hotaks444
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हमारी सामूहिक चुदाई अब पूरे जोर में चलने लगी. प्रीति को मैं हर दिन एक बार जरूर चोदता पर उसकी गांड फ़िर नहीं मारी. चाची की मारकर संतोष कर लेता था.
वैसे अगर चाहता तो चाची की सहायता से उस कमसिन युवती को दबोच कर कभी भी उसके चूतड़ों में अपना लंड गाड़ सकता था पर अब मेरे मन में एक बड़ी मादक चाहत थी और वह थी प्रीति की कमसिन कोमल गांड में चाचाजी का मूसल घुसते देखना. जितनी सकरी गांड होगी उतना चाचाजी को मजा आयेगा, यह मुझे मालूम था इसलिये प्रीति की गांड को आराम देकर उसे फ़िर सिकुड़ने का पूरा मौका मैंने दिया.
चाची को भी मैंने मेरा प्लान बता दिया था. वे भी मेरा प्लान सुनकर बहुत खुश हुईं. "अरे मजा आयेगा! तेरे छह इंची लंड ने इसकी यह हालत की तो इनका लंड तो इसको दो में चीर देगा."
---
चाचाजी के लौटने के एक दिन पहले धीरे धीरे चाची ने प्रीति को सारी कहानी बता दी. कैसे मैंने उन्हें रिझाया और गे होते हुए भी अपनी पत्नी की ओर फ़िर उनका आकर्षण बढ़ाकर उसे चोदने में उनकी सहायता की और कैसे इसके इनाम स्वरूप चाचाजी को भी आखिर अपने भतीजे की कुंवारी गांड मारने का अवसर प्राप्त हुआ.
चाची ने मेरे नारी रूप और मेरे और चाचाजी के हनीमून के बारे में भी बताया. सुनकर वह चुदैल लड़की तैश में आ गयी. अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करती हुई पूछने लगी कि अब जब चाचाजी आयेंगे तो क्या हम सब मिलकर एक ग्रूप में चुदाई करेंगे? वह चाचाजी को मेरी गांड मारते हुए देखना चाहती थी. अपनी मस्ती में वह यह भूल गयी थी कि उसका क्या हाल हो सकता है!
चाची ने उसकी बात सुनकर कहा कि हां ऐसा हो सकता है, चाचाजी को प्रीति को भी शामिल करने के लिये तैयार करना पड़ेगा. वैसे हमें मालूम था कि चाचाजी तो इस मिठाई के टूकड़े को देखकर उछल पड़ेंगे.
जब मैंने चाचाजी के लंड की साइज़ बयान की और यह बताया कि गांड मरवाते हुए मेरी क्या हालत हुई थी तब प्रीति घबरा गई. मेरे छह इंची लंड से चुदते और गांड मराते हुए उसकी जो हालत हुई थी वह उसे याद आते ही उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. पर उस मतवाले लंड की कल्पना से उसकी चूत भी पसीज रही थी यह साफ़ था. हमने उसे झूट मूट कह कर समझा दिया कि उसकी गांड नहीं मारी जायेगी.
चाचाजी हफ़्ते भर बाद वापस आये तो प्रीति को घर में देखकर थोड़े हैरान हुए. उसके सामने चुदाई कैसे करेंगे यह सोच रहे होंगे. मेरे ऊपर चढ़ने को वे आतुर थे. फ़िर अकेले में चाचीने उनके कान में कुछ कहा तो बोले. "नहीं नहीं, मैं उस बच्ची को नहीं चोदूंगा. फुकला हो जायेगी उसकी चूत. फ़िर कोई शादी नहीं करेगा. हां उसकी नरम नरम गांड मारने मिले तो क्या बात है."
मेरे और चाचाजी के हनीमून की याद अभी उनके दिमाग में ताजी थी. वे मुझे अकेले में ले जाकर वैसे ही बेरहमी से चोदना चाहते थे पर चाचीने मना कर दिया. बोलीं. "अब तो तुम घर में ही हो महना भर, अनिल कहां भागा जाता है. हां इस बच्ची को चोद लो आज़ उसके फुकला होने की परवाह न करो. उसे कहां बाहर शादी करनी है. बड़ी होने पर मैं तो अनिल से ही उसकी शादी करवा दूंगी, फ़िर माल घर में ही आ जायेगा."
फ़िर उसने चाचाजी को बताया कि कैसे रुला रुला कर मैंने चाची की मदद से प्रीति के दोनों छेद चोदे थे. सुनकर चाचाजी तैश में आ गये. चाची से बोले. "चलो, मैं उसकी गांड मारता हूं. चूत तो अब मैं सिर्फ तुम्हारी चोदूंगा रानी. तुम्हारी गांड भी मारा करूंगा. पर अब तो मैं अनिल की गांड का पुजारी हूं. साथ में इस लड़की की भी मार लिया करूगा. पर अनिल को आज फ़िर वैसे ही लड़की जैसा सजाओ जैसा उस दिन सजाया था. उसे देखकर मेरा ऐसा खड़ा होता है कि कह नहीं सकता. फ़िर उसे लंड से प्रीति की गांड मारूंगा. बड़ा मजा आयेगा उस जवान कन्या का शिकार करने में."
शाम हो गई थी इसलिये थोड़े चुंबनों के अलावा हमने कुछ नहीं किया. चाचाजी भी थक गये थे इसलिये नहाकर सो गये. देर रात चाची ने उन्हें उठाया और फ़िर खाना खाकर हम सब चाची के कमरे में इकठे हुए.
वैसे अगर चाहता तो चाची की सहायता से उस कमसिन युवती को दबोच कर कभी भी उसके चूतड़ों में अपना लंड गाड़ सकता था पर अब मेरे मन में एक बड़ी मादक चाहत थी और वह थी प्रीति की कमसिन कोमल गांड में चाचाजी का मूसल घुसते देखना. जितनी सकरी गांड होगी उतना चाचाजी को मजा आयेगा, यह मुझे मालूम था इसलिये प्रीति की गांड को आराम देकर उसे फ़िर सिकुड़ने का पूरा मौका मैंने दिया.
चाची को भी मैंने मेरा प्लान बता दिया था. वे भी मेरा प्लान सुनकर बहुत खुश हुईं. "अरे मजा आयेगा! तेरे छह इंची लंड ने इसकी यह हालत की तो इनका लंड तो इसको दो में चीर देगा."
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चाचाजी के लौटने के एक दिन पहले धीरे धीरे चाची ने प्रीति को सारी कहानी बता दी. कैसे मैंने उन्हें रिझाया और गे होते हुए भी अपनी पत्नी की ओर फ़िर उनका आकर्षण बढ़ाकर उसे चोदने में उनकी सहायता की और कैसे इसके इनाम स्वरूप चाचाजी को भी आखिर अपने भतीजे की कुंवारी गांड मारने का अवसर प्राप्त हुआ.
चाची ने मेरे नारी रूप और मेरे और चाचाजी के हनीमून के बारे में भी बताया. सुनकर वह चुदैल लड़की तैश में आ गयी. अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर बाहर करती हुई पूछने लगी कि अब जब चाचाजी आयेंगे तो क्या हम सब मिलकर एक ग्रूप में चुदाई करेंगे? वह चाचाजी को मेरी गांड मारते हुए देखना चाहती थी. अपनी मस्ती में वह यह भूल गयी थी कि उसका क्या हाल हो सकता है!
चाची ने उसकी बात सुनकर कहा कि हां ऐसा हो सकता है, चाचाजी को प्रीति को भी शामिल करने के लिये तैयार करना पड़ेगा. वैसे हमें मालूम था कि चाचाजी तो इस मिठाई के टूकड़े को देखकर उछल पड़ेंगे.
जब मैंने चाचाजी के लंड की साइज़ बयान की और यह बताया कि गांड मरवाते हुए मेरी क्या हालत हुई थी तब प्रीति घबरा गई. मेरे छह इंची लंड से चुदते और गांड मराते हुए उसकी जो हालत हुई थी वह उसे याद आते ही उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. पर उस मतवाले लंड की कल्पना से उसकी चूत भी पसीज रही थी यह साफ़ था. हमने उसे झूट मूट कह कर समझा दिया कि उसकी गांड नहीं मारी जायेगी.
चाचाजी हफ़्ते भर बाद वापस आये तो प्रीति को घर में देखकर थोड़े हैरान हुए. उसके सामने चुदाई कैसे करेंगे यह सोच रहे होंगे. मेरे ऊपर चढ़ने को वे आतुर थे. फ़िर अकेले में चाचीने उनके कान में कुछ कहा तो बोले. "नहीं नहीं, मैं उस बच्ची को नहीं चोदूंगा. फुकला हो जायेगी उसकी चूत. फ़िर कोई शादी नहीं करेगा. हां उसकी नरम नरम गांड मारने मिले तो क्या बात है."
मेरे और चाचाजी के हनीमून की याद अभी उनके दिमाग में ताजी थी. वे मुझे अकेले में ले जाकर वैसे ही बेरहमी से चोदना चाहते थे पर चाचीने मना कर दिया. बोलीं. "अब तो तुम घर में ही हो महना भर, अनिल कहां भागा जाता है. हां इस बच्ची को चोद लो आज़ उसके फुकला होने की परवाह न करो. उसे कहां बाहर शादी करनी है. बड़ी होने पर मैं तो अनिल से ही उसकी शादी करवा दूंगी, फ़िर माल घर में ही आ जायेगा."
फ़िर उसने चाचाजी को बताया कि कैसे रुला रुला कर मैंने चाची की मदद से प्रीति के दोनों छेद चोदे थे. सुनकर चाचाजी तैश में आ गये. चाची से बोले. "चलो, मैं उसकी गांड मारता हूं. चूत तो अब मैं सिर्फ तुम्हारी चोदूंगा रानी. तुम्हारी गांड भी मारा करूंगा. पर अब तो मैं अनिल की गांड का पुजारी हूं. साथ में इस लड़की की भी मार लिया करूगा. पर अनिल को आज फ़िर वैसे ही लड़की जैसा सजाओ जैसा उस दिन सजाया था. उसे देखकर मेरा ऐसा खड़ा होता है कि कह नहीं सकता. फ़िर उसे लंड से प्रीति की गांड मारूंगा. बड़ा मजा आयेगा उस जवान कन्या का शिकार करने में."
शाम हो गई थी इसलिये थोड़े चुंबनों के अलावा हमने कुछ नहीं किया. चाचाजी भी थक गये थे इसलिये नहाकर सो गये. देर रात चाची ने उन्हें उठाया और फ़िर खाना खाकर हम सब चाची के कमरे में इकठे हुए.