Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी - Page 2 - SexBaba
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Hindi Porn Kahani तड़पति जवानी

मेरी योनि से बहता हुआ पानी धीरे धीरे करके बहता हुआ मेरी झांघो तक आ गया.. 

आअहह……. साहिब… मार डालोगे क्या.. आराम से करो.. मेम्साब कही जाग ना जाए… 

अरे वो आराम से सो रही है.. सोने दे उसके चक्कर मे तू अपने मज़े क्यू खराब कर रही है.. और तू ये मुझे साहिब कहना बंद कर दे.. मेरा नाम पीनू है मुझे पीनू कह कर बुला या अमित कह कर कर ये साहिब मत कह.. 

अब अमित उसके उरोज को छ्चोड़ कर थोड़ा सा नीचे को खिसक गया ओर उसकी दोनो टाँगो के बीच मे आ कर बैठ गया.. वो उसके जिस्म पर खिसकता हुआ नीचे की तरफ गया था जिस कारण मुझे उसका लिंग नही दिखाई दिया.. उसका मुँह खिड़की की तरफ ही था.. मैं इस बात का पूरा ध्यान रख रही थी कि कही वो मुझे देख ना ले.. पर मुझे उसका लिंग देखे का बड़ा मन कर रहा था.. क्यूकी रूपा ने जैसा आवाज़ करते हुए कहा था कि साहिब तुम्हारा तो बोहोत बड़ा है, इस लिए मैं देखना चाहती थी कि उसका लंड कितना बड़ा है.. लंड शब्द मेरे दिमाग़ मे रूपा की बात सुन सुन कर आया था.. पर उन दोनो के मुँह से लंड-चूत सुन-सुन कर मुझे मज़ा आने लगा था.. 

वो उसकी टाँगो के बीच मे आकर उसकी दोनो टाँगो को उसके घुटनो से मोड़ कर उसके मुँह की तरफ कर दिया.. ओर उसकी योनि को देखने लग गया.. थोड़ी देर देखने के बाद उसने अपने एक हाथ को उसकी योनि के उपर ले कर फिराना शुरू कर दिया.. रूपा अपनी योनि पर अमित का हाथ महसूस करते ही बुरी तरह से मचल उठी.. ऑर ज़ोर ज़ोर से सिसकारिया मुँह से निकालने लगी.. 

सस्स्स्स्स्शह…….उूउउम्म्म्म………..आआअहह…………… 

उसकी निकलने वाली तेज तेज सांसो की आवाज़ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी.. अंदर का सीन देख कर मेरी खुद की हालत बिगड़ती जा रही थी.. मेरा पूरा गला सूखा जा रहा था.. ऑर दोनो पैर बुरी तरह से कांप-कपा रहे थे.. मुझे अपने दोनो पैरो के बीच बोहोत कमज़ोरी महसूस होने लगी थी.. इतनी उत्तेजित तो मैं आज तक मनीष के साथ सेक्स करते हुए नही हुई थी जितनी अंदर का सीन देख कर हो गयी थी.. 

इसी उत्तेजना के कारण कब मेरी योनि ने अपना पानी बहा दिया.. पानी छ्चोड़ते हुए मैने अपनी दोनो आँखे बंद कर ली थी ऑर खिड़की के डोर को कस कर पकड़ ल्लिया था, मेरी योनि से निकले पानी के कारण जो मेरी जाँघो पर लगा हुआ था, मुझे बड़ा अजीब सा फील हो रहा था.. मैं पानी छूट जाने से थोड़ा लड़खड़ा गयी जिस कारण खिड़की का दरवाजा बंद हो गया.. 

खिड़की का दरवाजा बंद होने की आवाज़ से मैने अपने आप को संभाला ऑर फुर्ती के साथ खिड़की से दूर हो गयी.. खिड़की से हट कर कुछ देर बाद जब मैने दोबारा खिड़की के अंदर झाँक कर देखा तो अमित ने उसकी दोनो टांगे हवा मे उठा रखी थी ऑर उसकी योनि पर अपना मुँह लगा रखा था… 

पिनुउऊुउउ…स्शह…. आआआआआआआअहह…….. ओर ज़ोर सीईईई… ओर ज़ोर सीईईई चतो खा जऊऊ इसेसीईई … ये तुम्हारी है…. चबा दू…. रुकना मात्त्तटटतत्त… 

अमित बिल्कुल डॉगी स्टाइल मे जैसे डॉगी चाट’ता है…(मैने घर के बाहर एक-दो बार कुत्ते-कुतिया को देखा है.. ) ठीक वैसे ही रूपा की योनि को चाट रहा था.. ओर रूपा भी पूरी मस्ती के साथ अपने दोनो हाथो से उसके सर को पकड़ कर अपनी योनि पर दबाए चले जा रही थी.. अमित को इस तरह देख कर मुझे ज़रा भी नही लगा कि उसने मुझे देख लिया होगा.. क्यूकी जिस तरह से रूपा के साथ लगा हुआ था उसे देख कर तो लग रहा था कि उसने दरवाजे की तरफ ध्यान ही नही दिया.. अमित को रूपा की योनि चाट’ता हुआ देख कर मेरे मन मे आया…. छ्चीईई कितना गंदा आदमी है वाहा भी कोई मुँह लगाने की जगह है ? 

थोड़ी देर मे मे रूपा की सिसकारिया भरी आवाज़े ऑर भी तेज़ी के साथ आनी शुरू हो गयी, ऑर उसका पूरा बंदन अकड़ना शुरू हो गया.. उसने अमित का सर पकड़ कर अपनी योनि पर कस कर दबा लिया ओर ज़ोर ज़ोर से पिनुउऊुुुुउउ मैंन्न्न् गाययययययययययीीईईई करते हुए शांत हो गयी.. 

अमित जब उसकी दोनो टाँगो के बीच मे से उठ कर खड़ा हुआ ऑर मेरी नज़र उसके लिंग पर गयी तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया.. अमित का लिंग, लिंग नही लंड या लॉडा वर्ड ही एक दम सही है.. करीब 8” के आस-पास का था.. उसका तना हुआ लिंग देख कर मैं हैरत मे पड़ गयी कि क्या सच मे लिंग इतना बड़ा ओर मोटा भी हो सकता है, जैसा इस अमित का है.. उसने अपने दोनो हाथ रूपा के दोनो उरोज पर जमा दिए..
 
रूपा एक बात कहु निशा भाभी की बस एक बार मिल जाए कसम से मज़ा आ जाए.. कह कर उसने ज़ोर ज़ोर से उसके दोनो मम्मो को मसलना शुरू कर दिया.. 

साहिब.. धीरे बोलो कही मेम्साब आप की बात ना सुन ले.. रूपा ने लेट कर मस्ती भरे अंदाज मे अमित के बालो मे हाथ फिराते हुए कहा.. 

अरे सुन लेने दे उन्हे भी तो पता चले कि कोई है जो उनकी चूत के दीदार का बेसब्री से इंतजार कर रहा है.. कहते हुए उसने बैठे बैठे ही अपने एक हाथ मे अपना लिंग ले लिया ओर लिंग की खाल को जैसे ही पीछे किया उसका रेड कलर का सूपड़ा सामने आ गया.. वो अपने लिंग पर इस तारह से हाथ फिरा रहा था जैसे उसने मुझे देख लिया हो ओर मुझे ही अपना लिंग दिखा रहा हो.. 

थोड़ी देर ओर उसने के मम्मो को मसला ओर रूपा को बैठा दिया ओर अपने लिंग को उसके मुँह की तरफ ले जाने लगा.. मुझे तो विश्वास ही नही हो रहा था कि रूपा उसके लिंग को अपने मुँह मे ले रही है.. खिड़की पर खड़े हुए मैं सब देख रही थी मुझे समझ मे नही आ रहा था की ये दोनो इतनी गंदी तरह से सेक्स कैसे कर रहे है.. 

रूपा की पीठ मेरी आँखो के आगे आ जाने के कारण अब मुझे केवल अमित का फेस ही दिखाई पड़ रहा था.. थोड़ी देर रूपा ने उसके लिंग को अपने मुँह मे लेकर चूसा ऑर फिर वापस सीधे हो कर लेट गयी.. अमित अब दोबारा उसकी टाँगो के बीच मे आ गया ओर उसकी दोनो टाँगो को उसकी छाती से मोड़ कर उसने अपने लिंग को हाथ मे लेकर हिलाया, वो इस तरह से हरकत कर रहा था जैसे की मुझे जानबूझ कर दिखा रहा हो.. अपने लिंग को हिलाते हुए उसने अपने लिंग को रूपा की योनि पर रख दिया.. 

उसने जैसे ही अपने लिंग को रूपा की योनि पर रखा मेरा दिल फुल स्पीड के साथ धड़कने लग गया.. मेरे दिमाग़ मे यही ख़याल आ रहा था कि क्या रूपा इस लिंग को अपनी योनि के उस छ्होटे से छेद मे ले पाएगी ? क्या ये लिंग सच मे योनि के अंदर जाएगा.. ऑर हर बार मेरा दिमाग़ मुझे ना मे आन्सर देता.. 

अमित ने अपने लिंग को योनि पर टीकाया ओर सीधे अपनी नज़र सामने खिड़की पर जहा पर मैं खड़ी हुई थी देखने लग गया.. मुझे उसके यूँ इस तरह खिड़की पर देखने की उम्मीद नही थी इस लिए मैं पूरी तरह से खिड़की पर आ कर उनका गंदा खेल देख रही थी.. एक पल के लिए हम दोनो की नज़र एक दूसरे से टकराई ओर उसने मेरी तरफ देख कर वही गंदी सी स्माइल पास कर दी.. 

अमित को अपनी तरफ देख कर मेरी हालत खराब हो गयी.. मेरा मन बुरी तरह से डर की चपेट मे आ गया.. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. अभी मैं कुछ ओर सोचती इस से पहली ही रूपा की दर्द भरी आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ दिया.. 

आआआआआआआआहह……………. मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्

र्ररर…… गाइिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई…….. बाहर निकालूऊऊऊ….. 

मैं मर गाइिईईईईईईईईईईईई…. 

रूपा दर्द से बुरी तरह तड़प रही थी उसने बिस्तर की चादर अपने दोनो हाथो से कस कर पकड़ रखी थी ऑर अपनी आँखे बंद कर ली थी.. मेरी नज़र जब रूपा से हट कर वापिस अमित पर गयी तो वैसे ही मुझे देख कर मुस्कुरा रहा था.. उसके चेहरे पर वो हँसी देख कर मेरा खून खोल उठा.. मुझे देखते हुए ही वो थोड़ा पीछे की तरफ हुआ ऑर वापस एक धक्का लगा दिया.. रूपा फिर दर्द से कराह उठी.. वो धक्के रूपा की योनि मे लगा रहा था पर एक तक देखे मेरी तरफ जा रहा था.. मुझे भी पता नही उस वक़्त क्या हो गया था जो मैं वाहा से नही हटी थी.. थोड़ी ही देर मे रूपा की चीन्खे कम हो गयी ओर वो मज़े से सिसकारिया निकालने लग गयी.. 

रूपा के मुँह से चीखे ऑर उसकी सिसकारिया सुन कर मेरी योनि ने ना चाहते हुए भी फिर से रिसना शुरू कर दिया था.. मुझसे अब ओर बर्दाश्त नही हो रहा था मैं वाहा से हट कर अपने कमरे मे आ गयी ऑर अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया… 
क्रमशः
 
तड़पति जवानी-पार्ट-5

गतान्क से आगे.........

कमरे मे आकर मैने अपने बिस्तर पर चारो खाने चित हो कर लेट गयी ओर अपनी आँखे बंद कर ली.. मेरा दिल बोहोत जोरो से धड़क रहा था..मेरे पूरा माथे पर पसीना आ गया था.. ऑर योनि पूरी तरह से गीली हो कर बराबर रिसाव कर रही थी..

ये मेरी जिंदगी मे पहली बार हुआ था कि मैने किसी को इस तरह से देखा था.. मनीष ने कयि बार ब्लू फिल्म चलाई पर उन फिल्म को देखने का मेरा ज़रा भी मन नही होता था इन्फेक्ट मुझे ब्लू फिल्म या पॉर्न स्टोरी बोहोत गंदी लगती थी..

आज जो कुछ भी मैने अपने घर मे अपनी आँखो के सामने देखा उसे देख कर तो मेरी हालत बोहोत खराब हो गयी थी.. दोनो टाँगो के बीच योनि रस की चिप-चिपाहट अलग मुझे उत्तेजित किए जा रही थी..

थोड़ी ही देर मे मैने अपनी आँखे खोली ओर मेरी नज़र जब सामने लगे ड्रेसिंग टेबल पर लगे मिरर पर गयी तो.. कमरे के अंदर ट्यूब लाइट की सफेद रोशनी पूरी तरह से फैली हुई थी ऑर लाल रंग की साडी मे मेरा रूप अगर कोई मुझे देखता तो ऐसा लगता की जैसे गुलाब का फूल खिला हुआ हो..

मैं अपने बेड से उठ कर मिरर के सामने जा कर खड़ी हो गयी ऑर खुद को शीसे मे निहारने लग गयी.. मैने शीशे के आगे खड़े हो कर अपना हाथ अपने कंधे पे रखा ऑर अपनी साडी का पल्लू सरका दिया.. दूसरे ही पल शीशे मे खुद को देख कर मेरी आँखे अपने आप शर्म से झुक गयी..

आज पहली बार मैने शीशे मे खुद को इस नज़र से देखा था.. क्यूकी उस समय मेरे दिमाग़ मे अमित के कहे शब्द गूँज रहे थे कि निशा भाभी क्या माल है क्या दिखती है वो, यही सब सोच कर मैं शीशे मे खुद को निहारने लग गयी.. इस नज़र से तो मैने अपने आप को तब भी नही देखा था जब मनीष ने मुझे शीशे के आगे तैयार होते हुए कयि बार कहा कि निशा आज तो तुम बोहोत ही क़यामत लग रही हो.. लाल रंग का ब्लाउस ओर उस मे क़ैद मेरे दोनो उरोज ऑर उसके नीचे मेरी गोरे रंग की नाभि, उन्हे देख कर मेरे होंठो पर अपने आप ही मुस्कुराहट आ गयी..

मैने एक बार फिर से शीशे मे अपने दोनो उरोज को देखा.. मेरे दोनो उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे दो हिमालय पर्वत गर्व के साथ अपना सर उठाए खड़े हुए हो.. अपने उरोज देखते ही रूपा के दोनो नंगे उरोज मेरी आँखो के आगे आ गये ओर मैं अपने उरोज की तुलना उसके उरोजो से करने लगी, जिसमे मैने खुद को ही विन्नर पाया..

अपने दोनो उरोजो को रूपा से बड़ा ऑर गोलाई लिए शेप देख कर मेरे चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गयी.. मैने अपना एक हाथ अपने नंगे पेट पर फिराते हुए अपने दाई तरफ के उरोज पे रखा तो मेरी आँखे अपने आप ही बंद होने लग गयी, ओर मेरा दाया हाथ मेरे उरोज पर दबाता चला गया..

उस दिन पहली बार मैने अपने आप को इस अंदाज मे च्छुआ था ऑर उन्हे छुते ही मुझे जैसा महसूस हुआ मेरे अंदर जो रोमांच पैदा हुआ वैसा रोमांच तो मनीष के च्छूनें ऑर दबाने ऑर मुँह मे लेकर चूसने से भी नही आया था.. उस वक़्त ना जाने कों सा नशा मेरे उपर सवार हो गया था.. मेरा दाया हाथ मेरे उरोज पर दवाब धीरे धीरे बढ़ाने लग गया..

वो नशा मुझ पर इस कदर हावी होता चला गया कि मैने अपने ब्लाउस के बेटॅनो को खोलना शुरू कर दिया.. शादी के इतने सालो बाद भी मुझे सेक्स का नशा इतना नही चढ़ा था जितना उस वक़्त चढ़ गया था.. एक एक करके मैने अपने ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए ओर उसे उतार कर बेड पर फेंक दिया..

ब्लॅक कलर की ब्रा के अंदर मेरे दोनो मोटे मोटे उरोज जैसे उस वक़्त खुद मुझ पर ही कहर बरसा रहे थे.. ब्रा मेरी छाती पर एक दम कसा हुआ था जिसकी वजह से आधे मेरे दोनो उरोज आधे से ज़्यादा बाहर निकल कर आ रहे थे.. शीसे मे खुद को देख कर फिर मेरे चेहरे पर गर्वान्वित मुस्कान आई.. रूपा के उरोज मुझसे छ्होटे थे ऑर साँवले भी थे जबकि मेरे उरोज उस से बड़े ऑर दूध की तरह गोरे रखे हुए थे..

मैने अपने दोनो हाथो से अपने दोनो उरोज को एक बार कस कर दबाया ऑर फिर अपने दोनो हाथ पीछे अपनी पीठ पर ले जा कर ब्रा का हुक खोल दिया.. अपने हाथ का स्पर्श अपनी पीठ पर पड़ते ही फिर से मेरे पूरे बदन मे रोमांच की एक लहर सी दौड़ गयी ऑर मेरे दोनो घुटनो मे कंपन होना शुरू हो गया..

ब्रा का हुक खुलते ही मेरे दोनो उरोज खुल कर मेरे सामने आ गये.. अपने उरोजो को देख कर एक तरफ इस तरह से देख कर मुझे शर्म आ रही थी पर दूसरी तरफ मुझे गर्व भी हो रहा था कि मेरे उरोज रूपा से बड़े ऑर सुंदर है.. मैने अपने दोनो उरोजो को अपने हाथो मे भर लिया ओर उन्हे हल्के हल्के दबाने लग गयी..

अपने हाथो से उरोजो को हल्का हल्का दबाते ही मेरे मुँह से एक ठंडी आह निकल गयी.. जिस कारण मेरी टाँगो के बीच मेरी योनि ने ऑर भी तेज़ी के साथ बहना शुरू कर दिया था.. अपनी टाँगो के बीच नमी का अहसास होते ही मेरा ध्यान अपने शरीर के नीचले हिस्से की तरफ गया.. रोमांच के सागर मे गोते लगाने ऑर योनि के लगातार बहने के कारण मेरी दोनो टांगे एक दूसरे से चिपक सी गयी थी.. दोनो टाँगो के बीच मे पकड़ ऐसी थी कि मेरी योनि से उठने वाली चाहत को वो अंदर ही बाँध कर रखना चाहती हो.. यही सोच कर मेरे हाथो का दवाब मेरे उरोजो पर भी सख़्त होता चला गया..

मैने अपनी साड़ी को फॉरन अपने शरीर से अलग किया ऑर बेड के उपर फेंक दिया.. सारी को उतारने के बाद मैने धीरे धीरे अपने पेटिकोट को इस तरह से अपने जिस्म से अलग किया जैसे कोई बोहोत मुश्किल काम कर रही हू.. हल्के हाथ से मैने अपना पेटिकोट भी उतार कर बेड की तरफ उच्छाल कर फेंक दिया..

अब मेरे शरीर पर सिर्फ़ एक पिंक कलर की पॅंटी थी.. मैने जब पॅंटी मे शीशे के अंदर खुद को निहारा तो शरम से मेरे दोनो हाथ अपने आप मेरे चेहरे पर आ गये.. पॅंटी ने मेरी योनि को तो धंक लिया था पर उसके आजू बाजू जो हल्के हल्के बाल थे जिन्हे कुछ दिन पहले ही मनीष ने साफ किया था उगे हुए थे.. मुझे बाल सॉफ करने मे बड़ी गुदगुदी होती थी पर मनीष को योनि के उपर बाल ज़रा भी अच्छे नही लगते थे.. कल ही सेक्स करते समय उन्होने कहा था कि “निशा तुम्हारे बाल फिर से बड़े हो गये है कहो तो सॉफ कर दू” पर मैने घर मे अमित के होने का नाम ले कर मना कर दिया था..

जब मैने शीशे मे खुद को देखा तो मेरी आँखे एक दम गुलाबी हो गयी थी जैसी किसी शराबी की नशा करने के बाद हो जाती है, ठीक वैसी ही आँखे हो रही थी मेरी भी.. ऑर उसी नशे मे डूब कर मैने अपने जिस्म से अपनी पॅंटी को भी अलग कर दिया..
 
पहली बार शीशे के आगे मैने खुद को पूरी तरह से नंगा देखा था.. शीशे मे अपने हुस्न का नज़ारा देख कर मेरे मुँह से सिसकारी सी निकल गयी.. आज पहली बार शीशे के आगे खुद को इस तरह से देख कर मुझे अपनी खूबसूरती का अहसास हुआ था.. आज पहली बार मुझे लगा था कि मैं कितनी सुंदर हू.. आज ही पहली बार मुझे पता चला था कि लोग मुझे घूर घूर कर क्यू देखते है.. ओर आज ही पहली बार मुझे एहसास हुआ था कि अमित की इसमे कोई भी ग़लती नही है. उपर वाले ने मुझे बनाया ही इतनी फ़ुर्सत से है..

अपने रूप को देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान की लहर सी दौड़ गयी.. मेरी योनि के उपर जो हल्के हल्के बाल थे वो मेरी योनि के पानी से गीले हो कर चिपक गये थे.. मेरी योनि से रस अब भी बराबर निकल रहा था.. ना जाने मुझे क्या हुआ ऑर मैने मेरे एक हाथ को ले जा कर अपनी योनि के उपर रख दिया ऑर योनि की लकीर पर जो बाल बिखर से गये थे उन्हे अलग कर दिया.. बालो को सही करके मैं अपनी योनि को सहलाने लगी, थोड़ी देर योनि को सहलाने से ही मेरे घुटनो ने जवाब दे दिया.. दोनो पैर बुरी तरह से कंप-कँपाने लगे ओर योनि ने झटके लेते हुए पानी छ्चोड़ दिया…

शीशे मे ये नज़ारा देख कर मुझे खुद पर एक पल के लिए गुस्सा आया कि मैं ये सब उल्टा सीधा क्या सोच रही हू ऑर कर रही हू.. पर अगले ही पल अपने रूप का जलवा देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान फैल गयी ओर मुझे खुद पर ही प्यार आने लग गया.. अपनी खूबसूरती को आज पहली बार मैने जाना था कि मैं क्या हू..

मेरी हाइट, मेरे मोटे-मोटे गोल उरोज, पतली कमर ऑर भरे हुए नितंब केले के तने के जैसी दो लंबी-लंबी गोरी टांगे ओर उनके बीच मे मेरी छ्होटे बालो से ढाकी योनि को शीशे मे देख कर मुझे खुद पर गर्व होने लग गया था..

इन सब चीज़ो मे जो एक चीज़ खराब लग रही थी वो थे मेरी योनि के उपर छ्होटे-छ्होटे उगे घने बाल.. मेरा हाथ अपने आप दोबारा से मेरी योनि के उपर आ गया.. योनि के उपर के बाल बुरी तरह से गीले हो कर चिप-चिपा रहे थे..

आज पहली बार सही मयनो मे मैने जाना था कि योनि को गीला होने किसे कहते है.. आज मुझे पहली बार पता चला था कि क्यू मनीष मुझे इतना प्यार करते है.. क्यू सुबह उठते ही मेरी योनि पर किस करते है.. क्यू वो रोज सेक्स करने के लिए इतने उतावले रहते है.. सब सोच कर मेरे चेहरे पर फिर से शर्मीली मुस्कुराहट आ गयी..

मेरे घुटनो मे बोहोत तेज दर्द हो रहा था ओर अब खड़ा होना मेरे लिए बोहोत मुश्किल होता जा रहा था इस लिए मैं शीशे के सामने से उठ कर अपने बेड पर आ गयी, बेड पर आ कर मैने अपनी दोनो टाँगो को फैला लिया. टाँगो को फैलाने से मेरी योनि पूरी तरह से खुल गयी ऑर कमरे मे एसी की ठंडी ठंडी हवा का अहसास मुझे मेरी योनि के अंदर हो रहा था.

मेरा हाथ मेरी योनि तक आ गया ओर धीरे धीरे उपर नीचे सहलाने लगी, थोड़ी देर योनि को सहलाने के बाद मेरा हाथ वहाँ था जहा मनीष का लिंग अंदर बाहर होता था. अपने योनि का छेद मिल जाने से मेरी एक उंगली अपने आप उस छेद के अंदर चली गयी. उंगली अंदर करते ही मैं पूरे जोश मे आ गयी थी ओर मेरे मुँह से मादक सिसकारिया निकलना शुरू हो गयी जैसे अभी थोड़ी देर पहले रूपा के मुँह से सुनी थी.

जोश मे आते ही मैने अपनी गर्दन को एक अदा के साथ झटका ऑर फिर से खुद को शीशे मे देखा. बेड के उपर पड़ा मेरा जिस्म मुझे उस समय दुनिया की सबसे खूबसूरत चीज़ लग रहा था. मेरे बिखरे हुए बाल मेरे कंधे से होकर मेरे उरोजो को, जो छत की तरफ सीना ताने हुए थे, धक रहे थे. जोश ऑर एसी की ठंडक के अहसास के कारण दोनो निपल्स टाइट हो गये थे.

दोनो खुली हुई टांगे ओर उनके बीच मेरी रिस्ति हुई गीली योनि, ओर योनि के उपर उसे सहलाता हुआ मेरा हाथ. इस नज़ारे को देख कर मैं जोश ओर रोमांच की सारी सीमाए तोड़ कर उसमे खोती चली गयी ओर पहली बार मेरे हाथ ऑर मेरी योनि की जंग सी छिड़ गयी. मुँह से लंबी लंबी सिसकारिया निकलने लगी जो धीरे धीरे तेज होती चली जा रही थी ऑर थोड़ी देर बाद ही मेरा शरीर अकड़ता चला गया ओर मेरे मुँह से निकलने वाली सिसकारिया बंद हो गयी..

जोश ओर रोमांच का तूफान जब थमा तो मेरे जिस्म मे ज़रा भी जान बाकी नही थी. मेरी साँसे बुरी तरह से उखड़ रही थी. मनीष के साथ सेक्स करने के बाद भी मैने खुद को कभी इतना कमज़ोर नही महसूस किया था. पूरे बदन मे आज जो रोमांच की लहर उठी थी आज तक नही उठी थी.

आज अपने हाथो से खुद को इस तरह संतुष्ट करके मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैने सेक्स का मज़ा आज पहली बार लिया था. मेरी योनि से बहता हुआ पानी, बहते हुए मेरे नितंब तक आ गया था. मैने अपने आप को शीशे मे देखा ऑर खुद को देख कर मुस्कुरा उठी. थोड़ी देर बेड पर पड़े मैने अपने नंगे जिस्म को शीशे मे देखने के बाद आँखे बंद कर के लेट गयी.
 
बेड पर लेटे हुए मेरे दिमाग़ मे कयि सारे सवाल चले रहे थे. एक तरफ तो मुझे बोहोत आनंद की प्राप्ति का एहसास हो रहा था ऑर दूसरा मुझे अपने आप पर गुस्सा भी आ रहा था कि मैं ये सब क्या ऑर क्यू कर रही हू. क्या मैं भी उस देहाती अमित के जैसी गंदी हो गयी . ? क्यू मैने ये सब किया.

थोड़ी देर बाद जब मैने आँख खोल कर देखा तो खुद को इस हालत मे देख कर मुझे खुद पर बोहोत गुस्सा आया ऑर साथ ही उस अमित पर भी. मैं मन ही मन उसको कोसने लग गयी. उसकी हिम्मत कैसे हुई कि मेरे घर मे ये सब उल्टी सीधी हरकत करने की. यही सब सोचते हुए मैने जल्दी जल्दी से अपने कपड़े पहने जो मैने नशे की सी हालत मे इस तरह से उतार के फेंक दिए थे जैसे कि ये मेरे शरीर पर बोहोत बड़ा बोझ हो.

मेरा गला पूरा सुख गया था ऑर मुझे पानी की प्यास लगी थी मैं अपने कमरे से निकल कर किचन मे पानी पीने के लिए चल दी. किचन मे आ कर मैने पानी पिया. पानी पीने के बाद मेरे दिमाग़ मे पता नही कहाँ से ये ख़याल आ गया कि अमित के कमरे मे एक बार ऑर देखना चाहिए कि वो क्या कर रहा है. फिर मेरे मन ने अपने आप ही जवाब दिया कि नही मुझे उस तरफ नही जाना चाहिए. क्यू नही जाना चाहिए मैं व्यस्क हू शादी शुदा हू. अगर मैने ये सब देख भी लिया तो कोई पाप तो नही कर दिया. मेरे दिमाग़ अपने ही आप सवाल जवाब पैदा होने लग गये.

मेरा मन नही मान रहा था ये जाने बिना कि क्या वो अब भी अपने कमरे मे वो कर रहा है या उसने बंद कर दिया. यही सोच कर मैं दबे कदमो के साथ किचन से निकल कर अमित के कमरे की तरफ वापस चल दी. उसके कमरे के नज़दीक आते हुए मेरे जहाँ मे बार बार उसका मोटा लंबा लिंग दिखाई देने लगा. क्या लिंग इतना लंबा भी हो सकता है.? ऑर रूपा ने उसके पूरे लिंग को अपनी योनि के अंदर ले लिया. यही सब मेरे दिमाग़ मे बार बार चल रहा था. छी मैं ये सब क्या बेकार की बात सोच रही हू. ओर चाहे कुछ भी हो जाए मैं अब इस अमित को एक पल के लिए भी . नही रहने दूँगी.

थोड़ी ही देर मे मैं वापस उस खिड़की के नज़दीक आ गयी थी. मैं खिड़की से अंदर की तरफ झाँकने ही वाली थी कि मुझे दरवाजा खुलने की आवाज़ सुनाई दी. मेरा पूरा बदन एक अंजाने डर से थरथरा गया. मैं जल्दी से वहाँ से हटी ऑर वापस किचन की तरफ चल दी.

मैं जल्दी जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए किचन के अंदर आ गयी. तभी पीछे से वो भी किचन के अंदर आ गया. मैं उस से नज़रे नही मिला पा रही थी. मुझे डर लगने लग गया था कि कही ये कुछ कह ना दे.

भाभी जी बोहोत प्यास लगी है एक ग्लास पानी मिलेगा ? उसने मुझे पीछे से आवाज़ देते हुए कहा.

मैं किचन की स्लॅब से जैसे ही ग्लास उठाने के लिए आगे की तरफ झुकी मुझे फिर से ऐसा लगा कि उसने मेरे नितंब को हाथ लगा कर दबा दिया है. मेरा मन उसे उसकी इस हरकत पर गाली देने को कर रहा था, क्यूकी मेरे नितंब पर उसके हाथ लगाने से मेरे हाथ से ग्लास छूट कर नीचे गिर गया. मैं बुरी तरह से हड़बड़ा गयी थी ऑर जब उसकी तरफ घूरते हुए देखा तो उसने अपने मुँह पर ठीक उसी तरह से हाथ रख रखा था जिस तरह से खिड़की से मैने उसका लिंग देखने के बाद अपने मुँह पर हाथ रख रखा था.

उसकी इस हरकत से तो मेरा खून ऑर भी बुरी तरह से खूल गया. उसने अपने मुँह से हाथ हटाया ओर वही गंदी सी हँसी अपने चेहरे पर ले कर मुस्कुराते हुए मुझे देखने लग गया. मैने उसे वापस ग्लास मे पानी दिया ऑर किचन से बाहर निकलने लगी. वो दरवाजे को आधे से ज़्यादा घेरे हुए खड़ा हुआ था जिस कारण मैने उसकी तरफ देखा ऑर इशारे से उसे रास्ते से हटने को कहा. उसने दरवाजे से हटने की जगह मुझे खाली ग्लास पकड़ा दिया. मैने ग्लास ले कर रख दिया ऑर बाहर निकलने लगी.

तभी उसने मुझे पीछे से टोक दिया.

भाभी जी आप को मज़ा आया कि नही ? उसने अपने चेहरे पर उसी गंदी हँसी के साथ मेरी तरफ देखते हुए कहा.

मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ घूर कर देखा.

वैसे भाभी जी आप से एक बात कहु आप हो बोहोत खूबसूरत. मनीष भैया ने सच मे बोहोत पुन्य करे होगे जो उन्हे आप जैसी लड़की मिली.
क्रमशः............
 
तड़पति जवानी-पार्ट-6

गतान्क से आगे.........
मुझे समझ मे नही आ रहा था कि वो मेरा मज़ाक बना रहा था या मेरी तारीफ कर रहा है मैं अचरज भरी निगाहो से उसकी तरफ देखने लगी.

अरे भाभी जी सच मे आप सच मे बोहोत सुंदर हो. अपने पूरे गाँव मे आप जैसे सुंदर दुल्हन किसी की नही है. अपने बारे मे तारीफ सुन कर ना जाने क्यू मुझे अच्छा लगने लग गया. पर उपर से दिखावा करते हुए मैने उसे डाँट दिया.

बंद करो अपनी ये सब बकवास ओर अपने काम से काम रखो मनीष को आने दो मैं मनीष से तुम्हारी शिकायत करूगी. मैने उसे थोड़ा डराते हुए कहा.

कॉन सी वाली शिकायत भाभी जी.? आप के तिल वाले फोटो की या अभी थोड़ी देर पहले जो आपने ने खिड़की से देखा उसकी.?

हे भगवान.. मेरा मुँह खुला का खुला रह गया. यानी इसे सब पता था कि मैं खिड़की पर खड़े हुए सब देख रही थी. मेरे पास अब बोलने को कुछ नही था. मैं उसकी तरफ घूरते हुए वापस अपने कमरे मे आ गयी.


आज तक मैने खुद को कभी इतना असहाय महसूस नही किया था जितना की उस वक़्त कर रही थी. मैं कमरे मे ढंग से अभी आ भी नही पाई थी कि वो भी पीछे से आ गया.

वैसे भाभी जी एक बात पुच्छू आप को वो सब देख कर मज़ा आया कि नही. ? उसने अपनी बत्तीसी फाड़ते हुए कहा.

उसकी बात सुन कर मन तो ऐसा कर रहा था कि इसकी बत्तीसी तोड़ दू घूँसा मार कर पर कर कुछ भी नही सकती थी क्यूकी ग़लती मेरी ही थी जो मैने उसे खिड़की से खड़े हो कर देखा था ऑर इसी कारण उसने मुझे देख लिया था. ना मैं उसे खिड़की से देखती ना वो ये सब मुझसे कहने की हिम्मत करता.

भाभी जी आपने बताया नही आप को कैसा लगा ? उसने अपनी लूँगी के उपर से ही अपने लिंग को मसल्ते हुए कहा

उसकी आवाज़ सुन कर मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आई. ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उसकी लूँगी की तरफ चली गयी जिसमे से उसका लिंग लगभग टेंट की शकल बनाए हुए था. मेरी निगाहे जैसे कुछ पल के लिए वही अटक कर रह गयी. उसकी लूँगी मे उसका लिंग जिस तरह से झटके ले रहा था. मेरा तो गला सूखने लग गया उस सब को देख कर मैने जब देखा कि वो मेरी निगाहो की तरफ ही देख रहा है तो मैने फ़ौरन वहाँ से अपनी नज़र हटा ली.

ऐसे क्या देख रही है भाभी जी, आप ही का है. चाहो तो हाथ लगा कर देख लीजिए भाभी जी आप की ही सेवा के लिए है. कहते हुए उसने अपनी लूँगी अपने लिंग के उपर से हटा दी. जिस कारण उसका लिंग किसी साँप की तरह से फंफनता हुआ बाहर निकल आया.

इतना बड़ा लिंग वो भी इतने पास से देख कर मेरी तो जैसे साँसे ही अटक गयी थी.

उसकी इस अप्रतियशित हरकत से मैं बुरी तरह हॅड-बड़ा गयी. ऑर लग-भग हकलाते हुए उस से कहा “ये क्या बद-तमीज़ी है.? अपनी हद मे रहो.” यहाँ पर तुम अपने काम से काम रखो ऑर मेरे से फालतू की बात करने या इस तरह की कोई भी गंदी हरकत करने की ज़रूरत नही है. मैने उसे गुस्से से तिलमिलाते हुए कहा. मुझे सच मे उसकी इस हरकत पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मन कर रहा था कि अभी इस के गाल पर एक चाँटा खींच कर मार दू. इसे ज़रा भी तमीज़ नही है लड़कियो से कैसे बात करते है.

क्या भाभी जी वैसे आप छुप छुप कर देख रही थी ओर जब मैं आप के सामने इसे दिखा रहा हू तो आप नखरे कर रहे हो. उसने बुरा सा चेहरा, जो पहले से ही था ओर भी ज़्यादा खराब करते हुए कहा ऑर अपने लिंग की खाल को पीछे की तरफ कर दिया. जिस कारण उसके लिंग का शिशिनमूड(टोपा, सूपदे ) पूरी तरह से मेरी आँखो के सामने आ गया.

अभी मे कुछ ओर कहती या सुनती इस से पहले ही लाइट चली गयी. लाइट जाने से मैं बुरी तरह से घबरा गयी मेरी समझ मे कुछ नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही. तभी उसने मुझे कस कर अपने सीने से चिपक लिया. उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं चाह कर भी कुछ नही कर पा रही थी. मैने अपनी तरफ से पूरी कोसिस की उसकी क़ैद से आज़ाद होने के लिए पर मैं उसकी बाँहो की गिरफ़्त से ज़रा भी हिल-डुल नई सकी.

मुझे अपनी गिरफ़्त मे लिए हुए ही वह अपना मुँह मेरे चेहरे की तरफ ले आया. उसके मुँह से अजीब किस्म की बदबू आ रही थी. जिसे महसूस करते ही मेरा जी बुरी तरह से मिचलने लग गया ऑर मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं उल्टी कर दुगी. पर उससे पहले ही उसने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए ओर उन्हे बुरी तरह से चूसने लग गया.

उसके होंठ चूसने का तरीका इतना गंदा था कि मेरे होंठो से खून तक निकल आया. बिल्कुल जनवरो की तरह से.

मैने बड़ी मुश्किल से अपने चेहरे पर से उसका चेहरा हटाया था. ऑर नीचे उसका लिंग मेरे पेट मे रगड़ मार रहा था.
 
हे तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छुने की… छ्चोड़ो मुझे अभी के अभी.. मैने उसकी क़ैद से आज़ाद होने के लिए छटपटाते हुए कहा. उसने इस तरह से पकड़ रहा था कि मेरी दोनो बाँहो मे बहता हुआ खून सा रुक गया था.

अमित ने मुझे घूमा वैसे ही पकड़े पकड़े घूमा दिया जिस कारण अब मेरी पीठ उसकी तरफ थी ऑर उसकी निकलती हुई साँसे मुझे मेरे कंधे पर महसूस हो रही थी.

पीठ की तरफ घूम जाने से मुझे मेरे नितम पर उसका लिंग साफ महसूस हो रहा था जिसे महसूस करते ही मेरे पूरे शरीर मे एक बिजिली सी कोंध गयी.

अचानक उसने अपना एक हाथ पकड़ से हटा कर मेरे नितंब पर रख दिया. उसका हाथ अपने नितंब पर महसूस करते ही एक अजीब से डर के कारण मेरे रोंगटे खड़े हो गये.

मैने उसकी क़ैद से निकलने की दोबारा कोसिस करते हुए उस से कहा.. छ्चोड़ो मुझे ये क्या कर रहे हो ?

पर वो तो अपनी मस्ती मे मस्त था.. अपना चेहरा मेरे कान के नज़दीक ला कर धीरे से मेरे कान मे बोला बोहोत मुलायम है. एक दम रूई के गद्दे के जैसे. ऑर खिल-खिला कर हंस दिया

मैं कहती हू अपना हाथ वहाँ से हटा लो. वरना इसका नतीजा अच्छा नही होगा. मैने लगभग पूरी ताक़त से से उसकी पकड़ से निकलने का प्रयास किया ऑर अपने दाँत भींचते हुए उस से कहा.

पर उसने मेरी एक नही सुनी मैं बराबर उस से मुझे छोड़ने की कह रही थी लेकिन वो उतनी ही सख्ती के साथ अपने हाथ को मेरे नितंब पर चलाए जा रहा था. बारी बारी से उसने मेरे दोनो नितंबो को मसल कर रख दिया.

मैने जल्दी जल्दी मे कपड़े पहनने के चक्कर मे अंदर पनती ओर पेटिकोट नही पहना था जिस कारण उसका हाथ मेरे नितंबो पर आसानी से चल रहा था ऑर मेरे दोनो नितंबो को मसले जा रहा था. उसके इस तरह मेरे नितंबो को मसल्ने से मेरी सारी पूरी तरह से ढीली हो गयी थी.

उसके हाथो से अपने नितंबो को इस तरह से मसले जाना मुझे अंदर ही अंदर कही ना कही बड़ा अच्छा सा फील करा रहा था. मैने पकड़ से बाहर निकलने की कोसिस करना भी बंद सा कर दिया था. पर तभी मैं बुरी तरह से काँप उठी. उसने नितंबो को मसल्ते मसल्ते ही साड़ी के उपर से नितंबो की दरार मे उंगली डाल दी. अपने नितंबो के बीच मे उंगली महसूस करते ही मेरा पूरा बदन फिर से थर-थर काँपने लग गया.

तुम हट रहे हो कि नही. मैं मनीष को अभी फ़ोन करके सब बता दूँगी. मैने अबकी बार लग-भग चिल्लाते हुए कहा

बता देना जिसे भी बताना है. पर भाभी जी इसमे नुकसान आप का ही होगा. उसने मेरे कंधे को चूमते हुए कहा. हर कोई मेरी तरह गांद की मालिश नही कर सकता. सोच लो. खिल-खिलाते हुए उसने अपनी बात पूरी की.

शट-अप, बंद करो अपनी बेहूदा बकवास. एक तरफ मुझे भाभी कह रहे हो ऑर दूसरी तरफ मेरे साथ ये सब कर रहे हो शरम नही आती तुम्हे.

देवर भाभी, जीजा-साली के रिश्ते मे ये सब चलता है. तुमने सुना नही है साली आधी घर वाली होती है. ऑर भाभी मा के समान जब मा अपने बच्चे को दूध पिला सकती है तो भाभी क्यू नही पिला सकती. भाभी जी माँ बन कर दूध पिलाओगी ? उसने खिल-खिलाते हुए कहा.

मैने कहा छ्चोड़ो मुझे. तुम मेरे साथ ऐसा कुछ भी नही कर सकते हो. मैने गुस्से भरी आवाज़ मे उस से कहा.

उसने मेरी साड़ी को मेरे नितंबो के उपर से नितंबो की दरार मे अंदर की तरफ धकेलते हुए उसने अपनी एक उंगली मेरे नितंब के छेद पर ले जा कर टिका दी. आज तक किसी ने भी मुझे वहाँ नही च्छुआ था यहाँ तक कि मनीष ने भी नही. उसकी उंगली अपने गुदा द्वार पर महसूस करते ही मेरा शरीर काँपने लग गया.

भाभी कमाल की गांद है तुम्हारी एक दम गजब. मनीष भैया तो खेले बिना नही रह पाते होंगे ऐसी मस्तानी मतवाली गांद से. एक दम कातिलाना गांद है तुम्हारी भाभी.

तुम्हे क्या लेना देना है ऑर चुप-चाप से मुझे छ्चोड़ दो अगर अपनी भलाई चाहते हो तो. मैने उसे एक बार फिर से चेतावनी देते हुए कहा.

पर उसने मेरी बात को पूरी तरह से अन सुना कर दिया ओर बराबर मेरे गुदा छेद को रगड़ना शुरू कर दिया. उसकी इस हरकत पर मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था पर उसकी पकड़ मे होने के कारण कुछ कर नही पा रही थी. लेकिन धीरे धीरे उसके मेरे गुदा छेद को रगड़ने से मुझे मेरे शरीर मे एक अजीब सी हलचल महसूस होने लग गयी. सबसे बड़ा झटका तो मुझे तब लगा जब मुझे अपनी दोनो टाँगो के बीच मे गीला गीला सा महसूस होने लग गया. मेरे पीछे वाले छेद पर हो रही रगड़ के कारण मेरी योनि ने गीला होना शुरू कर दिया था. जिस कारण मैं एक दम खामोशी के साथ जो कर रहा था उसे करने दे रही थी.
 
आप को मज़ा तो आ रहा है ना निशा भाभी. उसने फिर से बेशर्मी से अपनी बत्तीसी फाड़ते हुए कहा.

तुम्हे शरम आनी चाहिए मेरे साथ ये सब करते हुए. मैने उस से गुस्से भरे अंदाज मे कहा.

आ तो बोहोत रही है भाभी जी पर मैं दिल के हाथो बोहोत मजबूर हो गया हू. जब से आया हू तब से आप की कातिल मतवाली गांद का नशा मेरी आँखो से हट’ती ही नही है.

शट-अप, चुप रहो मैने उसकी तरफ गुस्से से कहा. इस दौरान उसने कब मेरे सरीर से अपनी पकड़ ढीली कर ली मुझे पता ही नही चला था

अचानक उसने कुछ अजीब तरह से मेरे पीछे के छेद को इस तरह से रगड़ दिया जी से मेरे मुँह से खुद ब खुद सिसकारी सी निकल गयी. ओर मैं थोड़ा उछल कर आगे की तरफ हो गयी

मेरे आगे की तरफ को होते ही लाइट भी आ गयी.



लाइट के आते ही मैं एक दम से होश मे आई ऑर अपने आप को उसके चंगुल से पूरी तारह छुड़ाते हुए देख लेना देहाती मैं ये सारी बाते मनीष को बताउन्गि तब देखना वो तुम्हारा क्या हाल करते है कह कर फ़ौरन अपने कमरे को अंदर से बंद कर लिया.

कमरे के अंदर आते ही मैं बेड पर जा कर गिर पड़ी. मेरी आँखो मे आँसू आ गये थे मुझे बोहोत बुरा लग रहा था कि मनीष की बीवी होने के बाद भी मैने अपने शरीर को उसे च्छुने दिया. बेड पर मेरा बदन बुरी तरह से थर-थर काँप रहा था. मुझे अभी भी अपने दोनो नितंबो के बीच मे उस अमित की उंगली अपने गुदा छिद्र पर महसूस हो रही थी.

मुझे यकीन करना मुस्किल हो रहा था कि मेरे साथ मेरे ही घर मे उसने ये सब कुछ किया ओर तो ओर मैं भी उसकी हरकत से अपने आप पर काबू नही रख पाई. मैं मन ही मन अमित को गाली देती जा रही थी.

अब कुछ भी हो जाए पानी सर से उपर हो गया है मुझे मनीष को सब कुछ साफ साफ बताना होगा. मैने मनीष का नंबर. लगाया पर मनीष का नंबर नोट रीचबल आ रहा था. ये मनीष भी ना. जब भी इन्हे किसी ज़रूरी काम से फ़ोन करती हू हमेशा इनका नंबर. नोट रीचबल आता है या फ़ोन उठाते ही नही है. मेरी टांगे बुरी तरह से चिप-चिपा रही थी. मैने सोचा की नहा लिया जाए वरना से गंदा एहसास मुझे पूरी रात परेशान करता रहेगा. पर……. कही वो दरवाजे के बाहर ही हुआ तो ?

नही….. नही वो बाहर नही होगा अब तो काफ़ी रात हो गई है वो अपने कमरे मे सो गया होगा. मैने अपने आप ही सवाल किया ऑर अपने आप ही उसका जवाब दे दिया. पर फिर भी एक बार कन्फर्म कर लेना ठीक है. कही उसने ये सब हरकत दोबारा शुरू कर दी तो ?

काफ़ी देर तक मैं खुद से सवाल जवाब करती रही. इधर एसी का चलना ना चलना एक बराबर था. पर जब वीर्य के सूख जाने से उसकी चुभन मेरी जाँघो पर तेज होने लगी तो मुझ से रहा नही गया ऑर मैने बोहोत ही धीरे से थोड़ा सा दरवाजा खोला ऑर सर निकाल कर इधर उधर देखा जब मैने चारो तरफ देख लिया ऑर मुझे विश्वास हो गया कि वो कही भी नही है. मैने पूरा दरवाजा खोल दिया ऑर उसके कमरे की तरफ देख. उसके कमरे का दरवाजा बंद था इस का मतलब वो अपने कमरे मे ही है.

मैं जल्दी से अपने कमरे मे वापस आई ऑर अपने दूसरे कपड़े अलमारी से निकाल लिए. ऑर उन्हे ले कर बाथ रूम मे आ गयी. एसी कमरे से बाहर निकलने के बाद तो गर्मी जैसे अपने चरम पर थी. बाथरूम के अंदर आते ही मैने जल्दी से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया.

बाथरूम मे आ कर मैं जल्दी से अपने शरीर से कपड़े निकालने लग गयी. कुछ ही समय मे मैने अपने शरीर से पूरे कपड़े निकाल दिए थे. मेरे शरीर पर एक भी कपड़ा नही रहा था.

मैने अपने शरीर पर ठंडा ठंडा पानी डालना शुरू कर दिया. ऑर अपनी टाँगो को रगड़ रगड़ कर सॉफ करने लगी जहा मेरा योनि रस बह बह कर मेरी जाँघो पर जम गया था.

जैसे जैसे पानी मेरे जिस्म पर गिरता जा रहा था मेरे दिल को कुछ राहत मिल रही थी. पर अगले ही पल फिर से वही एहसास मुझे अपने नितंबो पर होने लगा. जैसा थोड़ी देर पहले उसने मुझे पकड़ लिया था तब हुआ था.

शरीर पर पानी गिरने के बाद भी मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह से दहक उठा. उस एहसास ने ना जाने मुझ पर क्या जादू सा कर दिया था. मेरा हाथ अपने आप ही मेरे नितंबो पर आ गया. पहली बार मैने अपने नितंबो को छू कर देखा ऑर सच मे वो एक दम रूई के जैसे मुलायम रखे हुए थे. उसने कुछ भी ग़लत नही कहा था उसकी बात याद करते ही मेरे चेहरे पर अपने आप हँसी आ गयी.

पर मेरे बदन मे जो एक अजीब किस्म की खुमारी एक अजीब किस्म का नशा चढ़ता जा रहा था. जाने क्या हो गया था मुझे कहाँ तो मैं कभी कभी मनीष को सेक्स के लिए मना कर देती थी ऑर आज मैं खुद ही ज़रा ज़रा सी बात को सोच कर ही अपने आप बहकति जा रही थी ऑर इसी कारण ना चाहते हुए भी मेरी योनि ने एक बार फिर से बहाना शुरू कर दिया था.

अपनी योनि के रिसाव से मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, मैं खड़ी हुई थी पर मेरी योनि ने रिसाव करना जैसे ही शुरू किया मेरी टाँगो ने जवाब दे दिया. ऑर मैं नीचे फर्श पर ही बैठ गयी नीचे बैठ ते के साथ ही कब मेरे हाथ की मेरी योनि के साथ जंग कहु या दोस्ती, जो शुरू हुई उसने तो मुझे रोमांच की नयी उँचाई पर ले जा कर खड़ा कर दिया.

क्रमशः................
 
तड़पति जवानी-पार्ट-7

गतान्क से आगे.........
जब रोमांच का वो दौर थमा तो मेरा हाथ मेरे योनि रस मे पूरा का पूरा सन चुका था. मैं जल्दी से पानी से अपना हाथ ऑर अपनी योनि को सॉफ करने लगी तभी बाहर से आती हुई आवाज़ ने मुझे बुरी तरह से चोव्क्ने पर मजबूर कर दिया..

भाभी जी ये उंगली से करने की जगह नही है.. कब तक उंगली से काम चलाओगी ? मेरा लंड तैयार है एक दम खड़ा हुआ है बस एक बार आप कहो तो सही… हहहे

मेरी तो साँसे ही अटक गयी उसकी आवाज़ ऑर फिर भयानक हँसी सुन कर. समझ मे नही आ रहा था कि क्या करू क्या नही.. ये तो बाहर ही खड़ा हुआ है ऑर ये मुझे देख रहा था... हे भगवान.... क्या करू... मैने जल्दी से खड़े हो कर अपने कपड़े उठाए ऑर उन्हे पहनना शुरू कर दिया... 

मेरी डर के मारे हालत खराब हो रही थी. क्या करू ? बाहर कैसे जाउन्गि अब ? कही ये फिर से मुझे ना पकड़ ले. हे भगवान क्या करू अब ? उस वक़्त तो जैसे मेरे दिमाग़ ने काम करना बिल्कुल बंद ही कर दिया था.

मैने डरती हुई आवाज़ मे कपड़े पहन कर उस से कहा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?

भाभी जी नींद ही नही आने दे रही हो आप ? ऑर आप अपनी उंगलियो को क्यू बेकार मे तकलीफ़ दे रही हो ? भला उंगली से ही कभी चूत की प्यास बुझी है ? चूत की प्यास बुझती है लंड से. ओर मुझे अच्छे से पता है मनीष भैया के लंड की तुम्हे बोहोत याद आ रही है..हहहे……. पर आप चिंता ना करो उनकी कमी को पूरा करने के लिए मैं हू ना.

बंद करो अपनी बकवास ओर चुप-छाप अपने कमरे मे चले जाओ. ये सब फालतू की बात मुझसे करने की कोई ज़रूरत नही है.. समझे की नही. मैने उसे गुस्से से चिल्लाते हुए कहा.

भाभी जी… बेकार का काम तो आप कर रही हो उंगली कर के.. अरे जब आप के पास आप के ही घर मे लंबा ऑर मोटा लंड है तो उसे ईस्तमाल ना करके आप ही बेकार काम कर रही हो.. हहहे…

बंद करो देहाती अपनी बकवास ओर चुप-चाप यहा से चले जाओ. मैने फिर से उसे गुस्से मे डाँट’ते हुए कहा.

अब उसके जाने की उसके कदमो की आवाज़ सुनाई देने लग गयी. उसे सुन कर मेरी जान मे जान मे आई. मैने हल्के से बाथरूम का दरवाजा खोल कर देखा तो वहाँ कोई नही दिखाई दिया. मैं अपने गीले कपड़े वही छ्चोड़ कर जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने कमरे मे आ गयी.

कमरे मे आते ही मैने कमरे को अंदर से कुण्डी लगा कर बंद कर लिया. ऑर बेड पर लेट गयी. नहा लेने से अब कुछ हल्का हल्का अच्छा लग रहा था. पर मेरा दिमाग़ इस बात को लेकर काफ़ी गुस्से मे था कि वो हर वक़्त मुझ पर नज़र रखे हुए है. ऑर तो ऑर उसकी हिम्मत इतनी बढ़ गयी है कि बाथरूम के अंदर मुझे नंगा देख रहा था.

क्या सोच रहा होगा मेरे बारे मे.? कही उसने बाथरूम मे मेरी फोटो तो नही ले ली ? उसका कोई भरोसा नही है. कुछ भी कर सकता है. अगर उसने वो सब अपने मोबाइल मे फीड कर लिया होगा तो ? गाँव मे जाकर सब को दिखाएगा.. सोच कर ही डर के मारे मेरी हालत खराब हो गयी. अब मैं क्या करू ?

तभी दरवाजे की बेल बज गयी…

मैं अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी. मैने जल्दी से तोलिया हटा कर अपने कपड़े पहनना शुरू कर दिया. इस सब को याद कर के मैं बुरी तरह से गीली हो गयी थी पर इस वक़्त कोई दरवाजे पर आ गया था.
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इस लिए मैने जल्दी से अपने बाकी कपड़े पहने ऑर दरवाजे पर जा कर देखने लगी कॉन आया है.? दरवाजा खोल कर देखा तो सामने रूपा खड़ी हुई थी. रूपा को देख कर मुझे टाइम का एहसास हुआ कि मैं अपने ख़यालो मे इतना खो गयी थी कि कब शाम हो गयी पता ही नही चला.

रूपा के अंदर आते ही मैने दरवाजा बंद कर लिया. करने के लिए कोई काम तो ख़ास था नही बस दो-तीन झूठे बर्तन थे साफ करने के लिए. जिन्हे उसने जल्दी से साफ भी कर दिया. ऑर हल्की फुल्की झाड़ू पोंचा भी कर दिया.
 
रूपा जब ज़मीन पर झाड़ू लगा रही थी तब मेरी नज़र उसके उभारो पर गयी. उसके दोनो उरोज आज भी उस दिन की तरह एक दम सख़्त हो रहे थे. रूपा को देख कर मुझे उसकी रात वाली सूरत याद आने लग गयी जब वो अपने चेहरे पर अलग-अलग तरह के भाव ला रही थी. जैसे जैसे अमित उसमे धक्के लगता उसके मुँह से सिसकारिया निकालने लग जाती. उसने सिसकारिया लेते हुए अपने दोनो होंठो को एक दूसरे के साथ कस कर जाकड़ लिया था ताकि मुँह से ज़्यादा तेज आवाज़ ना निकल सके.. हर धक्के के साथ उसके चेहरे के भाव बदल से जाते थे.

पर जब भी अमित मेरे बारे मे उस से पूछता था उसके चेहरे के भाव एक दम अलग ही हो जाते थे. जैसे की वो मेरे बारे मे सुन कर बोहोत जल भुन सी गयी हो. एक अजीब सी फिकर एक अजीब सी चिंता उसके चेहरे पर घर कर लेती थी.

मेरा ध्यान अब भी उसकी छाती पर ही था उसने हाफ़ कट बाजू वाला ब्लाउस पहना हुआ था. ऑर ब्लाउस मे से उसके क्लीवेज सॉफ नज़र आ रहे थे. उसके दोनो उरोज ऐसा लग रहा था जैसे ब्लाउस कूद कर अभी बाहर आ जाएगे. उसका रंग थोड़ा दबा हुआ था ब्लॅक तो नही कहा जा सकता पर हल्का सांवला ज़रूर था.

झाड़ू लगाते हुए पता नही कब उसने मुझे अपनी छाती घूरते हुए देख लिया मुझे पता ही नही चला..

ऐसे क्या देख रही हो मेम्साब ? आप से ज़्यादा सुंदर नही है..हहहे

उसकी बात सुन कर मैं बुरी तरह से चोव्न्क गयी. क्या क्या क्या देख रही हू कुछ भी तो नही. ऑर क्या मुझसे ज़्यादा सुंदर नही है.? मैने लगभग बुरी तरह से हॅड-बदाते हुए कहा.

अरे मेम्साब वही जो अभी आप देख रही थी कहते हुए उसने अपना एक हाथ अपने उरोज पर रख दिया.

मेरी दोनो आँखे शरम से नीचे हो गयी. क्या बकवास कर रही हो ? ऐसा कुछ नही है मैं तो वो बस तुम्हारे ब्लाउस की डिज़ाइन देख रही थी.

मेंसाब् मिश्रा मेम्साब आप के बारे मे पूछ रही थी.? कह रही थी कि जब उनके घर जाना तो उनसे कह देना कि मुझसे बात कर ले. उसने बात को वही घुमा कर ख़तम करते हुए कहा.

कब पूछ रही थी मिसेज़. मिश्रा मेरे बारे मे ? मैने उस से थोड़ा गंभीर होते हुए पूछा

जी अभी थोड़ी देर पहले ही जब मैं उनके यहाँ काम करने गयी थी यहा आने से पहले तब ही कहा था कि आप से बोल दू कि मिश्राइन जी से बात कर लो.

ठीक है मैं बात कर लुगी उनसे. मैने बात को ज़्यादा आगे ना बढ़ाते हुए उसे गंभीर होते हुए जवाब दे दिया.

थोड़ी ही देर मे वो अपना काम ख़तम करके चली गयी. ओर मैने दरवाजा बंद कर लिया. उसके जाने के बाद ही मैने म्र्स. मिश्रा को फ़ोन लगाया.

मिसेज़. मिश्रा हमारे पड़ोस मे ही रहती है. उनकी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई थी. मिसेज़. मिश्रा के पति किसी MणC मे काम करते है, ऑर किसी ऑफीसर पोस्ट पर है. 2-4 पार्टी मे हम दोनो की एक साथ मुलाकात हुई थी ओर मेरी उस से काफ़ी अच्छी दोस्ती भी हो गयी थी. फ़ोन की दो तीन घंटी बजने के बाद ही फ़ोन उठा लिया गया.
 
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