Desi Sex Kahani वेवफा थी वो - Page 7 - SexBaba
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Desi Sex Kahani वेवफा थी वो

#56

“ प्लीज़ सर …….अगर आपको ग़लत लगे तो मुझे बोल दीजिएगा …….” उसने कहा …..और फिर कुछ सेकेंड्स से लिए चुप हो गया ….और फिर आगे बोलना शुरू किया ….” सर ………..यह जो न….नेहा जी हैं ना ……….इनके बारे में कुछ बात करनी है आ… आपसे …………” उसकी आवाज़ अब लड़खड़ाने लगी थी ….

मैं चौंक गया था ……पर अपने चेहरे से जाहिर नही होने दिया ….उसके और थोड़ा नज़दीक आकर , मैने पूछा ………” क्या बात करनी है
करण ………सॉफ सॉफ बोलो ……..”

“ सर ………म..मुझे नही मालूम की आप लोगो की दोस्ती किस ह…हद तक है ………..बस मुझे ऐसा लगता है कि …….आ.आ…आप और नेहा जी काफ़ी गहरे..दोस्त हैं ………..पर जाने क्यों म..मुझे ऐसा भी लगता है कि , नेहा जी अच्छि लड़की नही हैं………………” वो
जैसे फूस-फुसाता हुआ सा बोल रहा था ……..

“ क्या कहना चाह रहे हो करण …………? “ मैने थोड़ी तेज़ आवाज़ में बोला …..

“ सर ………मैने प…प….पहले ही कहा था कि आप प्लीज़ बुरा मत मानीएगा …. “ वो मेरे चेहरे को देखता हुआ बोला …….

मैने कहा “ नही मैं नाराज़ नही हो रहा हूँ करण……….पर बिना किसी वजह के तुम किसी लड़की के बारे में कैसे कुछ बोल सकते हो ………जल्दी से पूरी बात समझाओ “

“ मुझे लगता है कि नेहा जी अच्छि लड़की नही हैं सर ……………शादी शुदा होते हुए भी वो दूसरे आदमियों के साथ कुछ ज़्यादा ही क्लोज़ रहती हैं ……….” उसने कहा तो मैं फिर से चौंक गया ……..” दूसरे आदमी ?………….मतलब कौन ? “

“श….शरद सर …………..मैने नेहा जी को उनके कॅबिन में , उनके साथ बहुत नज़दीक होकर बात करते हुए देखा है सर ……क…क….कयि बार तो इतना क्लोज़, जितना आम तौर पर नही होना चाहिए…………..म..म..मुझे लगता है सर, कोई ना कोई बात ज़रूर है

……………” वो टेबल पर दोनो हाथ रख कर , बिल्कुल फुसफुसाता हुआ बोल रहा था……….और उसकी आख़िरी बात ने मुझे फिर से एक और झटका दिया था ……………

“ हो सकता है तुम्हे कोई ग़लत-फहमी हुई हो करण …………..? “ मैं अपनी जगह पर सीधा बैठ गया…..और ऐसे शो किया जैसे मुझे
उसकी बात से कोई फरक ही ना पड़ा हो ………….

“ मे बी !!.............श..श...शायद यह मेरी ग…ग़लत फहमी ही हुई हो सर……………..पर यह कोई एक बार की बात नही है सर..........बहुत बार ऐसा हो चुका है , कि मैं शरद सर के कमरे में गया और ...न...नेहा जी मुझे वहाँ मिली ..............और हर बार वो द..दोनो , आ...अकेले ही होते हैं जो मुझे लगा मैने आपको बता दिया……..आख़िर वो आपकी भी तो द…दो…दोस्त हैं…… ” करण ने मेरी तरफ
देखते हुए जवाब दिया ………उसकी आँखें हमेशा की तरह भाव-शून्य थी ……………..फिर वो अपनी ड्रिंक धीरे धीरे सीप करने लगा …….

मैं कुछ देर ऐसे ही बैठा हुआ सोचता रहा ......फिर एक ही घूंठ में अपना गिलास खाली किया और वेटर को बिल लाने की लिए बोला

………..5 मिनिट बाद ही हम दोनो फिर से साइट की तरफ जा रहे थे ………..करण खिड़की से बाहर देख रहा था ……….शायद ठंडी हवा का असर था, जो अब वो पहले से ठीक लग रहा था …….हम दोनो ही बिल्कुल चुप-चाप थे ……….पर मेरे अंदर ना जाने कितने सवाल अब घूमने लगे थे ……….
 
#57

सुबह 11 बजे मेरी आँख खुली ………….कल देर रात तक काम करने के बाद मैं लगभग सुबह ही घर वापस आया था …………फिर आते ही सो गया था और आज देर से उठ पाया था ……….. मैं डेली रुटीन काम से निपट कर तय्यार हुआ और दो-पहर में करीब 2 बजे के आस-पास फिर से बॅंक साइट पर पहुँच गया ………

बॅंक वॉल्ट का कन्स्ट्रक्षन वर्क निपट चुका था …..अब सिर्फ़ सॉफ्टवेर लोडिंग होनी थी और उसके बाद मुझे टेक्निकल सेट्टिंग्स करनी थी …………मैने सॉफ्टवेर लोडिंग का काम स्टार्ट कर दिया और देर शाम तक मैं उस ही में लगा रहा………करण भी वहीं पर था और बॅंक के आउटर कन्स्ट्रक्षन का काम करवा रहा था…….. इस दौरान उसकी और मेरी काई बार बात हुई ……..पर उसकी बातों से जाहिर नही हुआ
कि कल रात की बात का उस पर कोई असर हुआ है …………..वो हमेशा की तरह नॉर्मल ही था ….ऐसा लगा जैसे उसको पता ही ना हो
कि उसने कल रात मुझ से कुछ कहा भी था ……….

देर शाम तक मैने सॉफ्टवेर लोडिंग का काम निपटा लिया और फिर वापस अपने घर लौट आया ……………अब सिर्फ़ टेक्निकल सेट्टिंग का काम बाकी था , जो मैं ऑफीस में बैठ कर भी कर सकता था ………..

फ्लॅट में आकर , रात को टीवी देखते समय मेरा ध्यान फिर से करण की कही हुई बातो की तरफ चला गया ………..नेहा मेरे साथ बे-वफाई कर सकती है ..इस बात पर मुझे एकीन नही हो रहा था …और क्या वजह हो सकती है बेवफ़ाई की ? ……….अगर उसको शरद पसंद है , तो क्यों उसने मेरे साथ अपने रिलेशन्स बनाए ?......इन सब बातों का मेरे पास भी कोई जवाब नही था…….

यह भी हो सकता है कि करण मेरे और नेहा के रिश्ते के बारे में जानता हो , और क्यों कि वो भी नेहा को पसंद करता है - जैसा कि नेहा ने मुझे बताया था – वो हम दोनो के बीच ग़लतफहमी की दीवार खड़ी करना चाहता हो ………यह बात भी मुझे कुछ कुछ समझ में आई ………….पर अभी किसी भी नतीजे पर पहुँचने से पहले मुझे थोड़े दिन सब कुछ वॉच करना पड़ेगा …….सोचते सोचते मैं नींद में डूब गया …………

थर्स्डे , आज मैं हमेशा की तरह जल्दी उठ गया ………..अपने डेली रुटीन के काम निपटाए और फिर सही समय पर ऑफीस पहुँच गया……………..ऑफीस में जाकर मुझे प्रिया से मालूम पड़ा कि मिस्टर. चौधरी कल रात फिर किसी ज़रूरी काम से मुंबई चले गये हैं और 1 दिन बाद ही वापस आएँगे ……..

मैं अपने ऑफीस में आ गया ……थोड़े से पेंडिंग काम निपटाए और फिर उसके बाद अपना कंप्यूटर ऑन किया और बॅंक वॉल्ट की टेक्निकल सेट्टिंग्स करनी शुरू कर दी …………

मैं अपना काम कर रहा था ….पर बीच बीच में मुझे नेहा का भी ख़याल आ रहा था………….बीच में दो बार उठ कर मैं उसके रूम के पास गया …..जिसके लिए मुझे 2 फ्लूरे ऊपर जाना पड़ा …..और बाहर से ही देख कर वापस आ गया ……वो अपने काम में बिज़ी थी , अकेली …..

मुझे काम करते करते 2 घंटे बीत चुके थे ……अचानक मेरे रूम के दरवाज़े पर नॉक हुई और फिर दरवाज़ा खुल गया………..यह निधि थी ……एक स्माइल चेहरे पर लिए उसने मुझे विश किया और फिर मेरे सामने आ कर बैठ गयी ………

“ बिज़ी हो ? “ उसने बात शुरू की …….

“ ह्म…………..थोड़ा सा काम बाकी है बस ………..मैं सारी टेक्निकल सेट्टिंग्स आज ही पूरी करना चाह रहा हूँ “ मैने काम करते करते उसकी तरफ देख कर कहा…

“ मैं कुछ हेल्प कर दूं ? “ उसने कहा तो मैने अपना हाथ रोक कर उसकी तरफ देखा और बोला “ शुवर …….अगर तुम्हारे पास टाइम हो तो ? “

“ मेरे पास टाइम ही टाइम है ……..और वैसे भी अंकल ने मुझे तुम्हारी हेल्प के लिए इस प्रॉजेक्ट पर लगाया था ……..अभी तक तो मैने तुम्हारी कोई हेल्प नही की……अब अगर चाहो तो कर सकती हूँ “ उसने कहा और फिर हम दोनो ही एक साथ हंस दिए ……..

उसने मॉनिटेर को अपनी तरफ घुमा लिया और कीबोर्ड को भी अपनी तरफ रख लिया ……मैने उससे कुछ बातें समझाई और फिर उसने अपना काम शुरू कर दिया …………

थोड़ी देर बाद मैं फिर से उठा और 5थ फ्लोर पर आ गया……मैने यूँ ही एक चक्कर सारे फ्लोर का लगाया ……….नेहा अब भी अपने काम
में बिज़ी थी …….और शरद वहाँ आस-पास भी नही था ………..मैने ऐसा कुछ भी नही देखा , जो मेरे मान में कोई शॅक पैदा करता ……..

15 मिनिट बाद मैं फिर से अपने ऑफीस में लौट आया ………..निधि अपने काम में लगी हुई थी ……..मैने उसके पास वाली चेयर पर बैठ गया और उसको काम करते हुए देखने लगा……..

निधि………..जैसा मैने पहले बताया था , एक हमेशा खुश रहने वाली लड़की थी …… एवरेज शरीर , औसत से थोड़ा सा लंबा कद और गोरा रंग …….बाल छोटे और गहरी काली आँखें ………….अपने भाई और बेहन से अलग , वो सब से घुल-मिल कर रहती थी ………कुछ तो उसका जॉली नेचर और कुछ उसके चेहरे पर हमेशा रहने वाली मुस्कुराहट, उसको एक अलग ही पहचान देती थी …….पर साथ ही यह भी मालूम नही पड़ता था की वो कब मज़ाक कर रही है और कब सीरीयस है………….

“ क्या देख रहे हो ……….” अपना काम करते करते वो अचानक बोली ……….

“ नही………..कुछ भी नही “ मैं चौंक कर बोला …………

“ कुछ तो है ………बड़ी गौर से मुझे देख रहे थे ………” उसने कहा और फिर मेरी तरफ घूम गयी और आँखें नचाते हुए बोली “ क्या हुआ ? ………क्या मुझे प्रपोज़ करने का प्रोग्राम है ? “

मैं उसकी बात सुन कर फिर से चुप हो गया ……उसके होंठो पर वही हमेशा रहने वाली मुस्कुराहट थी ……………..

कुछ सेकेंड्स हम दोनो एक दूसरे को देखते रहे , फिर मैने अपनी नज़रें नीचे झुका ली ………और वो ज़ोर ज़ोर्से हँसने लगी …………

“ हे हे हे ………………..तुम तो फिर से सीरीयस हो गये राजीव…………….मैं तो सिर्फ़ मज़ाक कर रही थी यार…” उसने कहा और फिर से अपनी निगाह मेरे चेहरे पर जमा दी ……और फिर बोली “ मुझे मालूम है कि तुम अभी काम में बिज़ी हो , तुम्हारे पास अभी फ़ुर्सत नही है
इन सब फालतू बातों के लिए …..पर इतना याद रखना , जब भी तुम अपने लिए कोई जीवन साथी चुनो ,मुझे ज़रूर मिलवाना ……….शायद तुम नही जानते, तुम्हे खुश देख कर मुझे कितनी खुशी होती है …….”

थोड़ी देर हम दोनो एक दूसरे को देखते रहे , फिर हमेशा की तरह मैने ही अपनी निगाहें हटा ली ………..वो भी अब सीरीयस दिख रही थी
…..उसने फिर से अपनी चेर को घुमाया और अपनी निगाह मॉनिटर पर जमा दी ………………

उसके बाद एक अजीब से खामोशी हम दोनो के बीच पसर गयी …… यह पहली बार नही था जो निधि मुझसे इस तरह की बातें कर रही थी , और मुझे नही मालूम था कि वो कितनी गंभीर होकर यह बात कह रही थी …………पर मैं यही दुआ कर रहा था कि काश वो सिर्फ़ मज़ाक ही कर रही हो …………..

हम दोनो साथ साथ काम करते रहे , पर सिर्फ़ काम ……कोई और फालतू बात हम दोनो ने नही की ……..शाम को 7.30 बजे तक हम दोनो ने मिलकर सारा काम निपटा लिया ……बीच में हमने 3-4 बार ब्रेक भी लिया …………प्रोग्रामिंग कंप्लीट हो चुकी थी , अब सिर्फ़ टेस्टिंग करनी थी ….और मेरा प्लान था की वो मैं फ्राइडे को मिस्टर.चौधरी के सामने करूँगा …………..
 
#58

8.30 बजे , मैं अपने घर पहुँचने ही वाला था कि तभी मेरा मोबाइल बज उठा ……मैने नंबर देखा , नेहा की कॉल थी …….मैने कॉल रिसीव की

“ हाई नेहा ……….”

“हेलो राजीव …..कैसे हो ? “ उसने कहा ………

“ आइ म फाइन ……….तुम बताओ , क्या कर रही हो ? ……..पिच्छले 2 दिन से तुमने मुझे कोई फोन नही किया ? “ मैं शिकायती लहजे में बोला …………

“ यह बात तो मैं भी तुमसे कह सकती हूँ , तुमने भी तो कोई फोन नही किया ? “ उसने कहा और फिर धीरे से हंस दी ………

“ सॉरी यार ………….तुम्हे तो मालूम ही है , मैं कितना बिज़ी था ………..अब बताओ कब मिल रही हो …….? “ मैने कहा ….

“ अभी .!!.............मैं अभी तुमसे मिलना चाहती हूँ …” उसने कहा तो मैं हंसता हुआ बोला ………….” तो ठीक है ……..आ जाओ मेरे घर , मैं बस पहुँचने ही वाला हूँ “

“ नही ……….तुम्हारे घर नही ……..आज कहीं घूमने चलते हैं राजीव “ उसने कहा तो मैं कुछ सेकेंड के लिए सोच में पड़ गया ………. फिर मैने अपनी गाड़ी वापस घुमा ली, नेहा के घर की तरफ और उस से बोला “ तुम तय्यार रहो ……….मैं बस 5 मिनिट में तुम्हारे पास पहुँच रहा हूँ “

“ वॉववव……” उसके मुँह से बस इतना ही निकला , और फिर मैने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……

½ घंटे बाद हम दोनो एक साथ, एक दूसरे का हाथ थामे हुए लोवेना बीच पर घूम रहे थे ………………

लोवेना बीच , राज नगर का एक फेमस प्लेस था ………समंदर के किनारे बीच और उसके साथ साथ एक लंबी सड़क , जिसके दोनो तरफ कुछ ठेले वाले खड़े रहते थे …………राज नगर के रहने वाले , अक्सर शाम को यहाँ घूमे आते थे …………. ख़ास कर जोड़े ( कपल्स)
…………..बीच के आस-पास काफ़ी जगह ऐसी थी जहाँ उन्हे एकांत मिल जाता था…….

मैने रोड के एक साइड में अपनी गाड़ी पार्क कर दी थी और फिर हम दोनो रेत पर जाकर बैठ गये ……………नेहा मेरे कंधे पर सर टिका कर बैठी हुई थी और मैं अपने दोनो हाथ पीछे को टिका कर , सामने समंदर की लहरो को देख रहा था ………..पिच्छले एक हफ्ते में जो कुछ बातें मेरे साथ हुई थी , उसकी वजह से मेरा दिल कुछ बे-चैन सा था और नेहा के साथ होने के बावजूद भी मैं अभी तक अपने आप को सहज नही महसूस कर पा रहा था ………..

“ क्या हुआ …………क्या सोच रहे हो ? “ नेहा ने कहा तो मैं अपनी सोच से बाहर निकला ……….

“ कुछ नही ……….”

“ तुम्हारा काम कहाँ तक पहुँचा …….” उसने मेरा एक हाथ अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा ………

“ बस ……..आज कंप्लीट हो गया है …….अब टेस्टिंग बाकी है ……….”

“ इसका मतलब , अब हम दोनो साथ साथ समय बिता सकते हैं !!.............” उसने चहकते हुए कहा …….तो मैने उसकी तरफ देखा , और अपना सर नीचे को झुका कर उसका माथा चूम लिया …………..उसने भी तुरंत मेरी किस का जवाब दिया , मेरे सर के पीछे एक हाथ लगा कर मुझे और नीचे को झुकाया और मेरे होंठो को चूम लिया …………फिर कुछ सेकेंड्स के लिए हमारे होंठ मानो आपस में जुड़ से गये ……………

एक करेंट सा मेरे शरीर में दौड़ गया…………पर मुझे मालूम था कि यह जगह और समय , हमें इस से आगे बढ़ने की इज़ाज़त नही देने वाले ………….

एक लंबे किस के बाद हम दोनो अलग हो गये ……..फिर मैने कहा ……… “ कल का काम निबटा लूँ, फिर एक दिन सिर्फ़ तुम्हारे लिए
…………”

सुनकर वो सीधी होकर बैठ गयी और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझ से लिपट गयी …………
पता नही कितनी देर तक हम दोनो यूँ ही बैठे हुए प्यार की बातें करते रहे …………..वो सपने बुनती रही , हमारी आने वाली ज़िंदगी के बारे में , और मैं सिर्फ़ सुनता रहा……………

फिर मैने उसको बताया कि अब हमें वापस चलना चाहिए ……..हम दोनो वहाँ से उठे ही थे कि उसने आइस क्रीम खाने की फरमाइश कर दी ……………मैने इधर-उधर निगाह दौड़ाई ………..थोड़ी डोर पर एक आइस-क्रीम वाला खड़ा था …….हम दोनो उसके पास पहुँचे और अपनी अपनी पसंद की आइस क्रीम्स ले ली …………फिर वापस अपनी गाड़ी की तरफ चल दिए …………..

हमारी गाड़ी वहाँ से करीब 500 मीटर की दूरी पर थी ……….उसने अपनी एक बाँह मेरी बाँह में डाली हुई थी और मेरे से बिल्कुल चिपक कर साथ साथ चल रही थी ………हम दोनो रोड के लेफ्ट साइड में चल रहे थे ………….हमारे से थोड़ी दूर पर , हमारी कार से पहले , एक
बाइक खड़ी हुई थी , जिस पर एक आदमी बैठा हुआ था और साथ ही खड़े हुए एक दूसरे आदमी से बात कर रहा था …………..

“ राजीव ………मुझे शायद नेक्स्ट वीक देहरादून जाना पड़ेगा ………” नेहा ने कहा ……….

“क्यों ? “

“ मैने कल अपने आड्वोकेट से बात की थी ……..वो कह रहे थे कि नीरज (उसका हज़्बेंड) डाइवोर्स पेपर'स साइन करने के लिए तय्यार है …….इसलिए मुझे वहाँ जाकर मिलना पड़ेगा ……” उसने बताया ….

“ तो मैं 25 लॅक रूपीए तुम्हारे अकाउंट में ट्रान्स्फर कर दूं ?“ मैने उसकी तरफ देख कर पूछा ………….

“ नही ………अब शायद उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी ………मेरे आड्वोकेट बता रहे थे कि उस के बगैर ही हमें डाइवोर्स मिल जाएगा …….उन्होने मेरे हज़्बेंड के खिलाफ कुछ क्रिमिनल केस फाइल किए हैं ……..जिस की वजह से अब वो सेटल्मेंट के लिए तय्यार है …………” उसने कहा और मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ लिया ………

“ जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ………पर अगर कोई ज़रूरत हो तो मुझे बताना ..” मैने कहा और फिर एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया ………..

बात करते करते हम मोटर बाइक के बिल्कुल पास आ गये …….और तभी अचानक , वो आदमी जो बाइक के पास खड़ा था , तेज़ी के साथ पलटा और अपना हाथ अपनी जॅकेट के अंदर से बाहर निकाला…………..यहाँ रोशिनी बहुत कम थी , पर उसके हाथ में पकड़ी हुई एक चमकीली सी चीज़ मुझे दिखाई दे गयी जो अब बहुत तेज़ी से मेरी तरफ आ रही थी ……………………
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#59

“ नाहहिईीई…………………….रजिीीव बचो !!!!! “ इस से पहले कि में कुछ एक्शन लेता …………… नेहा ने चीखते हुए मुझे अपनी तरफ खींचा और खुद मेरे और उस आदमी के बीच आ गयी …………. वो चमकती हुई चीज़ , जो निश्चित तौर पर एक चाकू था …………नेहा की
बाँह पर एक घाव बनाता हुआ निकल गया ………

एक और लंबी , दर्द भरी चीख नेहा के मुँह से निकली ……….और अपनी बाँह को पकड़े हुए वो नीचे बैठ-ती चली गयी और साथ ही मैं भी उसको संभालता हुआ नीचे को बैठ गया ………….वो आदमी फुर्ती के साथ बाइक पर बैठा , और दूसरे आदमी ने बाइक आगे बढ़ा दी
…………इस से पहले की मैं कोई एक्शन ले पाता , उसकी बाइक मेरी पहुँच से बहुत दूर जा चुकी थी …………….

मैं बड़ा ही बद-हवस इधर-उधर देख रहा था …..मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ …….उनकी बीके के पीछे जाऊं , या नेहा को सम्भालूं ……और फिर नेहा की एक और कराह ने मुझे समझा दिया कि मुझे क्या करना है……..मैने उसे अपनी गोद में उठाकर अपनी
गाड़ी में बैठाया , और फिर तेज़ी के साथ गाड़ी आगे बढ़ा दी ………………ड्राइव करते हुए ही मैने 100 नंबर पर फोन लगा कर पोलीस को
इनफॉर्म किया , अपने साथ हुई इस घटना के बारे में ………..

मैं नेहा को लेकर , वहाँ नज़दीक ही एक डॉक्टर के पास आ गया...उसकी बाँह से खून लगातार बह रहा था …….डॉक्टर को मैने अपना इंट्रोडक्षन दिया तो उसने तुरंत ही हमें अटेंड किया ……..नेहा का घाव चेक कर के उसने बताया कि कोई ख़तरे वाली बात नही है ……..चाकू बहुत गहरे तक नही पहुँच पाया था , बस एक कट लगा था ………उसने ड्रेसिंग कर दी और साथ ही एक इंजेक्षन भी लगा दिया ………….. उसने कुछ दवाइयाँ भी दे दी ...........

फिर ½ घंटे बाद मैं नेहा को लेकर अपने घर पहुँच गया……….. मैने घर के अंदर आकर उसको बेड पर लिटाया और फिर किचन में जाकर एक गिलास पानी ले आया ……… शायद यह इंजेक्षन का असर था जो वो आधी-बेहोशी की हालत में लग रही थी ……….मैने उसको सहारा
देकर बैठाया और उसको मेडिसिन्स खिलाई………..और फिर से लेटा दिया…………

मैं उस के पास बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया ……..उसने अपनी आँखे खोली और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ …………मुझे अन्यास ही उस पर बे-तहाशा प्यार आने लगा ………..इस लड़की ने मेरी जान बचाने के लिए , खुद की जान की परवाह नही
की ……………मैने झुक कर उसके माथे पर चूम लिया …..

उसने फिर से आँख खोली और कहा………
“ क्या हुआ ……….तुम्हारे इरादे तो नाके हैं ? “ कह कर वो शरारत के साथ मुस्कुराइ ………….एक फीकी सी हँसी , कुछ ही देर में वो बहुत ज़्यादा कमजोर लगने लगी थी ..........

“ हाँ मेरे इरादे तो नेक ही हैं …………पर तुम्हे क्या हो गया था ? …….तुम क्यों अपनी जान पर खेल रही थी ?………..” मैने कहा तो वो फिर धीरे से मुस्कुराइ और बोली …..

“ कुछ भी तो नही ………मैं तो बस तुम्हे बचाने की कोशिश कर रही थी राजीव ……..” फिर उसने आँखें बंद कर ली , शायद दर्द की वजह से …………..

मैं थोड़ी देर यूँ ही चुप चाप बैठा रहा ……उसकी आँखे अब भी बंद थी …….शायद दवाई का असर था जो उसको नींद के आगोश में ले जा रहा था ……..

मैने उसको एक चादर ओढ़ाई ………….और फिर अपने शूस निकाल कर , उसके पास ही रखी एक कुर्सी पर बैठ गया ……………..

पता नही कौन था जिसने मुझ पर हमला किया था………..उसका मकसद मेरी जान लेने का था, या सिर्फ़ मुझे डराना चाह रहा था…….जो भी था, मुझे कम से कम यह तो पता चल गया था कि इस दुनिया में मेरा एक दुश्मन भी है ………पर क्यों ? ….क्या वजह थी दुश्मनी की ?
…….क्या नेहा की वजह से कोई मुझे मारना चाहता था ? ………….अगर ऐसा था तो वो कौन हो सकता था ? ……….क्या उसका पति ,
नीरज ?..........या करण ? ………या कोई और ?

सवाल बहुत सारे थे ………पर जवाब मेरे पास भी नही था , और शायद नेहा के पास भी नही ……..जो इस समय बेसूध हो कर सो रही थी …………मैं कुर्सी पर बैठा हुआ उसको देखता रहा और फिर जब नींद आने लगी तो बेड पर उसके पास ही लेट कर सो गया………..
 
#58

8.30 बजे , मैं अपने घर पहुँचने ही वाला था कि तभी मेरा मोबाइल बज उठा ……मैने नंबर देखा , नेहा की कॉल थी …….मैने कॉल रिसीव की

“ हाई नेहा ……….”

“हेलो राजीव …..कैसे हो ? “ उसने कहा ………

“ आइ म फाइन ……….तुम बताओ , क्या कर रही हो ? ……..पिच्छले 2 दिन से तुमने मुझे कोई फोन नही किया ? “ मैं शिकायती लहजे में बोला …………

“ यह बात तो मैं भी तुमसे कह सकती हूँ , तुमने भी तो कोई फोन नही किया ? “ उसने कहा और फिर धीरे से हंस दी ………

“ सॉरी यार ………….तुम्हे तो मालूम ही है , मैं कितना बिज़ी था ………..अब बताओ कब मिल रही हो …….? “ मैने कहा ….

“ अभी .!!.............मैं अभी तुमसे मिलना चाहती हूँ …” उसने कहा तो मैं हंसता हुआ बोला ………….” तो ठीक है ……..आ जाओ मेरे घर , मैं बस पहुँचने ही वाला हूँ “

“ नही ……….तुम्हारे घर नही ……..आज कहीं घूमने चलते हैं राजीव “ उसने कहा तो मैं कुछ सेकेंड के लिए सोच में पड़ गया ………. फिर मैने अपनी गाड़ी वापस घुमा ली, नेहा के घर की तरफ और उस से बोला “ तुम तय्यार रहो ……….मैं बस 5 मिनिट में तुम्हारे पास पहुँच रहा हूँ “

“ वॉववव……” उसके मुँह से बस इतना ही निकला , और फिर मैने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ……

½ घंटे बाद हम दोनो एक साथ, एक दूसरे का हाथ थामे हुए लोवेना बीच पर घूम रहे थे ………………

लोवेना बीच , राज नगर का एक फेमस प्लेस था ………समंदर के किनारे बीच और उसके साथ साथ एक लंबी सड़क , जिसके दोनो तरफ कुछ ठेले वाले खड़े रहते थे …………राज नगर के रहने वाले , अक्सर शाम को यहाँ घूमे आते थे …………. ख़ास कर जोड़े ( कपल्स)
…………..बीच के आस-पास काफ़ी जगह ऐसी थी जहाँ उन्हे एकांत मिल जाता था…….

मैने रोड के एक साइड में अपनी गाड़ी पार्क कर दी थी और फिर हम दोनो रेत पर जाकर बैठ गये ……………नेहा मेरे कंधे पर सर टिका कर बैठी हुई थी और मैं अपने दोनो हाथ पीछे को टिका कर , सामने समंदर की लहरो को देख रहा था ………..पिच्छले एक हफ्ते में जो कुछ बातें मेरे साथ हुई थी , उसकी वजह से मेरा दिल कुछ बे-चैन सा था और नेहा के साथ होने के बावजूद भी मैं अभी तक अपने आप को सहज नही महसूस कर पा रहा था ………..

“ क्या हुआ …………क्या सोच रहे हो ? “ नेहा ने कहा तो मैं अपनी सोच से बाहर निकला ……….

“ कुछ नही ……….”

“ तुम्हारा काम कहाँ तक पहुँचा …….” उसने मेरा एक हाथ अपने हाथ में पकड़ते हुए कहा ………

“ बस ……..आज कंप्लीट हो गया है …….अब टेस्टिंग बाकी है ……….”

“ इसका मतलब , अब हम दोनो साथ साथ समय बिता सकते हैं !!.............” उसने चहकते हुए कहा …….तो मैने उसकी तरफ देखा , और अपना सर नीचे को झुका कर उसका माथा चूम लिया …………..उसने भी तुरंत मेरी किस का जवाब दिया , मेरे सर के पीछे एक हाथ लगा कर मुझे और नीचे को झुकाया और मेरे होंठो को चूम लिया …………फिर कुछ सेकेंड्स के लिए हमारे होंठ मानो आपस में जुड़ से गये ……………

एक करेंट सा मेरे शरीर में दौड़ गया…………पर मुझे मालूम था कि यह जगह और समय , हमें इस से आगे बढ़ने की इज़ाज़त नही देने वाले ………….

एक लंबे किस के बाद हम दोनो अलग हो गये ……..फिर मैने कहा ……… “ कल का काम निबटा लूँ, फिर एक दिन सिर्फ़ तुम्हारे लिए
…………”

सुनकर वो सीधी होकर बैठ गयी और मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझ से लिपट गयी …………
पता नही कितनी देर तक हम दोनो यूँ ही बैठे हुए प्यार की बातें करते रहे …………..वो सपने बुनती रही , हमारी आने वाली ज़िंदगी के बारे में , और मैं सिर्फ़ सुनता रहा……………

फिर मैने उसको बताया कि अब हमें वापस चलना चाहिए ……..हम दोनो वहाँ से उठे ही थे कि उसने आइस क्रीम खाने की फरमाइश कर दी ……………मैने इधर-उधर निगाह दौड़ाई ………..थोड़ी डोर पर एक आइस-क्रीम वाला खड़ा था …….हम दोनो उसके पास पहुँचे और अपनी अपनी पसंद की आइस क्रीम्स ले ली …………फिर वापस अपनी गाड़ी की तरफ चल दिए …………..

हमारी गाड़ी वहाँ से करीब 500 मीटर की दूरी पर थी ……….उसने अपनी एक बाँह मेरी बाँह में डाली हुई थी और मेरे से बिल्कुल चिपक कर साथ साथ चल रही थी ………हम दोनो रोड के लेफ्ट साइड में चल रहे थे ………….हमारे से थोड़ी दूर पर , हमारी कार से पहले , एक
बाइक खड़ी हुई थी , जिस पर एक आदमी बैठा हुआ था और साथ ही खड़े हुए एक दूसरे आदमी से बात कर रहा था …………..

“ राजीव ………मुझे शायद नेक्स्ट वीक देहरादून जाना पड़ेगा ………” नेहा ने कहा ……….

“क्यों ? “

“ मैने कल अपने आड्वोकेट से बात की थी ……..वो कह रहे थे कि नीरज (उसका हज़्बेंड) डाइवोर्स पेपर'स साइन करने के लिए तय्यार है …….इसलिए मुझे वहाँ जाकर मिलना पड़ेगा ……” उसने बताया ….

“ तो मैं 25 लॅक रूपीए तुम्हारे अकाउंट में ट्रान्स्फर कर दूं ?“ मैने उसकी तरफ देख कर पूछा ………….

“ नही ………अब शायद उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी ………मेरे आड्वोकेट बता रहे थे कि उस के बगैर ही हमें डाइवोर्स मिल जाएगा …….उन्होने मेरे हज़्बेंड के खिलाफ कुछ क्रिमिनल केस फाइल किए हैं ……..जिस की वजह से अब वो सेटल्मेंट के लिए तय्यार है …………” उसने कहा और मेरे हाथ को अपने हाथ में पकड़ लिया ………

“ जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ………पर अगर कोई ज़रूरत हो तो मुझे बताना ..” मैने कहा और फिर एक हाथ उसकी कमर में डाल दिया ………..

बात करते करते हम मोटर बाइक के बिल्कुल पास आ गये …….और तभी अचानक , वो आदमी जो बाइक के पास खड़ा था , तेज़ी के साथ पलटा और अपना हाथ अपनी जॅकेट के अंदर से बाहर निकाला…………..यहाँ रोशिनी बहुत कम थी , पर उसके हाथ में पकड़ी हुई एक चमकीली सी चीज़ मुझे दिखाई दे गयी जो अब बहुत तेज़ी से मेरी तरफ आ रही थी ……………………
 
#59

“ नाहहिईीई…………………….रजिीीव बचो !!!!! “ इस से पहले कि में कुछ एक्शन लेता …………… नेहा ने चीखते हुए मुझे अपनी तरफ खींचा और खुद मेरे और उस आदमी के बीच आ गयी …………. वो चमकती हुई चीज़ , जो निश्चित तौर पर एक चाकू था …………नेहा की
बाँह पर एक घाव बनाता हुआ निकल गया ………

एक और लंबी , दर्द भरी चीख नेहा के मुँह से निकली ……….और अपनी बाँह को पकड़े हुए वो नीचे बैठ-ती चली गयी और साथ ही मैं भी उसको संभालता हुआ नीचे को बैठ गया ………….वो आदमी फुर्ती के साथ बाइक पर बैठा , और दूसरे आदमी ने बाइक आगे बढ़ा दी
…………इस से पहले की मैं कोई एक्शन ले पाता , उसकी बाइक मेरी पहुँच से बहुत दूर जा चुकी थी …………….

मैं बड़ा ही बद-हवस इधर-उधर देख रहा था …..मुझे समझ नही आ रहा था कि क्या करूँ …….उनकी बीके के पीछे जाऊं , या नेहा को सम्भालूं ……और फिर नेहा की एक और कराह ने मुझे समझा दिया कि मुझे क्या करना है……..मैने उसे अपनी गोद में उठाकर अपनी
गाड़ी में बैठाया , और फिर तेज़ी के साथ गाड़ी आगे बढ़ा दी ………………ड्राइव करते हुए ही मैने 100 नंबर पर फोन लगा कर पोलीस को
इनफॉर्म किया , अपने साथ हुई इस घटना के बारे में ………..

मैं नेहा को लेकर , वहाँ नज़दीक ही एक डॉक्टर के पास आ गया...उसकी बाँह से खून लगातार बह रहा था …….डॉक्टर को मैने अपना इंट्रोडक्षन दिया तो उसने तुरंत ही हमें अटेंड किया ……..नेहा का घाव चेक कर के उसने बताया कि कोई ख़तरे वाली बात नही है ……..चाकू बहुत गहरे तक नही पहुँच पाया था , बस एक कट लगा था ………उसने ड्रेसिंग कर दी और साथ ही एक इंजेक्षन भी लगा दिया ………….. उसने कुछ दवाइयाँ भी दे दी ...........

फिर ½ घंटे बाद मैं नेहा को लेकर अपने घर पहुँच गया……….. मैने घर के अंदर आकर उसको बेड पर लिटाया और फिर किचन में जाकर एक गिलास पानी ले आया ……… शायद यह इंजेक्षन का असर था जो वो आधी-बेहोशी की हालत में लग रही थी ……….मैने उसको सहारा
देकर बैठाया और उसको मेडिसिन्स खिलाई………..और फिर से लेटा दिया…………

मैं उस के पास बैठ गया और उसका हाथ अपने हाथ में पकड़ लिया ……..उसने अपनी आँखे खोली और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराइ …………मुझे अन्यास ही उस पर बे-तहाशा प्यार आने लगा ………..इस लड़की ने मेरी जान बचाने के लिए , खुद की जान की परवाह नही
की ……………मैने झुक कर उसके माथे पर चूम लिया …..

उसने फिर से आँख खोली और कहा………
“ क्या हुआ ……….तुम्हारे इरादे तो नाके हैं ? “ कह कर वो शरारत के साथ मुस्कुराइ ………….एक फीकी सी हँसी , कुछ ही देर में वो बहुत ज़्यादा कमजोर लगने लगी थी ..........

“ हाँ मेरे इरादे तो नेक ही हैं …………पर तुम्हे क्या हो गया था ? …….तुम क्यों अपनी जान पर खेल रही थी ?………..” मैने कहा तो वो फिर धीरे से मुस्कुराइ और बोली …..

“ कुछ भी तो नही ………मैं तो बस तुम्हे बचाने की कोशिश कर रही थी राजीव ……..” फिर उसने आँखें बंद कर ली , शायद दर्द की वजह से …………..

मैं थोड़ी देर यूँ ही चुप चाप बैठा रहा ……उसकी आँखे अब भी बंद थी …….शायद दवाई का असर था जो उसको नींद के आगोश में ले जा रहा था ……..

मैने उसको एक चादर ओढ़ाई ………….और फिर अपने शूस निकाल कर , उसके पास ही रखी एक कुर्सी पर बैठ गया ……………..

पता नही कौन था जिसने मुझ पर हमला किया था………..उसका मकसद मेरी जान लेने का था, या सिर्फ़ मुझे डराना चाह रहा था…….जो भी था, मुझे कम से कम यह तो पता चल गया था कि इस दुनिया में मेरा एक दुश्मन भी है ………पर क्यों ? ….क्या वजह थी दुश्मनी की ?
…….क्या नेहा की वजह से कोई मुझे मारना चाहता था ? ………….अगर ऐसा था तो वो कौन हो सकता था ? ……….क्या उसका पति ,
नीरज ?..........या करण ? ………या कोई और ?

सवाल बहुत सारे थे ………पर जवाब मेरे पास भी नही था , और शायद नेहा के पास भी नही ……..जो इस समय बेसूध हो कर सो रही थी …………मैं कुर्सी पर बैठा हुआ उसको देखता रहा और फिर जब नींद आने लगी तो बेड पर उसके पास ही लेट कर सो गया………..

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#60

मेरी आँख खुली तो मैने देखा कि नेहा अभी भी सो रही थी ………मैं कल रात बाल्कनी का दरवाज़ा बंद करना भूल गया था , इसलिए सुबह की ताज़ी हवा अंदर आ रही थी और सर्दी का एहसास करवा रही थी ………..मैने नेहा की तरफ देखा , शायद रात की दवाई का असर अभी भी उसके ऊपर था…….वो एक करवट से लेटी हुई थी , अपना एक हाथ अपने माथे पर रखे हुए …………मैं एक शीट (चादर) उसके ऊपर डाल दी और खुद उठ कर कमरे से बाहर आ गया ………

अगले एक घंटे तक मैं अपने डेली रुटीन के काम निपटा-ता रहा और फिर नहाने के बाद किचन में चला गया ……वहाँ मैने 2 कप चाय बनाई और फिर दोबारा से बेडरूम में आ गया……….

9.00 बज चुके थे ...........नेहा अब भी गहरी नींद में सोई हुई थी …मैने चाय की ट्रे साइड टेबल पर रखी और फिर उसके नज़दीक , बेड पर बैठ गया ……….वो अब सीधी होकर सो रही थी , बिल्कुल किसी मासूम बच्चे जैसी मुस्कुराहट उसके चहरे पर थी ……..मैं नीचे को झुका
और उसका माथा चूम लिया ……

कोई हरकत नही हुई ………मैने फिर दो बार उसके गाल को चूमा , फिर से कोई हरकत नही हुई ……और फिर मुझ से रहा नही गया, मैने पहले उसके होंठों को हौले से चूमा और फिर उसके निचले होंठ को अपने होंठो में दबा कर चूसना शुरू कर दिया …..इश्स बार तुरंत ही
रेस्पॉन्स मिला , कुछ सेकेंड्स में ही वो कस-मसा कर उठ गयी ………पहले तो वो चौंक सी गयी और फिर सारी स्तिथि को समझते हुए उसके चेहरे पर एक स्माइल आती चली गयी ………….

“ यह क्या तरीका है किसी को जगाने का ? “ वो लेटे लेटे ही , मेरे बालो में उंगिलयाँ घमते हुए........एक बनावटी गुस्से के साथ बोली …….

“ मैं कहाँ तुम्हे जगा रहा था, तुम तो खुद-ब-खुद ही जाग गयी ….” मैने हंसते हुए कहा ………..

“ पर आपकी इस हरकत की वजह से ही तो जागी ना ? “ उसने कहा और फिर धीरे से उठ कर बैठ गयी ……….उठ-ते समय उसके चहरे पर एक दर्द का एहसास दिखाई पड़ा..

“ तुम्हारा हाथ अब कैसा है ?” मैं गंभीर होता हुआ बोला ……………

“ पहले से काफ़ी बेहतर …….” उसने कहा और फिर साइड टेबल की तरफ देखते हुए बोली ‘ यह चाय तुमने बनाई है ? “

“हां………..यही एक चीज़ है जो मैं किचन में बना सकता हूँ …..” मैने कहा और फिर हम दोनो एक साथ हंस पड़े ……….

हम दोनो धीरे धीरे चाय पीते रहे और फिर मैने उसको आराम करने को कहा………पर उसने बोला की अब वो ठीक है और अपने घर जाना चाहती है ….

“ तुम यही फ्रेश हो लो , फिर ब्रेकफास्ट करने के बाद मैं तुमको घर छोड़ आऊंगा …” मैने कहा ..

“ ठीक है , लाओ मैने ब्रेकफास्ट तय्यार कर देती हूँ …”

“ तुम्हारी हालत है अभी कुछ काम करने की ? ………तुम सिर्फ़ फ्रेश हो जाओ , ब्रेकफास्ट रेस्टोरेंट से आ जाएगा …….” मैने कहा और फिर
उस से पूच्छ कर ब्रेकफास्ट का ऑर्डर दे दिया …………

वो बाथरूम में चली गयी …..और फिर बाहर निकल कर बोली “ पर राजीव , मेरे कपड़े तो हैं ही नही ………मैं नहा कर क्या चेंज करूँगी ………..”
“ फिलहाल तो कोई ऑप्षन नही है ………तुम्हे यह ही कपड़े पहन-ने पड़ेंगे ……..हां तुम चाहो तो , इनको उतारने में मैं तुम्हारी हेल्प कर सकता हूँ “ आख़िरी बात मैने शरारत के साथ कही और फिर धीरे धीरे उसकी तरफ बढ़ने लगा ………….

“ जी नही ……….अभी मेरा मूड , आप से कपड़े उतरवाने का नही है ……” वो हँसती हुई बोली और फिर मुझे जीभ दिखा कर , जल्दी से
बाथरूम में चली गयी ……..

मैं भी हंसता हुआ वापस बेडरूम में आ गया और बेड पर बैठ कर टीवी ओं कर लिया…………मैं थोड़ी देर तक न्यूज़ चॅनेल्स को देखता
रहा…….कि अचानक दरवाज़े की बेल बज उठी …….

“ कोई रेस्टोरेंट से ब्रेकफास्ट लेकर आया होगा “ सोचता हुआ मैं दरवाज़े पर पहुँचा और उसको खोल दिया ………मेरी उम्मीद से अलग ,
दरवाज़े पर कमल खड़ा हुआ था ….एएसपी कमल कांत ……..उसके साथ 2 और पोलीस वाले भी थे …….

मैं उसको देख कर चौंक गया था , इसलिए कुछ सेकेंड्स मेरे मुँह से कोई शब्द नही निकला , फिर उसने ही कहा …..

“ क्या मैं अंदर आ सकता हूँ , राजीव ? “

“ हाँ…..श्योर कमल ……प्लीज़ कम इन “ मैने कहा और उनको साथ लेकर ड्रॉयिंग रूम में आ गया…….वो तीनो , और साथ में मैं भी ..सोफे पर बैठ गये ……

फिर कमल ने ही बात आगे शुरू की ……..
“ कल क्या हो गया था राजीव ……मुझे पता लगा है कि तुम पर किसी ने हमला किया था …………? “

मैं अभी जवाब देने के लिए मुँह खोल ही रहा था कि अंदर से नेहा की आवाज़ आई …

“ राजीव !!! ………….प्लीज़ ज़रा टवल दे देना ……..मैं साथ ले जाना भूल गयी थी ……..”

आवाज़ सुन कर कमाल चौंक गया, और साथ ही मैं भी ……….वो शायद मुझे अकेला ही समझ रहा था ….और मैं भी यह सब एक्सपेक्ट नही कर रहा था …….

मैं उठ कर अंदर बेडरूम में आया और एक टवल ले कर बाथरूम के पास आ गया ……..नेहा बाथरूम का दरवाज़ा आधा खोले हुए खड़ी थी और खुद को दरवाज़े की ऑट में किया हुआ था …….पर जो भी दिख रहा था , वो किसी का भी ईमान डिगाने के लिए काफ़ी था ……. कोई और टाइम होता तो शायद मैं भी कोई ना कोई शरारत ज़रूर करता , पर अभी यह सही टाइम नही था …….मैने उसको टवल दिया और जल्दी से बाहर आने के लिए कह कर वापस ड्रॉयिंग रूम में चला गया …….

फिर मैने कमल को कल वाली पूरी घटना सुनाई ……और फिर आख़िर में बोला …” नेहा को मैं डॉक्टर के पास ले गया था …उसके बाद वो आधी बेहोशी की हालत में थी , इसलिए मैं उसको यहाँ ले आया ……..क्यों कि वो अकेली ही रहती है , और वहाँ कोई भी नही था उसकी देखभाल के लिए ………”

“आइ अंडरस्टॅंड राजीव ………….पर तुम्हे क्या लगता है , कौन हो सकता है तुम पर हमला करने वाला ? “

इतने में ही नेहा भी वहाँ पर आ गयी …….. उन दोनो ने एक दूसरे को विश किया और नेहा भी वहीं एक सोफे पर बैठ गयी …………..

“ पता नही कमल ………..मेरी तो खुद भी समझ में नही आ रहा कि मेरा कौन दुश्मन पैदा हो गया है ……..तुम तो मुझे जानते ही हो , मैं खुद भी बहुत कम लोगो से जान-पहचान रखता हूँ ……..फिर किसी से दुश्मनी का तो सवाल भी पैदा नही होता ….” मैने उसको समझाया …….

“ सही कह रहे हो राजीव ……..जहाँ तक में तुमको जानता हूँ, तुम्हारा कोई दुश्मन होना संभव नही है ………पर वो सब बात कुछ दिन पहले की है , मुझे नही मालूम कि अगर इस बीच तुम्हारी लाइफ में कोई नया चेंज ना आ गया हो…….. ” उसने कहा और एक बार नेहा की
तरफ अर्थ-पूर्न तरीके से देखा ……..और आगे बोला
“ वैसे मुझे नही लगता कि उन लोगो ने तुम से कोई लूट-पाट करने की नियत से हमला किया होगा............. वरना वो थोड़ी देर तो वहाँ ज़रूर रुकते............उनका मकसद सिर्फ़ तुम्हे नुकसान पहुँचाना ही था .........................आप दोनो अपने स्टेट्मेंट लिखवा दो , और जो भी कुछ
आपको उन बाइकर्स के बारे में याद है, सब कुछ लिखवा दीजिए. ……”

फिर मैने और नेहा ने कमल के साथ आए हुए पोलीस वालो को अपने स्टेट्मेंट्स लिखवा दिए और जो कुछ भी मुझे उस बाइक और बाइकर्स के बारे में याद था, उनको एक्सप्लेन कर दिया …………

फिर कमल अपनी सीट से उठ गया और साथ ही उसके दोनो साथी भी ………….

“ अभी मैं चलता हूँ राजीव ………….कोशिश करता हूँ कि उन दोनो के बारे में कोई सुराग हाथ लग सके …………….मुझे तुम से कुछ ज़रूरी बात भी करनी थी , पर अभी लगता है सही समय नही है ………..हो सके तो जल्दी ही मुझ से मिलने की कोशिश करना “

फिर उसने मुझ से हाथ मिलाया और घर से बाहर निकल गया ……..हम दोनो भी वापस अंदर आ गये ………. रेस्टोरेंट से ब्रेकफास्ट आ गया और हम दोनो ने बिना कुछ ज़्यादा बात किया, नाश्ता किया ………. फिर हम दोनो बिल्डिंग से नीचे आ गये और मैं उसको उसके घर
छोड़ने के लिए चल दिया………….
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#61

नेहा को उसके घर छोड़ने के बाद मैं बॅंक साइट पर चला गया……..आउटर कन्स्ट्रक्षन का काम अब लास्ट स्टेज पर था….मैं सीधा वॉल्ट सेक्षन में गया और टेस्टिंग्स को चेक करने लगा…………सारे वॉल्ट्स और पासवर्ड्स अब सही काम कर रहे थे ……करीब 2 घंटे तक सब कुछ चेक करने के बाद मैं वहाँ से बाहर निकला और ऑफीस की तरफ चल दिया……..

मुझे फिर से नेहा का ख्याल आया…….मैने उसको मोबाइल पर कॉल किया , 2-3 बेल बजने के बाद उसने कॉल रिसीव कर ली ..

“हेलो राजीव …….!!!”

“हाई नेहा ……..कैसी हो ? “ मैने पूछा

“मैं ठीक हूँ ……..पर तुम्हे क्या हो गया है राजीव .? अभी 2 घंटे पहले ही तुमने मुझे घर छोड़ा था , अब फिर क्या हो गया ? “ वो हंसते हुए बोली ….

“ अर्रे .!!......मैं तुम्हारी फ़िक्र कर रहा हूँ और तुम मुझ पर हंस रही हो ? …….यार, तुम्हारा हाल जान-ने को फोन किया था …….” मैं बोला …..

“ हाल तो सही है……पर यहाँ घर पर बैठी हुई बोर हो रही हूँ “ उसने एक लंबी सी साँस लेकर कहा …………..

“मैं आ जाऊं ? तुम्हारी बोरियत दूर करने के लिए …” मैने फिर से हंसते हुए कहा ………….

“ आ जाओ …………पर मुझे साथ ले जाने के लिए ……..अगर तुम ऑफीस जा रहे हो तो ? “ वो बोली ………..

“ क्या यार ? ……ऐसी हालत में भी तुम्हे ऑफीस की लगी हुई है…….आज आराम कर लो………” मैं तोड़ा गुस्सा दिखाता हुआ बोला ………….

“ पर मैं यहाँ बोर हो रही हूँ राजीव …………..प्लीज़…..अगर तुम ऑफीस जा रहे हो तो मुझे भी साथ ले चलो “ उसने फिर से कहा ……

“ ओके……….मैं आ रहा हूँ ,तुम तयार होकर अपने घर के बाहर मिलो “ मैने कहा और गाड़ी उसके घर की तरफ मोड दी …………….

1 घंटे के बाद हम दोनो साथ-साथ ऑफीस पहुँच गये ……..मैं अपने ऑफीस में चला गया और वो अपने ऑफीस में ……………

अपने कॅबिन में जाकर मैं काम में बिज़ी हो गया ………..बॅंक वॉल्ट का काम निपत चुका था और कल मुझे उसकी टेस्टिंग करनी की , मिस्टर.चौधरी के साथ …….इसलिए आज मैं काफ़ी फ्री महसूस कर रहा था …………1 घंटे मैं यूँ ही अपने पेंडिंग काम निपटा-ता रहा और फिर नेहा को फोन लगा दिया ………

“ हाई ……………” उसके फोन उठाते ही मैने कहा ………

“ हां बोलो राजीव ? “ उसने कहा ………

“ कुछ नही ……….बस ऐसे ही तुमसे बात करने का दिल चाह रहा था …” मैं बोला , थोडा रमंटिक सी आवाज़ बना के ……….

“ तुम पागल तो नही हो गये हो राजीव… ……………आज तो बिल्कुल किसी मजनू जैसी हरकते कर रहे हो ………..” वो हंसते हुए , धीमी सी आवाज़ में बोली ……..

“ यही समझ लो ……………….अच्छा सुनो, मेरे कॅबिन में आ जाओ ……..” मैने कहा …….

“ क्यों ? ………….”

“ क्वेस्चन नही !!..........तुम्हारा बॉस हूँ , तुम्हे जब चाहे , जहाँ चाहे बुला सकता हूँ ……..” मैने हंसते हुए बोला …………

“ ओके बॉस ………..बंदी अभी हाजिर होती है ……….” उसने कहा और फिर फोन डिसकनेक्ट कर दिया………

मैं अपने आप ही मुस्कुरा दिया और उसके आने का वेट करने लगा…………5 मिनिट बाद ही दरवाज़े पर नॉक हुई और नेहा ने अंदर झाँका ………..फिर वो मुस्कुराती हुई , मेरे सामने वाली सीट पर आकर बैठ गयी ………

“ कहिए बॉस ………क्या हुकुम है ? “ वो हंसते हुए बोली …….हमेशा की तरह उसकी हँसी दिलकश लग रही थी ………..

“ ऐसे नही …….मेरे पास आकर बैठो ….” मैं शरारत से हंसता हुया बोला ….

“ कहाँ …? आपकी गोद में …………? “ वो बोली तो मैं झट से अपनी सीट से उठ गया ….और बोला

“ अपने बॉस से ज़्यादा सवाल नही पूच्छने चाहिए ……….. समझी ……चलो जल्दी से यहाँ आ जाओ “ मैं आज पूरी मस्ती के मूड में था ……..वो भी समझ चुकी थी , उसने एक बार फिर मुस्कुराते हुए मुझे देखा और फिर धीरे से उठ खड़ी हुई और फिर टेबल का चक्कर लगाते हुए मेरे पास आ कर खड़ी हो गयी ………….

“और कोई आदेश मेरे लिए …….? “ बड़ी अदा से मुस्कुराती हुई वो बोली ……..मैने उसका हाथ पकड़ा और उसको अपने पास खींच कर ,
सच में ही अपने गोद में बिठा लिया ………..

फिर मैने उसके चहरे को अपने दोनो हाथों में पकड़ लिया और धीरे से अपने नज़दीक खींच लिया……..हम दोनो के चहरे एक दूसरे के नज़दीक आ गये , इतने नज़दीक की एक दूसरे की सांसो को महसूस कर सकें ………..

कुछ सेकेंड्स हम दोनो एक दूसरे की आँखों में झाँकते रहे …….फिर मैने उसको और नज़दीक खींचा और उसके होंठ मेरे होंठों से आकर जुड़ गये ………

मैने उसके होंठों पर कुछ छोटे छोटे किस किए और फिर जैसे ही उसके निचले होंठ को अपने होंठों में भर कर चूसना शुरू किया ……….एक आवाज़ ने मुझे चौंका दिया ………
यह मेरे कॅबिन का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ थी …….सिर्फ़ एक ही इंसान था जो बिना नॉक किए मेरे रूम में आ सकता था
……….मिस्टर.विजय चौधरी ………जो इस समय रूम के खुले हुए दरवाज़े पर खड़े हुए थे …….उनके चेहरे पर हैरानी सॉफ दिखाई पड़ रही थी …………जो कुछ उन्होने देखा था वो शायद इसकी कल्पना भी नही कर सकते थे …………..

हैरान तो हम दोनो भी थे ……………जैसे ही हमें होश आया , हम जल्दी से अलग अलग हो गये ……….नेहा तुरंत मुझ से अलग हो कर ,
मेरे पीछे पड़ी हुई रॅक की तरफ घूम गयी और वहाँ रखी हुई फाइल्स में कुछ ढूँढने का नाटक करने लगी ………

और मैं तो मानो शरम के मारे ज़मीन में गढ़ा जा रहा था………..मैं कुछ सेकेंड्स यूँ ही गर्दन झुकाए खड़ा रहा ………तब तक , जब तक मिस्टर.चौधरी नही बोले ……” मैं तुमसे कुछ बात करने आया था , राजीव ……….5 मिनिट बाद मेरे ऑफीस में आकर मिलो “ कहकर वो
पलटे और चले गये ………….

उनके जाते ही नेहा ने भी एक बार पलट कर मेरी तरफ देखा ……..उसकी आँखें बता रही थी कि वो कितना सहमी हुई थी …….फिर वो भी तेज़ी के साथ वहाँ से चली गयी ……मैं अपनी सीट पर बैठ गया और जो कुछ अभी हुआ उसके बारे में सोचने लगा …..मैं खुद भी
मिस्टर.चौधरी को सब कुछ बताने वाला था ……पर जिस तरह उन्हे यह बात पता चली थी , उस से उन्हे निश्चित ही दुख हुआ होगा …..और उनसे ज़्यादा मुझे ……

फिर मैने अपनी कुछ फाइल्स उठाई और धीमे कदमो के साथ उनके रूम की तरफ चल दिया……..
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#62

मिस्टर.चौधरी के रूम के बाहर जाकर मैने नॉक किया और फिर धीरे से अंदर झाँका………उनके सामने स्टाफ का एक आदमी खड़ा हुआ था और वो कुछ पेपर्स साइन कर रहे थे …….. मैं अंदर गया और उनके सामने पड़ी हुई चेर्स में से एक पर बैठ गया …..
वो पेपर्स साइन करते रहे और मैं सर को झुकाए बैठा रहा ………..मेरे ऊपर उनकी शख्सियत का एक अलग ही असर था……..बिल्कुल जैसे एक छोटा बच्चा अपने घर के बड़े लोगो से डरता है , ठीक वैसा ही मेरे साथ भी था ……….. मैं उनसे कभी फालतू बात नही करता था ,
और मैं समझ नही पा रहा था कि आज की इस हरकत पर मैं उनको क्या सफाई दूँगा ……..

उनके सामने खड़ा आदमी फाइल्स लेकर बाहर निकल गया , तब वो मुझ से बोले …….

“ बॅंक वॉल्ट का काम कहाँ तक पहुँचा राजीव ? “

“ जी , कंप्लीट हो चुका है …….मैने आज सारी टेस्टिंग्स भी कर ली है …” मैने धीरे से बोला…….

“गुड ……….और कन्स्ट्रक्षन वर्क ? “ वो फिर आगे बोले …..

“ वो भी कॉम्पलते होने वाला है सर ………..आइ थिंक , बाइ नेक्स्ट कपल ऑफ डेज़.” मैने बताया…..

“ वेरी गुड ……….तो फिर हम उन लोगो को डेमो के लिए कब बुला सकते है ? “ वो मेरी तरफ देखते हुए बोले , हमेशा की तरह बिल्कुल शांत स्वर में …….

\“ कल के बाद जब भी आप चाहें ? …..मैं चाहता हूँ कि कल एक बार आप खुद सब कुछ चेक कर कें ? “ मैने कहा …..

“ ओके ………तुम कल का प्रोग्राम सेट कर लो , कल हम सब एक बार चल के देख लेंगे ………”

“ ओके सिर …………..आइ विल अरेंज “ मैने कहा और फिर चुप चाप बैठ गया ……..मुझे मालूम था कि अब वो क्या बात करेंगे , और वही हुआ ….कुछ सेकेंड्स अपने सामने रखे लॅपटॉप को देखने के बाद , वो मेरी तरफ देखने लगे और बोले ……..
“ कल तुम्हारे ऊपर किसी ने हमला किया और तुमने मुझे बताया भी नही ? “

“ जी………आपको कैसे पता लगा ? “ मैने उनसे उल्टा सवाल किया …

“ कैसी बात कर रहे हो राजीव ? तुम जानते हो राज नगर कोई बहुत बड़ा शहर नही है …, यहाँ छोटी सी बात भी बहुत ज़्यादा दिनो तक छुपि नही रह सकती , और यह तो हमारे अपने बेटे के साथ घटी घटना थी ……….तुमने उस ही समय हमें फोन क्यों नही किया ?” वो थोड़ा नाराज़गी भरे हुए स्वर में बोले ……

“ छोटी सी बात थी सर……….मुझे आपको डिस्टर्ब करना सही नही लगा …” मैने कहा और फिर सर नीचे झुका लिया ………..उनकी आँखों का सामना करने की हिम्मत मेरे अंदर नही थी …………..

“ छोटी सी बात नही है राजीव ………..मेरे लिए यह जान-ना बहुत ज़रूरी है कि वो कौन है जो तुम्हारी जान का दुश्मन है , और क्यों ? “ उन्होने कहा….फिर अपने सामने रखे गिलास में से पानी पिया और बोले ..

“ वैसे कल तुम्हारे साथ नेहा भी थी ना ? “

मैं कुछ सेकेंड्स चुप रहा और फिर बोला “ जी हां ……….और उसको ही चोट लगी है ……..मेरे ऊपर जो चाकू से वार किया गया था, वो उसने अपने ऊपर ले लिया….”

“ ह्म्‍म्म्म…………..मैं तुमसे इस ही बारे में बात करने तुम्हारे कॅबिन में आया था ………..” वो बोले और फिर कुछ सेकेंड्स लॅपटॉप की स्क्रीन को देखने के बाद , मेरी तरफ देखे बगैर बोले “ तुम नेहा को अच्छि तरह से जानते हो ना ? “

“ जी हां ……..” मैने जवाब दिया …

“ सब कुछ ……. मेरा मतलब है उसकी पिच्छली जिंदगी के बारे में भी ?.”

“ जी हाँ ……… “

“ कैसे …? “

“ जी........उसने खुद ही बताया था ……”

वो फिर मेर तरफ घूम गये और बोले “ तुम्हे लगता है कि उसने तुम्हे सब कुछ सच सच बताया होगा ? “

“ जी हां ……मुझे उम्मीद तो यही है …..” मैं धीरे से बोला ..

“ और तुम्हे क्या लगता है ……..जो कुछ उसके साथ बीता , उसके बाद भी वो तुम्हारे लिए एक सही चाय्स है ? “

“ जी हाँ सर , मुझे तो ऐसा ही लगता है ……..और जो कुछ भी उसके साथ हुआ सर , उसमें उसकी तो कोई ग़लती नही है “

“ तुम्हे शायद ऐसा लगता है राजीव ………पर हर कोई ऐसा नही समझता ……”

कुछ देर के लिए हम दोनो ही चुप हो गये ………और फिर एक लंबी साँस लेकर वो आगे बोले …………

“ ह्म्‍म्म्म……..मैं हमेशा से तुम्हे एक समझदार और सुलझा हुआ इंसान मानता हूँ ………अपने से भी ज़्यादा समझदार……पर मेरा यह तज़ुर्बा है कि कभी कभी दिल दिमाग़ पर हावी हो जाता है और उस हालत में समझदारी काम नही आती है …………… इसलिए , जो तुम्हे ठीक लगे , वो ही करना ……..पर अच्छि तरह सोचने और समझने के बाद” फिर कुछ सेकेंड्स रुकने के बाद वो आगे बोले …..” वैसे मैने तुम्हारे लिए
कुछ और ही सोचा हुआ था राजीव …… पर यह तुम्हारी अपनी लाइफ है और मैं इस का फ़ैसला तुम्हारे ऊपर ही छोड़ता हूँ ……..”

“ थॅंक्स सर …………..”

“ ठीक है फिर ……….कल सुबह साथ साथ बॅंक चलते हैं ………फिर नेक्स्ट प्रॉजेक्ट पर डिसकस करेंगे …………” कहते हुए वो फिर से अपने लॅपटॉप की स्क्रीन में बिज़ी हो गये …………और मैं उठ कर बाहर आ गया…………..

मैं अपने कॅबिन में वापस आ गया……. मैं बहुत खुश था क्यों कि मैं खुद भी नेहा के बारे में मिस्टर.चौधरी को बताना चाहता था , पर समझ नही पा रहा था कि कैसे बताऊं……..अब क्यों कि सारी बात खुद-ब-खुद ही क्लियर हो गयी थी ……..मेरे लिए यह एक सर्प्राइज़ से कम नही था ……….

मैं कल के टेस्टिंग की तय्यारी करने लगा………शाम करीब 5 बजे तक मैं बिज़ी रहा और फिर जब मैं वहाँ से निकलने की सोच रहा था , तब मैने नेहा को फोन लगाया ……..उसके इंटरकम की घंटी बजती रही पर फोन नही उठाया …

फिर मैने उसके मोबाइल पर ट्राइ किया………काफ़ी देर बेल बजने के बाद उसने कॉल रिसीव की ……

“हेलो ………..”

“नेहा…………कहाँ हो तुम ? “ मैने पूछा..

“मैं घर पर आ गयी थी राजीव ……………” उधर से बहुत धीमी आवाज़ आई ……..

“ अचानक !!! ……………क्या हुआ ? “

“ कुछ नही ………..बस ऐसे ही , तबीयत कुछ ठीक नही लग रही थी ….” उसने जवाब दिया…

“ओह्ह………….डॉक्टर के पास चलना हो तो बताओ , मैं आ जाता हूँ ………” मैने कहा …

“ नही ……….इसकी ज़रूरत नही है राजीव……….कुछ देर आराम करूँगी तो शायद सही हो जाएगा ……………”

“ ओके……….ठीक है , तुम आराम करो …….किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे कॉल कर देना , मैं अब घर ही जा रहा हूँ……” मैने कहा और फोन डिसकनेक्ट कर दिया ………..

फिर मैं अपने ऑफीस से बाहर निकल कर , बिल्डिंग से नीचे आ गया………थोड़ी देर बाद ही मैं अपनी गाड़ी में बैठा हुआ , घर की तरफ जा रहा था ……….. मिस्टर.चौधरी से बात करने के बाद और उनकी तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद , मेरा मूड था की आज मैं नेहा के
साथ इस को सेलेब्रेट करूँ , पर उसकी तबीयत अचानक खराब होने की वजह से मेरा सारा प्रोग्राम चौपट हो गया था…….. मिस्टर.चौधरी के अचानक मेरे कॅबिन में आ जाने से वो शायद काफ़ी डर गयी थी , और वही डर अब भी उसकी आवाज़ में झलक रहा था ………….

“ चलो कोई बात नही ……आज ना सही , फिर कभी सही “ मैने मन ही मन सोचा और फिर गाड़ी तेज़ी से अपने घर की तरफ बढ़ा दी …………..
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#63

वो पूरी शाम मैने अपने घर में अकेले बिता दी ………एक बार मेरे दिल में आया भी कि क्यों ना , क्लब चला जाए …….पर फिर मैने घर में ही आराम करने का फ़ैसला किया…….

अगले दिन सुबह , मैं हमेशा की तरह टाइम पर ऑफीस पहुँच गया …फिर वहाँ से कुछ देर बाद ही हम सब लोग बॅंक की तरफ चल दिए ……..हम सब में मेरे अलावा , मिस्टर.चौधरी , शरद , कारण , निधि , राजन और 2 और लोग थे ……
..
सुबह 11 बजे के आस-पास हम बॅंक पहुँचे …….. लक्ष्मी बॅंक , राज नगर के सबसे शानदार और व्यस्त इलाक़े , भगत सिंग चौक पर था …………यह एक 2 साइड ओपन बिल्डिंग थी ………फ्रंट में बॅंक था और उसके ही एक साइड में वॉल्ट बनाया गया था……….एंट्रेन्स में एक बड़ा सा लोहे का गेट था, जहाँ दोनो तरफ सेक्यूरिटी गार्ड्स के लिए कॅबिन्स बने हुए थे ………उसके बाद एक बड़ा सा पार्किंग प्लेस , जहाँ 2 बड़ी गाड़ियाँ ( ट्रक्स ) एक साथ खड़े हो सकते थे ……फिर उसके बाद वॉल्ट का मेन एंट्रेन्स गेट ……….

हम सब वॉल्ट के मेन एंट्रेन्स से अंदर बने हुए एक हॉल में खड़े हुए थे ……… और मैं सबको वॉल्ट की वर्किंग के बारे में समझा रहा था……..

“ मेन एंट्रेन्स से अंदर आने के लिए गेट पर एक स्पेशल औथराइजेशन लेटर दिखना पड़ेगा , जो गवर्नमेंट ऑफीस से या फिर हमारे ऑफीस से इश्यू होगा……….वॉल्ट के पर्मनेंट एंप्लायीस को भी स्पेशल आइडेंटिटी कार्ड्स इश्यू किए जाएँगे , जिसकी चेकिंग के बाद ही वो अंदर आ सकते हैं …………जहाँ हम खड़े हैं , यहाँ तक आने के लिए सिर्फ़ गेट पर ही अपनी आइडेंटिटी प्रूव करनी पड़ेगी , पर इसके आगे वही जा सकता है , जिसको यहाँ के सारे गेट्स के पासवर्ड्स मालूम होंगे ……..”

फिर मैं सामने बने हुए एक बड़े से दरवाज़े के पास पहुँचा ….वहाँ पर एक मशीन लगी हुई थी , ठीक वैसी ही जैसी अटेंडेन्स मशीन्स होती हैं , पर उस से थोड़ी बड़ी ………..मैने अपनी जेब से एक कार्ड निकाला और उस मशीन के सामने ले गया ………तुरंत ही स्क्रीन पर पासवर्ड रिक्वाइयर्ड लिखा हुआ आने लगा …….मैने 5 डिजिट का एक पासवर्ड डाला , और फिर एक हल्की सी आवाज़ के साथ , लोहे का बना हुआ दरवाज़ा एक साइड में सरकने लगा …………..

हम सब उस दरवाज़े से अंदर आ गये ………..यह भी एक और बड़ा हॉल था , जिसकी 3 साइड्स में 12 दरवाज़े बने हुए थे , सबके बाहर वैसी ही मशीन्स लगी हुई थी , जैसी बाहर लगी हुई थी ………

“ फ्रेंड्स…………जैसा कि आपने बाहर देखा , एक स्पेशल कार्ड और पास्वोर्ड से ही यह सारे दरवाज़े खोले जा सकते हैं ……..ऐसा ही यहाँ भी है , हर एक दरवाज़े के लिए अलग अलग कार्ड और अलग अलग पासवर्ड …….कुल मिलाकर 13 अलग अलग पासवर्ड्स और कार्ड चाहिए सारे वॉल्ट्स को खोलने के लिए ….. हर एक दरवाज़े के अंदर की साइड में भी सेम ऐसी ही मशीन्स लगी हुई हैं ….आप हर एक मशीन के लिए टाइमर सेट कर सकते हैं ………..फॉर एग्ज़ॅंपल , अगर आपने 5 मिनिट का टाइम सेट किया है तो , 5 मिनिट के बाद वो पर्टिक्युलर दरवाज़ा अपने आप बंद हो जाएगा , और फिर अंदर से उसे कार्ड्स की हेल्प से ही खोला जा सकेगा …… ”

फिर मिस्टर.चौधरी ने मेरे हाथ से एक कार्ड लिया और मैने उनको , उस कार्ड से रिलेटेड वॉल्ट के सामने खड़ा कर दिया …..उन्होने कार्ड को मशीन पर टच किया और फिर पासवर्ड माँगने पर , मेरे द्वारा दिया गया प्व उसमें फीड कर दिया………एक हल्की सी आवाज़ हुई और वॉल्ट की दीवार एक साइड में खिसक गयी ………..

“ वेरी गुड जॉब राजीव ………………सीम्स वेरी इंप्रेस्सिव “ मिस्टर.चौधरी ने कहा…..

“ थॅंक्स सर …… “ मैने कहा…

अगला क्वेस्चन राजन ने किया ………. “ इसका मतलब , वॉल्ट ओपन करने के लिए जो भी यहाँ आएगा , उसको 13 अलग अलग कार्ड्स साथ लाने पड़ेंगे , और 13 पासवर्ड्स भी याद करने पड़ेंगे ………..? “

“ जी हां …..अगर सारे वॉल्ट्स खोलने हैं तो ……और अगर कुछ ख़ास वॉल्ट्स ही खोलने हैं , जैसा की आम तौर पर होता है , तो फिर उन वॉल्ट्स से रिलेटेड कार्ड्स और पासवर्ड्स ही चाहिए…….” मैने उनको समझाया ………

“ और कोई तरीका , जिसस से सारे वॉल्ट्स एक साथ खुल जायें ? “ इस बार शरद ने सवाल किया ………

“ जी हां ……..एक मास्टर पास्वोर्ड भी है , जो एक साथ सारे वॉल्ट्स खोल सकता है ……..उस के लिए आपको इस लॉकर को खोलना पड़ेगा “

मैने कहा और एक तरफ दीवार में बने हुए एक छोटे से होल में हाथ डाल दिया ………यह होल डोर से बहुत मुश्किल से दिखाई पड़ता था………अंदर एक लीवर लगा हुआ था , जिसको घुमाते ही एक छोटा सा दरवाज़ा खुल जाता था ……..और दीवार के अंदर एक 2’X 2” का लॉकर नज़र आने लगता था……….यहाँ भी एक मशीन लगी हुई थी …….मैने एक 10 डिजिट का पासवर्ड इस मशीन में डाला और फिर एक साथ सारे वॉल्ट्स खुलते चले गये ……………….

फिर मैं एक और बटन दबाया …और सारे वॉल्ट्स अपने आप बंद हो गये ………..

“ इसका मतलब , जिस आदमी को इस लॉकर का पासवर्ड पता है , वो सारे वॉल्ट्स खोल सकता है ……..? “ शरद ने अगला सवाल किया …………..

“ जी हां….” मैने सहमति में सर हिलाया……….

“और यह पासवर्ड किसके पास रहेगा ? “

“ फिलहाल तो सिर्फ़ मेरे पास है ……….वॉल्ट हॅंडोवर करने के बाद हम यह पास्वोर्ड इस के ओनर्स को दे देंगे , जो भी वहाँ पर हाइयर अतॉरिटी होगा ………और एमर्जेन्सी के लिए यह हमारे पास भी रहेगा ………. “ मैने कहा………

“ पर सिर्फ़ तुम्हारे पास ही क्यों …….?.” यह सवाल भी शरद की तरफ से ही आया ……….

“ आपने शायद मेरी बात सही से नही सुनी मिस्टर.शरद ……..मैने कहा , फिलहाल मेरे पास है ………..आगे जैसा सब डिसाइड करेंगे ……” मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ………..
फिर वहाँ मौजूद सब लोग एक-एक करके वॉल्ट्स को खोल कर चेक करने लगे ……….फिर राजन ने एक और सवाल किया ……….

“ राजीव………..अगर कोई ज़बरदस्ती इन वॉल्ट्स को खोलने की कोशिश करे तो ? आइ मीन रॉबरी ?

“ उसके लिए भी पहले तो बाहर मौजूद 12 गौरड़स से निबटना पड़ेगा ……….जो आगे और भी ज़्यादा बढ़ाए जा सकते हैं ………फिर बिना पासवर्ड्स और कार्ड्स के कोई इन वॉल्ट्स को खोल भी नही सकता ……. इस पूरे हॉल की सारी दीवारें , 3” मोटी स्पेशल स्टील शीट से बनी हुई है ……...जिसको काटना भी एक बड़ा काम है ……..” मैने समझाया ……

“ पर अगर कोई ज़बरदस्ती करना चाहे तो ……….आइ मीन गॅस कटर वग़ैरह यूज़ करके ?”

“ सबसे पहले तो इन में से किसी भी दीवार को अगर ज़बरदस्ती काटने की कोशिश की जाएगी तो एक अलार्म पास वाले पोलीस स्टेशन में बज जाएगा ……. एक एक वॉल्ट काटने में कम से 2 घंटे लग जाएँगे ………….और पोलीस को यहाँ पहुँचने में सिर्फ़ 10 मिनिट …………...इसके अलावा बहुत छोटे छोटे CCटV कॅमरास इन वॉल्स में छुपे हुए हैं , जो वाई-फाइ से कनेक्टेड है …………कोई भी आदमी , जिसको इस वाई-फाइ राउतर की आक्सेस मिली होगी , अपने घर पर बैठे हुए ही यहाँ की लाइव पोज़िशन चेक कर सकता है ………..अगर चाहें तो पोलीस स्टेशन में भी एक मॉनिटर लगाया जा सकता है ” मैने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ………….

“ इसका मतलब यह वॉल्ट बिल्कुल सेफ है ………….? “ मिस्टर.चौधरी ने सवाल किया ……

“ जी हां सर ……..ऑलमोस्ट “ मैने कहा ….” लेकिन कोई अगर सर पर कफ़न बाँध के , मरने के इरादे से ही आ जाए तो फिर मालूम नही वो क्या कर सकता है …….”

फिर उसके बाद सब लोग क्वेस्चन्स करते रहे और मैं उनके जवाब देता रहा ………
 
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