Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी - Page 20 - SexBaba
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Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी

उसके बाद डाइनिंग टेबल पे शांति रही और कुछ देर बाद नाश्ता ख़तम कर सभी उठ गये….सुनील अपने कमरे में चला गया ….आज वो नहाया ही नही था …तो दरवाजा बंद कर बाथरूम में घुस्स गया…



नहा के सुनील पढ़ने बैठ गया …पर उसका दिल नही लगा पढ़ने में…उठ के वो रूबी और कविता के पास चला गया ….दोनो पढ़ने में लगी हुई थी ….सवी भी वहीं एक कोने में बैठी जाने क्या सोच रही थी…उसे समझ नही आ रहा था कि कल इतनी गहरी नींद क्यूँ आ गयी और सर इतना भारी क्यूँ है सुबह से जब से वो उठी है …ऐसा तो पीने के बाद होता है ..या फिर नीद की दवाई की ज़यादा डोज ले ली हो …दिमाग़ फटने लग गया उसका ….सुनील ने उसपे कोई ध्यान नही दिया और देखने लगा उसकी बहने क्या पढ़ रही हैं….दोनो नर्वस सिस्टम के बारे में पढ़ रही थी…कविता एक जगह उलझ गयी उसे ह्य्पोथलमुस की फ्यूंक्षनॅलिटी समझ नही आ रही थी…उसने नज़र उठाई और रूबी की तरफ देखा शायद उसे पूछना चाहती थी…फिर उसकी नज़र सुनील पे पड़ी और वो पूछ ही बैठी…भाई …ये टॉपिक बिल्कुल पल्ले नही पड़ रहा है …सुनील उसे समझाने बैठ गया और रूबी भी ध्यान से सुनने लगी …दो घंटे कैसे बीत गये पता ही नही चला …..कविता को समझाने के बाद सुनील घर से बाहर निकल गया और मार्केट में जा कर घर के समान की शॉपिंग करने लगा …..3 घंटे उसने ऐसे ही बिता दिए मार्केट में….घर पहुँचा तो सबसे बड़ा सर्प्राइज़ था उसके सामने …..सोनल हाल में बैठी हुई थी…

सुनील कुछ बोलता की सोनल उसे खींचती हुई रूम में ले गयी और दरवाजा बंद कर लिपट गयी उस से.

सोनल….आप कुछ नही बोलोगे …बस लेट जाइए अब ….

सोनल ने ज़बरदस्ती सुनील को लिटा दिया …….’आँखें बंद कीजिए ‘

सोनल सुनील के साथ एक दम चिपकी हुई थी और बड़े प्यार से उसके सर को सहला रही थी…..उसके नर्म हाथों से हो रही मालिश से सुनील को बहुत सकुन मिला और उसकी आँखें बंद होती चली गयी…एक घंटा वो सुनील का सर मल्ति रही …और जब

सुनील गहरी नींद में चला गया तो धीरे से उठी …कमरा बंद किया और बाहर निकल आई ….हाल में उसे सवी मिली ….

सोनल…मासी कुछ बात करनी है ….ज़रा मेरे साथ आओ ( उसका लहज़ा इतना सर्द था जैसे तूफान से पहले की शांति होती है और सवी को यूँ लगा जैसे बर्फ़ीली सूइयां उसके जिस्म में घुस गयी हों ..वो चुप चाप सोनल के पीछे छत तक चली गयी …..)

दोनो कुछ देर एक दूसरे को देखती रही फिर सोनल ने बोलना शुरू किया …..’देखो मासी …तुमने दीदी के साथ जो शर्त लगाई है …उसका मुझ से कोई लेना देना नही …जानती हो ना सुनील कैसा है फिर क्यूँ बार बार उसे कसौटी पे रखने लगती हो ….शरम नही आई तुम्हें दीदी के साथ ऐसी शर्त लगाते हुए ….क्या दुनिया भर की औरतों का और वो भी घर की सभी औरतों की प्यास भुजा ना ठेका ले रखा है सुनील ने ….कितनी बार समझाया …इतनी आग लगी हुई है तो शादी कर लो…लेकिन नही..घूम फिर के तुम सुनील पे आ जाती हो…उसके एग्ज़ॅम्स हैं एक महीने के अंदर और उसे कितनी तकलीफ़ होती है इन हरकतों से नही मालूम क्या तुम्हें …मैं अब कोई बदतमीज़ी बर्दाश्त नही करूँगी …सॉफ सॉफ सुन लो…मासी बन के रहना है तो रहो और एक मासी की ज़िम्मेदारी भी उठाओ …ये सुनील की साली बन उसके करीब जाने की कोशिश मत करना …वरना देर नही लगेगी मुझे …सीधा मुंबई पार्सल कर दूँगी …तुम्हें तुम्हारे बेटे और बहू के साथ…दुबारा सम्झाउन्गी नही …बस कर दूँगी जो करना है ……ये मेरी आखरी वॉर्निंग है ….’

पैर पटकती हुई सोनल सवी को वहीं छोड़ नीचे चली गयी …आज उसका रूप वाक़्य में घायल शेरनी का था….अपने सुनील को वो किसी भी तरहा तड़प्ता हुआ नही देख सकती थी…अब उसे मिनी को रास्ते पे लाना था.

सवी की हालत ही खराब हो गयी सोनल का ये रूप देख कर …रोना निकल गया उसका ….अब वक़्त आ गया था…उसे अपनी जिंदगी से समझोता करना ही था…अब जैसे भी चले ….कुछ लोग ऐसे होते हैं…जिन्हे कभी कुछ नही मिलता…शायद सवी उनमें से एक थी……या उसके सोचने का तरीका ग़लत था…बवंडर उठ रहे थे उसके दिमाग़ में …वहीं छत पे बैठ जाने कितनी देर रोती रही….

सोनल भुन्भुनाती हुई नीचे आई और नॉक कर रमण के कमरे में घुस गयी ……जब से रमण घर आया था….सोनल पहली बार उसके कमरे में घुसी थी …वो भी चन्डीमाई का रूप ले कर गुस्से से लाल पीली होती हुई…

सोनल का ये रूप देख मिनी कुछ बोखला सी गयी …पहली बार वो सोनल को इतना गुस्से में देख रही थी…
सोनल….देखो भाभी …तुम्हारी जो भी पर्सनल प्राब्लम हैं …….वो तुम अपने पति से या अपनी सास से या मेरी माँ से भी डिसकस कर सकती हो….प्लीज़ सुनील के एग्ज़ॅम सर पे हैं…एक महीने तक उसके करीब मत जाना …उसे पढ़ने दो……कल सारी रात तुमने उसे सोने नही दिया …इस तरहा क्या खाक पढ़ेगा वो….एमबीबीएस की पढ़ाई है कोई मज़ाक नही

मिनी ….मैं तो नही गयी थी उसके पास वो ही खुद आया था….(बहुत धीरे से बोली….)

सोनल….वो तो है ही ऐसा किसी के आँसू नही देख सकता …खैर अब जो भी बात करनी हो….एक महीने बाद जब उसके एग्ज़ॅम ख़तम हो जाएँ……वरना मैं कुछ कर बैठूँगी……..फिर वो

रमण की तरफ मूडी ….तुझे क्या हुआ है जो छक्कों की तरहा बिस्तर पे पड़ा रहता है …सारे जख्म ठीक हो चुके हैं तेरे..बस प्लास्टर ही तो रह गया है…हिलना डुलना शुरू कर …वरना दूसरी टाँग भी कमजोर हो जाएगी

और सोनल धड़ से दरवाजा बंद कर निकल गयी …..उसके जाते ही रमण हँसने लगा …..देख लिया …ये होता है घर …..तू सुनील के पीछे पड़ी और उसकी बहन आ गयी चन्डीमाई बन के…….वो फिर हँसने लगा…..

मिनी बस सर झुकाए आँसू टपका रही थी.

सोनल भी रात को ढंग से सो नही पाई थी...वो चुप चाप कमरे में घुसी ...दरवाजा बंद किया...अपना नाइट गाउन पहना और सुनील के पास सो गयी



रात करीब 8 बजे सुनील की नींद खुली तो उसने साथ में सोनल को सोते हुए देखा…उसके चेहरे पे मासूमियत की छटा देख सुनील को उसपे बहुत प्यार आया और उसके माथे पे पड़ी लट हो हटा उसने उसे चूम लिया ….वो हटने ही लगा था कि सोनल ने उसे अपनी बाँहों में लप्पेट लिया और चिपक गयी उसके साथ……सोनल के होंठ कुछ माँग रहे थे और सुनील उनकी भाषा समझ गया ….सुनील उसके चेहरे पे झुकता चला गया और दोनो के होंठ आपस में सट गये….दोनो को ही एक दूसरे के इतने करीब आ कर बहुत राहत मिली ….सुनील धीरे धीरे उसके होंठ चूसने लग गया…और सोनल अपने होंठों की मदिरा उसे पिलाती रही ……….तभी दरवाजे पे नॉक हुआ और दोनो अलग हो गये….सुनील ने दरवाजा खोला तो सामने रूबी खड़ी थी …अब ना तो सवी की हिम्मत थी और ना ही मिनी के अंदर हिम्मत थी …कि इस कमरे का दरवाजा खटखटा सकें….रूबी के चेहरे पे शरारती मुस्कान थी …बहुत धीरे से बोली…अब भाभी को तंग करना बंद करो और खाने के लिए आ जाओ ….सुनील उसे एक लगाने को लपका और वो हँसती हुई भाग गयी … सुनील को भी हँसी आ गयी उसकी चुहलबाजी पर ….

सुनील…सोनल उठो खाना लग गया है …चलो ..

सोनल उठते हुए ….आप यहीं बैठो मैं खाना यहीं ले कर आ रही हूँ….सारा दिन आपका बर्बाद हो गया….अब चुप चाप पढ़ने बैठ जाइए …….

सुनील बस सोनल को देखता ही रह गया…उसकी बात को नही टाल सकता था…और वो कह भी तो ठीक रही थी…

सुनील वहीं बिस्तर पे बैठ गया और सोनल का इंतेज़ार करने लगा….सोनल पूरी तरहा ठान चुकी थी…अब वो हर संभव तरीके से सुनील को मिनी और सवी से दूर रखेगी …ताकि वो अपने एग्ज़ॅम पे फोकस कर सके.

डिन्नर टेबल पर मिनी नही आई थी और सवी मुँह लटका के बैठी थी…

कविता ….दीदी भाई नही आएँगे

सोनल …नही अब वो अपने कमरे में ही खाएँगे …जब तक एग्ज़ॅम नही होते उन्हें डिस्टर्ब मत करना…कुछ पूछना हो तो मैं हू ना.

रूबी …हां ये ठीक है दीदी वरना कोई भी उन्हें तंग करने लग जाता है…रूबी का इशारा सवी की तरफ था.

सोनल प्लेट में दोनो का खाना डाल कर कमरे में चली गयी ……

खाना खाते वक़्त ….सोनल….अब आप सिर्फ़ पढ़ाई पे ध्यान देंगे …आपको सब कुछ यहीं कमरे में मिलेगा….बहुत कर लिया सब के लिए …बस अब जब तक एग्ज़ॅम नही होते आप अपना दिमाग़ किसी के लिए खराब नही करेंगे.

सुनील….यार ऐसा भी क्या हो गया …

सोनल…उस कलमूहि ने कल रात खराब कर दी ना आपकी और आज का सारा दिन भी चला गया…बस अब और नही …एग्ज़ॅम के बाद देखेंगे क्या करना है इन मुसीबतों का.

सुनील…ऐसे नही बोलते यार आख़िर वो…

सोनल…आप तो अब रहने ही दीजिए ….दुनिया भर का दर्द आपने ही तो उठाना है …क्यूँ ? पर अब ऐसा नही होगा….

सुनील…तो इसीलिए तुम कान्फरेन्स बीच में छोड़ आ गयी …

सोनल….तो क्या करती …वो कलमूहि आपका दिमाग़ खराब करती रहती …तो पढ़ लेते आप. बस अब ज़यादा बाते नही ….पढ़ने बैठ जाइए आप.

सोनल बर्तन उठा बाहर चली गयी और सुनील के लिए कॉफी बनाने लगी …….

सुनील भी चुप चाप पढ़ने बैठ गया.

सोनल भी कुछ देर पढ़ती रही और घंटे बाद अपनी किताबें एक साइड रख वो किचन में चली गयी …सुनील के लिए कॉफी बनाने ….उस वक़्त सविता मुँह लटकाए हाल में बैठी जाने क्या सोच रही थी…सोनल ने उसकी परवाह ना करी ….एर कफ्फी बना के अंदर कमरे में चली गयी …फिर वहीं सुनील के पास बैठ गयी जैसे उसकी चोकीदारी कर रही हो और हर आनेवाली बला को उसके पास फटकने से रोक रही हो..

कॉफी पीता पीता सुनील अपनी किताबों में खोया रहा ….ऐसे ही रात के 12 बज गये और सोनल फिर जा के सुनील के लिए कॉफी लिए आई …सुनील पढ़ता रहा और रात के 2 बज गये….तब

सोनल उठी और सुनील के हाथों से किताब ले ली….बस बहुत हो गया…अब सो जाइए ….

सुनील….यार नींद नही आ रही दिन भर तो सोया रहा…..

सोनल ….अभी आ जाएगी ….

इतना बोल वो बाथरूम घुस गयी अपने कपड़े बदले और एक शोला बन के बाहर आ गयी ….वैसे तो सोनल के पीरियड्स चल रहे थे लेकिन उसने आज सुबह ही एरपोर्ट पे हॉर्मोनल टॅब्लेट्स ले ली थी..ताकि पीरियड्स रुक जाएँ और रात तक उनका असर भी हो गया…इस वक़्त सोनल अपने सुनील के लिए तयार थी….लेकिन…आज वो चाहती थी कि सुनील आराम से सो जाए …ताकि जो मानसिक तनाव उसे कल हुआ था …उस से दूर हो जाए ……
 
लेकिन सोनल के इस रूप को देख सुनील के जिस्म में हलचल मच गयी . जो लिंगेरिर सोनल ने पहनी थी वो लिंगेरिर कम बाथरोब थी ...अंदर उसने कुछ नही पहना था और उसके उरोज़ बाहर झलक रहे थे......और सुनील तो बावला हो गया अपनी बीवी का ये रूप देख ....उसने सोनल को अपनी ओर खींच लिया.

सोनल को अपनी गोद में ले वो मोबाइल उठाता है और सुमन को फोन मिला देता है….

रात के 2 से उपर हो चुका था…..

सुमन तो जैसे बेसब्री से फोन का इंतेज़ार कर रही थी.

सुनील ने जैसे ही हेलो कहा सुमन की रुलाई निकल पड़ी….

सुमन …रोते हुए….अब याद आई मेरी …कितनी देर से तड़प रही थी …अब फोन आएगा अब फोन आएगा…

सुनील …यार प्लीज़ रो मत …ये हिट्लर जो तुमने वापस भेज दी एक सेकेंड की फ़ुर्सत नही लेने दी इसने…पहले आते ही सुला दिया और फिर पढ़ने बिठा दिया ….और ऐसे चोकीदारी कर रही थी कि मैं हिल भी नही सकता था…..

सुमन के आँसू रुक गये ……अच्छा किया उसने …तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए ….सुनो मैं कल आ रही हूँ…मैने अपनी जगह किसी और फॅकल्टी का इंतेज़ाम कर दिया है …..आज नही आ सकती थी…प्लीज़ बू….

सुनील….अब मार खानी है क्या …कितनी बार समझाया है …नो सॉरी …नो थॅंक्स.

सुमन….उम्म्ममवाआआः ..लव यू…..

सुनील….मैं आउन्गा लेने एरपोर्ट पर…

सुमन…नही नही मैं आ जाउन्गी …कॉलेज मत मिस करना..

सुनील….ओके सोनल आ जाएगी ….

सुमन …अच्छा सोनल से बात कर्वाओ ज़रा …

सोनल …हां दीदी बोलो …मिस यू वेरी मच

सुमन..मी टू डार्लिंग …देखना ये पढ़ाई पे ध्यान दे और बाकी सब को इनसे दूर रखना..

सोनल..फिकर नोट वो काम तो मैने कर दिया है …किसी की हिम्मत नही अब इनके पास फटकने भी …

सुमन …और रात को ज़यादा तंग मत करना

सोनल…धत्त आप भी ….

सुमन…अच्छा चल रखती हूँ…बहुत रात हो गयी कल सुबह की फ्लाइट लूँगी …लव यू

सोनल…लव यू दीदी बस कल आ जाओ …बाइ

सोनल ने फोन रखा ही था कि सुनील ने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया.

सोनल….प्लीज़ डार्लिंग आज नही …सो जाओ अब…बहुत रात हो चुकी है…

सुनील ने अपने होंठ उसके होंठों पे रख उसे चुप करवा दिया…कुछ देर वो सोनल के होंठ चूस्ता रहा फिर दोनो सो गये.


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‘कितने अरमानो से करी थी मेरी शादी मेरे माँ बाप ने ….लेकिन मिला क्या ….एक वासना का लोभी …..मैने क्या क्या सहा ये कोई नही जानता…ना मैं किसी को बता सकती हूँ ….बताने की कोशिश भी करी पर बहुत देर हो चुकी थी…सब बदल गया…रिश्ते बदल गये …वो कल का मरता आज मर जाए तो शायद मेरी तड़पति हुई रूह को कुछ सकुन मिलेगा……आज भी वो दिन नही भूल सकती …कैसे उस नर्स को चोद रहा था …….मेरे ही घर में..मेरे ही बिस्तर पे…..उस दिन मैं मर गयी थी…पर उस कुत्ते को छोड़ने की हिम्मत ना हुई ……..क्यूंकी मेरे बेटे की जिंदगी बर्बाद हो जाती ….क्या क्या नही सहा मैने …फिर वो मेरी बहन के पीछे पड़ गया और मुझे जीजा के बिस्तर पे धकेल दिया …कितनी बार मना किया तो सीधा डाइवोर्स की धमकी ……कोई नही समझता मेरे दर्द को …दो पल प्यार के माँगे तो वो नसीब नही ….क्या फ़ायदा ऐसी जिंदगी का …किस के लिए जियुं अब …. कितनी बुरी तरहा से बोली सोनल आज मुझ से जैसे मैने उसके पति को उसे छीन लिया हो …मैने ऐसा तो कभी नही चाहा था…क्या हम प्यार से मिल के नही रह सकते …क्या फराक पड़ जाएगा …अगर वो मुझे भी थोड़ा प्यार कर लेगा तो…ये दोनो नही बाँटति उसे आपस में..कुछ देर मेरे साथ बिता लेगा तो कॉन सा आसमान टूट जाए गा..ख़तम कर लूँगी अब मैं खुद को…नही जीना मुझे...मैं नही किसी और से शादी का रिस्क ले सकती..पता नही कैसे निकलेगा वो…यही चाहते हैं ना कि मैं चली जाउ..ठीक है जा रही हूँ…इतनी दूर कि चाह कर भी मुझ तक पहुँच ना सको’

सवी अपने कमरे में बंद अपनी दो बेटियों को देखते हुए अपने ही ख़यालों में थी…..चुप चाप उठी ….एक बॅग में अपने कुछ कपड़े डाले ……..एक काग़ज़ पे बस इतना लिखा…मैं जा रही हूँ…मुझे ढूँडने की कोशिश मत करना….रूबी और कविता अपने भाई सुनील पे भरोसा करना जैसा वो कहे वही करना …एक वही है जो तुम्हारी जिंदगी को खुशियों से भर सकता है …मुझे माफ़ करना …मैं और साथ नही दे पाउन्गि…मेरा वक़्त पूरा हो चुका है … और चुप चाप रात के अंधेरे में घर से निकल पड़ी…कहाँ ये शायद वो भी नही जानती थी.

घर से निकल वो एक पार्क में जा कर बैठ गयी जो घर के नज़दीक था …इस वक़्त सुबह के 4 बजनेवाले थे…बैठी बैठी सोचती रही क्या करे कहाँ जाए …….टिक टिक कर वक़्त की सुई आगे बढ़ती रही…और चिड़ियों की चचहाहट शुरू हो गयी …सवी उठी और पार्क से बाहर निकली ……उसके कदम टॅक्सी स्टॅंड की तरफ बढ़ गये …और टॅक्सी कर वो सीधा एरपोर्ट की तरफ बढ़ गयी ……

एक फ्लाइट से सुमन उतर रही थी और एक फ्लाइट पे सवी चढ़ रही थी ….लेकिन दोनो का आमना सामना ना हो सका …..सुमन ने सोनल को इतनी सुबह तंग करना ठीक ना समझा था इसलिए अपनी फ्लाइट डीटेल नही भेजी थी…सुमन टॅक्सी ले घर की तरफ चल पड़ी और उसी वक़्त सवी की फ्लाइट उड़ गयी …दूर कहीं बहुत दूर जाने के लिए….

सवी ने एक पल तो मरने का ही सोचा था….पर सागर की यादों ने उसे मरने नही दिया…वो हमेशा जिंदगी की कीमत और उसे जीने के बारे में बोलता रहता था….उसी की बात मान सवी एक नयी जिंदगी जीने की राह पे चल पड़ी …….

सुमन घर पहुँची तो सुबह के 7 बज चुके थे और सभी हाल में परेशान बैठे सवी की चिट्ठी को देख रहे थे.

सुमन : अपने अपने काम में लग जाओ …उसे कुछ दिन अपनी जिंदगी जीने दो…आजाएगी वापस

सभी सुमन की तरफ देखने लगे ….ऐसे क्या देख रहे हो…मैं जानती हूँ वो किस दौर से गुजर रही है…उसे कुछ वक़्त अकेले रहने दो…समझने दो वो क्या चाहती है…जब उसे सही रास्ता समझ आ जाएगा…वो अपने आप वापस आ जाएगी …

सुमन…रूबी और कविता को एक रूम में ले गयी और काफ़ी देर दोनो से बात करती रही …दोनो लड़कियों को कुछ सकुन मिला और वो अपनी पढ़ाई में लग गयी..

मिनी सब का नाश्ता तयार कर रही थी..उसके चेहरे पे जो मुस्कान रहती थी…वो गायब हो चुकी थी…जब से सोनल ने खुल के उसे सुनील से दूर रहने को कहा था..तब से एक तड़प और भी ज़यादा गहरी हो गयी थी उसके दिल-ओ-दिमाग़ में …अभी वो कुछ ऐसा नही करना चाहती थी कि उसे घर से जाना पड़े …..वो इतना गुम्सुम हो गयी कि रमण से भी अब खुल के बात नही करती थी…बस अपने ख़यालों में खुद से ही बात करती थी…


सवी के घर से इस तरहा जाने से घर के महॉल में उदासी आ गयी थी …सुमन ने बड़ी मुश्किल से लड़कियों को संभाला था..सोनल को समझ नही आ रहा था कि खुश हो या उदास …एक तरफ उसे इस बात की खुशी थी कि कम से कम एक तो गयी जो सुनील के पीछे पड़ती रहती थी…दूसरी तरफ वो इस बात से परेशान और उदास भी थी की अकेली कहाँ गयी होगी ..किस हाल में होगी …आख़िर थी तो मासी ….खुशी का पलड़ा कम हो गया और रिश्ते का दर्द उभरने लगा ….उसने ये कभी नही चाहा था कि सवी अकेली घर से कहीं चली जाए ..जाना ही था तो रमण के साथ जाती आख़िर उसका बेटा या तो उसके पास होता…लेकिन होनी के खेल निराले होते हैं..कोई नही जानता..कल क्या होगा….अब तो बस यही दुआ कर सकती थी..कि जहाँ भी हो वो ठीक हो …और जिंदगी का सही रास्ता चुने.

आज जो हुआ ….उसकी वजह से तीनो कॉलेज नही जा सके …रूबी और कविता को किसी तरहा सुमन ने पढ़ाई की तरफ मोड़ दिया था…पर सुनील बहुत डिस्टर्ब था…वो कह कुछ नही रहा था…पर वो इतना शांत था जैसे कोई बारूद फटने से रोक रहा हो…उसकी ये शान्ती देख सोनल घबरा रही थी..सुनील अच्छी तरहा जानता था कि सवी ऐसी हरकत नही कर सकती थी ..जब तक कोई ऐसी बात ना हो गयी हो जो वो बर्दाश्त ना कर पाई हो…घर की एक औरत इस तरहा घर छोड़ के चली जाए ये वो बर्दाश्त नही कर सकता था…और ये वाक़या सोनल के वापस आने के 24 घंटे के अंदर हो गया था….क्या सोनल ने कुछ कहा सवी से जिसे वो बादश्त नही कर पाई ….उसके दिमाग़ में रात को हुई सोनल की बातें घूमने लगी जो उसने सुमन से करी थी.
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सवी सीधा मुंबई उतरी …अपने घर गयी …पड़ोसियों से उसे चाभी मिल गयी थी …अपने कमरे में गयी …अपनी छुपी हुई सेफ खोली और उसमे से अपने गहने..चेकबुक, कॅश ले कर …चाबी फिर पड़ोसियों को देकर निकल पड़ी …किसी ऐसी जगह जहाँ उसे कोई नही जानता हो …..शायद एक नयी जिंदगी शुरू करने …अपने पास पूरे परिववार में से उसने दो तस्वीरें रखी थी…एक सुमन और सुनील की ….दूसरी तरवीर काफ़ी पुरानी थी जिसमे वो खुद थी ..सागर था और गोद में खेलती हुई रूबी थी..

घर से सीधा वो एरपोर्ट गयी और एक फ्लाइट पकड़ ली……..आज भी उसके पास वो नंबर था …जिससे वो सुनील से कभी भी बात कर सकती थी…ये नंबर सुनील ने उसे तब दिया था जब वो रूबी और सवी को लेकर देल्ही आया था…ये नंबर सिर्फ़ और सिर्फ़ एसओएस में ही इस्तेमाल करना था ….पता नही उस वक़्त सुनील के दिमाग़ में क्या चल रहा था…शायद वो समर की तरफ से उल्टा सीधा कुछ रिक्षन एक्सपेक्ट कर रहा था इसलिए उसने एक नया नंबर लिया था और ये नंबर सिर्फ़ सवी के पास था…जो कभी भी किसी मुसीबत में फस गयी तो इस्तेमाल कर सुनील को बता सकती थी की क्या मुसीबत है उस पर.
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यहाँ घर में….सुनील ….जब से सवी गई तब से ना सिर्फ़ शांत था पर अंदर ही अंदर वो तड़प रहा था….सवी और रूबी को वो ले कर आया था…जिस तरहा रूबी उसकी ज़िम्मेदारी थी..उसी तरहा उसे अपनी मासी का भी ख़याल रखना था……वो सवी की जिस्मानी ज़रूरतें नही पूरी कर सकता था पर उसे मानसिक सहारा दे सकता था…इसीलिए बार बार जब सवी भटकती वो उसे रास्ते पे लाने की कोशिश करता था…पर ऐसा कभी नही किया की वो इतना दुखी हो जाए की घर छोड़ दे …..इंतेज़ार कर रहा था वो की सोनल खुद उसे बताए …कि आख़िर उसके और सवी के बीच क्या हुआ जिसकी वजह से सवी ने इतना बड़ा स्टेप उठा लिया.

जिस तरहा सवी के पास एसओएस नंबर था उसी तरहा एक नंबर रूबी के पास भी था और एक नंबर सुनील ने अलग से इन्दोनो के लिए अपना एसओएस नंबर रखा हुआ था जिसके बारे में सिर्फ़ ये दो जानती थी…ऐसा नही था कि वो सूमी और सोनल से कुछ छुपा रहा था पर उस वक़्त हालत ऐसे थे कि उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वो इस नंबर को गुप्त ही रखना चाहता था….छत पे घूमते हुए उसने उसी एसओएस नंबर से सवी को मेसेज भेज दिया …क्यूँ किया ऐसा…..खैर जहाँ भी हो खुश रहो…अपनी सलामती की खबर भेजती रहना.

सवी जब फ्लाइट से उतरी …तो उसे अपने एसओएस नंबर पे मेसेज की बीप मिली….दिल को एक अजीब सा सकुन मिला. उसने तुरंत जवाब दिया…मेरे पास और कोई रास्ता नही बचा था…बहुत कोशिश करी खुद को बदलने की ..पर क्या करूँ..तुमसे प्यार कर बैठी….वहाँ रहती तो तुम्हारे नज़दीक आने की कोशिश करती रहती…और तुम नाराज़ होते रहते…तुम्हें नाराज़ भी नही कर सकती और तुम्हारे बिना रह भी नही सकती….इसलिए दूर चली आई …चिंता मत करो आत्महत्या नही करूँगी…आज भी तुम्हारे उस चुंबन का अहसास मेरे होंठों से नही जाता….यही काफ़ी है मेरे जीने के लिए ….अब तो एक ही काम रह गया है..इंतेज़ार …तुम्हारा …मुझे यकीन है …..अपने प्यार पे भरोसा है …तुम्हें बहुत तकलीफ़ देती आई हूँ..हो सके तो माफ़ कर देना…पर मुझे भूलना कभी नही…तुम्हारी सवी

सुनील ने वो मेसेज डेलीट कर दिया …पर अंदर ही अंदर तड़प उठा वो….कब समझेगी सवी ..क्यूँ उस रास्ते पे चल पड़ी है जिसकी कोई मंज़िल नही. आँसू आ गये उसकी आँखों में जिन्हें वो पी गया.

सुमन और सोनल हाल में बैठी एक दूसरे को देख रही थी…सबसे ज़यादा परेशान सोनल थी …सवी का इस तरहा घर से चले जाना और सुनील का इस तरहा शांत हो जाना …उसकी बर्दाश्त के बाहर था…उसकी आँखों में बार बार आँसू लहरा रहे थे जिन्हें वो रोकने की कोशिश कर रही थी…सुमन भी परेशान थी पर वो सवी के लिए इतना परेशान नही थी जितना सुनील के लिए हो रही थी…दोनो में हिम्मत नही हो रही थी सुनील से बात कर सकें…डर लग रहा था उसकी नाराज़गी से .

लेकिन दोनो ही सुनील को इस हालत में नही देख सकते थे …..ग़लती दोनो ने करी थी और उसमे आग सोनल ने लगाई थी…वो उठी और हिम्मत कर छत की तरफ चली गयी …सुनील खड़ा शुन्य में आसमान को घूर पता नही क्या ढूँडने की कोशिश कर रहा था. शाम का धुन्दल्का फैलना शुरू हो चुका था…..सोनल…सुनील के करीब चली गयी और उसके कंधे पे सर रख …बोली …आपसे कुछ बात करनी है ….प्लीज़ नीचे चलो…सुनील पलट के उसे देखने लगा ……’प्लीज़ चलो ना …’

सुनील उसके साथ नीचे आ गया ….मिनी दरवाजे पे खड़ी थी अपने कमरे के और बड़ी उदास और हसरत भरी नज़र से सुनील को देख रही थी…जैसे ही उसकी नज़र सोनल पे पड़ी वो पीछे हट गयी …

सुनील कमरे में चला गया और सोनल सुमन को भी ले आई …सोनल ने दरवाजा बंद कर दिया…..सुनील अभी भी खड़ा था …….खड़े तो तीनो ही थे पर सुनील की नज़रों में सवाल था…और बाकी दोनो सर झुकाए खड़ी थी.....

सुनील ......'अब बोलो भी ....क्या बोलना है'

सुमन ने पहले बोलना शुरू किया …..ये बात हमारे कान्फरेन्स जाने से पहले की बात है …मैं सवी को समझा रही थी कि वो शादी कर ले और तुम्हारे ख्वाब देखना बंद कर दे…उसने शादी के लिए सॉफ मना कर दिया …और बात घूम फिर के तुम पर ही टिकी रही फिर उसने मुझे चॅलेंज कर दिया कि एक दिन तुम उसे अपना लोगे …मैने भी चॅलेंज स्वीकार कर लिया और उसे 10 दिन का टाइम दिया…अगर वो जीत गयी तो हम आपको उसे बाँट लेंगे अगर हार गयी तो जैसा हम कहेंगे वैसा ही करेगी …मैं जानती थी कि वो ये शर्त हारेगी इसलिए मुझे चिंता नही थी..मुझे तुम पर अपने प्यार पर पूरा भरोसा था…फिर हमने देखा कि मिनी भी तुमपे डोरे डालने लग गयी है…और परसों रात मिनी ने तुम्हारी पूरी रात खराब कर दी…अब तुम्हारे एग्ज़ॅम भी सर पे हैं और तुम कितने भावुक हो हम दोनो जानते हैं..दूसरे की तकलीफ़ अपने सर पे चढ़ा लेते हो…तुम्हारी ये तकलीफ़ हमसे सहन ना हुई और सोनल अगले दिन वापस आ गयी मैं उसी दिन नही आ सकती थी इस लिए आ आई.

कल….आगे सोनल ने बोलना शुरू किया …जिस तरहा ये दोनो आपको परेशान कर रहे थे मैने सवी को बस इतना कहा था कि आपके एग्ज़ॅम हैं आपको बार बार कसौटी पे ना परखें…एक मासी की ज़िम्मेदारी पूरी करें…अगर वो ऐसे ही आपको तंग करती रहेंगी तो उहें रमण के साथ मुंबई भेज दूँगी …..अब बताइए हमारी इसमे क्या ग़लती …ये तो ख्वाब में भी नही सोचा था कि वो ऐसे घर छोड़ के चली जाएँगी.

दोनो सर झुकाए ऐसे खड़ी रही जैसे किसी सज़ा को सुनने का इंतेज़ार कर रही हों.

सुनील अपना सर पकड़ के बैठ गया ….

वो दोनो उसके सामने उसके घुटनो पे सर रख बैठ गयी …….

सोनल…हमसे नाराज़ मत होना ….हमे जो ठीक लगा वही किया …कितनी बार आपको यूँ तड़प्ता हुआ देख सकते हैं …पहले रूबी, सवी और अब ये मिनी ….सब आपके ही पीछे पड़ी हैं…नही बर्दाश्त होता हमसे …नही देख सके आप बार बार अपनी मर्यादा के पालन के लिए अपने आप से लड़ते रहो और ना ही हम किसी से भी आपको बाँट सकते हैं..

सुमन……जीने दो इन्हें अपनी जिंदगी जैसे जीना चाहते हैं..कम से कम हमारी जिंदगी सकुन से तो गुज़रे

सुनील…क्या सागर से तुम दोनो ने यही सीखा था ….एक औरत को इतना मजबूर कर दो कि वो बेसहारा हो कर जीने के लिए निकल पड़े ….क्या तुम ये भी नही समझी थी कि जब मैं रूबी को लाया था तो साथ में सवी क्यूँ आई थी ….उसे मुझ पे ज़यादा भरोसा था अपने बेटे रमण से भी ज़यादा …समर का साथ उसने छोड़ दिया था….माना वो ग़लत सोचने लगी..माना वो मेरे करीब आना चाहती थी…और मैने भी तो सॉफ सॉफ उसे कह दिया था कि मेरा और उसका रिश्ता सिर्फ़ एक पाक रिश्ता ही हो सकता है ……जब मैं उसे यहाँ लाया था वो मेरी ज़िम्मेदारी बन गयी थी …उसे समझाना मेरा काम था और तुम दोनो ……..ये करा क्या तुम दोनो ने ….एक शर्त लगा रही है ….क्या युद्धिश्ठर ने पांचाली को लेकर जो दाँव खेला था ..उसके अंजाम से कुछ नही सीखी तुम …..और तुम्हें किसने ये हक़ दिया कि तुम किसी को बिना सोचे समझे खुच भी बोल दो इतना की घर से निकालने की धमकी दे डालो.

किसी से बेपनाह प्यार का मतलब ये नही होता …के दूसरे की हालत को ना समझो …उस से नफ़रत करने लगो …सोचो क्या बीत रही होगी इस वक़्त सवी पर ….क्या पाया उसने अपनी जिंदगी में…एक बार उसकी जगह पे आके देखो …उसके दर्द को समझो…ठीक है अभी नही मान रही थी वो शादी के लिए..पागल हुई पड़ी है मेरे लिए ….पर कम से कम मुझे वक़्त तो देती उसे समझाने के लिए …या तुम्हें मुझ पे बिल्कुल भी भरोसा नही था…डर लगने लग गया था …की कहीं मैं टूट ना जौन उसके पीड़ा के आगे…..

ये ठीक नही किया तुम दोनो ने …बिल्कुल भी ठीक नही किया …..सूमी तुम बड़ी हो..दुनिया ज़यादा देखी है तुमने …ये क्यूँ भूल गयी वो तुम्हारी सग़ी और छोटी बहन है …क्या यही फ़र्ज़ है तुम्हारा उसके लिए ….

सुमन…तुम पूरी बात नही जानते (फिर सुमन उसे बताती है स्वापिंग शुरू कैसे हुई थी )

सुनील ……तो तुम्हारी भी तो वही ग़लती है जो उसकी थी ….क्यूँ मान लिया तुमने स्वापिंग करना …अगर समर ने सवी को सागर के बिस्तर पे डाल दिया था …तो तुम क्यूँ मानी …अब ये मत कहना कि सोनल छोटी थी उसे छोड़ नही सकती थी …ले जाती सोनल को अपने साथ …छोड़ देती सागर को …कोई ज़बरदस्ती तो नही कर सकता था समर तुम्हारे साथ …जितनी ग़लती उसकी है उतनी ही तुम्हारी …क्यूँ नही तब छोड़ दिया उसने समर को और आ गयी तुम्हारे पास ……बस एक डर के अंदर तुम दोनो जीती रही …और अपने आप को कभी पहचाना ही नही …मर्द ने जो कहा मान लिया …उसके आगे कोई रास्ता दिखता ही नही ..क्यूँ…

अपनी सोच को बदलो सुमन …अगर वो ग़लत थी तो तुम्हारी भी कुछ ग़लतियाँ रही हैं ….इस वक़्त उसे तुम्हारे साथ की सबसे ज़यादा ज़रूरत है ..और तुमने ही उसका साथ छोड़ दिया…बस इसलिए के वो मुझ पे भी अपना हक़ समझने लगी थी ….मुझ पे तो भरोसा किया होता ….अगर मैं ऐसा ही होता …तो क्या खजुराहो में ही नही तुम्हारे साथ हमबिस्तर हो जाता …सोनल के साथ सब कुछ ना कर लेता पहले ही …रूबी जो आँखें बिछाए मेरे पास आई थी …उसे ना इस्तेमाल कर लेता …क्या हो गया है तुमको…

सुमन को अपनी ग़लतियों का अहसास हुआ और रोने लगी … सोनल को भी अपने किए पे पश्चाताप होने लगा और उसका भी रोना निकल गया.

सुनील…अब ये रोना बंद करो …..आजाएगी सवी वापस …पर अभी उसे कुछ वक़्त दो …ताकि वो क्या चाहती है उसे ठीक से एकांत में समझ सके.

सुनील उठ के विषकी की बॉटल उठा लाया और पीने लगा ...आज दोनो में हिम्मत नही थी कि उसे रोक पाती ...उसकी पीड़ा को कम करने की कोशिश में उसे और भी पीड़ा दे डाली. दोनो सुबक्ती रही और अपने सर सुनील के घुटनो से सटाये रखे.

सुनील ...यार अब बस करो रोना तुम दोनो ...क्यूँ रो कर मुझे और तकलीफ़ दे रही हो..जानती हो ना तुम दोनो की आँखों में आँसू नही देख सकता ...चलो मेरे साथ एक एक ड्रिंक लो ...फिर सोचेंगे आगे क्या करना है.

और दूर बहुत डोर सवी एक होटेल के कमरे में उदास बैठी थी ....
एक गीत पीछे बज रहा था जो शायद उसके ही दिल की बात सुना रहा था और उसके आँसू टपक रहे थे...

तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं दूर चले जाउन्गी
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी

मैं थी अंजान जी की बातों से, अंजानी प्यार की बारातों से
मैं थी अंजान जी की बातों से, अंजानी प्यार की बारातों से
डोली बनाने चली थी मैं, अरथी बनी मेरे हाथों से
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले

सोचा था प्यार कर के चोरी से, मैं तुम को बाँध लूँगी डोरी से
सोचा था प्यार कर के चोरी से, मैं तुम को बाँध लूँगी डोरी से
क्या था पता छुप जाएगा, चंदा यू रूठ के चकोरी से
तुम मुझसे दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी

क्या मेरी प्रीत बिरहा की मारी, आँसू मे डूब गयी चिंगारी
क्या मेरी प्रीत बिरहा की मारी, आँसू मे डूब गयी चिंगारी
मैं तुम से हर गयी तुम जीते, तुम मुझ से जीत गये मैं हारी

तुम मुझ से दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी
तुम मुझ से दूर चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी
तुम मुझ से दूर चले जाना ना, चले जाना ना, मैं तुम से दूर चले जाउन्गी चले जाउन्गी
 
तीनो एक एक ड्रिंक लेते हैं….सोनल जाने क्या सोच रही थी ….

सोनल……अगर आप सवी को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं तो उसकी पूरी ज़िम्मेदारी ले लीजिए …क्यूंकी वो आपको अपने मन से कभी नही निकल पाएगी …(उसकी आवाज़ में रोष था …..काँपने लगी थी वो ये कह कर …उसे अपना प्यार उस से बहुत दूर जाता हुआ दिख रहा था …..)

सुनील और सुमन दोनो भोचक्के रह गये और हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे .....

सवी की ज़िम्मेदारी रमण की होनी चाहिए ना कि सुनील की…ये बात सोनल से बर्दाश्त नही हो रही थी कि सुनील सवी को अपनी ज़िम्मेदारी समझता है उसे बहुत गुस्सा चढ़ा हुआ था…कल उसे दिख रहा था…एक दिन…एक दिन अपने स्वाभाव से मजबूर हो कर सुनील फिर टूट जाएगा और सवी को अपना लेगा ….लेकिन वो दिन सोनल के लिए मोत से बत्तर था….

सोनल ने आगे बोलना शुरू किया ……मैं तो आपकी ज़िम्मेदारी नही थी …मजबूर हो कर आपने मुझे अपनाया था……मैं आपकी ज़िम्मेदारियों के बीच नही आना चाहती …..आप अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाईए पूरी शिद्दत के साथ ….दीदी को कोई दिक्कत नही होगी ...वो पहले भी इन हालत में रह चुकी हैं....पर मैं....यही ठीक रहेगा....मैं आपको सभी बंधनों से आज़ाद करती हूँ ...मैं नही देख सकती कि आप हर वक़्त खुद से लड़ते रहें ....नही देख सकती मैं......बहुत दर्द होता है मुझे ....इसलिए यही बेहतर रहेगा .....बहुत तकलीफ़ दी मैने आपको ...हो सके तो माफ़ कर देना ....इतना बोल सोनल कमरे से बाहर भाग गयी और अपने कमरे में घुस दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और बिस्तेर पे गिर रोती रही ...

सुनील तो उसकी बात सुन पत्थर बन गया और सुमन को अब भी यकीन नही हो रहा था कि सोनल क्या बोल गयी....

सोनल....सोनल....सोनल...सोनल ..........सुमन बड़े ज़ोर से सोनल को हिला रही थी ....अँ ...हाँ.....सोनल अजीब नज़रों से दोनो को देखने लगी .......और ज़ोर ज़ोर से रोती हुई सुनील से लिपट गयी ....मैं नही जाउन्गि कहीं छोड़ कर ....कभी नही जाउन्गि ....अब तक जो वो सोच रही थी....वो याद कर उसकी रूह तक हलक में आ गयी थी .......

सुनील ने उसे अपनी बाँहों में समेट लिया .....क्या हुआ...क्या सोचने लग गयी थी...कितनी देर से सुमन तुम्हें आवाज़ लगा रही थी और ये क्या छोड़ना वोड़ना लगा रखा है .

सोनल अपने उन ख़यालों से बहुत घबरा गयी थी...डर गयी थी वो बस रोती जा रही थी और जोंक की तरहा सुनील से चिपक गयी थी.

सुमन भी करीब आ गयी और प्यार से सोनल के सर पे हाथ फेरने लगी ' क्या हुआ गुड़िया ....किस लिए रो रही है ...बताना .....देख हम तुझे रोता हुआ नही देख सकते'

सोनल फिर भी चुप नही हुई ...सुनील ने उसे खुद से अलग करने की कोशिश करी पर वो अपनी पकड़ और भी मजबूत करती चली गयी .....

सुनील ...क्या बात है यार .....अब कुछ बताओगी भी .....ऐसे रोने से तो जिंदगी नही चलती

सोनल कुछ जवाब नही देती बस रोती जा रही थी हालत ये हो गयी की रोना हिचक़ियों में तब्दील हो गया.

सुनील ने उसे कस लिया अपनी बाँहों में .....तब कहीं जा कर सोनल को कुछ सकुन मिला ...उसका पूरा जिस्म पसीने से तरबतर था बिकुल ऐसे जैसे किसी डरावने सपने के बाद हो जाता है.

कुछ देर बाद जब ...सोनल की हिचकियाँ बंद हुई तो सुनील ने उसे अपने से अलग करने की फिर कोशिश करी लेकिन ...वो सुनील को छोड़ ही नही रही थी ...पहले सुनील उसकी ये हालत देख घबरा गया था...अब उसके चेहरे पे मुस्कान आ गयी .....उसे गोद में उठा बाथरूम में घुस गया और शवर के नीचे खड़ा हो गया.....ठंडा ठंडा पानी जब जिस्म पे पड़ा तब ....सोनल बिदकी ....उूउउइई माआआअ और सुनील से अलग होने की कोशिश करी....पर अब सुनील ने उसे नही छोड़ा जब तक दोनो के बदन पूरी तरहा नही भीग गये....

एक तरफ ठंडा पानी और दूसरी तरफ सुनील के बदन की गर्मी ....सोनल के अरमान मचलने लगे और वो अपने चेहरे को सुनील के चेहरे से रगड़ने लगी ....

सुनील....'अब बोलो...क्या बात थी ...'

सोनल ...कुछ नही डर गयी थी ...उल्टा सीधा सोचने लगी थी

सुनील ...क्या

सोनल...छोड़ो इन बेकार की बातों को ..

सुनील...जो बात दिमाग़ पे इतना असर डाल दे वो बेकार नही होती .....अब जल्दी बताओ क्या बात थी...क्या सोचने लगी थी ....

सोनल...फिर उसे बताती है वो क्या सोच रही थी और क्या उसने ख़यालों में किया .....

सुनील उसकी बात सुन परेशान हो गया

सुनील ...जानम प्यार का मतलब ये नही होता कि ख़ुदग़र्ज़ बन जाओ ...प्यार बाँटने से बढ़ता है ...और तुम ये बात क्यूँ नही समझती की मेरी जिंदगी में तुम दोनो के अलावा कोई और नही आ सकता.

सोनल...सब जानती हूँ...समझती हूँ...लेकिन आप बहुत अच्छे हो ...आपकी इस अच्छाई से डर लगता है कभी कभी ....बहुत भावुक हो आप...अपनो का दर्द नही देख सकते ....इसिसलिए ये लगने लगा था कि एक दिन आप सवी के लिए टूट जाओगे ...मैने उसकी आँखों में वो देखा है ...जो दीदी नही देख पाई ...वो बिल्कुल हमारी तरहा आपको प्यार करने लगी है ...वो नही बदलेगी ...तडपेगी पर नही बदलेगी ...जैसे कभी मैं तड़पति थी ...जब आपको उसकी तड़प का अहसास होगा ....आप फिर दर्द के सागर में डूब जाओगे...और ये मुझे बर्दाश्त नही और ना ही मैं आपको किसी और के साथ बाँट सकती हूँ...मैं मर जाउन्गि ...अगर ऐसा हुआ तो...

सुनील...पगली ...कुछ नही होगा ऐसा...

सोनल अब उसकी गोद से उतर चुकी थी और अपना सर सुनील के कंधे से सटा कर उससे चिपकी हुई थी ......सुनील उसके दिल में उठते हुए तुफ्फान को समझ गया था और बिना उसके कुछ बोले उसने सोनल के चेरे को अपने हाथों में लिया और उसके होंठों पे एक बोसा देते हुए बोला ....मैं वादा करता हूँ ....किसी भी औरत का मेरी जिंदगी में वो मुकाम नही होगा ...जो तुम दोनो का है .....

सोनल की रूह को सकुन मिल गया ...उसकी आँखें छलक पड़ी और वो अपने मोहसिन से चिपकती चली गयी .......कपड़े दोनो के पानी से तर बतर हो चुके थे.....और अब जिस्म पे खल रहे थे .....सुनील ने उसके कुर्ते को उतार दिया और ब्रा में क़ैद उसके उन्नत उरोज़ सुनील को अपनी तरफ खींचने लगे ...शवर यौं ही बदस्तूर चल रहा था और उसका ठंडा पानी भी दोनो के बदन को गरम होने से रोक नही पा रहा था.

सोनल ने सुनील की शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए और उसे ऐसे खींचा सुनील के बदन से जैसे बहुत बड़ी दीवार अपने और उसके बीच से दूर कर रही हो ...पल भर में दोनो के कपड़े वहाँ बाथरूम के फर्श पे पड़े थे .....

सोनल सुनील से चिपक गयी और वो प्यार से उसके बालों को सहलाने लगा ....पर जिस्मो के तड़प बढ़ने लगी और....

एक दूसरे के होंठ चूसने लगे ...सोनल ने अपनी बाँहों का हार सुनील के गले में डाल दिया

सोनल अपनी सोच पे शर्मिंदा हो चुकी थी...अंदर ही अंदर उसे तकलीफ़ हो रही थी ...क्यूँ वो ऐसे ख़याल अपने दिल में लाई और सुनील को बहुत दुख दिया अब वो सुनील को उतना आनंद देना चाहती थी की वो दुख उसके दिल-ओ-दिमाग़ से हमेशा के लिए दूर हो जाए ....

काफ़ी देर तक वो सुनील को अपने होंठों के जाम पिलाती रही और फिर उसको दीवार की तरफ पलट दिया और उसकी पीठ से सट गयी अपने उरोज़ उसकी पीठ से रगड़ने लगी और उसके लंड को सहलाने लगी


सुनील के पीठ को चूमते हुए सोनल उसके लंड को सहला रही थी और दूसरे हाथ से उसके निपल को सहलाने लगी ..सुनील भी अपना हाथ पीछे ले गया और सोनल की चूत को रगड़ने लगा...

सुनील का लंड जब पूरे उफ्फान पे आ गया तो सोनल ज़मीन पे बैठ गयी सुर सुनील के लंड को चूसने लगी

सोनल इस तरहा सुनील के लंड को चूस रही थी जैसे उसे उसका मनपसंद लॉलीपोप बहुत दिनो बाद मिला हो.......और सुनील की सिसकियाँ फूटने लगी ...
 
सोनल तब तक सुनील का लंड चूस्ति रही जब तक उसकी पिचकारियाँ उसके गले में छूटने ना लगी ...सुनील ने उसके सर को अपने लंड पे दबा डाला...तड़प उठी सोनल पर सुनील के लिए उसे कुछ भी मंजूर था.....जब सुनील शांत हुआ तो सोनल उठ के खड़ी हो गयी ...शवर बंद किया...दोनो ने एक दूसरे को टवल से पोन्छा और बाथरोब पहन बाहर निकल आए जहाँ सुमन बेसब्री से दोनो का इंतेज़ार कर रही थी...सोनल जा के सुमन से लिपट गयी और उसके होंठ चूमने लगी .....ये सोनल का इशारा था कि वो माफी माँग रही है.


अपने प्रेमी की बाँहों में आज उसे कितने अरसे बाद सकुन मिल रहा था…कितना तर्सि थी वो इन बाँहों में समाने के लिए……..आसमान पे बदल सुर्मयि रंगों की छटा बिखेर रहे थे डूबता हुआ सूरज इस आलिंगन को बड़े प्रेम से देखते हुए अपनी गर्माहट को दूर करता जा रहा था …….क्यूंकी अब इन्हें उसकी गर्माहट नही चाहिए थी …इनका प्रेम ही नयी उर्जा को जागृत कर रहा था….एक नया विश्वास …एक नयी साधना उसके मनमंदिर में प्रफुल्लित हो रही थी……ये सकून …ये अहसास …कितना तडपी थी वो इसके लिए ……बाहों ने बाहों को थाम रखा था…होंठों से होंठों का मिलन हो रहा था …काया ने काया को समावेश करने हेतु …एक दूसरे को आकर्षित करना शुरू कर दिया था …..तभी आसमान में गड़गड़ाहट शुरू हो गयी …बादल अपना रंग बदलने लगे….चारों तरफ अंधकार छा गया ….अदृश्य नुकीले नाख़ून उसकी पीठ में गाढ़ने लगे …चहु ओर हाहाकार मच गया …..दो अदृश्य भुजाएँ इतनी तेज़ी से उसकी तरफ लपकी और उसे अपने प्रेमी के बंधन से खींच दूर कहीं विशाल फैले समुद्र की गोद में फेंक दिया और वो डूबने लगी …अपनी आखरी सांस तक चिल्ला चिल्ला कर अपने प्रेमी को पुकारने लगी …पर उसकी आवाज़..उसकी पुकार उस तक नही पहुँच पा रही थी …उखड़ती हुई सांसो से आख़िरी बार अपने प्रेमी का दीदार करते हुए वो जल समाधि ले बैठी …..


न्‍न्‍ननणन्नाआआआआआहहिईीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई श्श्श्श्श्शुउउउउउउउन्न्न्न्न्नीईईइल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल एक जोरदार चीख सवी के मुँह से निकली और वो उठ हाँफने लगी …….क्या सपना देखा था उसने ….अपने सुनील की बाहों में सकून प्राप्त कर रही थी पर नियति ने उसे उस से खींच दूर फेंक डाला इतना दूर की उसे मोत को आलिंगन करना पड़ा ……पसीना पसीना हो चुकी थी वो ….दिल की धड़कन बहुत तेज चलने लगी थी …आँखों में डर पूर्न रूप से व्यापक हो चुका था….क्या कहना चाहता था ये सपना…..सवी इस सपने को समझ नही पा रही थी ….अभी तो 24 घंटे भी नही हुए थे उसे सुनील का घर छोड़े हुए …रात भी अपने योवन पे नही आई थी …क्या अर्थ हो सकता है इस सपने का…क्या कभी उसे सुनील का प्यार नही मिलेगा …क्या जीवन भर उसे सिर्फ़ इंतेज़ार करना पड़ेगा …आँखों से अविरल अश्रु की धारा बहने लगी ….जिस आस को लेकर वो सुनील से दूर आई थी..वो आस दम तोड़ने लगी …जीवन निरर्थक लगने लग गया …पर जीना तो था ही …ये वादा जो किया था सुनील से …के आत्महत्या नही करेगी ….


बाहर रात का आगमन हो चुका था और सवी को लग रहा था जैसे उसके जीवन में भी रात ने अपना डेरा हमेशा के लिए डाल दिया है…बहुत दिल कर रहा था कि सुनील को एक स्मस भेज दे …मुश्किल से खुद को रोका….शायद प्यार दर्द सहने का दूसरा रूप है ..अगर ऐसा है तो यही सही सह लूँगी ये दर्द जब तक जियूंगी …पर सुनील के जीवन में अब अपनी तरफ से कोई नया तूफान नही ले के आउन्गि ….एक ढृढ निश्चय कर लिया सवी ने और आनेवाले कल में उसे क्या करना है ये सोचने लगी.
 
सोचते सोचते सवी नींद की आगोश में चली गयी ……आनेवाली नयी सुबह क्या उसकी जिंदगी में लाती है उसका इंतेज़ार करते हुए.
..........................
यहाँ देल्ही में मिनी अपने कमरे के दरवाजे पे खड़ी इंतेज़ार कर रही थी…कब सुनील कमरे से बाहर निकलेगा और कब वो उसका दीदार कर पाएगी …क्यूंकी सोनल तो एक सुरक्ष कवच की तरहा सुनील के चारों तरफ छा चुकी थी …….

रात को खाना सोनल कमरे में ही ले के गयी और दोनो बीवियों ने खाने के बाद उसे फिर किताबों में डुबो दिया. सोनल खुद भी पढ़ने बैठ गयी उसके पास और सुमन कुछ देर रूबी और कविता के पास चली गयी और उनसे उनकी तायारी के उपर बात करने लगी ….उनकी कुछ समस्याएँ थी जिनका निवारण सुमन ने किया और फिर दो कप कॉफी बना कर वो कमरे में चली गयी …दोनो को एक एक कप दिया और बिस्तर पे लेट गयी ….जब से सुनील से बात हुई थी…उसके मन में सवी के लिए उथलपुथल मची हुई थी.


रात देर तक सुनील और सोनल दोनो पढ़ते रहे …..यही हाल रूबी और कविता का था….ये चारों करीब रात के 3 बजे सोए और इस बीच सुमन ने चारों को 2 बार और कॉफी बना के दी.

सुमन ने अलार्म लगाया ताकि सुबह वक़्त पे उठ सुबह की चाइ और नाश्ते का सही टाइम पे इंतेज़ाम कर सके.

अगले दिन तीनो सही वक़्त पे कॉलेज के लिए चले गये …..आज रमण ने भी सहारा ले के चलना शुरू कर दिया था और आज ही उसे पता चला की उसकी मा घर छोड़ के जा चुकी है…तड़प के रह गया ….क्यूंकी सवी उसे मिली भी नही थी और मिनी को भी कुछ समझ नही आया था कि उसकी सास यका यक घर छोड़ के क्यूँ चली गयी ….उसके पास एक ही रास्ता था जवाब पाने का …रूबी …क्यूंकी सोनल उसे किसी भी तरहा से सुनील के करीब नही जाने दे रही थी …रूबी को शांत देख उसे यही लगा कि रूबी जानती है ..उसकी माँ क्यूँ गयी और कहाँ गयी ……लेकिन यहाँ भी सुमन का साया दोनो लड़कियों पे बना हुआ था उनकी हर छोटी से छोटी ज़रूरत का ख़याल सुमन रख रही थी यहाँ तक के उनकी पढ़ाई में भी उनकी मदद कर रही थी…रूबी और कविता को सुमन उस लेवेल पे ले जाना चाहती थी जिसपे सुनील था …यानी टॉप करना …ताकि दोनो के आतमविश्वास को नया बल मिले और पुराने दुखों के बदल जो उनके अंदर कहीं ना कहीं बसे हुए थे वो चाटने लगे ..जीवन का नया अर्थ उनके सामने उजागर हो जाए …

एग्ज़ॅम्स ख़तम होने तक सुमन ने अपनी सहेली से उसके बेटे और कविता के रिश्ते के बारे में जो उसने सोचा था …उस सोच को टाल दिया था …क्यूंकी वो नही चाहती थी कि कविता का दिमाग़ कहीं और भटके इन दिनो में.

वक़्त गुजरने लगा ……एग्ज़ॅम के दिन सर पे आ गये …मिनी की हर कोशिश विफल होती रही …रमण दिल ही दिल में सड़ने लगा उसकी हालत एक हारे हुए जुआरी जैसी हो गयी ….माँ छोड़ के चली गयी …बहन उसकी शकल देखना पसंद नही करती थी …..बीवी से रिश्ता मजबूरी का था और बाकी के लिए वो बस एक ज़िम्मेदारी था जब तक ठीक नही हो जाता.

एग्ज़ॅम भी सबके ठीक हो गये …..रमण की टाँग का प्लास्टर काट दुबारा इस तरीके से लगाया गया कि बिल्कुल एक परत जो उसकी टाँग के हर कटाव के साथ मूड रही हो …यानी वो पॅंट पहन सकता था और आसानी से सहारे के साथ चल सकता था……मिनी वो मिनी नही रही …हर वक़्त उसके चेहरे पे उदासी के बादल छाए रहते थे और रमण को ये उदासी देख किसी सॅडिस्ट की तरहा एक दिली खुशी मिलती थी …शायद एक तूफान इंतेज़ार कर रहा था सही वक़्त का …कब वो फटे और अपने साथ सब को बहा के ले जाए ……और ये तुफ्फान मिनी के अंदर जनम ले रहा था.

हर शक्स रोज सवी के बारे में सोचता पर कोई भी उसके बारे में बात नही करता क्यूंकी हर बंदा अपने हिसाब से सवी के बारे में सोचता था …हरेक की सोच उसके बारे में अलग थी .

सवी ने अपने आपको कोचीन में सेट्ल कर लिया था …दिन में हॉस्पिटल में मरीजों की देखभाल करती और शाम को समुद्र के किनारे डूबते हुए सूरज को देख अपने जीवन की तुलना उससे करने लगती ….इस बीच उसने बस एक ही बार मेसेज भेजा था सुनील को …'जिंदा हूँ' ….और कुछ नही …..ये इशारा था उसका कि वो आज भी इंतेज़ार कर रही है ….और छोड़ दिया अपनी किस्मेत पे के समझनेवाला समझता है या नही ….

एग्ज़ॅम के दिनों में जयंत रोज रूबी/कविता और सुनील से एग्ज़ॅम के बाद मिलता था ….बस यूँ हाई हेलो हाई और कुछ हलकीफुलकी बातें एग्ज़ॅम के बारे में सुनील से होती थी …लेकिन असली मक़सद जयंत का खुद को पहचानने का था कि वो असल में किसे चाहता है …रूबी को जिसे वो पहले से चाहता था या फिर कविता को जिसके आने के बाद उसके दिमाग़ में खलबली मचनी शुरू हुई थी ….और इस दोरान वो समझ गया था कि वो बस रूबी को ही चाहता है …एक वो ही है जिसे अगर वो एक दिन ना देखे तो उसका दिल अपनी रफ़्तार से धड़कने को मना कर देता था …उसका दिमाग़ उसे कचॉटने लगता था …आगे बढ़ के दिल की बात कह क्यूँ नही देता …..पर उसके संस्कार उसे रोकते थे…वो अपने आप को कोई सड़क छाप रोमीयो की उपाधि नही दिलाना चाहता था …क्यूंकी वो अच्छी तरहा समझ चुका था ….सुनील क्या है उसके ख़यालात क्या हैं …तो जाहिर है बहनें भी तो वैसे ही होंगी ….एग्ज़ॅम के आखरी दिन …धड़कते दिल से चोरी से उसने रूबी की तस्वीर अपने मोबाइल पे खींच ली ……वो अपना रास्ता चुन चुका था …कैसे उसे अपने दिल की बात रूबी तक पहुँचानी है और वो रास्ता था …उसकी अपनी माँ.

एग्ज़ॅम्स के बाद सुमन ने कविता के बारे में आगे बढ़ने का फ़ैसला ले लिया था …उसने अपनी सहेली से माफी माँगते हुए दुबारा मिलने का टाइम फिक्स कर लिया था लेकिन अब वो कोई ऐसी ग़लती नही करना चाहती थी ….जैसे वो शर्त लगाते वक़्त हुई थी …उसने सुनील और सोनल दोनो से ही इस बात के बारे में बात करने का फ़ैसला ले लिया था और वो चाहती थी कि सुनील साथ चले ….आख़िर असली फ़ैसला तो उसका ही होना था कविता की रज़ामंदी के साथ.

एग्ज़ॅम्स के बाद सब खाना खा रहे थे और कविता में इतनी हिम्मत नही थी कि सुनील को कुछ बोल सके …..आगे ही वो बहुत एहसानो तले लद चुकी थी …दिल कर रहा था कहीं खुली हवा में घूमे अपने आप को तरो ताज़ा करे …..एक उदासी सी छा गयी थी उसके चेहरे पे …..जो भी सुनील ने और परिवार ने उसपे अपना प्यार लूटाया था वो उसे सिर्फ़ एक एहसान समझती थी ना कि अपना हक़ …जो एक बहन अपने भाई पे जता सकती है …ज़िद करके अपना हक़ उस से माँग सकती है ….ना सुनील उसके इतना करीब गया कि दिल खोल के बता सके …कि जब बहन बोल दिया और मान लिया …,तो वो बहन उसके लिए कितना माइने रखती है …डर गया था वो हर रिश्ते से ..क्यूंकी जिसके वो करीब जाता वो ही उसकी तमन्ना करने लगता ….कविता में तो वो उस बहन को देख रहा था …जिसे वो खो चुका था …जब सोनल उसकी जिंदगी में एक पत्नी के रूप में आ गयी थी …वो तड़प्ता था एक माँ के लिए जिसे वो सवी में ढूंड रहा था …वो तड़प रहा था एक बहन के निश्पाप प्यार के लिए जिसे रूबी ने नकार दिया था ….एक कविता ही थी …जिसमे वो एक बहन का प्यार ढूंड रहा था …पर अपने दिल की बात कभी भी उसे खुल के नही कह पा रहा था …उसके इस दर्द को सिर्फ़ एक ही समझ रहा था ….और वो थी सुमन …क्यूंकी सोनल ने एक डर का साया पाल लिया था …एक परदा डाल लिया था अपने और सुनील के बीच …वो सोनल जो कान्फरेन्स बीच में छोड़ के आ गयी थी ….वो सोनल आज ना चाहते हुए भी एक डर के साए में जी रही थी …जितना भी सुनील ने उसे समझाया था शायद वो काफ़ी नही था…उसका प्यार उसके अंदर एक डर का मोहताज हो गया था…..जो ना उसे जीने दे रहा था ना उसे मरने दे रहा था …कई बार उसने सोचा और यकीन भी किया कि ये डर बेबुनियाद है ..पर ये डर उसका साथ नही छोड़ रहा था और उसकी वजह भी थी और वो वजह ये थी कि सुनील ने उसके प्यार को ज़बरदस्ती कबूल किया था वो भी सुमन के ज़ोर देने पर ….वो अपनी जान से ज़यादा सुनील को प्यार करती थी पर साथ ही साथ ये डर भी पाल के बैठी हुई थी ….शायद ये डर तब तक उसके दिल में रहेगा जब तक वो माँ नही बन जाती …हाँ एक लड़की जब माँ बन जाती है तब उसका प्यार पूरा होता है और सोनल को इंतजार था उस घड़ी का जब वो एक प्यारे से बच्चे को जनम दे कर खुद को पूरा महसूस करेगी …अपने प्यार को पूरा होता हुआ महसूस करेगी …अभी 2 साल पड़े थे ….2 लंबे साल जब सुनील का कोर्स पूरा होगा और वो डॉक्टर बन जाएगा …..इन 2 साल के पूरे होने का इंतेज़ार सुमन को भी था …वो भी तड़प रही थी अपने सुनील के बच्चे की माँ बनने के लिए अपने जीवन को एक पूरा अर्थ देने केलिए.

खाते वक़्त सुनील ने कविता से सवाल कर ही लिया ….कविता तुम कुछ कहना चाहती हो ….लग रहा है जैसे तुमने अभी तक इस भाई को अपना नही माना है.

कविता….ना नही भाई ऐसी कोई बात नही है ….वो अपना सर झुकाए हुए बोली

रूबी ….भाई ये डरती है आपसे ……इसीलिए कभी कुछ नही बोलती .

कविता पास बैठी रूबी की जाँघ पे चिकोटी काट लेती है.

रूबी ….ऊऊउचह

सुनील …क्या हुआ……

रूबी …ये मार रही है मुझे

कविता गुस्से से उसकी तरफ देखी….

रूबी …भाई वो एग्ज़ॅम ने दिमाग़ की ऐसी तैसी कर दी है …इसलिए कविता और मैं सोच रहे थे कहीं घूमने चलें…ये तो कुछ बोलती ही नही आपसे सब मेरे उपर थोप देती है…

सुमन…क्यूँ कविता …तुम क्यूँ नही बोल सकती ….आख़िर तुम्हारा भी तो हक़ है अपने भाई पर

कविता की आँखों में आँसू आ गये ……वो वो इतना प्यार कभी मिला ही नही तो तो विश्वास नही होता …कि सब कुछ मेरा अपना है …मेरा भी हक़ है…

सोनल उठ के उसके पास चली गयी …पगली अपने भाई से दिल खोल कर कुछ भी माँग लिया कर

कविता ….सोनल से चिपक गयी …….

कुछ देर बाद …..कविता खुद बोल पड़ी ….भाई …गोआ ले जाओगे घूमने …मैने कभी कोई जगह नही देखी…9वो बहुत आहिस्ता बोली थी )

सुनील….ज़ोर से बोल…जैसे एक भाई को हुकुम देते हैं….चल फटा फट …

कविता ….हँस पड़ी …मुझे गोआ जाना है घूमने …..

रूबी ….याअहूऊऊऊओ गोआ …मज़ा आ जाएगा

सुनील…ये हुई ना बात …..क्यूँ भाई ….सब के लिए ठीक है या फिर कोई चेंज चाहता है.

सुमन…वहीं जाएँगे जहाँ मेरी बिटिया ने बोला है.

सुनील…डन फिर कल ही चलते हैं….अपनी पॅकिंग कर लो सब…

मिनी वहीं टेबल पे बैठी सर झुकाए खा रही थी…

सुनील…मिनी तुम भी पॅकिंग कर लो अपनी और रमण की

सोनल ने एक दम सुनील की तरफ देखा और मिनी भी एक दम हैरानी से सुनील को देखने लगी .

सुनील…ऐसे क्या देख रही हो दोनो…..पूरा परिवार एक साथ घूमने जाएगा और अब तो रमण सहारा ले कर चल भी सकता है ….मैं सब इंतेज़ाम कर दूँगा उसे कोई तकलीफ़ नही होगी …..

सुमन ….मिनी को … हां बेटी तुम भी अपनी पॅकिंग कर लो.

सोनल चुप रही ….उसने सुनील को सबके सामने टोकना सही नही समझा….

रात को कमरे में ….सोनल और सुमन पॅकिंग कर रहे थे और सुनील सब की टिकेट्स और होटेल के इंतेज़ाम में लगा हुआ था…रमण के लिए उसने व्हील चेर का इंतेज़ाम करवा लिया था और फ्लाइट में भी स्पेशल सीट माँग ली थी एग्ज़िट गेट के पास जहाँ उसे लेग स्पेस मिल जाए और वो अपनी टाँग सीधी रख सके ….

पॅकिंग पूरी करने के बाद सोनल और सुमन दोनो थोड़ी थक गयी थी…

फिर सोनल एक बार रूबी और कविता के पास चली गयी ……कविता दौड़ के सोनल से चिपक गयी और उसके कान में बोली …थॅंक्स भाभी …..सोनल ने उसके गाल को चूम लिया ….अब तू चुप चाप रहेगी तो मारूँगी …समझी…

रूबी …..मेरे पास तो बिकिनी है ही नही …बीच पे कैसे नहाएँगे…

सोनल…चिंता मत कर वहीं खरीद लेंगे….अब अपनी पॅकिंग ख़तम करो ….और सो जाओ सुबह जल्दी निकलना है …
 
सोनल कमरे में आ गयी …सुनील कंप्यूटर से बुकिंग के प्रिनटाउट निकाल रहा था…सारी पेमेंट उसने सुमन के डेबिट कार्ड से करी थी.


बिस्तर पे दोनो सुनील की एक एक तरफ लेट गयी ……

सोनल…ये मिनी और रमण को क्यूँ ले जा रहे हो…

सुनील…क्या हो गया मेरी जंगल शेरनी को ….अच्छा लगता है क्या …हम सब घूमने जाएँ और उन्हें यहाँ अकेला छोड़ दें.

सुमन…हां गुड़िया ये ठीक कह रहे हैं…ऐसे अच्छा नही लगेगा…

सोनल…पर उनके होते हुए हम खुल के कैसे मस्ती करेंगे….

सुनील….तुझे पूरी मस्ती करवा दूँगा …क्यूँ दिमाग़ खराब कर रही है अपना…वैसे भी मुझे उन दोनो को रास्ते पे लाना है…ठीक रास्ते पे दोनो की जिंदगी को डालना है….

सुमन…क्या मतलब….

तब सुनील दोनो को बताता है उस रात मिनी ने क्या क्या बोला था ….

जैसे जैसे वो सुन रही थी वैसे वैसे उसँके कान खड़े हो रहे थे.

सब सुनने के बाद ……ओह ये मिनी तो वासना की पुतली बन चुकी है …इसे तुम कैसे रास्ते पे लाओगे …

सुनील….जब उसे एक सच्चा साथी मिल जाएगा …वो रास्ते पे आ जाएगी …बस रमण एक बार सही रास्ता पकड़ ले….इसीलिए दोनो को साथ ले जा रहा हूँ…यहाँ से दूर ताकि नयी जगह पे दिमाग़ में जो घुटन भरी पड़ी है …वो खाली हो सके और दोनो एक नये सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कर सकें.

सोनल…लगता तो नही…कुछ होगा…देखते हैं आपका प्रयास कितना सफल होता है….

सुमन….चलो अब सो जाते हैं….सुबह जल्दी भी उठना है.

अगले दिन दोपहर तक सब गोआ के होटेल पहुँच गये…सुनील ने एक बहुत अलग थलग होटेल बुक किया था जिसका एक छोटा प्राइवेट बीच था और होटेल एक रिज़ॉर्ट की तरहा फैला हुआ था …एक कमरा रूबी और कविता के लिए था एक रमण और मिनी के लिए और अपने लिए एक सूट हट बुक की थी ….दोनो के कमरों से थोड़ी दूरी पर और बीच के एक दम पास.

अपने कमरे में पहुँच दोनो लड़कियाँ बिल्कुल बच्चों की तरहा बेड पे उछलने लगी …उनकी खुशी का कोई ठिकाना नही था ….

कविता ….मज़ा आ गया …..यययययययययाआआआआअहूऊऊऊऊऊऊ

रूबी …….वववववववओूऊऊऊऊऊऊव्वववववववववववववववववव

रूबी …देखा भाई ने कितना अच्छा होटेल बुक किया है…

कविता ….मेरे लिए किया है……और वो नाचने लगी ….

रूबी …आई है तेरे लिए ….तेरी तो ज़बान ही नही खुलती भाई के सामने …अगर मैं ना बोलती तो ….कुछ नही होता…

कविता …गोआ का आइडिया तो मेरा ही था.

रूबी …..उूुुउउ उूुउउ अपनी ज़ुबान से चिडाने लगी …

कविता भी ….उूुुउउ उूुुउउ वो भी अपनी ज़ुबान से उसे चिडाने लगी ….

रूबी …चल भाई के पास चलते हैं….

कविता …..चुप …थोड़ा आराम तो करने दे भाई को…. कितने दिनो बाद भाई को भाभी के साथ कुछ अकेले टाइम मिलेगा…..

रूबी तो वहीं जम गयी …क्या कविता को सब कुछ मालूम है ….लेकिन ये तो सोनल को दीदी बुलाती है और सुमन को माँ …..

कविता ….क्या हुआ …ऐसे क्यूँ देख रही है ..जैसे भूत देख लिया ….

रूबी ….आं आं क कुछ नही

कविता …आए क्या बात है जल्दी बोल…जो तेरी हालत है …..ज़रूर कोई बात है….

रूबी …..तू तू जानती है ….सोनल हमारी भाभी है ….

कविता …हां…क्यूँ इसमे ऐसी कॉन सी बात है …भाई और भाभी ही तो लेने आए थे मुझे …वो तो भाभी कहती है कि उन्हें दीदी बुलाऊ इसीलिए दीदी बोलती हूँ …क्यूँ क्या बात है इसमे …

रूबी समझ गयी इसे पूरी बात नही मालूम …उसने चैन की सांस ली …..अच्छा ये बात है …तभी मुझे थोड़ी हैरानी हुई जब तूने एकदम भाभी बोला.

कविता …चल थोड़ी देर आराम करते हैं ….शाम को भाई से मिलेंगे और आगे का प्रोग्राम डिसकस करेंगे.

रूबी ….ह्म्‍म्म

और दोनो बिस्तर पे लेट गयी …

अपने सूट में सुनील बैठा सोच रहा था …किस तरहा वो रमण और मिनी को सही रास्ते पे लाए सुमन तो सो गयी थी अंदर बेड रूम में….तभी सोनल जो बाथरूम में फ्रेश होने गयी थी वो बाहर निकली …..उसने एक बहुत छोटी शॉर्ट पहनी हुई थी और टॉप भी बस यूँ कहो कि ब्रा से थोड़ी बड़ी और स्ट्रेप्लेस्स थी जिसकी वजह से कंधे नंगे थे और उसका पेट नुमाइयाँ हो रहा था ...निकार इतनी छोटी थी के बस मुश्किल से उसकी जाँघ की शुरुआत पे ही ख़तम हो रही थी.


कुछ यूँ दिख रही थी सोनल

सोनल सुनील की गोद में आ कर बैठ गयी ….’जानू यहाँ घूमने आए हैं और आप क्या सोच में बैठे हुए हो …प्लीज़ छुट्टियाँ खराब मत करना’

सोनल को अपनी बाँहों में कसते हुए सुनील बोला …कुछ नही यार बस यही सोच रहा था रमण और मिनी को कैसे ….

सोनल…भाड़ में जाएँ दोनो …आपने कोई ठेका नही ले रखा सारी दुनिया को सही रास्ते पे लाने का …घूमना था उन्हें ..ले आए साथ …अब बस …

सुनील…मेरी शेरनी नाराज़ क्यूँ हो रही है …

सोनल…आप बात ही ऐसी करते हो …है देखो ना मौसम कितना हास्सें है …चलो बाहर बीच पे चलते हैं….

सुनील उसकी गर्देन पे अपने होंठ रगड़ने लगा ……उम्म्म्ममम उसके बालों की सुगंध अपने साँसों में सामने लगा ..

आह्ह्ह्ह सोनल सिसक पड़ी ….’क्या कर रहे हो … उफफफफफ्फ़’

सुनील ने उसके चेहरे को अपनी तरफ किया और अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए….सोनल की आँखें बंद हो गयी और वो इस चुंबन की मस्ती में खो गयी ….लिविंग रूम के सामने दरवाजा नुमा खिड़की खुली थी जिससे सुमन्दर से ठंडी हवा अंदर आ रही थी और दोनो को और भी मस्त कर रही थी.



तभी उनके रूम की बेल बज उठी और सोनल फट से उसकी गोद से उतार गयी ….

सोनल ने दरवाजा खोला तो सामने मिनी खड़ी थी ....वो भी कम पटाखा नही लग रही थी...शायद सुनील के कमरे में आग लगाने के इरादे से आई थी ...ये जानते हुए भी की सोनल उसे पसंद नही करेगी ...



शायद उसे इस बात से शह मिल गयी थी कि सुनील उनको भी साथ लाया था.

इससे पहले की सोनल के मुँह से कुछ जैल कटी निकलती …सुनील की नज़र मिनी पे पड़ चुकी थी …’आओ मिनी आओ ….रूम तो ठीक है ना…’

सोनल को मजबूरन मिनी को अंदर आने का रास्ता देना पड़ा …….मिनी बिल्कुल सुनील के सामने बैठ गयी …सोनल के होते हुए उसकी हिम्मत नही थी के वो सुनील के साथ उसी सोफे पे बैठती …

मिनी …हाँ बहुत अच्छा है ......थॅंक्स सुनील…हमको भी साथ लाने के लिए …

सुनील……मार तो नही खानी ना …तुम लोग परिवार का हिस्सा हो और मैं अपने परिवार को हमेशा साथ रखता हूँ …खैर ये बताओ वो व्हील चेर कमरे में पहुँची या नही …
मिनी …हां मिल गयी …रमण ने कहा कि तुम्हें थॅंक्स बोल के आउ तो इसीलिए अभी आ गयी …वैसे प्रोग्राम क्या है रमण पूछ रहा था….

सुनील…देखो मिनी …मेरा कोई प्रोग्राम वोग्राम नही है ..मैं बस चेंज के लिए आया हूँ …और रिलॅक्स करने …हां रूबी और कविता से डिसकस कर लेना …वो शायद सिटी देखना चाहेंगी ….मुझे बता देना मैं ऑर्गनाइज़ कर दूँगा…..(असल में सुनील मिनी को दूर ही रखना चाहता था इन छुट्टियों में ..सिवाय एक मीटिंग जो उसने सोच रखी थी रमण और मिनी के साथ करने की …….अगर वो हर जगह मिनी और रमण को ले कर घूमता …तो सोनल ने शर्तिया उसकी वाट लगा देनी थी ….ये छुट्टियाँ वो बस अपनी बीवियों के साथ ही बिताना चाहता था और एक दिन उसने रखा हुआ था रूबी…कविता को शॉपिंग और घुमाने के लिए ) चलो रेस्ट करो अब डिन्नर पे मिलते हैं…हन रूम सर्विस से कुछ भी मंगवाना होई तो मंगवा लेना …बिना झिझक के …ओके.

मिनी …ओके बाइ ….और वो चली गयी …..

सोनल ने उसके जाते ही दरवाजा धड़ से बंद किया …जैसे कोई आफ़त बाहर गयी हो…उसकी इस हरकत पे सुनील मुस्कुरा उठा….



सुनील उठ के सोनल के पास आ गया और उसे अपनी तरफ पलट लिया….सोनल के चेहरे पे फैला गुस्सा एक दम गायब हो गया …उसकी बाहें अपने आप सुनील की गर्देन पे लिपटती चली गयी और दोनो के बीच चुंबन शुरू हो गया.

दोनो के कदम धीरे धीरे सरकते हुए उन्हें सोफे के करीब ले गये और बिना किस तोड़े हुए वो सोफे पे बैठ गये.......सोनल को अब दीन दुनिया की परवाह नही थी .....उसे बस अपने सुनील की बाँहों में पिघलना था....
 
सुनील पागल सा हो चुका था वो बड़ी शिद्दत से सोनल को चूमने लगा ...कभी होंठों पे कभी चेहरे पे ....हर चुंबन में आग भरी होती थी ....और सोनल भी उस आग की गिरफ़्त में आती जा रही थी

दोनो के जिस्म से उपरी कपड़े कब उतरे पता ही ना चला था .......सुनील सोनल को चूमने में खोया हुआ था चूम ही नही रहा था बालिक दोनो एक दूसरे को काट रहे थे ...एक वहशिपन आ चुका था दोनो के अंदर ....की उसकी पॅंट की जेब में पड़ा सॉस फोन वाइब्रट करने लगा और सुनील को तेज झटका लगा

सुनील को वो कॉल अटेंड करनी थी …किसी भी तरहा ..क्यूंकी सवी कॉल कर रही थी …रूबी तो साथ ही थी दूसरे कमरे में …..सुनील के चेहरे पे पसीने की बूंदे छलकने लगी …क्यूंकी वो सोनल को अभी इस एसओएस के बारे में नही बता सकता था …..और उसे ये कॉल …सोनल से दूर जा के लेनी थी ……ऐसा क्या हो गया सवी के साथ जो एसओएस कर रही है …..सुनील एक दम से सोनल से अलग हुआ

चेहरा क्या सुनील का तो पूरा जिस्म पसीने से भीग चुका था एक अंजनी आशंका को लेकर ….और जैसे ही वो सोनल से अलग हुआ …..

सोनल….क्या हुआ आपको …ये पसीना ….आप ठीक तो हो…..(सोनल की आँख ही तब खुली थी जब सुनील उस से अलग हुआ था)

सुनील…हां ठीक हूँ …वो सडन प्रेशर बन गया है …अभी आया ( वो सीधा बाथरूम भागता है)

सोनल हैरान परेशान उसे देखती रही …उसके दिल को कुछ होने लगा …कहीं सुनील की तबीयत तो खराब नही हो रही …..वो भागती है सुनील के पीछे तब तक सुनील बाथरूम का दरवाजा बंद कर चुका था और एक कोने में जा कर हल्की आवाज़ में कॉल रिसीव कर बोला …..’तुम ठीक तो हो….तुम गयी क्यूँ’

‘मेरे पास अभी वक़्त नही तुम जल्द से जल्द उस पाते पे पहुँचो सुमन को ले कर जो एसएमएस कर रही हूँ’

‘तुम ठीक तो हो…’

‘हां’

‘फिर ये एसओएस क्यूँ और सुमन को ले के आउ ….बात क्या है …मैं अभी 5 दिन नही आ सकता’

‘एसएमएस कर रही हूँ ….जब आओगे सब पता चल जाएगा …अभी आ जाते तो बेहतर रहता खैर …रखती हूँ’

सवी ने कॉल कट कर दी और सुनील के दिमाग़ में तूफान छोड़ दिया ….वो ठीक है…पर फिर भी एसओएस किया…नॉर्मल फोन पे बात नही करी ….क्या है ये सब ….दिमाग़ फटने लग गया उसका ……और तब उसका ध्यान उन खटको पे गया जो बाहर से सोनल लगा रही थी ……..’आप ठीक तो हो …वो बार बार यही बोल रही थी ….सुनील ने ऐसे ही फ्लश चला दिया …और वॉश बेसिन पे चेहरा धोया ….और बाथरूम का दरवाजा खोल दिया …..सोनल लपक के अंदर आई और सुनील से लिपट गयी ….’क्या हुआ है आपको…देखो मेरी जान निकल रही है …..कुछ तो बोलो’इस वक़्त सुनील को सहारा चाहिए था ……और उसकी बीवी से बड़ा सहारा कॉन हो सकता था …लेकिन अभी वो सोनल से सच नही बोल सकता था……वो तड़प रहा था सवी की बात को ले कर ….लेकिन ……

‘कुछ नही जान …बस अचानक पेट खराब हो गया ….अब ठीक हूँ ….’ और सुनील बुरी तरीके से सोनल से लिपट गया ……

सोनल इसे कुछ और समझी ……’अंदर चलो….ऐसे कैसे पेट खराब हो गया ….कुछ दवाई दूं’

‘मेरी दवाई तो बस तुम हो……’

‘धत्त ….तबीयत खराब और जनाब की मस्ती नही जाती ‘

‘अरे कुछ नही हुआ यार एक दम फिट हूँ’

‘सच …या कुछ छुपा रहे हो …’

‘तुम से कुछ छुपा सकता हूँ क्या’ सुनील उसके साथ बाथरूम से निकलते हुए बोला.


सुनील सोनल को अपनी बाँहों में लपेटे हुए सोफे तक ले गया और उसे अढ़लेटा कर चूमने लगा



दोनो के चुंबन में अब फिर से जंगलीपन आने लगा ….सोनल ज़ोर ज़ोर से सुनील के होंठ चूसने लगी और सुनील भी उसके होंठ लगभग काटने लगा और साथ ही उसके उरोजो का मर्दन करने लगा…..दोनो का जिस्म जलने लगा ….दोनो को ही इस बात की परवाह नही थी के लिविंग रूम के सामने छोटी सी बाल्कनी टाइप का दरवाजा खुला हुआ है …दूर तक फैला समुद्र जहाँ से सॉफ सॉफ दिख रहा था ….गनीमत ये थी कि इनकी हट के सामने कोई पब्लिक रास्ता नही था और देखा जाए तो हट के सामने वाला हिस्सा बाक़ायदा इन लोगो के लिए एक छोटा सा प्राइवेट बीच टाइप था…..

दोनो एक दूसरे में खो चुके थे और बड़ी शिद्दत से एक दूसरे को चूम रहे रहे…ज़ुबान से ज़ुबान लड़ रही थी ….दिलों की धड़कन तेज होती जा रही थी …इस पल तो सुनील भूल ही गया था कि सवी ने कॉल करी थी …वो बस सोनल के हुस्न में खो चुका था.

सुनील फिर सोनल को अपनी गोद में ले के बैठ गया और उसे उपर से बिल्कुल नग्न कर दिया ….

जैसे ही सुनील के होंठ सोनल के निपल से टकराए सोनल सिसकती हुई मचल उठी …अहह सुनिल्ल्ल्ल

सुनील ने सोनल के निपल को ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया …जैसे अभी ही उनमे से ढूढ़ निकल के रहेगा …..उफफफफफफ्फ़ म्म्म्मबमममम अहह सोनल की सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी और वो सुनील के सर को अपने उरोज़ पे दबाने लगी….

सुनील उसके उरोज़ को पूरा मुँह में भरने की कोशिश करता और फिर दाँत गढ़ाते हुए धीरे से बाहर निकालता और निपल पे अपनी ज़ुबान फेरते हुए …….दोनो उरोज़ के साथ बारी बारी वो यही कर रहा था और सोनल के दोनो उरोज़ ना सिर्फ़ लाल पड़ते जा रहे थे …..अहह ऊऊऊओउुऊउक्ककचह सोनल को दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी मिल रहा था…..सुनील बस दोनो को उरोज़ को बारी बारी चूस्ता और मसलता …..उसकी गोद में बैठी सोनल इतनी उतीजित हो चुकी थी कि अपनी चूत सुनील की शॉर्ट में फसे लंड पे रगड़ते हुए सिसकारियाँ भरने लगी …..

सुनील ने फिर उसे अपने से अलग किया और उसकी शॉर्ट और पैंटी उतार उसे पूरा नंगा कर दिया ….सोनल भी उसके शॉर्ट पे झपटी और उसे अंडरवेर समेत उतार डाला…
सुनील ने फिर सोनल को पीछे की तरफ धकेला और उसकी झंगों के बीच बैठ उसकी चूत को चाटने लगा.



ऊऊहह हहाआाईयईईईईईईईईईई आआआअहह खा जाओ मेरी चूत …..उफफफफफफ्फ़ उम्म्म्ममम

सोनल तड़प्ते हुए सिसकने लगी क्यूंकी सुनील उसकी चूत के कभी एक लब को काटता तो कभी दूसरे को और फिर ज़ुबान आकड़ा कर उसकी चूत में घुसा देता …..पागल हो गयी सोनल जब सुनील ने उसकी चूत को चाटते हुए उसकी गान्ड में भी उंगल डाल दी …….उफफफफफफ्फ़ न्न्न्ना आआ ये नाहहिईीईईई उफफफफफफफ्फ़

हाऐईयईईई सस्स्स्स्सुउुुुउउन्न्ञननननननन्न्निईीईईईईईल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल दोहरा हमला उसे ज़यादा देर बर्दाश्त नही हुआ और वो अपनी चूत सुनील के मुँह पे मारने लगी …..उसकी चूत को पूरा मुँह में भर चूस्ते हुए सुनील अपनी उंगली से उसकी गान्ड भी चोद रहा था …..और जैसे ही सुनील ने उसके क्लिट को दाँतों से छेड़ना शुरू किया …..बोखला गयी सोनल और सुनील के सार्क को अपनी जाँघो में दबा तड़पने लगी जिस्म अकड़ने लगा उसका और भरभराती हुई झड़ने लगी ….म्म्म्मामममाआआआआआ उूुुुुुुुउउ

ज़ोर की चीख निकली उसके मुँह से और अपनी आँखें बंद कर वो सोफे पे निढाल हो गयी.



कुछ देर बाद सोनल ने अपनी आँखें खोली ...नशे से लाल सुर्ख हो रही थी....आज का आनंद कुछ अलग किस्म का था...जिस तरहा सुनील ने आज उसकी चूत को काट और चूस कर उसे सातवें आसमान पे पहुँचाया था...वो अभी भी उस आनंद की लहरों में खोई हुई थी...सुनील अब भी उसकी चूत चाट रहा था...अब वक़्त आ गया था कि सोनल अपने सुनील को भी वही आनंद दे जो उसने दिया था .....सोनल सुनील को सोफे पे धकेल देती है और उसके आकड़े हुए लंड को सहलाती हुई उसे चाटती है और फिर मुँह में ले कर लॉलीपोप की तरहा चूसने लग जाती है.
 
बीच बीच में जानभुज कर अपने दाँतों की हल्की रगड़ उसके लंड पे लगा देती थी....और सुनील बस अहह कर रह जाता था.....सोनल सुनील के लंड को मुँह में भर चरण तरफ ज़ुबान फेरती और अपने गले तक ले जाती ...धीरे धीरे सोनल ने लंड चूसने की स्पीड बड़ा दी और उसका सर तेज़ी से उपर नीचे होने लगा.

सोनल की लार से सुनील का लंड चमकने लगा और सोनल को खुद अपना मुँह चुदवाने में मज़ा आ रहा था.....सुनील को जब ये लगा कि वो झाड़ जाएगा ...तो उसने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया...सोनल ऐसे तडपी जैसे उसका मनपसंद खिलोना उस से छीन लिया गया हो ...

सोनल हाँफ रही थी क्यूंकी वो बार बार सुनील का लंड अपने गले तक ले जा रही थी और जितनी तेज़ी से वो सुनील का लंड चूस रही थी ..उसकी सांस उखाड़ने लगी थी ...पर उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था ...उसने नाराज़गी भरी नज़र से सुनील को देखा ...पर सुनील का इरादा कुछ और था ....उसने सोनल को अपनी गोद में खीच लिया और नीचे से अपने लंड उसकी चूत में फिट कर ज़ोर से उसके कंधों पे दबाव डाला और सुनील के लंड सोनल की गीली चूत में घुसता चला गया....
दर्द से बिल्लबिला उठी सोनल.

आाआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई

कुछ देर सोनल उसके लंड को अपनी चूत में अड्जस्ट करती रही फिर उसने सुनील के लंड पे उछलना शुरू कर दिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी ....

आह उम्म्म्मम अहह ओगगगगघह उूुउउइईइइम्म्म्ममाआआ



सुनील के होंठों को चूमती हुई सोनल उसके लंड पे उछलती रही और अपनी सिसकियाँ उसके मुँह में ही छोड़ती रही . सुनील ने कस के उसे अपने से चिप्टा लिया और नीचे से अपने लंड उसकी चूत में घुमाने लगा ...जिससे सोनल का मज़ा और बढ़ने लगा ...कुछ देर बाद सुनील ने पोज़िशन बदल ली और सोनल को उल्टा आधा सोफे पे लिटा पीछे से उसकी चूत में लंड घुसा डाला ....आआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईई सोनल चिल्लाई पर अब सुनील ने तेज धक्के मार ने शुरू कर दिए और सोनल की चीखें कमरे में गूंजने लगी ...



सुनील पे पागलपन सवार हो चुका था और तेज तेज धक्के लगा रहा था ....सोनल को मज़ा भी आ रहा था और दर्द के मारे चीख भी रही थी......आराम से जानू ...अहह क्या हो गया है तुमको....उूउउइईईईईईईईईई अहह

10 मिनट तक सुनील ऐसे ही उसे चोदता रहा और सोनल भी चीखने लगी ....और ज़ोर से .....आह आह यस यस फास्टर ....चोदो मुझे ...और ज़ोर से ...फाड़ दो मेरी चूत....

सुनील का जिस्म पसीने से भीग चुका था ...लेकिन अब भी उसमे थकान का कोई लक्षण नही था ....उसने अपना लंड सोनल की चूत से बाहर निकाल लिया और उसे गोद में ले कर खड़ा हो गया.
सोनल ने अपने बाँहें सुनील के गले में डाल ली और अपनी टाँगें उसकी कमर पे लपेट ली ....सुनील ने इसी पोज़िशन नें सोनल की चूत में लंड घुसा डाला और सोनल अपनी टाँगों और बाहों के सहारे ....सुनील के लंड पे उछलने लगी ....कमरे में भयंकर तूफान आ गया ......जिस्मो की थप ठप ....सोनल की चूत से निकलती ...फॅक फॅक की आवाज़ और और उसकी सिसकियों ने कमरे को और भी कामुक बना दिया.....सोनल इतनी ज़ोर से आवाज़ें निकाल रही थी ...कि बेडरूम में सोई हुई सुमन की नींद खुल गयी और वो बाहर निकल आँखें फाडे दोनो की घमासान चुदाई देखने लगी...



आधे घंटे तक सुनील सोनल को ऐसे ही गोद में उठाए चोदता रहा ....अहह उफफफफफफफफफ्फ़ सोनल ज़ोर ज़ोर से सिसकती रही और सुनील के लंड पे उछलती रही ....सुनील ने उसकी कमर को दोनो हाथों से थाम रखा था और उसे तेज़ी से अपने से दूर करता और पास लाता ...उसी तेज़ी से उसका लंड सोनल की चूत के अंदर बाहर होता रहा .....सुनील ने फिर पोज़िशन बदली और सोनल को दीवार के साथ सटा कर उसकी एक टाँग उठा ज़ोर से अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और फिर वो रुका नही....ऐसी घमासान चुदाई देख सुमन भी बहुत गरम हो गयी और अपने मम्मे मसल्ने लगी ....

आह आह चोदो चोदो...फाडो फाडो .,.....और तेज...अहह म्म्म्मरमाआआआ अहह
सोनल से उसकी सिसकियाँ कंट्रोल में ही नही आ रही थी ....और सुनील बस एक मशीन बन चुका था...सटा सॅट उसकी चूत में लंड घुसता निकलता घुसता ....



10 मिनट की और घमासान चुदाई के बाद सुनील और सोनल एक साथ झाडे दोनो खड़े खड़े एक दूसरे से चिपक गये ....सुमन की हालत ये हुई की झाड़ते हुए वो भी ज़मीन पे गिर गयी ....ऐसे वाइल्ड चुदाई उसने आज पहली बार देखी थी....और उसे वो अपनी जंगल वाली चुदाई याद आ गयी जब हनिमून पे सुनील ने उसे जंगल में चोदा था....पर ये तो उससे भी आगे थी.......
सोनल को तो मल्टिपल ओर्गसम हो गया था वो बस सुनील से चिपकी बार बार अपनी चूत से फव्वारे छोड़ रही थी...खड़ा रहना उसके लिए मुश्किल था अगर सुनील ने उसे संभला ना हुआ होता तो गिर पड़ी होती....सुनील की पिचकारियाँ भी उसकी चूत की गहराइयों में समा रही थी....दोनो बुरी तरहा हाँफ रहे थे .......10 मिनट और लगे होंगे सुनील को संभालने में पर सोनल तो लघ्भग बेहोश ही हो चुकी थी...

सुनील उसे गोद में उठा अंदर ले गया और बिस्तर पे लिटा दिया तब तक सुमन भी सम्भल चुकी थी.


सुनील ने जब सोनल को बिस्तर पे लिटाया तो सुमन भी पीछे पीछे चली आई ...उसकी आँखें इस वक़्त लाल सुर्ख थी ....होंठों पे एक प्यास जाग चुकी थी ....बाल बिखर से गये थे....अभी अभी झड़ी चूत कुलबुला रही थी ...चीख रही थी लंड के लिए....और ऐसी ही घमासान चुदाई के लिए जो उसने अभी देखी थी ...हैरान हो रही थी वो सुनील के इस पागल पन पर ....पर दिल यही पागल पन चाहता था....जो जिस्म की हड्डियों का सूरमा बना डाले ......यही तो हाल हुआ था सोनल का.....अपने ऑर्गॅज़म से वो बाहर आई तो देखा सुनील घबराया सा उसे देख रहा था और सुमन की नज़रें सुनील पे जमी हुई थी....
 
सोनल के अधरों पे मुस्कान आ गयी ...'क्या हो गया था आज आपको ...कबाड़ा कर दिया मेरा ....पर है सच में मज़ा भी बहुत आया'

सुनील झुक के उसके होंठ चूसने लगा ........

सोनल उस से अलग हो गयी ....'ना बाबा ना...अब फिर मत शुरू हो जाना ....'

सुमन की तरफ देखती हुई बोली....'दीदी अब तुम ही इनको संभालो...मेरी तो टैन बोल गयी है ....अह्ह्ह्ह सारा जिस्म दुखने लगा है ...'

सुमन हँस पड़ी .....'आप हँस रही हो....शुक्र है इनकी दो बीवियाँ हैं...अगर सिर्फ़ हममे से एक ही होती ...तो वो तो गयी थी..कभी बिस्तर से उठ ही नही पाती ...'

सुनील हस्ता हुआ बोला...'क्या हो गया मेरी शेरनी को....'

सोनल...'शेरनी को तो आज आपने बिल्ली बना दिया ...उूउउइइइइम्म्म्ममाआ'

सुनील उसे उठा के बाथरूम ले गया और टब में गरम पानी भर उसे उसमे लिटा दिया....

अहह गरम पानी की टिकोर से सोनल को कुछ सकुन मिला ' अब आप बाहर जाइए श्रीमान मुझे वक़्त लगेगा........अब नही आने दूँगी अपने पास कम से कम दो दिन तो ....'

सुनील ने खुद को सॉफ किया और हँसता हुआ बाथरूम से बाहर निकल गया ....और सुमन को अपनी तरफ खींच लिया .....उूुुुउउइईईईईईईई अरे ...दिल नही भरा क्या अभी ....सुमन हँसते हुए बोली...

सुनील......तुम दोनो से कभी दिल भर सकता है क्या........

सुमन...थोड़ा तो आराम कर लो...

सुनील...वही तो करने जा रहा हूँ.......

सुनील ने अभी सुमन के होंठों को अपने क़ब्ज़े में लिया ही था कि डोर बेल बज उठी....सुमन खिलखिलाती हुई उस से अलग हुई और चिड़ाते हुए बाहर लिविंग रूम में चली गयी .....सुनील ने फट से अपनी टी शर्ट और शॉर्ट पहनी ....उफफफफ्फ़ ये तो वो भूल ही गया था कि सोनल और उसके कपड़े तो लिविंग रूम में इधर उधर फैले हुए हैं...तभी सुमन अंदर आई और उनके कपड़े अंदर फेंक बाहर चली गयी ....दरवाजा खोला तो सामने रूबी और कविता दोनो खड़ी थी.....

सुनील भी बाहर आ गया .....'अरे तुम दोनो रेस्ट कर लिया....'

रूबी ...भाई कल का क्या प्रोग्राम है ....
कविता ...भाई कल स्टीमर पे ले चलो ना
सुमन .....तुम लोग अपनी लिस्ट बना लो क्या क्या करना है सब हो जाएगा

सुनील....देखो मैं तो यहाँ रिलॅक्स करने आया हूँ ....रिज़ॉर्ट में इतनी फेसिलिटीस हैं...प्राइवेट बीच है ...एंजाय करो ...एक दिन चलेंगे ....स्टीमर....सिटी टूर शॉपिंग सब करलेंगे और हां कहीं और जाना हो तो अपनी भाभी मिनी के साथ चली जाना ....

रूबी ...भाई .....जाएँगे तो आपके साथ किसी और के साथ बिल्कुल नही ......उसकी आवाज़ गुस्से से भरी हुई थी....
कविता ....अरे क्या हो गया ...अगर भाभी के साथ कहीं चले जाएँगे

रूबी से जवाब देते ना बना कि वो क्यूँ मिनी से दूर रहना चाहती है ......सुमन ने ही बात को संभाला.

सुमन....ओके ओके...हम सब एक साथ ही जाएँगे ....ठीक है...अभी तुम बीच का मज़ा लो फिर डिन्नर पे मिलते हैं....

सुनील टेन्षन में आ गया ....रूबी कहीं फट ना पड़े कविता के सामने .....क्या असर पड़ेगा उस पर ....अभी अभी रिश्तों को जानना शुरू किया है ...अगर उसे सब सच इतनी जल्दी पता चल गया तो वो सह नही पाएगी.

दोनो लड़कियाँ वहाँ से निकल बीच पे घूमने लगी .....

सुनील....सूमी ...रूबी को समझाना पड़ेगा ....कहीं गुस्से में आ कर कविता के सामने सब ना उगल दे ......रमण और मिनी से वो दूर रहती है पर अगर उन दोनो को ज़रा भी भान हो गया हमारे रिश्तों का ...बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी ...

सुमन ...मेरे ख़याल से तो हमे कविता को सब बता देना चाहिए ....अगर कहीं और से उसे पता चला तो बहुत ग़लत होगा ...उसका विश्वास तुम से उठ जाएगा...

सुनील...लेकिन अगर वो समझ ना पाई और कुछ और ही सोचने लग गयी तो ...अनर्थ हो जाएगा ......उसका विश्वास रिश्तों पर से उठ जाएगा.

सुमन भी सोच में पड़ गयी ........सोनल बाथरूम से बाहर निकल के आ चुकी थी .....और वो इनकी बात सुन रही थी .....

सोनल.......ये सब आप लोग मुझ पे छोड़ दो...मैं दोनो को संभाल लूँगी

सुनील और सुमन...उसकी तरफ देखने लगे .......

सोनल...घबरईए मत ....भरोसा रखो मुझ पे ....दोनो मेरे से कुछ ज़यादा छोटी नही ...बड़ी जल्दी मेरी सहेली बन जाएँगी ....फिर मैं उन्हें जितना बताना है बता दूँगी .....रूबी को मैं संभाल लूँगी ...वो कुछ नही बोलेगी कविता के सामने और कविता को जितना बताना है उतना ही बताउन्गी ...

सुनील...लेकिन तुम जो भी करो ...एक बार मुझ से और सूमी से बात ज़रूर कर लेना.

सोनल...आपकी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ भी किया है आज तक ....सिवाय एक ग़लती के ....( सोनल का चेहरा उतर गया था)

सुनील...जान बात ये नही कि तुम पे भरोसा नही...अपनी जान से ज़यादा मैं तुम दोनो पे ही तो भरोसा करता हूँ ...लेकिन ये बात बहुत नाज़ुक है ...खास कर कविता के लिए ....

सोनल...आप बिल्कुल बेफिक्र रहिए .......और अब तयार भी हो जाइए .....डिन्नर का वक़्त भी नज़दीक है ....


सुनील....ह्म्म्मद मेरे कपड़े निकाल दो यार ....

सुमन ही सुनील के लिए कपड़े निकालती है ...क्यूंकी सोनल तो फिर बिस्तर पे लेट गयी थी ...उससे चला ही नही जा रहा था.......

सुनील और सुमन जब तयार हो जाते हैं तो सोनल की तरफ देखते हैं....

सोनल....मुझे तो बक्षो मेरा खाना यहीं भेज देना ...सच बिल्कुल चला नही जा रहा ....आज तो मेरी नस नस तोड़ के रख दी है इन्होने ने ....

सुमन ....चल ना बाकी लोग क्या बोलेंगे ....

सोनल...सच में नही चल सकती .....इस हालत में जाउन्गि तो दस सवाल और खड़े हो जाएँगे ...और कोई नही तो मिनी तो पकड़ ही लेगी के अच्छी तरहा चुदि हूँ ....मेरा खाना यहीं भिजवा दो प्लीज़

सुनील और सुमन चले जाते हैं ....इनकी टेबल रिज़र्व थी ......
 
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