desiaks
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इधर पार्टी मे आई जिया मंद-मंद मुस्कुरा रही थी, क्योंकि आज मनु के हाथ कंपनी लगी, तो कल ये सब कुछ नताली के पास आ जाएगा.....
इधर सूकन्या भी काफ़ी खुश हो चुकी थी, क्योंकि जैसा मनु शुरू से बोलता आ रहा था.... "एक दिन वो पूरी कंपनी अपने नाम कर लेगा"... आज सच हो गया था....
मनु अपनी घोषणा के आखरी शब्द कहते हुए....
"और अंत मे मैं शुक्रगुज़ार हूँ अपनी बुआ सूकन्या का, जिन्होने अपनी कंपनी हमारे ग्रूप के नाम कर दी... कंपनी की सारी पॉलिसी डिक्लेर हो गयी, अब आप सब पार्टी एंजाय कर सकते है"
सब के सब शॉक्ड.... सूकन्या तो ऐसे दौड़ी मनु की ओर की मानो उसका खून कर देगी..... "मैने कब तुम्हे अपनी कंपनी दी कमीने, जो तू ये अनाउन्स्मेंट कर रहा है"
मनु, धीमे से सूकन्या के कान मे.... "जैसे आप ने मानस की कंपनी मेरे नाम करवाई थी फ्रॉड करवा कर ठीक वैसे ही, और चारा बनी आप की बेटी"...
सूकन्या आग बाबूला होती.... "मैने सिर्फ़ कोन्सेंट लॅटर साइन किया था"
मनु.... कितनी भोली हैं... जब तक आप ने उन पेपर्स को क्रॉस चेक किया तब तक तो कोन्सेंट लॅटर ही था, पर जब आप आँख मूंद कर उस पर बड़े ड्रामा के साथ सिग्नेचर कर रही थी, तब वो अग्रीमेंट पेपर बन गया. वो क्या है ना आप के वकीलों ने इसमे बहुत मदद किया... अब पता चला, किसी से धोका कर के संपत्ति लेने से कैसा लगता है ... पार्टी एंजाय कीजिए.....
गहमा-गहमी से भरा था महॉल, सारे लूटे पिटे लोग एक ओर हो कर बस मनु को ही देख रहे थे, और मनु उन्हे देख कर हंस रहा था....
हर्षवर्धन.... हमने पुरानी बातें भुला कर तुम्हे बेटा कहा, और तुमने हमारे साथ ऐसा किया...
अमृता.... तुझे हमारी दौलत चाहिए थी तो बोल कर ले लेता. तुम सब के साथ जो मैने किया उसके बदले मे ये गया भी तो कोई मलाल नही, बस कभी-कभी आ कर मिलते रहना. छोड़ो हर्ष, ये हमारे बुरे काम का नतीजा है जिसका फल हमे मिला. भूल गये हम भी कभी इन दोनो भाई को ऐसा ही देखना चाहते थे...
भावुक पल थे ये अमृता के लिए और काया अपनी माँ के दर्द को समझ गयी.... वो अपनी माँ को सहारा देती हुई मनु से कही.... "माँ को कोई मलाल नही है भैया, आप को मुबारक हो ये सारी संपत्ति, कुछ छोड़ा है वैसे जिस से हम कुछ दिन गुज़ारा कर लें... या आप की कंपनी मे कोई काम हो तो वही दे दीजिए"
रजत.... देखा आख़िर इस नाजायज़ ने अपनी औकात दिखा ही दिया.... मैं शुरू से जब चिढ़ता था इस पर तो मुझे ही थप्पड़ मारे गये... अब चलो यहाँ से... मुझे नही रहना किसी के अहसान के तले....
कुछ लोग भावुक हो रहे थे, तो कुछ लोग मनु को गालियाँ दे रहे थे.... महज चन्द दीनो मे ही बहुत से लोगों की दुनिया उजड़ गयी...... अमृता की बात सुन कर मनु को थोड़ा अखरा, पर वो खुद को संभालते हुए बस मुस्कुराता ही रहा....
मनु.... आप सब का हो गया हो तो आप सब जा सकते हैं.... कोई भी मुझ से किसी भी तरह का उम्मीद ना रखे, क्योंकि सब मिल कर जो मेरे साथ करना चाहते थे, वही मैने आप सब के साथ किया...
अब कोई कर भी क्या सकता था... सब के सब मुँह लटकाए मूलचंदानी हाउस से निकलने लगे.... पीछे जब सब मुड़े तो लोग बस अपनी आखें मसलते ही रह गये... जैसे कोई अचम्भा घटा हो.... हैरानी से सब की आखें बड़ी हो चुकी थी... मनु और मानस तो जैसे सुन्न ही पड़ गये थे....
आखों के सामने हर्षवर्धन की पहली पत्नी, मनु और मानस की माँ काव्या खड़ी थी, जिसे देख कर सब आश्चर्य से पागल हो रहे थे. सब क्या रिक्ट करे, कैसे रिक्ट करे किसी को कुछ समझ मे ही नही आ रहा था...
तभी जैसे उस महॉल मे रोबदार आवाज़ गूँजी.... ऐसा लगा जैसे कोई लेडी दबंग की आवाज़ गूँज़ रही हो.... "क्यों उम्मीद नही किया था क्या, मैं जिंदा भी हो सकती हूँ.... और शाबाश मेरे बेटों... तुमने तो सब को सड़क पर ला दिया.... अब तुम दोनो को इनाम देने की बारी है, दिल जीत लिया मेरा".....
इधर सूकन्या भी काफ़ी खुश हो चुकी थी, क्योंकि जैसा मनु शुरू से बोलता आ रहा था.... "एक दिन वो पूरी कंपनी अपने नाम कर लेगा"... आज सच हो गया था....
मनु अपनी घोषणा के आखरी शब्द कहते हुए....
"और अंत मे मैं शुक्रगुज़ार हूँ अपनी बुआ सूकन्या का, जिन्होने अपनी कंपनी हमारे ग्रूप के नाम कर दी... कंपनी की सारी पॉलिसी डिक्लेर हो गयी, अब आप सब पार्टी एंजाय कर सकते है"
सब के सब शॉक्ड.... सूकन्या तो ऐसे दौड़ी मनु की ओर की मानो उसका खून कर देगी..... "मैने कब तुम्हे अपनी कंपनी दी कमीने, जो तू ये अनाउन्स्मेंट कर रहा है"
मनु, धीमे से सूकन्या के कान मे.... "जैसे आप ने मानस की कंपनी मेरे नाम करवाई थी फ्रॉड करवा कर ठीक वैसे ही, और चारा बनी आप की बेटी"...
सूकन्या आग बाबूला होती.... "मैने सिर्फ़ कोन्सेंट लॅटर साइन किया था"
मनु.... कितनी भोली हैं... जब तक आप ने उन पेपर्स को क्रॉस चेक किया तब तक तो कोन्सेंट लॅटर ही था, पर जब आप आँख मूंद कर उस पर बड़े ड्रामा के साथ सिग्नेचर कर रही थी, तब वो अग्रीमेंट पेपर बन गया. वो क्या है ना आप के वकीलों ने इसमे बहुत मदद किया... अब पता चला, किसी से धोका कर के संपत्ति लेने से कैसा लगता है ... पार्टी एंजाय कीजिए.....
गहमा-गहमी से भरा था महॉल, सारे लूटे पिटे लोग एक ओर हो कर बस मनु को ही देख रहे थे, और मनु उन्हे देख कर हंस रहा था....
हर्षवर्धन.... हमने पुरानी बातें भुला कर तुम्हे बेटा कहा, और तुमने हमारे साथ ऐसा किया...
अमृता.... तुझे हमारी दौलत चाहिए थी तो बोल कर ले लेता. तुम सब के साथ जो मैने किया उसके बदले मे ये गया भी तो कोई मलाल नही, बस कभी-कभी आ कर मिलते रहना. छोड़ो हर्ष, ये हमारे बुरे काम का नतीजा है जिसका फल हमे मिला. भूल गये हम भी कभी इन दोनो भाई को ऐसा ही देखना चाहते थे...
भावुक पल थे ये अमृता के लिए और काया अपनी माँ के दर्द को समझ गयी.... वो अपनी माँ को सहारा देती हुई मनु से कही.... "माँ को कोई मलाल नही है भैया, आप को मुबारक हो ये सारी संपत्ति, कुछ छोड़ा है वैसे जिस से हम कुछ दिन गुज़ारा कर लें... या आप की कंपनी मे कोई काम हो तो वही दे दीजिए"
रजत.... देखा आख़िर इस नाजायज़ ने अपनी औकात दिखा ही दिया.... मैं शुरू से जब चिढ़ता था इस पर तो मुझे ही थप्पड़ मारे गये... अब चलो यहाँ से... मुझे नही रहना किसी के अहसान के तले....
कुछ लोग भावुक हो रहे थे, तो कुछ लोग मनु को गालियाँ दे रहे थे.... महज चन्द दीनो मे ही बहुत से लोगों की दुनिया उजड़ गयी...... अमृता की बात सुन कर मनु को थोड़ा अखरा, पर वो खुद को संभालते हुए बस मुस्कुराता ही रहा....
मनु.... आप सब का हो गया हो तो आप सब जा सकते हैं.... कोई भी मुझ से किसी भी तरह का उम्मीद ना रखे, क्योंकि सब मिल कर जो मेरे साथ करना चाहते थे, वही मैने आप सब के साथ किया...
अब कोई कर भी क्या सकता था... सब के सब मुँह लटकाए मूलचंदानी हाउस से निकलने लगे.... पीछे जब सब मुड़े तो लोग बस अपनी आखें मसलते ही रह गये... जैसे कोई अचम्भा घटा हो.... हैरानी से सब की आखें बड़ी हो चुकी थी... मनु और मानस तो जैसे सुन्न ही पड़ गये थे....
आखों के सामने हर्षवर्धन की पहली पत्नी, मनु और मानस की माँ काव्या खड़ी थी, जिसे देख कर सब आश्चर्य से पागल हो रहे थे. सब क्या रिक्ट करे, कैसे रिक्ट करे किसी को कुछ समझ मे ही नही आ रहा था...
तभी जैसे उस महॉल मे रोबदार आवाज़ गूँजी.... ऐसा लगा जैसे कोई लेडी दबंग की आवाज़ गूँज़ रही हो.... "क्यों उम्मीद नही किया था क्या, मैं जिंदा भी हो सकती हूँ.... और शाबाश मेरे बेटों... तुमने तो सब को सड़क पर ला दिया.... अब तुम दोनो को इनाम देने की बारी है, दिल जीत लिया मेरा".....