Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ - Page 4 - SexBaba
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Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ

नाड़ा खुलते ही काले रंग की पैंटी में वो मेरे सामने खड़ी थी।

मैं अपने बेडरूम में बेड पर चढ़ गया ताकि वो भी मुझे पूरी तरह देख सके।

मैंने अपनी पैंट की जिप खोल दी और उसको बदन से अलग कर दिया। मेरा लण्ड मेरे काबू के बाहर हो रहा था और मेरे अण्डरवीयर से बाहर निकलने की नाकाम कोशिश कर रहा था।

वो अपनी पैंटी उतारने लगी और तभी उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी और थोड़ा मुस्कुरा कर शरमा दी।

उसकी पैंटी उतरते ही उसकी चूत मेरे सामने आ गई।

उस पर थोड़े बाल थे जो मुझे पसंद नहीं थे, मुझे बाल वाली चूत अच्छी नहीं लगती है।

फिर मैंने उसको घूमने के लिए बोला और मैं उसकी गाण्ड को देखता ही रह गया।

फिर मैंने उसको अपने लण्ड की तरफ इशारा किया और अपना अण्डरवीयर उतार दिया।

उसके सामने 7 इंच लम्बा और 4 इंच मोटा लण्ड खड़ा था जो काफी कड़क और लाल हो गया था।

वो शरमा गई और उसका चेहरा एकदम लाल हो गया।

मैंने उसके सामने ही लण्ड हिलाया और उसको बोला- तू थोड़ा नीचे झुक जा ताकि मैं चूत और गाण्ड को एक साथ देख सकूँ।

उसने वैसा ही किया और मैं अपने लण्ड को सहलाने लगा।

मैंने उसको बोला- अब रहा नहीं जा रहा और किसी भी तरह मिल ! ताकि मैं तुझसे प्यार कर सकूँ।

थोड़ी देर में छत पर मिलने का वादा करके उसने कपड़े पहन लिए, मैं लण्ड हिलाता हिलाता बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा।

छत पर मिलने पर उसने मुझे एक पता बताया और अगले दिन वहाँ मिलने को कहा।

दूसरे दिन दोपहर को मैं स्वीटी के बताये हुए घर पर चला गया।

वह उसकी एक सहेली का घर था जो गाँव के थोड़ा बाहर कलोनी में था।

मेरे वहाँ जाते ही स्वीटी ने दरवाजा खोला, वो जन्नत की परी लग रही थी। काले रंग के सूट में काफी सजी हुई थी। उसके भूरे बाल उसके आँखों के सामने आ रहे थे जो उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे।
उसने बोला- राहुल, आज यहाँ इस घर में कोई नहीं है, हम दोनों बहुत सारी प्यार की बातें कर सकते हैं।

मेरे लिए बातें करना अलग बात थी, मैं तो उसको चोदने के मूड में था।
मैंने पहले पूछा- कितनी देर के लिए तेरी सहेली बाहर है?

तो उसने बोला- 4-5 घंटे तक वह नहीं आने वाली है।

मैंने मन ही मन में सोचा कि आज स्वीटी को कम से कम 2 बार तो चोद सकता हूँ।

फिर मैंने उसको बोला- कुछ ठंडा हो जाये।

वह अन्दर जा कर ठंडा बनाने में लग गई तब तक मैं जो कंडोम और उसके लिए गिफ्ट लाया था उसको गाड़ी में से निकालने के लिए चला गया।

वह ठंडा ले कर आ गई और मैंने उसको फूलों का गुलदस्ता, लव का ग्रीटिंग कार्ड और गोल्ड प्लेटिड इयरिंग व पेंडेंट दिया जो मैंने कुछ पैसे बचा कर उसके लिए ख़रीदा था।

वह उसको देखते ही मेरे गले लग गई और बोलने लगी- राहुल, आज मुझे बहका दो।

मैंने कहा- देख, मेरी और तेरी शादी मुमकिन तो नहीं है और मैं तेरा इस्तमाल करना नहीं चाहता हूँ, अगर तेरी इजाजत है तो ही मैं तुझे हाथ लगाऊंगा।

स्वीटी ने कहा- राहुल, वह तो मुझे भी पता है पर मैं तुम्हें दिल दे चुकी हूँ, मुझे तुम्हारे सिवा और किसी से अपने जीवन का पहला सेक्स नहीं करना है।

मेरे लिए यह चीज़ बहुत बड़ी थी पर यह मेरा उसूल है कि मैं लड़की को बिना उसकी मर्ज़ी के कभी छूता नहीं हूँ। अगर लड़की साथ दे, तभी सेक्स का मज़ा है वरना हम जानवर तो नहीं हैं जो कही भी लग जाएँ।
मैंने उसको सोचने के लिए 15 मिनट का वक्त दिया और बोला- मेरे लिए भी यह पहली बार है, हाँ मैंने कई ब्लू फिल्में देखी हुई हैं।

और फिर बोला- चलो ठंडा पीते हैं और बातें करते हैं।

मैंने उसको पूछा तो उसने बताया कि मेरी यह जो सहेली है उसने 2-3 बार किया है और उसने ही बताया था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है।

मैं फिर उसकी तारीफ करने लगा, मैंने बोला- आज तुम बहुत अच्छी लग रही हो।

उसने बोला- आज के दिन मैं तुम्हारे लिए खास सज धज कर आई हूँ।

फिर मैंने उसको बताया- मुझे नीचे बाल अच्छे नहीं लगते हैं।

उसने बोला- यह मुझे पता चल गया था इसलिए आज ही मैंने मेरे सभी बाल साफ़ कर दिए हैं।

मैंने कहा- कैसे?

तो उसने बोला- उस दिन जब तुम मुझे खिड़की से देख रहे थे तब मेरी पैंटी उतारते ही तुम्हारा मूड थोडा ख़राब हो गया था।

मैंने बोला- वाह, तुम तो मुझे अच्छा पहचानने लग गई हो।

तो उसने बताया- प्यार में इतना तो पता चल ही जाता है।

करीब 15 मिनट इधर उधर की बातें करके उसने बोला- राहुल, मैं तैयार हूँ। मुझे कोई परेशानी नहीं है, तुम मेरी प्यास बुझा दो, आज तक मेरे इस बदन को मैंने किसी को छूने नहीं दिया है, मैं तड़प रही हूँ, मुझे अपना बना लो।

और ऐसा कह कर के वह मेरे गले से लिपट गई और रोने लगी।
उसको घर पर बहुत समस्याएँ थी उसकी माँ की वजह से और वह अपना दिल हल्का कर रही थी।

मैंने उसके सर को चूम लिया और उठा कर उसके लिए पानी लेने गया, फिर पानी देकर उसको अपनी गोद में बिठाया और उसके गले पर हाथ फेरने लगा।

वह थोड़ी मदहोश हो रही थी और मैं धीरे धीरे उंगली घुमा रहा था। मैंने फिर उसके दुपट्टे को अलग किया और सोफे पर बैठे-बैठे ही उसके जिस्म को अपने हाथ से मापने लगा।

धीरे धीरे मैंने उसके पीठ के ऊपर हाथ फिराना शुरू किया, वह मुझे चूमने लगी और मेरी होंठों को अपने होंठों ले लिया। हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे।

वह काफी गर्म हो चुकी थी पर मेरे लिए यह शुरुआत थी, मैं धीरे धीरे अपने हाथों को उसके वक्ष पर ले गया और कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूची को सहलाने लगा।
 
अगर लड़की को गर्म करना है तो उसको प्यार से सहलाओ ना कि जोर जोर से दबाओ।

मैं धीरे धीरे कमीज़ के ऊपर से ही उसकी चूची के ऊपर हाथ घुमाने लगा, उसकी निप्प्ल थोड़ी कड़क हो गई थी और वह दाने के तरह उभर आ गई थी, ब्रा के बावजूद मैं उसकी निप्पल को महसूस कर रहा था।

मैं उसकी निप्पल के ऊपर उंगली घुमा रहा था।

और देखते ही उसने किस करने की स्पीड बढ़ा दी।

मैंने उसको बोला- चलो, बेडरूम में चलते हैं।

और उसको उठा कर बेडरूम में ले गया और मैं बेडरूम में जाते ही चौंक गया, वहाँ देखा तो उसने पूरा बेड सजा रखा था, भीनी भीनी गुलाब की खुशबू आ रही थी और थोड़ी गुलाब की पंखुड़ियों को उसने बेड पर बिछा रखा था।

मैंने पूछा- यह क्या है?

तो उसने बोला- मेरे लिए तो आज का दिन ही सुहागरात है।

मैं यह सोच कर थोड़ा सहम गया, मैंने सोचा कि मैं यह नहीं कर सकता, यह किसी लड़की के लिए बहुत बड़ी बात है।

मैंने उसको सेक्स करने से मना कर दिया, मैं उसको हर्ट करना नहीं चाहता था।

उसने बोला- यह सब तुम मेरी मर्जी से कर रहे हो।

और मैं संभल गया, मैंने बोला- ठीक है।

फिर वह मुझसे लिपट गई। मैंने उसको बेड पर लिटाया और फिर से उसे चूमने लगा, उसकी चूची को फिर से सहलाने लगा, ऊपर से उसके निप्पल को धीरे धीरे उंगली से घुमाता

तो उसको बहुत जोश आ रहा था, वह आँखे बंद करके उसका मज़ा ले रही थी।

धीरे धीरे मैंने उसके कमीज़ का हुक पीछे से खोल दिया, उसकी पीठ को सहलाने लगा, उसकी नंगी पीठ मेरा स्पर्श पाकर काफी गर्म हो चुकी थी।

मैंने उसकी कमीज़ के नीचे से हाथ डाला और उसकी नाभि पर उंगली घुमाने लगा, कमर पर हाथ घुमाने लगा।

धीरे धीरे मेरा हाथ और ऊपर गया और कमीज़ के अन्दर से उसके ब्रा पर हाथ ले गया। वह कसमसाई और मैंने ब्रा की बगल से उसकी चूची को छुआ। फिर मैंने उसकी निप्पल को ब्रा के ऊपर से छुआ और धीरे से उसकी कमीज़ उतार दी और धीरे से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया।
हुक खोलते ही उसके छोटे मम्मे मेरे सामने थे जिनके ऊपर छोटा सा गुलाबी निप्पल ! मैंने उसके निप्पल को मुह में लिया और उसको प्यार से चूसने लगा।

वह गर्म हो चुकी थी और उसने जोर से मेरा सर पकड़ कर पूरी चूची मेरे मुँह में डाल दी।

मुझे पता चल गया कि वह एक बार झड़ गई है।

मैं करीब 15 मिनट तक उसकी चूची के साथ खेलता रहा और फिर उसकी सलवार खोल दी और सिर्फ पैंटी में उसके पूरे बदन को चूमने लगा।

मैं बहुत उत्तेजित हो गया था और मेरे लण्ड पानी छोड़ रहा था, मैंने उसको बोला- अब तुम मेरे साथ खेलो।

उसने मना कर दिया और बोली- नहीं, पहले तुम करो।

आखिर वह मान गई।

मैं जल्दी से उठा और बाथरूम में जाकर अपने लण्ड को थोड़ा साबुन लगा कर साफ़ कर लिया।

फिर मैं बेड पर आ गया और टीशर्ट निकाल दी तो वह मेरे पूरे बदन को चूमने लगी।

मैंने पूछा- यह तुम्हें किसने सिखाया?

तो उसने उसकी सहेली पूनम का नाम दिया जिसके घर पर हम लोग थे।

मैंने बोला- और क्या-क्या सिखाया है?

तो वह बोली- देखते जाओ।

और मैं आँखें बंद करके मज़ा लेने लगा।

उसने मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगी।

मैं बहुत गर्म हो रहा था। फिर उसने एक हाथ मेरी पैंट में डाल दिया, मेरे लण्ड को सहलाने लगी।

कुछ देर में मेरी पैंट को मेरे जिस्म से अलग किया। उसने नीचे से मेरे पूरे जिस्म को चाटना शुरू किया और मेरे लण्ड पर आकर रुक गई।

मैंने पूछा- क्या हुआ?

उसने कहा- बस!

मैंने कहा- और कुछ तेरी सहेली ने नहीं सिखाया?

उसने बोला- बस इतना ही होता है।

फिर मैंने बोला- ठीक है तो इसको मुँह में नहीं लेना है?

उसने बोला- इसको कोई लेता है क्या?

मैंने बोला- एक मिनट रुक!

और मैंने उसको लेटा दिया, फिर ऊपर से उसकी पैंटी पर हाथ घुमाने लगा, उत्तेजना के मारे उसकी चूत फूल गई थी। मैंने बगल से उसकी पैंटी के अन्दर उंगली डाली। पूरी चूत गीली थी। मैंने उसकी पैंटी उतार दी, देखा तो सामने एकदम कसी हुई गुलाबी चूत!

मेरे होश उड़ गए और एक बार तो ऐसा लगा कि शायद मैं झड़ जाऊँगा।

मैंने दूसरा कुछ सोचना चालू किया ताकि मैं झड़ न जाऊँ।

मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा, उसका रस बाहर आ रहा था।

मैंने उसके दाने को छुआ, उसकी चूत की दरार पर उंगली घुमाई और देरी न करते हुए उसके चूत पर जीभ फेरना चालू किया।

वह उन्माद के सातवें आसमान पर थी।
 
मैंने अपने पैर उसके सामने कर दिए ताकि उसका मुँह मेरे लण्ड पर आ जाये। मैं धीरे धीरे उसकी चूत पर जीभ फेरने लगा और उंगली को अन्दर-बाहर करने लगा।

उसने देर न करते हुए मेरे लण्ड को अण्डरवीयर से निकाला और उसके सामने मेरा 7 इंच लम्बा, 4 इंच मोटा लण्ड था।

उसने मेरे लण्ड के ऊपर की चमड़ी को नीचे करते हुए मेरा सुपारा मुँह में ले लिया।

उसके मुँह में जाते ही मेरा लण्ड हिचकोले खाने लगा और मेरा रस बाहर आने की कोशिश कर रहा था।

वह धीरे धीरे मेरे लण्ड को चूस रही थी और मेरे गोलों के साथ खेल रही थी।

मैंने एक उंगली उसकी गांड पर फेरनी शुरू की वह बोली- राहुल, ऐसा मत करो! मैं झड़ जाऊँगी।

उसने जैसे ही मेरा सुपारा फिर से अपने मुंह लिया, मैं झड़ गया। वो हैरान हो गई, बोली- यह क्या हुआ?

मैंने कहा- लड़के ऐसे ही झड़ते हैं।

और मेरा लण्ड धीरे धीरे बैठने लगा। मैं बाथरूम चला गया और बोला- अब 10 मिनट लगेंगे फिर से इसको खड़ा होने में!

वह थोड़ी निराश हो गई तो मैंने उसको समझाया- लड़कों के साथ ऐसा होता है।

स्वीटी की नाराज़गी मुझे कुछ अच्छी नहीं लगी, मैंने उसको बोला- अगर तुझे ज्यादा लगता है तो इसको मुँह में ले और खड़ा कर दे।

वो बहुत गर्म हो चुकी थी, वो तैयार हो गई, अपने घुटने पर आ गई, फिर मेरा लण्ड मुँह में ले लिया।

उसके मुंह में लेते ही मेरा लण्ड ताव में आने लगा, वो उसको लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।

मेरा लण्ड अब पूरा खड़ा हो चुका था, मैंने उसको बिस्तर पर आने को कहा।

मैंने उसको टांगों को उठा कर उसके नीचे दो तकिये लगा दिए और उसका सर बेड से सटा दिया ताकि वो हिल न पाए। मैंने धीरे से उसकी चूत को उठाया और लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।

वो बोली- राहुल, जल्दी डाल दे, रहा नहीं जा रहा है।

मैं धीरे धीरे लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा और एकदम धीरे से लण्ड को चूत के मुह पर रख हल्का सा झटका दिया और वो दर्द से कराह उठी।

मैंने बोला- थोड़ा दर्द सहना पड़ेगा।

वो बोली- ठीक है !

और फिर और एक ज़टका दिया और थोडा लण्ड उसकी चूत के अन्दर गया। और वोह चिल्लाई- .. रा..आ..हु..ल.. मैं मर्र गई..इ।

शायद उसका योनिपटल टूटा होगा। मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फ़िराया और हल्के से चूम लिया।

अब मैं लण्ड को और अन्दर डालने लगा और धीरे धीरे स्पीड बढ़ाने लगा। वो दर्द की वजह से ज्यादा साथ नहीं दे रही थी पर मुझे पता था कि थोड़ी देर के बाद वो ठीक हो जाएगी। और फिर उसकी तरफ से उह्ह्ह अह्ह्ह की मीठी आवाज आने लगी, कहने लगी- राहुल.... बहुतत.. मजा.. आ.. रहा.. है .. और जोर से करो...

मैं अपनी स्पीड बढ़ाने लगा और वो आह अह्ह चिल्लाने लगी।

और फिर उसने दोनों हाथ मेरी पीठ पर लगा दिए और अपने नाखून मेरी पीठ पर चुभा दिए...

मुझे पता चल गया वो झड़ गई है.. उसके पैर कांपने लगे और मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी..

मैंने कहा- मेरा अभी बाकी है..

मैंने कंडोम पहन लिया और उसको पीछे से जाकर चूत में लण्ड डाल दिया।

और 20-22 झटके के बाद हम दोनों एक साथ जड़ गए... मैंने उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसके माथे को चूमने लगा..

उसकी आँखें बयां कर रही थी कि वो बहुत तृप्त हो गई है।

मैंने उसकी प्यार से चुम्मी ली और फिर हम दोनों अपने कपड़े खोजने लगे..

और उसने पूछा... राहुल मेरी पैंटी कहाँ है???

............सेक्स के बाद हर लड़की अपने साथी से पहला सवाल यही करती है।
 
सहेली की सज़ा
यह कहानी मैं अपनी सहेली मल्लिका के बारे लिख रही हूँ। जब यह घटना हुई तब मुझे पता नहीं था कि मल्लिका को यौनसुख इतना प्रिय है! मैं आपको बताती हूँ कि मुझे मल्लिका की इतनी अधिक कामवासना का पता कैसे चला।

मेरा नाम माधवी है। मैं 33 वर्ष की विवाहित स्त्री हूँ। मेरे पति कुणाल पैंतीस वर्ष के हैं। मुझे एक बार काम से दिल्ली से लखनऊ जाना था पर मुझे टिकट नहीं मिल पाया। मैं बहुत परेशान थी। मैंने अपनी सहेली मल्लिका को बताया तो वो बोली कि उसके पति को भी लखनऊ जाना है और वो कार से जा रहे हैं। तू चाहे तो उनके साथ चली जा!

मैंने अपने पति से पूछा तो वो भी तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि सुनील तुम्हारी सहेली के पति हैं। कोई गैर थोड़े ही है, तुम चली जाओ।

मैं और सुनील कार से निकल गए। सुनील शरीफ इंसान थे, रास्ते में हम लोग बातें करते हुए जा रहे थे पर सुनील ने मुझे कभी भी छूने की कोशिश नहीं की, बातचीत का दायरा भी सभ्य था।

लंच करने के बाद कार ने परेशान करना शुरू कर दिया और शाम को करीब 5 बजे जब हम बरेली पहुँचे तो कार एकदम बंद हो गई। मकैनिक को दिखाया तो उसने ठीक करने में 4 घंटे का समय लगा दिया।

सुनील ने कहा – भाभी, अब रात के दस बजे चलना ठीक नहीं होगा! अगर तुम कहो तो हम आज रात यहीं होटल में रुक कर सुबह होते ही निकल पड़ेंगे?

सुनील शरीफ थे। परिस्थितियों को देखते हुए मैं सुनील की बात मान गई। हम लोगों ने एक होटल में कमरा लिया। होटल वाले को हमने अपना परिचय पति-पत्नी का दिया नहीं तो वो होटल नहीं मिलता।

मैं बहुत थक गई थी। कमरे में जाकर तुरंत नहाने चली गई और नाइटी पहन कर बिस्तर पर लेट कर आराम करने लगी।

सुनील ने मुझसे पूछ कर ड्रिंक्स मंगवा लिए। वो थके हुए थे और मल्लिका ने मुझे बताया था कि वो रोज रात को ड्रिंक लेते हैं। सुनील ड्रिंक ले रहे थे तभी मुझे नींद आ गई। नींद में मुझे एक बहुत प्यारा सा सपना दिखा! सपने में मैंने देखा कि मेरे पति मेरे बदन को सहला रहे है।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मैं अपने घर पर ही हूं और मेरे पति मुझे प्यार कर रहे हैं। धीरे-धीरे उन्होंने मुझे निर्वस्त्र कर दिया। उनके हाथ पहले मेरे पेट पर और फिर मेरी चूचियों पर आ गए। वो अब मेरे चुचूक सहला रहे थे। मैं गर्म होने लगी थी। उन्होंने मेरे चुचूक अपने मुँह में लेकर खूब चूसे। उनके हाथ मेरे पूरे शरीर पर घूम थे। कुछ देर बाद उनकी उँगलियाँ मेरी चूत पर पहुँच गई। मेरी चूत रस छोड़ रही थी। ऐसा उत्तेजक सपना मैं बहुत दिनों के बाद देख रही थी।

उन्होने मेरे उपर आ कर मेरी टाँगें फैला दीं और अपना तना हुआ लण्ड धीरे-धीरे मेरी चूत में घुसाना शुरू किया। मैं पूरी तरह पनिया चुकी थी और बेसब्री से चुदने का इंतज़ार कर रही थी। अभी लंड आधा ही घुसा था कि सपना टूट गया। मेरी आखें थोड़ी सी खुली तो मुझे लगा कि मेरे पति मेरे ऊपर हैं और उनका आधा लण्ड मेरी चूत में घुसा हुआ है। ... तभी मुझे याद आया कि मैं तो होटल में थी, और वोह भी सुनील के साथ। अब मैंने अपनी आँखें थोड़ी और खोली। हे भगवान! ये क्या? मैं सपने में जिसे अपना पति समझ रही थी वो सुनील था, और यह सब मेरी जानकारी के बिना हकीकत में हो रहा था, सपने में नहीं!!

उसने मेरी गहरी नींद का फायदा उठा लिया था। मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ? अगर मैं चिल्लाऊंगी तो आस पास के कमरों वाले आ जायेंगे। वे माजरा जान कर होटल वाले को बुलायेंगे। और होटल वाला पूछेगा कि तुम अपने पति की शिकायत क्यों कर रही हो? आखिर उनका हक है ये तो (रजिस्टर में तो सुनील ने पति-पत्नी ही लिखवाया था)। फिर मैं क्या जवाब दूंगी। लंड आधा तो पहले घुस ही चूका था। मैं कुछ कह या कर पाती उससे पहले वो अंदर घुस गया।

मैंने सोचा कि अब कुछ शिकायत करने से क्या मिलना है। जब इतना हो चुका है तो बाकी भी चुपचाप करवा लो! बाद में बात करेंगे।

मैंने अपनी आखें थोड़ी सी खुली रखी और चुपचाप पड़ी रही। सुनील अब अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल चुका था। मैंने अपनी टांगें थोड़ी फैला दीं ताकि उसे चोदने में आसानी रहे।

उसका लंड बहुत कड़क था। वो खूब तगड़े धक्कों से मुझे चोद रहा था। उसने मेरे मम्मों को भी खूब मसला।

सच कहूँ तो वो मुझे मेरे पति से ज्यादा मजा दे रहा था। बस इस बात का अफ़सोस था कि यह सब मेरी सहमति के बिना हो रहा था। और यह भी नहीं था कि सुनील मेरे साथ बलात्कार कर रहा था। मैं चाहती तो उसे रोक सकती थी पर लंड अंदर घुसने के बाद। असमंजस के बावजूद मैं इस चुदाई का मज़ा ले रही थी। अब मैं समझ चुकी थी कि पर-पुरुष का मजा अलग ही होता है।

सुनिल पूरा दम लगा कर मुझे चोद रहा था। वो ये भी भूल गया था कि मैं नींद से जाग सकती हूं। पन्द्रह मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद उसके लंड से पानी की बौछार निकली तो मेरी चूत तृप्त हो गई। काम होने के बाद जैसे ही सुनील ने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर खींचा, मैंने नींद खुलने का नाटक किया - यह क्या है, ... मैं नंगी कैसे हूं? ... हाय राम, क्या तुमने मेरे साथ बलात्कार किया है!

सुनील मेरे सामने हाथ जोड़ कर बोला – मुझे माफ कर दो, भाभी। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। अगर तुमने किसी को बताया तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।
मैंने कहा – लेकिन मैं तो बर्बाद हो चुकी हूं। तुमने मेरे नींद में होने का फायदा उठा कर मेरी इज्ज़त लूट ली!

वह बोला – भाभी, शराब के नशे में मुझे होश नहीं रहा। तुम्हारी खूबसूरती के लालच में आ कर मैं सही–गलत का फर्क भूल बैठा। तुम मुझे माफ कर दो तो मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा। 

मैं ये नहीं दिखा सकती थी कि उसके साथ-साथ मैंने भी चुदाई का पूरा मज़ा लिया था। मैंने गुस्सा दिखाते हुए उसकी बीवी मल्लिका को फ़ोन लगाया और उसे सारा किस्सा बताया।

मेरी बात सुन कर वो बहुत नाराज़ हुई और बोली- सुनील को प्रायश्चित करना पड़ेगा नहीं तो मैं उसे तलाक दे दूंगी। 

यह कह कर उसने फ़ोन काट दिया।

थोड़ी देर बाद मेरे पति कुणाल का फ़ोन आया। उसने कहा कि मल्लिका ने उसे अभी बुलाया है। मैं क्या बोलती। मैं सोच रही थी कि मल्लिका से सच जान कर उस पर क्या बीतेगी?

वापस पहुँचने पर मल्लिका ने मुझे बताया कि उस रात उसने मेरे पति को क्यों बुलाया था। 

कुनाल को पूरी बात बता कर मल्लिका ने उस से कहा - सुनील को इसकी सज़ा भुगतनी पड़ेगी। हम उसे ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। 

कुनाल ने पूछा – लेकिन उसे सज़ा कैसे मिलेगी?
मल्लिका ने कहा - अगर तुम मेरे साथ वही करो जो सुनील ने तुम्हारी पत्नी के साथ किया है तो उसे उसके किये की सज़ा मिल जायेगी और हमारा बदला भी पूरा हो जाएगा। 

इसके बाद वे दोनों मिल कर पूरी रात सुनील को सज़ा देते रहे। 

कुणाल ने मुझे दिलासा दिया कि इसमें मेरी कोई गलती नहीं थी क्योंकि जो हुआ उस वक्त मैं तो नींद में थी। और अब तो उन्हें सुनील से भी कोई शिकायत नहीं है। पर शायद मल्लिका का बदला अभी पूरा नहीं हुआ है। वो अक्सर हमारे घर आ जाती है, मेरे पति से चुदने। और सच तो यह है कि उसे अपने पति से चुदते देख कर मुझे भी संतोष होता है कि सुनील अब तक अपने किये की सज़ा भुगत रहा है।
 
मैं इतनी सेक्सी हूँ कि मेरा गोरा बदन, मेरी सेक्सी कमर, लम्बे रेशमी बाल, कसे हुए चूतड़ और मोटे मम्मों को देख कर लड़के तो क्या बुड्ढों का भी दिल बेईमान हो जाये।

अब मैं आपको अपनी बात बताती हूँ।यह बात तब की है जब मेरे पति विदेश में प्रोजेक्ट के सिलसिले में पोस्टेड थे एक साल के लिए -6 महीने हो गए थे-वैसे भी आप लोग तो जानते ही है के मेरे पति तो मुझे ठीक से चोद ही नहीं पाते -देवर जी बंगलोरे में सर्विस करते थे वो तीन तीन महीने में आते थे -ये तब कि बात है जब मेरी सासु कलकता की एक अस्पताल में दाखिल थी और मेरे ससुर जी भी रात को उनके पास ही रहते थे, मैं सुबह घर से खाना वगैरा लेकर जाती थी। एक दिन मैं सुबह जब बस में चढ़ी तो बस में बहुत भीड़ थी, जिनमें ज्यादा कॉलेज के लड़के थे।

जहाँ पर मैं खड़ी थी वहां पर मेरे आगे एक बूढ़ी औरत और मेरे पीछे एक लड़का था। कुछ देर बाद उस लड़के ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से लगा लिया, बस में इतनी भीड़ थी कि ऐसा होना आम था और किसी को पता भी नहीं चल सकता था। यह तो मुझे और उस लड़के को ही पता था।

मेरी तरफ से कोई विरोध ना देख कर लड़के ने अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर रगड़ा, मेरे बदन में एक करंट सा दौड़ गया, मुझे लण्ड के स्पर्श से बहुत मजा आया !

और आता भी क्यों ना? लण्ड होता ही मजे के लिए है.. खासकर मेरे लिए... लड़के का लण्ड सख्त हो चुका था और बेकाबू भी होता जा रहा था क्योंकि अब उसकी छलांगे मेरी गाण्ड महसूस कर रही थी.. जब भी बस में कहीं धक्का लगता तो मैं भी उसके लण्ड पर दबाव डाल देती..

हम दोनों लण्ड और गाण्ड की रगड़ाई के मजे ले रहे थे.. अब बस पहुँच चुकी थी और सब बस से उतर रहे थे, मुझे भी उतरना था और उस लड़के को भी।

बस से उतरते ही लड़का पता नहीं कहाँ चला गया, मेरा चुदने का मन कर रहा था, मगर वो लड़का तो अब कॉलेज चला गया होगा, यह सोच कर मैं उदास हो गई।

अब मुझे अस्पताल जाना था, मैं बस स्टैंड से बाहर आ गई और ऑटो में बैठने ही वाली थी कि वही लड़का बाईक लेकर मेरे पास आकर खड़ा हो गया..

मैं उसे देख कर हैरान हो गई, वो बोला- भाभी जी आओ, मैं आपको छोड़ देता हूँ।

पहले तो मैंने मना कर दिया, मगर फिर उसने कहा- आप जहाँ कहोगी मैं वहीं छोड़ दूंगा..

तो मैं उसके साथ बैठ गई।

वैसे भी लड़का इतना सेक्सी था कि उसको मना करना मुश्किल था। रास्ते में उसने अपना नाम अनिल बताया। मैंने भी अपने बारे में बताया। थोड़ी आगे जाकर उसने कहा- भाभी अगर आप गुस्सा ना करो तो यही पास में से मैंने अपने दोस्त से कुछ किताबें लेनी थी..

मैंने कहा- कोई बात नहीं, ले लो..

फिर आगे जाकर उसने एक बड़े से शानदार घर के आगे बाईक रोकी, गेट खुला था तो वो बाईक और मुझे भी अन्दर ले गया।

उसका दोस्त सामने ही खड़ा था.. वो दोनों मुझे थोड़ी दूर खड़े होकर कुछ बातें करने लगे। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझे चोदने की बातें कर रहे हों..

काश यह दोनों लड़के आज मेरी चुदाई कर दें !

फिर अनिल ने अपने दोस्त से मिलवाया, उसका नाम सुनील था, सुनील ने मुझे अन्दर आने को कहा मगर मैंने सोचा कि सुनील के घर वाले क्या सोचेंगे।

इसलिए मैंने कहा- नहीं मैं ठीक हूँ !

और अनिल को जल्दी चलने को कहा..

तो अनिल ने कहा- भाभी जी, दो मिनट बैठते हैं, सुनील घर में अकेला ही है।

यह सुनकर तो मैं बहुत खुश हो गई कि यहाँ पर तो बड़े आराम से चुदाई करवाई जा सकती है..

मैं अन्दर चली गई और सोफे पर बैठ गई। सुनील कोल्ड ड्रिंक लेकर आया, हम कोल्ड ड्रिंक पीते हुए आपस में बातें कर रहे थे।

अनिल मेरा साथ बैठा था और सुनील मेरे सामने। वो दोनों घुमा फिरा कर बात मेरी सुन्दरता की करते।

अनिल ने कहा- भाभी, आप बहुत सुन्दर हो, जब आप बस में आई थी तो मैं आपको देखता ही रह गया था..

मैंने कहा- अच्छा तो इसी लिए मेरे पास आकर खड़े हो गये थे?

अनिल- नहीं भाभी, वो तो बस में काफी भीड़ थी, इस लिए...

फिर मुझे वही पल याद आ गये जो बस में गुजरे थे इसलिए मैं शरमाते हुए चुप रही।

फिर अनिल बोला- भाभी वैसे बस में काफी मजा था... मेरा मतलब इतनी भीड़ थी कि सर्दी का पता ही नहीं चल रहा था..

मैंने शरमाते हुए कहा- हाँ...! वो... वो... तो है..

मैं समझ गई थी कि वो क्या कहना चाहता है।

उसने अपना हाथ बढ़ाया और मेरे हाथ पर रख दिया और बोला- भाभी अब काफी सर्दी लग रही है, अब क्या करूँ?

उसका हाथ पड़ते ही मैं शरमा गई और बोली- क क.. क्या... क्या.. कर.... करना.. है... चाय पीओ गर्म गर्म...

अनिल- भाभी, मगर मुझे तो वोही गर्मी चाहिए जो बस में थी...

मैं शरमाते हुए अपने बाल ठीक करने लगी..

मेरा शरमाना उनको सब कुछ करने की इजाजत दे रहा था।

अनिल ने मौके को समझा और अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए...

मैंने आँखे बंद कर ली और सोफे पर ही लेट गई..

अनिल भी मेरे ऊपर ही लेट गया..

अब सारी शर्म-हया ख़त्म हो चुकी थी..

अनिल ने मेरे होंठ अपने मुँह में और मेरे चूचे अपने हाथों में पकड़ लिए थे..

मेरी आँखें बंद थी, इस वकत सुनील पता नहीं क्या कर रहा था मगर उसने अभी तक मुझे नहीं छुआ था..

अनिल मेरे होंठों को जोर जोर से चूस रहा था, मैंने हाथ उसकी कमर पर ढीले से छोड़ रखे थे..

फिर सुनील मेरी सर की तरफ आ गया और मेरी गोरी गोरी गालों और मेरे बालों में हाथ घुमाने लगा..

मेरी आँखें अब भी बंद थी...

वो दोनों मुझसे प्यार का भरपूर का मजा ले रहे थे...

कभी अनिल मेरे होंठ चूसता तो कभी सुनील..

अनिल ने मेरी पजामी और कमीज उतार दी..फिर सुनील ने ब्रा और पेंटी भी उतार दी..

मैं बिलकुल नंगी हो चुकी थी..

फिर मैं सोफे पर घुटनों के बल बैठ गई और सुनील की पैंट उतार दी.. उसका लौड़ा उसके कच्छे में फ़ूला हुआ था..

मैंने झट से उसका लौड़ा निकाला और अपने हाथों में ले लिया और फिर मुँह में डाल कर जोर जोर से चूसने लगी। मैं सोफे पर ही घोड़ी बन कर उसका लौड़ा चूस रही थी और अनिल मेरे पीछे आकर मेरी चूत चाटने लगा..

अनिल जब भी अपनी जीभ मेरी चूत में घुसता तो मैं मचल उठती और आगे होने से सुनील का लौड़ा मेरे गले तक उतर जाता..

सुनील भी मेरे बालों को पकड़ कर अपना लौड़ा मेरे मुंह में ठूंस रहा था..

फिर सुनील का वीर्य निकल गया और मैंने सारा वीर्य चाट लिया.. उधर अनिल के चाटने से मैं भी झड़ चुकी थी।

अब अनिल का लौड़ा मुझे शांत करना था।अनिल सोफे पर बैठ गया और अनिल के आगे उसी की तरफ मुंह करके उसके लौड़े पर अपनी चूत टिका कर बैठ गई। उसका लोहे जैसा लौड़ा मेरी चूत में घुस गया..अह्ह्ह. मुझे दर्द हुआ मगर मैंने फिर भी उसका पूरा लौड़ा अपनी चूत में घुसा लिया।

मैं ऊपर-नीचे होकर उसके लौड़े से चुदाई करवा रही थी, सुनील मेरे मम्मों को अपने हाथों से मसल रहा था।

अनिल भी नीचे से जोर जोर से मेरी चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ रहा था। इसी दौरान मैं फ़िर झड़ गई और अनिल के ऊपर से उठ गई मगर अनिल अभी नहीं झड़ा था तो उसने मुझे घोड़ी बना लिया और अपना लौड़ा मेरी गाण्ड में ठूंस दिया..

उफ़ यह बहुत मजेदार चुदाई थी..

फिर सुनील मेरे सामने आ गया और उसने मुझे अनिल के लौड़े पर बिठा दिया। अब अनिल मेरे नीचे था और मैं अनिल का लौड़ा अपनी गाण्ड में लिए उसके पैरों की ओर मुंह कर के बैठी थी..

सुनील मेरे सामने आ कर बैठ गया और अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसाने लगा, मैं अनिल पर उलटी लेट गई और सुनील ने मेरे ऊपर आकर अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया..

उफ़ अब तो मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरा दिल चिल्लाने को कर रहा था मगर थोड़ी ही देर में चुदाई फिर शुरू हो गई। मैं दोनों के बीच चूत और गाण्ड की प्यास एक साथ बुझा रही थी और वो दोनों जोर जोर से मेरी चुदाई कर रहे थे।

मैं दो बार झड़ चुकी थी.. फिर अनिल भी झड़ गया और उसके बाद सुनील भी झड़ गया।

हम तीनों थक हार कर लेट गये..

फिर मैंने अपने कपड़े पहने और हस्पताल चली गई,

रात को मैं अकेली ही घर होती थी इस लिए वो अनिल और सुनील दोनों रात को मुझे हस्पताल से घर ले जाते और सारी रात मेरी चुदाई करते, सुबह होते ही वो दोनों लोगों के जागने से पहले निकल जाते और मैं बाद में हस्पताल आ जाती..

इसी तरह पाँच दिन चुदाई चलती रही और फिर सासु ठीक होकर घर आ गई तो चुदाई बंद हो गई।
 
शेरू की मामी
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मेरा नाम शेरू है. मैं बीस साल का एक जवान लड़का हूं. मैं अपने मामाजी के यहां रहता हूं. पिछले तीन महने से मैं अपनी मामी कमल और उसकी सहेली रीना के साथ सम्भोग कर रहा हूं. दोनों ३५ साल की चुदैल औरतें हैं और मेरे ९ इंच के लंड पर फ़िदा हैं. जब भी मौका मिलता है, दोनों मुझसे मरवाने आ जातीं हैं.

एक दिन मुझे रीना की गांड मारते हुए देख कर मेरी मामी ने बड़े आश्चर्य से पूछा कि मेरा इतना बड़ा लंड वह कैसे अपनी संकरी गांड में लेती है. मेरी मामी ने मेरा ९ इंच का लवड़ा रीना की गांड में जाते हुए देखा. रीना बोली कि दर्द तो होता है पर मस्त मोटे लंड से गांड मराने में मजा भी बहुत आता है. कमल मामी ने भी कई बार गांड मराई थी पर छोटे लंडों से. मेरे मामा भी हमेशा उसकी गांड मारते थे पर अपने ५ इंच के बचकाने लंड से.

रीना बोली "कमल तू घबरा मत देख कितनी आसानी से शेरु का हलब्बी लंड मेरी गांड में जा रहा है. सिर्फ़ थूक लगा कर डाला है इसने. तू तो पहले भी गांड मरवा चुकी है फ़िर क्यों डरती है?"

कमल ने जवाब दिया "हाय तू इतना मोटा लंड कैसे खा रही है अपनी कसी गांड में, मेरी तो देख कर ही फटी जा रही है".

दोनों सहेलियां बातें कर रही थीं और मैं रीना की गांड में अपना ९ इंच का लंड जोर जोर से पेल रहा था. पूरा लंड पिस्टन की तरह उसकी गांड में अंदर बाहर हो रहा था. रीना सिसक सिसक कर कह रही थी "ऒह, आह, मर गयी, गांड फट गयी मेरी, धीरे धीरे डालो राजा".

मेरी मामी हमारे पास बैठ कर अपनी सहेली की टाइट गांड की चुदाई देख रही थी. एक बार वह मुझसे चुद चुकी थी. पर रीना को गांड मराते देख कर वह फिर से गरम होने लगी और झांटें शेव की हुई अपनी चिकनी चूत से खेलने लगी. वह बुरी तरह से अपनी बुर में उंगली अन्दर बाहर करते हुए मुठ्ठ मारने लगी. मैं उसके पपीते जैसे बड़े बड़े स्तनों से खेल रहा था.

मैं बोला "मामी जब तुम गांड चुदवा चुकी हो तब क्यों डर रही हो, रीना भी पहले डरती थी लेकिन अब देखो कितने प्यार से चुदवा रही है. आज तुम मुझे भी अपनी मस्त गांड का मजा दे दो, बहुत प्यार से डालूंगा लौड़ा, तेल या क्रीम लगा कर चोदूंगा, आराम से चला जायेगा, तुम्हारी गांड तो मामाजी का लंड खा ही चुकी है, थोड़ा सा ही मेरा और मोटा और लंबा है".

कमल घबराई "ना बाबा ना, तुम्हारा गधे जैसा लंड मेरी नाज़ुक गांड फाड़ डालेगा, मेरी तो चूत ही फट कर रह जाती है, गांड के तो चिथड़े उड़ जायेंगे, माफ़ करो मुझे, रीना से ही मजा ले लो खूब."

रीना जो अपनी गांड की मांसपेशियों को सिकोड़ सिकोड़ कर मेरे लंड को मजा ले ले कर दुह रही थी, बोली "शेरू, तुम आज कमल की गांड जरूर मारना, बहुत बनती है साली, अपना पूरा लौड़ा डाल के इसकी फाड़ देना, अगर ना गांड चुदवाये तो आज इसकी चूत भी मत चोदना, तुम्हे मेरी कसम".

मैने रीना की गांड में से लंड निकाला और मामी को बोला "देख कमल रानी, कितनी आसानी से रीना की गांड में मैं अपना पूरा लंड पेलता हूं".

मैंने रीना के दोनों मस्त चूतड़ पकड़ कर उन्हें अलग अलग किया और उसका गुलाबी छेद मामी को दिखाया. कमल मामी उसे देख कर मस्ती में अपनी बुर रगड़ने लगी. फ़िर मैंने अपना बुरी तरह सूजा हुआ सुपाड़ा गांड के छेद पर रखा. रीना सांस रोक कर मेरे धक्के का इन्तजार कर रही थी.

एक धक्के में मैंने आधा लंड रीना की कसी हुई गांड में उतार दिया और फ़िर दूसरे जोरदार धक्के से मेरा पूरा फ़नफ़नाया लंड उसके चूतड़ों के बीच गड़ गया. मेरा वृक्क उसके चूतड़ों को छू रहा था. रीना सिर्फ़ प्यार से हुमक कर बोली "हाय, धीरे से, राजा".

मैं मामी से बोला "देखा तुमने, कितनी आसानी से पूरा लंड चला गया रीना की गांड मैं"

मामी चकरा गई "सचमुच, ताज्जुब है, लगता है, रीना तू शेरू से पहले भी गांड मरवा चुकी है, तभी तो तेरी गांड में आसानी से इसका लंड चला गया, बोल मैं ठीक कह रही हूं कि नहीं"
 
रीना मान गई "अब तुझसे क्या छुपाना, मैं तो शेरु से १० - १२ बार गांड चुदवा चुकी हूं अपने घर में, पहली २ - ३ बार तो जरूर दर्द हुआ था लेकिन अब तो मजा आता है, तू भी आज चुदवा ले, शेरु का दिल रख ले मेरी जान."

"अच्छा तू मुझ से छुप कर चुदती रही मेरे भांजे से और शेरु, तुमने भी मुझसे छुपाया, बहुत हरामी हो साले गांडू, क्या तुझे रीना की चूत और गांड ज़्यादा पसन्द है, बोलो?" कमल मामी चिढ़ कर बोली.

मैंने उसे समझाते हुए उसका चुम्मा लिया और कहा "नहीं मेरी कमल मामी डार्लिंग, आप तो मेरा पहला प्यार हो, आप की ही वजह से मुझे रीना की चुदाई का मौका मिला, जो बात तुम्हारी चूत में है वोह किसी में नहीं, लेकिन क्यों कि रीना की भी मैं बार बार चोद रहा हूं इस लिये इसकी भी चूत और गांड से मुझे प्यार है".

रीना नाराज़ होकर अपनी गांड में से मेरा लंड निकालने की कोशिश करने लगी. "अच्छा साले गांड मेरी चोद रहे हो और तारीफ़ कमल की कर रहे हो, निकालो मेरी गांड से लंड और कमल की ही चोदो, मैं अब कभी भी अपनी गांड का मजा तुम्हें नहीं दूंगी".

मैंने अपना लंड उसकी गांड में घुसाये रखा और कहा "तुम दोनों से मुझे बराबर प्यार है, लेकिन क्योंकि कमल मेरे मामीजी है. इस लिये उनका हक़ ज़्यादा है, बोलो ठीक है? बस अब रीना मेरी जान प्यार से गांड का मजा दे दो, कुछ ही देर में मैं झड़ जाऊंगा"

रीना मेरे साथ साथ झड़ने को जोर जोर से मुट्ठ मारने लगी. कमल मामी ने कहा "शेरु, तुम अपना लौड़ा गांड से निकाल कर रीना की चूत में डाल दो तो उसकी भी आग बुझ जायेगी, देखो बिचारी खुद ही उंगली डाल कर कर रही है" कहते कहते कमल भी खुद अपनी बुर से खेल रही थी और उंगली अन्दर बाहर कर रही थी. उसकी बुर से पानी बह रहा था.

मैं मामी के उरोजों के निपलों से खेल रहा था जो खड़े होकर एकदम कड़े हो गये थे. मैं साथ साथ रीना की गांड में भी अपना लंड अन्दर बाहर कर रहा था और वह उसे अपने गुदाद्वार से जकड़ कर पकड़े हुई थी.

मैंने कमल से कहा "नहीं, आज तो मैं अपना माल इसकी गांड में ही निकालूंगा, चूत को एक बार फिर चोदूंगा, आज रीना ने मुझे बहुत मजा दिया है, आज मैं इसे खुश कर दूंगा, बहुत प्यारी है इसकी कसी गांड, मेरा लंड मस्त हो गया है, कमल मामी आज तुम भी गांड चुदवा लो, बहुत प्यार से डालूंगा अपना लंड, तुम्हें कुछ भी नहीं होगा, रीना तुम्हें मदद करेगी"

रीना की चूत अब बुरी तरह से चू रही थी, रस अब टपकने लगा था और अपने चूतड़ अब खुद ही मेरे लंड पर पटक पटक कर वह गांड मरा रही थी. चुदासी से मादक सिसकारियां भरती हुई वह बोली "हां कमल, तुम डरो नहीं, मैं तुम्हारी पूरी मदद करूंगी, तुम्हारी गांड को तैयार करूंगी, लंड पर तेल लगाऊंगी, तुम्हारी गांड को चिकना करूंगी, शेरु तुम्हारी गांड को प्यार करेगा, उसे चाटेगा, चूमेगा, चूसेगा, अन्दर जीभ डालेगा, तुम्हारी गांड खुद लंड मांगने लगेगी"

कमल भी अब तक गांड मराने के लिये आतुर हो चुकी थी. "ठीक है, अगर तुम लोग इतना ही चाहते हो कि मेरी गांड फट जाये, शेरु का मोटा लंड खा कर, तो मैं भी तैयार हूं, शेरु को हर ढंग से खुश रखना है, बोलो मेरे चोदू भांजे, ठीक है ना?" कमल ने मुझे चूमते हुए कहा.

मैं बोला "थैंक्स मेरी प्यारी मामी".

रीना की गांड में जोर जोर से चलते हुए मेरे लंड को मामी ने जड़ पर पकड़ा और जबरदस्ती खींच कर रीना की मस्त हुई गांड के बाहर निकाल लिया. मैं बस झड़ने ही वाला था इसलिये रीना गुस्से से चिल्लायी "कमल, साली, लंड क्यों निकाल लिया, क्या तू अपनी गांड मे लेगी, सच बहुत मज़ा आ रहा है, तू बाद में चुदा लेना, मेरी गांड की प्यास बुझ जाने दे, शेरु, हाय डालो ना, मेरी चूत तो झड़ चुकी है"

कमल मेरा तन्नाया लंड रीना की गांड में घुसता देखने के लिये बेचैन थी. उसने अपने हाथों से उसके चूतड़ कस कर फैलाये जिससे उसका गुदाद्वार पूरा खुल गया. मेरा लंड पकड़कर सुपाड़ा रीना के गांड के छेद पर रखा और बोली "चल शेरु, एक ही धक्के में पूरा डाल दो इसकी गांड में, बड़ी चुदक्कड़ बन रही है साली, फाड़ दो इसकी गांड का छेद मादरचोद की गांड मार मार कर".

मैंने उसका कहा मान कर एक जोरदार झटके में अपना पूरा ९ इंच का लौड़ा रीना की कसी हुई गांड में उतार दिया. रीना चिल्ला उठी "मर गयी रे, कमल तुमने मेरी गांड फड़वा डी, मैं भी तुम्हारी आज फड़वा कर रहूंगी" मैं इतना अधीर हो गया था कि दस बारा धक्कों में झड़ गया और मेरा वीर्य रीना की गांड मे स्खलित हो गया. उसकी गांड मेरे लंड को मानों गाय के थनों जैसा दुह रही थी.


पूरा झड़ने के बाद मैनें रीना की गांड में से लंड बाहर खींच लिया. उस टाइट गांड में से निकलते हुए लंड ने पुक्क की आवाज की. मामी अपनी सहेली की गांड की चुदाई देख कर एकदम कामातुर हो गयी थी. उसने मेरा झड़ा हुआ लंड हाथ में लेकर मुठियाना चालू कर दिया जिससे वह जल्दी खड़ा हो जाये. रीना आंखें बन्द कर के अपनी चुदाई और गांड मरवाई का आनन्द लेती हुई आराम से पड़ी हुई थी. उसके दोनों गुप्तांग तृप्त हो गये थे.
 
मेरी मामी की चूत बुरी तरह से गीली हो गयी थी और चूचुक तन्ना कर खड़े हो गये थे. वह एक जबरदस्त चुदाई के लिये मरी जा रही थी और मुझसे बोली "शेरु तूने तो आज रीना की गांड फाड़ कर रख दी, तुम लोगों की चुदाई देख कर मेरा भी मन कर रहा है जल्दी से लंड खड़ा कर के मेरी चूत की आग बुझा दो मेरे राजा"

मेरा लंड अभी खड़ा नहीं हुआ था इसलिये मैं बोला "देखो रानी, अभी तो मैंने रीना की गांड मारी है, लंड बिलकुल मुरझा गया है, कुछ रेस्ट करने के बाद ही चोद सकूंगा, तुम ऐसा करो, किचन से हम लोगों के लिये एक एक ग्लास दूध लाओ, फिर कुछ दम आयेगा".

कमल मामी बोली, "ऒके, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी". वह बिस्तर से उतरकर जब किचन में जा रही थी तो पीछे से उसके मस्त भारी भरकम तरबूज से नितंब देखकर मेरे मुंह में पानी भर आया. वह चलते चलते अपने चूतड़ जान बूझ कर मटका रही थी. मैं अब उसकी गांड मारने के लिये पूरी तरह से आतुर था.

यहां रीना भी उठ बैठी थी और पूछने लगी "अरे यार तुमने आज मेरी गांड फाड़ कर रख दी, वह साली, तुम्हारी मामी कहां गयी, उसकी गांड आज तुम जरूर फाड़ना, साली, भोसड़ीवाली ने मेरी गांड में तुम्हारा लंड पिलवाया, मैं भी उसकी गांड चुदवाने में तुम्हारी मदद करूंगी, तुम पहले गांड ही चोदना".

रीना मेरे लंड को प्यार से सहलाने लगी और अब वह धीरे धीरे खड़ा होने लगा तो उसने झुककर मेरे लंड को बड़े लाड़ से चूम लिया.

मैने रीना के मांसल स्तनों को चूमते हुए कहा "रीना मेरी जान आज तुमने बहुत मज़ा दिया, थैंक्स, मैं एक बार तुम्हारी चूत फिर चोदूंगा"

कमल तब तक तीन गिलास दूध लेकर वापस आ गयी थी "हाय रीना तुम जाग गयी, अब मेरी चांस है, मैं अपने शेरु का लंड तैयार करूंगी, लो तुम लोग दूध पीलो"

रीना ने बड़ी शरारत से उससे पूछा "कमला क्या तुमने शेरु को कभी अपना दूध पिलाया है?". कमला बोली "नहीं तो, मेरी चूची से दूध कहां निकलता है, क्या तूने पिलाया है अपना दूध साली, बोल?"

रीना अपना बड़ा मम्मा एक हाथ में पकड़कर बोली "ला मुझे दूध का गिलास दे, मैं अपनी चूची इस में डुबो कर शेरू को पिलाऊंगी, बिलकुल ऐसा लगेगा कि चूची से ही दूध निकल रहा है"

कमला बोली "वाह तेरे दिमाग में भी खूब आइडिया रहते हैं, बड़ी चुदक्कड़ है तू, चुदाई के सारे गुण जानती है तू".

फ़िर रीना ने कमल मामी से दूध का गिलास लिया और अपनी चूची उसमें डुबो दी. आधी चूची गिलास में समा गयी. दो मिनट रखने के बाद जब स्तन निकाला तो वह दूध में डूबा हुआ

रीना बोली "शेरू अब तुम मेरी चूची चूसो और चाटो, तुम्हे बहुत मज़ा आयेगा". मुझे भी उसकी चूची चाटने का ख्याल मस्त लगा. मैंने पहले रीना की चूची चाटी और फ़िर उसके निपल को चूस कर सारा दूध पी गया. उसका निपल भी एक छोटे लवड़े जैसा खड़ा हो गया था.

कमल इस कामकर्म को देख कर खुश हो रही थी. मैं बोला "मज़ा आगया, तुम्हारी चूची चूस कर, ऐसा लग रहा था कि जैसे इसी से दूध निकल रहा है".

इस बीच कमल मामी ने मेरा लंड चाटना शुरू कर दिया. वह आधा खड़ा था और रीना मेरे वृक्क को चाट चाट कर लंड और खड़ा कर रही थी. मैं रीना की बड़ी बड़ी चूचियों से खेल रहा था.

रीना बोली "कमल, तू आज शेरू के लंड का दूध पियेगी".

"लंड का दूध, वह कैसे?"

"जिस तरह से मैंने अपनी चूची का दूध शेरू को पिलाया है, वैसे ही तूभी इसके लंड को दूध में डुबो कर चाट, मज़ा आ जायेगा"

कमल बोली "आइडिया तो अच्छा है".

कमल ने फ़िर मेरा अधखड़ा लंड हाथ में लेकर दूध के गिलास में डुबोया. फ़िर मेरा लौड़ा मुंह में लेकर चूस चूस कर दूध पीने लगी. इस मस्त चुसायी से मेरा लंड फ़िर खड़ा हो गया. रीना ने भी ऐसा ही किया और इन दोनों चुदैल औरतों ने मिलकर कुछ ही देर में मेरा लंड पूरा ९ इंच का तन्नाकर खड़ा कर दिया

"अब मेरा लंड पूरी तरह मस्त हो गया है, बोलो कौन चुदायेगा" मैंने दोनों चुदासी रन्डियों से पूछा.
 
कमल मामी जो कब से मुझे उसकी सहेली रीना की गांड मारते हुए देख रही थी, बोली "अब मेरा चांस है, रीना की तुम चोद चुके हो, मेरी चूत बुरी तरह से खुजला रही है, इसकी आग बुझा दो".

रीना बोली "कमल, लेकिन शेरु ने तो मेरी गांड मारी है चूत तो अभी भी लंड की प्यासी है"

मैने अपना लौड़ा हाथ में लेकर प्यारसे मुठियाते हुए कहा "देखो कमल मामी, मैं इसी शर्त पर तुम्हारी चोदूंगा कि पहले तुम्हे मुझे अपनी गांड का मज़ा चखाना होगा, बोलो हो तैयार, वरना मैं रीना से बहुत खुश हूं कि इसने मेरा लौड़ा अपनी गांड में लिया, और खूब मज़ा दिया, उसकी चूत मैं एक बार फिर चोदूंगा"

रीना ने कमला के भारी भरकम नितंबों को थपथपाते हुए कहा "शेरु ठीक ही तो कह रहा है, बेचारे का दिल रख लो, थोड़ा सा दर्द बरदाश्त कर लो, उसका लंड तुम्हारी गांड का प्यासा है" रीना मेरे लंड को पकड़ कर हिलाने लगी.

कमल झल्लाई "तुम दोनों मेरी गांड के पीछे पड़े हो, अगर ऐसी ही बात है तो मैं अपने शेरु के लिये सब कुछ करने के लिये तैय्यार हूं, अब चाहे गांड ही फट जाये, मैं जरूर गांड चुदवाऊंगी, लेकिन मेरी एक शर्त है कि पहले शेरू मेरी गांड को प्यार करके मस्त करेगा, फिर अपना मूसल जैसा मोटा लंड मेरी टाइट गांड में पेलेगा"

अपनी सगी मामी की गांड उसीकी सहेली के सामने मारने मिलेगी इस खुशी में मैं पागल हो उठा. मुझे चोदने के लिये गांड को तैयार करना खूब अच्छी तरह से आता था.

रीना ने प्यार से अपनी सहेली से कहा "कमल तू फ़िकर मत कर, शेरु बहुत प्यार से गांड को लंड खाने के लिये तैयार करता है. तुम्हारी गांड खुद लंड मांगने लगेगी. मैं भी तुम्हारी मदद करूंगी, अब तू पेट के बल बिस्तर पर लेट जा, मैं और शेरू तेरी गांड को प्यार करेंगे."

कमल रीना का कहा मानकर बिस्तर पर लेट गयी. उसकी गोरी मस्त गांड हवा में ऊपर उठी थी. मैं उस प्यारी गांड को देखकर मचल उठा. मामी की गांड रीना की गांड से भी बड़ी थी. मक्खन जैसी चिकनी और सफ़ेद गोरी गांड में गुलाबी भूरे रंग का सकरा गुदाद्वार था. मामी की गांड में मैंने चोदते समय कई बार उंगली की थी इसलिये मुझे पता था कि वह कितनी टाइट है.

रीना बोली "कमल, शेरू आज तुम्हे घायल करके छोड़ेगा, लेकिन तुम्हें इसके लंड से चुदा कर मज़ा भी आयेगा, बहुत प्यार से गांड चोदता है, तुम तो देख ही चुकी हो".

रीना और मैं दोनो मामी के चूतड़ों से खेलने लगे. एक नयी गांड मिलने के जोश में मेरा लंड मस्त तन्ना कर खड़ा हो गया था. रीना ने कमल की गांड फ़ैलायी और मुझे उसका चुम्मा लेनेको कहा. मैंने रीना की गांड बहुत बार चूमी और चाटी थी. इसलिये वैसेही मामी की गांड का छेद चूसने और चाटने लगा. कमल आनंद और वासना से चिल्ला रही थी.

इतना छोटा और टाइट छेद था कि मेरा मोटा ताजा लंड उसमे कैसे जायेगा यह मैं सोचने लगा. पर फ़िर याद आया कि रीना की भी गांड पहले ऐसे ही टाइट थी और मैंने उसे तेल, घी और क्रीम लगा कर काफ़ी चोदा था. कई बार तो मैं चाट चाट कर अपनी लार से ही उसे चिकना कर के मारता था.

कमल अब चुदासी से सिसक रही थी "हाय, मर गयी, बहुत मज़ा आ रहा है, मेरी गांड मस्त हो गयी है, अब राजा चोदो इसको, अपना मूसल मेरी गांड में डाल कर फाड दो साली को, मैं तैयार हूं, गांड फड़वाने के लिये."

रीना मेरे लंड से खेलती हुई बोली "शेरु सचमुच बेचारी की गांड पूरी तरह मस्त हो गयी है, अब इसकी चोद दो, बोलो कमल रानी, शेरु का लंड कैसे खाओगी अपनी गांड में, तेल लगवा कर, क्रीम लगवा कर या सूखा ही लोगी"

रीना ने कमल की गांड अपने हाथों से चौड़ी की. कमल चिल्ला उठी "हाय रानी सूखा लंड पिलवा कर क्या मेरी गांड फड़वा डालोगी? तू जा ड्रेसिंग टेबल से क्रीम उठा ला और मेरी गांड और शेरु के लंड को खूब चिकना कर दे ताकि इसका मोटा हथियार मेरी गांड में आसानी से जा सके".

रीना जल्दी से ड्रेसिंग टेबल से क्रीम ले आयी. उसकी भी चूत अब मस्ती से टपक रही थी और चूचियों के निपल सूज कर खड़े हो गये थे. अपनी सहेली की गांड का शीलभंग देखने को वह आतुर थी.

मैने मामी से पूछा "किस पोजीशन में चुदवाओगी अपनी गांड मेरी रानी मामीजी"

कमल सहम कर बोली "मैं तो पहली बार गांड मरवा रही हूं, जिस आसन में आसानी से लंड गांड में चला जाये उसी में चोदो, मुझे तो बहुत डर लग रहा है, आज तुम्हारा लंड बहुत खतरनाक लग रहा है, मेरी गांड फाड़ कर ही छोडेगा साला"

रीना उसे प्यार से चूमती हुई बोली "रानी तू ऐसे ही पड़ी रह, मैं तेरे चूतड़ फैला दूंगी फिर यह मोटा लंड तेरी गांड मे आसानी से चला जायेगा"

रीना ने मेरे लंड को अपने हाथ से खूब क्रीम लगायी और मामी की गांड मारने के लालचसे मेरा लंड उछलने लगा. रीना ने अपनी उंगली पर क्रीम लेकर उसे कमल की गांड में घुसेड़ दिया.

कमल चीख उठी "हाय रीना मर गयी, धीरे से रानी"

मेरा लंड लोहे जैसा कड़क था और सारी नसें सूजकर फ़ूल गयी थीं. लाल सुपाड़ा एक बड़े टमाटर जैसा लग रहा था. मेरा लंड ऊपर की तरफ़ बहुत मोटा है और इसलिये औरतों को उसे अंदर लेने में पहली बार बहुत दर्द होता है. मामी मेरे इस लंड को अपने इतने से गुदा में कैसे लेगी यह मैं सोच रहा था.

पहली बार जब रीना की गांड मैंने मारी थी तो वह दर्द से रो दी थी. बाद में आदत होने पर उसे मजा आने लगा और फ़िर उसे मुझसे गांड मराने की लत ही पड़ गयी थी. रीना ने जब मेरा लंड पकड़ कर कमल के खिंचे हुए गुदापर रखा तो मामी भी दर्द की आशंकासे घबरा गयी. अपनी गांड खुद की अपने हाथोंसे और फ़ैलाते हुए बोली "राजा, धीरे से डालना अपना मूसल, बहुत नाजुक है मेरी गांड, कहीं फट ना जाये"

मैं बोला "घबराओ मत रानी हम तुम्हारे दुश्मन नहीं हैं, बस शुरू मे थोड़ा दर्द होगा बाद में जन्नत का मज़ा आयेगा"

रीना बोली "हां कमल तू एक बार गांड मरवा ले फिर देख इसमें कितना मज़ा आता है, तू रोज़ शेरू से गांड मरवायेगी, बहुत प्यार से चोदता है गांड, कसम से मज़ा आ जाता है, बस ऐसे ही गांड फैलाये रह, चल शेरु अब अपनी मामी की गांड के छेद पर लंड का एक धीरे से धक्का मार, लंड और गांड दोनो चिकने हैं आसानी से लंड अन्दर चला जायेगा"

रीना ने मेरा लंड पकड़ कर कमल के छेद पर जमाया और मैंने धीरे से एक धक्का मारा. लंड साला फ़िसलकर उसकी चूत में चला गया. मैंने लंड बुरसे निकाल कर फ़िर जमाकर ठीक से पेला और वह पुक्क की आवाज से कमल की गांड में समा गया.
 
कमल दर्द से चिल्लायी "हाय मर गयी, फट गयी मेरी गांड, निकाल लो राजा, मर जाऊंगी, मैं नहीं गांड चुदवा पाऊंगी"

रीना अभी भी मेरे लंड को पकड़े हुए थी "डर मत मेरी जान, बस थोड़ा सा दर्द बरदाश्त कर ले, चल शेरु अब और पेल अपना लौड़ा"

मैं बोला "रीना, सचमुच मामी की गांड बहुत टाइट है मेरा लंड भी दर्द कर रहा है, मैं लंड निकाल लेता हूं, तू और क्रीम लगा दे इस पर".

रीना ने अब मुझे डांट कर कहा "तू फिकर मत कर बस और थोड़ा पेल, बाद में क्रीम लगवाना"

उसने खुदही जबरदस्ती मेरा लंड गांड में और घुसेड़ दिया. मैंने भी दो धक्के लगाये तो आधा लंड मामी की गांड में घुस गया. उसकी गांड सच में बहुत टाइट थी, उसकी गांड की पेशियां मेरे लंड को कस कर पकड़े हुए थीं. कमल कराह कर मुझे अपना लंड निकाल लेने को कह रही थी और रीना मुझे कमल की गांड फ़ाड़ देने को उकसा रही थी. मैंने आखिर अपना लंड बाहर निकाल लिया. वह कमल की गांड की गरमी से सूज गया था और सारी क्रीम भी सूख गयी थी.

रीना बोली "क्या हुआ राजा निकाल क्यों लिया, चोदो ना अपनी मामी की गांड, पेल दो पूरा लंड एक धक्के में".

कमल दर्द से कराहती हुई बोली "हाय रीना तू तो मेरी गांड फड़वा कर ही मानेगी आज, आधा लंड खाने से ही मेरी गांड फट गयी, अब मैं और नहीं चुदवा सकती, गांड के बदले चूत चोद लो, खूब चाहो तो उसे फाड़ ही डालो" कमल मेरे लंड को अब डरी आंखों से देख रही थी पर मुझे तो मामी की टाइट गांड का अनुभव मदहोश कर रहा था.

मैं बोला "रानी आज तो मैं गांड ही मारूंगा, चूत तो बाद मे चोद लूंगा, आज तेरी मस्त गांड का ही मलीदा निकालूंगा, चल रीना लंड पर कुछ और क्रीम लगा दे फिर मैं इसकी गांड में लंड पेलूं"

रीना ने अपनी हथेलियों से मेरे पूरे लंड पर और खास कर फ़ूले हुए सुपाड़े पर खूब क्रीम लगाई. मैंने फ़िर से सुपाड़ा कमल मामी के गुदाद्वार पर रख कर जोर से घुसेड़ा. इस बार सट से आधा लंड उसकी गांड में घुस गया. मैं आधे लंड से ही उसकी गांड मारने लगा.

रीना कमल के चूतड़ों को फ़ैलाती हुई बड़ी उत्सुकता से यह गांड चुदाई देख रही थी. वह बोली "पेल दो राजा पूरा, अब पूरा लंड डाल कर चोदो इस साली की गांड, साली गांडू जब मेरी चुद रही थी तो बहुत मज़ा ले रही थी"

कमल अब दर्द से बिलबिला रही थी "हाय राम मर गयी, फट गयी मेरी गांड, बस करो, बहुत दुखता है" मैंने उसके रोने की परवाह न करते हुए अपना पूरा लंड जड़ तक उसके चूतड़ों के बीच उतार दिया. टाइट छेद में क्रीम लगी होने के बावजूद बड़ी मुश्किल से लंड अन्दर गया. मेरी गोटियां अब मामी के मुलायम नितंबों से टकरा रही थीं.

कमल फ़िर रोई "हाय शेर बेटे, तुमने आज मार डाला, फट गयी है मेरी गांड, देखो क्या खून तो नहीं निकला, हाय बहुत दर्द हो रहा है, अब बस करो मेरी जान"

रीना उसके चूतड़ों को सहलाती हुई बोली "अब तो रानी तूने पूरा लौड़ा खा लिया है, घबरा मत, बस थोड़ा बरदाश्त करले, फिर तुझे खूब मज़ा आयेगा".

मेरा पूरा ९ इंच लंबा लंड मामी की टाइट गांड में था. मैंने चोदते हुए उसे धाड़स बंधाया. "मामी तुम डरो मत, पूरा लंड तो आसानी से गांड मे चला गया है, बस अब प्यार से चुदवा लो, रीना अब तू इसे बता कि गांड मराने का मज़ा कैसे लिया जाता है"

कमल ने अपने हाथ से अपनी गांड के छेद को टटोला कि मेरा लंड कितना अंदर गया है और जब देखा कि जड़ तक वह अंदर गड़ा हुआ है तो वह कुछ शांत हुई. रीना को तो अपनी सहेली की गांड चुदती देख बड़ा मजा आ रहा था

रीना बोली "हां मेरी रानी जिस तरह से चूत चुदाने की कई स्टाइल हैं वैसे ही गांड चुदाने की भी बहुत स्टाइलें हैं जिससे भरपूर मज़ा लिया जा सकता है"

कमल बोली "यार रीना, तुम्हें मस्ती की पड़ी है, मेरी गांड फटी जा रही है, शेर का लौड़ा खा कर, अब निकाल ले मेरे राजा बस कर"

मैं बोला "मामी तुम बिना बात के डर रही हो चूत और गांड लंड के हिसाब से फैल जाती हैं, अब जैसे रीना कह रही है वैसे कर के गांड चुदाई का मज़ा लो"

रीना ने भी उसे समझाया "कमला रानी, अब पूरा लंड खा चुकी हो अब प्यार से चुदवा लो, ऐसा करो कि जब शेरु लंड अन्दर पेले तब गांड को ढीला छोड़ दो और जब लंड बाहर निकाले तो गांड को टाइट कर लो अपने मस्ताने चूतड़ खूब सिकोड लो, सच बहुत मज़ा आयेगा तुझे, तेरी गांड चुदते देख मेरा भी मन चुदने को हो रहा है, शेरू का लौड़ा तो तेरी गांड में है, बोल शेरु मुझे कैसे चोदेगा"

मैने चोदते चोदते ही जवाब दिया "रीना मेरी जान आज तुमने मामी को गांड मराने के लिये राज़ी किया है, आज जो भी कहोगी करूंगा"

रीना बोली "ठीक है मैं तेरे सामने खडी हो जाती हूं तू मेरी चूत को चूस, चाट चाट कर उसकी मस्ती निकाल दे"

मैं इस डबल मजे के लिये तैयार था. रीना मेरे सामने खड़ी हो गयी और अपनी चूत अपनी उंगलियों से खोल कर उसे मेरे मुंह के पास ले आयी. उसकी खुली गुलाबी चूत का मैंने चुम्मा लिया और चूसने लगा.
 
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