desiaks
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#73
रात को 10 बजे के लगभग मैं वापस राज नगर पहुँच चुका था और 11 बजे अपने घर ……..
मैं दिन भर की व्यवस्त-ता की वजह से थका हुआ था , इसलिए घर पहुँचते ही बिस्तर के हवाले हो गया और जल्द ही नींद में डूब गया ……….
सुबह उठ कर फिर वही रुटीन वर्क , मैं अपने हमेशा के टाइम पर तय्यार हुआ और ऑफीस पहुँच गया ……….कल वॉल्ट का फाइनल इनस्पेक्षन होना था …और मुझे उस की तय्यारी भी करनी थी ……करण ना था , इसलिए मैने निधि को साथ लिया और बॅंक पहुँच गया ……..हम दोनो ने वहाँ वॉल्ट की वर्किंग को एक लास्ट बार चेक किया , सब कुछ बिल्कुल पर्फेक्ट था ……..आउट साइड कन्स्ट्रक्षन भी कंप्लीट हो चुका था ……..फिर 1 घंटे बॅंक में रहकर हम वापस ऑफीस आ गये …….
निधि , आज उसका मिज़ाज़ कुछ बदला बदला सा लग रहा था…….हमेशा खुश रहने वाली निधि , आज बड़ी खामोश सी थी …..और मज़ाक तो बिल्कुल भी नही कर रही थी ……मेरा दिल किया कि उस से पूछू , पर फिर मुझे उस दिन सीसीटीवी पर देखा हुआ मंज़र याद आ गया …….कुछ सोच कर मैं चुप ही रह गया ……..दोपहर 12 बजे हम दोनो वापस ऑफीस पहुँच चुके थे……
अपने कॅबिन में आकर मैने अपना लॅपटॉप ऑन किया और एमाइल्स चेक करने लगा…….पहला मैल देख कर ही मैं चौंक गया …….यह मैल मिस्टर.चौधरी ने भेजा था , कंपनी के सभी डाइरेक्टर्स को …जिन में से एक मैं भी था ……कल यानी ट्यूसडे को 5.00 बजे बोर्ड मीटिंग बुलाई गयी थी , और सभी डाइरेक्टर्स को अटेंड करने का इन्स्ट्रक्षन दिया गया था ………
इसका मतलब मिस्टर.चौधरी अपनी बात पर अमल करने वाले हैं ……….सोच कर ही मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थी …….और साथ ही मुझे शरद की कही हुई बातें याद आने लगी थी ………उसके कहे हुए शब्द बार बार मेरे कानो में गूंजने लगते थे …….. ‘ हम लोग नही चाहते की कोई बाहर वाला आकर इस पर कब्जा कर ले ‘ ……..मिस्टर.चौधरी ने हमेशा मुझे अपने बेटे की तरह माना था , पर मैने खुद कभी उनकी लाइफ में , या उनके घर में घुसने की कोशिश नही की थी ……मैं जानता था की मैं उनके बेटे जैसा हूँ, उनका बेटा नही……
मैने नेहा का नंबर लगाया …………..बेल जाती रही पर उसने फोन पिक नही किया …मुझे बड़ा अचरज हुआ …….मैं अपने कॅबिन से बाहर निकल कर , नेहा के ऑफीस तक गया ….वो वहाँ भी नही थी ……..फिर मैने उसके मोबाइल पर कॉल की ……पर वहाँ से भी कोई रिप्लाइ नही मिला ………
“ ज़रूर किसी काम में बिज़ी होगी “ सोच कर में फिर से अपने काम में लग गया ……….शाम को करीब 4 बजे होंगे की मेरे ऑफीस के दरवाज़े पर नॉक हुआ ..और फिर दरवाज़ा खुल गया ……..यह नेहा थी ……उसने एक निगाह अंदर डाली और फिर मुस्कुराती हुई अंदर आ गयी ……और मेरे सामने वाली चेयर पर बैठ गयी……
“ कहाँ थी इतनी देर से ………मैं कब से तुम्हारा नंबर ट्राइ कर रहा हूँ ? “ मैं शिकयती लहज़े में बोला ……..
“ तुम्हारी मिस-कॉल देख कर ही तो पता चला कि जनाब वापस आ गायें हैं ……..और अब उन्हे मेरी याद आ रही है ………” वो हंसते हुए बोली ………
“तुम्हे क्या लगा की मैं तुम्हे कभी याद नही करता ……….? “ मैं मुस्कुराते हुए बोला………..
“ खुद ही देख लो …….जब से गये हो , एक भी फोन नही किया ………..अब वापस आते ही तुम्हे मेरी याद आ गयी है ……….” उसने बड़ी अदा के साथ , मुस्कुराते हुए कहा ………….हंसते हुए वो हमेशा गजब की खूबसूरत लगती है …और आज भी ऐसा ही कुछ था ………अगर यह ऑफीस ना होता तो ,यक़ीनन मैने उसको अब तक दबोच लिया होता………….
“ तुम्हे नही मालूम की मैं तुम्हे कितना याद करता हूँ नेहा ………..बस यह बात है कि मैं अपनी चाहत को कभी शो नही कर पाता ..” मैने पूरी संजीदगी से कहा ……….
वो अपनी जगह से उठ कर दरवाजे पर गयी और उसको बोल्ट कर दिया ……और फिर बहुत तेज़ कदमो से मेरे पास आ गयी ……और उस ही पोज़िशन में मुझे से लिपट गयी ……..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसको भी मैने अपनी गोद (लॅप) में खींच लिया ……….कुछ देर वो मेरे गले से लगी रही , फिर उसने अपना चेहरा ऊपर किया और अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ दिया ………… एक तेज़ लहर सी मेरे पूरे शरीर में उठने लगी और उसके होंठों को मैने अपने होंठों में क़ैद कर लिया …………
हमेशा से अलग , आज हमारी हरकतों में एक जुनून सा था ………..हमारे जिस्म एक दूसरे से मिलने के लिए प्यासे थे , और शायद यही प्यास हमें परेशान कर रही थी …………..मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमते रहे फिर थोड़ी ही देर बाद उसके पूरे शरीर को नापना सुरू कर दिया ……….. उसके हाथ भी जो अभी तक मेरे बालों में घूम रहे थे , मेरी गर्दन से होते हुए मेरे सीने पर आ गये ……..
फिर इस से पहले की हमारी हरकते बे-काबू हो जाती ……मैने खुद को संभाला , और उसको धीरे से अपने आप से अलग किया ……….उसकी तेज़ साँसे और लाल हो चुकी आँखें , उसकी हालत को बयान कर रही थी ……..पर जो वो चाहती थी , और मैं भी ……वो अभी तो संभव नही था ……..
उसने भी हालत को समझा , और धीरे से मेरी गोद में से उठ कर खड़ी हो गयी…..फिर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े और बाल सही करने लगी ……….थोड़ी ही देर बाद वो फिर से मेरे सामने बैठी हुई थी ……..बिल्कुल खामोश
“आज शाम को तो हम मिल रहे हैं ना ? “ मैं उस से पूछा … उसने सिर्फ़ सर को हिलाकर हां का इशारा किया ……….
“ ठीक है ………शाम को हम दोनो यहाँ से साथ ही चलेंगे …….” मैने कहा और आपे हाथ आगे बढ़ा कर , उसके हाथ के ऊपर रख दिया ………उसने एक बार मेरी तरफ देखा , और फिर से मुस्कुरा दी ……..
“जब भी चलना हो ,मुझे रिंग कर देना ………..” उसने कहा और सीट से उठ कर खड़ी हो गयी ……..और फिर कमरे से बाहर निकल गयी …….
मैने एक लंबी साँस ली और फिर से अपने काम निपटाने लगा……..मुझे आज की शाम नेहा के साथ बितानी थी , और यह ख्याल ही मुझे एक अजीब से रोमांच से भर रहा था ……..
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रात को 10 बजे के लगभग मैं वापस राज नगर पहुँच चुका था और 11 बजे अपने घर ……..
मैं दिन भर की व्यवस्त-ता की वजह से थका हुआ था , इसलिए घर पहुँचते ही बिस्तर के हवाले हो गया और जल्द ही नींद में डूब गया ……….
सुबह उठ कर फिर वही रुटीन वर्क , मैं अपने हमेशा के टाइम पर तय्यार हुआ और ऑफीस पहुँच गया ……….कल वॉल्ट का फाइनल इनस्पेक्षन होना था …और मुझे उस की तय्यारी भी करनी थी ……करण ना था , इसलिए मैने निधि को साथ लिया और बॅंक पहुँच गया ……..हम दोनो ने वहाँ वॉल्ट की वर्किंग को एक लास्ट बार चेक किया , सब कुछ बिल्कुल पर्फेक्ट था ……..आउट साइड कन्स्ट्रक्षन भी कंप्लीट हो चुका था ……..फिर 1 घंटे बॅंक में रहकर हम वापस ऑफीस आ गये …….
निधि , आज उसका मिज़ाज़ कुछ बदला बदला सा लग रहा था…….हमेशा खुश रहने वाली निधि , आज बड़ी खामोश सी थी …..और मज़ाक तो बिल्कुल भी नही कर रही थी ……मेरा दिल किया कि उस से पूछू , पर फिर मुझे उस दिन सीसीटीवी पर देखा हुआ मंज़र याद आ गया …….कुछ सोच कर मैं चुप ही रह गया ……..दोपहर 12 बजे हम दोनो वापस ऑफीस पहुँच चुके थे……
अपने कॅबिन में आकर मैने अपना लॅपटॉप ऑन किया और एमाइल्स चेक करने लगा…….पहला मैल देख कर ही मैं चौंक गया …….यह मैल मिस्टर.चौधरी ने भेजा था , कंपनी के सभी डाइरेक्टर्स को …जिन में से एक मैं भी था ……कल यानी ट्यूसडे को 5.00 बजे बोर्ड मीटिंग बुलाई गयी थी , और सभी डाइरेक्टर्स को अटेंड करने का इन्स्ट्रक्षन दिया गया था ………
इसका मतलब मिस्टर.चौधरी अपनी बात पर अमल करने वाले हैं ……….सोच कर ही मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी थी …….और साथ ही मुझे शरद की कही हुई बातें याद आने लगी थी ………उसके कहे हुए शब्द बार बार मेरे कानो में गूंजने लगते थे …….. ‘ हम लोग नही चाहते की कोई बाहर वाला आकर इस पर कब्जा कर ले ‘ ……..मिस्टर.चौधरी ने हमेशा मुझे अपने बेटे की तरह माना था , पर मैने खुद कभी उनकी लाइफ में , या उनके घर में घुसने की कोशिश नही की थी ……मैं जानता था की मैं उनके बेटे जैसा हूँ, उनका बेटा नही……
मैने नेहा का नंबर लगाया …………..बेल जाती रही पर उसने फोन पिक नही किया …मुझे बड़ा अचरज हुआ …….मैं अपने कॅबिन से बाहर निकल कर , नेहा के ऑफीस तक गया ….वो वहाँ भी नही थी ……..फिर मैने उसके मोबाइल पर कॉल की ……पर वहाँ से भी कोई रिप्लाइ नही मिला ………
“ ज़रूर किसी काम में बिज़ी होगी “ सोच कर में फिर से अपने काम में लग गया ……….शाम को करीब 4 बजे होंगे की मेरे ऑफीस के दरवाज़े पर नॉक हुआ ..और फिर दरवाज़ा खुल गया ……..यह नेहा थी ……उसने एक निगाह अंदर डाली और फिर मुस्कुराती हुई अंदर आ गयी ……और मेरे सामने वाली चेयर पर बैठ गयी……
“ कहाँ थी इतनी देर से ………मैं कब से तुम्हारा नंबर ट्राइ कर रहा हूँ ? “ मैं शिकयती लहज़े में बोला ……..
“ तुम्हारी मिस-कॉल देख कर ही तो पता चला कि जनाब वापस आ गायें हैं ……..और अब उन्हे मेरी याद आ रही है ………” वो हंसते हुए बोली ………
“तुम्हे क्या लगा की मैं तुम्हे कभी याद नही करता ……….? “ मैं मुस्कुराते हुए बोला………..
“ खुद ही देख लो …….जब से गये हो , एक भी फोन नही किया ………..अब वापस आते ही तुम्हे मेरी याद आ गयी है ……….” उसने बड़ी अदा के साथ , मुस्कुराते हुए कहा ………….हंसते हुए वो हमेशा गजब की खूबसूरत लगती है …और आज भी ऐसा ही कुछ था ………अगर यह ऑफीस ना होता तो ,यक़ीनन मैने उसको अब तक दबोच लिया होता………….
“ तुम्हे नही मालूम की मैं तुम्हे कितना याद करता हूँ नेहा ………..बस यह बात है कि मैं अपनी चाहत को कभी शो नही कर पाता ..” मैने पूरी संजीदगी से कहा ……….
वो अपनी जगह से उठ कर दरवाजे पर गयी और उसको बोल्ट कर दिया ……और फिर बहुत तेज़ कदमो से मेरे पास आ गयी ……और उस ही पोज़िशन में मुझे से लिपट गयी ……..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसको भी मैने अपनी गोद (लॅप) में खींच लिया ……….कुछ देर वो मेरे गले से लगी रही , फिर उसने अपना चेहरा ऊपर किया और अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ दिया ………… एक तेज़ लहर सी मेरे पूरे शरीर में उठने लगी और उसके होंठों को मैने अपने होंठों में क़ैद कर लिया …………
हमेशा से अलग , आज हमारी हरकतों में एक जुनून सा था ………..हमारे जिस्म एक दूसरे से मिलने के लिए प्यासे थे , और शायद यही प्यास हमें परेशान कर रही थी …………..मेरे हाथ उसकी पीठ पर घूमते रहे फिर थोड़ी ही देर बाद उसके पूरे शरीर को नापना सुरू कर दिया ……….. उसके हाथ भी जो अभी तक मेरे बालों में घूम रहे थे , मेरी गर्दन से होते हुए मेरे सीने पर आ गये ……..
फिर इस से पहले की हमारी हरकते बे-काबू हो जाती ……मैने खुद को संभाला , और उसको धीरे से अपने आप से अलग किया ……….उसकी तेज़ साँसे और लाल हो चुकी आँखें , उसकी हालत को बयान कर रही थी ……..पर जो वो चाहती थी , और मैं भी ……वो अभी तो संभव नही था ……..
उसने भी हालत को समझा , और धीरे से मेरी गोद में से उठ कर खड़ी हो गयी…..फिर मुस्कुराते हुए अपने कपड़े और बाल सही करने लगी ……….थोड़ी ही देर बाद वो फिर से मेरे सामने बैठी हुई थी ……..बिल्कुल खामोश
“आज शाम को तो हम मिल रहे हैं ना ? “ मैं उस से पूछा … उसने सिर्फ़ सर को हिलाकर हां का इशारा किया ……….
“ ठीक है ………शाम को हम दोनो यहाँ से साथ ही चलेंगे …….” मैने कहा और आपे हाथ आगे बढ़ा कर , उसके हाथ के ऊपर रख दिया ………उसने एक बार मेरी तरफ देखा , और फिर से मुस्कुरा दी ……..
“जब भी चलना हो ,मुझे रिंग कर देना ………..” उसने कहा और सीट से उठ कर खड़ी हो गयी ……..और फिर कमरे से बाहर निकल गयी …….
मैने एक लंबी साँस ली और फिर से अपने काम निपटाने लगा……..मुझे आज की शाम नेहा के साथ बितानी थी , और यह ख्याल ही मुझे एक अजीब से रोमांच से भर रहा था ……..
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