Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी - Page 11 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी

मैने हां मे गर्देन हिला दी. मनीष शर्ट पहन कर बाहर निकल गये. मनीष के साथ अमित को ले जाने के पीछे मेरा मकसद सिर्फ़ यही था कि वो अगर यहा रहता तो कोई ना कोई गड़बड़ ज़रूर होती पर इस समय तो मैं मन ही मन सुवर को कोष रही थी. लेकिन अब मैं क्या करूँ. उन दोनो ने सही अंदाज़ा लगा लिया है. बात सामने आएगी तो मनीष को भी समझने मे देर नही लगेगी. मगर मनीष दुस्मनो की बात का विस्वास क्यों करेगा. और अगर मनीष ने उन दोनो की बात को मान लिया तो.. नही नही बात नही सामने आनी चाहिए.
इन दोनो लड़को को कुछ पैसे दे कर मामला निपटाना होगा मुझे. मैने अपना पर्स चेक किया. उसमे दस हज़ार रुपीज़ थे. मैने पर्स उठाया और चुपचाप घर से निकल गयी. अब मुझे सभी की नज़रो से बच कर संजय के घर तक जाना था. मैने घूम कर पिछली गली से जाने फ़ैसला किया. वो अपने घर के पीछले दरवाजे पर ही खड़ा था. मैं जल्दी से अपना चेहरा च्छूपाते हुए उनके घर के पास आ गयी
“क्या बकवास है ये. ये तुमने भेजी थी मुझे.” मैने संजय के घर के दरवाजे पर आ कर उस से कहा.
“बकवास होती ये तो तू यहाँ ना आती.” संजय दरवाजे पर ही खड़े हुए अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
“बकवास बंद करो और तमीज़ से बात करो. तुमसे बहुत बड़ी हूँ उमर मे मैं. तुम्हे स्कूल मे कोई तमीज़ नही सिखाई जाती है ?” मैने गुस्से मे उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“तो तू सीखा दे ना. तू सिखाएगी तो जल्दी सीख जाउन्गा.. अब बाहर खड़े हो कर ही ये मसला हल करेगी या अंदर आ कर ?” वो मेरी तरफ आँख मारते हुए बोला.“तुम्हारे घर वाले कहाँ हैं.” मैने उस से बाहर से ही पहले उसके घर वालो की स्थिति जान ने के लिए पूछा.
“वो 5 दिन के लिए बाहर गये हैं. तुम लोगो ने शादी के नाम पर जो शोर शराबा कर रखा है उस से परेशान हो कर यहा से चले गये.” वो अपना बुरा सा मुँह बनाते हुए बोला.
“बकवास बंद करो.” मैने उसकी बात पे गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा.
“अंदर आ जा.. किसी ने देख लिया तुझे… तो बदनामी तेरी ही होगी. सोच ले” वो अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
मैं दुविधा मे पड़ गयी. क्या मेरा इस घर मे जाना सही होगा ?? मगर मुझे ये किस्सा आज और अभी निपटाना था इस लिए मैं भारी कदमो से अंदर आ गयी. मैं पहले घर मे घुसी और वो बाद मे पीछे से आया.
मेरे घर मे अंदर आते ही उसने तुरंत कुण्डी लगा दी. उसके इस तरह से कुण्डी लगाने से मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.
“अरे कुण्डी क्यों बंद कर रहे हो. खोलो. इस कुण्डी को” मैं घबरा गयी थी और उसी घबराहट मे मेरी आवाज़ भी एक पल के लिए लड़खड़ा गयी.
“मम्मी ने कहा था अकेले रहोगे यहाँ तुम. कुण्डी वग़ैरा बंद ही रखना. तुम फिकर मत करो. वैसे ही लगाई है मैने ये कुण्डी.” वो दरवाजे के पास ही खड़े हो कर अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए बोला.
“क्या चाहते हो तुम मुझसे?” मैने सीधा सीधा मतलब की बात करना सही समझते हुए पूछा.
“रामकुमार आजा यार अब चिड़िया फँस गयी है जाल मे.” संजय ने रामकुमार को आवाज़ लगाई.
संजय की आवाज़ सुन कर वो अंदर से बड़ी बेसरमी से हंसता हुआ बाहर आया. उसके चेहरे पर घिनोनी मुस्कान थी और वो आगे बढ़ता हुआ पॅंट मे तने अपने लिंग को मसल रहा था.
 
“मज़ा आ जाएगा यार अब तो. हम बेकार मे किसी रंडी को बुलाने की सोच रहे थे. ये तो फ्री मे काम हो गया हिहिहीही.” संजय बाहर आते हुए बत्तीसी फाड़ता हुआ बोला.
“ये क्या बकवास कर रहे हो तुम. स्कूल मे यही सब सीखते हो क्या तुम.” मैने उन दोनो पर गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.
“नही ये सब तो हमने खुद सीख लिया. लाइफ मे चूत मारनी भी तो आनी चाहिए क्यों संजय.” रामकुमार ने संजय की तरफ आँख मारते हुए कहा.
“तू हमारी दूसरी चूत है. इस से पहले हम मधुबाला आंटी के ले चुके हैं. हिहीही.” संजय ने भी अपने लिंग को मसल्ते हुवे कहा.
“झूठ बोल रहे हो तुम. वो ऐसी नही है. और अब ये बकवास बंद करो और सीधी तरह बताओ कि क्या चाहते हो तुम”
“बुला लू क्या उसे. तेरे सामने ही मारेंगे साली की भोसड़ी.” संजय ने अपने लिंग को और भी ज़ोर से मसलते हुए कहा.
“तमीज़ से बात करो समझे. साफ साफ बताओ मुझे यहाँ क्यों बुलाया है.” मैने सीधे सीधे दोबारा से अपनी बात उन दोनो से कही.
“तेरी चूत मारनी है हमे और क्या. आराम से देगी तो ठीक है वरना अभी जा कर तेरे पति को सब बता देंगे.” रामकुमार ने भी अपने लिंग को मसलते हुए कहा उसकी नज़ारे किसी भूखे कुत्ते के जैसे मेरी छाती पर जमी हुई थी.
“क्या बता दोगे तुम मनीष को ? क्या जानते हो तुम मेरे बारे मे ?” और किस बात को बताने की धमकी दे रहे हो ?” मैने बिल्कुल अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा.
“झूठ मत बोलो जानेमन. 1 घंटे तक तुम उस कमरे मे रही उस बुढहे मुकेश के साथ. उस पर दरवाजा भी बंद था. बाहर लोग घूम रहे थे फिर भी तुम बाहर नही आई. कुछ तो गड़बड़ है ना. और उस बुढहे के बारे मे कॉन नही जानता है कि वो कितना बड़ा हरामी है. जिस औरत पर उसकी गंदी नज़र पड़ जाए उसकी चूत मारे बागेर उसे चैन नही आता है” संजय ने फिर से अपनी गंदी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
“हान्ं सही कहा भाई.. वो बुड्ढ़ा तो एक नंबर का हरामी है. मधुबाला आंटी की भी तो उसने ली थी. और जब से ये यहाँ आई है वो पागल कुत्ते के जैसे लार टपकाता फिर रहा है तुम्हारे घर मे तुम्हारी चूत मारने के लिए. और आज तो उसे तुमने छत पर बंद कमरे दे भी दी” रामकुमार ने भी संजय की बात पर सहमति जताते हुए कहा.
“हां राम सही कहा. ये उस थर्कि बूढ़े को अपनी चूत दे कर आई है. बेचारी की प्यास मनीष के लंड से नही बुझती है इसलिए उस बुढहे से अपनी चूत मरवा कर अपनी प्यास बुझा रही थी. क्यू सही कहा ना मैने जानेमन यही बात है ना ?” संजय ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.
“बंद करो अपनी बकवास और सॉफ सॉफ बोलो कि क्या चाहते हो तुम.” दोनो बुरी तरह से मेरी इज़्ज़त की धज्जिया उड़ा रहे थे उन दोनो की बात पर मैने चिल्लाते हुए कहा.
“जो उस आदमी को दिया वो हमे दे दो. हम अपनी ज़ुबान बंद रखेंगे.” संजय ने बड़ी गंदी सी नज़रो को मेरी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा.
मैने दोनो की बात सुन कर कहा. “कॉन विस्वास करेगा तुम दोनो की बात का.”
“इसका मतलब हम सही हैं. अरे इसकी भी भोसड़ी ले ली उस थर्कि बूढ़े ने” रामकुमार ने संजय की तरफ इशारा करते हुए कहा.
मैं उन दोनो के मुँह से इतनी गंदी बात सुन कर हैरान हो रही थी इस लिए उन दोनो से बोली “तुम इतनी गंदी बाते कैसे कर सकते हो मेरे साथ.”
“तेरे जैसी गिरी हुई औरत के साथ कैसे बात करें फिर.” इस बार संजय ने भी थोड़ा अकड़ कर बोलते हुए कहा.
“तुझे हमारी बात माननी ही पड़ेगी वरना मनीष को सब बोल देंगे जाकर.” रामकुमार ने इस बार कोई फरमान सा सुना ने वाले अंदाज मे कहा.
मैं क्या सोच कर आई थी और यहाँ पर क्या हो रहा था बात को वापस सही करने के मकसद से मैने उन दोनो को पैसे का लालच देना मुनासिब समझते हुए कहा..“कितने पैसे चाहियें तुम्हे.”

दोनो एक दूसरे की तरफ देखने लगे. स्टूडेंट्स के लिए पैसा बड़ी चीज़ होती है. दोनो की आँखो मे पैसे का लालच सॉफ नज़र आ रहा था. इस से पहले की वो अपनी डिमॅंड रखें मैने कहा, “1000 लो और अपनी ज़ुबान बंद रखो.”
“नही नही 1000 तो बहुत कम हैं” संजय ने मेरे हाथ मे 1000 र्स को देखते हुए कहा.
“देखो मैं इस से ज़्यादा नही दे सकती.”
 
रामकुमार संजय को पकड़ कर एक तरफ ले गया और वो धीरे धीरे कुछ बाते करने लगे. दोनो पैसे की बात आते ही एग्ज़ाइटेड लग रहे थे. मेरा पैंतरा काम कर रहा था. आख़िर स्टूडेंट्स को जेब खर्च मिलता ही कितना है. सिर्फ़ 100 या 50 रुपीज़. उन दोनो के घर की जो हालत थी उसे देखने के बाद तो ये बिल्कुल तय हो गया था कि उन दोनो के लिए 1000 र्स बहुत बड़ी चीज़ थी. दोनो इस ऑफर को स्वीकार करने के मूड मे लग रहे थे. दोनो बात करके मेरे पास आए और बोले, “1000 कम हैं थोड़ा और बढ़ाओ.”
“मैं इतना ही दे सकती हूँ. मंजूर हो तो बोलो.” मैने सकती से कहा.
दोनो फिर से सोच मे पड़ गये. कुछ सोचने के बाद संजय बोला, “ठीक है मंजूर है पर तुम्हे उस कमरे की सारी घटना बतानी पड़ेगी. वरना 1000 मे बात नही बनेगी. उस से अच्छा तो हम तुम्हारी लेना चाहेंगे.”
मेरी समझ मे नही आया कि क्या करू पर उन दोनो से मुझे किसी ना किसी तरह से पीछा च्छुड़वाना ही था इस लिए “ऐसा सोचना भी मत. मैं ऐसा कुछ नही करूँगी. अगर तुम्हे 1000 कम लग रहे है तो मैं तुम्हे और पैसे दे दुगी ”
“ऐसा कुछ नही किया तो उस कमरे मे क्या किया तुमने फिर.” संजय ने मेरा मज़ाक उड़ाते हुए कहा.
पता नही उसके सवाल सुन कर मैने उनसे कहा कि “क…क…कुछ नही हम दोनो बस कुछ ढूंड रहे थे वहाँ.”
“क्या ढूंड रहे थे, हमे भी तो पता चले.” रामकुमार ने अपने चहरे पर हैरानी के झूठे भाव लाते हुए कहा.
“देखो मैं लेट हो रही हूँ. घर मे शादी का माहॉल है. मैं ज़्यादा देर बाहर नही रह सकती.” मैने उन दोनो से अपनी जान छुड़ाने के लिए कहा.
“तो बताओ ना क्या हुआ कमरे मे तुम दोनो के बीच. उसने ली थी ना तेरी.” संजय ने अपने चेहरे पर इस तरह के भाव लाते हुए कि जैसे की वो मेरा बोहोत बड़ा हम दर्द है कहा.
“देखो तुम अपने काम से काम रखो, ये लो 1000 र्स और और अब तुम अपनी ज़ुबान हमेशा के लिए बंद रखोगे” कह कर मैं वहाँ से जाने लगी.क्रमशः................
 
तड़पति जवानी-पार्ट-32

गतान्क से आगे.........तभी रामकुमार ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा कि “ये लो अपने पैसे हम एक भी पैसा नही चाहिए अब तो हम तुम्हरे पति को बताएगे पूरा किस्सा. अगर तुम चाहती हो कि हम कुछ ना बताए तो बताओ उस बूढ़े ने तुम्हारी ली थी ना उस कमरे मे ?”
मरती क्या ना करती मैने हां मे गर्दन हिला दी. “देखा मैं ना कहता था कि मेरा अंदाज़ा सही है.” संजय ने रामकुमार की तरफ देखते हुवे कहा.
“कितना बड़ा था उस बूढ़े का?” रामकुमार ने पूछा.
मैं तो हैरान ही रह गयी उन नयी उमर के लड़को के सीधे सीधे इस तरह से मेरे से सवाल करने के अंदाज को देख कर. मगर मैने अंजान बनाने का नाटक किया, “क्या?”
“लंड कितना बड़ा था बूढ़े का?” रामकुमार ने सॉफ सॉफ पूछ लिया.
“देखो अपने 2000 पाकड़ो मैं जा रही हूँ.” मैने कहा.
“जाओ फिर. 2000 भी रख लो. इतने मे बात नही बनेगी. सिर्फ़ बात ही तो कर रहे हैं हम लोग और तो कुछ नही. कोई और होता तो तेरी चूत लिए बिना नही मानता. सराफ़ात का जमाना ही नही है.” संजय ने गुस्से मे कहा.
बात को बिगड़ता देख मैने बात को संभालने की कोशिस की और उन दोनो से बोली “क्या तुम्हे ये सब जानना ज़रूरी है ?”
“हां ज़रूरी है. देखें तो सही कि क्या बात थी उस बदसूरत से थर्कि बुड्ढे मे कि तुमने उसे अपनी चूत दे दी और अपने पति को धोका दे दिया.” संजय ने अपने चेहरे पर गंभीरता भरे भाव लाते हुए कहा.
मरती क्या ना करती मैने उन दोनो से अपनी जान जल्द से जल्द छुड़ाने के लिए बोलना शुरू किया “सब अंजाने मे हो गया. मैं मनीष को धोका नही देना चाहती थी.” मैने उन्हे पूरी बात बताई कि कैसे पेसाब करने के कारण मैं वहाँ फँस गयी थी.
“जो भी है. क्या उसने ज़बरदस्ती की थी तेरे साथ वहाँ.” रामकुमार ने मेरी पूरी बात सुनने के बाद कहा.
“नही.” पता नही क्यू मेरे मुँह से अपने आप ही निकल गया.
“तो फिर कुछ तो ख़ास बात होगी उसमे जो तेरे पति मे नही है. क्या उसका लंड तेरे पति से बड़ा था.” इस बार संजय ने जो मुझसे दूर खड़ा हुआ था मेरे थोड़ा नज़दीक आते हुए पूछा.
मैं अजीब मुसीबत मैं फँस गयी थी समझ मे नही आ रहा था कि क्या जवाब दू और क्या नही पर उन दोनो से अपनी जान छुड़ानी थी और उसका सबसे बढ़िया तरीका यही था….मैने गहरी साँस ली और बोली, “हां.”
“ओह हो तो तू बड़े लड के झाँसे मे आ गयी. वैसे कितना बड़ा था उसका.” इस बार संजय ने अपने चेहरे पर जो गंभीरता के भाव थे उन्हे हटा कर घिनोनी सी हँसी हस्ते हुए कहा.
वो दोनो मुझसे जिस तरह से बात कर रहे थे आज तक किसी ने मुझसे इस तरह से बात नही की थी. “मैं कोई फीता लेकर नही बैठी थी वहाँ, समझे.” मैने उनकी बात सुन कर दोनो पर च्चिल्लाते हुए कहा.
मेरी बात सुन कर रामकुमार ने अपनी ज़िप खोल दी और अपने लिंग को बाहर निकालने लगा. उसकी इस हरकत को देख कर मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी.
“ये….. ये…. ये क्या कर रहे हो. रूको वरना मैं चली जाउन्गि.” मैने ज़ोर से रामकुमार पर चिल्लाते हुए कहा.
“इसे देख कर बता की कितना बड़ा था उसका. हमे अंदाज़ा हो जाएगा.” रामकुमार ने अपने लिंग को ज़िप खोल कर बाहर निकाल कर हिलाते हुवे कहा.
वो मेरी आँखो के बिल्कुल सामने खड़ा था और मैं सोफे पर बैठी थी. उसके साथ ही संजय खड़ा था. संजय ने भी अपना लिंग बाहर निकाल लिया. मेरी तो आँखे ही फटी की फटी रह गयी. मुझे विस्वास ही नही हो रहा था कि इन स्कूल गोयिंग लड़को के लिंग इतने भीमकाय होंगे. दोनो के लिंग किसी भी तरह से मुकेश के लिंग से कम नज़र नही आ रहे थे. दोनो के ही लिंग एक दम काले काले और मोटे मोटे थे. और दोनो के ही लिंग जवानी के पूरे जोश मे मेरे सामने किसी तोप की तरह तने खड़े थे. मैं बारी बारी से दोनो को देख रही थी और उन्हे कंपेर कर रही थी. संजय के लिंग का मूह कुछ ज़्यादा मोटा था रामकुमार के लिंग के मुक़ाबले मे. रामकुमार की बॉल्स संजय के बॉल्स से बड़ी थी और दोनो की बॉल्स पर घने बॉल थे. दोनो के लिंग के मूह प्रेकुं के कारण चिकने हो गये थे. ऐसा लग रहा था कि दोनो मेरी तरफ देख कर लार टपका रहे हों. मुझे खुद नही समझ मे आ रहा था कि मैं ऐसा क्यू कर रही हू.
मुझे इस तरह से अपने लिंग की तरफ देखते हुए पा कर राम कुमार बोला “देख संजय कैसे देख रही है हमारे लंड को ये.” और कहने के साथ ही रामकुमार अपने दाँत दिखा कर हँसने लग गया.
रामकुमार की बात सुन कर मैने तुरंत अपनी नज़रे वहाँ से हटा कर नीचे ज़मीन की तरफ कर ली . अपनी इस हरकत पर मुझे खुद ही बोहोत गिल्टी फील हो रही थी कि मैं ऐसा कैसे कर सकती हू. “देख ना तेरे लिए ही तो निकाले हैं. अब तो बता दे कि कितना बड़ा था उस आदमी का.” मुझे नज़रे हटा कर ज़मीन की तरफ देखते हुए पा कर संजय ज़ोर से हंसते हुए बोला.
उन दोनो के साथ बात करके पता नही मुझे क्या हो गया था ये उन दोनो के बात करने का असर था या उन दोनो के भीमकाय लिंग को देखने का जो बात मैं कभी बोल नही सकती थी वो बाते मेरे मुँह से खुद ब खुद निकलती जा रही थी. “तुम दोनो के जितना ही था.” मैने धीरे से कहा.
“फिर तो तुझे हम दोनो को भी देनी चाहिए.” संजय ने रामकुमार की तरफ मुस्कुराते हुवे कहा.
संजय की बात सुन कर मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी. वो अपने मन की सीधी सीधी बात कर रहे थे इस बात पर मैं दोनो पर चिल्लाते हुए बोली “देखो सिर्फ़ बात करने की बात हुई थी.. अब अपनी ये बेकार की बकवास बंद करो मैं जा रही हू .”
“तो हम बात ही तो कर रहे हैं.” रामकुमार अपने बाहर निकले हुए लिंग पर अपना हाथ फिराते हुए कहा.
“अच्छा जानेमन ये तो बताओ कि कितनी देर तक चूत मारी उसने तुम्हारी.” संजय अपनी बॉल्स को सहलाते हुवे बोला. दोनो बिल्कुल भी शरम नही कर रहे थे. मेरे सामने खड़े हुवे बड़े अश्लील तरीके से अपने लिंग और बॉल्स को सहला रहे थे. उनकी इस हरकत को देख कर मैं शरम से पानी पानी हुए जा रही थी. और अपने आप को कोस रही थी कि आख़िर मैं यहाँ आई ही क्यू.?
“बता ना कितनी देर तक ली थी उसने तेरी ?” संजय ने फिर से अपना सवाल दोहराते हुए कहा.
“मुझे नही पता, घड़ी नही थी मेरे पास.” मैने पूरे गुस्से से भरे हुए अंदाज मे उन दोनो पर चिल्लाते हुए कहा.
“भाई नखरे देख रहा है इस रंडी के.. कितना भाव खा रही है कमरे मे बूढ़े को अपनी चूत दे आई है पर यहाँ केवल बताने मे इसकी झाँते सुलग रही है.” रामकुमार ने उसी तरह अपने लिंग को मसल्ते हुए संजय की तरफ देखते हुए कहा.
“ अच्छा पक्का टाइम नही पता तो अंदाज़ा तो बता ही सकती हो ना.” संजय मेरी तरफ देखते हुए बोला.
 
मुझे दोनो की हरकते ज़रूरत से ज़्यादा गंदी होती हुई महसूस हो रही थी इसलिए मैं वहाँ से जल्दी निकलने के लिए उनसे बोल दिया की “करीब आधे घंटे तक”
“हे भगवान वो आधा घंटा अपने मोटे लंड से तेरी मारता रहा. और तू मरवाति रही.. हम मधुबाला आंटी की लेते हैं तो वो तो 5 मिनिट मे ही रुकने को बोल देती है.” संजय ने अपने चेहरे पर हैरानी के भाव लाते हुए कहा.
“भाई इसका और उस आंटी मधुबाला का कोई कंपॅरिज़न नही किया जा सकता.” रामकुमार ने संजय के चेहरे पर हैरानी के भाव देख कर मुस्कुराते हुए कहा.
“अच्छा तुम्हारा पति कितनी देर लेता है तुम्हारी.” संजय ने पूछा.
“तुमसे मतलब. तुम्हारे सवाल का जवाब मैने दे दिया है और अब मैं यहाँ से जा रही हू.” मैने गुस्से मे कहा और वहाँ सोफे से उठ खड़ी हुई.
“ अरे जानेमन तुम तो बेकार मे ही गुस्सा हो रही हो.. मैने तो वैसे ही अपनी जनरल नालेज के लिए पूछा था. और हां अभी हमारे सवाल ख़तम नही हुए है” संजय मुझे वापस सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए बोला.
“अच्छा चल ये सब छ्चोड़ औरये बता कि क्या उसने तेरी चूत लेने से पहले उसे चूसा था ?” रामकुमार ने संजय की बात ख़तम होते ही मेरे उपर एक और सवाल दाग दिया.
“न…नही.” मैने हड़बड़ाहट मे कहा. उसकी योनि चूसने की इस बात से बिजली सी कोंध गयी मेरे पूरे शरीर मे.
“ये रामकुमार बहुत अच्छी चूत चूस्ता है. मधुबाला आंटी तो अक्सर सिर्फ़ चूत ही चूस्वाति है इस से. तुम भी ट्राइ कर्लो एक बार इसे.” संजय ने अपने दाँत फाड़ कर राम कुमार की तरफ़ देखते हुए कहा.
एक शिहरन सी दौड़ गयी मेरे शरीर मे. उसकी बात सुन कर एक पल के लिए तो मेरी आँखो की आगे पूरा सीन ही बन गया कि रामकुमार मेरी योनि को सक कर रहा है और मैं पूरी नंगी खड़ी हो कर अपनी योनि उसके साथ सक करवा रही हू. पर अगले ही पल मुझे होश आया कि नही.. मैं ये सब क्या उल्टा सीधा सोच रही हू इसलिए वापस अपने होश-ओ-हवास मे आते हुए उनसे बोली “मुझे ये सब अच्छा नही लगता.”
“पर मैने तो सुना है की लड़कियो को अपनी चूत चुसवाने मे बोहोत मज़ा आता है और वो चुदाई से पहले दो तीन बार अपनी चूत चुस्वाति है.” संजय अपने चेहरे पर एक घिनोना भाव लाते हुए बोला. और उसकी नज़रे भी कभी मेरी छाती तो कभी मेरी दोनो टाँगो के बीच मे घूमती हुई महसूस हो रही थी.
“आता होगा लड़कियो को मज़ा पर मुझे नही ये सब अच्छा नही लगता और ना ही मैं ये सब करती हू.” मैने अपने चेहरे पर गुस्से के भाव लाते हुए कहा.. मुझसे इस वक़्त वहाँ से जल्द से जल्द वापस अपने घर पर निकलने की पड़ी थी पर यहा ये दोनो मुझे फ्री ही नही होने दे रहे थे.
रामकुमार अपनी जगह से मेरे नज़दीक आकर सोफे पर बैठ गया और अपना एक हाथ बढ़ा कर मेरी जाँघ पर फिराते हुए बोला “तो तू एक बार ट्राइ क्यू नही करके देख लेती है. तुझे भी पता चल जाएगा कि चूत चुसाई मे कितना मज़ा आता है”
मैने उसका हाथ फॉरन अपनी जाँघ से हटा कर दूर झटक दिया. इतनी देर मे संजय भी मेरी दूसरी तरफ आकर बैठ गया और उसने मेरे एक उभार को अपने हाथ मे थाम लिया.
उन दोनो की इस हरकत से मैं बुरी तरह से घबरा गयी समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू. मुझे अब डर लगने लग गया था कि कही ये दोनो मिल कर मेरा रॅप ना कर दे. पर फिर भी अपनी हिम्मत को जुटा कर मैने उन दोनो से कहा कि “दूर हटो मुझसे. ये क्या कर रहे है तुमने वादा किया था कि केवल बात करोगे हाथ भी नही लगाओगे मुझे.. मैं जा रही हूँ.” उन दोनो को अपने से दूर झटक कर मैं सोफे से खड़ी हो गयी और दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी.
संजय ने बाला की फुर्ती के साथ खड़े हो कर मुझे पीछे से दबोच लिया.. उसके मुझे पकड़ते ही रामकुमार सोफे से उठ कर मेरे आगे आ गया और अपने घुटनो के बल नीचे बैठ गया. वो मेरी साडी उपर उठाने लगा. उसकी इस हरकत से बचने के लिए मैने अपने हाथ पैर चलाए पर उन दोनो पर तो जैसे कोई असर ही नही हो रहा था.
मैं उन दोनो के आगे मजबूर हो गयी थी लेकिन अपने आप को छुड़ाने के लिए भरसक प्रयास कर रही थी “दूर हटो कमीनो मुझसे.. रुक जाओ वरना मैं चिल्लाउन्गि.” मैने अपने आप को उनकी क़ैद से छुड़ाने की पूरी कोसिस करते हुए कहा.
“उस आदमी को भी तो देकर आई है. मैं तो बस तेरी चूत को चूसना चाहता हूँ.” रामकुमार अपने हाथो को मेरी साडी और पेटिकोट को उपर उठा कर मेरी योनि तक ले जाते हुए बोला. रामकुमार का हाथ अपनी योनि पर महसूस होते ही मेरे पूरे शरीर मे एक झूर-झूरी सी दौड़ गयी.
उसने अपने हाथ को थोड़ी देर मेरी पॅंटी के उपर से ही घुमाता रहा और फिर मेरी पॅंटी के अंदर हाथ डाल कर मेरी पॅंटी को थोड़ा नीचे सरका दिया. मैं संजय की क़ैद मे बुरी तरह से छट-पटा रही थी आज़ाद होने के लिए. पर संजय की पकड़ बोहोत मजबूत थी उसकी पकड़ से बाहर निकलने मे मैं पूरी तरह से नाकामयाब थी.
 
रामकुमार ने जिस तरह से मेरी साडी को उपर उठा दिया उस वजह से पीछे से संजय का लिंग मुझे मेरे नितंब पर सॉफ महसूस हो रहा था. उसका मोटा लिंग मेरे दोनो नितंबो के बीच मे फँस कर झटके खा रहा था. मेरे पूरे शरीर मे एक कंप-कंपी सी छूटने लग गयी. संजय ने मुझे मजबूती से पकड़े हुए अपने एक हाथ को मेरे नितंब पर ले गया और उसको पूरी ताक़त से दबा दिया.
“यार क्या गांद है इसकी. एक दम मक्खन मलाई के जैसी.. रामकुमार हाथ लगा कर देख. एक दम मस्त गांद है.” संजय ने मेरे नितंबो को उसी तरह से अपने एक हाथ से मसलते हुए कहा.
“यार अभी मैं इसकी चूत मे खोया हूँ. इसकी चूत तो बिल्कुल चिकनी रखी हुई है. एक भी बाल नही है. और मज़े की बात संजय इसकी चूत एक दम गीली हो रही है इसका मतलब है ये लंड खाने के लिए पूरी तरह से तैयार है. ” कहने के साथ ही रामकुमार ने अपनी एक उंगली मेरी योनि के अंदर घुसा दी जो योनि गीली होने की वजह से पल भर मे ही योनि के अंदर समाती चली गयी.
उसकी उंगली योनि के अंदर जाते ही मेरे मुँह से दर्द भरी हल्की सी आह निकल गयी.. मेरे मुँह से निकली हुई आह सुन कर संजय बोला “हां यार रामकुमार तू तो एक दम सही कह रहा था ये तो एक दम लंड अंदर लेने के लिए तैयार है देख तो कैसे मस्ती मे डूब कर सिसकारिया ले रही है. बहुत गर्म है ये हाथ लगाने से ही इसके हॉट होने का पता चल रहा है. यही बात है कि ये मनीष से संतुष्ट नही हो पा रही है. इसकी गरम और जवान चूत को हमारे जैसे ही नये लौंदो के लौदे ठंडा कर सकते है.”
“ऐसा कुछ नही है. छ्चोड़ दो मुझे. मेरे घर मे शादी है तुम लोग समझते क्यों नही.”मैने दोनो से गिड़गिदते हुए कहा.
“संजय..!! यार इसकी चूत पर तो उस थर्कि बुढहे के पानी के निशान जमे हुए है. मैं इसकी चूत नही चुसूंगा. साला इसकी चूत चूसने के चक्कर मे मेरे मुँह मे उस बूढ़े के लंड का पानी चला जाएगा.” रामकुमार ने संजय बोलते के साथ ही मेरी योनि मे अपनी दूसरी उंगली भी अंदर घुसा दी. यूँ अचानक दूसरी उंगली घुसा देने से मेरे मुँह से दर्द भरी आह निकल गयी और दर्द के कारण मेरा एक पैर अपने आप थोड़ा सा हवा मे उपर की तरफ उठता चला गया.
“ऊओह, प्लीज़ ऐसा मत करो. देखो मैं शादी शुदा हूँ.” मेरे पैर हवा मे उपर की तरफ होते ही संजय ने भी अपनी एक उंगली मेरे नितंबो के अंदर घुसा दी.
“अब शादी शुदा होने का नाटक कर रही है रंडी.. तब क्या हुआ था तुझे जब वो बूढ़ा मुकेश तेरी गांद मार रहा था और तू आधे घंटे तक उस से अपनी गांद मरवा रही थी. उस वक़्त तुझे ख़याल नही आया कि तू शादी शुदा है.?” संजय ने बोलते हुए ही अपनी उंगली बाहर निकाल कर फिर से अंदर घुसा दी और मेरे नितंबो पर बुरी तरह से एक तमाचा जड़ दिया. उसने मेरे नितंब पर इतने ज़ोर का तमाचा मारा था कि मैं बुरी तरह से छट-पटा कर रह गयी.क्रमशः................
 
तड़पति जवानी-पार्ट-33


गतान्क से आगे.........

राम कुमार अपनी उंगली बराबर मेरी योनि मे अंदर बाहर कर रहा. थोड़ी देर तक वो अपनी उंगली को स्लो स्लो अंदर बाहर करता रहा फिर अचानक से उसने अपनी उंगली की रफ़्तार को जैसे ही तेज किया मेरा एक पैर पैर अपने आप दोबारा से हवा मे उठ गया. मैं इस समय अपने अंतिम चरम पर आ गयी थी और कभी भी फारिग हो सकती थी. मेरा पूरा विरोध इस समय गायब हो चुक्का था पीछे से संजय मेरे नितंब मे उंगली घुमा रहा था और आगे से रामकुमार “आआहह….. आहह… मैंन्न गाइिईईईईई” बोलते हुए मैं झाड़ गयी. रामकुमार की तेज़ी से चलती हुई उंगलियो के झटको ने कुछ ही देर मे मेरा पानी निकाल दिया था. मुझे समझ नही आ रहा था कि हो क्या रहा है. मैं उन दोनो के जाल मे बुरी तरह से फँस चुकी थी. समझ मे नही आ रहा था कि अब यहाँ से कैसे निकला जाएगा.मेरे झड़ने के बाद भी रामकुमार ने उंगली चलानी बंद नही की. “रुक जाओ प्लीज़ आहह.” वो जिस तरह से अपनी उंगली को लगातार मेरी योनि मे अंदर बाहर घुमा रहा था मुझे दर्द होने लग गया था.
“निकालो ना पानी अपना, खूब निकालो.” रामकुमार ने मेरे पेट को चूमते हुए कहा. दोनो उमर से ज़्यादा बड़े नही स्कूल मे पढ़ने वाले लड़के थे पर सेक्स के खेल मे दोनो अच्छे अछो को मात दे सकते थे. जिस तरह से वो मेरे शरीर के साथ खेल रहे थे मौज मस्ती कर रहे थे मेरा खुद पर काबू पाना मुश्किल होता जा रहा था. ये सब शायद उन्हे मधुबाला भाभी ने सिखाया होगा. तभी वो इतने माहिर नज़र आ रहे है.
इधर संजय भी पीछे से मेरे नितंबो की दरार मे उंगली घुमा रहा था. दर्द के कारण मेरी तो जान ही निकली जा रही थी. वो अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए संजय की बात सुन कर हस्ने लग गया.
“आअहह वहाँ मत करो प्लीज़. नही आअहह.” मगर उसकी तीसरी उंगली अंदर सरक्ति चली गयी. उसने भी तेज़ी के साथ अपनी उंगली अंदर बाहर करनी शुरू कर दी. दर्द के कारण मेरा बुरा हाल हुआ जा रहा था, मैं जल्द से जल्द यहाँ से निकलना चाहती थी पर मैं इन दोनो के जाल मे इतनी बुरी तरह से फँस चुकी थी की कुछ समझ ही नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू.
“बिल्कुल कुँवारी गांद लगती है यार रामकुमत. बड़ी मुस्किल से घुसी है उंगली.” संजय ने फिर से मेरे नितंबो पर ज़ोर से चांटा मारते हुए रामकुमार से कहा.
रामकुमार ने मेरी तरफ देखा और फिर से मेरे पेट को चूमते हुए बोला, “क्यों, क्या मनीष ने तेरी गांद नही मारी अब तक.”
“आआहह…..न…नही.” एक तो संजय जिस तरह से तेज़ी से अपनी उंगली को मेरे नितंबो घुमा रहा था और दूसरा रामकुमार मेरे पेट को चूम रहा था दर्द और खुमारी के कारण मैने कराहते हुवे कहा. मैं दोनो की हर्कतो से बुरी तरह से बहकति जा रही थी.
रामकुमार ने मेरे उभारों को अपने दोनो हाथो मे थाम लिया और उन्हे कस कर दबाते हुए खड़ा हो गया उसके इस तरह से इतनी ज़ोर से दबाने से मेरी जान निकल गयी पर उसको जैसे कोई फ़र्क ही नही पड़ा हो… खड़ा हो कर उसने मेरे उरोजो को एक एक करके मसलना शुरू कर दिया. मेरी साँसे उखाड़ने लग गयी थी मैं दोबारा से अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रही थी.. मस्ती मे पूरी तरह से डूबा होने की वजह से मैने अपनी आँखे बंद कर ली.. मेरी आँखे बंद होते ही रामकुमार ने मौका देख कर मेरे चेहरे को अपने दोनो हाथो से थाम लिया. उसकी इस हरकत से मैं फॉरन अपने होश मे आ गयी. उसके मुँह से इतनी बुरी तरह की बास आ रही थी कि कुछ कहने की नही… वो जैसे जैसे अपने चेहरे को मेरे पास ला रहा था मेरा जी बुरी तरह से मिचलाने लग गया ऐसा लग रहा था कि मैं अभी उल्टी कर दुगी. पर मैं मजबूर थी उसने अपने दोनो हाथो से मेरे चेहरे को थाम रखा था कि मेरा अपने चेहरे को हिलना मुश्किल ही नही नामुमकिन हो गया था. उसने मेरा चेहरा पकड़ लिया और मेरे होंटो को अपने होंटो मे दबोच लिया.
 
अभी वो कुछ और हरकत करता इस से पहले ही घर का दरवाजा किसी ने खाट-खता दिया. दरवाजे पर हुई आहट को सुन कर मेरी तो साँसे उपर की उपर नीचे की नीचे अटक गयी. कही किसी ने मुझे देख तो नही लिया कही मनीष तो नही…. मेरे मन मे इसी तरह से हज़ारो ख़याल पल भर मे बुरी तरह से दौड़ने लग गये.
“इसकी मा का भोसड़ा अब इस वक़्त कॉन आ गया ?” संजय ने मेरे उपर पकड़ ढीली करते हुए रामकुमार की तरफ देखते हुए कहा.
“पता नही” रामकुमार ने भी अपने कंधे को उपर की तरफ उचका कर ना जानने का इशारा करते हुए कहा.
इधर बाहर से बराबर दरवाजा खटखटने की आवाज़ आ रही थी. मेरी भी हालत पूरी तरह से इस तरह की हो रखी थी अगर कोई मुझे देख ले तो उसे समझने मे देर नही लगेगी की यहाँ पर क्या हो रहा था. सारी पूरी तरह से खुल कर बिखरी हुई थी. और उपर ब्लाउस के भी दो तीन बटन खुले हुए थे.
“कॉन है ?” मैने डरते हुए रामकुमार की तरफ देख के पूछा.
“पता नही.. देखना पड़ेगा की कॉन है.” रामकुमार ने बोला और दरवाजे की तरफ बढ़ने लग गया.
“अबे रुक…!!” संजय ने रामकुमार को रोकते हुए कहा. “अबे इसका क्या करे अगर किसी ने इसे हमारे साथ यहाँ देख लिया तो इस रंडी का तो कुछ नही होगा हम बेकार मे बदनाम हो जाएगे”
संजय ने जिस तरह से मेरी तरफ देख कर मुझे रंडी कहा था. मन तो ऐसा किया कि एक तमाचा उसके मुँह पर खीच कर मार दू. पर अपनी इस हालत की मैं खुद ही ज़िम्मेदार थी. उन रंडी शब्द को सुन कर मुझे इतनी गिल्टी फील हो रही थी. मेरी आँखो मे अपने आप आँसू निकल आए.
“तू एक काम कर इसको ले कर तू अंदर वाले कमरे मे चल, मैं बाहर देख कर आता हू की कॉन है.” रामकुमार ने संजय से कहा.
“चल तू मेरे साथ जल्दी से अंदर वाले कमरे मे आ जा… नही रुक… कमरे मे नही.. तू मेरे साथ जल्दी आ” बोल कर वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने साथ लगभग खींचते हुए बोला.
“अरे रूको मेरी साडी..” मैने अपनी साडी भी नही ढंग से संभाल पाई थी कि उसने जो सारी मेरे शेरर पर बँधी हुई थी को मेरे बोल्ट के साथ ही एक झटके मे मेरे शेरर से पूरा अलग कर दिया और अपने हाथ मे ले कर मुझे एक कोने की तरफ चल दिया. वाहा दो दरवाजे लगे हुए थे. उसने उन दरवाजो मे से एक दरवाजे को खोला और मुझे पहले अंदर घुसने को कहा. मैं जल्दी से अंदर आ गयी और मेरे साथ ही वो भी अंदर आ गया. अंदर आते ही उसने दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया. ये उसका बाथरूम था.
थोड़ी देर पहले वो अपने आप को बोहोत बड़ा खलीफा समझ रहा था पर अब वो बाथरूम के अंदर बुरी तरह से घबरा रहा था. घबराता भी क्यू ना सेक्स के मामले मे कितना भी तेज सही पर था तो स्कूल गोयिंग स्टूडेंट. पर मेरी हालत कोई उस से अलग नही थी. मेरा दिल भी अंदर ही अंदर बुरी तरह से धड़क रहा था. उसका बाथरूम बोहोत छ्होटा था जिसमे दो लोगो का एक साथ खड़े होना थोड़ा मुश्किल था क्यूकी आधा बाथरूम बाल्टी और टब वगेरह से घिरा हुआ था. हम दोनो ही ज़रा सी जगह मे एक दूसरे से बिना आवाज़ के चिपके खड़े हुए थे.
“ये सब तेरे कारण हुआ है” उसने बोहोत धीरे से मुझे आँख दिखाते हुए कहा.
“चुप रहो मेरी वजह से कुछ नही हुआ है. ये सब तुमने ही शुरू किया था और उल्टा मैं तुम्हारी वजह से इस मुसीबत मे फँस गयी हू.” मैने भी धीरे से उसकी तरफ गुस्से से कहा और चुप हो गयी.
पूरे बाथरूम मे एक अजीब किस्म की खामोशी फैल गयी. सिर्फ़ हम दोनो के साँस लेने के और पानी वाले नल से पानी की छ्होटी छ्होटी बूँद गिरने की आवाज़ आ रही थी. बाहर से भी कोई आवाज़ नही आ रही थी. जिस वजह से मेरा दिल और घबरा रहा था. मैं पेटिकोट और ब्लाउस मे ही दीवार के साथ चिपकी हुई खड़ी थी. और वो मेरे साथ चिपका हुआ था मेरी साडी अब भी उसके हाथ मे ही लगी हुई थी.
मेरी समझ मे नही आ रहा था कि आख़िर कॉन है जो इस समय आया है. जिसके आने से एक दम सन्नाटा सा हो गया है. और रामकुमार के भी कुछ बोलने की आवाज़ नही आ रही है.
“ये रामकुमार की आवाज़ क्यू नही आ रही है.?” मैने बोहोत धीरे से संजय से कहा.
“मुझे क्या पता..” उसने वैसे ही गुस्से से अपनी आँख दिखाते हुए कहा.
 
अभी मैं या वो कुछ और बोलते या कुछ समझते इस से पहले ही घर मे एक साथ दोनो लोगो के चलने की आहट सुनाई देने लगी. मेरी तो हालत ही बुरी हो गयी थी. पता नही कों होगा. मुझे इस हालत मे किसी ने देख लिया तो पता नही मेरा क्या होगा. क्या सोचेगे लोग मेरे बारे मे. ये बात जब मनीष को पता चलेगी तो… नही… पूरा गाँव मेरा मज़ाक बनाएगा.. ऐसे ही हज़ारो तरह के ख़यालात एक ही पल मे मेरे जहन मे घूमने लग गये और मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब हो गयी. तभी उन दोनो लोगो के चलने की आवाज़ धीरे धीरे करके हमारे और नज़दीक आने लग गयी. जैसे जैसे उन कदमो के चलने की आवाज़ हमारे नज़दीक आती जा रही थी. मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होती जा रही थी. मैने एक नज़र संजय की तरफ देखा तो डर के कारण उसकी आँखो से भी आँसू निकल रहे थे.
वो कदमो की आहट चलते हुए बिल्कुल हमारे नज़दीक आ गयी और बाथरूम का दरवाजा खाट-ख़ताने की आवाज़…


दरवाजे पर खटकने की आवाज़ ने तो जैसे मुझे लगभग कोमा की इस्थिति मे ले जा कर खड़ा कर दिया. समझ मे नही आ रहा था कि कॉन होगा दरवाजे पर.. हम दोनो के चेहरे एक दूसरे की तरफ थे वो भी डर के कारण बुरी तरह से घबरा रहा था. उसकी ये हालत देख कर मेरी खुद की हालत और ज़्यादा खराब होने लगी. बाहर जिस तरह की खामोशी भरा महॉल था उसने जैसे डर मे दुगना इज़ाफ़ा कर दिया. सिर्फ़ दरवाजा खटखटने की आवाज़ आ रही थी. बाकी कॉन आदमी है दरवाजे पर ये पता नही चल रहा था.
मैने बोहोत डरते हुए काँपति हुई आवाज़ मे संजय से कहा कि “देखो तो सही आख़िर कॉन है दरवाजे पर”
उसने अपनी गर्दन ना मे हिला दी. वो इतना ज़्यादा डर गया था कि उसका पूरा शरीर डर के कारण काँप रहा था. यहा दरवाजा बराबर खटक रहा था. मैने ही हिम्मत करके दरवाजे को थोड़ा सा खोला. मैं दरवाजे की पीछे की तरफ थी और आगे की तरफ संजय. थोड़ा सा दरवाजा खुलते ही. अंदर की तरफ एक हाथ आया और संजय का गला पकड़ कर उसे बाहर की तरफ खींच लिया. डर के कारण उसके हाथ से मेरी साडी पहले ही निकल कर ज़मीन पर गिर गयी थी.
उसके बाहर खींचे जाते ही मैने अपनी साडी को जल्दी से उठाया और दोनो हाथो से पकड़ कर उसे अपनी छाती से लगा कर वही दरवाजे के पीछे की तरफ खड़ी हो गयी. मुझ मे इतनी भी हिम्मत नही थी कि मैं दरवाजे से बाहर की तरफ झाँक कर भी देख सकु की आख़िर बाहर है कॉन ?
बाहर से संजय और रामकुमार दोनो के ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज़ आ रही थी. डर के कारण मेरी आँखे अपने आप बंद हो कर उपर वाले को याद करने लग गयी थी. पर अगले ही पल मैने अपने आप को संभाला और अपनी हालत को सही करने लगी. जल्दी से मैने अपने ब्लाउस के दोनो बटन लगाए और उतनी ही फुर्ती के साथ अपनी साडी को सही करके पहन लिया.
थोड़ी ही देर ही दोबारा से दरवाजे को किसी ने बाहर से धक्का दे कर पूरा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही अमित मेरे सामने खड़ा हुआ था. उसके चेहरे पर गुस्से के भाव सॉफ नज़र आ रहे थे. वो मुँह से कुछ नही बोला बस गुस्से से मेरी तरफ घूरे जा रहा था. मैं जल्दी से बाथरूम से बाहर निकल आई. मेरे बाहर आते ही वो फिर से उन दोनो की तरफ बढ़ा और दोनो को बारी बारी से मारने लग गया.
उसकी खामोशी और गुस्से को देख कर डर के कारण मेरी हालत और भी ज़्यादा खराब होने लग गयी थी. कुछ भी समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या ना करू. पर उसके आ जाने से जो डर थोड़ी देर पहले लग रहा था वो डर काफ़ी हद तक कम हो गया था.
वो दोनो मार खाते हुए अमित से यही कह रहे थे कि “पीनू भैया हमारी कोई ग़लती नही है ये खुद ही हमारे पास आई थी.” पर अमित तो जैसे उनकी एक भी बात सुनने को तैयार नही था और उनको बे इंतहहा मारे जा रहा था. थोड़ी देर तक उन दोनो की भर पेट मार लगाने के बाद उसने मेरी तरफ देखा… उसकी आँखो मे मेरे लिए गुस्सा और नफ़रत का भाव सॉफ देखाई दे रहा था. मैं उसकी आँखो के इशारे को समझते हुए तुरंत वहाँ से हट कर बाहर दरवाजे की तरफ बढ़ गयी.
बाहर दरवाजे पर आ कर मैने इधर उधर की तरफ देखा कि कोई देख तो नही रहा है. किसी को वहाँ पर माजूद ना पा कर मैं फ़ौरन वहाँ से बाहर निकल आई. मेरे पीछे ही अमित भी बाहर आ गया. वो एक दम खामोश था. मैं उस से बात करना चाह रही थी. पर उसकी आँखो मे अपने लिए गुस्सा देख कर मेरी हिम्मत नही हो रही थी कि मैं उस से कुछ भी बात कर सकु.
 
थोड़ी ही देर मे सबकी निगाह से बचते बचाते मैं घर की तरफ आ रही थी तभी मुझे सामने से मम्मी जी और कई सारी औरते मेरी तरफ ही पूजा का समान वगेरा ले कर गाती हुई आती हुई दिखाई दी. मैं भी उन सब औरतो की भीड़ मे शामिल हो गयी. मैने औरतो की भीड़ मे शामिल होने के बाद जब अमित की तरफ देखा तो वो अब भी मेरी तरफ गुस्से भरी निगाह से देख रहा था. उसका मुझे यूँ गुस्से भरी निगाह से देखना बोहोत गिल्टी फील करवा रहा था. थोड़ी ही देर मे कुआ पूजन करके मैं वापस घर पर आ गयी.
मैं घर पर आई ही थी कि अनिता मेरे पास फ़ोन ले कर आ गई. कॉल मनीष का था.
“हेलो.. निशा… तुम अभी तक गयी नही..” मनीष ने हैरान होने वाले लहजे मे फ़ोन पर कहा.
“कहाँ ?” मुझे समझ नही आ रहा था कि मनीष कहा जाने के लिए बोल रहे थे.
“अरे तुम से बोला था ना कि मिश्रा जी आ रहे है. उनको रास्ता नही मालूम है उनको जा कर पिक-अप कर लेना,” मनीष ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा.
“जी मैं वो…” मैं इस से पहले कुछ बोलती मनीष मेरी बात काट कर बीच मे ही बोल पड़े..
“क्या यार.. तुम से एक काम कहा और तुम वो भी ढंग से नही कर सकी.”
मुझे तो सच मे ही याद नही रहा था कि वान्या और उसके पति को मनीष ने लाने के लिए बोला था. मैने मनीष को नाराज़ होता देख कर तुरंत बात को संभालने के लिए उन्हे लाने के लिए बोल दिया.
“वैसे आप कितनी देर मे आ रहे है ?” मैने मनीष की इस्थिति जानने के लिए क्यूकी वो सामान लेने जाने वाले थे और मैने अमित को साथ ले जाने को कहा था.
“अरे मैं शर्मा अंकल के साथ हू मुझे थोड़ा टाइम लगेगा जब तक तुम जा कर मिश्रा जी को रिसिव कर लो वो भी आने वाले होगे.. अपनी कार ले जाना और हां अकेले मत जाना शाम होने वाली है. पीनू को अपने साथ ले जाना.” कह कर मनीष ने फ़ोन काट दिया.
“क्या भाभी..!!! भैया के बिना आप का दिल नही लगता है” अनिता ने चुटकी लेते हुए कहा.
मैने शर्म से मुस्कुरा दी और उसे फ़ोन वापस करते हुए कहा कि.. “अमित को बोल दो कि मेरे साथ पास वाले स्टेशन तक चलना है हमारे घर के पास मे ही मिश्रा जी रहते है वो शादी मे आ रहे है उन्होने घर नही देखा है तो उनको लेने जाना है.”
“जी भाभी” बोल कर अनिता चली गयी. और मैं बाहर खड़ी कार की तरफ… पता नही क्यू जब मनीष ने मुझे अमित के साथ जाने को बोला तो मैने मना करने की बजाए दिल मे एक राहत की साँस ली. क्यूकी मैं भी अमित से बात करना चाहती थी. अकेले मे. मैं उसको बताना चाहती थी कि मैं उन दोनो लड़को के जाल मे कैसे फँस गयी. मैं अपनी कार मे बैठी थी कि अमित को अनिता अपने साथ ले कर आ गयी. अमित को आता देख कर मेरे चेहरे पर फिर से शर्म और गिल्टी के भाव उभर आए.. अमित आ कर कार का दरवाजा खोल कर कार मे बैठने ही वाला था पास मे से ही एक बुड्ढ़ा करीब 70 की उमर के आस पास का शादी मे शामिल होने आया था उसके साथ उसकी पत्नी भी थी जो कि अच्छा ख़ासा घूँघट वगेरह किए हुए थी.. उसको देख कर अमित ने तुरंत बोल दिया..
“क्या ताऊ नये माल को ढँक कर रखा हुआ है”
उस बुढहे ने अमित की बात जैसे ही सुनी उसने जो गाली देना शुरू किया तो बस… मुझसे तो अपनी हँसी काबू करना मुश्किल ही होता जा रहा था. अनिता और अमित भी उसको बोलता हुआ देख कर खूब मज़े से हंस रहे थे. मैने जल्दी से कार स्टार्ट की इस से पहले कि वो हमे हंसता हुआ देख कर कुछ और ज़्यादा उल्टा सीधा ना बोल दे और सड़क पर चल दी.
 
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