hotaks444
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राहुल की खुशी का ठिकाना ना था। अभी से ही उसने दो दो रसीले मलाईदार बुर का स्वाद चख चुका था। उसे खुद पर और अपनी किस्मत पर यकीन ही नहीं हो रहा था। क्योंकि वह खुद जानता था कि वह कितना शर्मिला और लड़कियों के मामले में कितना डरपोक था। वह हमेशा लड़कियों से कतराता रहता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों में उसका व्यक्तित्व बदल चुका था। लड़कियों के प्रति उसका डर कम होने लगा था कम क्या लगभग दूर ही हो चुका था। दो-दो नारियों के साथ सफलतापूर्वक संभोग को अंजाम दे चुका था। दोनों को पूरी तरह से संतुष्ट करने के बाद ही हटा था यही बात उसके लिए बहुत थी। उसे अपने लंड की ताकत पर गर्व होने लगा था। राहुल को अपनी ताकत का एहसास नहीं था उसे तो इन दोनों के मुंह से उसके लंड की ताकत की तारीफ सुनकर ही पता चला था।
नीलू भी तीन-चार घंटे में ही जितनी बार झड़ चुकी थी। इतनी बार वह कभी भी नहीं झड़ी थी। राहुल का लंड ले लेकर उसकी बुर में मीठा मीठा दर्द होने लगा था होता भी क्यों नहीं ... राहुल का लंड था ही इतना मोटा की उसकी बुर में घुसते ही बुर की चौड़ाई को बढ़ा दिया।
इसके बाद उसे कुछ दिनों तक सब कुछ शांत चलता रहा। नीलू और राहुल की नजरें उस स्कूल में न जाने कितनी बार टकराई दोनों मुस्कुरा कर रह जाते थे। दोनों अधीर हुए थे फिर से एक दूसरे में समाने के लिए लेकिन वैसा मौका उन दोनों को नहीं मिल पा रहा था। विनीत के होते हुए दोेनो थोड़ी सी भी छूट छाट लेने से भी घबराते थे। क्योंकि वह दोनों जानते थे कि विनीत को पता चलने पर मामला बिगड़ सकता था। नीलू चाहे जैसी भी की थी तो विनीत की गर्लफ्रेंड। जिसे विनीत बहुत प्यार करता था। और ऐसे में कौन प्रेमी चाहेगा कि उसकी प्रेमिका के संबंध उसके ही सबसे अजीज मित्र के साथ हो जाए। इसलिए नीलू और राहुल दोनों ही विनीत के सामने पड़ते ही एक दूसरे से कन्नी काटने लगते थे।
बुर का स्वाद चख चुका राहुल अब बुर के लिए तड़पता रहता था। अब वह हमेशा मौके के ही ताक में रहता था लेकिन अब मौका मिलना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था उसने बहुत बार कोशिश किया वीनीत के घर पर जाने की लेकिन उसकी ये कोशिश भी हमेशा नाकाम ही रही।
राहुल के सिर पर वासना इस कदर सवार हो चुकी थी कि वह घर में ही ताक-झांक करना शुरू कर दिया था। लेकिन इधर भी बस इक्का-दुक्का बार ही अलका के बदन की झलक मिल पाई और इससे ज्यादा बात नहीं बढ़ी।
बस वह रात को ही बीते हुए दिनों को याद कर कर के विनीत की भाभी के बारे में तो कभी नीलू के बारे में तो कभी अपनी मां के बारे में ही गंदी बातों को सोच सोच कर मुठ मारकर काम चलाया करता था।
अलका के मन में भी पिछली बातों को सोच सोच कर गुदगुदी होती रहती थी। विनीत से उसकी मुलाकात बाजार में हुआ करती थी विनीत तो बहुत चाहा की आगे बढ़ सके लेकिन अलका उसे अपनी हद में ही रहने को कहती रहती थी। हालांकि विनीत ने बहुत बार उसके सामने अपने प्यार का इजहार कर चुका था। लेकिन अलका हर बार मुस्कुरा कर टाल देती थी। क्योंकि वह अपने और विनीत के बीच उम्र की खाई को अच्छी तरह से पहचानती थी। दोनों के बीच में उम्र का बहुत बड़ा फासला था। जो कभी भी मिटने वाला नहीं था और वैसे भी अलका अच्छी तरह से जानती थी कि आजकल के लड़के किस लिए प्यार करते हैं हमें बस एक ही चीज़ से मतलब होती है। मतलब पूरा होने के बाद ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। धीरे धीरे अलका को यह समझ में आने लगा था कि वीनीत के मन में भी उसी चीज को पाने की ख्वाहिश घर कर चुकी है। विनीत की नजरें के बदन पर कहां कहां फिरती थी यह वह अच्छी तरह से जानती थी। लेकिन यह सब अलका को भी अच्छा लगने लगा था। उसकी नजरों की सिध को भांपकर वह मन ही मन खुश होती थी। अलका दिनेश के साथ बाजार में रूकती नहीं थी बस वह चलती ही रहती थी और विनीत भी उसके पीछे पीछे लगा रहता था जब तक की वह चौराहे से अपने घर की ओर ना मुड़ जाए। बाजार से लेकर चौराहे तक की दूरी नहीं वह अलका के मन को भा गया था। विनीत की फ्लर्ट करने वाली बातें अलका को अच्छी लगने लगी थी। अलका विनीत की बातों को सिर्फ सुनने तक ही लेती थी उसकी बातों को कभी गहराई तक नहीं ली। अलका किसी की भावनाओं में बह जाए ऐसी औरत नहीं थी। भावनाओं पर काबू करना उसे अच्छी तरह से आता था तभी तो इतने बरस गुजर जाने के बाद भी उसने अपने आप को संभाल कर रखी हुई थी। वीनीत जिस तरह से उसके पीछे लगा हुआ था उससे फ्लर्ट करता था अगर अलका की जगह कोई और औरत होती तो विनीत अपनी मंशा मे ना जाने कब से कामयाब हो चुका होता और वह औरत भी विनीत को अपना सब कुछ सोंप चुकी होती ।
धीरे-धीरे समय गुजर रहा था राहुल के साथ साथ विनीत और अलका की प्यास भी बढ़ती जा रही थी। वीनीत की तो प्यास उसकी भाभी बुझा देती थी। और भाभी नहीं तो नीलू तो थी ही उसके पास लेकिन सबसे ज्यादा तड़प रहे थे तो राहुल और अलका। दोनों अपनी प्यास बुझाने के लिए अंदर ही अंदर घुट रहे थे राहुल मुख्य मारकर शांत होता तो अलका अपनी उंगलियों से ही अपने आप को संतुष्ट करने में जुट़ जाती। जैसे तैसे करके दिन गुजर रहे थे।
सोनू के स्कूल की फीस भरनी थी जिसे पिछले तीन महीनों से अलका ने भर नहीं पाई थी। लेकिन अब भरना बहुत जरूरी था। । वरना स्कूल वाले सोनू का नाम काट देंगे यह बात सोनू ने ही अपनी मम्मी को बताई थी। करीब 1500 साै के लगभग फीस बाकी थी। जिसे भरना बहुत जरूरी था। अलका बहुत परेशान थी क्योंकि उसके पास में सिर्फ ₹800 ही थे। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी थे। यह ₹800 उसने 10 दिन के खर्चे के लिए बचा कर रखी थी जो कि बहुत मुश्किल से चलने वाला था। वह क्या करें अब उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अपनी मां को यूं परेशान बैठा हुआ देखकर राहुल उस से परेशानी का कारण पूछा।
तो उसकी मां ने सर दर्द का बहाना बनाकर बात को टाल दी। अलका घर में चाहे केसी भी परेशानी हो वह अपने बच्चों पर जाहिर होने नहीं देती थी। वह सारी मुसीबत को अपने ही सर ले लिया करती थी।
आज ना खाना बनाने में मन लगा और ना ही खाने में, जैसे तैसे करके रात गुजर गई। सुबह आंख खुलते ही फिर से वही फीस वाली टेंशन आंखों के सामने मंडराने लगी। इतनी बेबस वो कभी भी नजर नहीं आई इससे पहले भी फीस भरने की दिक्कते उसके सामने आई थी लेकिन जैसे तैसे करके वह निपटाते गई। लेकिन इस बार उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। मन में चिंता का भाव लिए वह बिस्तर से उठी और कमरे से बाहर आ गई । आज उठने में कुछ ज्यादा समय हो गया था, उसके दोनों बच्चे अभी तक सो रहे थे। उसे नाश्ता भी तैयार करना था वह सोची पहले जाकर राहुल और सोनू को उठा दे इसलिए वह राहुल के कमरे की तरफ बढ़ी। मन में चिंता के बादल घिरे हुए थे उसका मन आज नहीं लग रहा था उसे इस बात की चिंता थी कि सोनू की फीस कैसे भरी जाएगी क्योंकि घर खर्च के लिए जितने पैसे उसके पास थे उतने से भी काम चलने वाला नहीं था। यह सब चिंता उसे खाए जा रही थी। यही सब सोचते हुए वह राहुल के कमरे के पास पहुंच गई उज्जैन से ही दरवाजा खोलने के लिए उसने अपना हाथ बढ़ाई हाथ लगते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा। अपने आप दरवाजा खुलता देखकर उसका दिल धक कर रह गया उसे उस दिन का नजारा याद आ गया। उसके मन में तुरंत उत्तेजना के भाव उमड़ने लगे। फिर से वही ख्वाहिश उसके मन में जोर मारने लगी। जैसे ही दरवाजा खुला अलका का दिल खुशी से झूम उठा पल भर में फीस वाली चिंता फुर्र हो गई। सामने वही नजारा था जिसे देख कर उस दिन वो रोमांचित हो गई थी। दबे पांव वह कमरे में परवेश की धीरे-धीरे वह राहुल के बिस्तर की तरफ बढ़ने लगी। राहुल के बिस्तर के पास पहुंचते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया। राहुल बेसुध होकर सोया हुआ था। उसका लंड टनटना के खड़ा होकर छत की तरफ ताक रहा था । अलका अपने बेटे के इतने मोटे ताजे लंड को देखकर उत्तेजित हो गई वह एकटक अपने बेटे के लंड को देखती रही।
वह कभी राहुल की तरफ देख लेती तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ. कल का पूरी तरह से अचंभित थी क्योंकि राहुल के भोलेपन और उसकी उम्र को देख कर लगता नहीं था कि उसके पास इतना जानदार और तगड़ा हथियार होगा। अलका की जांघों के बीच सनसनी सी फैलने लगी। अलका का गला सूखने लगा था और उसके गाल अपने बेटे के लंड को देखकर शर्म से लाल होने लगे थे। उसने एक बार चेक करने के लिए कि वह वाकई में गहरी नींद में है या ऐसे ही लेटा हुआ है इसलिए उसको आवाज दी, लेकिन उसकी आवाज देने के बावजूद भी राहुल के बदलने में ज़रा सी भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गए कि राहुल गहरी नींद मैं सो रहा है। यह जानकर कि राहुल गहरी नींद में है उसके मन में हलचल सी होने लगी। नजरें लंड पर से हटाए नहीं हट रही थी। वह अपने बेटे के लंड को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं पाई और अपने कांपते में हाथ को अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ बढ़ाने लगी। हाथ को बढ़ाते हुए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। लंड और हथेली के बीच बस दो चार अंगुल का ही फासला रह गया था की अलका घबराहट में अपना हाथ पीछे खींच ली। उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी लंड को स्पर्श करने की चाहत मन में बनी हुई थी। बरसों बीत गए थे अलका को जी भर के लंड को देखे उसे हथेली में भर कर प्यार किए हुए, आज दूसरी बार अपने ही बेटे के लंड को देख कर उसका मन डोलने लगा था। उससे रहा नहीं गया और उसने वापस फिर से अपनी हथेली को लंड की तरफ बढाने़ लगी और पहली बार उसकी उंगली पर लंड के सुपाड़े का स्पर्श हुआ। सुपाड़े का गरम एहसास उंगली पर होते ही उसका हलक सूखने लगा। अलका का पूरा बदन झनझनाने लगा। वह कांपती हुई उंगलियों को सुपाड़े पर हल्के हल्के से रगड़ते हुए घुमाने लगी। सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी। अलका के मन में या डर बराबर बना हुआ था कि किसी भी वक्त राहुल जग सकता है लेकिन जो उसके मन में लालच था उस लालच ने उसे मजबूर किए हुए था।
अलका को उसकीे बुर पसीजती हुई महसूस होने लगी।
अलका का लालच बढ़ता जा रहा था। उसकी हथेली तड़प रही थी उसे उसके दबोचने के लिए, और उसने तुरंत अपने बेटे के लंड को अपने हथेली में दबोच ली। अलका का पूरा बदन कांप गया। ऊफ्फ..... यह क्या हो रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आया उसका बदन एकाएक अकड़ने ं लगा और वह भलभला कर झड़ने लगी। उत्तेजना में इतनी कस के राहुल के लंड को दबोच ली थी की उसका बदन कसमसाने लगा। उसके बदन में हलचल को देखकर अल्का ने तुरंत अपनी हथेली को लंड पर से हटा ली और बिस्तर से नीचे गिरी चादर को उठा कर राहुल के नंगे बदन को ढंक दी। राहुल वापस सो चुका था। राहुल का नंगा बदन चादर से ढक चुका था इसलिए अब अलका को उसे जगाने में ज्यादा मुश्किल नहीं थी। अलका ने राहुल को कंधे से पकड़कर हीलाते हुए उसे जगाई। अलका के इस तरह से जगाने से उसकी आंख खुल गई। राहुल की नींद खुलती हुई देखकर अलका ने उसे जल्दी से नहा कर तैयार होने के लिए कह कर जल्दी से कमरे से निकल गई।
राहुल अपने बदन पर चादर को पाकर संतुष्ट हुआ कि अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं देखा वरना आज तो गजब हो जाता। वह मन ही मन में बोला वह जानता था कि कमर के नीचे वह बिल्कुल नंगा था और इस समय भी उसका लंड उत्तेजित अवस्था में था। वह जल्दी से बिस्तर पर से उठ गया।
अलका बाथरुम में थी और मन ही मन में सोच रही थी कि एसा आज तक नहीं हुआ ' इतनी ज्यादा उत्तेजित वह कभी भी नहीं हुई थी जितना कि आज हुई। वाह आश्चर्य मे थी की मात्र अपने बेटे के लंड को छुने भर से ही वह इस कदर से झड़ी थी कि इस तरह सो आज तक नहीं झड़ी। इतना सोचते हुए वह बाथरुम में पूरी तरह से नंगी हो गई। उसका मन और ज्यादा विचरण करता इससे पहले ही उसने अपने सर पर एक बड़ा मग भर कर पानी डाल दी . तब जाकर उसका मन थोड़ा शांत हुआ वह जल्दी जल्दी से नहाकर बाथरुम से बाहर आ गई और नाश्ता तैयार करने लगी तब तक सोनू और राहुल दोनों तैयार हो कर नीचे आ गए। वह आज अपने बेटे से ही नजरें नहीं मिला पा रही थी उसे शर्म सी महसूस हो रही थी जैसे तैसे करके उसने दोनों को नाश्ता करवाया और दोनों को स्कूल भेज दी सोनू को जाते समय यह दिलासा दिलाई कि कल तक उसकी फीस भर दी जाएगी।
नीलू भी तीन-चार घंटे में ही जितनी बार झड़ चुकी थी। इतनी बार वह कभी भी नहीं झड़ी थी। राहुल का लंड ले लेकर उसकी बुर में मीठा मीठा दर्द होने लगा था होता भी क्यों नहीं ... राहुल का लंड था ही इतना मोटा की उसकी बुर में घुसते ही बुर की चौड़ाई को बढ़ा दिया।
इसके बाद उसे कुछ दिनों तक सब कुछ शांत चलता रहा। नीलू और राहुल की नजरें उस स्कूल में न जाने कितनी बार टकराई दोनों मुस्कुरा कर रह जाते थे। दोनों अधीर हुए थे फिर से एक दूसरे में समाने के लिए लेकिन वैसा मौका उन दोनों को नहीं मिल पा रहा था। विनीत के होते हुए दोेनो थोड़ी सी भी छूट छाट लेने से भी घबराते थे। क्योंकि वह दोनों जानते थे कि विनीत को पता चलने पर मामला बिगड़ सकता था। नीलू चाहे जैसी भी की थी तो विनीत की गर्लफ्रेंड। जिसे विनीत बहुत प्यार करता था। और ऐसे में कौन प्रेमी चाहेगा कि उसकी प्रेमिका के संबंध उसके ही सबसे अजीज मित्र के साथ हो जाए। इसलिए नीलू और राहुल दोनों ही विनीत के सामने पड़ते ही एक दूसरे से कन्नी काटने लगते थे।
बुर का स्वाद चख चुका राहुल अब बुर के लिए तड़पता रहता था। अब वह हमेशा मौके के ही ताक में रहता था लेकिन अब मौका मिलना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था उसने बहुत बार कोशिश किया वीनीत के घर पर जाने की लेकिन उसकी ये कोशिश भी हमेशा नाकाम ही रही।
राहुल के सिर पर वासना इस कदर सवार हो चुकी थी कि वह घर में ही ताक-झांक करना शुरू कर दिया था। लेकिन इधर भी बस इक्का-दुक्का बार ही अलका के बदन की झलक मिल पाई और इससे ज्यादा बात नहीं बढ़ी।
बस वह रात को ही बीते हुए दिनों को याद कर कर के विनीत की भाभी के बारे में तो कभी नीलू के बारे में तो कभी अपनी मां के बारे में ही गंदी बातों को सोच सोच कर मुठ मारकर काम चलाया करता था।
अलका के मन में भी पिछली बातों को सोच सोच कर गुदगुदी होती रहती थी। विनीत से उसकी मुलाकात बाजार में हुआ करती थी विनीत तो बहुत चाहा की आगे बढ़ सके लेकिन अलका उसे अपनी हद में ही रहने को कहती रहती थी। हालांकि विनीत ने बहुत बार उसके सामने अपने प्यार का इजहार कर चुका था। लेकिन अलका हर बार मुस्कुरा कर टाल देती थी। क्योंकि वह अपने और विनीत के बीच उम्र की खाई को अच्छी तरह से पहचानती थी। दोनों के बीच में उम्र का बहुत बड़ा फासला था। जो कभी भी मिटने वाला नहीं था और वैसे भी अलका अच्छी तरह से जानती थी कि आजकल के लड़के किस लिए प्यार करते हैं हमें बस एक ही चीज़ से मतलब होती है। मतलब पूरा होने के बाद ऐसे गायब हो जाते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। धीरे धीरे अलका को यह समझ में आने लगा था कि वीनीत के मन में भी उसी चीज को पाने की ख्वाहिश घर कर चुकी है। विनीत की नजरें के बदन पर कहां कहां फिरती थी यह वह अच्छी तरह से जानती थी। लेकिन यह सब अलका को भी अच्छा लगने लगा था। उसकी नजरों की सिध को भांपकर वह मन ही मन खुश होती थी। अलका दिनेश के साथ बाजार में रूकती नहीं थी बस वह चलती ही रहती थी और विनीत भी उसके पीछे पीछे लगा रहता था जब तक की वह चौराहे से अपने घर की ओर ना मुड़ जाए। बाजार से लेकर चौराहे तक की दूरी नहीं वह अलका के मन को भा गया था। विनीत की फ्लर्ट करने वाली बातें अलका को अच्छी लगने लगी थी। अलका विनीत की बातों को सिर्फ सुनने तक ही लेती थी उसकी बातों को कभी गहराई तक नहीं ली। अलका किसी की भावनाओं में बह जाए ऐसी औरत नहीं थी। भावनाओं पर काबू करना उसे अच्छी तरह से आता था तभी तो इतने बरस गुजर जाने के बाद भी उसने अपने आप को संभाल कर रखी हुई थी। वीनीत जिस तरह से उसके पीछे लगा हुआ था उससे फ्लर्ट करता था अगर अलका की जगह कोई और औरत होती तो विनीत अपनी मंशा मे ना जाने कब से कामयाब हो चुका होता और वह औरत भी विनीत को अपना सब कुछ सोंप चुकी होती ।
धीरे-धीरे समय गुजर रहा था राहुल के साथ साथ विनीत और अलका की प्यास भी बढ़ती जा रही थी। वीनीत की तो प्यास उसकी भाभी बुझा देती थी। और भाभी नहीं तो नीलू तो थी ही उसके पास लेकिन सबसे ज्यादा तड़प रहे थे तो राहुल और अलका। दोनों अपनी प्यास बुझाने के लिए अंदर ही अंदर घुट रहे थे राहुल मुख्य मारकर शांत होता तो अलका अपनी उंगलियों से ही अपने आप को संतुष्ट करने में जुट़ जाती। जैसे तैसे करके दिन गुजर रहे थे।
सोनू के स्कूल की फीस भरनी थी जिसे पिछले तीन महीनों से अलका ने भर नहीं पाई थी। लेकिन अब भरना बहुत जरूरी था। । वरना स्कूल वाले सोनू का नाम काट देंगे यह बात सोनू ने ही अपनी मम्मी को बताई थी। करीब 1500 साै के लगभग फीस बाकी थी। जिसे भरना बहुत जरूरी था। अलका बहुत परेशान थी क्योंकि उसके पास में सिर्फ ₹800 ही थे। तनख्वाह होने में अभी 10 दिन बाकी थे। यह ₹800 उसने 10 दिन के खर्चे के लिए बचा कर रखी थी जो कि बहुत मुश्किल से चलने वाला था। वह क्या करें अब उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। अपनी मां को यूं परेशान बैठा हुआ देखकर राहुल उस से परेशानी का कारण पूछा।
तो उसकी मां ने सर दर्द का बहाना बनाकर बात को टाल दी। अलका घर में चाहे केसी भी परेशानी हो वह अपने बच्चों पर जाहिर होने नहीं देती थी। वह सारी मुसीबत को अपने ही सर ले लिया करती थी।
आज ना खाना बनाने में मन लगा और ना ही खाने में, जैसे तैसे करके रात गुजर गई। सुबह आंख खुलते ही फिर से वही फीस वाली टेंशन आंखों के सामने मंडराने लगी। इतनी बेबस वो कभी भी नजर नहीं आई इससे पहले भी फीस भरने की दिक्कते उसके सामने आई थी लेकिन जैसे तैसे करके वह निपटाते गई। लेकिन इस बार उसे कोई रास्ता सूझ नहीं रहा था। मन में चिंता का भाव लिए वह बिस्तर से उठी और कमरे से बाहर आ गई । आज उठने में कुछ ज्यादा समय हो गया था, उसके दोनों बच्चे अभी तक सो रहे थे। उसे नाश्ता भी तैयार करना था वह सोची पहले जाकर राहुल और सोनू को उठा दे इसलिए वह राहुल के कमरे की तरफ बढ़ी। मन में चिंता के बादल घिरे हुए थे उसका मन आज नहीं लग रहा था उसे इस बात की चिंता थी कि सोनू की फीस कैसे भरी जाएगी क्योंकि घर खर्च के लिए जितने पैसे उसके पास थे उतने से भी काम चलने वाला नहीं था। यह सब चिंता उसे खाए जा रही थी। यही सब सोचते हुए वह राहुल के कमरे के पास पहुंच गई उज्जैन से ही दरवाजा खोलने के लिए उसने अपना हाथ बढ़ाई हाथ लगते ही दरवाजा खुद-ब-खुद खुलने लगा। अपने आप दरवाजा खुलता देखकर उसका दिल धक कर रह गया उसे उस दिन का नजारा याद आ गया। उसके मन में तुरंत उत्तेजना के भाव उमड़ने लगे। फिर से वही ख्वाहिश उसके मन में जोर मारने लगी। जैसे ही दरवाजा खुला अलका का दिल खुशी से झूम उठा पल भर में फीस वाली चिंता फुर्र हो गई। सामने वही नजारा था जिसे देख कर उस दिन वो रोमांचित हो गई थी। दबे पांव वह कमरे में परवेश की धीरे-धीरे वह राहुल के बिस्तर की तरफ बढ़ने लगी। राहुल के बिस्तर के पास पहुंचते ही अलका का मुंह खुला का खुला रह गया। राहुल बेसुध होकर सोया हुआ था। उसका लंड टनटना के खड़ा होकर छत की तरफ ताक रहा था । अलका अपने बेटे के इतने मोटे ताजे लंड को देखकर उत्तेजित हो गई वह एकटक अपने बेटे के लंड को देखती रही।
वह कभी राहुल की तरफ देख लेती तो कभी उसके खड़े लंड की तरफ. कल का पूरी तरह से अचंभित थी क्योंकि राहुल के भोलेपन और उसकी उम्र को देख कर लगता नहीं था कि उसके पास इतना जानदार और तगड़ा हथियार होगा। अलका की जांघों के बीच सनसनी सी फैलने लगी। अलका का गला सूखने लगा था और उसके गाल अपने बेटे के लंड को देखकर शर्म से लाल होने लगे थे। उसने एक बार चेक करने के लिए कि वह वाकई में गहरी नींद में है या ऐसे ही लेटा हुआ है इसलिए उसको आवाज दी, लेकिन उसकी आवाज देने के बावजूद भी राहुल के बदलने में ज़रा सी भी हलचल नहीं हुई तो वह समझ गए कि राहुल गहरी नींद मैं सो रहा है। यह जानकर कि राहुल गहरी नींद में है उसके मन में हलचल सी होने लगी। नजरें लंड पर से हटाए नहीं हट रही थी। वह अपने बेटे के लंड को स्पर्श करने के लालच को रोक नहीं पाई और अपने कांपते में हाथ को अपने बेटे के खड़े लंड की तरफ बढ़ाने लगी। हाथ को बढ़ाते हुए उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। लंड और हथेली के बीच बस दो चार अंगुल का ही फासला रह गया था की अलका घबराहट में अपना हाथ पीछे खींच ली। उसका दिल बड़े जोरों से धड़क रहा था लेकिन फिर भी लंड को स्पर्श करने की चाहत मन में बनी हुई थी। बरसों बीत गए थे अलका को जी भर के लंड को देखे उसे हथेली में भर कर प्यार किए हुए, आज दूसरी बार अपने ही बेटे के लंड को देख कर उसका मन डोलने लगा था। उससे रहा नहीं गया और उसने वापस फिर से अपनी हथेली को लंड की तरफ बढाने़ लगी और पहली बार उसकी उंगली पर लंड के सुपाड़े का स्पर्श हुआ। सुपाड़े का गरम एहसास उंगली पर होते ही उसका हलक सूखने लगा। अलका का पूरा बदन झनझनाने लगा। वह कांपती हुई उंगलियों को सुपाड़े पर हल्के हल्के से रगड़ते हुए घुमाने लगी। सांसे चल नहीं बल्कि दौड़ रही थी। अलका के मन में या डर बराबर बना हुआ था कि किसी भी वक्त राहुल जग सकता है लेकिन जो उसके मन में लालच था उस लालच ने उसे मजबूर किए हुए था।
अलका को उसकीे बुर पसीजती हुई महसूस होने लगी।
अलका का लालच बढ़ता जा रहा था। उसकी हथेली तड़प रही थी उसे उसके दबोचने के लिए, और उसने तुरंत अपने बेटे के लंड को अपने हथेली में दबोच ली। अलका का पूरा बदन कांप गया। ऊफ्फ..... यह क्या हो रहा था उसे कुछ समझ में नहीं आया उसका बदन एकाएक अकड़ने ं लगा और वह भलभला कर झड़ने लगी। उत्तेजना में इतनी कस के राहुल के लंड को दबोच ली थी की उसका बदन कसमसाने लगा। उसके बदन में हलचल को देखकर अल्का ने तुरंत अपनी हथेली को लंड पर से हटा ली और बिस्तर से नीचे गिरी चादर को उठा कर राहुल के नंगे बदन को ढंक दी। राहुल वापस सो चुका था। राहुल का नंगा बदन चादर से ढक चुका था इसलिए अब अलका को उसे जगाने में ज्यादा मुश्किल नहीं थी। अलका ने राहुल को कंधे से पकड़कर हीलाते हुए उसे जगाई। अलका के इस तरह से जगाने से उसकी आंख खुल गई। राहुल की नींद खुलती हुई देखकर अलका ने उसे जल्दी से नहा कर तैयार होने के लिए कह कर जल्दी से कमरे से निकल गई।
राहुल अपने बदन पर चादर को पाकर संतुष्ट हुआ कि अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं देखा वरना आज तो गजब हो जाता। वह मन ही मन में बोला वह जानता था कि कमर के नीचे वह बिल्कुल नंगा था और इस समय भी उसका लंड उत्तेजित अवस्था में था। वह जल्दी से बिस्तर पर से उठ गया।
अलका बाथरुम में थी और मन ही मन में सोच रही थी कि एसा आज तक नहीं हुआ ' इतनी ज्यादा उत्तेजित वह कभी भी नहीं हुई थी जितना कि आज हुई। वाह आश्चर्य मे थी की मात्र अपने बेटे के लंड को छुने भर से ही वह इस कदर से झड़ी थी कि इस तरह सो आज तक नहीं झड़ी। इतना सोचते हुए वह बाथरुम में पूरी तरह से नंगी हो गई। उसका मन और ज्यादा विचरण करता इससे पहले ही उसने अपने सर पर एक बड़ा मग भर कर पानी डाल दी . तब जाकर उसका मन थोड़ा शांत हुआ वह जल्दी जल्दी से नहाकर बाथरुम से बाहर आ गई और नाश्ता तैयार करने लगी तब तक सोनू और राहुल दोनों तैयार हो कर नीचे आ गए। वह आज अपने बेटे से ही नजरें नहीं मिला पा रही थी उसे शर्म सी महसूस हो रही थी जैसे तैसे करके उसने दोनों को नाश्ता करवाया और दोनों को स्कूल भेज दी सोनू को जाते समय यह दिलासा दिलाई कि कल तक उसकी फीस भर दी जाएगी।