hotaks444
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कविता अपने आप को निहार रही थी आईने में के तभी उसकी नज़रें अपने ३५ साल पुराने शादी की तस्वीर पर टिक गयी l शादी के दौरान वह दुबली थी और खूबसूरती बेइंतेहा थी, लेकिन फिर उम्र के साथ उसकी जिस्म भर्ती गयी और अब ५४ साल के उम्र में वह थी एक सुडौल और मदमस्त भारी जिस्म की मालकिन l
कविता को अपनी एक अंग से बहुत परेशानी थी और वोह थी उसकी विशाल भरी भड़कम गांड l उसे मालूम थी की उसकी थिरकन बच्चो से लेके बुधो तक कामुकता लाती हैं , और इस पे नमक मिर्च लगाने के लिए उसकी दो बड़े बड़े मोटे मोटे तरबूज़ जैसी स्तन तो जैसे जीते जी लोगो को घायल के लिए काफी थी l उसकी एक पक्की सहेली रेखा अक्सर कहती थी "उफ्फ्फ कवी अगर तू इस मांसल जिस्म पर पश्चिमी कपड़े पहनने लगी न तो तेरी खैर नहीं" l
इन सब बातों को वह दिल से याद ही कर रही थी के उसकी सेल पे रेखा की ही कॉल आजाती हैं l
रेखा : हैई डार्लिंग कैसी है और मममम किस ख्याल में खोई हुई थी???
कविता : चुप पागल कहीं की! यह बता फ़ोन किस लिए किया
रेखा :अब तुझे मममम क्या बताऊँ! शर्म आरही है मुझे कवी!
कविता : अरे क्या हुआ??? कुछ बोलेगी की नहीं!
रेखा : कवी ममम मुजहे पप्यार हो गया है
कविता : क्या मतलब है तेरा???
रेखा ; हआ री (आवाज़ में कामुकता लाती हुई) वोह भी अपने ही बेटे से!
यह सुनना था और कविता की होश उड़ जाती है l
कविता : क्याआ??? क्या बकवास कर रही है तू!!! पागल तो नहीं हो गयी है तू!
रेखा : देख तू भी ऐसा करेगी तो मैं किसे अपनी बातें सुनाऊँगी!
कविता : तू बता फिर ऐसे कैसे हुआ!
रेखा : तू एक काम कर,, फटा फट मेरे घर आजा!
कविता : ठीक हैं
कविता को अपनी एक अंग से बहुत परेशानी थी और वोह थी उसकी विशाल भरी भड़कम गांड l उसे मालूम थी की उसकी थिरकन बच्चो से लेके बुधो तक कामुकता लाती हैं , और इस पे नमक मिर्च लगाने के लिए उसकी दो बड़े बड़े मोटे मोटे तरबूज़ जैसी स्तन तो जैसे जीते जी लोगो को घायल के लिए काफी थी l उसकी एक पक्की सहेली रेखा अक्सर कहती थी "उफ्फ्फ कवी अगर तू इस मांसल जिस्म पर पश्चिमी कपड़े पहनने लगी न तो तेरी खैर नहीं" l
इन सब बातों को वह दिल से याद ही कर रही थी के उसकी सेल पे रेखा की ही कॉल आजाती हैं l
रेखा : हैई डार्लिंग कैसी है और मममम किस ख्याल में खोई हुई थी???
कविता : चुप पागल कहीं की! यह बता फ़ोन किस लिए किया
रेखा :अब तुझे मममम क्या बताऊँ! शर्म आरही है मुझे कवी!
कविता : अरे क्या हुआ??? कुछ बोलेगी की नहीं!
रेखा : कवी ममम मुजहे पप्यार हो गया है
कविता : क्या मतलब है तेरा???
रेखा ; हआ री (आवाज़ में कामुकता लाती हुई) वोह भी अपने ही बेटे से!
यह सुनना था और कविता की होश उड़ जाती है l
कविता : क्याआ??? क्या बकवास कर रही है तू!!! पागल तो नहीं हो गयी है तू!
रेखा : देख तू भी ऐसा करेगी तो मैं किसे अपनी बातें सुनाऊँगी!
कविता : तू बता फिर ऐसे कैसे हुआ!
रेखा : तू एक काम कर,, फटा फट मेरे घर आजा!
कविता : ठीक हैं