desiaks
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अपडेट. 91
मैं रोज़ी के साथ बैठा नलिनी भाभी और सलोनी की बातें सुन रहा था.
हम दोनों में एक फर्क था, मुझे तो उनकी बातें सुनकर मजा आ रहा था पर रोज़ी अभी हमारे बारे में ज्यादा नहीं जानती थी इसलिए उसको शायद बहुत अजीब लग रहा था.
वो तो एक पतिव्रता टाइप की लड़की थी, उसने कभी दूसरे मर्द के बारे में शायद ऐसा सोचा भी नहीं था पर अब वो कुछ कुछ खुद को बदल रही थी.
अभी तो उसके चेहरे के भाव और रंग हर पल बदल रहे थे, वो मुझे बड़े ही सहानुभूति के भाव से देख रही थी और उसकी आँखों में मेरे लिए बहुत ही याचना के भाव थे.
मैं बस यही सोच रहा था कि जब उसको पता चलेगा कि मुझे सलोनी के ऐसा कुछ करने से कोई ऐतराज नहीं है, तब उसको कैसा लगेगा.
फिलहाल तो वो मेरे साथ सलोनी की बातें सुनने में मस्त थी.
और उधर फिर से बातचीत शुरू हो गई… जैसे नलिनी भाभी सब कुछ उगलवाने का मूड में ही आई थी और सलोनी को भी उनको कुछ भी बताने से कोई ऐतराज नहीं था.
नलिनी भाभी- अच्छा अब कुछ तो पहन ले या ऐसे ही नंगी घूमती रहेगी?
सलोनी- हा हा… क्या भाभी आपमें और अंकल में कितना फर्क है… आप हमेशा कुछ पहनने को बोलती रहती हो और अंकल?
नलिनी भाभी- अंकल क्याआआ??
सलोनी- अरे छोड़ो न भाभी…बस लो पहन लिया…ना.
नलिनी भाभी- यह भी तेरा कोई कपड़ा है… लगता है जैसे कुछ पहना ही नहीं है.
सलोनी- अरे भाभी इसमें ही तो मजा है… खुद के लिए हमने पहना भी है और दूसरों के लिए नहीं भी… हा हा…
नलिनी भाभी- हाँ तो बता न फिर क्या हुआ?
सलोनी- अरे भाभी बताया ना… पहले तो हम दोनों ही थक गए थे तो मैंने गीजर ओन कर दिया.
तब अमित भैया बोले कि जब तक पानी गर्म हो वे मेरी मालिश कर देते हैं, सच उनको बहुत अच्छा मसाज करना आता है… भाभी आप भी करवा कर देखना… मैं तो पूरी नंगी थी ही, अमित भैया ने भी अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे…
नलिनी भाभी- सब क्या? अंडरवियर भी?
सलोनी- उफ़्फ़्फ़्फ़ हाँ भाई वो भी… और उनका लण्ड काफी बड़ा था और पूरा खड़ा था… अब बस यही सुनना चाहती थी ना आप?
नलिनी भाभी- हाय राम… बड़ी बेशरम है तू तो… मैंने तो ऐसे ही पूछा था.
सलोनी- हाँ मुझे पता है सब कि कैसे और क्या जानना है आपको.
नलिनी भाभी- अच्छा ठीक है तू चाहे जैसे भी बता पर मुझे अच्छा लग रहा है… फिर क्या हुआ?
सलोनी- अरे फिर तो बहुत मजा आया… भैया अपनी सभी कलाएं मेरे बदन पर लगा दी, पहले उन्होंने खूब मालिश की, फिर मेरे चूतड़ों में दर्द तो हो ही रहा था उस इंस्पेक्टर के लण्ड की वजह से तो अमित भैया ने मुझे उल्टा करके मेरे चूतड़ों की खूब मालिश की, फिर मेरे छेद में भी खूब अच्छी तरह से मालिश की.
नलिनी भाभी- तूने उसे मना नहीं किया?
सलोनी- क्या भाभी? मुझे तो खूब अच्छा लग रहा था… मैं मना क्यों करती? जब वो पीछे से मेरे ऊपर चढ़कर मालिश कर रहे थे तब उनका लण्ड मुझे खूब मजा दे रहा था.
नलिनी भाभी- वो कैसे?
सलोनी- उनका लण्ड मेरी जांघों और चूत को भी बार बार छू रहा था.
नलिनी भाभी- मतलब तू चाह रही थी कि वो उसको तेरी मुनिया में डाल दे?
सलोनी- सच भाभी… मैं तो पहले से ही इतनी गर्म हो गई थी पर वो भी पूरा घाघ थे, लगा रहे थे, घिस रहे थे मगर डाल नहीं रहे थे.
फिर जब मैंने उनको याद दिलाया कि जल्दी कर लो ना… साहिल आने वाले होंगे.
नलिनी भाभी- तो तूने अपने मुँह से कह दिया… बड़ी कमीनी है तू तो?
सलोनी- अरे नहीं भाभी.. मेरा मतलब तो मालिश पूरी करने से था. मगर वो भी तो पूरा सताने पर लगे थे.
फिर उन्होंने मेरे सामने ही साहिल को फोन किया कि पूछ लेते हैं कि जनाब है कहाँ.
नलिनी भाभी- ओह वो तो बड़ा बहादुर निकला… उसको तो नहीं और तेरे को भी डर नहीं लगा कि ऐसे नंगे दोनों फिर साहिल को भी कॉल करने लगे?
सलोनी- अरे भाभी अब वो कहाँ डरते, जब साहिल के सामने से मुझे… पूरी नंगी ही अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आए और साहिल ने भी कुछ नहीं कहा.
नलिनी भाभी- अरे साहिल बेचारा क्या जाने? कितना सीधा है वो तो…
सलोनी- हाँ भाभी, यह तो आप बिल्कुल सही कह रही हैं, वाकयी वो हैं तो बहुत सीधे और अच्छे भी.
नलिनी भाभी- अच्छा फिर फोन पर किसने बात की?
सलोनी- अमित कह तो वो मुझी से रहे थे, पर मैंने मना कर दिया. फिर खुद ही बात करने लगे और बात करते करते ही उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया.
मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया, अब मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी और हिल भी नहीं सकती थी.
मुझे चोदते हुए ही वो बात करते रहे और मैं अपना मुहँ दबाये बिल्कुल चुप रही अगर हल्की सी भी सांस वो सुन लेते तो उनको कितना बुरा लगता. सच पूरे पागल ही हैं… उनको बोल रहे थे कि मैं अपने कमरे में आराम कर रही हूँ… जबकि मुझे बुरी तरह चोद रहे थे.
मैं रोज़ी के साथ बैठा नलिनी भाभी और सलोनी की बातें सुन रहा था.
हम दोनों में एक फर्क था, मुझे तो उनकी बातें सुनकर मजा आ रहा था पर रोज़ी अभी हमारे बारे में ज्यादा नहीं जानती थी इसलिए उसको शायद बहुत अजीब लग रहा था.
वो तो एक पतिव्रता टाइप की लड़की थी, उसने कभी दूसरे मर्द के बारे में शायद ऐसा सोचा भी नहीं था पर अब वो कुछ कुछ खुद को बदल रही थी.
अभी तो उसके चेहरे के भाव और रंग हर पल बदल रहे थे, वो मुझे बड़े ही सहानुभूति के भाव से देख रही थी और उसकी आँखों में मेरे लिए बहुत ही याचना के भाव थे.
मैं बस यही सोच रहा था कि जब उसको पता चलेगा कि मुझे सलोनी के ऐसा कुछ करने से कोई ऐतराज नहीं है, तब उसको कैसा लगेगा.
फिलहाल तो वो मेरे साथ सलोनी की बातें सुनने में मस्त थी.
और उधर फिर से बातचीत शुरू हो गई… जैसे नलिनी भाभी सब कुछ उगलवाने का मूड में ही आई थी और सलोनी को भी उनको कुछ भी बताने से कोई ऐतराज नहीं था.
नलिनी भाभी- अच्छा अब कुछ तो पहन ले या ऐसे ही नंगी घूमती रहेगी?
सलोनी- हा हा… क्या भाभी आपमें और अंकल में कितना फर्क है… आप हमेशा कुछ पहनने को बोलती रहती हो और अंकल?
नलिनी भाभी- अंकल क्याआआ??
सलोनी- अरे छोड़ो न भाभी…बस लो पहन लिया…ना.
नलिनी भाभी- यह भी तेरा कोई कपड़ा है… लगता है जैसे कुछ पहना ही नहीं है.
सलोनी- अरे भाभी इसमें ही तो मजा है… खुद के लिए हमने पहना भी है और दूसरों के लिए नहीं भी… हा हा…
नलिनी भाभी- हाँ तो बता न फिर क्या हुआ?
सलोनी- अरे भाभी बताया ना… पहले तो हम दोनों ही थक गए थे तो मैंने गीजर ओन कर दिया.
तब अमित भैया बोले कि जब तक पानी गर्म हो वे मेरी मालिश कर देते हैं, सच उनको बहुत अच्छा मसाज करना आता है… भाभी आप भी करवा कर देखना… मैं तो पूरी नंगी थी ही, अमित भैया ने भी अपने सभी कपड़े निकाल दिए थे…
नलिनी भाभी- सब क्या? अंडरवियर भी?
सलोनी- उफ़्फ़्फ़्फ़ हाँ भाई वो भी… और उनका लण्ड काफी बड़ा था और पूरा खड़ा था… अब बस यही सुनना चाहती थी ना आप?
नलिनी भाभी- हाय राम… बड़ी बेशरम है तू तो… मैंने तो ऐसे ही पूछा था.
सलोनी- हाँ मुझे पता है सब कि कैसे और क्या जानना है आपको.
नलिनी भाभी- अच्छा ठीक है तू चाहे जैसे भी बता पर मुझे अच्छा लग रहा है… फिर क्या हुआ?
सलोनी- अरे फिर तो बहुत मजा आया… भैया अपनी सभी कलाएं मेरे बदन पर लगा दी, पहले उन्होंने खूब मालिश की, फिर मेरे चूतड़ों में दर्द तो हो ही रहा था उस इंस्पेक्टर के लण्ड की वजह से तो अमित भैया ने मुझे उल्टा करके मेरे चूतड़ों की खूब मालिश की, फिर मेरे छेद में भी खूब अच्छी तरह से मालिश की.
नलिनी भाभी- तूने उसे मना नहीं किया?
सलोनी- क्या भाभी? मुझे तो खूब अच्छा लग रहा था… मैं मना क्यों करती? जब वो पीछे से मेरे ऊपर चढ़कर मालिश कर रहे थे तब उनका लण्ड मुझे खूब मजा दे रहा था.
नलिनी भाभी- वो कैसे?
सलोनी- उनका लण्ड मेरी जांघों और चूत को भी बार बार छू रहा था.
नलिनी भाभी- मतलब तू चाह रही थी कि वो उसको तेरी मुनिया में डाल दे?
सलोनी- सच भाभी… मैं तो पहले से ही इतनी गर्म हो गई थी पर वो भी पूरा घाघ थे, लगा रहे थे, घिस रहे थे मगर डाल नहीं रहे थे.
फिर जब मैंने उनको याद दिलाया कि जल्दी कर लो ना… साहिल आने वाले होंगे.
नलिनी भाभी- तो तूने अपने मुँह से कह दिया… बड़ी कमीनी है तू तो?
सलोनी- अरे नहीं भाभी.. मेरा मतलब तो मालिश पूरी करने से था. मगर वो भी तो पूरा सताने पर लगे थे.
फिर उन्होंने मेरे सामने ही साहिल को फोन किया कि पूछ लेते हैं कि जनाब है कहाँ.
नलिनी भाभी- ओह वो तो बड़ा बहादुर निकला… उसको तो नहीं और तेरे को भी डर नहीं लगा कि ऐसे नंगे दोनों फिर साहिल को भी कॉल करने लगे?
सलोनी- अरे भाभी अब वो कहाँ डरते, जब साहिल के सामने से मुझे… पूरी नंगी ही अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आए और साहिल ने भी कुछ नहीं कहा.
नलिनी भाभी- अरे साहिल बेचारा क्या जाने? कितना सीधा है वो तो…
सलोनी- हाँ भाभी, यह तो आप बिल्कुल सही कह रही हैं, वाकयी वो हैं तो बहुत सीधे और अच्छे भी.
नलिनी भाभी- अच्छा फिर फोन पर किसने बात की?
सलोनी- अमित कह तो वो मुझी से रहे थे, पर मैंने मना कर दिया. फिर खुद ही बात करने लगे और बात करते करते ही उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया.
मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया, अब मैं कुछ बोल भी नहीं सकती थी और हिल भी नहीं सकती थी.
मुझे चोदते हुए ही वो बात करते रहे और मैं अपना मुहँ दबाये बिल्कुल चुप रही अगर हल्की सी भी सांस वो सुन लेते तो उनको कितना बुरा लगता. सच पूरे पागल ही हैं… उनको बोल रहे थे कि मैं अपने कमरे में आराम कर रही हूँ… जबकि मुझे बुरी तरह चोद रहे थे.