Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी - Page 8 - SexBaba
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Hindi Chudai Kahani मेरी चालू बीवी

अपडेट 61

इस समय तो अरविन्द अंकल बहुत प्यार से बताते हुए सलोनी के एक एक अंग को छूते हुए उसको साड़ी का हर एक घूम सिखा रहे थे !
केवल पेटीकोट और ब्लाउज में अपने सफ़ेद बदन को समेटे… शरमाती, सकुचाती, सलोनी बहुत क़यामत लग रही थी.
अरविन्द अंकल ने करीब 15 मिनट तक उसको साड़ी पकड़ना, उसको लपेटना, प्लेट्स और पल्लू ना जाने क्या-क्या, सलोनी के हर एक अंग को छूते हुए, सहलाते हुए, दबाते हुए और चूमते हुए उन्होंने आखिरकार साड़ी को बाँध ही दिया.
वैसे दिल से मैं भी अरविन्द अंकल की तारीफ करने से नहीं चूका… क्या साड़ी बाँधी थी उन्होंने ! सलोनी साड़ी में कभी इतनी सेक्सी नहीं लगी… मुझे पहले लग रहा था कि केवल साड़ी बाँधने नहीं बल्कि सलोनी से मस्ती करने के लिए उन्होंने झूठ बोला होगा… मगर अंकल में हुनर है, वाकयी ऐसी साड़ी कोई तजुर्बेकार ही बाँध सकता है.
साड़ी पहने होने के बाद भी सलोनी के हर एक अंग का उतार चड़ाव साफ़ नजर आ रहा था… ब्लाउज और साड़ी के बीच उन्होंने काफी जगह खुली छोड़ी थी…
ब्लाउज तो सलोनी का पुराना वाला ही था जो शायद कुछ छोटा हो गया था… उसमें से उसकी दोनों चूचियाँ गजब तरीके से उठी हुई, अपनी पूरी गोलाई दिखा रही थी.
और ब्लाउज इतना पतला, झीना था कि उसकी ब्रा की एक एक पट्टी और आकार साफ़ नजर आ रहा था, साड़ी उन्होंने नाभि से काफी नीचे बांधी थी इसीलिए उसकी लुभावनी नाभि, सुतवाँ पेट और कमर की गोलाई तो दिल पर छुरियाँ चला रहा थी.
अंकल ने सलोनी के हर खूबसूरत अंग को बहुत खूबसूरती से साड़ी से बाहर नंगा छोड़ दिया था… कुल मिलाकर एक आकर्षक सेक्स अपील दे दी थी उन्होंने…
मैंने मन ही मन खुद उनको धन्यवाद दिया !
सलोनी बहुत खुश दिख रही थी… वो बार बार खुद को ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर हर ओर से घूम घूम कर चारों ओर से देख रही थी, अंकल भी मुस्कुरा रहे थे…
सलोनी- ओह… थेंक्यू अंकल… आप वाकयी बहुत अच्छे हो… मजा आ गया…
अंकल ठीक सलोनी के पीछे पहुंच गए… उन्होंने अपना हाथ सलोनी के नंगे पेट पर रख उसको अपने से चिपका लिया- देखा मेरी हीरोइन कितनी खूबसूरत है…
सलोनी- हाँ अंकल, आपने तो बिल्कुल हीरोइन ही बना दिया…
अंकल अपना हाथ सलोनी के पेट के निचले हिस्से तक ले गए- बेटा, जब बाहर जाओ तो कच्छी जरूर पहनकर जाना…
सलोनी- अच्छा… मैं तो पहनकर जाऊं… और आप बिना अंडरवियर के ही आ जाओ?
अंकल- हे हे हे… अरे मेरा क्या है… तो तूने देख लिया?
सलोनी- इतनी देर से आपसे ज्यादा तो आपका पप्पू ही लुंगी के बाहर आकर मुझे देख रहा था…
मैंने ध्यान दिया कि अंकल ने केवल लुंगी और सैंडो बनियान ही पहनी थी… वैसे वो इन्हीं कपड़ों में सब जगह घूम लेते थे… कभी कभी तो कॉलोनी के बाहर भी…हाँ उन्होंने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था… यह नहीं पता था मुझे…
अंकल- तुम्हें तो पता है बेटा, मुझे पसीना बहुत आता है, और फिर अंदर खारिश हो जाती है, इसीलिए अंडरवियर नहीं पहनता…
तभी बिंदास सलोनी ने एक अनोखी हरकत कर दी, उसने अपना सीधा हाथ पीछे कर कुछ पकड़ा… मुझे तो नहीं दिखा पर वो अंकल का लण्ड ही था.
सलोनी- लगता तो ऐसा है जैसे आपके पप्पू को ही कैद में रहने की बिल्कुल आदत नहीं है… जब देखो लुंगी से भी बाहर आ जाता है?
अंकल- अह्ह्ह्ह्हा आआहा… ये भी है…
सलोनी- अच्छा तो इसको यहाँ से तो दूर करो ना… कहीं मेरी साड़ी में ऐसी वैसी जगह धब्बा लगा दिया… तो हो गया फिर कल मैं क्या पहनकर जाऊँगी…
अंकल- अरे आअह्ह्ह्हा आआआ ओह्ह्ह्ह हेएए आः आआ
सलोनी- ओह अंकल…यह क्या…?? उफ़्फ़्फ़्फ़् मेरा हाथ…
.!हा हा हा… लगता है अंकल संभाल नहीं पाये थे… सलोनी का हाथ लगते ही उनका बह गया था…
सलोनी ने ड्रेसिंग टेबल से रुमाल उठाकर अपना हाथ और अंकल का लण्ड भी साफ़ कर दिया.
अंकल- सॉरी बेटा… ह्ह्ह्ह ह्ह्ह वो मैं क्या…??
सलोनी- अरे कोई बात नहीं अंकल… हा हा… हो जाता है… चलिए आपको साड़ी पहनने का इनाम तो मैंने दे दिया… ठीक है…
अंकल- नहीं, यह कोई इनाम नहीं हुआ… वो तो मैं तेरी प्यारी मुनिया पर चुम्मी करके लूंगा…उनका इशारा सलोनी की चूत की ओर ही था…
सलोनी- नहीं जी, मैं अभी यह साड़ी नहीं उतारने वाली… आज मैं अपने जानू का स्वागत ऐसे ही करुँगी…
अंकल- कौन जानू… मैं तो यहाँ ही हूँ?
सलोनी- हे हे… मैं आपकी बात नहीं कर रही हूँ अंकल… मैं साहिल की बात कर रही हूँ… वो बस आते ही होंगे… अब आप जाओ प्लीज…
अंकल- क्या यार… बस एक चुम्मी… अच्छा मैं साड़ी नहीं उतरूंगा… बस ऊपर करके ले लूंगा…अंकल सलोनी की साड़ी फिर से ऊपर करने लगे !
मुझे लगा कि अगर जोश में आ उन्होंने कहीं साड़ी खोल दी तो मैं अपनी जान को ऐसे कपड़ों में प्यार नहीं कर पाऊँगा…
बस मैं दरवाजे तक गया और ज़ोर से खोलते हुए बोला- …अरे तुम आ गई जान… जाआआआन कहाँ हो????

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 62

अरविन्द अंकल 62-64 साल की आयु में वो मजे ले रहे थे जो शायद उन्होंने कभी अपनी जवानी में भी नहीं लिए होंगे…
एक जवान 28 साल की शादीशुदा, सुन्दर नारी के साथ वो सेक्स का हर वो खेल बहुत अच्छी तरह से खेल रहे थे जो अब तक उन्होंने सपनो में सोचा और देखा होगा…
सलोनी जैसी सुंदरता की मूरत नारी को साधारनतया देखते ही पुरुषों की हालत पतली हो जाती है.. वो दिन रात बस एक नजर उसको देखने की कामना रखते हैं… वो सलोनी… बेहद किस्मतशाली अरविन्द अंकल के हर सपने को पूरा कर रही थी…
अरविन्द अंकल की किस्मत उन पर पूरी मेहरबान थी.. वो सलोनी को पूर्णतया नग्न अवस्था में देख चुके थे, उसके सभी अंगों को भरपूर प्यार कर चुके थे …
सबसे बड़ी बात… वो जब दिल चाहे उनसे मजे लेने आ जाते थे…
अभी कुछ देर पहले ही मेरे सामने उन्होंने सलोनी के हर अंग… मतलब उसकी रसीली चूचियों को सहलाते हुए ब्लाउज पहनाया था.. उसकी सफ़ेद, गोरी केले जैसी चिकनी जाँघों, चूत और चूतड़ सभी को अच्छी तरह छूकर, सहलाकर और रगड़कर पेटीकोट पहनाया, फिर उसका नाड़ा बाँधा..
और अंत में पूरे शरीर को ही रगड़ते हुए उसके एक एक कटाव का मजे लेकर साड़ी बाँधी..
वो सब तो फिर भी ठीक पर उस सपनों की रानी के गरमागरम कोमल हाथों में अपना लण्ड दे दिया… और फिर उन्ही हाथों में वीर्य विसर्जन…
इतना सब देखने के बाद जब मैंने फिर से उनकी इच्छा सलोनी की नंगी चूत के चुम्मे की सुनी… और वो उसकी साड़ी को ऊपर करने लगे..
जहाँ मुझे पता था कि सलोनी ने कच्छी भी नहीं पहनी है…
मैं तुरंत अपनी उपस्थिति बताने के लिए पहले मेन गेट तक गया और तेजी से दरवाजे को खोलते हुए ही अंदर आया..
मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि उनको जरा भी पता चले कि मुझे उनके किसी भी रोमांस की जरा सी भी भनक है..
मैं- सलोनी ओ जान… तुम आ गई.. कहाँ हो..??मैं सीधे बेडरूम के परदे तक ही आ गया..
मैं देखना चाहता था.. दोनों मेरे बेडरूम में अकेले हैं.. वो दोनों मुझे अचानक देखकर कैसा रियेक्ट करते हैं..
मगर परदा हटाते ही मैंने तो देख लिया.. किन्तु उन्होंने मुझे देखा या नहीं.. पता नहीं…
मेरे दरवाजे तक जाने तक ही अंकल ने सलोनी को बिस्तर के किनारे पर लिटा दिया था..
मैंने देखा अंकल भौचक्के से उठकर सलोनी को बोल रहे थे- जल्दी सही हो जाओ.. लगता है साहिल आ गया.. ओ बाबा..
और सलोनी बिस्तर के किनारे पीछे को लेटी थी… उसके दोनों पैर मुड़े हुए किनारे पर रखे थे और पूरे चौड़ाई में खुले थे..
उसकी साड़ी, पेटीकोट के साथ ही कमर से भी ऊपर होगी..क्योंकि एक नजर में मुझे केवल सलोनी की नंगी टाँगें और हल्की सी चूत की भी झलक मिल गई थी..
मुझे बिल्कुल पता नहीं था कि वो चुम्मा ले चुके थे या केवल साड़ी ही ऊपर कर पाये थे !
मैं एकदम से पीछे को हो गया !
तभी मुझे सलोनी के बिस्तर से उठने की झलक भी दिखाई दी, दो सेकंड रूककर जब मुझे लगा कि अब दोनों सही हो गए होंगे, मैंने कमरे में प्रवेश किया …
अंकल का चेहरा तो फ़क सफ़ेद था, मगर सलोनी सामान्य तरीके से अपनी साड़ी सही कर रही थी…
सलोनी- ओह जानू आप आ गए.. बिल्कुल ठीक समय पर आये हो.. देखो मैं कैसी लग रही हूँ?
मेरे दिल ने कहा- ..हाँ जान सलोनी.. तुम्हारे लिए तो सही समय पर आया हूँ… पर अंकल को देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा कि मैं ठीक समय पर आया हूँ … बहुत मायूस दिख रहे हैं बेचारे… उनके चेहरे को देखकर ऐसा ही लग रहा था जैसे बच्चे के हाथ से उसकी चॉकलेट छीन ली हो..
वैसे गर्मी इतनी है कि आइसक्रीम का उदाहरण ज्यादा सटीक रहेगा…
मैं- वाओ जान.. आज तो बिल्कुल क़यामत लग रही हो.. मैं तो हमेशा कहता था कि साड़ी में तो मेरी जान कत्लेआम करती है..
सलोनी- हाँ हाँ रहने दो… आपको तो हर ड्रेस देखकर यही कहते हो… आपको पता है न मेरी जॉब लग गई है…
मैंने तुरंत आगे बढ़कर सलोनी को सीने से लगा एक चुम्मा उसके होंठों पर किया ..
यह मैंने इसलिए किया कि अंकल थोड़ा नार्मल हो जाएँ वरना इस समय अगर मैं जरा ज़ोर से बोल देता तो कसम से वो बेहोश हो जाते..
क्योंकि दिल से वाकयी अरविन्द अंकल बहुत अच्छे इंसान हैं.. और हाँ मेरी नलिनी भाभी भी …
मैं- हाँ जान… तुमको बहुत बहुत बधाई.. चलो अब तुम बिल्कुल बोर नहीं होगी… यह बहुत अच्छा हुआ…
सलोनी- लव यू जान.. और हाँ वहाँ साड़ी पहनकर ही जाना है और अंकल ने मेरी बहुत हेल्प की है..
अंकल- अरे कहाँ बेटा, बस जरा सा तो बताया है… बाकी तो तुमको आती ही है… अच्छा अब तुम दोनों एन्जॉय करो, मैं चलता हूँ…
मैं- अरे अंकल रुको ना… खाना खाकर जाना…
सलोनी- पर मैंने अभी तो कुछ भी नहीं बनाया..
मैं- तो बना लो ना… या ऐसा करते हैं कहीं बाहर चलते हैं…
अंकल- अरे बेटा… मैं तो चलता हूँ.. मैं तो सादा खाना ही खाता हूँ.. और नलिनी भी इन्तजार कर रही होगी…
सलोनी- ठीक है अंकल, थैंक्यू… और हाँ सुबह भी आपको हेल्प करनी होगी.. अभी तो एकदम से मेरे से नहीं बंधेगी.. यह इतनी लम्बी साड़ी…
अंकल- अरे हाँ बेटा, जब चाहे बुला लेना…अंकल चले गये…

कहानी जारी रहेगी
 
अपडेट 63

सलोनी- हाँ जानू, चलो कहीं बाहर चलते हैं खाने पर.. पर कहाँ ..???
मैं- चलो, आज अमित के यहाँ ही चलते हैं… वो तो आया नहीं… हम ही धमक जाते हैं साले के यहाँ..
सलोनी- नहीं जानू कहीं और… बस हम दोनों मिलकर सेलिब्रेट करते हैं… किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में चलते हैं..
मैं- ओके, मैं बस दो मिनट में फ्रेश होकर आया… और हाँ तुम यह साड़ी पहनकर ही चलना..
सलोनी- नहीं जान.. यह तो कल स्कूल पहनकर जाऊँगी.. कुछ और पहनती हूँ.. (मुझे आँख मारते हुए) ..सेक्सी सा…
मैं- यार, एक काम करो तुम, ड्रेस रख लो.. गाड़ी में ही बदल लेना आज…
और बिना कुछ सुने मैं बाथरूम में चला गया, अब देखना था कि सलोनी ड्रेस बदल लेती है या फिर मेरी बात मानती है.बाथरूम में 5 मिनट तक तो मैं यह आहट लेता रहा कि कहीं अंकल फिर से आकर अपना अधूरा कार्य पूरा तो नहीं करेंगे?मगर मुझे कोई आहट नहीं मिली…
दोनों ही डर गए थे… अंकल तो शायद कुछ ज्यादा ही कि मैंने कहीं कुछ देख तो नहीं लिया या मुझे कोई शक तो नहीं हो गया.हो सकता है कि अंकल तो शायद डर के मारे 1-2 दिन तक मुझे दिखाई भी ना दें…
करीब 15 मिनट बाद मैं बाथरूम से बाहर निकल कर आया तो सलोनी सामने ही अपनी साड़ी की तह बनाते नजर आई.मैं थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया कि मेरे कहने के बावज़ूद भी उसने कपड़े क्यों बदले ..??क्या वो खुद मस्ती के मूड में नहीं थी? या मुझे अभी भी अपनी शराफत दिखा रही थी?
मैं तो यह सोच रहा था कि वो खुद रोमांच से मरी जा रही होगी कि कैसे अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट खुद चलती गाड़ी में निकालेगी और दूसरी ड्रेस पहनेगी ..
मैं खुद बहुत ही ज्यादा रोमांच महसूस कर रहा था कि आसपास से गुज़रने वाली गाड़ियाँ और पैदल चलने वाले लोग उसके नंगे बदन या नंगे अंगों को देख कैसे रियेक्ट करेंगे…
मगर सलोनी ने तो सब कुछ एक ही पल में ख़त्म कर दिया था… उसने अपनी ड्रेस घर पर ही बदल ली थी…और ड्रेस भी उसने कितनी साफ़ सुथरी पहनी थी.. फुल जीन्स और लगभग सब कुछ ढका हुआ है.. ऐसा टॉप…
ऐसा नहीं था कि इन कपड़ों में कोई सेक्स अपील न हो…उसकी चूचियों के उभार और टाइट जीन्स में चूतड़ों का आकार साफ़ दिख रहा था… मगर एक मॉडर्न परिवार की संस्कारी बहू जैसा ही… जैसा अमूमन सभी लड़कियाँ पहनती हैं..जबकि सलोनी तो बहुत सेक्सी है… वो तो काफी खुले कपड़ों में भी बाजार जा चुकी है..
जब वो दिन में मिनी स्कर्ट पहनकर बाजार जा सकती है.. अब तो रात है… और वो भी अपने पति के साथ ही जा रही है…मेरा चेहरा कुछ उतर सा गया…
सलोनी- आप कपड़े यहीं पहनकर जाओगे या कुछ और निकालूँ?
मैं- बस बस रहने दो… तुमसे वही पहनकर चलने को कहा था, वो तो सुना नहीं… और मेरे साथ चल रही हो.. एक रोमांटिक डिनर पर… ऐसा करो बुर्का और पहन लो..
सलोनी- ओह मेरा सोना.. मेरा बाबू.. कितना नाराज होता है..
सलोनी को शायद कुछ समय पहले हुई हरकत का थोड़ा सा अफ़सोस सा था, वो अपना पहले वाला पूरा प्यार दिखा रही थी..उसने मुझे अपने गले से लगा लिया.. मुझे चिपकाकर उसने मेरे चेहरे पर कई चुम्बन ले दिए…
मैं- बस बस… रहने दो यार.. जब हम रोमांटिक होते हैं तो तुम जरुरत से ज्यादा बोर हो जाती हो..
सलोनी- क्या कहा.. मैं और बोर? नहीं मेरे जानू… तुम्हारे लिए तो मेरी जान भी हाजिर है.. तुम जैसा चाहो, मैं तो बिल्कुल वैसे ही रहना चाहती हूँ..
मैं- तो ये सब क्या पहन लिया?? तुम्हारे पास कितने सेक्सी ड्रेसेज़ हैं.. कुछ बढ़िया सा नहीं पहन सकती थीं?
सलोनी- मेरे जानू, तुम बोलो तो फिर से साड़ी पहन लेती हूँ..
मैं- हा हा… फिर तो कल का लंच ही मिल पायेगा.. मुझे पता है तुम कितनी परफेक्ट हो साड़ी पहनने में..
सलोनी- हाँ यह तो है.. अब आप बताओ.. जो कहोगे वो ही पहन लूँगी !बिस्तर पर सलोनी की 2-3 ड्रेसेज़ और भी पड़ी थी..
मैंने उसकी एक सफ़ेद मिनी स्कर्ट ..जिसमे आगे और पीछे बहुत सेक्सी पिक्चर भी थी.. और एक लाल ट्यूब टॉप लिया जो केवल चूचियों को ही ढकता है…सलोनी ने मेरे हाथ से दोनों कपड़े झपटने लेने की कोशिश की- लाओ ना, मैं अभी फटाफट बदल लेती हूँ..
मैं- अरे छोड़ो यार ये तो अब… मैंने कहा था ना… चलो गाड़ी में ही बदल लेना…
सलोनी- अरे गाड़ी में कैसे… क्या हो गया है आपको जानू?? सब देखेंगे नहीं क्या ..??
मैं- अरे कोई नहीं देखेगा यार.. चलती गाड़ी में ही कह रहा हूँ ना कि खुली सड़क पर…
सलोनी- मग्गरर..
मैं- कोई अगर मगर नहीं यार.. अगर थोड़ा बहुत कोई देखता भी है तो हमारा क्या जायेगा… उसका ही नुक्सान होगा…हा हा हा हा…मैंने आँख मारते हुए उसको छेड़ा !
अबकी बार सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हल्के से मुस्कुरा दी बस !
हम दोनों जल्दी से फ्लैट लॉक करके गाड़ी में आकर बैठ गये और थैंक्स गॉड कि कोई रोकने टोकने वाला नहीं मिला.
सलोनी- तो कहाँ चलना है?
मैं- बस देखती रहो…
मैंने सोच लिया था आज फुल मस्ती करने का…मैं सलोनी को अब अपने से पूरी तरह खोलना चाह रहा था इसलिए मैंने नाइटबार-कम-रेस्टोरैंट में जाने की सोची.
वो शहर के बाहरी छोर पर था और करीब 4 किलोमीटर दूर… वहाँ बार-डांसर भी थीं जो काफी कम कपड़ों में सेक्सी डांस करती हैं.. खाना और ड्रिंक सब कुछ मिल जाता है…और कपल्स भी आते थे… इसलिए कोई डर नहीं है…
मैंने पहले भी सलोनी के साथ कई बार ड्रिंक किया था.. मुझे पता था वो हल्का ड्रिंक पसंद करती है मगर उसको पीने की ज्यादा आदत नहीं है.
शहर के भीड़ वाले एरिया से बाहर आ मैंने सलोनी को बोला- जान, अब कपड़े बदल लो !सलोनी आसपास आती जाती गाड़ियों को देख रही थी ..
सलोनी- ठीक है.. पर हम जा कहाँ रहे हैं?
मैं- अरे यार, देख लेना खुद जब पहुँच जायेंगे !
सलोनी बिना कुछ बोले अपने टॉप के बटन खोलने लगी.मैंने जानबूझकर गाड़ी की स्पीड कुछ कम कर दी जिसका सलोनी को कुछ पता नहीं चला.

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 64

शहर के भीड़ वाले एरिया से बाहर आ मैंने सलोनी को बोला- जान, अब कपड़े बदल लो !सलोनी आसपास आती जाती गाड़ियों को देख रही थी…
सलोनी- ठीक है.. पर हम जा कहाँ रहे हैं?
मैं- अरे यार, देख लेना खुद जब पहुँच जायेंगे !
सलोनी बिना कुछ बोले अपने टॉप के बटन खोलने लगी.मैंने जानबूझकर गाड़ी की स्पीड कुछ कम कर दी जिसका सलोनी को कुछ पता नहीं चला.
मैं सलोनी पर हल्की सी नजर मार रहा था पर आस पास के लोगो को ज्यादा देख रहा था कि कौन-कौन मेरी बीवी को देख रहा है…मगर आती जाती गाड़ियों की लाइट से कुछ पता नहीं चल रहा था…हाँ फ़ुटपाथ पर जाते हुए 1-2 लड़कों ने जरूर हल्की सी झलक देखी होगी…

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मैंने सलोनी की ओर देखा… उसने टॉप निकाल दिया था… अंदर उसने सेक्सी लेस वाली क्रीम कलर की ब्रा पहनी थी जो उसके 36 इंच के मम्मों का आधा भाग ही ढक रही थी… केवल ब्रा में सलोनी का ऊपरी शरीर गजब ढा रहा था…सलोनी लाल वाले ट्यूब टॉप को सीधा करके पहनने लगी मगर मैंने उसके हाथ से टॉप ले लिया.
सलोनी- क्या कर रहे हो? जल्दी दो ना… अब मुझे पहनने तो दो…
मैं- अरे पहले स्कर्ट पहनो यार… तुम भी ना… तुम भी रूल तोड़ती हो…असल में हम दोनों ने एक नियम बनाया था… पहनते समय पहले बॉटम, फिर टॉप… उतारते समय… पहले टॉप, फिर बॉटम…
सलोनी को हंसी आ गई- आज तो लगता है आप पहले से ही पीकर आये हैं… बिल्कुल नशे वाली हरकतें कर रहें हैं…
मैं- अरे नहीं जानू… अभी पिएंगे तो बार में जाकर.. तुमको तो पता है कि पीते भी हम तुम्हारे साथ ही हैं…
सलोनी- लगता है आज आप पूरे मूड में हैं…
सलोनी बात करते हुए ही अपनी जीन्स का बटन और चेन खोल… जीन को बैठे बैठे ही निकालने की कोशिश की…मगर जीन्स बहुत टाइट थी, सलोनी के चूतड़ों से उतरी ही नहीं… उसको सीट के ऊपर होना पड़ा…
एक पैर सीट के ऊपर रख जब उसने जीन्स चूतड़ों से उतार दी और उसको पैरों से निकालने लगी, तभी मेरी नजर उसके नंगे साफ़ सफ्फाक चूतड़ों पर पड़ी…ओह यह क्या…?? उसने अभी भी कच्छी नहीं पहनी थी…
और अचानक मेरा पैर ब्रेक पर दब गया…एक तेज आवाज के साथ गाड़ी चिन्नंइइइइइइइइ इइइइइइइइइजरा देर के लिए रुकी…
और तभी एक बुजुर्ग जोड़ा जो पैदल ही जा रहा था, उनके पास ही गाड़ी रुकी और मुझे बुजुर्ग का चेहरा सलोनी की ओर के शीशे से झांकता. निश्चित ही उसने सलोनी का निचला शरीर नंगा देख लिया होगा… मगर और क्या देखा, यह तो वही जनाव बता सकते थे…
मैंने तुरंत गाड़ी आगे बढ़ा दी…अब तक सलोनी ने जीन्स पूरी निकाल पीछे सीट पर डाल दी…सलोनी के पूरे बदन पर अब केवल एक वो क्रीम रंग की छोटी सी ब्रा ही बची थी… और पूरा शरीर नंगा…किसी अजंता एलोरा की देवी जैसी ही नजर आ रही थी मेरी सलोनी इस समय…
मैं- क्या जान… कच्छी कहाँ है तुम्हारी?
सलोनी- ओह य्य्य्य्ये क्या हुआ…?? मैंने तो आज पहनी ही नहीं थी… अब क्या करेंगे…??
मैं- क्या यार तुम भी ना…??? पर आज तो तुमको वहाँ मैं स्कर्ट में ही लेकर जाऊंगा…
सलोनी सोच विचार में कपड़े पहनना ही भूल गई थी…मैं अभी सोच ही रहा था कि…ओह रेड लाइट…और मुझे वहाँ रुकना पड़ा…
अब सलोनी को भी अहसास हो गया कि गलती हो गई…अगर एक भी गाड़ी हमारे आस पास रूकती तो उसको एकदम पता चल जाता कि कोई नंगी लड़की गाड़ी में है…
मेरी भी हालत ख़राब थी… मैं अभी सोच ही रहा था कि तभी मेरी विंडो पर एक भिखारी और उसके साथ एक लड़की दोनों आकर खड़े हो गए…मैं अभी उस भिखारी को देख ही रहा था कि मेरी नजर जैसे ही उसकी नजरों पर पड़ी…मैंने देखा वो सीधा सलोनी की ओर ही देख रहा था…और सलोनी…..
एक शाम मस्ती करने के लिए अपनी सुन्दर बीवी सलोनी के साथ बाहर क्या निकला… शाम मस्ती से भी कहीं ज्यादा मस्ती भरी होती जा रही थी…
मेरी बीवी सलोनी लगभग पूरी नंगी मेरे बराबर वाली सीट पर बैठी थी… उसके सफ़ेद, गोरे संगमरमरी बदन पर केवल एक छोटी से ब्रा भर थी… जिसमें से उसके भारी और गदराये मम्मे का बहुत बड़ा भाग बाहर ही था… नीचे से वो पूरी नंगी थी… एक रेशा तक उसके बदन पर नहीं था…
उसकी चिकनी चूत और गद्देदार चूतड़ देख कोई भी कुछ भी कर सकता था…और ऊपर से लाल बत्ती जहाँ मुझे गाड़ी रोकनी ही थी…मुझे डर था कि कहीं कोई पुलिस वाला ना आ जाए…
मगर यहाँ तो एक भिखारी आ गया था और साला बड़ी कमीनी नजर से सलोनी को घूर रहा था…उसको देखकर ऐसा तो नहीं लग रहा था जैसे उसने ये सब पहली बार देखा हो…इसका मतलब हमारे शहर में ये सब होता रहता होगा… या हो सकता है उसको देखने में मजा आ रहा था…
मैंने सलोनी की ओर देखान उसने शरमाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा कर लिया था और अपने हाथ में पकड़ा टॉप को अपने सीने पर रख लिया था…
मगर उसका क़यामत ढाने वाला बदन तो अभी नंगा ही था…जो उसने अपनी बेबखूफी में उसके सामने और भी ज्यादा उजागर कर दिया था…
उसने उससे छुपने के लिए अपना दायां पैर बाएं के ऊपर चढ़ाकर पूरा अपनी विंडो की ओर झुक कर बैठ गई…इस पोजीशन में उसके नंगे चूतड़ पूरे ऊपर को उठकर मेरी ओर हो गए थे और उस भिखारी एवं लड़की को साफ़ साफ दिख रहे थे…

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भिखारी- वाह साब… क्या माल फंसाया है… जमकर गांड मारना इसकी…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 65

मगर यहाँ तो एक भिखारी आ गया था और साला बड़ी कमीनी नजर से सलोनी को घूर रहा था…उसको देखकर ऐसा तो नहीं लग रहा था जैसे उसने ये सब पहली बार देखा हो…इसका मतलब हमारे शहर में ये सब होता रहता होगा… या हो सकता है उसको देखने में मजा आ रहा था…
मैंने सलोनी की ओर देखान उसने शरमाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा कर लिया था और अपने हाथ में पकड़ा टॉप को अपने सीने पर रख लिया था…
मगर उसका क़यामत ढाने वाला बदन तो अभी नंगा ही था…जो उसने अपनी बेबखूफी में उसके सामने और भी ज्यादा उजागर कर दिया था…
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उसने उससे छुपने के लिए अपना दायां पैर बाएं के ऊपर चढ़ाकर पूरा अपनी विंडो की ओर झुक कर बैठ गई…
इस पोजीशन में उसके नंगे चूतड़ पूरे ऊपर को उठकर मेरी ओर हो गए थे और उस भिखारी एवं लड़की को साफ़ साफ दिख रहे थे…
भिखारी- वाह साब… क्या माल फंसाया है… जमकर गांड मारना इसकी…
उसकी बात सुनकर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया… साला कितना कमीना था… एकदम खुली सड़क पर कैसी बात बोल रहा था और वो भी मेरी बीवी के बारे में…
अभी मैं उसकी बात से बाहर भी नहीं आया था…
कि उसके साथ वाली लड़की बोल पड़ी- क्या साब?? हमारी भी देख लो… 50 ही दे देना…य्ह लड़की तो कमाल थी… मैं भौचक्का सा उसको देखता रह गया… कुछ समझ नहीं आया कि क्या करूँ…??
तभी बत्ती हरी हो गई… हम लगभग शहर के बाहर ही थे… केवल 2-3 ही गाड़ियां थी… जो हरी बत्ती होते ही चली गईं…
अब सिग्नल पर केवल हमारी गाड़ी और वो दोनों भिखारी ही खड़े थे…तभी सलोनी उस लड़की को बोलते सुन चुप नहीं रह पाई- …अच्छा चल-चल, आगे बढ़… क्या दिखाएगी तू अपनी…??
सलोनी को बोलता देख वो समझ रहे थे कि वो शायद कोई सड़क छाप रंडी है…
लड़की- तू चुप कर छिनाल… तेरी तरह बेशरम थोड़ी हूँ जो सबको अपनी गांड दिखाती फिर रही है…
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लड़की की बात सुनते ही सलोनी शर्म से पानी पानी हो गई… वो गाड़ी में एकदम से सिकुड़ कर बैठ गई…
भिखारी- अरे साब… मेरी बेटी की भी देख लो… इस कुतिया से तो बहुत अच्छी है… वैसे तो सब सौ देकर जाते हैं… आप 50 ही दे देना… चाहे आगे से मार लो या पीछे से… कुछ नहीं कहेगी…
मैं तो वाकयी आश्चर्य चकित था कि एक बाप अपनी बेटी के बारे में कैसे ऐसा सब बोल सकता है…
मैंने तुरंत गाड़ी स्टार्ट की… मुझे जाता देख वो तुरंत लड़की को लेकर गाड़ी के आगे आ गया…
और बेशर्मी से खुली सड़क पर अपनी बेटी का गन्दा सा लहंगा पूरा उठा दिया और लड़की को आगे को झुकाकर उसके चूतड़ दिखाने लगा…
लड़की ने लहंगे के अंदर कुछ नहीं पहना था, वो पूरी नंगी थी… उसके काले काले चूतड़ मेरी गाड़ी की हेडलाइट में चमक रहे थे.
और वो भिखारी जो खुद को उस लड़की का बाप कह रहा था… उस लड़की के नंगे चूतड़ पर हाथ मारकर मेरी और बहुत गन्दा सा इशारा करते हुए बोला- मार लो साब… बहुत टाइट है इसकी… सिर्फ़ 50 में…
मुझे बहुत हंसी भी आ रही थी और अब गुस्सा भी… फिर भी मैंने गाड़ी की डेशबोर्ड से 50 का नोट निकाला…
जैसे ही मेरी नजर सलोनी से मिली… वो बहुत ही बड़ी बड़ी आँखें निकाल कर प्रशन भरी नजरों से देख रही थी कि क्या अब इस भिखारी लड़की की मारोगे…??
अब मैं उससे क्या कहता… मैंने आँख बंद कर उसको इशारा सा किया…और मैंने चुपचाप अपनी ओर वाला शीशा नीचे किया और हाथ बाहर निकाल उसे 50 का नोट दिखाया…
वो तुरंत अपनी बेटी का लहंगा वैसे ही पकड़े पकड़े उसके चूतड़ों को सहलाता हुआ मेरी विंडो के पास आया- देखो साब… मैं झूठ नहीं बोलता… बहुत टाइट है इसका छेद… वैसे चाहो तो यहीं रोड के किनारे ही चोद दो साब… कोई नहीं आता यहाँ…
जैसे ही उसने मेरे हाथ से नोट लिया… मैंने ध्यान से उसकी बेटी के चूतड़ों की ओर देखा और जोर से हंसी आ गई…काले चूतड़ों के बीच उसका लाल खुला हुआ छेद साफ़ दिख रहा था जैसे खूब चुदवाती हो…मैंने अपना हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसको थोड़ा सा गाड़ी से दूर को किया…सच चूतड़ तो उसके बहुत चिकने थे… ऐसा लगा जैसे मक्खन में हाथ लगाया हो…
जैसे ही वो आगे को हुए… मैंने बाएं हाथ से गीयर डाल तुरंत एक्सीलेटर पर पैर रख दिया…और यह भी बोल दिया- मेरी तरफ़ से तू ही इसकी मार लेना…गाड़ी आगे बढ़ गई, मैंने साइड मिरर में देखा, वो पीछे चिल्लाते रह गए…हम दोनों ही जोर जोर से हंस रहे थे…
सलोनी ने अब अपनी स्कर्ट और वो लाल ट्यूब टॉप पहन लिया था… उसको शायद डर था कि कहीं और कोई उसको नंगी न देख ले…
सलोनी- क्यों… उसको देख बड़ी लार टपका रहे थे… क्या करने का इरादा था?
मैं उससे मजे लेने के मूड में था- बस जान सोच तो रहा था कि एक दो शॉट मार लूँ…
सलोनी- बहुत बेशरम हो गए हो तुम… सच…और वो दबे होंठों से मुस्कुरा भी रही थी…
मैं- अच्छा… मैं बेशरम? नंगी तुम बैठी थीं उनके सामने… और मैं…
सलोनी- क्या तुम भी…?? कैसे घूर रहा था कमीना… मेरी तो समझ ही नहीं आया कि क्या करूँ?? मगर तुम भी ना… इसीलिए मैं घर से ही बदल कर आ रही थी…
मैं- ओह रिलैक्स यार… कुछ नहीं हुआ… क्या हो गया जो उसने देख लिया तो…?? सब चलता है यार…
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सलोनी खूब मस्ती से मेरे साथ बैठी थी… वो शायद भूल गई थी कि उसकी स्कर्ट बहुत छोटी है और उसने कच्छी तक नहीं पहनी है, जरा भी हिलने डुलने से बाकी लोगों को बहुत कुछ दिख जाने वाला था.
हम नाइट क्लब में पहुंचे…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 66

सलोनी खूब मस्ती से मेरे साथ बैठी थी, वो शायद भूल गई थी कि उसकी स्कर्ट बहुत छोटी है और उसने कच्छी तक नहीं पहनी है, जरा भी हिलने डुलने से बाकी लोगों को बहुत कुछ दिख जाने वाला था.

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हम नाइट क्लब में पहुंचे… पार्किंग गेट पर ही एक लड़के ने सलोनी की ओर वाला दरवाजा खोल अदब से उसको उतरने के लिए कहा और सलोनी अपना बायां पैर बाहर रख उतरने लगी…
मेरी नजर उस लड़के पर ही थी, उसकी फैलती आँखे बता रही थीं कि उसने वो देख लिया जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी !
उस लड़के की नजर सलोनी की स्कर्ट में ही थी… उसने सोचा होगा कि कच्छी देख लूंगा… मगर यहाँ तो… कच्छी ही गायब थी तो क्या दिखा होगा…??
मैं गाड़ी पार्क करके सलोनी के पास आया, वो लड़का अभी भी सलोनी को भूखी नजरों से घूर रहा था…
सलोनी इसे अपनी खूबसूरती मान रही थी, वो शायद भूल गई थी कि उसने कच्छी नहीं पहनी क्योंकि वो बहुत बिंदास होकर चल रही थी…
मैंने भी उसको याद दिलाना उचित नहीं समझा… मैं भी उसके मस्ताने रूप और अंदाज का मजा लेना चाहता था.
उसके चलने से हल्की हल्की उड़ती स्कर्ट माहौल को बहुत गर्म बना रही थी.
वो लड़का हमारे गेट के अंदर जाने तक सलोनी की टांगों को ही देखता रहा…
सबसे पहले हम बार में ही गए और कोने वाली डबल सीट पर बैठ गए, कुछ देर बाद वेटर आया, वो भी सलोनी को भूखी नजरों से ही घूर रहा था.
वैसे तो वहाँ और भी जोड़े बैठे थे मगर सलोनी जैसी सेक्सी कोई नहीं थी इसीलिए ज्यादातर वहाँ बैठे हमें ही देख रहे थे.
मैंने वोडका आर्डर की, मुझे पता था कि सलोनी वोडका ही पसंद करती है… सलोनी ने कोई विरोध नहीं किया…
वैसे तो वो 1-2 पेग ही पीती है मगर मैंने आज उसको अपने साथ 4-5 पेग पिला दिए तो वो कुछ ज्यादा ही नशे में हो गई थी… बार बार उठकर बड़बड़ाने लगती थी…
अब मुझे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैंने क्यों उसको ज्यादा पिला दी…
तभी उसको उलटी जैसी फीलिंग होने लगी…अब मैं घबरा गया, मैंने के वेटर को बुलाया…उसने मुस्कुराकर कहा- घबराओ मत साहब… मैं मेमसाब को वाशरूम तक ले जाता हूँ…
और वो सलोनी को पकड़कर बड़े अदब के साथ वाशरूम की ओर ले गया…मैं अपना बचा हुआ पेग ख़त्म करने लगा…
करीब दस मिनट में भी जब सलोनी नहीं आई तो मैं उसको देखने के लिए चल पड़ा… मुझे घबराहट होने लगी कि यार यह कहाँ गई…और तभी…!!!
कभी-कभी शराब पीने का लालच भी कितना बुरा होता है केवल एक पेग पीने के लिए मैं कितना बावला सा हो गया था… मैंने अपनी स्वप्न सुंदरी, अति खूबसूरत कामुक बीवी को जो इस समय अर्धनग्न अवस्था और नशे में थी, उसको एक अजनबी के साथ भेज दिया था…
जरा सी असावधानी ही दूसरे को बता सकती थी कि उसकी चूत बिना किसी आवरण के है और इस नशे की हालत में तो उसको अपनी स्कर्ट क्या टॉप का भी ध्यान नहीं होगा…
अगर उसको पकड़ने के लिए ही उस वेटर ने उसके चूतड़ों पर हाथ रखा होगा तो उसको सलोनी के नग्न चूतड़ों का आभास हो गया होगा…
और अगर उसने उसके चूतड़ों को जरा भी सहलाया तो मुझे तो सलोनी पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था…
जो हर समय गरम और हर काम के लिए तैयार रहती हो… जिसे सेक्स में हर कार्य केवल आनन्द मात्र लगता हो…
चाहे आदमी कोई हो… बस ज़िंदगी का मजा आना चाहिए… वो क्या वेटर को मना करेगी… हो सकता है खुद ही उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में ले ले…
और मैंने ऐसी हालत में अपनी पत्नी को उस हवशी वेटर के हवाले कर दिया था… ना जाने पिछले 10-15 मिनटों में उसने सलोनी के साथ क्या क्या किया होगा…
मैं साइड में बनी गैलरी में दोनों और देखता हुआ जा रहा था कि मुझे वहीं एक तरफ काफी गंदगी दिखी जो फैली हुई थी…
वो जरूर किसी की वोमिट (उलटी) ही थी… लगता था जैसे सलोनी ने वहीँ उलटी कर दी हो… तभी एक तरफ बने कमरे से कुछ आवाज सी सुनाई दी…
मैंने देखा कमरा जरा सा खुला था… डर तो बहुत लग रहा था मगर फिर भी मैं बिना नोक किये ही अंदर चला गया…
अंदर कोई नहीं था… हाँ उस कमरे के अंदर भी एक बाथरूम था… वहाँ से बड़ी भयानक आवाजें आ रही थी…
मैंने थोड़ा निकट जाकर सुनने की कोशिश की…
लड़का- साली फाड़ दूंगा… थोड़ा और झुक…लड़की- अह्ह्ह्ह्ह्हीई ईईईईईई… ईईई नहीईइइइइइ इइइइइ… निकाल लो मर जाऊँगी…लड़का- अह्हा हा हा हा ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस चला गया पूरा अंदर… कोई नहीं मरता चुदाई से…
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.!
बस इतना सुनना था… मैं हड़बड़ा गया और मुझे सलोनी का ख्याल आ गया और मैंने फटाक से दरवाजा खोल दिया…
ओह थैंक्स गॉड…
सामने एक लड़की जिसने बहुत ज्यादा मेकअप किया था, कोई बार डांसर जैसी ही लग रही थी…
बिल्कुल नंगी… कपड़े की एक चिन्दी तक नहीं थी उसके बदन पर…
कमोड पर झुकी थी और एक मोटा, काला सा आदमी नीचे से नंगा… पीछे उसकी कोमल सी गांड में अपना लण्ड घुसाये आगे पीछे हो रहा था…
बड़ा ही सेक्सी नज़ारा था…मगर लड़की के चेहरे से दर्दमहसूस हो रहा था…दोनों ने ही एक साथ मेरे को देखा…
लड़की- ओहह्ह्ह्ह्ह… बचा लो साहब… बहुत दर्द हो रहा है…
आदमी- कौन है बे तू..?और लड़की से… चुप कर साली ! हजार रुपये लेते हुए दर्द नहीं हो रहा था?
लड़की- अरे तो चूत मारते ना… इतना मोटा खूटाँ… गाण्ड में ठूंस दिया… आह्ह्ह्हाआआआ माआआआ मर गई… ओह्ह्ह्ह बहुत दर्द कर रहा है…
मैं- अर्र्… ऐ ऐ ऐ ये आप लोग हो… व्ववओ एक लड़की कोई यहाँ… वो छोटी सी स्कर्ट और…
आदमी बहुत बेशर्म था… वो अब भी उस लड़की के चूतड़ों पर हाथ से मारते हुए लगातार उसको चोदने में लगा था, बोला- अरे वो गोरी सी छमिया… जो स्कर्ट के नीचे नंगी थी… अरे बहुत कसा हुआ माल है यार… उसको तो वो साला श्याम बराबर वाले कमरे में ले गया है… चोद रहा होगा साला… क्या चिकनी और कसी हुई चूत थी उसकी यार… उंगली तक अंदर नहीं जा रही थी…
उसने अपनी पहली उंगली को ऐसे सूंघा जैसे उसने खुद अपनी उंगली अंदर डाली हो…
लड़की- साहब बचा लो उसको… बिल्कुल नई ही लग रही थी… अह्हा हाँ आहा… ववो श्याम बहुत ही कमीना है… अह्हा अह्हा…
लगता था अब उस लड़की को भी चुदाई में मजा आ रहा था… पर मुझे उनकी चुदाई देखने का कोई शौक नहीं था… मुझे सलोनी की चिंता हो रही थी…
मैं जल्दी से वहाँ से निकला और बराबर वाले कमरे में देखा…
ओह यह कमरा तो अंदर से बंद था… मैंने जल्दी से कमरे को ज़ोर ज़ोर से खटखटाया… खट… खट… खट… खट… खट… खट… खट…
कई बार जोर से थपथपाने के बाद आवाज आई- कौन है…????
मैं- अरे श्याम खोल जल्दी से…
मैंने जान बूझकर उसका नाम लिया और मेरी ट्रिक काम कर गई…
तुरंत दरवाजा खुला, मैंने एक झटके में दरवाजा पूरा धकेला और अंदर घुस गया…
श्याम- अर्रर रे रे रे क्या है…????
मैं- साले कमीने… इसे यहाँ क्यों ले आया तू? तुझे क्या कहा था…
अब उसने मुझे पहचान लिया…
श्याम- वो साहब, मेमसाहब को बाहर ही उलटी हो गई थी… सब होटल गन्दा कर दिया… फिर बेहोश हो गई तो मैंने यहीं लिटा दिया था…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 67

कई बार जोर से थपथपाने के बाद आवाज आई- कौन है…????मैं- अरे श्याम खोल जल्दी से…मैंने जान बूझकर उसका नाम लिया और मेरी ट्रिक काम कर गई…
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तुरंत दरवाजा खुला, मैंने एक झटके में दरवाजा पूरा धकेला और अंदर घुस गया…श्याम- अर्र्र्र्र रे रे रे क्या है…????मैं- साले कमीने… इसे यहाँ क्यों ले आया तू? तुझे क्या कहा था…अब उसने मुझे पहचान लिया…
श्याम- वो साहब, मेमसाहब को बाहर ही उलटी हो गई थी… सब होटल गन्दा कर दिया… फिर बेहोश हो गई तो मैंने यहीं लिटा दिया था…
मैंने बिस्तर पर देखा… सलोनी वहाँ बेसुध लेटी थी… उसकी दोनों टाँगें खुली थीं… स्कर्ट ऊपर थी, टॉप चूची से नीचे थी.उसकी चूत और चूची दोनों पूरी तरह नंगी सामने से दिख रही थी !
मैंने एक जोर का थप्पड़ श्याम के गाल पर लगाया- …साले दरवाजा बंद करके तू कर क्या रहा था यहाँ?
श्याम- अरे नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं किया… बस इनका सीना मसलकर इनको होश में ला रहा था !
मैंने एक और थप्पड़ उसको जड़ दिया- वो तो दिख रहा है… साले इसको नंगी करके तू यहाँ दरवाजा बंद करके क्या कर रहा था? रुक साले, अभी मैनेजर को बुलाता हूँ…
श्याम- क्यों बात बढ़ाते हो साहब? आप भी तो इस माल को चोदने के लिए ही लाये हो… चलो आप चोद लो आराम से, मैं कमरे और आपका खर्च कोई नहीं लूँगा…
साला सच बहुत कमीना था… मैंने जानबूझकर ही उसको नहीं बताया था कि यह मेरी बीवी है.मैं- अच्छा तो तूने सब कर लिया?
श्याम- अरे नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं किया, बस ऊपर ही ऊपर से मजे लिए हैं… मैं वैसे भी इन बाहर की लड़कियों के साथ कभी चुदाई नहीं करता… बीमारी का डर रहता है साहब… आप करो, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा…
वो जैसे मेरे ही मुँह पर वो बिना आवाज का झापड़ लगा गया था… मैं अपना सा मुँह लिए उसको जाता देखता रहा…
अब मैंने सलोनी की ओर ध्यान दिया, मैंने जाकर उसको देखा तो उसकी दोनों चूची पूरी लाल हो रही थी और निप्पल बिल्कुल खड़े थे…
मैंने जैसे ही हाथ लगाया तो सलोनी के दोनों निप्पल थूक से लसलसे से दिखे, मैंने तुरंत सलोनी की चूत को हाथ लगाया तो ओह…???
वोडका के 4 पेग लगाने के बाद मुझे अच्छा खासा नशा हो गया था… अभी कुछ देर पहले तक मैं बहुत मस्ती में था क्योंकि काफी दिनों के बाद मैंने इतने पेग एक साथ लिए थे…
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मगर अभी कुछ देर की घटनाओ ने मेरे सारे नशे की ऐसी-तैसी कर दी थी… मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि जो मस्ती मैं करने आया था, वो ऐसी तो नहीं थी कि एक वेटर मेरी जान को ऐसे छोड़कर चला गया था !
सलोनी अभी भी बिस्तर पर लेटी थी, उसकी नंगी चूचियाँ अपने साथ हुए हर जुल्म की दास्ताँ सुना रही थी…
उसकी चूत पूरी तरह से खुली पड़ी थी… उसकी स्कर्ट जो वैसे ही बहुत छोटी थी और इस समय उसकी कमर के नीचे दबी थी… मेरा हाथ उसकी नंगी चूत पर चला गया.
जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ, वो बहुत गीली थी, चूत के आस पास के क्षेत्र से साफ़ पता चल रहा था कि उसके साथ छेड़छाड़ की गई है और चाटा भी गया है.
मगर मैंने जब अपनी गीली उँगलियों को सूँघा तो वो तो मेरी जान के चूत का ही पानी था…
मैं इस सुगन्ध को कैसे भूल सकता हूँ… जब भी सलोनी बहुत ज्यादा गर्म हो जाती थी तो उसकी चूत का पानी खुद व खुद निकलने लगता है… जिसकी खुशबू पूरे कमरे में फैल जाती है…
इसका मतलब सलोनी पूरी तरह गर्म हो गई थी, वो पूरा बेहोश नहीं थी, वो भी यहाँ जो भी हुआ था, उसका पूरा मजा ले रही थी…
मैंने एक बार फिर सलोनी की चूत पर उँगलियाँ घुमाई…सलोनी- अह्ह्हाआआआ ओह !
उसने एक जोर से सिसकारी भरी… इसका मतलब यह मजे ले रही है… हाँ, इसकी आँखें पूरी तरह बंद हैं… उसको नहीं पता कि उसके साथ कौन है…
मैंने उसको करीब 5 मिनट तक खूब गर्म कर दिया…
मेरा लण्ड भी पूरा तनतना रहा था मगर मैं अभी से सलोनी को चोद कर पूरा रात का मजा ख़राब नहीं करना चाहता था…
तभी वो वेटर फिर से कमरे में आ गयाम उसके हाथ में एक गिलास भी था…
वेटर श्याम- क्या साहब. चोद दिया क्या?? ऐसे कैसे मजा आया होगा आपको? लो, मैं यह नीम्बू पानी लाया हूँ… पहले इसको पिलाकर होश में लाओ, फिर आराम से इसकी चूत और गाण्ड दोनों मारना…
मैंने बिना कुछ बोले उससे गिलास ले लिया… सलोनी को उठाकर अपने कंधे पर अधलेटा किया और उसको वो नीम्बू पानी पिलाने की कोशिश करने लगा.
तभी वो वेटर साला मेरे सामने ही बैठ सलोनी की जांघें सहलाता हुआ बोला- साहब कुछ भी कहो… पर माल बहुत मस्त है… लगता है अभी नई ही धंधे में आई है… मैंने भी आज तक नहीं देखा…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट 68

मेरा लण्ड भी पूरा तनतना रहा था मगर मैं अभी से सलोनी को चोद कर पूरा रात का मजा ख़राब नहीं करना चाहता था.
तभी वो वेटर फिर से कमरे में आ गया उसके हाथ में एक गिलास भी था…
वेटर श्याम- क्या साहब. चोद दिया क्या?? ऐसे कैसे मजा आया होगा आपको? लो, मैं यह नीम्बू पानी लाया हूँ… पहले इसको पिलाकर होश में लाओ, फिर आराम से इसकी चूत और गाण्ड दोनों मारना…
मैंने बिना कुछ बोले उससे गिलास ले लिया… सलोनी को उठाकर अपने कंधे पर अधलेटा किया और उसको वो नीम्बू पानी पिलाने की कोशिश करने लगा.
तभी वो वेटर साला मेरे सामने ही बैठ सलोनी की जांघें सहलाता हुआ बोला- साहब कुछ भी कहो… पर माल बहुत मस्त है… लगता है अभी नई ही धंधे में आई है… मैंने भी आज तक नहीं देखा…
मैं बेबस सा उसको देख रहा था, अब कुछ कह भी नहीं कह सकता था, अगर जरा भी उसको बोलता कि मेरी बीवी है तो साला सभी को बोल देता और सभी मेरी बहुत मजाक उड़ाते…
उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी, उसने मेरे सामने ही सलोनी की चूत को अपने दोनों अंगूठों से खोलते हुए कहा- देखा साहब कितनी टाइट और पूरी लाल चूत है… और खुशबू भी ऐसी जैसी कुंवारी लड़की की चूत से आती है… सच साहब बहुत जानदार चूत है… मैं तो यहाँ रोज कई देखता हूँ पर ऐसी नहीं देखी…
.!
लग रहा था कि इस साले ने कसम खाई है वरना इसकी तो मार ही लेता…
बोलते बोलते कमीने ने अपना मुँह सलोनी की चूत पर लगा दिया…
मैं सलोनी के ऊपर वाले मुँह को किसी तरह खोलकर उसको नीम्बू पानी पिलाने में ही व्यस्त था…
और वो कमीना मेरी सलोनी के नीचे वाले होंठ पूरी तरह खोलकर मेरे ही सामने चूसने लगा.
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सलोनी को भी अब हल्का हल्का होश आने लगा था… मुझे डर सा लगने लगा कि यह सब देखकर ना जाने वो क्या सोचने लगे कि क्या ये सब मैं ही करा रहा हूँ?
मैंने कसकर एक लात उस वेटर को मारी… वो दूर हट गया…
मैं- तू अपने कमीनेपन से बाज नहीं आएगा साले…
श्याम बड़े गंदे ढंग से अपने होंटों को चाटने लगा और बोला- क्या साहब…?? कितना मजा आ रहा था… सच बहुत मजेदार है तिकोनी इसकी… पहले भी आपने नहीं चूसने दी…
जैसे ही चूसने लगा तभी आ धमके… और अब भी नहीं…
मैं- साले ये कोई धंधे वाली नहीं है… घरेलू है… मेरे साथ केवल घूमने आई है…
श्याम- ओह तो यह बात है… किसी और की घरवाली के साथ मजे… कोई बात नहीं साहब… करो मजे…
सलोनी अब हल्के हल्के कुनमुनाने लगी तो मैंने उसको जाने का इशारा किया और वो शराफत से चला भी गया…
सलोनी- ओह क्या हुआ…?? मेरा सर…ओह यह सब?
मैं- कुछ नहीं जान… तुमको जरा ज्यादा हो गई थी, चलो बाहर चलकर बैठते हैं.
सलोनी ने खुद को व्यवस्थित किया, उसने मुझसे कोई बात नहीं की.
मैं- जान कैसा लग रहा है… अब सब सही है ना?
सलोनी- सॉरी जानू… पता नहीं मुझे क्या हो गया था? वो मैं टॉयलेट गई थी… फिर पता नहीं क्या हुआ एकदम से…
मैं- कुछ नहीं जान, चलो बाहर चलकर बैठते हैं !
और हम रेस्टोरेंट में आकर बैठ गए… वहाँ दो बार गर्ल काफी छोटे कपड़ों में डांस कर रही थीं.

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सलोनी- क्या खाना यहीं खायेंगे?
मैं- हाँ जान… क्यों क्या हुआ?
सलोनी- नहीं कुछ नहीं… वो सब हमको ही देख रहे हैं…
मैं- हाँ जान लगता है तुम भूल गई हो कि तुमने स्कर्ट के नीचे कच्छी नहीं पहनी है और तुम्हारे लेटने से स्कर्ट भी सिकुड़ गई है…
सलोनी को जैसे सब कुछ याद आया… मैंने भी जानबूझकर ही उसको याद दिलाया कि कहीं बेख्याली में वो कुछ ज्यादा ना कर दे.
सलोनी- ओह मैं तो बिल्कुल भूल ही गई थी… सुनो, घर चलो ना… सब मुझे ही कैसी भूखी नजरों से देख रहे हैं…
मैं- अरे, तो क्या हुआ जान? मज़े लो ना… डरती क्यों हो, कोई कुछ करेगा थोड़े ना… मैं हूँ ना…
सलोनी ने कोई जवाब नहीं दिया…
हम सेंटर में एक मेज पर जाकर बैठ गए, मैंने कुछ स्नैक्स और सूप आर्डर किया…
अब डांस काफी सेक्सी हो गया था और लड़की भी बदल गई थी…
लड़कियाँ केवल ब्रा और छोटी सी कच्छी में बड़े ही उत्तेजक ढंग से डांस कर रही थीं… उनकी चूचियों का काफी हिस्सा उनके हिलने से बाहर निकले जा रहा था और दोनों चूचियाँ बहुत तेजी से हिल रही थी या ऐसे कहो कि वो हिला रही थीं…
उनके चूतड़ तो लगभग उनकी कच्छी से बाहर ही थे, बहुत पतली पट्टी ही उनके पीछे चूतड़ों को ढके थी.
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तभी एक लड़की नाचते नाचते हमारे मेज के पास आई, उसने जैसे ही मुझे आँख मारी… मुझे याद आया- ओह यह तो वही लड़की है जो अभी कुछ देर पहले उस कमरे में एक मोटे से चुद रही थी… अरे इसी की तो वो मोटा आदमी गांड मार रहा था और अब यह वही गांड नचा नचा कर सबको दिखा रही है…
तभी वो मेरी गोद में आकर बैठ गई… उसने अपने चूतड़ बड़े सेक्सी अंदाज़ में मेरे आधे खड़े लण्ड पर रगड़े और मेरे गालों को चूम लिया…
मेर हाथ भी उसकी चूचियों तक पहुँच गए थे पर 20 सेकंड में ही वो उठकर फिर स्टेज पर चली गई.
सलोनी- क्या बात जानू… लगता है यहाँ बहुत आते हो…?
वो लगातार मुस्कुरा रही थी…
मैं- अरे नहीं, वो तो मैंने अभी इसको अंदर देखा था…ओह… मेरे मुँह से निकल गया…
सलोनी- कहाँ अंदर…??? बताओ ना…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 69

नाइट क्लब के रेस्टोरेंट में हम दोनों ऐसी जगह बैठे थे जहाँ हमें हर कोई आसानी से देख सकता था.
मैंने चारों ओर नजर मारी तो ज्यादातर लोग हमें ही देख रहे थे… ऐसा नहीं कि वहाँ और कोई लड़की ना हो बल्कि हर मेज पर ही कोई लड़की या महिला बैठी थी
और ऐसा भी नहीं था कि सेक्सी कपड़ों (मिनी स्कर्ट और ट्यूब टॉप) में केवल सलोनी ही हो…
ज्यादातर वहाँ सेक्सी कपड़ों में ही थीं, और तो और जो लड़कियाँ नाच रही थीं, वो तो पूरी नंगी ही लग रही थीं…
फिर भी सलोनी की सुंदरता और सेक्स अपील हर किसी को उसी की ओर आकर्षित कर रही थी.
सलोनी का नशा अब काफी हद तक काबू में आ गया था, हाँ, झूम वो अब भी रही थी और उसकी जुबान भी लड़खड़ा रही थी मगर अब वो काफी सही लग रही थी.

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हाँ, कुर्सी पर दोनों पैरों के बीच उसने काफी गैप कर रखा था, वो तो शुक्र था कि उसके पैर मेज के अंदर ही थे वरना देखने वालों की पैंट की चेन ख़राब हो जाती !
सलोनी मेरी और झुकते हुए अब मेरे पर दबाव डालने लगी, पूछ्नए लगी- …बताओ ना जानू, तुमने क्या क्या देखा…?? सच मुझे कुछ भी याद नहीं…
मैं- अरे यार जब तुम नहीं आई ना, तो मैं अंदर गया था… तब यह एक मोटे से आदमी के साथ ता-ता-धिन्ना कर रही थी ! वो मैंने तो केवल आवाज सुनी, मैं समझा कहीं कोई तुमको तो परेशान नहीं कर रहा… पर जब दरवाजा खोलकर देखा, तो यह पूरी नंगी लगी हुई थी और चिल्ला भी रही थी…
सलोनी- हाय राम… आपने इसको पूरी नंगी देखा… वो भी सब करते हुए…
मैं- हाँ यार… मेरी जान… हम यहाँ अकेले ही तो हैं… क्या सब करते हुए… बोलो चुदवाते हुए…
.!
सलोनी- धत्त… आप तो पूरे बेशर्म ही हो गए हो… और चिल्ला क्यों रही थी?
मैंने आँख मारते हुए कहा- …अरे इतना बड़ा लौड़ा उस मोटे ने इसकी गांड में घुसा रखा था तो चिल्लाएगी ही ना… हा हा हा…
मैंने नशे में ही खुद को सलोनी के सामने पूरा खोल देने का सोच रखा था इसीलिए अब पूरे खुले और नंगे शब्दों का प्रयोग कर रहा था.
सलोनी- ओह क्या हो गया आपको… कितना गन्दा बोल रहे हो…
पर उसके होंटों पर भी मुस्कराहट बता रही थी कि उसको भी मेरी बातें अच्छी लग रही थी…
तभी मुझे एक कोने में मोटा बैठा दिखाई दिया तो मैंने कहा- हाँ देखो जानू… वो है, वो जो शनील के काली शर्ट में है… उस कोने में…
सलोनी ने उसको देखते ही मेरे हाथ को कस कर दबाया और बोली- अरे जानू, मुझे याद आ रहा है… जब मैं अभी अंदर गई थी ना तो यही था वहाँ… इसने मेरे साथ बदतमीजी भी की थी…
मैं- अच्छा? क्या किया था?
सलोनी- बस मेरे को तो नशा बहुत हो गया था और उलटी सी होने लगी थी… इसने ही मुझे पकड़ा था और मेरी स्कर्ट में हाथ डाला था…
मैं- अरे जान तुमको वहम हुआ होगा तुमको पकड़ने में लग गया होगा…
सलोनी- नहीं जान, मेरा विश्वास करो… यह बहुत कमीना है… इसने जानबूझकर मेरी स्कर्ट उठाई थी और हाथ फ़ेर कर अंदर सहलाया था…
मैं- क्या? और तुमने मना नहीं किया?
सलोनी- अरे मैं तो उलटी से परेशान थी… तभी इसने मेरी मजबूरी का फ़ायदा उठाया था… यह और वो कमीना वेटर दोनों मुझे नंगा करने में ही लगे थे…
मुझे गुस्सा सा आ गया, मैं जैसे ही उठने लगा, सलोनी ने कसकर मेरा हाथ पकड़ लिया- रुको ना, अब क्या यहाँ मेरा तमाशा बनाओगे? मेरे इन कपड़ों में कोई इनको गलत नहीं कहेगा… मेरा ही तमाशा बन जायेगा.
मैं- हम्म… पर अब अगर कुछ भी करता हूँ तो… साला बखेड़ा खड़ा कर देगा…
फिर सोचता हूँ कि यार जब मस्ती करने आये हैं तो ये सब तो होगा ही…
सलोनी- छोड़ो अब जो हुआ… अब आप मूड अच्छा करो और अपनी मस्ती ख़राब मत करो… शुक्र है इन्होंने बस छेड़छाड़ ही की…ना कि ज्यादा कुछ… वरना कुछ भी कर सकते थे…
मैं- अरे जान वो वेटर तो पिट ही गया था मुझसे… पता है तुमको कमरे में ले गया था और तुमको पूरी नंगी कर दिया था… वो तो मैं समय पर पहुँच गया वरना जाने क्या कर देता !!
सलोनी- क्याआआआ सच… मैं तो समझी आप मुझे वहाँ ले गए थे.
मैं- अरे जानू, उसने तो तुम्हारे सब… मतलब स्कर्ट और टॉप हटा दिए थे… और मजे से चूस रहा था…हा हा हा…
सलोनी- ऐसे क्यों कह रहे हो… मुझे शरम आ रही है…जब मैं होश में ही नहीं थी तो…
मैं अब उसको छेड़ने लगा- तब ही तो बोलता हूँ जानू… इतनी मत लिया करो… वरना कोई भी नशे में पेल जायेगा…
सलोनी- हाँ रहने दो… अभी किसी में हिम्मत नहीं है…
वो भी शायद मेरा मजाक समझ गई थी… इसलिए ज्यादा नाराज नहीं हो रही थी…
सलोनी- तो तुमने उस वेटर को बहुत मारा…
मैं- ज्यादा तो नहीं… पर हाँ 2-4 तो धर ही दिए थे… वैसे वो तुमको धंधे वाली समझ रहा था…
सलोनी- क्या?? बस आप मुझे यही और दिखाओगे, अच्छा खासा सही कपड़े पहन कर आ रही थी…
मैं- अरे, यहाँ हमको कौन जानता है ! मजे लो… उनको समझने दो कुछ भी… इसका भी एक अलग ही मजा है…
सलोनी- इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं धंधे वाली बन जाऊँ
मैं- अरे यार, कैसी बात कर रही हो… कपड़े बदलने से कोई इंसान नहीं बदल जाता… बल्कि एक दिन वैसी ज़िंदगी भी जी लेता है… मैं यही तो देखता हूँ कि दुनिया में पहचान इंसान से नहीं बल्कि चेहरे और कपड़ों से होती है…
सलोनी- हाँ, यह तो आपने ठीक ही कहा… सुनो आपकी बात सुनकर तो मुझे बड़ी अजीब सी फीलिंग हो रही है कि इन लोगों ने मेरे नंगे अंगों को देखा और छुआ होगा…
मैं- अरे यार खुलकर बोलो… मैं तुम्हारा पति जो तुमको बहुत प्यार करता है, जब तुम्हारे साथ है तो तुमको किस बात की चिंता… और जरा सी मस्ती करने में चूत या लण्ड घिस नहीं जाते… अच्छा तुम बताओ, अभी जब वो लड़की मेरी गोद में बैठी तो मेरा लण्ड उसकी गांड के स्पर्श से खड़ा हो गया… इसका मतलब मैं गलत हूँ या मेरे लण्ड या उसकी चूत का कुछ घिस गया… अरे यार जरा सा मजा आ गया बस…
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सलोनी लगातार मुझे देखे जा रहे थी, वो मुझे समझने की कोशिश कर रही थी.
तभी वहाँ तेज लाइट ओन हो गई और तेज म्यूजिक के साथ कॉमन डांस का अनाउंसमेंट हो गया.
सभी स्टेज के नीचे डांस फ्लोर पर डांस करने लगे, सलोनी भी मुझे डांस के लिए बोलने लगी.
पर मेरा बिलकुल मन नहीं था क्योंकि नशा बहुत हो गया था और मैं सबको डांस करते हुए उनकी हरकतें देखना चाह रहा था…
कुछ ही देर में एक वैल सूटेड बूटेड आदमी वहाँ आया और सलोनी को डांस के लिए बोलने लगा…
उसने मना किया… पर मैंने अपनी आँखों से उसको हाँ में इशारा किया… और सलोनी ने उसके बड़े हुए हाथ पर अपना हाथ रख दिया… दोनों डांस फ्लोर की ओर बढ़ने लगे…
मैं उसको बताना चाह ही रहा था कि अपनी स्कर्ट का ध्यान रखना.. कि अंदर कच्छी नहीं है… पर तब तक तो वो तेजी से आगे चली गई…
अब पता नहीं क्या होगा…????
क्या हसीन रात थी… यह वही समझ सकता है जिसने इसको जिया है… वो लोग मेरी नजर में बहुत दकियानूसी होते हैं जो मैं, मेरा और हमेशा शक और चिंता में ज़िंदगी गुजार देते हैं…
शायद बहुत लोगों को मैं पागल और सनकी लग रहा हूँ कि कैसे अपनी बीवी को दूसरों के बाँहों में डालकर मजे ले रहा है…
मगर सोचना इस पर कि कोई चीज अपना हक़ ज़माने से अपनी नहीं हो जाती… उसको हर तरह से प्यार करने और उसको अपनी मर्जी से सुख देने से वो आपको और भी ज्यादा प्यार करती है…
यही हाल अब सलोनी का भी था… उसकी आँखों में मेरे लिए एक अजीब सा प्यार नजर आने लगा था…
फिलहाल मैं उसके डांस और दूसरे लोगों द्वारा सलोनी को घूरने का मजा ले रहा था…
सलोनी एक लड़के के साथ नाच रही थी… वो मेरे से कुछ दूर थी… मैंने देखा वो बार बार मेरे को घूम घूम कर देख रही है…
मैंने उसको फ्री करने के इरादे से उसको बाय जैसे इशारा किया कि तुम एन्जॉय करो, मैं अभी आता हूँ…
और मैं उसको दिखाने के लिए बाहर की ओर आने लगा…
तभी मुझको वही वेटर मिल गया… क्या नाम था साले का… हाँ याद आया श्याम…मैंने उससे पूछा कि क्या कोई शर्ट मिल सकती है?
उसने अन्दर से लाकर मुझे एक सफ़ेद टी-शर्ट दे दी… मैंने अपनी शर्ट उतार कर उसे दी और सफ़ेद वाली टी-शर्ट पहन ली..वो बहुत से सवाल कर रहा था पर मैंने उसको चुप करा दिया कि बाद में बताऊँगा…
फिर मैं घूम कर पीछे से सलोनी के काफी निकट चला गया और उसकी तरफ पीठ कर ली…
वो काफी बिंदास होकर डांस कर रही थी, हल्का सा नशा उसको उन्मुक्त बनाये हुए था और ऊपर से मेरी बातों ने उसको काफी बिन्दास कर दिया था…
शायद हर लड़की का मन आजादी से अपनी मर्जी से मजे करने का होता है… मगर समाज की बंदिशें और दकियानूसी विचार उनको अपने मन की नहीं करने देते…
सलोनी वाकयी में बहुत निश्चिन्त होकर खुले मन से मस्ती कर रही थी, मज़े ले रही थी… उसको अब मेरी भी चिंता नहीं थी… वो समझ रही थी कि या तो मैं कहीं बाहर चला गया हूँ… और अगर हूँ भी तो उसको कुछ करने से मना करने वाला नहीं हूँ…

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और वो काफी हद तक सही भी थी… इसीलिए उसके बदन के हर अंग से एक अलग ही मस्ती झलक रही थी…
सलोनी के नाचने से उसका स्कर्ट बहुत तेजी से दोनों और घूम रहा था…
और उसकी टाँगें पूरी नग्न दिख रही थीं…

कहानी जारी रहेगी.

 
अपडेट. 70

सलोनी वाकयी में बहुत निश्चिन्त होकर खुले मन से मस्ती कर रही थी, मज़े ले रही थी… उसको अब मेरी भी चिंता नहीं थी… वो समझ रही थी कि या तो मैं कहीं बाहर चला गया हूँ… और अगर हूँ भी तो उसको कुछ करने से मना करने वाला नहीं हूँ…
और वो काफी हद तक सही भी थी… इसीलिए उसके बदन के हर अंग से एक अलग ही मस्ती झलक रही थी…
सलोनी के नाचने से उसका स्कर्ट बहुत तेजी से दोनों और घूम रहा था…
और उसकी टाँगें पूरी नग्न दिख रही थीं… पास वालों को तो नहीं मगर हाँ, दूर वाले जरूर उनको अंदर तक देख रहे होंगे, वो तो उनको आईडिया नहीं हुआ होगा… पर अगर उनको पता चल जाये कि इस हसीना ने अंदर कच्छी नहीं पहनी है तो शायद सबके लण्ड पानी छोड़ दें…
तभी लाइट काफी हल्की हो गई…
मैं जानता था कि ऐसे होटल में धीरे धीरे लाइट हल्की करते जातें हैं जिससे जोड़े अपनी मस्ती में डूबते जाते हैं…
मैंने देखा कि मेरे आगे एक जोड़ा डांस कर रहा था… लेडी कोई 35 साल की हल्की मोटी और कुछ सांवली सी थी…
उसने लाल टाइट स्लैक्स और सफ़ेद टी-शर्ट पहनी थी…
उसके साथ वाला आदमी भी काला और बहुत मोटा चश्मे लगाये बहुत गन्दा लग रहा था…
पता नहीं वो उसका पति था या कोई आशिक या बॉस…
पर दोनों बहुत रोमांटिक हो डांस कर रहे थे… दोनों एक दूसरे की बाँहों में जकड़े थे… और मोटा, काला आदमी लगातार उसके होंठों को चूसे जा रहा था…
पहले तो वो उस लेडी के चूतड़ों को स्लैक्स के ऊपर से ही सहला रहा था मगर लाइट हल्की हो जाने के बाद उसने अपने मोटे, गंदे हाथ स्लैक्स के अंदर डाल दिए थे…
मैंने साफ़ देखा कि उसके हाथ इतनी कसी हुई स्लैक्स को भी उठा, उठाकर काफी अंदर तक जा रहे थे… स्लैक्स के ऊपर से ही उसके हाथ लेडी के चूतड़ों पर चारों ओर घूमते हुए दिख रहे थे…
तभी मुझे पीछे से आवाज आई- वाओ मैम… आपने पैंटी नहीं पहनी…
सलोनी- ओह क्या कर रहे हो… अपना हाथ हटाओ वहाँ से…
मैंने अब सलोनी की ओर ध्यान दिया… ओह ! वो भी अब उस लड़के की बाहों में थी…
मैंने देखा कि वो लड़का भी सलोनी की स्कर्ट में अपना हाथ घुसाये था…
दोनों बहुत धीमे डांस कर रहे थे मगर लड़के का हाथ मुझे साफ़ दिख रहा था…
उसने सलोनी के चूतड़ों के बीच अपनी उँगलियाँ डाली हुई थी…
लड़का- अह्हा… कितनी गीली हो रही है मैम आपकी…
सलोनी- क्याआआ… ओह्ह्ह्ह्ह…
लड़का- चूऊऊत…
सलोनी- हटो बेशरम… बस्स्स्स्स निकालो न हाथ…
तभी मेरे पीछे से भी आवाज आई…मोटा आदमी- अरे देख जानेमन…वो साली नंगी ही आई है…मैंने एक साइड में हो दोनों को देखा… वो जोड़ा जो मेरे पीछे डांस कर रहा था… दोनों सलोनी को ही देख रहे थे…
लेडी- अरे हाँ… देखो कैसे उंगली करा रही है…
मोटा आदमी- हा हा… हाँ जैसे तेरे पति के सामने मैंने की थी तेरे…
लेडी- हा हा…हाँ बिलकुल… देखो कैसे मस्ती ले रही है…
इसका मतलब वो लेडी किसी और की पत्नी थी और यहाँ किसी और के साथ मस्ती करने आई थी…
मैंने देखा उस मोटे आदमी ने लेडी की स्लैक्स उसके चूतड़ों के काफी नीचे कर दी थी और उसके मोटे मोटे चूतड़ नंगे से दिखने लगे थे…
लेडी- क्या कर रहे हो आप? मुझे भी इसकी तरह ही नंगी करोगे क्या?
मोटा आदमी- तुझसे तो कितना कहता रहता हूँ… पर तुझे ही शर्म आती रहती है…
लेडी- अरे मन तो मेरा भी बहुत करता है… मगर साला वो हरामी… देखते नहीं हो… मेरी हर चीज पर कितनी नजर रखता है… हर समय बंदिश और बंदिश… नरक बना दिया है कमीने ने मेरी ज़िंदगी को… बस जब वो बाहर होता है… तभी कुछ जी पाती हूँ…
मेरे देखते देखते ही उस आदमी ने उसकी स्लैक्स चूतड़ से लगभग नीचे ही कर दी…
तभी वो आदमी घूमकर सलोनी की ओर आ गया…
मोटा आदमी- एक मिनट इधर आ जा… जरा इसके चिकने चूतड़ भी तो छूकर देखूँ यार…
लेडी- अरे पिटोगे क्या…?? इधर उधर हाथ मत मारो…
मगर साला मोटा बहुत बड़ा कमीना था… वह नाचते नाचते ही सलोनी के बिल्कुल पास चला गया… और फिर मैंने ध्यान से देखा…
उसने आपने हाथ सलोनी के चूतड़ों से सटा दिए…सलोनी ने एक बार पीछे देखा और वो मुस्कुरा दी… उसने एक बार भी विरोध नहीं किया !
बस मोटे को छूट मिल गई… अब वह अपनी वाली लेडी को मेरी ओर करके खुद सलोनी के पास हो गया और सलोनी की पीठ पर सटकर उसके चूतड़ों से चिपक गया…
मेरे सामने उस लेडी के नंगे चूतड़ दिख रहे थे… मैंने भी उसके चूतड़ अपनी दोनों मुट्ठियों में पकड़ कर दबा दिए और वो लेडी अचानक मेरी और घूमी…
उसकी आँखें पूरी लाल थी… और…!!!

 
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