Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 3 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

समर एक मशीन की तरहा सुमन की चूत में अपना लंड पेल रहा था और अब तो सुमन भी उसका साथ देने लग गयी थी.

सुमन की सिसकियाँ समर का जोश बढ़ाती जा रही थी

सविता बाथ टब में सागर की गोद में बैठी अपने मम्मे मसलवा रही थी.

'क्या हो गया है दोनो को - सुमन कितना चीख रही है'

'लगता है समर एक साल की कसर पूरी करने में लग गया है - आज सुमन की खैर नही'

'ह्म्म्मc कितना मज़ा आ रहा होगा ना उसे - समर उसके साथ बिल्कुल जंगली बन जाता है'

'तो यहाँ कोन पीछे रहने वाला है'

सागर ने सविता को वहीं बाथ टब में झुकाते हुए पीछे से अपना लंड उसकी चूत में घुसा दिया.

आआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सविता की चीख निकल पड़ी जिसे सुमन और समर ने भी सुना

दोनो औरतों की सिसकियाँ कमरे में तो क्या पूरे होटेल में गूंजने लगी थी. सारा महॉल ही मस्ती का हो चला था - यूँ लग रहा था जैसे पूरे होटेल में चुदाई समारोह शुरू हो गया हो.

हर कमरे से थोड़ी देर बाद औरतों की सिसकियों की आवाज़ें आने लगी.

यहाँ ये दोनो जोड़े खुद में मस्त अपनी चुदाई का आनंद ले रहे थे. इन्हे क्या पता था कि इनकी वजह से बाकी जोड़े भी चुदाई में लग गये थे.

अहह उूुुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ उूुुुुउउइईईईईईईईई

ईईईसस्स्स्स्स्स्सस्स फफफफफफ़ाआआआआसस्स्स्स्स्थथत्टटटत्ट्टीईईईईईईरर्र्र्र्र्र्ररर

मोर मोर आह आह

कहीं कुछ तो कहीं कुछ

ऐसी ऐसी आवाज़ें आ रही थी कि होटेल के स्टाफ का काम करना मुश्किल सा हो गया था.

करीब एक घाटे तक यही महॉल रहा.

फिर शुरू हुई आँहें और तेज चीखें जो बता रही थी कि जोड़े अपने अपने ऑर्गॅज़म को प्राप्त कर रहे थे.

सुमन और समर तो बिल्कुल पस्त हो गये थे - दोनो में बिस्तर से उठने की हिम्मत ही ना बची थी

सागर भी सविता को बाथरूम से बिस्तर पे ले आया था और दोनो एक दूसरे की बाँहों में खो गये थे. आँखें कब बंद हुई पता ही ना चला.
थोड़ी देर बाद समर की आँख खुल गयी तो साथ में सुमन लेटी हुई थी – वो बड़ी गहरी नींद में थी – उसका चेहरा बता रहा था कि अभी हुई ज़ोर दार चुदाई से उसे कितना मज़ा मिला . शाम हो चुकी थी समर बाथरूम में जा के फ्रेश हुआ और उसने सुमन के नंगे जिस्म पे चद्दर डाल दी.

फिर वो कमरे से बाहर निकला और सागर के कमरे की बेल बजा दी. सागर और सविता भी तयार हो चुके थे. सविता ने दरवाजा खोला और समर अंदर आ गया.

सागर : क्या बात है बड़ी चीखें निकलवाई सुमन की.

समर : यार सुमन है ही इतनी गरम और उपर से एक साल का गॅप मैं खुद को रोक ही नही पाया.

सविता : तुम लोग बियर पियो मैं जा के उसे देखती हूँ.

सविता जब कमरे में घुसी तो सुमन का हाल देख मुस्कुरा उठी.

सविता ने सुमन के होंठ चूसने शुरू कर दिया.
सुमन की नींद खुल गयी और उसने अपनी बहन को अपने उपर देखा तो उसे जाकड़ लिया.

सविता : चल यार रेडी हो जा.

सुमन : अरे मेरे कपड़े तो ले आती – अहह पूरा जिस्म तोड़ दिया समर ने.

सविता : चल लाती हूँ और अपना बॅग ले जा रही हूँ – समर तुझे सागर के पास तो जाने नही देगा इस पूरे हफ्ते.

सविता अपना बॅग उठा के ले गयी और सुमन बाथरूम में घुस गयी
शीशे के सामने खड़ी हुई तो देखा जगह जगह समर ने काटने के निशान छोड़ रखे थे. अपने जिस्म को देख सुमन मुस्कुरा उठी. समर हमेशा उसकी साथ जंगली बन जाता था और इस जंगलीपन में उसे बहुत मज़ा मिलता था.

फ्रेश हो कर सुमन अपनी गान्ड में क्रीम लगाने लगी – वो जानती थी कि आज रात समर उसे सोने नही देगा – रात भर चुदाई चलेगी और उसकी गान्ड भी मारी जाएगी.

सुमन नंगी ही बाथरूम से बाहर निकली तो सविता उसका वेट कर रही थी.
रेडी हो कर दोनो सागर के रूम में गयी. दोनो बियर की चुस्कियाँ लगा रहे थे – सागर ने सुमन को अपनी तरफ खींचा तो समर बोल पड़ा – ना ना अब एक हफ्ते तक ये मेरे पास ही रहेगी.

सुमन शरमा गयी और समर के साथ बैठ गयी.

समर ने सबके सामने ही उसे दबोच लिया और उसके होंठ चूसने लग गया, देखा देखी सागर ने भी सविता को दबोच लिया.
 
थोड़ी देर बाद सुमन ने खुद को छुड़ाया – अगर थोड़ी देर और वो समर के साथ चिपकी रहती तो वो वहीं शुरू हो जाता.

सुमन : चलो पहले कुछ खाते हैं फिर वहीं डिसाइड करेंगे आगे का प्रोग्राम.
चारों उठ के रेस्टोरेंट चले जाते हैं.

ख़ान खाते हुए सविता पूछती है : अब बोलो क्या प्रोग्राम है आगे का.

समर : प्रोग्राम क्या होना है – चुदाई और चुदाई

सुमन : धत्त्त – जगह तो देखो – जो मुँह में आता है बोल देते हो.

सागर : यार आज तो रेस्ट करेंगे कल सुबह नाश्ते पे डिसाइड करते हैं कहाँ घूमने चलें.

समर : ह्म्म ये ठीक रहेगा.

समर सुमन के कान में कुछ कहता है – सुमन का चेहरा लाल पड़ जाता है उसकी बात सुन कर.
वो उठ के चली जाती है.

सविता : अरे कहाँ चली.

समर : आती है अभी.

थोड़ी देर बाद सुमन आई तो उसने स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था. टॉप इतना टाइट था कि उसके मम्मे पूरी तरहा झलक रहे थे.

सागर ने जब सुमन को इस रूप में देखा तो सीटी बजाने लग गया और इससे पहले की वो समर के पास जा के बैठती सागर ने उसे खींच लिया और उसके होंठ चूमने लग गया.

कुछ देर तो समर चुप चाप बैठा दोनो को देखता रहा. फिर उसने सुमन को खींच ही लिया. ‘अबे मेरे माल पे डाका डालता है’

सब की हँसी छूट गयी उसकी बात सुन कर. अंधेरा हो चुका था.

सागर : चल यार मैं तो चलता हूँ .

सागर के उठते ही सविता भी उठ गयी और ये दोनो तो कमरे में चले गये.

सुमन और समर थोड़ी देर वहीं बैठे रहे जब तक समर ने अपनी बियर ख़तम करी.

समर : बीच पे चलें.

सुमन : इस वक़्त.

समर – मज़ा आएगा चलो तो सही.

सुमन ; चलो पर कुछ शरारत मत करना खुले में.

कहने को तो सुमन मना कर रही थी – पर वो जानती थी कि समर कहाँ बाज आनेवाला है.

दोनो होटेल के पीछे चले गये जहाँ होटेल का लंबा दूर तक फैला प्राइवेट बीच था. समर ने एक जगह चुनी जहाँ अंधेरा था और होटेल से थोड़ा दूर ही पड़ती थी वो जगह.

सुमन को साथ ले वो वहाँ पहुँच गया. सुमन दूर तक फैले समुद्र को देख रही थी जिसपे चाँदी की किरणें नृत्य कर रही थी.

समर : इधर आओ ना.

सुमन : यहीं तो हूँ.

समर : थोड़ा और पास

सुमन उसके और करीब हो गयी.

समर : थोड़ा और पास

समर ने सुमन को खुद से चिपका लिया और वहीं खड़े खड़े उसके होंठों पे अपने होंठ रख दिए.

‘उम्म्म्म – प्लीज़ खुले में नही कमरे में चलो.’

‘कुछ नही होता – मेरी जान मैं हूँ ना’

सुमन समर का साथ देने लगी और दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लग गये.
समर ने अपना एक हाथ नीचे से सुमन की टॉप में घुसा दिया और उसके मम्मे को मसल्ने लगा.

म्म्म्ममममाआआआआआआ उूुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़

सुमन सिसकने लगी और ज़ोर ज़ोर से समर के होंठो को चूसने लगी.

काफ़ी देर तक दोनो एक दूसरे के होंठ चूस्ते रहे और समर साथ में उसके मम्मे को मसलता रहा.

जब साँस लेना मुश्किल हो गया तो दोनो वहीं बीच पे लेट अपनी उखड़ी हुई सांसो को संभालने लगे.

समर ने सुमन को करीब किया और उसके टॉप को उठा कर दोनो मम्मे नंगे कर दिए और दोनो पे हाथ फेरने लगा.

‘जीजा जी प्लीज़ अब और यहाँ नही – कमरे में चलो ना’ सुमन समर को रोकते हुए बोली.

‘कुछ नही होता – तुम बस मज़े लो’ समर उसके एक निपल को चूसने लग गया.

सुमन जहाँ डर रही थी की कहीं कोई आ ना जाए वहाँ उसे रोमांच भी आ रहा था यूँ खुले में अपने जीजा से अपने निपल को चुसवाने में.

‘अहह आराम से …… ओह म्म्म्मरमममाआआआआआ’

समर ज़ोर से उसके निपल को चूसने लग गया और सुमन की सिसकियाँ वहाँ गूंजने लगी.

सुमन ने समर के सिर को अपने मम्मे पे दबा दिया और सिसकती हुई मचलने लगी.

समर ने अपनी शर्ट उतार दी और सुमन का टॉप भी.

सुमन अब मूड में आ चुकी थी वो समर पे चढ़ के उसके होंठ चूसने लगी.
 
समर ने पलटी मार के सुमन को अपने नीचे ले लिया और उसकी जाँघो को मसल्ते हुए उसकी स्कर्ट उपर करने लगा.

‘क्या कर रहे हो’ सुमन उसके कान में बोली.

‘कुछ नही’

‘अब कमरे में चलो ना – बहुत देर हो चुकी है यहाँ’

‘अभी थोड़ी देर और रूको’ समर उसकी स्कर्ट को पूरा उपर तक खिच चुका था पर फिर भी गान्ड के नीचे दबी होने की वजह से पूरी उपर तक नही हुई थी.

‘थोड़ा उपर हो ना’

‘ना प्लीज़ यहाँ नही’

‘थोड़ी देर बस’

‘ना तुम यही शुरू हो जाओगे’

‘प्लीज़ मेरे लिए’

‘उफ्फ – मनोगे नगी’ सुमन ने अपनी गान्ड उपर उठा ली और समर ने फट से उसकी स्कर्ट उपर कर डाली . समर के कहने पे उसने स्कर्ट के नीचे पैंटी नही पहनी थी.

जैसे ही स्कर्ट उपर हुई सुमन को अपनी गान्ड पे ठंडी ठंडी रेत चुबने लगी. समर उसे इतना गरम कर चुका था कि उसकी चूत रस टपका रही थी.

समर थोड़ा उपर उठा और उसने अपनी शॉर्ट नीचे कर अपना लंड बाहर निकाल लिया. और सुमन की चूत पे रगड़ने लगा.

आआआहह

सुमन सिसक पड़ी.

'प्लीज़ चलो ना' कहने को सुमन मना कर रही थी पर उसकी जांघे खुलती चली गयी ताकि समर को बीच में आने के लिए आसानी हो'

'बस थोड़ी देर मेरी जान' कहते हुए समर ने झटका मार अपना लंड उसकी चूत में घुसा डाला.

सुमन बहुत ज़ोर से चीखती पर उसने अपने होंठ दाँतों में दबा के अपनी चीख रोक ली. उसकी चूत गीली थी पर समर का लंड मोटा था और हर बार सुमन को चीखने पे मजबूर कर देता था.

समर के धक्के तेज हो गये और सुमन ने अपने दाँत समर के कंधे पे गढ़ा दिए.

समर को भी दर्द महसूस हुआ पर जो नशा इस वक़्त उसपे चढ़ चुका था उसके आगे इस दर्द की कोई अहमियत नही थी.

सुमन ने अपनी टाँगें समर के गिर्द लपेट ली ताकि वो ज़यादा ज़ोर के धक्के ना लगा पाए पर साथ ही अपनी गान्ड भी उछालने लगी.


अहह उूुुुुुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मीमममममममाआआआअ

सुमन की सिसकियों में तेज़ी आ गयी और 5 मिनट में ही दोनो एक साथ झाड़ गये.

खुले में चुदाई का आनंद और पकड़े जाने का डर - ये इतना रोमांच भर चुका था दोनो के अंदर की ज़यादा देर ना टिक पाए.

जब साँसे संभली तो सुमन ने प्यार भरी एक चपत समर को लगा दी.

'कर ली ना अपने मन की- चलो अब सारा जिस्म रेत से भर गया है.'

दोनो ने अपने कपड़े पहने और अपने रूम की तरफ बढ़ गये.

यहाँ सुमन खुले में अपने जीजा से चुदवा रही थी वहाँ उसकी बेटी सोनल सो नही पा रही थी.

जब से उसने नींद में सुनील को देखा था उसके साथ बिल्कुल उसी पोज़ में जो फिल्म में था उसकी बेचैनी बढ़ चुकी थी. कितने ही लड़के उसपे जान छिड़कते थे उनमें से एक आध सोनल को पसंद भी था पर सोनल के अवचेतन मस्तिष्क में सिर्फ़ और सिर्फ़ सुनील ही समाया हुआ था.

कैसे बार बार सुनील उसके जहन में आ जाता ये सोच कर वो बहुत परेशान हो गयी थी. इस वक़्त उसे सुमन की कमी बहुत खलने लगी थी.

सारी रात आँखों में ही गुजर गयी.





सुबह के 5 बज गये – सारी रात सोनल सो ना सकी – अब इस वक़्त क्या नींद आती – वो अपने रूम में बने बाथरूम में फ्रेश होने चली गयी और एक दूसरी नाइटी पहन ली जो थोड़ी सी ट्रॅन्स्परेंट थी. जाने क्यूँ सोनल ने नीचे ब्रा नही पहनी.

वो किचन में जा के चाइ बनाना लगी खुद के लिए और सुनील के लिए.
चाइ बनाके उसने दो कप में डाली और ले कर सुनील के कमरे की तरफ बढ़ गयी.
सोनल के गीले बालों से अभी भी पानी की बूँदें टपक रही थी.

सुनील एक शॉर्ट पहने हुए गहरी नींद में था – उसने गर्मी की वजह से बनियान तक नही पहनी थी. सोनल ने चाइ के कप पास टेबल पे रखा और सुनील को देखने लगी. उसकी चौड़ी छाती और काले काले घुँगरले बाल. बाप रे कितने बाल हैं इसकी छाती पे बिल्कुल रीछ लग रहा है. हां होगा भी क्यूँ नही किसी रीछ से कम कहाँ है कितनी ताक़त है जिस्म में .

सोनल वहीं उसके पास बिस्तर पे बैठ गयी और बड़े प्यार से सुनील को देखने लगी -

और उसकी छाती पे हाथ फेरने लगी – एक अजीब सी लज़्ज़त थी इस वक़्त सोनल की आँखों में – बिल्कुल ऐसे जैसे कोई लड़की पहली बार अपने सपनो के राजकुमार को देख रही हो.

सोनल को शरारत सूझी तो उसने अपने चेहरे को सुनील के चेहरे के थोड़ा उपर किया और उसके बालों से टपकती बूँदें सुनील के चेहरे पे गिरने लगी.

सुनील जाने क्यूँ नींद में मुस्कुरा उठा शायद कोई सपना देख रहा था और बंद आखों से ही उसने सोनल को जाकड़ के अपने उपर खींच लिया.


‘ऊऊऊऊुुुुुुुुुऊउक्ककककककककचह’ सोनल चीख पड़ी.

सुनील ने झट से आँखें खोली और देखा कि उसने सोनल को खुद से भींच रखा है. फट से उसके हाथ अलग हो गये- वो बोखला गया – दी – दी – आप आप….

सोनल उसके उपर से हट गयी – पर इस थोड़े वक़्त में उसने सुनील की बाँहों के कसाव को महसूस कर लिया था. उसके मम्मे सुनील की छाती पे दब गये थे और ये अहसास एक मीठा मीठा दर्द दे गया था उसे. उसका चेहरा शर्म के मारे लाल सुर्ख पड़ गया था.

सोनल को वहाँ बैठना अब मुश्किल लग रहा था.

‘वो…वो… चाइ लाई थी तेरे लिए’

सुनील इतना घबरा गया था कि सीधा उठ के बाथरूम में घुस गया और सोचने लगा – ऐसा आज तक नही हुआ – आज क्यूँ ऐसा हुआ--- वो खुद को लानंत भेजने लगा – क्या सोच रही होगी सोनल उसके बारे में.

सोनल के दो मन हो गये वहीं बैठे – या अपनी चाइ ले के चली जाए.

दिमाग़ बोलता चल उठ और जा – दिल बोलता नही बैठ.
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समर और सुमन जब बीच से चुदाई कर के वापस लोटे तो सागर के कमरे से सविता की ज़ोर ज़ोर से सिसकियों की आवाज़ आ रही थी. खिड़की का परदा थोड़ा हिला हुआ था तो दोनो वहीं खड़े हो के अंदर का सीन देखने लगे.

'अहह म्म्म्म.मममममाआआआआ' तभी सविता की चीख सुनाई दी.

अंदर सागर ने उसकी गान्ड में लंड घुसा रखा था.

आह म्म्मामआ उउउफफफ्फ़ ईईईईईईई आराम से हहाआआऐययईईईईईई



तभी समर की नज़र अंदर कमरे में बाल्कनी की तरफ पड़ी - उसने सुमन को कुछ इशारा किया और वो दोनो अपने कमरे की तरफ बढ़ गये.
सुमन समझ गयी थी कि अब समर उसकी गान्ड मारे बिना नही रहेगा.

समर और सुमन जब रूम मे घुस्से साथ वाले रूम से सविता की सिसकियाँ अभी भी सुनाई दे रही थी.

समर : सूमी चल बाल्कनी से देखते हैं दोनो को.

सुमन : चहिईीई --- मैं नहाने जा रही हूँ सारा बदन रेत से भर गया है – बड़ी इरिटेशन हो रही है.

सुमन बाथ रूम में घुस गई और शवर के नीचे खड़ी हो कर अपने कपड़े उतारने लगी. सुमन ने दरवाजा बंद नही किया था. अगर समर भी बाथरूम में घुसता तो सुमन को कोई परेशानी नही थी.

अपनी बहन की सिसकियाँ सुन वो फिर से गरम होने लगी थी और उसके हाथ अपने जिस्म पे घूमने लगे थे.
 
समर के दो मन हो गये थे एक तो अपनी बीवी की चुदाई देखने का दूसरा सुमन का भीगता हुआ बदन उसे फिर अपने पास बुला रहा था.

समर ने अपने कपड़े वहीं उतार फेंके और बाथरूम में घुस के सुमन के साथ चिपक गया. सुमन उसके जिस्म से रेत उतारने लगी. शवर का पानी दोनो के जिस्मो पे गिर रहा था और थोड़ी देर में दोनो के जिस्म सॉफ हो गये.

समर पीछे से सुमन के उरोज़ मसल्ने लगा और अपना लंड उसकी गान्ड के छेद से सटा दिया.

अहह सुमन सिसक पड़ी जब समर के लंड को अपनी गान्ड को छूते हुए महसूस किया.

‘सुनील कैसा है?’

समर के इस सवाल से सुमन हैरान रह गयी. ये कॉन सा टाइम था ये सवाल पूछने का.

‘मतलब?’

‘कैसा है वो अब – लास्ट जो उसकी फोटो देखी थी तो काफ़ी मस्क्युलर बन गया है’

‘अच्छा है – कोई और बात करो ना’

म्म्म्मछमममम सुमन सिसकी जब समर ने उसके दोनो निपल मसल डाले.

‘अपनी बीवी से अपने बेटे के बारे में ही तो पूछ रहा हूँ’ समर उसकी गान्ड में अपने लंड को रगड़ते हुए बोला.

‘अहह आधी बीवी………….’

‘सुनील को पैदा कर तुम पूरी बीवी बन चुकी हो’ और समर ने सुमन को आगे की तरफ झुका के उसकी चूत में पीछे से अपना लंड पेल दिया
उूुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सुमन की चीख निकल गयी.

‘बता ना कैसा है मेरा बेटा’

म्म्म्मउममममाआआआआअ सुमन की चीखें निकलने लगी – इस वक़्त चुदते हुए उसे सुनील के बारे में बात करना अच्छा नही लग रहा था.

‘कभी देखा है उसका……’

‘कककक्क्क्ययययययाआआआअ…………’

‘लंड’ समर ने अपना लंड बाहर निकाल एक दम फिर से अंदर घुसा दिया.

आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ककककक्क्क्यययययययाआआआआ ब्बाआआक्कककककककककक रर्राहीईई हूऊऊ

‘लंबा मोटा होगा उसका मेरी तरहा’

‘द्द्द्द्दद्धहाआआआअटततटटटटतत्त बेटा है वो हमारा’

समर ने शवर बंद किया और लंड उसकी चूत से बाहर निकाल उसे वहीं वॉशबेसिन पे झुका के पीछे से अपना लंड उसकी गान्ड में घुसा दिया.
हालाँकि समर का लंड सुमन की चूत के रस से भीगा हुआ था और चिकना हो गया था पर फिर भी सुमन की गान्ड का होल बहुत टाइट था और इतनी चिकनाई कम थी.
मुश्किल से थोड़ा ही लंड अंदर घुसा था.



'म्म्म्म्ममममाआआआआआआअरर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गगगगगगगगगाआआआययययययययीीईईईईईईईईईईईईईईईई'

सुमन ज़ोर से चिल्लाई.

समर उसके निपल मसल्ने लगा और फिर एक झटका मार के आधा लंड अंदर घुस्सा दिया.

आआआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

समर थोड़ी देर के लिए रुक गया.

'आआअहह आज भी तेरी गान्ड कितनी टाइट है'

'अहह माआअ अब और अंदर मत डालना'

समर यूँ ही धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.

फिर समर ने एक और तेज झटका मार के पूरा लंड अंदर घुसा दिया.



उूुुुुुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्मुममममममाआआआआआआआआअ

'बता ना देखा है उसका - अब तो मर्द बन गया है वो'

'उूुुुुउउफफफफफफफफफफ्फ़ क्या हो गया है तुमको आज'

समर ने तेज धक्के मारने शुरू कर दिए

अहह म्म्म्मफम उूउउफफफ्फ़

सुमन की सिसकियाँ बाथरूम में गूंजने लगी


'बता ना जानना चाहता हूँ अपने बेटे के बारे में'

'उूुुुउउइईईईईईई उूुुउउफफफफफफफफफफफ्फ़ आराम सीईई'

'बता नही तो आज तेरी गान्ड फाड़ दूँगा'

म्म्म्मुममहर्र्र्रररह

सुमन तेज तेज चीखने लगी.

समर और भी तेज धक्के मारने लगा.

'ब्ब्ब्ब्बबबाााटततटत्त्ताआआआअ न्न् ्फनणन्नाआआअ'

'न हाँ देखा है तुम पे गया है'

सुमन की आँखों के सामने वो नज़ारा आ गया जब उसने सुनील की स्पॉंगिंग करते वक्त उसके फूले हुए अंडरवेर से उसके लंड के साइज़ का अनुमान लगाया था.
 
सुमन के जवाब से समर को और मस्ती चढ़ गयी और और भी तेज तेज सुमन की गान्ड मारने लगा.

सुमन ने अपनी आँखें बंद कर ली और वो सुनील के बारे में सोचने लगी.

कैसा गबरू जवान पट्ठा बन गया था.


आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

सुमन चीख पड़ी जब समर ने अपनी स्पीड और तेज कर दी - वो भी सुमन को चोद्ते हुए सुनील के बारे में सोच रहा था - सुनील बहुत हद तक समर पे गया था - फरक था तो बस की वो समर की तरहा फ्लर्ट नही करता था जो समर अपने टाइम पे किया करता था. इस मामले में सागर की गहरी छाप पड़ी थी सुनील पे.

'कितना लंबा है उसका लंड'

समर खुद को रोक ही नही पा रहा था सुनील के बारे में और जानने को और उसकी बातें सुमन की हालत खराब कर रही थी.

सुनील में सुमन को हमेशा समर नज़र आता था - बिल्कुल एक जैसे बॉडी थी दोनो की.

और आज चुदते वक़्त सुनील के बारे में बात होने पे सुमन के ख़याल भटकने लगे उसे आज सुनील बिल्कुल समर की कॉपी दिखाई देने लगा. उसकी नज़रों में बार उसका फूला हुआ अंडरवेर आने लगा और पल भर तो सुमन को लगा कि समर नही सुनील उसे चोद रहा है.

ये ख़याल आते ही उसकी साँसे और तेज हो गयी उसकी गान्ड में खुजली बढ़ गयी.

'तेज करो और तेज हां उफफफ्फ़ फाड़ दो आज मेरी गान्ड'

जाने क्या क्या बोलने लगी वो

समर उसको चोदते हुए उसकी चूत भी सहला रहा था.

सुमन की बेचैनी और भी बढ़ गयी वो खुद अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में घुसा बैठी - दोनो तरफ से हो रही ये चुदाई सुमन को अपने ऑर्गॅज़म की तरफ खींचने लगी.

सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स सुमन के मुँह से सुनील निकलते निकलते रह गया जब उसकी चूत ने तेज बहाव के साथ अपना पानी छ्चोड़ दिया.

थोड़ी ही देर में समर भी उसकी गान्ड में झाड़ गया.

दोनो उसी पोज़िशन में कुछ देर तक रहे फिर खुद को सॉफ कर अंदर बिस्तर पे आ के लेट गये.

सुमन की आँखें तो उसी वक़्त बंद हो गयी.

आज की चुदाई शायद वो कभी नही भूल पाएगी.

समर भी उसके साथ लिपट के सो गया. लेकिन सोने से पहले उसके दिमाग़ में कुछ आ चुका था.

.................................................................इधर.....................
दो मन में बैठी सोनल सुनील के लिए चाइ का कप छोड़ अपने कमरे में चली गयी.

उसका एक हाथ अपने आप अपनी छाती पे चला गया जहाँ उसे अब भी सुनील की छाती की रगड़ का अहसास था.

वो जितना सुनील को अपने दिमाग़ से बाहर निकालने की कोशिश करती - उतनी ही शिद्दत के साथ वो उसके दिल-ओ-दिमाग़ में अपना बसेरा बनाता जा रहा था.

हालत ये हो गयी सोनल के साथ कि वो अपने अंदर चल रहे तुफ्फान के बारे में किसी से बात भी नही कर सकती थी.

सुनील जब बाथरूम से बाहर निकला तो सोनल को वहाँ ना देख उसे बड़ी राहत महसूस हुई.

बैठ के चुप चाप चाइ पीने लगा कि उसे इस वक़्त अपनी माँ की बहुत याद आई और उसने सुमन का फोन मिला दिया.

सुबह के जिस वक़्त सुनील ने सुमन का मोबाइल बजाया - उस वक़्त सुमन नंगी बिस्तर पे लेटी हुई थी और समर उसकी चूत चाट रहा था.

सुमन की साँसे बड़ी तेज चल रही थी.

समर .....रूको ... प्लीज़ .... सुनील का फोन है.

सुनील का नाम सुन समर के दिमाग़ में शरारत आ गयी उसे वो बात याद आ गयी जो उसने सोते वक़्त सोची थी.

सुमन कॉल रिसीव करती है - उसकी आवाज़ थोड़ी हांफी हुई थी इतनी ज़ोर दार चूत चटाई की वजह से 'हहााईयइ बेटा - कैसे फोन किया' सॉफ पता चल रहा था कि वो हाँफ रही है.
'बस आप से बात करने का दिल किया - मिस यू मोम '

'ऊऊओउुुुऊउककचह' सुमन चीख पड़ी क्यूंकी उसी वक़्त समर ने उसकी चूत में लंड घुसा दिया था.

'क्या हुआ मोम - आप चीखी क्यूँ'
 
'ककककुउऊउककचह नही ----- आअहह' समर ने एक और घस्सा लगा दिया था - उसके चेहरे पे मुस्कान थी - सुमन गुस्से से उसे देखने लगी - आँखों के इशारों से मना करने लगी.

समर इशारों से उसे बात करने को बोला'

सुमन के लिए बहुत मुश्किल हो गयी थी - चुदते वक़्त बात करना वो भी बेटे से.

'मैं बाद में फोन करती हूँ' सुमन के हाथ से फोन छूट गया - ये भी वो किसी तरहा बोल पाई थी.

फोन ऑन ही रहा और सुनील को सब सुनाई देने लगा.

'समर पागल तो नही हो गये - सुनील का फोन था वो'

'क्या हुआ जान मज़ा नही आया क्या - अंदर लंड लेने में'

'उफ़फ्फ़ तुम तो ---- अब रुक क्यूँ गये हो - चोदो मुझे - फाड़ दो आज मेरी चूत'

सुनील के कान खड़े हो गये - मोम मोसा जी के साथ --- ये सब - डॅड कहाँ है वो सोचने लगा.

तभी उसके कान में जो आवाज़ पड़ी उसने उसकी दुनिया हिला के रख दी.

'ओह ! सूमी मेरी जान - मेरे बेटे को सीखा सब - उसे ट्रेन कर - बहुत सीधा बन गया है वो'

कहते हुए समर सुमन को तेज तेज चोदने लग गया.

सुमन की आँखें बंद हो गयी लेकिन मुँह से निकल नेवाली आवाज़ें बंद ना हो पाई'

अहह उूउउम्म्म्ममम ओह हाई यस यस

तेज और तेज अहह चोदो मुझे ---- हाई जीजा मेरे - जान मेरी - चोद मुझे - अहह मज़ा आ रहा है

ये आवाज़ें सुनील को जहर की तरहा लगने लगी - क्या वो अपने पापा का बेटा नही है - क्या वो सच में अपने मोसा का बेटा है.

'सिखाएगी ना मेरे बेटे सुनील को'

'अहह क्या कह रहे हो - बेटा है वो मेरा अहह'

'तू नही सीखाएगी तो कॉन उसे सीखायगा....... माँ का फ़र्ज़ होता है बेटे को हर चीज़ सीखाने का......'

सुमन को यूँ लगने लगा जैसे समर नही सुनील उसे चोद रहा हो - उसकी बंद आँखों में सुनील का चेहरा घूमने लगा.

'आआहह सुउुुुुउउन्न्ञन्निईीईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल फक मी हार्ड....फफफफफफफफुऊऊुुुुुुऊउक्ककककककककककककक मीईईई'

'ले मेरी जान और ले ..... जल्दी ही मुझे अच्छी खबर देना'

'अहह अहह

सुनील आगे और नही सुन पाया - उसका वजूद बदल चुका था - मोबाइल उसके हाथ से नीचे गिर गया.


सुनील के हाथ से मोबाइल नीचे गिर गया. उसकी आँखों में आँसू भर चुके थे. दिल बार बार चीख रहा था - नही ये ग़लत है ऐसा नही हो सकता. दिमाग़ उसे बार बार वही सुना रहा था जो उसने थोड़ी देर पहले सुना था.

वो सागर का नही समर का बेटा था. ये कड़वा सच उसे अंदर ही अंदर काटने लगा.

- क्या डॅड को मालूम है ?
- अगर मालूम है तो ऐसा कैसे हुआ?
-मोम मोसा जी के साथ थी तो क्या डॅड मासी के साथ ? क्या ये स्वापिंग करते हैं?

बहुत से सवाल उसके दिमाग़ में खड़े हो गये. फिर उसकी यादें बचपन से ले कर अब सब उसकी आँखों के सामने घूमने लगी - कितना प्यार करता था सागर उसे. अगर सागर को पता चलेगा कि वो उसका नही समर का बेटा है - क्या हाल होगा डॅड का?
 
ये एक कड़वा सच ना जाने अब क्या क्या बदलेगा.

फिर उसके जेहन में सोनल आ गयी. कितना प्यार करता था वो सोनल को - पर आज रिश्ते बदल गये. अब वो उसका सगा भाई नही रहा - सोतेला बन गया.

सोतेला बाप - सोतेली बहन - कैसे एक दम से सभी रिश्ते बदल गये.


क्या करूँ अब ? ये सवाल उसे तंग कर ने लगा.

सुनील अपने ख़यालों में डूबा हुआ था - वो नही जान पाया कि दरवाजे पे खड़ी सोनल उसे देख रही थी. सुनील के चेहरे के बदलते भाव, आँखों में आँसू आना - हाथ से मोबाइल का नीचे गिर जाना - और एक पत्थर की मूर्ति की तरहा खड़े खड़े रहना. किससे बात कर रहा था वो - लेकिन बात कहाँ वो तो बस सुन रहा था. ऐसा क्या हुआ है जो उसके भाई की ये हालत हो गयी. सोनल का दिल ज़ोर से धड़कने लगा - वो चाहती थी कि लपक के सुनील को अपनी बाँहों में भर ले - उसे प्यार करे उसके सारे दर्द दूर कर दे. पर कदम वहीं रुके रहे. डॉक्टर जो थी - शायद चाहती थी - कि सुनील को पहले इस झटके को पूरी तरहा सहन कर लेना चाहिए - दिल में भरे मवाद को आँसू के रूप में बहने देना चाहिए.

भारी मन से वो चुप चाप अपने कमरे में आ कर बैठ गयी. उसकी नज़रों के सामने सुनील का आँसुओं से भरा चेहरा ही घूम रहा था. सोनल का दिल भी रोने लगा. भाई की ये हालत देख उसकी आँखों में भी आँसू आ गये.

क्या सुनील की कोई गर्ल फ्रेंड तो नही थी - जिससे उसका ब्रेक अप हो गया हो और तभी उसकी ये हालत हुई हो? नही ऐसा नही हो सकता - वो लड़कियों की तरफ ध्यान ही कहाँ देता है - बस पढ़ाई में ही तो लगा रहता है. फिर किस का फोन था वो. सोनल तड़पने लगी सच तक पहुँचने के लिए . वो फिर उठी सुनील के पास जाने के लिए और जैसे ही अपने कमरे के दरवाजे तक पहुँची तो देखा सुनील अपने आँसू पोंछता हुआ घर से बाहर जा रहा है. एक बार तो आवाज़ लगाने का सोचा. फिर खुद को रोक लिया - इस इंतेज़ार में कि वापस आने दो तब बात करेगी.

सुनील घर से निकल इधर उधर ऐसे ही भटकने लगा फिर एक पार्क में जा कर बैठ गया.

सोनल सुनील के कमरे में गयी - ये देखने की कुछ ऐसा मिल जाए जिससे कुछ तो पता चले कि आख़िर हुआ क्या है.

उसने देखा सुनील का मोबाइल वहीं गिरा पड़ा है और बॅटरी बाहर निकली पड़ी है.

सोनल ने मोबाइल ठीक किया और चेक किया कि काम कर रहा है या नही - मोबाइल ठीक था - फिर उसने लास्ट कॉल चेक करी तो देख के उसका भी दिमाग़ खराब हो गया. लास्ट कॉल तो सुनील ने मोम को करी थी. ये क्या पूरे 10 मिनट तक कॉल चली. ये तो चुप खड़ा सुन रहा था. क्या कहा मोम ने इसे जो इसकी हालत इतनी खराब हो गयी?

क्या मोम से पूछूँ? नही अभी नही पहले सुनील से ही बात करती हूँ.
वो रखने ही वाली थी कि सुमन का नाम फ्लश करने लगा और बेल बजने लगी.

सोनल ने कॉल रिसीव कर ली .

'हां बेटा बोल - उस वक़्त मैं बात नही कर पाई'

सोनल सोचने लगी - बात नही कर पाई पर यहाँ तो 10 मिनट तक कॉल ऑन थी.

'माँ मैं सोनल - भाई बाहर गया है - मोबाइल तो यहाँ फर्श पे गिरा हुआ था. - आपकी उसे बात नही हुई है तो - तो... '

'क्या हुआ बेटी बात क्या है? '

'मोम - भाई रो रहा था और फोन से तो लग रहा है आपकी 10 मिनट उससे बात हुई है - मैने खुद देखा कि वो सुन रहा था पर कुछ बोल नही रहा था'

'कककक्क्क्यययययययाआआआआअ?' सुमन के दिल की धड़कन बढ़ गयी - यानी --- यानी सुनील ने सब सुना...... हे भगवान ----- ये क्या हो गया - सुमन को चक्कर आने लगे.

खुद को संभालते हुए.

'लगता है फोन ऐसे ही ऑन रह गया होगा - मैने तो कॉल कट कर दी थी - कहाँ है वो - जब आए तो फोन करवाना'

सुमन ने कोशिश करी बात संभालने की. पर सोनल के दिमाग़ में खटका बज गया. माँ कुछ छुपा रही है.

सुमन कॉल कट कर चुकी थी. उसका पूरा जिस्म पसीने से भर गया था और सामने बैठा समर सब देख रहा था.
 
सुमन सोचने लगी क्या क्या सुना होगा सुनील ने - उसकी सिसकियाँ - कहीं उसे पता तो नही चल गया कि समर ही उसका बाप है. उफफफफ्फ़ - क्या हाल हो रहा होगा सुनील का ? क्या होगा सागर का हाल जब उसे ये पता चलेगा कि सुनील जान गया है कि वो सागर का बेटा नही.

क्या सागर को बताऊ या नही? नही उसे नही बता सकती वो सुनील से बहुत प्यार करता है- बिखर जाएगा वो. मुझे सुनील को ही संभालना पड़ेगा.

वो उठ के पॅकिंग करने लगी - उसे जल्द से जल्द अब सुनील के पास पहुँचना था.

समर ने पूछने की कोशिश करी पर सुमन ने कोई जवाब नही दिया - उसकी आँखों से आग बरस रही थी. वो अपना बॅग पॅक कर सागर के कमरे की तरफ बढ़ गयी.

इधर.....................................
पार्क में बैठा सुनील - अपनी जिंदगी के कड़वे सच के बारे में सोच रहा था.
अपने से ज़यादा उसे सागर और सोनल की चिंता हो रही थी.
क्या गुज़रेगी सोनल पे जब उसे इस कड़वी सच्चाई का पता चलेगा?
क्या होगा डॅड का - लेकिन डॅड शायद जानते हैं - पता नही सच क्या है?

लेकिन मैं - मैं क्या करूँ - क्या अब भी मेरी नज़रों में डॅड के लिए वही प्यार , वही श्रद्धा होगी जो हुआ करती थी? अब हर पल जब भी डॅड सामने आएँगे - मुझे यही लगेगा - मैं इनका बेटा नही.

उफफफ्फ़ ये क्या हो रहा है मेरे साथ.

दूसरे ही पल उसके दिमाग़ में सुमन की कामोउत्तेजना से भरी हुई सिसकियाँ गूंजने लगी --------उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ न्न् ंननणणनूऊऊऊऊऊओ - उसने अपने कानो पे हाथ रख लिए जैसे उन सिसकियों को रोक रहा हो कि उसे सुनाई ना दें. पर वो तो दिमाग़ में घुस चुकी थी- वहाँ से कैसे निकालता.

फिर उसके कानो में समर की बात घूमी जब वो सुमन को कह रहा था सुनील को ट्रेन करने के लिए. ऐसा कैसे कोई सोच सकता है - कोई कैसे एक माँ को बेटे के साथ संबंध बनाने के लिए कह सकता है. किस टाइप का इंसान है समर - उफफफफफफ्फ़ कैसे इंसान का खून दौड़ रहा है मेरी रगों में.

घिंन आती है मुझे उस इंसान पर - जो होने को मेरा बाप है और मेरी ही माँ को उकसा रहा था मुझे....... न्न्णैनो नूऊऊऊऊऊऊ

डॅम इट मॅन! वॉट'स गोयिंग ऑन?


वहाँ घर में बैठी सोनल - परेशान हो रही थी - सुनील कहाँ गया - क्या हुआ है उसे? क्या हुआ है उसके और माँ के बीच?

पार्क में एक कोने में एक मंदिर बना हुआ था वहाँ से भगवान कृशन के बारे में उपदेश की आवाज़े आने लगी और सुनील के दिमाग़ में कृशन की दो माँ - यशोदा - जिसने पाला था और देवकी जिसने जनम दिया था का वर्णन गूंजने लगा.

मगर उसके साथ उल्टा था सागर ने पिता का पूरा प्रेम उसे दिया था चाहे जनम देने वाला समर था. वो प्रेम वो देखभाल जो सागर ने दी थी उसके आगे समर तो कहीं भी नही था.

और उसकी माँ तो उसके साथ थी. उसकी नज़रों के सामने वो दिन आ गये - जब वो लड़ते हुए ज़ख्मी हो गया था - क्या हालत थी सागर की और सुमन की - दिमाग़ से परतें हटने लगी और उसने इस राज को राज ही रखने का फ़ैसला ले लिया- वरना पूरा परिवार खंडित हो जाता.

दिल में कुछ सकून सा आया और वो घर की तरफ बढ़ गया.

जैसे ही वो घर में घुसा सोनल उसके साथ चिपक गयी और उसके चेहरे को चुंबनो से भरती हुई बार बार एक ही सवाल पूछने लगी - क्या हुआ था मेरी जान को? क्यूँ रोया था तू ? मैं हूँ ना सब ठीक हो जाएगा.

भाव विहल हो सुनील की बाहें सोनल को कस्ति चली गयी . सोनल तो सुनील को छोड़ने का नाम ही नही ले रही थी उसकी आँखों से आँसू बहने शुरू हो चुके थे. बस वो यही जानना चाहती थी कि सुनील की आँखों में आँसू क्यूँ थे.
 
सुनील उसकी तड़प को महसूस कर रहा था, उस प्यार को महसूस कर रहा था जो एक बहन का भाई के लिए होता है - वो ये नही जान पाया था कि सोनल की नज़रों में उसकी शख्सियत कुछ बदल सी गयी थी - वो कुछ कुछ सुनील को दूसरी नज़रों से देखने लगी थी.

सुनील ने अपने बंधन को ढीला किया - कुछ नही हुआ यार - एक तूफान आया था और आ के चला गया. चिल. चाय नही पिलाएगी.

सोनल सुनील की आँखों में आँखें डाल के देखने लगी - तू मुझ से कुछ छुपा रहा है - बताएगा या फिर सीधा माँ से पूछूँ.

सुनील हिल के रह गया . अब बोलता भी तो क्या बोलता.

'यार सर दर्द कर रहा है पहले चाइ पीला फिर बात करते हैं.'

'ह्म्म - छोड़ूँगी नही जब तक सच नही बोलेगा' ये कहती हुई वो किचन में चली गयी.

सुनील वहाँ हाल में बैठा सोचने लगा - क्या बहाना लगाए सोनल के सामने.

उधर...................................................

सुमन कमरे से बाहर निकली तो समर उसके पीछे लपका.

‘अरे यार हुआ क्या है – कुछ बोलोगि भी – यूँ इतना एक दम नाराज़ क्यूँ हो गयी हो?’

‘सब तुम्हारी करनी है – मुझे आज ही वापस जाना होगा.’
‘मतलब?’

सुमन सागर के कमरे के बाहर खड़ी हो के बेल बजाने ही वाली थी कि अंदर से सविता की सिसकियों की आवाज़ आने लगी.

सुमन सोचने लगी कि पहले सागर को मज़े लेने दूं फिर बात करूँगी. वो फिर से अपने कमरे में आ कर बैठ गयी.

समर भी साथ में आया और उसका हाथ पकड़ उसे अपनी गोद में खींच लिया.
‘क्या बात है बोलो?’

सुमन रो पड़ी.

‘अरे बोलो भी यार. ऐसी भी क्या परेशानी हो गयी'

‘सुनील को सब पता चल गया. तुम्हें मना भी किया था, फिर भी तुमने सुना नही और शुरू हो गये.’

‘ओह! ये बात तो सीरीयस है – मैं ऐसा नही चाहता था – पर अभी तुम सागर को मत बताना – वो बहुत एमोशनल है’

‘नही मैं सागर से कुछ नही छुपा सकती’

‘आज मत बताओ – पहले तुम सुनील को समझाओ – उसे अपनी तरफ खिँचो – फिर बता देना’

‘तुम पागल तो नही हो गये – तुम चाहते हो मैं अपने बेटे के साथ सो जाउ- ये नामुमकिन है’

समर सुमन के गालों पे किस करते हुए बोला

‘तुमने मुझ से वादा किया था उसे ट्रेन करने का – और अब तो ये और भी ज़रूरी हो गया है – वो सेक्स को अच्छी तरहा समझे – तभी उसे समझ में आएगा हमारी स्वापिंग की वजह – और उसे दुख भी नही होगा तब’

‘ वो वो तो उस वक़्त चुदते हुए कुछ भी कह दिया सुन लिया – इसका मतलब ये तो नही कि सच में अपने बेटे के साथ…..- पागल हो क्या तुम…..’

‘अच्छा फिर झाड़ते हुए सुनील का नाम क्यूँ लिया था….. क्यूँ सोचने लगी थी कि वो तुम्हें चोद रहा है’

‘उफफफ्फ़ समझते क्यूँ नही – तुम बार बार उसका नाम ले रहे थे तो मेरे जेहन में वो आ गया.’

‘झूठ बोल रही हो तुम …. उसके अंदर तुम्हें मैं दिखाई देता हूँ …. तभी तुमने उसके बारे में सोचना शुरू किया ---- हम तो साल में एक बार ही अब मिलते हैं ---- उसके ज़रिए मेरी कमी पूरी हो जाएगी’

‘क्या बकवास कर रहे हो ---- ऐसा कुछ नही होने वाला ---- चलो वो दोनो फ्री हो गये होंगे…….’

‘अरे थोड़ा मस्ती करने दो उनको – जल्दी क्या है…..’

‘मेरी जान पे बनी पड़ी है और तुम……’

‘कुछ नही होता….. वो समझदार लड़का है --- बस तुम्हें उसपे थोड़ा ध्यान देना होगा’

समर ने सुमन के होंठों से अपने होंठ चिपका दिए.

‘उफफफफफफफ्फ़ तुउुुउउम्म्म्मममम मेरा मूड नही है’ – सुमन अपने होंठ छुड़ाते हुए बोली.

तभी साथ वाले कमरे से सविता की चीख की आवाज़ सुनाई दी – जैसे किसी ने उसकी गान्ड फाड़ दी हो.

‘तुम्हारा मूड ही तो ठीक करना चाहता हूँ – वो दोनो तो खूब मज़े ले रहे हैं’ समर फिर सुमन के होंठों को जाकड़ लेता है और साथ ही उसके मम्मे को मसल्ने लगता है.

‘उम्म्म्म उउफफफफफफफ्फ़ ‘ सुमन समझ चुकी थी कि सागर और सविता जल्दी फ्री नही होने वाले वो समर का साथ नही दे रही थी पर उसे अब रोक भी नही रही थी.

‘सोचो जब इन गुलाबी होंठों को सुनील चूमेगा – तब तुम्हें कैसा लगेगा’ एक पल के लिए अपने होंठ हटा के समर बोला और फिर ज़ोर से सुमन के होंठ चूमने लग गया.

‘अहह’ सुमन सिसक पड़ी – उसके दिमाग़ में तो वैसे भी सुनील था. पर इस वक़्त वो खुद को सुनील के बारे में सोचने के लिए रोकने लगी और अपना ध्यान समर पे लगाने लगी. समर के चेहरे को अपनी आँखों में बसाने की कोशिश करने लगी---- पर साथ ही साथ उसे समर और सुनील का चेहरा मिलता हुआ नज़र आया क्यूंकी सुनील बिल्कुल ऐसा हो गया था जैसा समर जवानी के दिनो में था.

‘ओह्ह्ह मोम तुम्हारे होंठ कितने मीठे हैं – दिल करता है बस इन्हें चूस्ता रहूं’
 
समर रोल प्ले करने लग गया वो सुनील बनके सुमन के होंठ चूसने लग गया.

समर को जबरदस्त रोमांच हुआ – उसे लगा कि वो बिल्कुल जवान हो गया है और .

समर के बोल जब सुमन के कानो में पड़े.

‘क्यूँ कर रहे हो ऐसा – क्यूँ बार बार मुझे सुनील की तरफ धकेल रहे हो’ सुमन अपने होंठ छुड़ा कर बोली.
समर की आँखों में इस वक़्त नशा भर चुका था उसने ज़ोर से सुमन के मम्मे को मसला.

‘आज मैं जवान बन के तुम्हारा सारा रस पीना चाहता हूँ – इस वक़्त मैं सुनील हूँ और तुम मेरी मोम ‘

सुमन से बर्दाश्त नही हो रहा था उसका दिमाग़ फट रहा था पर जिस्म साथ छोड़ रहा था.

‘नही – मत करो ऐसा –प्लीज़ ये रोल प्ले मत करो – मुझे अच्छा नही लग रहा है’

‘तुम्हारी आँखों में उतरा हुआ नशा बता रहा है – इस वक़्त तुम सुनील की बाँहों में होना चाहती हो – तुम्हारे चेहरे की रंगत बता रही है इस वक़्त तुम कितनी उत्तेजित हो – मत रोको खुद को – मज़े लो’

‘ओह माआआआआ न्न्चेहणन्नाआआआहहिईीईईईईईईईई उूुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ सुउुुउउन्न्ञन्न्निईीईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल’ और सुमन पागलों की तरहा समर को चूमने लग गयी.

‘हाआँ मोम --- आज खूब प्यार करो मुझे----- बहुत तडपा हूँ तुम्हारे लिए’ समर ने सुमन को कस के खुद से सटा लिया

तभी सुमन का मोबाइल बजने लगा. उसे झटका लगा और एक दम समर की गोद से उठ के अपना मोबाइल उठाया और उससे दूर चली गयी कमरे के ईक कोने में.
ये कॉल सोनल की थी जो किचन में खड़ी चाइ बना रही थी.

‘मोम आप क्या छुपा रहे हो मुझ से – अगर आपने भाई को कुछ नही कहा तो फिर क्या बात हुई है – उसकी हालत मुझ से देखी नही जा रही – कल के सुनील और आज के सुनील में दिन रात का फरक हो गया है. उसका चेहरा मुरझा गया है – उसके चेहरे को देख कोई भी कह सकता है कि वो कितने दर्द से तड़प रहा है. क्या हुआ है मोम मेरा दिल बहुत घबरा रहा है’

सोनल का एक एक लफ्ज़ पिघले शीशे की तरहा सुमन के कानो में घुस रहा था – उसके दिल पे वार कर रहा था.

‘कुछ नही होगा उसे – मैं आज ही आ रही हूँ’ सुमन के चेहरे पे एक सख्ती सी आ गयी थी – जैसे उसने कुछ सोच लिया था कि उसे क्या करना है.

‘पर मुझे कुछ तो बताओ मोम – आख़िर हुआ क्या है’ ये बात सोनल के मुँह से कुछ ज़ोर से निकल गयी जिसे हॉल में बैठे सुनील ने सुन लिया.

वो भाग के किचन में आया. सोनल से मोबाइल छीन लिया .

‘मैं जा रहा हूँ मोम – जो तुम चाहती हो वही होगा – कल ही हॉस्टिल में शिफ्ट हो जाउन्गा’ बस इतना कह के उसने कॉल कट कर दी.

सोनल उसके चेहरे को गौर से देखने लगी. अगर सिर्फ़ हॉस्टिल की बात होती तो सुनील इतना परेशान नही होता – आख़िर हॉस्टिल तो जाना ही था एमबीबीएस के आखरी सालों में. बात कुछ और है जो ये छुपा रहा है.

आने दो मोम को – सच का पता कर के रहूंगी.

सुनील मोबाइल साथ ले वापस हॉल में जा के बैठ जाता है.

सोनल चाइ ला कर सुनील के सामने बैठ गयी . सुनील ने चुप चाप छाई का कप उठा लिया – वो अंदर ही अंदर रो रहा था अपने चेहरे को सामान्य रखने की कोशिश करते हुए एक फीकी हसी अपने चेहरे पे ले आया.
 
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