desiaks
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साहिल ऐसे अद्भुत सौंदर्य की प्रतिमूर्ति अपनी मा रूबी को देखकर उसके जिस्म की बनावट में खो सा गया।
उपर से गिरती हुई पानी की ठंडी फुवारे उसके जिस्म को राहत प्रदान कर रही थी। वो खुद ही पानी के नीचे खड़ी हुई अपने जिस्म पर बहुत की कामुक तरीके से हाथ फिरा रही थी। जब जब उसके हाथ उसकी चूचियों पर से गुजरते तो अपने आप उसके मुंह से आह निकल रही थी। अपने दोनो पैरों के तलवों को वो नीचे जमीन पर रगड़ रही थी जिससे साहिल को उसकी हल्की हल्की मटकती हुई गांड़ साफ नजर आ रही थी।
साहिल जवानी की दहलीज पर कदम रख चुका था और अक्सर उस उम्र में लडको के अंदर औरत के जिस्म को देखने, उसके राज जानने की इच्छा होती हैं। साहिल सेक्सी मूवी देखकर काफी कुछ सीख गया था लेकिन आज उसने पहली बार औरत का जिस्म देखा तो वो भी अपनी सगी मा का, ये सोच सोच कर जहां उसे आत्म ग्लानि हो रही थी वहीं दूसरी ओर उसके अंदर उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। रूबी ने केवल सौंदर्य की प्रतिमूर्ति थी बल्कि उससे कहीं ज्यादा उसके जिस्म के कटाव पूरी तरह से जानलेवा थे।
साहिल का लंड आज तक इतनी बुरी तरह से कभी नहीं अकड़ा था और साहिल ये सोचकर हैरान था कि उसका लंड उसकी मा को अर्धनग्न हालत में देखकर झटके पर झटके लगा रहा था।
रूबी के पैर दर्द करने लगे तो वो वहीं पत्थर पर बैठ गई। आज पानी की ठंडी धाराएं भी उसके जिस्म की प्यास को ठंडा नहीं कर पा रही थी। रूबी ने अपने दोनो हाथो से एक पत्थर को पकड़ लिया और नीचे अपनी दोनो टांगे खोलते हुए अपनी गांड़ को पत्थर पर टिका दिया तो उसके मुंह से फिर से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। रूबी ने इस एहसास को महसूस करने के लिए फिर से अपनी गांड़ को हल्का सा उठाया और फिर से पत्थर पर टिका दिया तो रूबी को बहुत मजा। अब उसकी गांड़ अपने आप ऊपर उठने लगी और पत्थर पर टिकने लगी। रूबी पूरी तरह से मदहोश हो गई और और उसे पता ही नहीं चल कब उसने अपनी गांड़ को पत्थर पर रगड़ना शुरू कर दिया।
रूबी के मुंह से अब मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थीं। साहिल वहीं उस पत्थर के दूसरी तरफ बिलकुल उसके पास छुपा हुआ ये सब देख रहा था और उसके हाथो ने कब उसका अंडर वियर साहिल लोअर नीचे सरका दिया उसे पता ही नहीं चला। साहिल ने अपने लंड को देखा और बोला
" कमीने वो मेरी मा हैं सगी मा।
लंड ने अपने आप एक तेज झटका खाया मानो बोल रहा हूं कि मा होगी तेरी मेरे लिए तो वो एक प्यासी चूत हैं।
ये ख्याल जैसे ही साहिल के मन में आए तो उसका हाथ अपने लंड पर कस गया। साहिल को अपने एक हाथ से अपने भारी भरकम लंड को संभालना मुश्किल प्रतीत हुआ तो उसे मजबूरी में दूसरा हाथ लगाना पड़ा।
दूसरी तरफ रूबी अब फिर से खड़ी हो गई थी और एक पत्थर के बाहर की तरफ निकल हिस्से को अपनी टांगो से कस लिया और उस पर अपनी जांघें रगड़ने लगी। अपना मा का ऐसा कामुक रूप देखकर साहिल के हाथ उसके लंड को सहलाने लगे।
रूबी अब अपनी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही उस पत्थर पर रगड़ रही थी और अपने दोनो हाथों से पत्थर को कस कर पकड़ा हुआ था। रूबी को बहुत मजा आ रहा था और उपर से गिरती हुई ठंडी जल धाराएं उसके मजे को दोगुना कर रही थी।
रूबी की चूत में तूफान सा उठने लगा और बहुत तेजी से अपनी चूत रगड़ रही थी और उसका मुंह मस्ती से खुल गया।
" उफ्फ हाय मा, काश मेरी शादी उस चूतिया अनूप से नहीं बल्कि इस पत्थर से हुई होती। कितना मजा दे रहा हैं मुझे ये।
इतना कहकर रूबी ने पत्थर को जोर से कस लिया मानो अपने प्रेमी को बांहों में भर रही हो। साहिल को जैसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ कि उसकी मा उसके बाप को गाली निकाल रही है। इसका मतलब पापा ने मम्मी को पसंद नहीं करती।
अपनी चूत पत्थर पर रगड़ती हुई रूबी के जिस्म में तरंगे उठने लगी और उसकी गति बहुत तेज हो गई तो उसकी आंखे मस्ती से अपने आप बंद हो गई और उसकी सिसकियां ऊंची और ऊंची होती चली गई।
तभी रूबी की चूत में सैलाब सा आ गया और उसने जोर से अपनी चूत को पत्थर पर रगड़ा और वो एक तेज आह भरते हुए झड़ती हुई चली गई।
" आह मेरी चूत मार ली मेरे इस पत्थर ने, काश अनूप का लंड भी इतना टाइट होता।
रूबी अपनी आंखे बंद किए इस मस्ती को महसूस कर रही थी और साहिल जोर जोर से अपने लंड को हिला रहा था जिससे उसका पूरा जिस्म हिल रहा था। साहिल की कमर एक छोटे से पत्थर के टुकड़े से जा टकराई और वो एक जोरदार आवाज करते हुए नीचे गिर गया।
साहिल की आवाज सुनकर डर के मारे हालत खराब हो गई और रूबी की भी आंखे खुल गई। उसे एक पल के लिए तो डर लगा लेकिन फिर सोचा कि जरूर अनूप होगा क्योंकि उसके सिवा तो किसी और को इस जगह के बारे में पता ही नहीं हैं लेकिन वो तो दारू पीकर सो गया था।
रूबी जोर से बोली:" कौन हैं वहां बाहर निकलो!!
साहिल की तो जैसे हालात खराब हो गई। अगर मैं आज यहां पकड़ा गया तो ज़िन्दगी भर मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगा।
उसने धीरे धीरे पत्थरो और हल्के अंधेरे का फायदा उठाकर बाहर निकलना शुरू किया। उसका खड़ा हुआ लंड अभी भी उसकी टांगो के बीच खड़ा हुआ था लेकिन अभी उसे उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं था।
रूबी खड़ी हो गई और उसकी तरफ आते हुए बोली:"
" मैं कहती हू सामने आओ नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
साहिल बस अब दरवाजे से कुछ ही कदम की दूरी पर था लेकिन वहां प्रकाश थोड़ा ज्यादा था इसलिए रूबी उसे आराम से देख लेती। साहिल को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। कैसे दरवाजे तक पहुंच जाएं
दूसरी तरफ रूबी धीरे धीरे उसके पास आती जा रही थी, बीच में बस दो ही पत्थर का फासला बचा हुआ था, वो कभी भी पकड़ा जा सकता था। वो डर के मारे थर थर कांप रहा था लेकिन मुश्किल हालत में भी वो सोच रहा था, उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। उसके दिमाग में एक आइडिया आया और उसने एक छोटा पत्थर उठाकर एक दूसरे पत्थर के पीछे फेंक दिया और रूबी आवाज सुनकर उस दिशा में मुड गई और जैसे ही वो पत्थर के पीछे पहुंची तो साहिल में पूरा दम लगाते हुए दरवाजे की तरफ दौड़ लगा दी।
लेकिन जल्दबाजी में साहिल से एक गलती हो गई कि तेज दौड़ने से उसके पैरो की आवाज हुई और रूबी पलटी तो उसे एक साया दरवाजे में घुसता नजर आया। पत्थरों की परछाई और हल्के अंधेरे के कारण वो उसे ठीक से पहचान नहीं पाई लेकिन इतना जरूर समझ गई कि ये अनूप तो बिल्कुल नहीं हो सकता।
हैं भगवान तो फिर ये कौन था, क्या मेरा बेटा साहिल, नहीं वो नहीं हो सकता, उसे तो चुदाई लोक के बारे में कुछ भी नहीं पता। लेकिन फिर कौन हो सकता है उसके सिवा तो घर में और कोई मर्द नहीं हैं
उपर से गिरती हुई पानी की ठंडी फुवारे उसके जिस्म को राहत प्रदान कर रही थी। वो खुद ही पानी के नीचे खड़ी हुई अपने जिस्म पर बहुत की कामुक तरीके से हाथ फिरा रही थी। जब जब उसके हाथ उसकी चूचियों पर से गुजरते तो अपने आप उसके मुंह से आह निकल रही थी। अपने दोनो पैरों के तलवों को वो नीचे जमीन पर रगड़ रही थी जिससे साहिल को उसकी हल्की हल्की मटकती हुई गांड़ साफ नजर आ रही थी।
साहिल जवानी की दहलीज पर कदम रख चुका था और अक्सर उस उम्र में लडको के अंदर औरत के जिस्म को देखने, उसके राज जानने की इच्छा होती हैं। साहिल सेक्सी मूवी देखकर काफी कुछ सीख गया था लेकिन आज उसने पहली बार औरत का जिस्म देखा तो वो भी अपनी सगी मा का, ये सोच सोच कर जहां उसे आत्म ग्लानि हो रही थी वहीं दूसरी ओर उसके अंदर उत्तेजना भी बढ़ती जा रही थी। रूबी ने केवल सौंदर्य की प्रतिमूर्ति थी बल्कि उससे कहीं ज्यादा उसके जिस्म के कटाव पूरी तरह से जानलेवा थे।
साहिल का लंड आज तक इतनी बुरी तरह से कभी नहीं अकड़ा था और साहिल ये सोचकर हैरान था कि उसका लंड उसकी मा को अर्धनग्न हालत में देखकर झटके पर झटके लगा रहा था।
रूबी के पैर दर्द करने लगे तो वो वहीं पत्थर पर बैठ गई। आज पानी की ठंडी धाराएं भी उसके जिस्म की प्यास को ठंडा नहीं कर पा रही थी। रूबी ने अपने दोनो हाथो से एक पत्थर को पकड़ लिया और नीचे अपनी दोनो टांगे खोलते हुए अपनी गांड़ को पत्थर पर टिका दिया तो उसके मुंह से फिर से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी। रूबी ने इस एहसास को महसूस करने के लिए फिर से अपनी गांड़ को हल्का सा उठाया और फिर से पत्थर पर टिका दिया तो रूबी को बहुत मजा। अब उसकी गांड़ अपने आप ऊपर उठने लगी और पत्थर पर टिकने लगी। रूबी पूरी तरह से मदहोश हो गई और और उसे पता ही नहीं चल कब उसने अपनी गांड़ को पत्थर पर रगड़ना शुरू कर दिया।
रूबी के मुंह से अब मस्ती भरी सिसकारियां निकल रही थीं। साहिल वहीं उस पत्थर के दूसरी तरफ बिलकुल उसके पास छुपा हुआ ये सब देख रहा था और उसके हाथो ने कब उसका अंडर वियर साहिल लोअर नीचे सरका दिया उसे पता ही नहीं चला। साहिल ने अपने लंड को देखा और बोला
" कमीने वो मेरी मा हैं सगी मा।
लंड ने अपने आप एक तेज झटका खाया मानो बोल रहा हूं कि मा होगी तेरी मेरे लिए तो वो एक प्यासी चूत हैं।
ये ख्याल जैसे ही साहिल के मन में आए तो उसका हाथ अपने लंड पर कस गया। साहिल को अपने एक हाथ से अपने भारी भरकम लंड को संभालना मुश्किल प्रतीत हुआ तो उसे मजबूरी में दूसरा हाथ लगाना पड़ा।
दूसरी तरफ रूबी अब फिर से खड़ी हो गई थी और एक पत्थर के बाहर की तरफ निकल हिस्से को अपनी टांगो से कस लिया और उस पर अपनी जांघें रगड़ने लगी। अपना मा का ऐसा कामुक रूप देखकर साहिल के हाथ उसके लंड को सहलाने लगे।
रूबी अब अपनी चूत को कपड़ों के ऊपर से ही उस पत्थर पर रगड़ रही थी और अपने दोनो हाथों से पत्थर को कस कर पकड़ा हुआ था। रूबी को बहुत मजा आ रहा था और उपर से गिरती हुई ठंडी जल धाराएं उसके मजे को दोगुना कर रही थी।
रूबी की चूत में तूफान सा उठने लगा और बहुत तेजी से अपनी चूत रगड़ रही थी और उसका मुंह मस्ती से खुल गया।
" उफ्फ हाय मा, काश मेरी शादी उस चूतिया अनूप से नहीं बल्कि इस पत्थर से हुई होती। कितना मजा दे रहा हैं मुझे ये।
इतना कहकर रूबी ने पत्थर को जोर से कस लिया मानो अपने प्रेमी को बांहों में भर रही हो। साहिल को जैसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ कि उसकी मा उसके बाप को गाली निकाल रही है। इसका मतलब पापा ने मम्मी को पसंद नहीं करती।
अपनी चूत पत्थर पर रगड़ती हुई रूबी के जिस्म में तरंगे उठने लगी और उसकी गति बहुत तेज हो गई तो उसकी आंखे मस्ती से अपने आप बंद हो गई और उसकी सिसकियां ऊंची और ऊंची होती चली गई।
तभी रूबी की चूत में सैलाब सा आ गया और उसने जोर से अपनी चूत को पत्थर पर रगड़ा और वो एक तेज आह भरते हुए झड़ती हुई चली गई।
" आह मेरी चूत मार ली मेरे इस पत्थर ने, काश अनूप का लंड भी इतना टाइट होता।
रूबी अपनी आंखे बंद किए इस मस्ती को महसूस कर रही थी और साहिल जोर जोर से अपने लंड को हिला रहा था जिससे उसका पूरा जिस्म हिल रहा था। साहिल की कमर एक छोटे से पत्थर के टुकड़े से जा टकराई और वो एक जोरदार आवाज करते हुए नीचे गिर गया।
साहिल की आवाज सुनकर डर के मारे हालत खराब हो गई और रूबी की भी आंखे खुल गई। उसे एक पल के लिए तो डर लगा लेकिन फिर सोचा कि जरूर अनूप होगा क्योंकि उसके सिवा तो किसी और को इस जगह के बारे में पता ही नहीं हैं लेकिन वो तो दारू पीकर सो गया था।
रूबी जोर से बोली:" कौन हैं वहां बाहर निकलो!!
साहिल की तो जैसे हालात खराब हो गई। अगर मैं आज यहां पकड़ा गया तो ज़िन्दगी भर मुंह दिखाने के लायक नहीं रहूंगा।
उसने धीरे धीरे पत्थरो और हल्के अंधेरे का फायदा उठाकर बाहर निकलना शुरू किया। उसका खड़ा हुआ लंड अभी भी उसकी टांगो के बीच खड़ा हुआ था लेकिन अभी उसे उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं था।
रूबी खड़ी हो गई और उसकी तरफ आते हुए बोली:"
" मैं कहती हू सामने आओ नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
साहिल बस अब दरवाजे से कुछ ही कदम की दूरी पर था लेकिन वहां प्रकाश थोड़ा ज्यादा था इसलिए रूबी उसे आराम से देख लेती। साहिल को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। कैसे दरवाजे तक पहुंच जाएं
दूसरी तरफ रूबी धीरे धीरे उसके पास आती जा रही थी, बीच में बस दो ही पत्थर का फासला बचा हुआ था, वो कभी भी पकड़ा जा सकता था। वो डर के मारे थर थर कांप रहा था लेकिन मुश्किल हालत में भी वो सोच रहा था, उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था। उसके दिमाग में एक आइडिया आया और उसने एक छोटा पत्थर उठाकर एक दूसरे पत्थर के पीछे फेंक दिया और रूबी आवाज सुनकर उस दिशा में मुड गई और जैसे ही वो पत्थर के पीछे पहुंची तो साहिल में पूरा दम लगाते हुए दरवाजे की तरफ दौड़ लगा दी।
लेकिन जल्दबाजी में साहिल से एक गलती हो गई कि तेज दौड़ने से उसके पैरो की आवाज हुई और रूबी पलटी तो उसे एक साया दरवाजे में घुसता नजर आया। पत्थरों की परछाई और हल्के अंधेरे के कारण वो उसे ठीक से पहचान नहीं पाई लेकिन इतना जरूर समझ गई कि ये अनूप तो बिल्कुल नहीं हो सकता।
हैं भगवान तो फिर ये कौन था, क्या मेरा बेटा साहिल, नहीं वो नहीं हो सकता, उसे तो चुदाई लोक के बारे में कुछ भी नहीं पता। लेकिन फिर कौन हो सकता है उसके सिवा तो घर में और कोई मर्द नहीं हैं