनिट तक मैं यूँ ही पानी में डुबकियाँ लगाता रहा……….और फिर पूल से एक किनारे से लग कर पानी में ही खड़ा हो गया …………

मेरी निगाह सामने की तरफ गयी …………….नेहा पूल की तरफ ही आ रही थी …….उसने एक शॉल लपेटा हुआ था , जिसके नीचे जाहिर है की उसने नाइट ड्रेस पहनी होगी ………….धीरे धीरे चलते हुए वो पूल के पास आ गयी …….उसके चहरे को देख कर ही लग रहा था कि वो अभी कुछ देर पहले ही सो कर उठी है ………

“ गुड मॉर्निंग राजीव……..” उसने अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहा ………हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए

“ मॉर्निंग नेहा ………….आइ होप आपको नींद अच्छि ही आई होगी …………” मैने कहा और फिर तैरता हुआ पूल के दूसरे किनारे की
तरफ , जिधर नेहा खड़ी थी ………चल दिया ………….

“ ह्म……….नींद तो वाकयि अच्छि आई ………देखिए ना , आज मुझे उठने में कितनी देर हो गयी …….” उसने कहा और फिर शॉल को अपने शरीर के गिर्द और कस के लपेट लिया………

“ अगर ऐसे सर्दी से डरती रहेंगी तो और ज़्यादा ठंड लगेगी …………..आप भी पानी में आ जाइए ………….ठंड गायब हो जाएगी ………..” मैने हंसते हुए कहा……

“ ना बाबा ना………….मेरी हिम्मत नही है , इतनी ठंड में पानी में उतरने की ………” उसने कहा और फिर स्विम्मिंग पूल के साथ साथ चलते हुए उसका चक्कर लगाने लगी ……………

मैं भी उसके साथ साथ ही चक्कर लगाने लगा……..पर पानी के अंदर , तैरते हुए……..वो धीरे धीर चल रही थी और मैं भी लगभग उस ही स्पीड से तैर रहा था………मैने चारो तरफ देखा, कोई और अभी आस-पास नज़र नही आ रहा था…..मैं उस से एक शरारत करने का मूड
बना चुका था ……….में तेज़ी से तैरता हुआ आगे निकला और फिर उसके पास पहुँच कर पानी में खड़ा हो गया ………….फिर उसकी तरफ एक हाथ बढ़ा कर बोला …….

“ चलिए ……….आप नही तैरना चाहती तो ना सही …मैं भी बाहर आ जाता हूँ ……लाइए , मुझे अपना हाथ दीजिए….” कह कर मैं थोड़ा सा और किनारे का पास आ गया……….

वो रुक गयी थी ………कुछ पलों के लिए मेरी तरफ देखती रही और फिर मेरे नज़दीक आकर , झुकते हुए , एक हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया………

मैने उसका हाथ पकड़ा ……दो कदम उसकी तरफ आगे बढ़ा , जैसे बाहर निकलने वाला हूँ ………और फिर एक झटका देकर उसको अपनी तरफ खींच लिया ……………

“ अर्ररीई………” उसके मुँह से सिर्फ़ इतना ही निकल पाया ……..और फिर वो सीधी पानी के अंदर आ गिरी ………….. झटके की वजह से शॉल उसके शरीर से हटा गया था , और पानी के पास ही बाहर गिर गया ………वो एक बार पानी के अंदर चली गयी और फिर 2 सेकेंड्स बाद ही ऊपर की तरफ आ गयी …………………..

वो पानी के अंदर खड़ी हो गयी थी ………उसने अपने बालो को दोनो हाथों से पीछे की तरफ़ किया और सर के पीछे बाँध लिया और फिर
मेरी तरफ घूर के देखने लगी और बोली “ यह क्या बच्पना है राजीव ……..” उसके चेहरे पर बनावटी गुस्सा दिखाई पड़ रहा था …………..

“ सॉरी यार ………..पर कोई और तरीका नही था , तुम्हारी ठंड भगाने का ………” और मैं हँसने लगा ………..वो दो सेकेंड चुप रही और फिर मेरे साथ ही हँसने लगी ……………..फिर पीछे को हुई और पानी में तैरना शुरू कर दिया …………

अगले 5 मिनिट तक हम दोनो ……..पानी में तैरते रहे ………अलग अलग , डोर डोर रहते हुए ………..फिर मैं पूल के किनारे की दीवार से पीठ लगा कर खड़ा हो गया……..और उसको तैरते हुए देखने लगा…….

उसने एक नाइट सूट पहना हुआ था………..हल्के गुलाबी रंग का……….हाफ स्लीव की शर्ट , जो फ्रंट ओपन होती है ………और एक पयज़ामा …………..वो मेरे सामने पूल में तैर रही थी …….और पानी में डूबता – उतरता उसका जिस्म …… मेरे शरीर में रोमांच पैदा कर
रहा था …………………पूल के 4 चक्कर लगाने के बाद वो एक किनारे के पास जाकर रुक गयी , दोनो हाथों से अपने बालों में से पानी
निचोड़ा …..और फिर मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी …………फिर धीरे धीरे मेरी तरफ आने लगी …………..

जैसे जैसे वो मेरी तरफ आ रही थी ……….मेरे दिल की धड़कने भी बढ़ती जा रही थी ………..उसकी कमर के ऊपर का हिस्सा अब पानी के बाहर था , उसकी शर्ट पानी में भीगने की वजह से उसके शरीर से चिपक गयी थी और सॉफ दिखाई पड़ रहा था कि उसने उसके नीचे कुछ भी पहने हुआ नही था ………..उसकी शर्ट के सामने की तरफ बटन्स लगे हुए थे , जिसमें से सबसे ऊपर वाला एक बटन उसने खोला
हुआ था………मालूम नही कि उसको पता था या नही , पर इस हालत में उसके सीने की गोलाइयाँ , उनके बीच की गहरी घाटी पूरे आकार के साथ नुमाया हो रही थी ……..और उसके निपल्स , जो शायद ठंडे पानी की वजह से और ज़्यादा अकड़ गये थे ……….सॉफ दिखाई पड़
रहे थे ………….मेरी निगाहें उस हहा-कारी नज़ारे को देख कर मानो उसके सीने पर ही चिपक कर रह गयी थी …………..

जैसे जैसे वो मेरे पास पहुँची ………शायद उसको भी पता चल गया कि मैं क्या देख रहा हूँ………और अंजाने में ही सही , वो क्या ग़लती कर बैठी है ………वो तुरंत पानी के अंदर , नीचे की तरफ को बैठ सी गयी ………..

मैं मानो नींद से जगा था ……….मैने तुरंत उसके चेहरे की तरफ देखा , और फिर नज़रें हटा कर दूसरी तरफ देखने लगा ……….मेरी साँसे तेज़ हो गयी थी ……और ठंडे पानी में होने के बावजूद , गर्मी महसूस होने लगी थी ………

वो मेरे और नज़दीक आ गयी ………..और ठीक मेरे सामने , पानी के अंदर ही खड़ी रही ….थोड़ा सा झुके हुए , जिस से उसकी गर्दन के नीचे का हिस्सा अब पानी के अंदर था ………… मैने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया…….वो भी मुझे देख कर मुस्कुराइ और फिर अचानक पानी में सीधी खड़ी हो गयी और मेरे बिल्कुल नज़दीक आ गयी …………..

वो दिलकश नज़ारा , जो अभी तक मैं दूर से देख रहा था ……अब मेरे बिल्कुल नज़दीक था , सिर्फ़ कुछ इंचस दूर ……..मेरी निगाह बार बार उसके चेहरे पर जाती थी और फिर ना चाहते हुए भी , मैं उसके सीने की तरफ देखने लगता था …………

वो मेरे और नज़दीक आई और फिर मुस्कुराते हुए एक हाथ से मेरे गाल को थप-थपाया …..और बोली “ अपनी निगाहों को कंट्रोल में रखो राजीव ……….यह तुम्हे बिना वजह की उलझन में उलझा देंगी ……….”
कह कर वो मेरे बगल से होती हुई , स्विम्मिंग पूल से बाहर निकल गयी ……और फिर धीरे धीरे चलते हुए ,गेस्ट हाउस की तरफ चल दी ………मैं कुछ सेकेंड्स उसको जाते हुए देखते रहा और फिर पूल से निकल कर , मैं भी गेस्ट हाउस की तरफ बढ़ गया ………
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