hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
मेरी आँख खुली तो मैं जमीं पर पड़ा था और कोमल भाभी मेरे चेहरे पर झुकी हुयी थी......वो धीरे धीरे मेरे गालों को थपथपा रही थी......और मुझे पुकार रही थी......मेरे मुंह से एक कराह निकली और मैं उठने की कोशिश करने लगा......कोमल भाभी ने मेरे सीने पर हाथ रखकर मुझे फिर से लेता दिया और बोली,
"हे भगवन.......भैया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी......हाय....हाय.....अगर बिजली का काम नहीं आता तो हां क्यों किया जी.....?........देखो अब लगता है पुरे घर का फ्यूज उड़ गया है......."
मैंने नज़रे घुमाई तो सची में घर अँधेरे में डूबा था.....मगर बाहर से ढलते सूरज को कुछ किरणे अभी भी घर के अंदर तक आ रही थी.......और वो साली सब की सब मादरचोद किरणे.......कोमल भाभी की गोरे गोरे गले और उसके निचे लगे तोतापरी आमो पर पड़ रही थी. भाभी का अंचल तो कब का गिर चूका था.
ढलते सूरज की सोने जेसे किरणे भाभी के दूधिया मम्मो पर पढ़ रही थी......उनका लाल रंग का रुबिया ब्लाउस जेसे पारदर्शी हो गया था और उसके निचे काली नेट वाली ब्रा भी दिख रही थी....
और दिख रहे थे उस ब्रा में कैद....भाभी के नरम नरम निप्पल.....मादरचोद दोनों मम्मो के निप्पल साफ़ दिख रहे थे......क्योकि निप्पल किसी कारण से कड़क हो गए थे.
बिजली के झटके कि माँ की चूत...बाबूराव तोप से निकले गोले जैसी तेज़ी में तुरंत खड़ा हो गया.
कीड़ा सारी टांगे ऊपर कर के पूरी तेज़ी में कुलबुलाने लगा.
मुझे लगा कि भाभी शायद कुछ बोल रही है.....
लगता है जब भी लंड खड़ा होता है तो दिमाग का सारा खून लौड़े में ही चला जाता है. न कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ समझ में आता है.
मैं हड़बड़ाया, " हाँ,.....क..क..क..क्या ...भाभी.....?"
"अरे क्या क्या...क्या लगा रखा है.....यह फ्यूज भी ना.....अब तुम कर लोंगे ? हाय...मगर तुमको तो बिजली का काम ही नहीं आता है ......चलो मैं ही देखती हूँ........."
मैंने सर हिलाया और खड़ा होने लगा.....मुझे ऐसा लगा कि भाभी ने कनखियों से उनको सलामी दे रहे बाबूराव को भी देख लिया था...मगर उन का चेहरा अँधेरे में था....सारी की सारी किरणे जो उनके सीने पर पद रही थी..उनके खड़े होने के बाद उनके पेट पर पड़ने लगी......और मेरी साँसे रुकने लगी....
झुकने उठने में भाभी के पेट पर से साड़ी हट गयी थी और सूर्य देव अपनी किरणे सीधे उनकी.........
नाभि पर गिरा रहे था.......लोगो से सुना है की नाभि में नाभि....सबसे सेक्सी नाभि दो ही हिरोइनो की है.
या तो शिल्पा शेट्टी की या फिर उर्मिला मार्तोंडकर की......
बाबा जी के भुट्टे........
कोमल भाभी जैसी नाभि तो भेनचोद सनी लेओनी की भी नहीं होगी.,..
मैं बार बार नज़रे हटता और मेरी नज़रे कुत्ते की पूँछ जैसे बार बार वही पर आ कर टिक जाती.
मुझे लग रहा था की भाभी मेरी नज़रो का डायरेक्शन कभी भी पकड़ लेगी....
पकड़ ले तो पकड़ ले......माँ की चूत......भाभी की नाभि की बनावट तो अंडाकार थी मगर शादी के बाद बेचारी थोड़ी सी मांसल हो गयी थी...और नाभि के चारो और सॉफ्ट सॉफ्ट पेट निकल थोडा निकल आया था.....और इसी नरम नरम पेट में जड़ी नाभि ने मेरे बाबूराव को कड़क कड़क कर डाला.
"अरे,......शॉक में हो क्या भैया......हल्लो.....?", भाभी ने थोडा ज़ोर से बोला....
"हैं......नहीं.....न...न....नहीं......म....म.....मैं......वो......"
यह हकलाने की माँ का भोसड़ा यार.......
मैंने तुरंत नज़रे इधर उधर कर ली.....शायद भाभी को भी लग गया था की मैं नज़रों से उनकी नाभि का अमृतपान कर रहा था....उन्होंने साड़ी का पल्लू सामने से फैला लिया....
लो लंड मेरा.....गिर गया पर्दा.
मेरी तो इच्छा हुयी की भाभी की साड़ी ही......नहीं नहीं......कंट्रोल......
मैं चूतिये जैसे इधर उधर देखने लगा.....तभी भाभी बोली, "अरे लल्ला भैया......चलो भी.....फ्यूज बदलना है ना.....फिर मुझे खाना भी बनाना है.....आज यह भी टूर से लोट कर आ रहे है.....इतने दिनों बाद...."
हाँ भेनचोद .....वो तो आएगा थकाहारा और तू साली तेरी खुजाल के चक्कर में उस गरीब लंड को रात भर नहीं सोने देगी......
मैंने सोचने लगा....पहली ट्रिप तो भैया लगा लेता होगा....मगर उसके बाद की २-३ ट्रिप तो भाभी ही उसको उकसा उकसा कर लगवाती होगी.....ऐसा गद्दर माल है.....एक ट्रिप में तो इस भेनचोद का इंजन गरम होता होगा......
"अरे तुम्हारे सर का कोई तार वार हिल गया है क्या.....ऐसे कैसे खड़े हो......चुपचाप.....
मेरी ख्यालों कि ट्रेन ने ब्रेक मारा......"हैं....हाँ....हाँ......म...म...मेरा मतलब है कि नहीं मुझे नहीं आता......"
"चलो.....हर बार जब ये फ्यूज बदलते है तो मैं टॉर्च पकड़ के रखती हूँ ........अब तुम पकड़ लेना....."
क्या पकड़ लेना जानेमन.....मेरी इच्छा तो तुझे पकड़ने कि हो रही है.....मेरे दिमाग में तो भाभी के कड़क निप्पल और जानलेवा नाभि ही घूम रही थी....मन में तो ऐसा आ रहा था कि इस साली हरामन को यही पटक के रगेद दूँ....मगर फटफटी .......चल पड़ती है यार.....
भाभी मुझे वहीँ छोड़ कर अंदर गयी और टॉर्च ढूंढ कर ले आयी......और उसे ऑन करके फ्यूज बॉक्स कि और चल पड़ी......
किरणे अब भाभी की लाल साड़ी में कसी हुयी गांड पर पड़ रही थी...
मेरे कमज़ोर दिल पर ऐसा इमोशनल अत्याचार......
भाभी की चाल में ही कुछ ऐसी बात थी यार......गप....गप......एक ऊँचा एक निचा.....ओये होये.
भाभी अचानक रुकी और सिर्फ अपनी गर्दन को थोडा सा मोड़ कर मुझसे कहा,
"अब आओगे भी या....ऐसा ही बुत बने देखते रहोगे.....?"
इसकी माँ की.....इसको कैसे पता चला की मैं इसको टाप रहा था.....तभी मेरी नज़र सामने लगे शीशे पर पड़ी और शीशे में ही हमारी ऑंखें चार हो गयी
आके सीधी लगी दिल पे मेरे नजरिया......ओ गुजरिया....
भाभी ने हलकी सी स्माइल दी और आगे चलने लगी.....और मैं उनके पीछे चाल पड़ा जैसे भूखा कुत्ता हड्डी की पीछे.
"हे भगवन.......भैया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी......हाय....हाय.....अगर बिजली का काम नहीं आता तो हां क्यों किया जी.....?........देखो अब लगता है पुरे घर का फ्यूज उड़ गया है......."
मैंने नज़रे घुमाई तो सची में घर अँधेरे में डूबा था.....मगर बाहर से ढलते सूरज को कुछ किरणे अभी भी घर के अंदर तक आ रही थी.......और वो साली सब की सब मादरचोद किरणे.......कोमल भाभी की गोरे गोरे गले और उसके निचे लगे तोतापरी आमो पर पड़ रही थी. भाभी का अंचल तो कब का गिर चूका था.
ढलते सूरज की सोने जेसे किरणे भाभी के दूधिया मम्मो पर पढ़ रही थी......उनका लाल रंग का रुबिया ब्लाउस जेसे पारदर्शी हो गया था और उसके निचे काली नेट वाली ब्रा भी दिख रही थी....
और दिख रहे थे उस ब्रा में कैद....भाभी के नरम नरम निप्पल.....मादरचोद दोनों मम्मो के निप्पल साफ़ दिख रहे थे......क्योकि निप्पल किसी कारण से कड़क हो गए थे.
बिजली के झटके कि माँ की चूत...बाबूराव तोप से निकले गोले जैसी तेज़ी में तुरंत खड़ा हो गया.
कीड़ा सारी टांगे ऊपर कर के पूरी तेज़ी में कुलबुलाने लगा.
मुझे लगा कि भाभी शायद कुछ बोल रही है.....
लगता है जब भी लंड खड़ा होता है तो दिमाग का सारा खून लौड़े में ही चला जाता है. न कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ समझ में आता है.
मैं हड़बड़ाया, " हाँ,.....क..क..क..क्या ...भाभी.....?"
"अरे क्या क्या...क्या लगा रखा है.....यह फ्यूज भी ना.....अब तुम कर लोंगे ? हाय...मगर तुमको तो बिजली का काम ही नहीं आता है ......चलो मैं ही देखती हूँ........."
मैंने सर हिलाया और खड़ा होने लगा.....मुझे ऐसा लगा कि भाभी ने कनखियों से उनको सलामी दे रहे बाबूराव को भी देख लिया था...मगर उन का चेहरा अँधेरे में था....सारी की सारी किरणे जो उनके सीने पर पद रही थी..उनके खड़े होने के बाद उनके पेट पर पड़ने लगी......और मेरी साँसे रुकने लगी....
झुकने उठने में भाभी के पेट पर से साड़ी हट गयी थी और सूर्य देव अपनी किरणे सीधे उनकी.........
नाभि पर गिरा रहे था.......लोगो से सुना है की नाभि में नाभि....सबसे सेक्सी नाभि दो ही हिरोइनो की है.
या तो शिल्पा शेट्टी की या फिर उर्मिला मार्तोंडकर की......
बाबा जी के भुट्टे........
कोमल भाभी जैसी नाभि तो भेनचोद सनी लेओनी की भी नहीं होगी.,..
मैं बार बार नज़रे हटता और मेरी नज़रे कुत्ते की पूँछ जैसे बार बार वही पर आ कर टिक जाती.
मुझे लग रहा था की भाभी मेरी नज़रो का डायरेक्शन कभी भी पकड़ लेगी....
पकड़ ले तो पकड़ ले......माँ की चूत......भाभी की नाभि की बनावट तो अंडाकार थी मगर शादी के बाद बेचारी थोड़ी सी मांसल हो गयी थी...और नाभि के चारो और सॉफ्ट सॉफ्ट पेट निकल थोडा निकल आया था.....और इसी नरम नरम पेट में जड़ी नाभि ने मेरे बाबूराव को कड़क कड़क कर डाला.
"अरे,......शॉक में हो क्या भैया......हल्लो.....?", भाभी ने थोडा ज़ोर से बोला....
"हैं......नहीं.....न...न....नहीं......म....म.....मैं......वो......"
यह हकलाने की माँ का भोसड़ा यार.......
मैंने तुरंत नज़रे इधर उधर कर ली.....शायद भाभी को भी लग गया था की मैं नज़रों से उनकी नाभि का अमृतपान कर रहा था....उन्होंने साड़ी का पल्लू सामने से फैला लिया....
लो लंड मेरा.....गिर गया पर्दा.
मेरी तो इच्छा हुयी की भाभी की साड़ी ही......नहीं नहीं......कंट्रोल......
मैं चूतिये जैसे इधर उधर देखने लगा.....तभी भाभी बोली, "अरे लल्ला भैया......चलो भी.....फ्यूज बदलना है ना.....फिर मुझे खाना भी बनाना है.....आज यह भी टूर से लोट कर आ रहे है.....इतने दिनों बाद...."
हाँ भेनचोद .....वो तो आएगा थकाहारा और तू साली तेरी खुजाल के चक्कर में उस गरीब लंड को रात भर नहीं सोने देगी......
मैंने सोचने लगा....पहली ट्रिप तो भैया लगा लेता होगा....मगर उसके बाद की २-३ ट्रिप तो भाभी ही उसको उकसा उकसा कर लगवाती होगी.....ऐसा गद्दर माल है.....एक ट्रिप में तो इस भेनचोद का इंजन गरम होता होगा......
"अरे तुम्हारे सर का कोई तार वार हिल गया है क्या.....ऐसे कैसे खड़े हो......चुपचाप.....
मेरी ख्यालों कि ट्रेन ने ब्रेक मारा......"हैं....हाँ....हाँ......म...म...मेरा मतलब है कि नहीं मुझे नहीं आता......"
"चलो.....हर बार जब ये फ्यूज बदलते है तो मैं टॉर्च पकड़ के रखती हूँ ........अब तुम पकड़ लेना....."
क्या पकड़ लेना जानेमन.....मेरी इच्छा तो तुझे पकड़ने कि हो रही है.....मेरे दिमाग में तो भाभी के कड़क निप्पल और जानलेवा नाभि ही घूम रही थी....मन में तो ऐसा आ रहा था कि इस साली हरामन को यही पटक के रगेद दूँ....मगर फटफटी .......चल पड़ती है यार.....
भाभी मुझे वहीँ छोड़ कर अंदर गयी और टॉर्च ढूंढ कर ले आयी......और उसे ऑन करके फ्यूज बॉक्स कि और चल पड़ी......
किरणे अब भाभी की लाल साड़ी में कसी हुयी गांड पर पड़ रही थी...
मेरे कमज़ोर दिल पर ऐसा इमोशनल अत्याचार......
भाभी की चाल में ही कुछ ऐसी बात थी यार......गप....गप......एक ऊँचा एक निचा.....ओये होये.
भाभी अचानक रुकी और सिर्फ अपनी गर्दन को थोडा सा मोड़ कर मुझसे कहा,
"अब आओगे भी या....ऐसा ही बुत बने देखते रहोगे.....?"
इसकी माँ की.....इसको कैसे पता चला की मैं इसको टाप रहा था.....तभी मेरी नज़र सामने लगे शीशे पर पड़ी और शीशे में ही हमारी ऑंखें चार हो गयी
आके सीधी लगी दिल पे मेरे नजरिया......ओ गुजरिया....
भाभी ने हलकी सी स्माइल दी और आगे चलने लगी.....और मैं उनके पीछे चाल पड़ा जैसे भूखा कुत्ता हड्डी की पीछे.