hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
अगला दिन भी अच्छे से बीत गया। भाभी की चचेरी बहिन को उनके घर वालों ने उनके देवर के लिए पसंद कर लिया था। तो मैं भाभी के साथ बैठकर बात कर रहा था। तभी कोमल संतरे लेकर अंदर आई और हमारे पास आकर बैठ गई।
भाभी बोलीं- कोमल, राहुल जी का संतरे खाने का मन कर रहा है।
कोमल भी तेज तर्रार थी, वो तुरंत बोली- शादी कर लें, बीवी रोज़ संतरे खिलाएगी।
मुझसे रहा नहीं गया।
मैं बोला- आपके पास इतने अच्छे संतरे हैं, दो मुझे भी खिला दो।
भाभी मुस्कराते हुए बोली- खिला दे ! ये तुझे बदले में केला खिला देंगे।
कोमल एकदम से गरम हो गई और बोली- भाभी, मुझे ये सब बिल्कुल नहीं पसंद है आप सबके सामने एसा मजाक मत करा करो।
उसका व्यहवार देखकर मुझे लगा कोमल पर लाइन मारना ठीक नहीं है। मैं चुप हो गया, कोमल वहाँ से चली गई।
मैंने भाभी से कहा- भाभी ये तो हरी मिर्च जैसी तेज है।
भाभी झेंपते हुए बोलीं- चारु तो इस से भी तेज है, एक बार पिछले किराएदार ने उसके चूतडों पर अकेले में हाथ फेर दिया था तो चारु ने दो थप्पड़ जड़ दिए थे। मैंने छुपकर यह देख लिया था किसी को बताना नहीं।
हम बातें कर ही रहे थे कि तभी भाभी की बहिन आ गयी।
मैं भाभी के पास ही बैठा रहा। तो भाभी अपनी बहिन से बोली- काजल आ बैठ, मिल आई अपनी सहेलियों से।
काजल बोली- हाँ दीदी। मिल आई और बहुत थक गयी हूँ। चाय बना लो।
उनकी बहिन भी आकर वहीं पर बैठ गयी। भाभी चाय बनाने के लिए बोलकर चली गयीं।
मैंने काजल को देखा, कल तो ब्रा और पैंटी में थी। लेकिन आज एक टाइट सूट पहना हुआ था। उसके ऊपर से उसके शरीर का हर भाग कसा हुआ नज़र आ रहा था।
सूट में भी वो एक दम माल लग रही थी। जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूचियों पर गयी। मुझे उसका ब्रा वाला रूप याद आ गया। और ऊपर से वो बाहर से आई थी, तो तेज़ तेज़ साँसे लेने से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।
मैं आँखें गढ़ाए उसे ही देख रहा था। मुझे ये भी होश नहीं था कि वो मेरी इन हरक़तों को देख रही है। मुझे उसे देखने में बड़ा मज़ा आ रहा था। तभी किचन से भाभी के आने की आहट हुई। उसने अपना दुपट्टा ठीक किया, और मैं भी सही से बेठ गया।
भाभी चाय लेकर आ गयी। हम बातें करते हुए चाय पीने लगे, लेकिन बीच बीच में मेरी नज़र काजल से टकरा रही थी।
चाय पीकर मैं ऊपर आ गया। शाम का वक़्त हो चला था लेकिन लाइट नहीं आ रही थी। भाभी का इन्वर्टर ऑन था। करीब रात को दस बजे खाना खाने के बाद इन्वर्टर भी बंद हो गया।
गर्मीं का मौसम था। मैं नीचे ही आ गया। नीचे भाभी, भाई साहब और काजल सभी बाहर बैठे लाइट का इंतज़ार कर रहे थे। मैं भी वहीं जाकर बैठ गया, और भाई साहब से बात करने लगा।
थोड़ी देर में चारु भी नीचे पहुंच गयी। तभी फोन करने पर पता चला कि, आज लाइन खराब होने की वजह से बिजली नहीं आएगी।
मैं बोला- इतनी गर्मीं में बिना बिजली के नींद कैसे आएगी।
भाभी ने कहा- आज तो ऊपर छत पर सोना पड़ेगा, खुले में।
चारु ने कहा- मैं तो ऊपर ही सो जाती हूँ, कमरे में तो नहीं सोया जायेगा।
चारु की बात सुनकर भाई साहब बोले- हाँ, आज सब ऊपर ही सो जाते हैं।
सब बिस्तर ऊपर लेकर चल दिए। लेकिन मैं सबसे पहले पहुंचा और बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गयी। तब तक कोई ऊपर नहीं आया था।
रात में मेरी नींद खुली, छत छोटी सी थी सबके बिस्तर पास पास लगे हुए थे। मेरे पास ही एक बिस्तर पर शायद चारु सो रही थी, क्योंकि भाभी तो इतनी पतली नहीं थी।
मैंने अपना एक हाथ मैक्सी के ऊपर से ही चारु की चूची पर रख दिया, और सहलाने लगा। थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद, मैं थोड़ा उसकी तरफ खिसक गया और दूसरे चुचे को दबाने लगा।
करीब पांच मिनट के बाद। मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। मैं धीरे धीरे उसकी जांघ को सहलाने लगा। फिर उसकी मैक्सी को ऊपर करने लगा। धीरे धीरे मैक्सी को घुटनों से ऊपर तक कर दिया था मैंने।
उसकी आधी जांघे नंगी थीं। मैंने चिकनी जांघो पर हाथ घुमाना चालू रखा। और साथ ही मैक्सी को भी ऊपर करता रहा। मैक्सी कमर तक आ गयी थी। उसकी पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी चूत पर हाथ घुमाया। चूत के पानी से पैंटी गीली हो रही थी।
मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। लेकिन हाथ अंदर डालते ही मुझे झटका लग गया। चारु की चूत पर बाल कहाँ से आ गए। अभी कल तक तो नहीं थे।
भाभी बोलीं- कोमल, राहुल जी का संतरे खाने का मन कर रहा है।
कोमल भी तेज तर्रार थी, वो तुरंत बोली- शादी कर लें, बीवी रोज़ संतरे खिलाएगी।
मुझसे रहा नहीं गया।
मैं बोला- आपके पास इतने अच्छे संतरे हैं, दो मुझे भी खिला दो।
भाभी मुस्कराते हुए बोली- खिला दे ! ये तुझे बदले में केला खिला देंगे।
कोमल एकदम से गरम हो गई और बोली- भाभी, मुझे ये सब बिल्कुल नहीं पसंद है आप सबके सामने एसा मजाक मत करा करो।
उसका व्यहवार देखकर मुझे लगा कोमल पर लाइन मारना ठीक नहीं है। मैं चुप हो गया, कोमल वहाँ से चली गई।
मैंने भाभी से कहा- भाभी ये तो हरी मिर्च जैसी तेज है।
भाभी झेंपते हुए बोलीं- चारु तो इस से भी तेज है, एक बार पिछले किराएदार ने उसके चूतडों पर अकेले में हाथ फेर दिया था तो चारु ने दो थप्पड़ जड़ दिए थे। मैंने छुपकर यह देख लिया था किसी को बताना नहीं।
हम बातें कर ही रहे थे कि तभी भाभी की बहिन आ गयी।
मैं भाभी के पास ही बैठा रहा। तो भाभी अपनी बहिन से बोली- काजल आ बैठ, मिल आई अपनी सहेलियों से।
काजल बोली- हाँ दीदी। मिल आई और बहुत थक गयी हूँ। चाय बना लो।
उनकी बहिन भी आकर वहीं पर बैठ गयी। भाभी चाय बनाने के लिए बोलकर चली गयीं।
मैंने काजल को देखा, कल तो ब्रा और पैंटी में थी। लेकिन आज एक टाइट सूट पहना हुआ था। उसके ऊपर से उसके शरीर का हर भाग कसा हुआ नज़र आ रहा था।
सूट में भी वो एक दम माल लग रही थी। जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूचियों पर गयी। मुझे उसका ब्रा वाला रूप याद आ गया। और ऊपर से वो बाहर से आई थी, तो तेज़ तेज़ साँसे लेने से उसके स्तन ऊपर नीचे हो रहे थे।
मैं आँखें गढ़ाए उसे ही देख रहा था। मुझे ये भी होश नहीं था कि वो मेरी इन हरक़तों को देख रही है। मुझे उसे देखने में बड़ा मज़ा आ रहा था। तभी किचन से भाभी के आने की आहट हुई। उसने अपना दुपट्टा ठीक किया, और मैं भी सही से बेठ गया।
भाभी चाय लेकर आ गयी। हम बातें करते हुए चाय पीने लगे, लेकिन बीच बीच में मेरी नज़र काजल से टकरा रही थी।
चाय पीकर मैं ऊपर आ गया। शाम का वक़्त हो चला था लेकिन लाइट नहीं आ रही थी। भाभी का इन्वर्टर ऑन था। करीब रात को दस बजे खाना खाने के बाद इन्वर्टर भी बंद हो गया।
गर्मीं का मौसम था। मैं नीचे ही आ गया। नीचे भाभी, भाई साहब और काजल सभी बाहर बैठे लाइट का इंतज़ार कर रहे थे। मैं भी वहीं जाकर बैठ गया, और भाई साहब से बात करने लगा।
थोड़ी देर में चारु भी नीचे पहुंच गयी। तभी फोन करने पर पता चला कि, आज लाइन खराब होने की वजह से बिजली नहीं आएगी।
मैं बोला- इतनी गर्मीं में बिना बिजली के नींद कैसे आएगी।
भाभी ने कहा- आज तो ऊपर छत पर सोना पड़ेगा, खुले में।
चारु ने कहा- मैं तो ऊपर ही सो जाती हूँ, कमरे में तो नहीं सोया जायेगा।
चारु की बात सुनकर भाई साहब बोले- हाँ, आज सब ऊपर ही सो जाते हैं।
सब बिस्तर ऊपर लेकर चल दिए। लेकिन मैं सबसे पहले पहुंचा और बिस्तर पर लेटते ही नींद आ गयी। तब तक कोई ऊपर नहीं आया था।
रात में मेरी नींद खुली, छत छोटी सी थी सबके बिस्तर पास पास लगे हुए थे। मेरे पास ही एक बिस्तर पर शायद चारु सो रही थी, क्योंकि भाभी तो इतनी पतली नहीं थी।
मैंने अपना एक हाथ मैक्सी के ऊपर से ही चारु की चूची पर रख दिया, और सहलाने लगा। थोड़ी देर ऐसे ही सहलाने के बाद, मैं थोड़ा उसकी तरफ खिसक गया और दूसरे चुचे को दबाने लगा।
करीब पांच मिनट के बाद। मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघ पर रख दिया। मैं धीरे धीरे उसकी जांघ को सहलाने लगा। फिर उसकी मैक्सी को ऊपर करने लगा। धीरे धीरे मैक्सी को घुटनों से ऊपर तक कर दिया था मैंने।
उसकी आधी जांघे नंगी थीं। मैंने चिकनी जांघो पर हाथ घुमाना चालू रखा। और साथ ही मैक्सी को भी ऊपर करता रहा। मैक्सी कमर तक आ गयी थी। उसकी पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी चूत पर हाथ घुमाया। चूत के पानी से पैंटी गीली हो रही थी।
मैंने अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। लेकिन हाथ अंदर डालते ही मुझे झटका लग गया। चारु की चूत पर बाल कहाँ से आ गए। अभी कल तक तो नहीं थे।