hotaks444
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जिस दिन कमल ने सरे आम अपनी चाहत का एलान कर दिया था - जिसकी किसी को भी उम्मीद नही थी - जो सबके लिए एक झटका था - उस दिन एक शक्स हॉल के कोने में बैठा हुआ अपने आँसू ना रोक सका ---- एक तरफ दोस्ती और दूसरी तरफ उसका प्यार जिसका इज़हार वो कभी ना कर सका --- ऐसा डर बैठा हुआ था सुनील का उसके दिल में.
वो और कोई नही था -- कमल का खास दोस्त जयंत ----- शायद ये छुपा हुआ प्यार ही था जो वो सारी रात कमल को समझाता रहा - रूबी का ख़याल दिल से निकालने को .
लेकिन होनी हो कर रहती है - कमल पीछे नही हटा और जयंत - अपने ख्वाबो की कब्र बनते हुए देखता रहा. दोस्ती कभी कभी दोस्तों की जान लेलेति है --- कुछ ऐसा ही हाल था जयंत का - अपने अरमानो की कब्र अपने दिल में सज़ा के रह गया.
******
अब चलते हैं वापस सूमी और सुनील के पास ……. दोनो अपने आनंद में डूबे हुए आराम से चलते एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए होटेल पहुँच गये – सारा रास्ता सूमी परेशान रही – उसे दिक्कत हो रही थी चलने में क्यूंकी सुनील ने उसकी चूत में पूरी नदी भर दी थी – जो धीरे धीरे रिस रही थी उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सो पे और नोबत यहाँ तक पहुँच गयी थी कि उसकी सॅंडल्ज़ और मसूरी की वो सड़क जिसपे वो चल रहे थे – इस बाढ़ से बच ना पाए और एक ट्रेल बनती चली गयी सूमी और सुनील के मिश्रण रस की.
जब दोनो कमरे में पहुँचे तो सूमी सुनील पे टूट पड़ी बिल्कुल जंगल शेरनी की तरहा ----- सुनील के चेहरे को चूम और काट के लाल सुर्ख कर दिया और वो बिलबिलाता रह गया .
‘ओ जंगली क्या हो गया है तुझे’
'और तुमने क्या किया था --- खुल्ले में - जंगल में शुरू हो गये थे' एक कातिलाना मुस्कान के साथ सूमी बोली.
'मेरी जान --- खुल्ले में करने का अपना ही मज़ा होता है - व्हेन योपू आर सो क्लोज़ टू नेचर --- ये बात मुझे मेरे एक दोस्त ने बताई थी '
'अयीई माँ तुम्हारे ऐसे भी दोस्त हैं.... मुझे तो आज तक तुमने नही बताया'
'बता देता तो बड़ी मार पड़ती --- तब रिश्ता कुछ और था....' सुनील खिलखिला के हँस पड़ा.
'हो .... तुम लड़के ना..... कितने सीधे साधे और भोले नज़र आते थे ... और अब देखो ... क्या क्या गुल खिला रहे हो...'
'मियाँ की ख़ासियत... उसके खास दोस्त..धीरे धीरे ही पता चलते हैं'
'अच्छा ये कॉन सा दोस्त है तुम्हारा'
सुनील कुछ पल सोचता है फिर बोलता है .... ' यार जब तुमने वो सेक्स लेसन दिए थे --- उसके बाद हालत खराब हो गयी थी .... तो राजशर्मास्टॉरीज पे जाने लग गया... वहाँ एक दोस्त बन गया - वो मिया बीवी खुल्ले में ही करते हैं जब से 18 के थे ... कभी कार में..कभी छत पे... कभी बस में... कभी बीच पे --- सन्नी और रीया है उनका नाम वैसे.'
'अगर उनका नाम सन्नी और रीया है तो --- क्या'
'अरे ये सन्नी की आइडी है .... बाकी बातें फिर कभी करेंगे .... अभी तो प्यास लगी है '
'जाओ जाओ प्यास लगी है - पूरे बेशर्म बन चुके हो--- आज तो जान ही निकाल दी मेरी --- कोई आ जाता तो'
'तो क्या देख लेता कैसे हम प्यार कर रहे थे आपस में'
'और अगर मुझे पे ही झपट पड़ता तो......'
'जान से ना मार डालता' सुनील की आवाज़ सर्द हो गयी और सूमी हिल के रह गयी.
सूमी की शक्ल देख सुनील हँस पड़ा -------'मेरी जान निकाल दी और खुद हँस रहे हो----- कुछ खाने के लिए मन्गवाओ ना --- मैं फ्रेश हो कर आती हूँ' --- सूमी अपने कपड़े ले बाथरूम में घुस्स गयी.
सुनील ने रूम सर्विस को खाने का ऑर्डर दे दिया और सूमी का इंतेज़ार करने लगा - उसने वाइन की बॉटल खोल ली जो कल रात बच गयी थी - और छोटे छोटे सीप लेने लगा
जब वो बात रूम से बाहर आई तो कमरे का तापमान बादने लग गया --- सफेद ट्रॅन्स्परेंट लाइनाये जो मुश्किल से उसकी गान्ड तक आ रही थी. .
उसे देख सुनील पलकें झपकाना भूल गया --- उसका लंड बाहर निकलने की फरियाद करने लगा.
जब खाना आया तो सूमी बेड रूम में भाग गयी और वेटर के जाने के बाद ही लिविंग रूम में आई.
दोनो साथ साथ खाना खाने लगे --- पर सुनील का ध्यांन खाने से ज़यादा सूमी के कामुक बदन पे ही था.
ये लोग खाना खा ही रहे थे कि सोनल की कॉल आ गयी..........
बीच पे बैठी सोनल अपनी यादों के समुन्द्र में गोते खा रही थी कि उसे अपने कंधे पे जाने पहचाने हाथों का अहसास होता है ‘ क्या कर रही है मेरी गुड़िया’ ये आवाज़ सूमी की थी.
सोनल पलट ती है और सूमी के गले लग जाती है ‘ आइ लव यू मोम – आइ लव यू टू मच ….. आपकी वजह से मुझे मेरा प्यार मिल गया … मेरी सूनी जिंदगी में बाहर आ गयी’
‘पगली अब मोम नही दीदी बुलाया कर --- तेरी बड़ी सौतन जो हूँ…. कैसे बदल गये हमारे रिश्ते….. हम दोनो के अंदर सुनील समाता है ……. बहुत बड़ा है उसका दिल किस तरहा हम दोनो पे अपना प्यार लुटाता है’
सोनल – सूमी को देख रही थी --- उसकी माँ ही उसकी सौतन थी …. वो माँ जिसने बड़े जतन से प्यार से पाला पोसा था … वो माँ आज एक नये रूप में थी … उसकी सौतन दीदी.
‘सूमी दीदी’ सोनल के मुँह से निकला और दोनो एक दूसरे से लिपट गयी.
वो और कोई नही था -- कमल का खास दोस्त जयंत ----- शायद ये छुपा हुआ प्यार ही था जो वो सारी रात कमल को समझाता रहा - रूबी का ख़याल दिल से निकालने को .
लेकिन होनी हो कर रहती है - कमल पीछे नही हटा और जयंत - अपने ख्वाबो की कब्र बनते हुए देखता रहा. दोस्ती कभी कभी दोस्तों की जान लेलेति है --- कुछ ऐसा ही हाल था जयंत का - अपने अरमानो की कब्र अपने दिल में सज़ा के रह गया.
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अब चलते हैं वापस सूमी और सुनील के पास ……. दोनो अपने आनंद में डूबे हुए आराम से चलते एक दूसरे का हाथ पकड़े हुए होटेल पहुँच गये – सारा रास्ता सूमी परेशान रही – उसे दिक्कत हो रही थी चलने में क्यूंकी सुनील ने उसकी चूत में पूरी नदी भर दी थी – जो धीरे धीरे रिस रही थी उसकी जाँघो के अन्द्रुनि हिस्सो पे और नोबत यहाँ तक पहुँच गयी थी कि उसकी सॅंडल्ज़ और मसूरी की वो सड़क जिसपे वो चल रहे थे – इस बाढ़ से बच ना पाए और एक ट्रेल बनती चली गयी सूमी और सुनील के मिश्रण रस की.
जब दोनो कमरे में पहुँचे तो सूमी सुनील पे टूट पड़ी बिल्कुल जंगल शेरनी की तरहा ----- सुनील के चेहरे को चूम और काट के लाल सुर्ख कर दिया और वो बिलबिलाता रह गया .
‘ओ जंगली क्या हो गया है तुझे’
'और तुमने क्या किया था --- खुल्ले में - जंगल में शुरू हो गये थे' एक कातिलाना मुस्कान के साथ सूमी बोली.
'मेरी जान --- खुल्ले में करने का अपना ही मज़ा होता है - व्हेन योपू आर सो क्लोज़ टू नेचर --- ये बात मुझे मेरे एक दोस्त ने बताई थी '
'अयीई माँ तुम्हारे ऐसे भी दोस्त हैं.... मुझे तो आज तक तुमने नही बताया'
'बता देता तो बड़ी मार पड़ती --- तब रिश्ता कुछ और था....' सुनील खिलखिला के हँस पड़ा.
'हो .... तुम लड़के ना..... कितने सीधे साधे और भोले नज़र आते थे ... और अब देखो ... क्या क्या गुल खिला रहे हो...'
'मियाँ की ख़ासियत... उसके खास दोस्त..धीरे धीरे ही पता चलते हैं'
'अच्छा ये कॉन सा दोस्त है तुम्हारा'
सुनील कुछ पल सोचता है फिर बोलता है .... ' यार जब तुमने वो सेक्स लेसन दिए थे --- उसके बाद हालत खराब हो गयी थी .... तो राजशर्मास्टॉरीज पे जाने लग गया... वहाँ एक दोस्त बन गया - वो मिया बीवी खुल्ले में ही करते हैं जब से 18 के थे ... कभी कार में..कभी छत पे... कभी बस में... कभी बीच पे --- सन्नी और रीया है उनका नाम वैसे.'
'अगर उनका नाम सन्नी और रीया है तो --- क्या'
'अरे ये सन्नी की आइडी है .... बाकी बातें फिर कभी करेंगे .... अभी तो प्यास लगी है '
'जाओ जाओ प्यास लगी है - पूरे बेशर्म बन चुके हो--- आज तो जान ही निकाल दी मेरी --- कोई आ जाता तो'
'तो क्या देख लेता कैसे हम प्यार कर रहे थे आपस में'
'और अगर मुझे पे ही झपट पड़ता तो......'
'जान से ना मार डालता' सुनील की आवाज़ सर्द हो गयी और सूमी हिल के रह गयी.
सूमी की शक्ल देख सुनील हँस पड़ा -------'मेरी जान निकाल दी और खुद हँस रहे हो----- कुछ खाने के लिए मन्गवाओ ना --- मैं फ्रेश हो कर आती हूँ' --- सूमी अपने कपड़े ले बाथरूम में घुस्स गयी.
सुनील ने रूम सर्विस को खाने का ऑर्डर दे दिया और सूमी का इंतेज़ार करने लगा - उसने वाइन की बॉटल खोल ली जो कल रात बच गयी थी - और छोटे छोटे सीप लेने लगा
जब वो बात रूम से बाहर आई तो कमरे का तापमान बादने लग गया --- सफेद ट्रॅन्स्परेंट लाइनाये जो मुश्किल से उसकी गान्ड तक आ रही थी. .
उसे देख सुनील पलकें झपकाना भूल गया --- उसका लंड बाहर निकलने की फरियाद करने लगा.
जब खाना आया तो सूमी बेड रूम में भाग गयी और वेटर के जाने के बाद ही लिविंग रूम में आई.
दोनो साथ साथ खाना खाने लगे --- पर सुनील का ध्यांन खाने से ज़यादा सूमी के कामुक बदन पे ही था.
ये लोग खाना खा ही रहे थे कि सोनल की कॉल आ गयी..........
बीच पे बैठी सोनल अपनी यादों के समुन्द्र में गोते खा रही थी कि उसे अपने कंधे पे जाने पहचाने हाथों का अहसास होता है ‘ क्या कर रही है मेरी गुड़िया’ ये आवाज़ सूमी की थी.
सोनल पलट ती है और सूमी के गले लग जाती है ‘ आइ लव यू मोम – आइ लव यू टू मच ….. आपकी वजह से मुझे मेरा प्यार मिल गया … मेरी सूनी जिंदगी में बाहर आ गयी’
‘पगली अब मोम नही दीदी बुलाया कर --- तेरी बड़ी सौतन जो हूँ…. कैसे बदल गये हमारे रिश्ते….. हम दोनो के अंदर सुनील समाता है ……. बहुत बड़ा है उसका दिल किस तरहा हम दोनो पे अपना प्यार लुटाता है’
सोनल – सूमी को देख रही थी --- उसकी माँ ही उसकी सौतन थी …. वो माँ जिसने बड़े जतन से प्यार से पाला पोसा था … वो माँ आज एक नये रूप में थी … उसकी सौतन दीदी.
‘सूमी दीदी’ सोनल के मुँह से निकला और दोनो एक दूसरे से लिपट गयी.