Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश - SexBaba
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Hindi Chudai Kahaniya पड़ोसी किरायेदार की ख्वाहिश

hotaks444

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Nov 15, 2016
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मेरा नाम राहुल है, 4 साल पहले मैंने एम बी ए किया था। अभी हाल मैं ही मैंने एक नई कम्पनी कल्याण में ज्वाइन की। मेरी उम्र 27 साल, और मैं औरंगाबाद का रहने वाला हूँ। मैंने कम्पनी से 5 किलोमीटर दूर एक कमरा किराए पर ले लिया। मकान मालिक मुंबई में सरकारी बाबू हैं। मेरी मकान मालकिन नीरा एक साधारण काली सी 35 साल की घरेलू महिला हैं। उसके दो बच्चे हैं। नीरा की चूचियाँ बड़ी बड़ी और मोटी घरेलू औरतों जैसी हैं। मेरा कमरा पहली मंजिल पर है। मैं सितम्बर में इस किराए के मकान में आ गया था और पहले दिन 11 बजे घर पहुँचा था। मुझे देखकर नीरा मुस्कराई और बोली- नमस्ते राहुल जी, आओ, आपको घर दिखा देती हूँ। नीचे नीरा और उसका परिवार रहता है, नीचे साथ में ही एक कमरा है, नीरा ने बताया कि इसमें 24 साल की कोमल नाम की लड़की किराए पर रहती है, वो कल्याण में एक होटल में फ़ूड मैनेजर है, सुबह 8 बजे जाती है और रात को 7 बजे आती है। उसके बाद हम लोग ऊपर आ गए।

मेरे कमरे के सामने थोड़ी दूरी पर एक कमरे और किचन का सेट था जिसमें एक पति-पत्नी रहते हैं। पति का नाम आकाश शर्मा और पत्नी का चारु शर्मा है। चारु बाहर निकल कर आई और उसने मुझे नमस्ते की। चारु की उम्र 22-24 साल लग रह थी। चारु दिखने में मुझे बहुत सुंदर लगी। मेरा और आकाश का बाथरूम एक ही है और हम दोनों के कमरों के बीच खाली जगह है। बाथरूम के बाहर एक नल लगा हुआ है। पहली मंजिल पूरी ऊपर से ढकी है। नीचे और ऊपर जाने की सीढियाँ है। उन पर दरवाज़ा लगा है। दरवाजे बंद करने के बाद ऊपर का हिस्सा पूरा अलग सा हो जाता है। छत पर कुछ नहीं है। इसके बाद हम नीचे आ गए, नीरा मेरे लिए चाय बना लाई, उसने मुझसे ढेर सी बातें की जैसे कि मुझे पहले से जानती हो। रात को नींद अच्छी आई, सुबह 8 बजे जब नींद खुली तो सामने चारु कपड़े धो रही थी।

उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर निकल रही थीं। सुबह के कुनमुनाते हुए लंड को हवा मिल गई और वो आसमान छूने की कोशिश करने लगा। मैंने लंड पजामे से बाहर निकाल लिया और छुप कर लोड़ा सहलाते हुए चारु की चूचियों को निहारने लगा। मन कर रहा था कि बाहर निकल कर चूचियां पकड़ लूं। कपड़े धोते धोते चारु की साड़ी का पल्लू गिर गया था। नीचे वो ब्रा नहीं पहने थीं उनके ब्लाउज से दोनों उरोज बाहर निकलने को आतुर हो रहे थे। मेरा लोड़ा हुंकार भर रहा था। चारु कपड़े धोने के बाद उठी और उसने अपनी साड़ी उतार दी गीले ब्लाउज से भूरी भूरी निप्पल पूरी दिख रही थी मेरे लोड़े मैं आग लगी हुई थी। चारु झुककर साड़ी धोने लगी ढीले ब्लाउज़ के अंदर से उसकी चूचियां आगे पीछे हिल रही थीं। साड़ी धोने के बाद उसने अपना ब्लाउज उतार दिया उसकी नंगी चूचियां खुलकर बाहर आ गईं, पूरी दिख गईं थी, ग़ज़ब की सुंदर और कसी हुई गोरी गोरी संतरियां थी, उसकी नुकीली भूरी निप्पल मेरे लंड को परेशान कर रही थीं। झुककर वो ब्लाउज धोने लगी, नंगी हिलती चूचियाँ मेरे लंड को परेशान कर रही थीं। मैं कल ही आया था शायद वो इस धोखे में थी कि घर में कोई आदमी नहीं है।

उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मेरे लंड को हरा दिया और उसने हार मानते हुए पानी छोड़ना शुरू कर दिया। तभी सीढ़ी के दरवाजे पर खट खट की आवाज़ आई। नीरा भाभी थीं। चारु बोली- दीदी, मैं तो नहा रही हूँ। नीरा बोली- राहुल जी उठ गए क्या? यह सुनते ही चारु ने अपनी चूचियां हाथों से ढक लीं, इसके बाद अपने बदन पर तौलिया डाल लिया और सीढ़ी का दरवाज़ा खोल कर दौड़ती हुई बाथरूम में घुस गई। मेरे लंड ने अब पानी छोड़ दिया था। मैंने पजामा ऊपर चढ़ा लिया। मेरा पहला दिन था, मैं कमरे मैं बैठ गया।

तभी खट खट हुई, सामने नीरा जी थीं, बोलीं- रात को नींद अच्छी आई होगी? मैंने कहा- हाँ ! नींद तो अच्छी आई। नीरा बोलीं- आपका बाथरूम सामने वाला है, अभी उसमें चारु नहा रही है। बहुत अच्छी औरत है। भाभी ने बताया कि चारु का पति बहुत गंदा रहता है और दारू पीकर कभी कभी चारु को पीट भी देता है। चारु की उम्र 24 साल है और उसके पति की 35 साल ! दोनों ने 3 साल पहले घर से भाग कर शादी की थी, चारु के अपने घर से अब कोई सम्बन्ध नहीं हैं। दोनों के कोई बच्चा भी नहीं है। चारु को रोज़ 2-2 घंटे पीटता था, नीचे तक चारु के पिटने और रोने की आवाज़ आती थी, एक दिन इन्होंने डांटा तब हरामी थोड़ा सा सुधरा। नीरा बिंदास होकर बात कर रही थीं। थोड़ी देर बाद चारु 3 कप चाय बना कर ले आई, मैंने चारु से नमस्ते की, चारु बोली- आकाश तो आज 6 से 2 बजे की शिफ्ट में हैं शाम को बजे आएँगे। मैं चारु को ऊपर से नीचे तक निहार रहा था। कुछ दारुबाज निकम्मों की किस्मत बहुत अच्छी होती है, दारु के मज़े भी लेते हैं और सुंदर बीवी को भी जैसे चाहें, वैसे भोगते हैं। चारु गज़ब की माल थी, तराशा हुआ बदन था उस का, ब्लाउज़ में सुंदर चूचियाँ छुपी हुई थीं। सुबह का याद करके मेरा लंड हिनहिनाया लेकिन मैंने उसे चुप करा दिया। चारु चुपचाप चाय पी रही थी, मुझे ऐसा लगा जैसे कि व मुझे प्यार भरी नज़रों से घूर रही हो। चाय खत्म करने के बाद नीरा बोली- आप 12 बजे से पहले जब चाहें तब आ जाइएगा। उसके बाद आना हो तो पहले बता देना। मैंने कहा- ठीक है दीदी ! नीरा बोली- आप आप मुझे दीदी की जगह भाभी कहा करना। आँख मारते हुए नीरा बोली- भाभी का मज़ा अलग ही है।


उसके बाद नीरा नीचे चली गई। मैं थोड़ी देर बाद नहाने चला गया बाथरूम बहुत छोटा था अंदर टॉयलेट सीट लगी हुई थी। बल्ब ओन करना चाहा तो वो भी ओन नहीं हुआ अंदर बहुत अँधेरा था किसी तरह मैंने नहाने का मन बनाया बनियान उतार कर टांगने जा रहा था तो वहां मुझे एक लाल रंग की पैंटी दिखी शायद चारु की थी। सुबह जब चारू नहाई होगी तब छोड़ गई होगी। पैंटी देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था। तभी दरवाजे पर हलका सा धक्का पड़ा, मैंने दरवाज़े से झाँका तो चारु खड़ी थी। 

चारू शरमाते हुए बोली- मेरी वो होगी अंदर, दे दीजिए न ! 

मैंने पीछे हटते हुए मुस्करा कर कहा- यह लीजिए। 

मैंने पैंटी चारु को दे दी। 

चारु जाते जाते बोली- पहनना भूल गई थी ! 

उसकी इस बात ने मेरे लंड में आग लगा दी और मुझे मुठ मारनी पड़ी। मैं जब नहा कर आया तो चारु मेरे लिए नाश्ता ले आई। मैं बोला- भाभी, इस की क्या जरूरत थी? 

चारु बोली- आप ले लीजिए, आज पहला दिन है। आप मेरे पेइंग गेस्ट बन जाइये न, रमेश जी 2000 रुपए देते थे आप भी 2000 रुपए दे देना। 

मैंने हामी भर दी।

उसके बाद मेरा सामान आ गया, नीरा भाभी की मदद से मैंने अपना सामान कमरे में लगा लिया। नीरा से बातों बातों में मुझे पता चला कि बाथरूम की लाइट ख़राब है और 500 रुपए सही करने में लगेंगे।
 
नीरा मुझसे बोली- बाथरूम तो बहुत छोटा है, आप खुले में बाहर नहा लिया करिए। आकाश तो खुले मैं नहा कर जाते ही हैं। चारु भी सुबह जल्दी उठती है और 6 बजे से पहले ही खुले में नहा लेती है, ऊपर से बंद है कौन देख रहा है। आज तो कपड़े धो रही थी और आप भी उठ गए थे इसलिए बाथरूम में नहाने चली गई। 

मैंने ठीक है बोल दिया।

रात को चारु के पति आकाश से मेरी मुलाकात हो गई, उसके मुँह से देसी दारु की बदबू आ रही थी। वो सामान्य से पतला दुबला एक साधारण सा आदमी था। 

मैं रात को 10 बजे सोने चला गया, सोने से पहले मैंने सुबह 5 बजे का अलार्म भर दिया, सुबह चारु को नहाते हुए जो देखना था। सुबह 4 बजे ही मेरी नींद खुल गई बार बार दरवाजे की झिर्री से मैं चारु के घर की तरफ देख रहा था। सामने कमरे मैं आकाश जाने की तैयारी कर रहे थे, 4:30 बजे वो निकल गए। चारु मैक्सी पहन कर नीचे उन्हें छोड़ने गई और वापस अपने कमरे में चली गई। 

बार-बार मैं चारु के दरवाज़े की तरफ देख रहा था। 5:00 बजे के करीब चारु बाहर निकल कर छुटपुट काम करने लगी, मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी कि कब वो नहाए और मैं उसकी चूचियों के दर्शन करूँ। 

आखिर वो घड़ी आ गई 5:30 बजे वो नहाने आ गई, उसने बाहर का नल खोल लिया और बाल्टी नीचे रख दी। उसके बाद वो मेरे कमरे की तरफ बढ़ी। मेरी समझ में नहीं आया पर मैं वापस आकर पलंग पर बैठ गया।

चारु ने बाहर से मेरे कमरे की सांकल लगा दी थी और वापस चली गई, मैं दुबारा उठकर बाहर झाँकने लगा। नीचे और ऊपर जाने का दरवाज़ा बंद था और मेरा दरवाज़ा बाहर से उसने बंद कर दिया था। अब वो आराम से नहा सकती थी। 

अगले मिनट उसने अपनी मैक्सी उतार दी। चारु के बदन पर अब सिर्फ एक लाल पैंटी थी। उसने एक जोर की अंगड़ाई ली। वाह ! क्या नंगा हसीन बदन था ! तनी हुई चूचियाँ और उन पर सजी हुई भूरी निप्पल, सेक्सी नाभि के नीचे का प्रदेश और गरम गरम जांघें ! 

चारु की कमसिन जवानी ने मेरे लंड में तो आग लगा दी। चारु झुककर अपनी मैक्सी धोने लगी, उसकी हिलती नंगी चूचियों ने मुझे पजामा उतारने पर मजबूर कर दिया, मैंने अपन पजामा उतार दिया और अपना 7 इंची लंड हाथ में पकड़ लिया। मैक्सी धोने के बाद ने उसे आगे बढ़कर डोरी पर डाल दिया, डोरी मेरे दरवाज़े के आगे ही थी, उसका हसीन नंगा बदन मैक्सी डालते समय मेरे से थोड़ी दूर पर ही था, मन कर रहा था जाकर साली को जकड़ लूँ।


इसके बाद चारु अपनी जांघें फ़ैला कर पटरे पर नहाने बैठ गई। उसकी चिकनी जांघें देखकर मेरे लंड ने कुछ बूंदें वीर्य की त्याग दी। चारु ने पहले अपने पैरों और हाथों पर साबुन लगाया उसके बाद उसने अपने गले और गाल पर साबुन लगाया। उसकी लगातार हिलती हुई नंगी गोल चूचियों ने मुझे पागल कर दिया। 

साबुन लगाने के बाद पानी बदन पर डालने से चारु का पूरा बदन भीग रहा था, दोनों निप्पल से पानी की बूंदें गिर रही थीं। अब उसके दूधों पर साबुन दौड़ रहा था, दोनों स्तन अपने हाथों से दबाते हुए उसने उन पर साबुन मला इसके बाद लोटे से पानी डालने लगी।

चारु की नंगी कमसिन जवानी मुझे पगला रही थी। वो अपनी पैंटी में हाथ डालकर अपनी चूत पर साबुन मलने लगी। साबुन लगाने के बाद चारु पानी से नहाने लगी,15 मिनट तक चारु नहाती रही और मैं उसके जवान नग्न शरीर का मज़ा लेता रहा। 

आखिर में उसने बचा हुआ पूरा पानी अपने बदन पर डाल लिया और तौलिए से अपना बदन पोंछने लगी। चारु ने तौलिया बाँध कर अपनी पैंटी उतार दी। मुझे लगा अब चारु का स्नान पूरा हो गया है और मुझे अब चारु की चूत रानी के दर्शन नहीं होंगे।

नहाने के बाद चारु ने पीछे जाकर तेल की शीशी निकाली और पास मैं पड़े तख्त पर बैठकर अपने बदन पर तेल मलने लगी बाहर के बल्ब की रोशनी सीधे उसके बदन पर पड़ रही थी। अपने हाथों पर तेल मलने के बाद उसने अपनी चूचियों को दबाते हुए तेल मालिश करनी शुरू कर दी। मेरे लंड ने हार मानते हुए ढेर सारा वीर्य जमीन पर छोड़ दिया।

चारु 5 मिनट तक अपनी चूची और पेट पर तेल मलती रही। लंड दुबारा खड़ा हो गया था। स्तनों पर तेल मालिश के बाद चारु ने मेरे दरवाज़े की तरफ देखा और फिर अपना तौलिया हटा दिया। चूत प्रदेश काली झांटों में छिपा हुआ था। उसने झुककर पहले अपने पैरों पर तेल लगाया इसके बाद अपनी जांघें फ़ैला लीं और जाँघों पर तेल मालिश करने लगी।

चूत का दरवाज़ा मेरी आँखों के सामने था, आह ! पूरी खुली हुई चूत मेरे लंड को चोदने के लिए उकसा रही थी।

जाँघों की मालिश के बाद चूत की बारी थी, बहुत सारा तेल उसने चूत पर डाल लिया और अंदर उंगली डाल कर चूत की मालिश करने लगी।दस मिनट तक मैंने उसकी नंगी चूत के हर कोण से दर्शन किये।इसके बाद उसने ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिया और मेरे दरवाज़े की सांकल खोल कर अंदर चली गई। 
 
6 बज़ रहे थे। 8 बजे चारु चाय नाश्ता लेकर आ गई। चारु इस समय साड़ी ब्लाउज़ में थी, बोली- आज से आप मेरे पेइंग गेस्ट हैं, आप चाय और खाने में क्या और किस समय लेंगे?

मैंने कहा- भाभी आप जो चाहें वो खिलाओ। सुबह 8 बजे नाश्ता और रात को 10 बजे मैं खाना लेता हूँ।

चारु मुस्कराती हुई बोली- आप चाहें तो मुझे चारु कह कर बुला लिया करें।

चारु मुस्करा रही थी। सुबह के स्नान का याद करके मैं सोच रहा था चारु को अपनी गोद में बैठा लूँ और उसकी चूचियों और चूत से खेलूं। मेरा लंड उसको देख कर खड़ा हो गया था, बड़ी मुश्किल से अपने लंड को संभाले हुआ था। फिर चारु चली गयी।

10-12 दिन इसी तरह से निकल गए। रोज़ सुबह चारु की नंगी जवानी का आनंद लेने लगा था मैं, चारु को चोदने की इच्छा बढ़ती जा रही थी।

एक दिन सुबह चारु मुझे कुछ परेशान सी लगी....जब वो मुझे चाय नास्ता देने आई...तो मैने पूछा

राहुल....क्या हुआ चारु। तुम कुछ परेशान हो।

तो वो कुछ सोच मे पड़ गयी।वो कुछ कहना चाहती थी...लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।फिर में ऑफिस निकल गया।

उस दिन शाम को नीचे वाली भाभी बोलीं- राहुल जी, आप की एक मदद चाहिए।

मैने कहा- क्या मदद चाहिए, भाभी...कहिये तो सही।

नीरा ने कहा- चारु को खुजली की शिकायत हो रही है, कुछ प्रॉब्लम है, उसे लेडी डॉक्टर को दिखा लाओ, उसका पति तो नालायक है और दो दिन से बाहर भी गया है। तुम्हारे पास बाइक भी है और कल तुम्हारा ऑफ भी है, तुम तो आराम से ले जाओगे उसे।

मैं बोला- चारु चली जाएगी? 

नीरा हँसते हुए बोली- चिपक कर बैठ कर जाएगी। तुम्हें पसंद करने लगी है, कह रही थी कि राहुल भाईसाहब बहुत अच्छे हैं। काश मुझे भी ऐसे पति मिलते।

मुझे कुछ गुदगुदी सी हुई, 

मैं बोला- ठीक है, आप उससे कह दो कल ले जाऊंगा।

अगले दिन मैं चारु को लेडी डॉक्टर के पास लेकर चल दिया।

शाम को चारु जब खाना देने आई तो बोली- भाभी कह रहीं थीं…!!

मैंने कहा- हाँ कल चले चलेंगे।

मैंने पूछा- आपको क्या दिक्कत है?

चारु शर्माते हुए बोली- नीचे कुछ औरतों वाली दिक्कत है। इनके मुँह से तो दारु की बदबू आती रहती है ये एक दो बार डॉक्टर के यहाँ गए हैं तो उसने इन्हें कमरे से भगा दिया था।

चारु बोली- 10 बजे चलेंगे।और वो बाहर चली गई।

अगले दिन सुबह 6 बजे चारु जब नंगी नहा रही थी तो मुझे लगा कि चारु की चूत में अब लंड घुसाने के दिन आने वाले हैं।

सुबह 10 बजे चारु साड़ी ब्लाउज़ पहन कर तैयार हो गई, मुझसे बोली- थोड़ी दूर वाले हॉस्पिटल में चलेंगे, यहाँ जान-पहचान वाला कोई मिल जाता है तो बड़ी शर्म आती है।

हम लोग घर से 15 किलोमीटर दूर एक हॉस्पिटल में गए, रास्ते में चारु बड़ी शालीनता से बैठी रही। वहाँ गीता नाम की लेडी डॉक्टर को दिखाने चारु अंदर चली गई। मैं बाहर बैठ गया।

थोड़ी देर बाद एक नर्स आई और बोली- चारु जी के साथ आप ही हैं?

मैं बोला- हाँ !

“अंदर चलिए, डॉक्टर साहब बुला रही हैं।”

डॉक्टर के कमरे के अंदर एक कमरा था, डॉक्टर मुझे अंदर ले गईं, अंदर चारु चादर ओढ़े लेटी थी।

डॉक्टर बोली- आपको पता है इनको क्या दिक्कत है?

मैं बोला- नहीं !

तो डॉक्टर ने चारु की चादर हटा दी। चारु पूरी नंगी मेरे सामने लेटी थी उसने हाथ और पैर से अपनी चूत और चूची छिपाने की कोशिश की।
 
डॉक्टर ने चारु को डांटा और बोलीं- इतना नाटक करने की जरूरत नहीं, रात को तो बिना नहाए धोए गंदे ही एक दूसरे से चिपक जाते हो और डॉक्टर के पास शर्मा रही हो?

डॉक्टर मुझे चारु का पति समझ रही थीं। चारु ने दयनीय स्थिति में मुझे इशारा किया कि मैं डॉक्टर को कुछ नहीं बताऊँ।

डॉक्टर ने चारु की टांगें फैला दीं और उसकी चूत की झांटे दिखाती हुई चारु से बोली- इन बालों को समय से साफ़ किया करो।

मेरी तरफ देखती हुई डॉक्टर ने कहा- देखो, इसकी वेजिना कितनी लाल हो रही है, यह एलर्जी है, आप लोग बिना साफ़ सफाई के अंदर डाल देते हो, उससे होती है। शर्म आनी चाहिए, आपकी पत्नी है, ठीक से आराम से किया करो, साफ सुथरे होकर सेक्स करने में ज्यादा मज़ा आता है।

चारु के हाथ को हटाते हुए बोलीं- यह क्या है?

चूची पर दो कटे के निशान थे ,डॉक्टर ने मेरा हाथ चारु की चूची पर रख दिया और बोली- देखो, काटने से खाल तक छिल गई है। आप प्यार से सेक्स क्यों नहीं करते हैं।

चारु की हालत पतली हो रही थी, मेरा भी बुरा हाल था। चारु की गुलाबी चूची पर हाथ रखने से मेरा लंड जाग चुका था।

डाक्टर ने इसके बाद नर्स को बुलाया और कहा- इन्हें दवाई दे दो और बाकी बातें समझा दो।

डॉक्टर बाहर अपने कमरे में चली गईं। नर्स एक 50-55 की औरत थी। इसके बाद नर्स ने एक ट्यूब ली और बोलीं इसकी क्रीम इनकी योनि के अंदर और बाहर धीरे धीरे उंगली से सहलाते हुए रात को अच्छी तरह से साफ़ हाथ से लगानी है।

उसने मेरे हाथ धुलवाए और मेरी उंगली पर क्रीम लगा दी और बोली- जरा लगा कर दिखाओ !

मेरी और चारु की हालत पतली हो रही थी, मैंने उसकी चूत में उंगली घुसा दी और काँपते हाथों से बाहर बाहर मालिश करने लगा। मेरा लोड़ा पूरा खड़ा हो गया था।

नर्स बोली- यह बाहर बाहर क्यों लगा रहा है? पूरी अंदर तक घुसा कर लगा ! रात को तो बड़ी जल्दी चढ़ता होगा।

नर्स का यह शायद रोज़ का ही काम था। मैंने भी अब बेशरम होकर चारु की चूत की मालिश अंदर बाहर शुरू कर दी। चारु धीरे धीरे उई ऊई कर रही थी। मेरा लोड़ा पूरा गरम हो रहा था।

2 मिनट बाद नर्स बोली- ठीक है, एसे ही रात को सोने से पहले 5 मिनट तक मालिश कर देना।

इसके बाद उसने कुछ गोलियाँ दी और बोली- दो-दो गोली सुबह शाम खानी हैं, 7-8 दिन लगेंगे ठीक होने में, तब तक चूत में लोड़ा अंदर नहीं डालना है।

नर्स के मुँह से ये बातें सुनकर चारु शर्म से जमीन में गड़ी जा रही थी, नर्स मेरी तरफ देखती हुई रुखी सी देसी भाषा में बोली- तू दिखता तो साफ़ सुथरा और सीधा सा है लेकिन है बदमाश ! इसने सब बता दिया है। अपने लोड़े को अच्छी तरह साफ़ करके अंदर डालना।ये दाने साफ़ नहीं रहने के कारण होते हैं।

चारु की तरफ देखती हुई नर्स बोली- तू भी अपनी चूत साफ़ रखा कर ! झांटे देख कितनी बड़ी बड़ी हो रहीं हैं। सन्डे की सन्डे झांटे साफ़ करने की क्रीम लगा कर डेटोल से चूत साफ़ करा कर।

आँख दबाती हुई नर्स बोली- तू भी कम नहीं लग रही है, डलवाती होगी तभी तो आगे पीछे दोनों तरफ से ये तेरी रोज़ मारता है। अब 7- 8 दिन चूत में लोड़ा मत घुसवाना और ज्यादा मन करे तो मुँह मैं ले लियो और इतने पे भी चैन न पड़े तो गांड में डलवा लेना लेकिन साफ़ सफाई से और गांड में जब भी डलवाए तो कंडोम लगा के डलवाना। चलो अब तुम लोग जाओ और अगर एक हफ्ते में दाने सही नहीं हुए तो दुबारा आना।

बाइक पर अब चारु मुझसे चिपक कर बैठी हुई थी, दोनों चूचियाँ मेरी पीठ से दब रही थीं, बड़ा अच्छा लग रहा था।

तभी चारु ने मुझसे कहा- क्या हम कुछ देर कहीं रुक सकते हैं।

मैने बाइक रोकी और हम एक काफी हाउस में घुस गए, कोने में एक सीट पर बैठ गए।

चारु ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज जो हुआ किसी को मत बताना, मुझे तो बहुत शर्म आ रही है।

चारु बोली- डॉक्टर साहिबा ने नंगी कराने के बाद जब मेरी बड़ी बड़ी झांटें देखीं तो बहुत डाँटा था। उन्होंने मुझसे पूछा कि मेरे पति कैसे सेक्स करते हैं तो मुझे सच सच बताना पड़ा। आकाश रोज़ रात को अपना नंगा लंड मेरी चूत और गांड दोनों में डाल देते हैं, कई बार तो गांड से निकला लंड वैसे का वैसा ही चूत में डाल देते हैं। डॉक्टर यह सुन कर गुस्सा हो गई और उन्होंने तुम्हें बुला लिया। शर्म से में ये भी न बोल पाई की तुम मेरे पति नहीं हो।

मैं बोल उठा- आपकी चूचियाँ बहुत सुंदर हैं। चारु शरमा कर बोली- आपकी उंगली ने तो मेरी जान निकाल ली।

चारु और मैं मुस्करा पड़े।
 
चारु बोली- दवा आप अपने पास रख लें। इन्होंने देख ली तो मेरी जान ले लेंगे। चारु ने मेरा हाथ उठाकर अपनी जाँघों पर रख लिया, धीरे धीरे उसकी जांघें सहलाते हुए मैं उससे बातें करने लगा। काफी आ गई, पीते-पीते मुझे पता चला कि चारु पैसों की कमी के कारण क्रीम और कॉस्मेटिक नहीं खरीद पाती है। मेरा हाथ अब उसकी जाँघों के बीच चल रहा था, उसको मज़ा आ रहा था।काफी पीने के बाद मैंने उसे 1000 रुपए के कॉस्मेटिक और क्रीम दिलवाई। इसके बाद वो बाइक पर मुझसे चिपक कर बैठ गई और हाथ उसने मेरे तने हुए लंड के ऊपर रख दिया। पूरे रास्ते वो मेरा लंड सहलाती हुई आई। मैं भी बाइक 20 की स्पीड से चला रहा था। उसके बाद हम घर आ गए।

चार बज़ रहे थे, हम दोनों ऊपर आ गए और अपने अपने कमरे में चले गए।

रात को चारु ने खाना 10 बजे तैयार किया ऊपर आज रात मैं और चारु अकेले थे, चारु और मैंने एक साथ खाना खाया, उसके बाद चारु बोली- मैं 11 बजे आपके लिए दूध लेकर आती हूँ।

11 बजे चारु पारदर्शी मैक्सी में दूध लेकर आई। उसकी लाल पैंटी और दूधिया चूचियाँ साफ़ दिख रही थीं। मुझे देख कर वह मुस्करा रही थी।

मैंने दूध पीते हुए पूछा- क्रीम लगवानी है? चारु बोली- लगा दीजिएगा।

उसकी आँखों में एक कामुक चमक थी। दूध का गिलास रखने के बाद मैंने उसे अपनी गोद में खींच लिया और अपने से चिपका लिया। उसके होंठ अब मेरे होंटों से चिपक गए थे। हम दोनों एक दूसरे को चूस रहे थे।

इसके बाद मैंने चारु को बिस्तर पर गिरा दिया। उसकी मैक्सी खुल गई थी, नीचे सिर्फ एक लाल पैंटी थी, गुलाबी स्तन चमक उठे थे, जिन स्तनों को देखकर मैं 10 दिन से मुठ मार रहा था, आज वो मेरे हाथों में थे, उन्हें दबाते हुए बोला- सच, गज़ब के सेक्सी हैं तुम्हारे ये स्तन।

चारु ने मेरे मुँह में अपनी निप्पल लगा दी और बोली- आप इसे चूसो ना ! आज सुबह से मेरा बहुत मन कर रहा है कि आप मेरे इनसे खेलें। 


मैंने उसके दूधिया स्तनों को दबाते हुए चूसना शुरू कर दिया। 


चारु की उह आह उह कमरे में गूँज रही थी। उसकी निप्पल्स तन गई थीं, मसलाई अच्छी हो रही थी।


थोड़ी देर बाद मेरे हाथों से उसकी पैंटी भी नीचे उतर गई, चूत बिल्कुल चिकनी हो रही थी, शाम को ही साफ़ करी लग रही थी। मैंने उसकी चूत के होंटों पर अपनी उंगलियाँ फ़िराईं।


चारु पागल हो रही थी- बोली चोदो राहुल ! चोदो बहुत मन कर रहा है।


मैंने उठकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपनी जाँघों पर उसे बैठाते हुए उसकी जांघें और चूत सहलाने लगा।


मैंने कहा- एक हफ्ते तक तो चूत का दरवाज़ा बंद है।


चारु मेरे 7 इंची तने हुए लंड को दबाते हुए बोली- आज चोद दो, एक दिन से कुछ नहीं होता है। सच तुम्हें मैं अपने अंदर लेना चाहती हूँ, मेरी चूत चोदो।


उसकी चूत से काफी पानी बह रहा था, मेरा लंड भी चोदने को पागल हो रहा था।


चारु को मैंने लेटा दिया, उसने अपनी जांघें चौड़ी कर दी थीं, अपनी चूत में उंगली करते हुए बोली- राहुल, अंदर घुसाओ न !


मैं आज उसे चोदना नहीं चाहता था, लेकिन उसकी वासना को देखकर लग रहा था, जैसे कि अगर आज इसे छोड़ दिया तो कहीं निकल ना जाये।


अब हमारे बीच की दूरी ख़त्म होने वाली थी, मैंने देर किए बिना अपना लोड़ा उसकी चूत की फलकों पर लगा दिया और घुसाने लगा।


थोड़ी देर में लंड पूरा अंदर था। उसने टांगें मेरी पीठ पर बांध दी थीं, हम दोनों की साँसें तेज चल रही थीं। मैंने पेलना शुरू कर दिया था।
 
आह ! उह आह ! और करो ! आअहा की आवाज़ों से कमरा गूँज रहा था। कुछ देर की चुदाई के बाद चारु का गर्भ वीर्य से नहा गया था।


वो मुझसे चिपक गई, कुछ देर तक शांति रही फिर हम दोनों बातें करने लगे। उसका चेहरा चमक रहा था, और उसकी आँखों में प्यार मुझे साफ नज़र आ रहा था।


चारु ने कहा- आज पहली बार मुझे चुदाई का असली मज़ा आया है, वरना आकाश तो बस चढ़ जाते हैं ओर कुछ ही धक्को में खत्म। आप बहुत अच्छे हो, काश मुझे कोई आप जैसा पति मिला होता।


दो बजे के करीब हम सो गए।


सुबह चार बजे उसने मुझे उठा दिया, वो फिर मुझसे चिपक गई और अपने हाथ से मेरा लंड सहलाने लगी। थोड़ी देर में लंड चोदने के लिए तैयार था।


अबकी बार आराम से मैंने उसे कोहनी के बल घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड घुसा दिया और आराम आराम से उसको चोदने लगा।


चुदते चुदते चारु बोली- सच राहुल, बहुत मज़ा आ रहा है तुमसे चुदने में ! थोड़ी तेज चोदो।


आह उह आह की आवाज फिर गूंज रही थी।


चारु मस्ती में बोली- आह आज मज़ा आ गया।


कुछ देर में चारु झड़ गई लेकिन मेरा लंड पूरा खड़ा था, मैंने उससे कहा- लो मुँह से करो ! थोड़ी न नुकुर करते हुए उसने मुँह मेंब लंड ले लिया और उसे चूसने लगी। 


उसकी आँखों से आनन्द चमक रहा था। 


लंड मुँह से बाहर निकाल कर बोली- मुँह में चूसने में मज़ा आ गया। 


एक बार और चोदिये, ऊ उह उइ उई एक बार और चोदिये ना ! बड़ा अच्छा लग रहा है।


इस बार मैंने उसे लेटते हुए अपनी गोद में लोड़े पर चढ़ा लिया और लंड अंदर घुसा कर धीरे धीरे चोदते हुए उसके होंठ चूसने लगा।


15 मिनट होंट चूसने के बाद मेरा वीर्य उसकी चूत में बह गया।


अब तक सुबह के 6 बज़ चुके थे, मैक्सी पहन कर चारु नहाने चली गई।

मैं 2-3 घंटे सोया और उसके बाद ऑफिस निकल गया। 

ऑफिस में मेरा काम कम्पनी में आने वाले मेहमानों का प्रबन्ध और उनका ख्याल रखना होता है। 

आज बॉस नेबताया कि दो विदेशी आ रहे हैं, ऑफिस के गेस्ट हाउस में आज रात रुकेंगे, उनके लिए लड़की का इंतजाम करना है।

मैंने अपने एजेंट को फोन किया, उसने मुझे तीन बजे बुलाया। इसके बाद मैं तीन दिन बाद होने वाले सेमीनार के लिए होटल बुक करने चला गया। इन सब काम में 2 बज़ गए। 

तब मैं अपने एजेंट के ऑफिस गया, ऑफिस एक होटल में था, मुझे वो अंदर ले गया, वहाँ उसने मुझे 10-12 लड़कियों की नंगी एल्बम दिखाई। उनमें से मैंने 4 लड़कियाँ देखनी चाहीं, उसने चारों को ऊपर बुला लिया।

एजेंट के कहने पर चारों ने अपने टॉप उतार कर नंगे स्तन दिखाए, सबका बदन एक से बढ़कर एक था। उनसे बात करने के बाद मैंने 2 लड़कियाँ 12-12 हज़ार में पूरी रात के लिए बुक करा दीं।

एजेंट का नाम संजीव था, हम लोग साथ साथ खाना खाने लगे, उसने बताया कि वो भी मेरी तरह एक कर्मचारी है, 10 लड़कियाँ उसे रोज़ की बुक करनी होती हैं। महीने के 1 लाख उसे मिल जाते हैं। 

लड़कियाँ अधिकतर 20-22 साल की बार गर्ल हैं। कभी फंस जाती हैं तो जमानत भी करानी पड़ती है। कभी कोई काम हो तो बताना, इस धंधे में अच्छे बुरे कई लोगों से पहचान हो जाती है, और कभी चोदने का मन हो तो बताना, फ्री में दिलवा दूँगा। 

हम लोग एक घण्टा साथ साथ रहे, इसके बाद मैं वापस ऑफिस आ गया।

रात को मैं 9 बजे वापस आया तो भाभी नीचे मिल गईं, कोमल के साथ चाय पी रही थीं। मुझे 15 दिन हो गए थे आए हुए, आज पहली बार कोमल से मिल रहा था।

कोमल कमसिन बदन की सुंदर सी 24 साल की लड़की थी लेकिन मुझे थोड़ी घमंडी सी लगी। 

कोमल से मैंने पूछा- क्या काम करती हो? 

कोमल बोली- राज होटल में फ़ूड मैनेजर हूँ। उसके बाद नमस्ते करके अंदर चली गई।

भाभी बोलीं- अच्छा कमा लेती है, अभी एक लाख का सोने का हार खरीदा है। इसके बाद भाभी बोलीं- कल कैसा रहा? 

मैं बोला- ठीकठाक था।


भाभी ने मेरी चुटकी काटी और बोलीं- चारु से कुछ मज़ा लिया या ऐसे ही गए और आ गए, साली के दूध बड़े सुंदर हैं दबा देते कुछ ऊँच नीच होती तो मैं संभाल लेती।
 
मैंने भाभी का हाथ दबाते हुए कहा- पहले क्यों नहीं बताया? मैं दबा देता। भाभी मुस्करा कर बोलीं- अब दबा दो, आज तो अकेली है।


मैं हिम्मत करके बोला- भाभी, चुच्चे तो आपके भी माल हैं। 


भाभी बोलीं- चूसने हैं क्या? मुस्कराते हुए मैंने कहा- आपकी मर्जी। 


मेरा हाथ दबाते हुए बोलीं- ठीक है, मौका मिला तो चुसवा दूंगी।


तभी दरवाज़े से भाईसाहब आ गए मेरे और उनके बीच 10 मिनट बाद हुई, फिर मैं ऊपर अपने कमरे मैं चला आया।

चारु 10 बजे खाना ले आई और बोली- कल आकाश के मामा जी आ रहे हैं, एक शादी मैं जाना है, आपसे एक हफ्ते बात नहीं हो पाएगी। 


मैंने उसे खींच लिया और चिपकाते हुए बोला- आज साथ साथ सो जाते हैं।


चारु ने मेरे होंटों को चूसा और बोली- नीचे खुजली ज्यादा हो रही है, क्रीम लगा देना, साथ साथ सोए तो आप अंदर डाल देंगे। मैं तो अपने कमरे में ही सो जाती हूँ।


मैंने कहा- ठीक है।


खाने के बाद 11 बजे वो दूध ले आई उसने पास में रखी क्रीम उठाकर अपनी मैक्सी उतार दी। आज वो नीचे कुछ नहीं पहने थी, अब चारु पूरी नंगी थी।

नंगी चारु को मैंने उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया। उसकी नंगी चूत मेरे लंड को पागल करने लगी उसने मेरी उंगली पर क्रीम लगा कर उंगली चूत के मुँह पर रख दी। उसकी चूत के दाने को सहलाते हुए 10 मिनट तक मैंने उसकी चूत में अंदर तक मालिश करी। 


वो भी गरम हो रही थी और पानी छोड़ रही थी, बोली- मुँह में डाल दो, रहा नहीं जा रहा है। मैंने अपना पजामा उतार दिया और उसे गोद में लेटा लिया। 


चारु ने कुछ देर तक मेरा लोड़ा पकड़ कर सहलाया और बाद में मुड़ कर लंड अपने मुँह में ले लिया और मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया। मेरे हाथ उसके स्तनों और जाँघों पर चल रहे थे। 


चारु के स्तनों की घुंडियों को मैंने खूब मसला। 10 मिनट के खेल में चारु ने मुझे मस्त कर दिया, मेरा वीर्य स्खलन होने वाला था, मैंने चारु को बताया लेकिन चारु लोड़ा चूसती रही कुछ देर बाद चारु के मुँह मैं मैंने अपना वीर्य उड़ेल दिया।


चारु पूरा वीर्य अंदर गटक गई और मुझसे कस कर चिपक गई। 5 मिनट बाद उसने मेरे 3-4 चुम्बन लिए।


उसके बाद उठकर चारु अपने कमरे में चली गई। अगले दिन चारु अपने मामा के साथ 7 दिन के लिए गाँव चली गई।

तीन दिन बाद शनिवार था, मैं रात 9 बजे घर आया और अपने कमरे में चला आया। 


आजकल चारु नहीं थी, मैं बाहर खाना खाकर आता था।


मैं अपने कमरे मैं बैठा चारु के बारे मैं ही सोच रहा था। तभी नीचे से आवाज आई। नीरा की थी। 


नीरा ने आवाज़ लगाई- राकेश, कॉफी पिओगे? 


मैंने सोचा कि अब चारु है नहीं चलो इसी से कुछ बात करके आता हूँ।


मैंने हाँ कर दी।


दस मिनट बाद मैं नीचे कॉफी पीने आ गया, भाभी अकेली थीं, उन्होंने बताया।


नीरा-- बच्चों की कल छुट्टी है, भाईसाहब उन्हें पनवल बुआ के यहाँ ले गए हैं, कल रात को वापस आ जाएँगे।

अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया कि इसने मुझे यहां चारु की कमी पूरी करने के लिए ही बुलाया है। ये सोचकर मेरा लंड ने भी हरकत शुरू कर दी कि चलो आज का तो इंतेज़ाम हो गया।


हम दोनों कॉफी पीते रहे, लेकिन ना वो कुछ बोली और न ही में, लेकिन मैं उसके भरे हुए बदन को लगातार निहारता रहा। जब उसके चुचों पर नज़र गढ़ाकर मेनें एक जोर की सिप ली तो नीरा भी मुस्कुरा गयी।


कॉफी पीने के बाद भाभी ने टीवी चला दिया टीवी पर मूवी आ रही थी, बोली यहीं पलंग पर बैठो, बातें करते हुए देखेंगे।


भाभी सट कर बैठ गईं। भाभी ने बातों बातों में बताया- शनिवार और इतवार की रात को होटल में देर तक पार्टी होती है इसलिए कोमल रात को होटल में ही रुकती है।


ये बताकर वो ये कह रही थी कि आज कोमल का भी कोई डर नहीं है। सिर्फ हम दोनों घर में अकेले हैं।
 
हम दोनों एक दूसरे को नॉन वेज चुटकले सुनाने लगे, बातें करते करते मेरे हाथ भाभी के ब्लाउज में घुस गए और मैं उनकी चूचियाँ दबाते हुए मूवी का मज़ा लेने लगा।


नीरा बोली- क्या हुआ। ये क्या कर रहे हो।


उसकी आवाज में कोई भी विरोधाभास नज़र नही आ रहा था।


मेनें कहा- अभी आप का चुचे चुसाना भी तो बाकी है।


अब वो चुपचाप मज़ा लेने लगी।भाभी भी मेरा लोड़ा सहला रही थीं। थोड़ी देर बाद भाभी उठीं और उन्होंने अपनी साड़ी उतार दी, अब वो ब्लाउज और पेटीकोट में थीं। 


मेरे को आँख मारते हुए बोलीं- दूध पीना है क्या? 


मैं बोला- पिला दो ! 


उन्होंने अपना ब्लाउज उतार दिया, नंगी चूचियाँ बाहर आ गईं।


भाभी की बड़ी बड़ी चूचियाँ मुझे चोदने के लिए उकसाने लगीं। भाभी ने एक अंगड़ाई लेते हुए अपनी दोनों चूचियाँ हिलाईं और आँख मारते हुए मुझसे बोलीं- कैसी लगीं?


मैंने कहा- भाभी, अब जल्दी से दूध पिलाओ, अब नहीं रहा जा रहा है।


भाभी आकर पलंग पर बैठ गईं, मैंने अपना मुँह उनकी निप्पल पर लगा दिया और चूसने लगा, मैंने दोनों निप्पल चूस चूस कर नुकीली कर दीं। 


चूची चूसने से अब वो भी गरम हो गयी थी। उन्होंने मेरा पजामा खोल दिया और उसे उतरवा दिया, मेरा लोड़ा अब उनके हाथों में आ गया था।


मेरे लोड़े को सहलाते हुए बोली- आह, कितना साफ़ सुथरा लंड है। 


थोड़ी देर बाद मैंने अपना कुरता भी उतार दिया और उन्हें लेटा कर उनके स्तन दबाते हुए होंट चूसने लगा। भाभी भी मुझसे चिपक कर मेरे होंट चूसने लगीं। हम दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में घुसी हुईं थीं।


भाभी बोली- अब तो नहीं रहा जा रहा है।


भाभी ने मुझे हटाया और अपना पेटीकोट उतार दिया, दूधिया रोशनी में उनकी गोरी गोरी मासल जाँघों के बीच में उनकी साफ़ सुथरी चूत चमक रही थी।


मेरे लोड़े को सहलाते हुए बोली- आह, उइ ! चूसने का मन कर रहा है।


मैं उनकी चूचियों को दोनों हाथों से दबाते हुए बोला- भाभी चूसो न !


नीरा भाभी ने मेरे सुपाड़े पर जीभ फिराई, लोड़ा मुँह में ले लिया और चूसने लगीं, 


नीरा मुझसे बोलीं- मेरी चूत भी चूसो न ! 


मैं अब 69 में लेट गया। सच, साफ़ सुथरा बदन हो तो सेक्स का मज़ा दुगना हो जाता है, भाभी की चूत चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था।


5 मिनट बाद भाभी हट गईं और दीवार से टिककर उन्होंने अपनी जांघें चौड़ी कर लीं और बोली- चोदो राहुल चोदो ! अब नहीं रहा जा रहा, आह तुमसे चुदने में मज़ा आ जाएगा।

मैने भाभी की चिकनी चूत पर मैंने अपना लोड़ा लगा दिया। भाभी ने मुझे अपने में भींच लिया। धीरे धीरे मेरा लोड़ा उनकी चूत में अंदर तक घुस चुका था।


मुँह एक दूसरे के मुँह में घुसा हुआ था। चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थी और चूत मेरे लंड के झटके खा रही थी।


10 मिनट तक हमने जन्नत का मज़ा लिया। मैं जमकर भाभी की चूत की चुदाई कर रहा था।


इसके बाद मेरा वीर्य भाभी की चूत में छूट गया। हम लोग 10 मिनट तक ऐसे ही चिपके रहे। भाभी ने उठकर तौलिये से मेरा लोड़ा साफ़ किया और हम बातें करने लगे।



रात में 12 बजे करीब मैं ऊपर अपने कमरे में आ गया। नीरा देखने में काली थी लेकिन चुदने में उसने चारु से ज्यादा मज़ा दिया था। 


मैं सिर्फ यही सोच रहा था कि अभी मुझे किरायेदार बने हुए एक महीना ही हुआ है। और दो दो चूत मुझे चोदने के लिए मिल गयीं। मुझे किरायेदार बनकर बड़ा मज़ा आ रहा था। 


चारु घर पर नहीं थी, रविवार को मैं नीचे नीरा भाभी के साथ भाभी के बाथरूम में नहाने चला गया। 


भाभी का बाथरूम अच्छा बड़ा था, भाभी ने पहले मुझे नंगा कराया और मेरे हाथ पीछे करके नल से बाँध दिए।


इसके बाद उन्होंने अपने कपड़े एक एक करके उतार दिए और मेरे सारे बदन पर अच्छी तरह से साबुन लगाने लगी। साबुन लगाते लगाते वो मेरे लंड तक पहुंच गए। 


उसने झट से साबुन को छोड़ कर मेरे लोड़े को मुँह में ले लिया और शावर चला दिया।


मेरा बड़ा मन कर रहा था कि भाभी की जवानी से खेलूं, लेकिन मैं मजबूर था। उह आह की आवाजें मेरे मुँह से निकल रहीं थीं। 


मेरा लोड़ा गरम हो रहा था। भाभी ने अपने हाथों से पकड़ कर उसे चूचियों के ऊपर फिराया। उसके चुचो के स्पर्श को मेरा लंड बर्दास्त नहीं कर पाया।


मेरा रस जब निकलने को हो रहा था। भाभी हट गईं एक तेज धार मेरे वीर्य की निकली जो उनकी चूचियों पर जाकर गिरी।


इसके बाद भाभी ने मुझे खोल दिया अब मेरी बारी थी।
 
मैंने उनके हाथ अपनी तरह से नल से बाँध दिए और उनकी चूचियाँ कस कस कर दबाने लगा। शावर खोलकर उनकी निप्पल नोच नोच कर कड़ी कर दीं और उनकी चूत के दाने को अपनी उँगलियों से रगड़ने लगा। भाभी की सिसकारियाँ गूंजने लगीं, चूत से पानी बहने लगा।


अब मुझसे भी कंट्रोल नहीं हो पा रहा था। उसकी चूत का जैसे चस्का लग गया था, मेरे लंड को। 10 मिनट बाद उन्हें मैंने खोल दिया हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए।


मेरा लोड़ा उनकी चूत में घुस गया। 5 मिनट एक दूसरे से चिपक कर चुदाई का खेल खेलते हुए हम नहाए, उसके बाद अलग हो गए। 


कपड़े पहन कर भाभी और मैं 1 से 4 मूवी देखने बाहर चले गए। जब हम शाम को मूवी देखकर घर आये, तभी भाई साहब का फोन आया उन्होंने बताया कि वो कुछ ही देर में घर पहुंच जाएंगे। 


मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया। खाना तो हम बाहर खाकर ही आये थे। रात को भाईसाहब और बच्चे आ गए। मैं 10 बजे सो गया। एक अच्छे रविवार का अंत हो गया।


अगले दिन सुबह बाहर कुछ खट पट हुई तो मुझे लगा चारु आ गई है। मैंने झांककर देखा तो चारु का पति आकाश था। बाहर निकल कर मैंने हाल चाल पूछे। 


आकाश के बदन से गन्दी बदबू आ रही थी और मुँह से दारु की दुर्गन्ध आ रही थी।


मुझे चारु की किस्मत पर दुःख हुआ। 


बातों बातों में आकाश ने बताया कि चारु दो दिन बाद आएगी। 


दो दिन बाद सुबह नल चलने की आवाज़ आई मैंने देखा तो 5 बज़ रहे थे। चारु नहाने की तैयारी कर रही थी, मतलब वो वापस आ गई थी।

मैने दरवाज़े से झाँककर देखा। सच में चारु ही थी, वो अब भी मेरा दरवाज़ा बाहर से बंद कर देती थी। मैंने चारु को अभी तक नहीं बताया था कि मैं रोज़ उसे नहाते हुए देखता हूँ। उसको नहाते हुए देखने का अलग मज़ा था।


थोड़ी देर में चारु नंगी होने लगी। आज उसने अपनी पैंटी भी पहले ही उतार दी थी। नंगी होकर सुरेखा नहाने लगी।


आज इतने दिनों के बाद चारु को फिर से नंगा देख रहा था में, मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।चारु अपने पूरे शरीर पर साबुन घुमा रही थी, और उसी के साथ साथ मेरा हाथ मेरे लंड पर घूम रहा था।


रोज़ की तरह चूचियाँ हिल रही थीं, जाँघों पर साबुन लगते समय चूत पूरी चमक रही थी।


नहाने के बाद चारु अपने कमरे में चली गई। फिर में भी तैयार होने चला गया। आठ बजे रोज़ की तरह नाश्ता लेकर मुझसे मिलने आई और मेरी बाँहों में चिपक गई। मैंने उसका एक चुम्बन ले लिया।


चारु बोली- अरुण 2-10 की शिफ्ट में हैं। 15 दिन ये रात को 1 बजे आएँगे। तो मैं रात में आपसे बातें करुँगी इतना कहकर वो चली गई।


मैं ऑफिस चला गया। पूरा दिन ऑफिस में मन नहीं लगा। पता नहीं कैसा जादू सा कर दिया था, चारु ने मुझ पर, मुझे हमेशा उसी की याद आती थी।


जैसे तेसे आज का दिन खत्म करके में घर पहुंचा। चारु ऊपर अपने कमरे में नहीं थी। मेरे सिर में दर्द हो रहा था, अगर चारु होती तो में उसे चाय बनाने को बोलता।


लेकिन चारु तो थी ही नहीं, में नीचे की तरफ चल दिया। तभी मैने देखा कि चारु का दरवाजा बाहर से बंद है। लेकिन उस पर ताला नही लगा था।


मतलब चारु घर में ही थी। मैने सोचा वो भी नीचे ही होगी, तो में नीचे पहुंचा। कोई दिखाई नहीं दे रहा था। नीरा के अंदर वाले कमरे से कुछ आवाजें आ रहीं थीं।


में उसी तरफ चल दिया। मैंने कमरे का दरवाजा खोला। लेकिन ये क्या अंदर का नज़ारा देखकर मेरी आंखे फटी की फटी रह गयीं।


थोड़ी देर में उस अप्सरा को ऐसे ही देखता रहा। फिर एक दम जैसे मुझे होश सा आया। मैंने दरवाजा बंद किया और भागकर ऊपर आ गया।


मेरे सर का दर्द तुरंत गायब हो गया था। मैं जैसे ही ऊपर आया मेरे ठीक पीछे पीछे चारु भी ऊपर आ गयी। मैं उस से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। फिर भी मैने हिम्मत करके उसकी तरफ देखा।


वो खड़ी खड़ी मुस्कुरा रही थी। मैं भी मुस्कुरा दिया।


चारु बोली- क्या काम था, नीचे कैसे पहुंच गए।


मैं बोला- अरे वो सिर में दर्द हो रहा था, तो तुम्हे ढूंढते ढूंढते पहुंच गया। वैसे वो थी कौन।


मेरे उस लड़की के बारे में पूछने पर चारु का चेहरा उतर गया। फिर भी वो खुश दिखने का ढोंग करते हुए बोली।


चारु बोली- वो नीरा भाभी की चचेरी बहन है। नीरा भाभी के देवर के लिए उसे पसंद किया है। इसलिए बुलाया है, कल वो लोग इसे देखने आएंगे यहीं पर।


मैं फिर बोला- हां वो तो ठीक है, लेकिन तुम लोग नंगी होकर क्या कर रही थीं।


चारु बोली- नंगी वो थी, मैं और भाभी तो सिर्फ बेठे थे।


मैं हँसते हुए बोला- हाँ तो तुम दोनों क्या उसका फिगर चेक कर रही थी।


चारु भी हँसने लगी और बोली- फिगर तो तुम चेक कर रहे थे। कैसे नज़रें ज़मा कर देख रहे थे उसे।


चारु फिर बोली- अभी अभी हम बाज़ार से आये थे शॉपिँग करके, तो वो अपने कपड़े चेक कर रही थी, कि तभी तुम पहुंच गए।


फिर चारु अंदर किचन में चली गयी और मैं कमरे में।
 
रात को 10 बजे खाना खिलाने के बाद चारु मेरे पास आकर बैठ गई, उसने बिना ब्रा- पैंटी के मैक्सी पहन रखी थी। 


मैंने उसे उठाकर अपनी गोद में बैठा लिया और उसकी मैक्सी के सारे बटनों को खोलकर मैं उसकी चूचियाँ सहलाने लगा।


चारु बोली- चूत में खुजली बढ़ गई है। 


मैंने उसके होंटों पे होंट लगाते हुए कहा- खुजली तो बढ़ेगी ही ! दवा तो तुम्हारी मेरे पास रखी है।


मैंने पलंग के नीचे से दवा निकाल ली और बोला- अपनी चूत रानी को खोलो, क्रीम लगा देता हूँ। 


उसने अपनी मैक्सी उतार दी, अब वो पूरी नंगी थी और जाँघों को चौड़ा करके मेरी गोद में बैठ गई, मैं अपनी उंगली से उसकी चूत में क्रीम की मालिश करने लगा।


चारु बोली- मामाजी के घर में खुजली कम हो गई थी लेकिन कल रात को ये चढ़ गए और चोदने लगे। 20 दिन से नहीं नहाए हैं, कुछ कहती हूँ तो मारने लगते हैं। मेरे पीछे सस्ती रंडी भी चोद आते हैं, बड़ी दुखी हूँ, बहुत गंदे रहते हैं।


मैने चारु से पूछा- तुमने ऐसे आदमी से शादी क्यों की।


चारु अपनी कहानी बताने लगी, बोली- मैंने घर से भाग कर शादी की थी, तब मैं 21 साल की थी। पापा की पोस्टिंग अहमदनगर में थी। 


आकाश अहमदनगर में मेरे पड़ोस में किराए पर रहने वाली आंटी के भांजे थे, इनसे दो साल से मेरे सम्बन्ध चल रहे थे। इन्होंने मुझे ये बता रखा था कि ये एक कम्पनी में मैनेजर हैं।


हर शनिवार और रविवार को आंटी के घर आते थे। पापा ने अपने एक दोस्त के बेटे से मेरी शादी तय कर दी थी, तुम्हारी तरह बहुत सुंदर और एम बी ए लड़का था, मुझे भी पसंद था। 


लेकिन मैंने अकाश के साथ सेक्स कर लिया था। मेरे मन में यह बात बैठी हुई थी कि जिसके साथ सेक्स कर लो, वो ही पति होता है। 


इनसे शादी के लिए पापा मम्मी राजी नहीं थे, मैं इनके साथ भाग गई और इनसे शादी कर ली, माँ बाप ने नाता तोड़ लिया। मुझे धीरे धीरे इनकी असलियत पता लगने लगी ये दसवीं फ़ेल थे और बहुत दारु पीते थे। 


जिस कम्पनी में मुझे ये मैनेजर बताते थे, उसमें ये मजदूर थे। अब मैं क्या कर सकती थी। मैं बी लिब पास हूँ। 


"अगर मेरी शादी माँ बाप की पसंद से हो जाती तो मैं आज शायद बहुत खुश होती।” चारु बोलते बोलते रोने लगी थी।


मैंने उस लड़के का नाम पूछा लेकिन चारु ने मुझे नाम नहीं बताया। चारु की आँखों से आंसू बहने लगे।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके आँसू पोंछे और होटों से होंट चिपका कर एक गहरा चुम्बन लिया। थोड़ी ही देर में वो भी अपना गम भूलकर मेरे रंग में रंग गयी। वो भी गरम होने लगी।


चारु ने मेरे हाथ अपने स्तनों पर रख लिए और मेरे हाथ के ऊपर अपने हाथ रख दिए। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। 10 मिनट तक हम एक दूसरे की आँखों में देखते हुए ऐसे ही लेटे रहे।


इसके बाद चारु ने मेरी उंगली अपनी चूत में घुसवा ली और बोली- मालिश करिए ना ! आपसे मालिश करवाना अच्छा लगता है।


11 बज़ गए थे, सुरेखा ने मेरा पजामा खोल कर लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। मेरे हाथ उसकी चूत और जाँघों पर चल रहे थे। सुरेखा पूरे मन से लोड़ा चूस रही थी। 


लेकिन मेरा मन तो उसे चोदने का था। डॉक्टर ने मना कर रखा था, इसलिए में उसे चोद भी नहीं सकता था। थोड़ी देर बाद उसे उठाकर मैंने बिस्तर पर लेटा दिया।


नंगी होकर चारु किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी, उसकी चूचियाँ दबाते हुए मेनें अपना लंड उसकी चूचियों के बीच घुसा दिया। 


उसकी चूचियों के बीच ही में चुदाई करने लग गया। थोड़ी देर की, इस चुदाई के बाद ढेर सा वीर्य उसके बदन पर गिर गया।


5 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपके रहे उसके बाद उसने उठकर अपना बदन साफ़ किया और मुझसे चिपक कर एक पप्पी ली और अपनी मैक्सी पहन कर अपने कमरे में चली गई। 
 
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