desiaks
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शाम को मम्मी को लेकर मैं डाक्टर के पास गई, मम्मी ना ना कह रही थी की ज्यादा बुखार नहीं है। लेकिन मैं जिद करके मम्मी को डाक्टर के पास ले गई। वापस आकर हम लिफ्ट के अंदर घुसे और जाली बंद करके मैं।
तीसरे माले का बटन दबा ही रही थी की तभी आवाज आई- “लिफ्ट लिफ्ट...”
मैंने फिर से जाली खोल दी। मैंने उस तरफ देखा जहां से आवाज आई थी, मुझे मेरी आँखों पर विस्वास नहीं हो रहा था, सामने से पप्पू आ रहा था। उसने लिफ्ट के पास आकर मुझे देखा, तो मैंने नफरत से उस पर से नजर हटा दी।
मम्मी- “अंदर आ जाओ बेटे...” मम्मी शायद उसे पहचानती थी।
पप्पू- “मुझे काम है आंटी, मैं बाद में आता हूँ.” कहकर पप्पू वापस मुड़ गया।
मैंने जाली बंद करके बटन दबाया, पूछा- “ये यहां रहता है?”
मम्मी- “हाँ, यहीं रहता है...” मम्मी ने कहा।
मैं- “कौन से माले पे?” मैंने पूछा।
मम्मी- “सातवें माले पे। अरे याद आया तुम्हें कल मिला तो था ये, तुम भूल गई?” मम्मी ने कहा।
मैं- “मुझे कब मिला?”
मम्मी- “ये प्रेम था, तुम कल पूछ तो रही थी इसके बारे में..." मम्मी ने याद दिलाया।
मम्मी की बात सुनकर मैं सन्न हो गई की ये प्रेम था और मेरे हिसाब से ये पप्पू था। मुझे अब जल्दी से खुशबू को मिलना था और उसे बताना था की उसका प्रेम क्या है? मैं रसोई कर रही थी लेकिन मेरा ध्यान पप्पू पे था, मुझे लग रहा था की पप्पू उस दिन मुझसे झूठ बोलकर निकल गया था, या फिर वो खुशबू से प्यार का नाटक । कर रहा है। दोनों में से एक बात ही सच्ची हो सकती है, वो भी फाइनल था। कुछ बता सकती थी तो खुशबू बता सकती थी। लेकिन वो मुझे देखकर भड़कती थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
तभी मेरा मोबाइल बजा, देखा तो रीता का फोन था।
हेलो..” मैंने कहा।
रीता- “क्यों मुझे याद किया था निगोड़ी...” रीता की आवाज आई।
मैं- “मैं यहां आई हूँ, तुम कहां थी दो दिन?” मैंने कहा।
रीता- “तुम यहां हो और मैं तेरे घर से करीब हूँ, दो मिनट में आई...” कहकर रीता ने काल काट दी। दस मिनट में ही रीता घर पे आ गई।
हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और फिर अकेले में अंदर जाकर बैठे।
रीता- “बता निगोड़ी, तेरे मिट्ठू मियां कैसे हैं?” रीता ने पलंग पर बैठते हुये पूछा।
मैं- "नीरव मुंबई में है...” मैंने बाजू में बैठते हुये कहा।
रीता- “मुझे मालूम है कि तू ही आएगी, जीजू को तू ऐसे तो छोड़ती ही नहीं...”
मैं- “मैंने तुम्हें फोन किया था, बंद आ रहा था..” मैंने उसे फोन किया था वो जताने के लिए कहा।
रीता- “मुझे मालूम है, मिस काल के मेसेज आते हैं मेरे मोबाइल में, मैं भी मुंबई गई थी, मोबाइल भूल गई थी। यहां..." रीता ने कहा।
तीसरे माले का बटन दबा ही रही थी की तभी आवाज आई- “लिफ्ट लिफ्ट...”
मैंने फिर से जाली खोल दी। मैंने उस तरफ देखा जहां से आवाज आई थी, मुझे मेरी आँखों पर विस्वास नहीं हो रहा था, सामने से पप्पू आ रहा था। उसने लिफ्ट के पास आकर मुझे देखा, तो मैंने नफरत से उस पर से नजर हटा दी।
मम्मी- “अंदर आ जाओ बेटे...” मम्मी शायद उसे पहचानती थी।
पप्पू- “मुझे काम है आंटी, मैं बाद में आता हूँ.” कहकर पप्पू वापस मुड़ गया।
मैंने जाली बंद करके बटन दबाया, पूछा- “ये यहां रहता है?”
मम्मी- “हाँ, यहीं रहता है...” मम्मी ने कहा।
मैं- “कौन से माले पे?” मैंने पूछा।
मम्मी- “सातवें माले पे। अरे याद आया तुम्हें कल मिला तो था ये, तुम भूल गई?” मम्मी ने कहा।
मैं- “मुझे कब मिला?”
मम्मी- “ये प्रेम था, तुम कल पूछ तो रही थी इसके बारे में..." मम्मी ने याद दिलाया।
मम्मी की बात सुनकर मैं सन्न हो गई की ये प्रेम था और मेरे हिसाब से ये पप्पू था। मुझे अब जल्दी से खुशबू को मिलना था और उसे बताना था की उसका प्रेम क्या है? मैं रसोई कर रही थी लेकिन मेरा ध्यान पप्पू पे था, मुझे लग रहा था की पप्पू उस दिन मुझसे झूठ बोलकर निकल गया था, या फिर वो खुशबू से प्यार का नाटक । कर रहा है। दोनों में से एक बात ही सच्ची हो सकती है, वो भी फाइनल था। कुछ बता सकती थी तो खुशबू बता सकती थी। लेकिन वो मुझे देखकर भड़कती थी। कुछ समझ में नहीं आ रहा था।
तभी मेरा मोबाइल बजा, देखा तो रीता का फोन था।
हेलो..” मैंने कहा।
रीता- “क्यों मुझे याद किया था निगोड़ी...” रीता की आवाज आई।
मैं- “मैं यहां आई हूँ, तुम कहां थी दो दिन?” मैंने कहा।
रीता- “तुम यहां हो और मैं तेरे घर से करीब हूँ, दो मिनट में आई...” कहकर रीता ने काल काट दी। दस मिनट में ही रीता घर पे आ गई।
हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और फिर अकेले में अंदर जाकर बैठे।
रीता- “बता निगोड़ी, तेरे मिट्ठू मियां कैसे हैं?” रीता ने पलंग पर बैठते हुये पूछा।
मैं- "नीरव मुंबई में है...” मैंने बाजू में बैठते हुये कहा।
रीता- “मुझे मालूम है कि तू ही आएगी, जीजू को तू ऐसे तो छोड़ती ही नहीं...”
मैं- “मैंने तुम्हें फोन किया था, बंद आ रहा था..” मैंने उसे फोन किया था वो जताने के लिए कहा।
रीता- “मुझे मालूम है, मिस काल के मेसेज आते हैं मेरे मोबाइल में, मैं भी मुंबई गई थी, मोबाइल भूल गई थी। यहां..." रीता ने कहा।