desiaks
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तीन दिन बाद विजय ने चंदन को चार्ज से हटा लिया और अखबारों में बयान दिया कि चंदन को शक के आधार पर तफ्तीश में लिया गया था किंतु बाद की जांच के मामले ने दूसरा रूप ले लिया और इस कत्ल की वारदात के पीछे किसी बहुत बड़ी हस्ती का हाथ होने का संकेत दिया ।
सावंत कांड अभी भी समाचार पत्रों की सुर्खियों में था । विजय ने इसे एक बार फिर नया मोड़ दे दिया था ।
उसी दिन शाम को मायादास का फोन आ गया ।
''आपकी जरूरत आन पड़ी वकील साहब ।"
"आता हूँ ।"
"उसी जगह, वक्त भी आठ ।
"ठीक है ।"
रोमेश ठीक वक्त पर होटल जा पहुँचा । मायादास के अलावा उस समय वहाँ एक और आदमी था । वह व्यक्ति चेहरे से खतरनाक दिखता था और उसके शरीर की बनावट भी वेट-लिफ्टिंग चैंपियन जैसी थी । उसके बायें गाल पर तिल का निशान था और सामने के दो दांत सोने के बने थे । सांवले रंग का वह लंबा-तगड़ा व्यक्ति गुजराती मालूम पड़ता था, उम्र होगी कोई चालीस वर्ष ।
"यह बटाला है ।" मायादास ने उसका परिचय कराया ।
"वैसे तो इसका नाम बटाला है, लेकिन अख्तर बटाला के नाम से इसे कम ही लोग जानते हैं । पहले जब छोटे-मोटे हाथ मारा करता था, तो इसे बट्टू चोर के नाम से जाना जाता था । फिर यह मिस्टर बटाला बन गया और कत्ल के पेशे में आ गया, इसका निशाना सधा हुआ है । जितना कमांड इसका राइफल, स्टेनगन या पिस्टल पर है, उतना ही भरोसा रामपुरी पर है । जल्दी ही हज करने का इरादा रखता है, फिर तो हम इसे हाजी साहब कहा करेंगे ।''
बटाला जोर-जोर से हंस पड़ा ।
''अब जरा दांत बंद कर ।" मायादास ने उसे जब डपटा, तो उसके मुंह पर तुरंत ब्रेक का जाम लग गया ।
''वकील लोगों से कुछ छुपाने का नहीं मानता ।" वह बोला "और हम यह भी पसंद नहीं करते कि हमारा कोई आदमी तड़ीपार चला जाये । अगर बटाला को जुम्मे की नमाज जेल में पढ़नी पड़ गई, तो लानत है हम पर ।''
"पण जो अपुन को तड़ीपार करेगा, हम उसको भी खलास कर देगा " बटाला ने फटे बास की तरह घरघराती आवाज निकाली ।"
"तेरे को कई बार कहा, सुबह-सुबह गरारे किया कर, वरना बोला मत कर ।" मायादास ने उसे घूरते हुए कहा ।
बटाला चुप हो गया ।
''सावंत का कत्ल करते वक्त इस हरामी से कुछ मिस्टेक भी हो गयी । इसने जुम्मन की टैक्सी को इस काम के लिये इस्तेमाल किया और जुम्मन उसी दिन से लापता है । उसकी टैक्सी गैराज में खड़ी है । यह जुम्मन इसके गले में पट्टा डलवा सकता है । मैंने कहा था- कोई चश्मदीद ऐसा ना हो, जो तुम्हें पहचानता हो । जुम्मन की थाने में हिस्ट्री शीट खुली हुई है और अगर वह पुलिस को बिना बताए गायब होता है, तो पुलिस उसे रगड़ देगी । ऐसे में वह भी मुंह खोल सकता है । जुम्मन डबल क्रॉस भी कर सकता है, वह भरोसे का आदमी नहीं है ।"
बटाला ने फिर कुछ बोलना चाहा, परंतु मायादास के घूरते ही केवल हिनहिनाकर रह गया ।
''तो सावंत का मुजरिम ये है ।'' रोमेश बोला ।
''आपको इसे हर हालत में सेफ रखना है वकील साहब, बोलो क्या फीस मांगता ? "
"फीस में तब ले लूँगा, जब काम शुरू होगा । अभी तो कुछ है ही नहीं, पहले पुलिस को बटाला तक तो पहुंचने दो, फिर देखेंगे ।"
☐☐☐
सावंत कांड अभी भी समाचार पत्रों की सुर्खियों में था । विजय ने इसे एक बार फिर नया मोड़ दे दिया था ।
उसी दिन शाम को मायादास का फोन आ गया ।
''आपकी जरूरत आन पड़ी वकील साहब ।"
"आता हूँ ।"
"उसी जगह, वक्त भी आठ ।
"ठीक है ।"
रोमेश ठीक वक्त पर होटल जा पहुँचा । मायादास के अलावा उस समय वहाँ एक और आदमी था । वह व्यक्ति चेहरे से खतरनाक दिखता था और उसके शरीर की बनावट भी वेट-लिफ्टिंग चैंपियन जैसी थी । उसके बायें गाल पर तिल का निशान था और सामने के दो दांत सोने के बने थे । सांवले रंग का वह लंबा-तगड़ा व्यक्ति गुजराती मालूम पड़ता था, उम्र होगी कोई चालीस वर्ष ।
"यह बटाला है ।" मायादास ने उसका परिचय कराया ।
"वैसे तो इसका नाम बटाला है, लेकिन अख्तर बटाला के नाम से इसे कम ही लोग जानते हैं । पहले जब छोटे-मोटे हाथ मारा करता था, तो इसे बट्टू चोर के नाम से जाना जाता था । फिर यह मिस्टर बटाला बन गया और कत्ल के पेशे में आ गया, इसका निशाना सधा हुआ है । जितना कमांड इसका राइफल, स्टेनगन या पिस्टल पर है, उतना ही भरोसा रामपुरी पर है । जल्दी ही हज करने का इरादा रखता है, फिर तो हम इसे हाजी साहब कहा करेंगे ।''
बटाला जोर-जोर से हंस पड़ा ।
''अब जरा दांत बंद कर ।" मायादास ने उसे जब डपटा, तो उसके मुंह पर तुरंत ब्रेक का जाम लग गया ।
''वकील लोगों से कुछ छुपाने का नहीं मानता ।" वह बोला "और हम यह भी पसंद नहीं करते कि हमारा कोई आदमी तड़ीपार चला जाये । अगर बटाला को जुम्मे की नमाज जेल में पढ़नी पड़ गई, तो लानत है हम पर ।''
"पण जो अपुन को तड़ीपार करेगा, हम उसको भी खलास कर देगा " बटाला ने फटे बास की तरह घरघराती आवाज निकाली ।"
"तेरे को कई बार कहा, सुबह-सुबह गरारे किया कर, वरना बोला मत कर ।" मायादास ने उसे घूरते हुए कहा ।
बटाला चुप हो गया ।
''सावंत का कत्ल करते वक्त इस हरामी से कुछ मिस्टेक भी हो गयी । इसने जुम्मन की टैक्सी को इस काम के लिये इस्तेमाल किया और जुम्मन उसी दिन से लापता है । उसकी टैक्सी गैराज में खड़ी है । यह जुम्मन इसके गले में पट्टा डलवा सकता है । मैंने कहा था- कोई चश्मदीद ऐसा ना हो, जो तुम्हें पहचानता हो । जुम्मन की थाने में हिस्ट्री शीट खुली हुई है और अगर वह पुलिस को बिना बताए गायब होता है, तो पुलिस उसे रगड़ देगी । ऐसे में वह भी मुंह खोल सकता है । जुम्मन डबल क्रॉस भी कर सकता है, वह भरोसे का आदमी नहीं है ।"
बटाला ने फिर कुछ बोलना चाहा, परंतु मायादास के घूरते ही केवल हिनहिनाकर रह गया ।
''तो सावंत का मुजरिम ये है ।'' रोमेश बोला ।
''आपको इसे हर हालत में सेफ रखना है वकील साहब, बोलो क्या फीस मांगता ? "
"फीस में तब ले लूँगा, जब काम शुरू होगा । अभी तो कुछ है ही नहीं, पहले पुलिस को बटाला तक तो पहुंचने दो, फिर देखेंगे ।"
☐☐☐