desiaks
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इस समय तो अरविन्द अंकल बहुत प्यार से बताते हुए सलोनी के एक एक अंग को छूते हुए उसको साड़ी का हर एक घूम सिखा रहे थे !
केवल पेटीकोट और ब्लाउज में अपने सफ़ेद बदन को समेटे… शरमाती, सकुचाती, सलोनी बहुत क़यामत लग रही थी.
अरविन्द अंकल ने करीब 15 मिनट तक उसको साड़ी पकड़ना, उसको लपेटना, प्लेट्स और पल्लू ना जाने क्या-क्या, सलोनी के हर एक अंग को छूते हुए, सहलाते हुए, दबाते हुए और चूमते हुए उन्होंने आखिरकार साड़ी को बाँध ही दिया.
वैसे दिल से मैं भी अरविन्द अंकल की तारीफ करने से नहीं चूका… क्या साड़ी बाँधी थी उन्होंने ! सलोनी साड़ी में कभी इतनी सेक्सी नहीं लगी… मुझे पहले लग रहा था कि केवल साड़ी बाँधने नहीं बल्कि सलोनी से मस्ती करने के लिए उन्होंने झूठ बोला होगा… मगर अंकल में हुनर है, वाकयी ऐसी साड़ी कोई तजुर्बेकार ही बाँध सकता है.
साड़ी पहने होने के बाद भी सलोनी के हर एक अंग का उतार चड़ाव साफ़ नजर आ रहा था… ब्लाउज और साड़ी के बीच उन्होंने काफी जगह खुली छोड़ी थी…
ब्लाउज तो सलोनी का पुराना वाला ही था जो शायद कुछ छोटा हो गया था… उसमें से उसकी दोनों चूचियाँ गजब तरीके से उठी हुई, अपनी पूरी गोलाई दिखा रही थी.
और ब्लाउज इतना पतला, झीना था कि उसकी ब्रा की एक एक पट्टी और आकार साफ़ नजर आ रहा था, साड़ी उन्होंने नाभि से काफी नीचे बांधी थी इसीलिए उसकी लुभावनी नाभि, सुतवाँ पेट और कमर की गोलाई तो दिल पर छुरियाँ चला रहा थी.
अंकल ने सलोनी के हर खूबसूरत अंग को बहुत खूबसूरती से साड़ी से बाहर नंगा छोड़ दिया था… कुल मिलाकर एक आकर्षक सेक्स अपील दे दी थी उन्होंने…
मैंने मन ही मन खुद उनको धन्यवाद दिया !
सलोनी बहुत खुश दिख रही थी… वो बार बार खुद को ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर हर ओर से घूम घूम कर चारों ओर से देख रही थी, अंकल भी मुस्कुरा रहे थे…
सलोनी- ओह… थेंक्यू अंकल… आप वाकयी बहुत अच्छे हो… मजा आ गया…
अंकल ठीक सलोनी के पीछे पहुंच गए… उन्होंने अपना हाथ सलोनी के नंगे पेट पर रख उसको अपने से चिपका लिया- देखा मेरी हीरोइन कितनी खूबसूरत है…
सलोनी- हाँ अंकल, आपने तो बिल्कुल हीरोइन ही बना दिया…
अंकल अपना हाथ सलोनी के पेट के निचले हिस्से तक ले गए- बेटा, जब बाहर जाओ तो कच्छी जरूर पहनकर जाना…
सलोनी- अच्छा… मैं तो पहनकर जाऊं… और आप बिना अंडरवियर के ही आ जाओ?
अंकल- हे हे हे… अरे मेरा क्या है… तो तूने देख लिया?
सलोनी- इतनी देर से आपसे ज्यादा तो आपका पप्पू ही लुंगी के बाहर आकर मुझे देख रहा था…
मैंने ध्यान दिया कि अंकल ने केवल लुंगी और सैंडो बनियान ही पहनी थी… वैसे वो इन्हीं कपड़ों में सब जगह घूम लेते थे… कभी कभी तो कॉलोनी के बाहर भी…हाँ उन्होंने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था… यह नहीं पता था मुझे…
अंकल- तुम्हें तो पता है बेटा, मुझे पसीना बहुत आता है, और फिर अंदर खारिश हो जाती है, इसीलिए अंडरवियर नहीं पहनता…
तभी बिंदास सलोनी ने एक अनोखी हरकत कर दी, उसने अपना सीधा हाथ पीछे कर कुछ पकड़ा… मुझे तो नहीं दिखा पर वो अंकल का लण्ड ही था.
सलोनी- लगता तो ऐसा है जैसे आपके पप्पू को ही कैद में रहने की बिल्कुल आदत नहीं है… जब देखो लुंगी से भी बाहर आ जाता है?
अंकल- अह्ह्ह्ह्हा आआहा… ये भी है…
सलोनी- अच्छा तो इसको यहाँ से तो दूर करो ना… कहीं मेरी साड़ी में ऐसी वैसी जगह धब्बा लगा दिया… तो हो गया फिर कल मैं क्या पहनकर जाऊँगी…
अंकल- अरे आअह्ह्ह्हा आआआ ओह्ह्ह्ह हेएए आः आआ
सलोनी- ओह अंकल…यह क्या…?? उफ़्फ़्फ़्फ़् मेरा हाथ…
.!हा हा हा… लगता है अंकल संभाल नहीं पाये थे… सलोनी का हाथ लगते ही उनका बह गया था…
सलोनी ने ड्रेसिंग टेबल से रुमाल उठाकर अपना हाथ और अंकल का लण्ड भी साफ़ कर दिया.
अंकल- सॉरी बेटा… ह्ह्ह्ह ह्ह्ह वो मैं क्या…??
सलोनी- अरे कोई बात नहीं अंकल… हा हा… हो जाता है… चलिए आपको साड़ी पहनने का इनाम तो मैंने दे दिया… ठीक है…
अंकल- नहीं, यह कोई इनाम नहीं हुआ… वो तो मैं तेरी प्यारी मुनिया पर चुम्मी करके लूंगा…उनका इशारा सलोनी की चूत की ओर ही था…
सलोनी- नहीं जी, मैं अभी यह साड़ी नहीं उतारने वाली… आज मैं अपने जानू का स्वागत ऐसे ही करुँगी…
अंकल- कौन जानू… मैं तो यहाँ ही हूँ?
सलोनी- हे हे… मैं आपकी बात नहीं कर रही हूँ अंकल… मैं साहिल की बात कर रही हूँ… वो बस आते ही होंगे… अब आप जाओ प्लीज…
अंकल- क्या यार… बस एक चुम्मी… अच्छा मैं साड़ी नहीं उतरूंगा… बस ऊपर करके ले लूंगा…अंकल सलोनी की साड़ी फिर से ऊपर करने लगे !
मुझे लगा कि अगर जोश में आ उन्होंने कहीं साड़ी खोल दी तो मैं अपनी जान को ऐसे कपड़ों में प्यार नहीं कर पाऊँगा…
बस मैं दरवाजे तक गया और ज़ोर से खोलते हुए बोला- …अरे तुम आ गई जान… जाआआआन कहाँ हो????
कहानी जारी रहेगी.
इस समय तो अरविन्द अंकल बहुत प्यार से बताते हुए सलोनी के एक एक अंग को छूते हुए उसको साड़ी का हर एक घूम सिखा रहे थे !
केवल पेटीकोट और ब्लाउज में अपने सफ़ेद बदन को समेटे… शरमाती, सकुचाती, सलोनी बहुत क़यामत लग रही थी.
अरविन्द अंकल ने करीब 15 मिनट तक उसको साड़ी पकड़ना, उसको लपेटना, प्लेट्स और पल्लू ना जाने क्या-क्या, सलोनी के हर एक अंग को छूते हुए, सहलाते हुए, दबाते हुए और चूमते हुए उन्होंने आखिरकार साड़ी को बाँध ही दिया.
वैसे दिल से मैं भी अरविन्द अंकल की तारीफ करने से नहीं चूका… क्या साड़ी बाँधी थी उन्होंने ! सलोनी साड़ी में कभी इतनी सेक्सी नहीं लगी… मुझे पहले लग रहा था कि केवल साड़ी बाँधने नहीं बल्कि सलोनी से मस्ती करने के लिए उन्होंने झूठ बोला होगा… मगर अंकल में हुनर है, वाकयी ऐसी साड़ी कोई तजुर्बेकार ही बाँध सकता है.
साड़ी पहने होने के बाद भी सलोनी के हर एक अंग का उतार चड़ाव साफ़ नजर आ रहा था… ब्लाउज और साड़ी के बीच उन्होंने काफी जगह खुली छोड़ी थी…
ब्लाउज तो सलोनी का पुराना वाला ही था जो शायद कुछ छोटा हो गया था… उसमें से उसकी दोनों चूचियाँ गजब तरीके से उठी हुई, अपनी पूरी गोलाई दिखा रही थी.
और ब्लाउज इतना पतला, झीना था कि उसकी ब्रा की एक एक पट्टी और आकार साफ़ नजर आ रहा था, साड़ी उन्होंने नाभि से काफी नीचे बांधी थी इसीलिए उसकी लुभावनी नाभि, सुतवाँ पेट और कमर की गोलाई तो दिल पर छुरियाँ चला रहा थी.
अंकल ने सलोनी के हर खूबसूरत अंग को बहुत खूबसूरती से साड़ी से बाहर नंगा छोड़ दिया था… कुल मिलाकर एक आकर्षक सेक्स अपील दे दी थी उन्होंने…
मैंने मन ही मन खुद उनको धन्यवाद दिया !
सलोनी बहुत खुश दिख रही थी… वो बार बार खुद को ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी हो कर हर ओर से घूम घूम कर चारों ओर से देख रही थी, अंकल भी मुस्कुरा रहे थे…
सलोनी- ओह… थेंक्यू अंकल… आप वाकयी बहुत अच्छे हो… मजा आ गया…
अंकल ठीक सलोनी के पीछे पहुंच गए… उन्होंने अपना हाथ सलोनी के नंगे पेट पर रख उसको अपने से चिपका लिया- देखा मेरी हीरोइन कितनी खूबसूरत है…
सलोनी- हाँ अंकल, आपने तो बिल्कुल हीरोइन ही बना दिया…
अंकल अपना हाथ सलोनी के पेट के निचले हिस्से तक ले गए- बेटा, जब बाहर जाओ तो कच्छी जरूर पहनकर जाना…
सलोनी- अच्छा… मैं तो पहनकर जाऊं… और आप बिना अंडरवियर के ही आ जाओ?
अंकल- हे हे हे… अरे मेरा क्या है… तो तूने देख लिया?
सलोनी- इतनी देर से आपसे ज्यादा तो आपका पप्पू ही लुंगी के बाहर आकर मुझे देख रहा था…
मैंने ध्यान दिया कि अंकल ने केवल लुंगी और सैंडो बनियान ही पहनी थी… वैसे वो इन्हीं कपड़ों में सब जगह घूम लेते थे… कभी कभी तो कॉलोनी के बाहर भी…हाँ उन्होंने अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था… यह नहीं पता था मुझे…
अंकल- तुम्हें तो पता है बेटा, मुझे पसीना बहुत आता है, और फिर अंदर खारिश हो जाती है, इसीलिए अंडरवियर नहीं पहनता…
तभी बिंदास सलोनी ने एक अनोखी हरकत कर दी, उसने अपना सीधा हाथ पीछे कर कुछ पकड़ा… मुझे तो नहीं दिखा पर वो अंकल का लण्ड ही था.
सलोनी- लगता तो ऐसा है जैसे आपके पप्पू को ही कैद में रहने की बिल्कुल आदत नहीं है… जब देखो लुंगी से भी बाहर आ जाता है?
अंकल- अह्ह्ह्ह्हा आआहा… ये भी है…
सलोनी- अच्छा तो इसको यहाँ से तो दूर करो ना… कहीं मेरी साड़ी में ऐसी वैसी जगह धब्बा लगा दिया… तो हो गया फिर कल मैं क्या पहनकर जाऊँगी…
अंकल- अरे आअह्ह्ह्हा आआआ ओह्ह्ह्ह हेएए आः आआ
सलोनी- ओह अंकल…यह क्या…?? उफ़्फ़्फ़्फ़् मेरा हाथ…
.!हा हा हा… लगता है अंकल संभाल नहीं पाये थे… सलोनी का हाथ लगते ही उनका बह गया था…
सलोनी ने ड्रेसिंग टेबल से रुमाल उठाकर अपना हाथ और अंकल का लण्ड भी साफ़ कर दिया.
अंकल- सॉरी बेटा… ह्ह्ह्ह ह्ह्ह वो मैं क्या…??
सलोनी- अरे कोई बात नहीं अंकल… हा हा… हो जाता है… चलिए आपको साड़ी पहनने का इनाम तो मैंने दे दिया… ठीक है…
अंकल- नहीं, यह कोई इनाम नहीं हुआ… वो तो मैं तेरी प्यारी मुनिया पर चुम्मी करके लूंगा…उनका इशारा सलोनी की चूत की ओर ही था…
सलोनी- नहीं जी, मैं अभी यह साड़ी नहीं उतारने वाली… आज मैं अपने जानू का स्वागत ऐसे ही करुँगी…
अंकल- कौन जानू… मैं तो यहाँ ही हूँ?
सलोनी- हे हे… मैं आपकी बात नहीं कर रही हूँ अंकल… मैं साहिल की बात कर रही हूँ… वो बस आते ही होंगे… अब आप जाओ प्लीज…
अंकल- क्या यार… बस एक चुम्मी… अच्छा मैं साड़ी नहीं उतरूंगा… बस ऊपर करके ले लूंगा…अंकल सलोनी की साड़ी फिर से ऊपर करने लगे !
मुझे लगा कि अगर जोश में आ उन्होंने कहीं साड़ी खोल दी तो मैं अपनी जान को ऐसे कपड़ों में प्यार नहीं कर पाऊँगा…
बस मैं दरवाजे तक गया और ज़ोर से खोलते हुए बोला- …अरे तुम आ गई जान… जाआआआन कहाँ हो????
कहानी जारी रहेगी.