desiaks
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"किसको नहीं होता, आप अपने साथी वकीलों की माली हालत पर भी तो नजर डाल लिया कीजिए, उनके पास क्या नहीं है और एक आप हैं कि आपकी मोटरसाइकिल तक रिटायर नहीं हो पाती ।"
"तल्खी खत्म हो तो बता देना ।" रोमेश उठकर फ्लैट की बालकनी में चला गया ।
तल्खी खत्म नहीं हुई थी कि फोन की घंटी बज उठी । रोमेश फोन की तरफ बढ़ गया ।
"रोमेश हेयर ।"
"मैं विजय ।" दूसरी तरफ से कहा गया ।
"इंस्पेक्टर, यह सुबह-सुबह कहाँ से बोल रहे हो ?"
''गोरेगांव ईस्ट, संगीता अपार्टमेंट ।"
"किसी का मर्डर हो गया क्या ?"
"तुम्हें कैसे मालूम ।"
"फोन पर गंध आ रही है । संगीता अपार्टमेन्ट में न तो तुम्हारा कोई रिश्तेदार रहता है, न कोई गर्लफ्रेंड, न ही वहाँ कोई शराब का अड्डा चलता है । घड़ी जो समय बता रही है, उसके अनुसार तुम्हें इस वक्त थाने में होना चाहिये था । तुम अपने ही इलाके की किसी और लोकेशन से बोल रहे हो, जिसका साफ मतलब है कि तुम मौका-ए-वारदात पर हो । मुझे फोन किया, इसलिये साफ जाहिर है कत्ल का मामला होगा, चोर डकैतों की लिस्ट तो पुलिस के पास होती ही है । हाँ, हत्यारों की नहीं होती ।"
"गुरु फौरन आ जाओ, मेरी फंसी पड़ी है ।"
"गुरु मानते हो, इसलिये आना ही होगा, लेकिन यार आज सण्डे है ।"
दूसरी तरफ से फोन कट चुका था ।
"इन पुलिस वालों की छुट्टी तो वैसे कभी होती ही नहीं ।"
"खासकर विजय की तो हो ही नहीं सकती ।" सीमा बोल पड़ी, "जैसे आप, वैसा विजय । आप किसी क्रिमिनल का केस नहीं लड़ते और वह किसी क्रिमिनल को रिश्वत लेकर नहीं छोड़ता ।"
"कोई फतवा हो तो बताओ, वरना मैं देख आऊं क्या मामला है ?"
"जाइये ।" इतना कहकर सीमा बाथरूम में चली गई ।
जल्दी ही तैयार होकर रोमेश अपनी मोटरसाइकिल लेकर चल पड़ा । बांद्रा से अंधेरी, अंधेरी से गोरेगांव । रॉयल एनफील्ड की बुलेट गाड़ी को पुलिसिया अंदाज में दौड़ाता हुआ वह पंद्रह मिनट में मौका-ए-वारदात पर पहुंच गया ।
और फिर जगाधरी के फ्लैट में पहुँचा, जहाँ विजय उसका बेताबी से इन्तजार कर रहा था । कुछ दूसरे सीनियर पुलिस ऑफिसर भी घटनास्थल पर आ चुके थे । उनमें से कुछेक ऐसे भी थे, जो रोमेश को पसन्द नहीं करते थे।
"मकतूल की लाश कहाँ है ?" रोमेश ने विजय से पूछा ।
विजय, रोमेश को लाश वाले कमरे में ले गया ।
"जब तुम उस कमरे में दाखिल हुए, क्या सब इसी तरह था, कोई चेजिंग तो नहीं हुई है ?" रोमेश ने कमरे में सरसरी नजर दौड़ाते हुए कहा ।
"सिर्फ एक चेंजिग है, रिवॉल्वर हमने अपने कब्जे में ले ली है ।"
"यानि कि जिस रिवॉल्वर से कत्ल हुआ ।"
"अभी यह कहना मुनासिब न होगा कि कत्ल उसी से हुआ, लेकिन वह यहाँ उसे नीचे पड़ी मिली ।"
"वह जहाँ से उठाई, वहीं रख दो ।"
विजय ने बलदेव को संकेत किया, बलदेव ने रिवॉल्वर रख दी ।
"क्या रिवॉल्वर रखने से सिचुऐशन पर फर्क पड़ जायेगा ।" यह बात डी.एस.पी. केसरीनाथ ने कटाक्ष के तौर पर कही ।
"हंड्रेड परसेन्ट ।" रोमेश बोला,"धारा भी बदल सकती है ।"
"यानि कि मर्डर की धारा 302 की जगह कुछ और बनती है ।"
"सर प्लीज ।" विजय ने केसरीनाथ को टिप्पणियां करने से रोका ।
"एनीवे ।" केसरीनाथ ड्राइंगरूम में चला गया, "जो भी रिजल्ट निकले, मेरे को इन्फॉर्म करो ।"
"तल्खी खत्म हो तो बता देना ।" रोमेश उठकर फ्लैट की बालकनी में चला गया ।
तल्खी खत्म नहीं हुई थी कि फोन की घंटी बज उठी । रोमेश फोन की तरफ बढ़ गया ।
"रोमेश हेयर ।"
"मैं विजय ।" दूसरी तरफ से कहा गया ।
"इंस्पेक्टर, यह सुबह-सुबह कहाँ से बोल रहे हो ?"
''गोरेगांव ईस्ट, संगीता अपार्टमेंट ।"
"किसी का मर्डर हो गया क्या ?"
"तुम्हें कैसे मालूम ।"
"फोन पर गंध आ रही है । संगीता अपार्टमेन्ट में न तो तुम्हारा कोई रिश्तेदार रहता है, न कोई गर्लफ्रेंड, न ही वहाँ कोई शराब का अड्डा चलता है । घड़ी जो समय बता रही है, उसके अनुसार तुम्हें इस वक्त थाने में होना चाहिये था । तुम अपने ही इलाके की किसी और लोकेशन से बोल रहे हो, जिसका साफ मतलब है कि तुम मौका-ए-वारदात पर हो । मुझे फोन किया, इसलिये साफ जाहिर है कत्ल का मामला होगा, चोर डकैतों की लिस्ट तो पुलिस के पास होती ही है । हाँ, हत्यारों की नहीं होती ।"
"गुरु फौरन आ जाओ, मेरी फंसी पड़ी है ।"
"गुरु मानते हो, इसलिये आना ही होगा, लेकिन यार आज सण्डे है ।"
दूसरी तरफ से फोन कट चुका था ।
"इन पुलिस वालों की छुट्टी तो वैसे कभी होती ही नहीं ।"
"खासकर विजय की तो हो ही नहीं सकती ।" सीमा बोल पड़ी, "जैसे आप, वैसा विजय । आप किसी क्रिमिनल का केस नहीं लड़ते और वह किसी क्रिमिनल को रिश्वत लेकर नहीं छोड़ता ।"
"कोई फतवा हो तो बताओ, वरना मैं देख आऊं क्या मामला है ?"
"जाइये ।" इतना कहकर सीमा बाथरूम में चली गई ।
जल्दी ही तैयार होकर रोमेश अपनी मोटरसाइकिल लेकर चल पड़ा । बांद्रा से अंधेरी, अंधेरी से गोरेगांव । रॉयल एनफील्ड की बुलेट गाड़ी को पुलिसिया अंदाज में दौड़ाता हुआ वह पंद्रह मिनट में मौका-ए-वारदात पर पहुंच गया ।
और फिर जगाधरी के फ्लैट में पहुँचा, जहाँ विजय उसका बेताबी से इन्तजार कर रहा था । कुछ दूसरे सीनियर पुलिस ऑफिसर भी घटनास्थल पर आ चुके थे । उनमें से कुछेक ऐसे भी थे, जो रोमेश को पसन्द नहीं करते थे।
"मकतूल की लाश कहाँ है ?" रोमेश ने विजय से पूछा ।
विजय, रोमेश को लाश वाले कमरे में ले गया ।
"जब तुम उस कमरे में दाखिल हुए, क्या सब इसी तरह था, कोई चेजिंग तो नहीं हुई है ?" रोमेश ने कमरे में सरसरी नजर दौड़ाते हुए कहा ।
"सिर्फ एक चेंजिग है, रिवॉल्वर हमने अपने कब्जे में ले ली है ।"
"यानि कि जिस रिवॉल्वर से कत्ल हुआ ।"
"अभी यह कहना मुनासिब न होगा कि कत्ल उसी से हुआ, लेकिन वह यहाँ उसे नीचे पड़ी मिली ।"
"वह जहाँ से उठाई, वहीं रख दो ।"
विजय ने बलदेव को संकेत किया, बलदेव ने रिवॉल्वर रख दी ।
"क्या रिवॉल्वर रखने से सिचुऐशन पर फर्क पड़ जायेगा ।" यह बात डी.एस.पी. केसरीनाथ ने कटाक्ष के तौर पर कही ।
"हंड्रेड परसेन्ट ।" रोमेश बोला,"धारा भी बदल सकती है ।"
"यानि कि मर्डर की धारा 302 की जगह कुछ और बनती है ।"
"सर प्लीज ।" विजय ने केसरीनाथ को टिप्पणियां करने से रोका ।
"एनीवे ।" केसरीनाथ ड्राइंगरूम में चला गया, "जो भी रिजल्ट निकले, मेरे को इन्फॉर्म करो ।"