hotaks444
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फिर मैंने कहा नहीं यार.....बेचारे की माँ ही चुद जाएगी ...इधर उधर देखा तो रस्सी वस्सी तो नहीं थी...
एक चादर दिखी...अपन लोग ने पिक्चर में देखा ही था की कैसे हेरोइन चादर की रस्सी बना के ५-6 मंज़िल निचे उत्तर जाती है...मैंने चादर को थोड़ा सा उमेठा और निचे लटका दी...
चाचा ने तुरंत उसे पकड़ा और लटक गया.
भेनचोद
चादर थी
पुरानी थी
फट गयी ....
और चाचा धड़ाम से कोमल भाभी की छत पर जा गिरा.....कुछ तो गिरने से और कुछ गांड फटने से उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गयी और वो तो झड़े लंड जैसा ढीला हो गया.
मैं धीरे से फुसफुसाया ..."चाचा उठो......कोई आ गया तो...."
चाचा की किसमत गधे से लंड से लिखी थी......सो उसकी चुदना तो तय थी......कोमल भाभी की छत का दरवाजा धड़ाक से खुला और नशे में लहराता ऋषभ भैया छत पे आ गया और उसके पीछे कोमल भाभी ..
कोमल भाभी के चेहरे पे तो हवाइया उड़ रही थी.
ओ तेरी...
मैं तुरंत मुंडेर के निचे छुप गया ....ऋषभ भैया ने इधर उधर देखा और फिर निचे देखा...
चारो खाने चित्त पड़े चाचा को देख के वो बोला ..." अरे.... छगन चाचा....आप.......हिक्क.......आप......यहाँ क्या कर रहे हो.....हिक्क़क़...."
ये लो.........इस चूतिये को तो इतनी चढ़ी है की ये क्या लंड उखाड़ेगा.....
चाचा तुरंत उठ बैठा....मैंने सोचा आज तो चाचा और कोमल भाभी की मरी.....
चाचा कपडे झड़ते हुए उठा और बोला, " अरे ऋषभ, तू आ गया क्या......?"
ऋषभ भैया, नशे में आँखें सिकोड़ कर इधर उधर देख रहा था.....उसको मस्त वाला माल तेज़ था.
चाचा बोला ...." अरे यार ये कोमल बहु ने फ़ोन लगा के बुलाया था मुझे....."
कोमल भाभी की ऑंखें डर से फट गयी. साले चाचे ने सब बक दिया.
चाचा बोला, " ये कोमल बहु ने फ़ोन पर बोला की शायद छत वाले कमरे में बन्दर घुस आया है तो मैं देखने आया था.....क्यों बहु तुमने बिटवा को नही बताया की हम छत पर बन्दर ढूंढ रहे थे....?"
कोमल भाभी भी पक्की खुर्राट औरत निकली, " अरे कब बोलती चाचा जी......यह तो सीधे ही अंदर चले गए....घर में आने के बाद मुझसे ढंग से बात तक नहीं की......और फिर देखिये न....पी कर आये है....."
साला.......औरत की कितनी परते होती है ये ब्रह्मा जी को भी नहीं पता होगा....कितने सफाई से झूट बोल दिया.....अभी ५ मिनट पहले अपनी मुनिया में चाचा का मूसल पेलवा रही थी और अभी माथे पर अंचल लेकर घूँघट निकले खड़ी थी.
मेरे देखते ही देखते तीनो निचे उत्तर गए......ऋषभ भैया लड़खड़ाते हुए और पीछे पीछे भाभी और चाचा.
चाचा ने मुड़ कर पीछे देखा और मुस्कुराते हुए मुझे हाथ हिला दिया.
दिन कुछ ऐसे चल रहे थे कि मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि कब सुबह होती है और कब रात
इधर देखो तो मेरे बाबूजी ने मेरी गांड में डंडा डाल रखा था वह बार-बार मुझसे बोलते थे कि दुकान पर बैठो ये तुम्हारी पढ़ाई लिखाई में कुछ नहीं बचा है, अरे हमने पढ़-लिखकर कौन सा तीर मार लिया जो नवाब साहब पढ़ाई लिखाई कर के तीर मारेंगे, एक छोटा सा हिसाब तो तुमसे मिलता नहीं, घर का कोई काम होता नहीं
मैं इतना परेशान हो गया था कि क्या बताऊं
भोसड़ी का दिन भर चाची मेरे सामने गांड मटकाते घूमती रहती और मुझे कुछ करने का मौका नहीं मिलता बार बार बाथरूम में जाकर मुट्ठ मार के बिना को शांत करना पड़ रहा था
कोमल भाभी की कहानी भी कुछ समझ नहीं आ रही थी क्योंकि वह भोसड़ी का ऋषभ भैया आज कल दिन भर घर पर ही रहता था लगता था साले मादरचोद को उसके बॉस ने नौकरी से निकाल दिया है
चाची को दो तीन बार पकड़ने की कोशिश की तो चाची ने हाथ झटक दिया बोली मुझे पंडित जी ने अभी मना किया है कुछ भी गलत करने से
ये भोसड़ी के पंडित क्या मालूम क्या मां चुदाते हैं
अरे बच्चा पैदा करना है तो चुदाई करनी पड़ेगी भोसड़ी के बच्चा अपने आप से पैदा हो जाएगा
मैंने भी थक हारकर वापस इंटरनेट की शरण ली
पिया से बात करने के अलावा मुलाकात का सीन ही नहीं बन पाता था क्योंकि वह उसका जल्लाद भाई भोसड़ी का दिनभर उसके साथ में घूमने लगा था
पिया के घर पर गया तो मादरचोद ने मना कर दिया कि अभी उसे पढ़ना नहीं है उसकी ट्यूशन लगा दी है
और पिया की माँ पम्मी आंटी अमेरिका अपनी माँ के पास गयी हुयी थी
मुझे ऐसा लगा कि मेरे सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं
अगर मैंने चूत का स्वाद नहीं चखा होता तो मैं मुट्ठ मार के खुश था
मगर अब चूत नहीं मिल रही थी तो मैं बावला हो गया
कैसे भी करके मुझे चूत चाहिए थी, कहने को तो मैं चारों तरफ से घिरा हुआ था मेरी चाची और शायद पिया भी
मगर कहीं मेरा गेम सेट नहीं हो पा रहा था और उसके ऊपर से रोज सुबह शाम बाऊजी को ताने मारने के अलावा और कोई काम नहीं था आजकल मेरा मन किसी भी चीज़ में नहीं लगता था किसी भी चीज़ में नहीं
संडे के दिन सुबह 9:30 बजे तक मैं बिस्तर पर ही पड़ा रहा अचानक मेरे कमरे का दरवाजा खुला और बाउजी चिल्लाते हुए घुसे कुंभकरण की औलाद 9:30 बज चुकी है अभी तक पढ़ा हुआ है
बताओ भेनचोद कुंभकरण की औलाद मैं तो कुंभकरण कौन ?
रात को 3:00 बजे तक इंटरनेट पे मसाला देखा और दो बार मुठ मारी
वह तो अच्छा हुआ कि रात को मुठ मारने के बाद में मैंने पजामा पहन लिया था नहीं तो मेरे बाप के सामने नंगा पूरा होता
पिताजी जाने क्या-क्या चिल्लाते रहे मुझे तो कुछ समझ में आया नहीं फिर उन्होंने कहा नहा धो कर
आओ तुमसे काम है तुरंत तैयार हुआ और बाहर जाकर बैठक वाले कमरे में पिताजी के पास गया मैंने कहा "जी बाबू जी"
वो बोले, "भाई सामान पैक कर लो तुम्हें बिजनौर जाना है"
" बिजनौर ? वहां क्या है ?"
"जितना कहा है उतना करो ज्यादा सवाल जवाब मत करो"
फिर वो बोले " अरे वो लल्ली काकी है वहां.....छोटे काका वाली......पिछले साल वो एक्सीडेंट में नहीं मर गए थे.....छोटे काका......वहीँ......काका तो चले गए.....काकी की आंखे चली गयी......जो छोकरी वहां उनका ध्यान रखती थी वो किसी हरामी के साथ भाग गयी.....अब वहां उनका ध्यान रखने वाला कोई नहीं है.....तो उन्हें यहाँ ले आ....."
"जी.....अच्छा......पर....?"
"पर वर क्या ?.....सुबह जाना है और शाम को आना है......बस पकड़ लेना....४-५ घंटे का सफर है"
मैंने कहा लो अब संडे की भी माँ चुदी
भेनचोद किस्मत ही गांडू थी.
एक चादर दिखी...अपन लोग ने पिक्चर में देखा ही था की कैसे हेरोइन चादर की रस्सी बना के ५-6 मंज़िल निचे उत्तर जाती है...मैंने चादर को थोड़ा सा उमेठा और निचे लटका दी...
चाचा ने तुरंत उसे पकड़ा और लटक गया.
भेनचोद
चादर थी
पुरानी थी
फट गयी ....
और चाचा धड़ाम से कोमल भाभी की छत पर जा गिरा.....कुछ तो गिरने से और कुछ गांड फटने से उसकी रही सही हिम्मत भी जवाब दे गयी और वो तो झड़े लंड जैसा ढीला हो गया.
मैं धीरे से फुसफुसाया ..."चाचा उठो......कोई आ गया तो...."
चाचा की किसमत गधे से लंड से लिखी थी......सो उसकी चुदना तो तय थी......कोमल भाभी की छत का दरवाजा धड़ाक से खुला और नशे में लहराता ऋषभ भैया छत पे आ गया और उसके पीछे कोमल भाभी ..
कोमल भाभी के चेहरे पे तो हवाइया उड़ रही थी.
ओ तेरी...
मैं तुरंत मुंडेर के निचे छुप गया ....ऋषभ भैया ने इधर उधर देखा और फिर निचे देखा...
चारो खाने चित्त पड़े चाचा को देख के वो बोला ..." अरे.... छगन चाचा....आप.......हिक्क.......आप......यहाँ क्या कर रहे हो.....हिक्क़क़...."
ये लो.........इस चूतिये को तो इतनी चढ़ी है की ये क्या लंड उखाड़ेगा.....
चाचा तुरंत उठ बैठा....मैंने सोचा आज तो चाचा और कोमल भाभी की मरी.....
चाचा कपडे झड़ते हुए उठा और बोला, " अरे ऋषभ, तू आ गया क्या......?"
ऋषभ भैया, नशे में आँखें सिकोड़ कर इधर उधर देख रहा था.....उसको मस्त वाला माल तेज़ था.
चाचा बोला ...." अरे यार ये कोमल बहु ने फ़ोन लगा के बुलाया था मुझे....."
कोमल भाभी की ऑंखें डर से फट गयी. साले चाचे ने सब बक दिया.
चाचा बोला, " ये कोमल बहु ने फ़ोन पर बोला की शायद छत वाले कमरे में बन्दर घुस आया है तो मैं देखने आया था.....क्यों बहु तुमने बिटवा को नही बताया की हम छत पर बन्दर ढूंढ रहे थे....?"
कोमल भाभी भी पक्की खुर्राट औरत निकली, " अरे कब बोलती चाचा जी......यह तो सीधे ही अंदर चले गए....घर में आने के बाद मुझसे ढंग से बात तक नहीं की......और फिर देखिये न....पी कर आये है....."
साला.......औरत की कितनी परते होती है ये ब्रह्मा जी को भी नहीं पता होगा....कितने सफाई से झूट बोल दिया.....अभी ५ मिनट पहले अपनी मुनिया में चाचा का मूसल पेलवा रही थी और अभी माथे पर अंचल लेकर घूँघट निकले खड़ी थी.
मेरे देखते ही देखते तीनो निचे उत्तर गए......ऋषभ भैया लड़खड़ाते हुए और पीछे पीछे भाभी और चाचा.
चाचा ने मुड़ कर पीछे देखा और मुस्कुराते हुए मुझे हाथ हिला दिया.
दिन कुछ ऐसे चल रहे थे कि मुझे पता ही नहीं चल रहा था कि कब सुबह होती है और कब रात
इधर देखो तो मेरे बाबूजी ने मेरी गांड में डंडा डाल रखा था वह बार-बार मुझसे बोलते थे कि दुकान पर बैठो ये तुम्हारी पढ़ाई लिखाई में कुछ नहीं बचा है, अरे हमने पढ़-लिखकर कौन सा तीर मार लिया जो नवाब साहब पढ़ाई लिखाई कर के तीर मारेंगे, एक छोटा सा हिसाब तो तुमसे मिलता नहीं, घर का कोई काम होता नहीं
मैं इतना परेशान हो गया था कि क्या बताऊं
भोसड़ी का दिन भर चाची मेरे सामने गांड मटकाते घूमती रहती और मुझे कुछ करने का मौका नहीं मिलता बार बार बाथरूम में जाकर मुट्ठ मार के बिना को शांत करना पड़ रहा था
कोमल भाभी की कहानी भी कुछ समझ नहीं आ रही थी क्योंकि वह भोसड़ी का ऋषभ भैया आज कल दिन भर घर पर ही रहता था लगता था साले मादरचोद को उसके बॉस ने नौकरी से निकाल दिया है
चाची को दो तीन बार पकड़ने की कोशिश की तो चाची ने हाथ झटक दिया बोली मुझे पंडित जी ने अभी मना किया है कुछ भी गलत करने से
ये भोसड़ी के पंडित क्या मालूम क्या मां चुदाते हैं
अरे बच्चा पैदा करना है तो चुदाई करनी पड़ेगी भोसड़ी के बच्चा अपने आप से पैदा हो जाएगा
मैंने भी थक हारकर वापस इंटरनेट की शरण ली
पिया से बात करने के अलावा मुलाकात का सीन ही नहीं बन पाता था क्योंकि वह उसका जल्लाद भाई भोसड़ी का दिनभर उसके साथ में घूमने लगा था
पिया के घर पर गया तो मादरचोद ने मना कर दिया कि अभी उसे पढ़ना नहीं है उसकी ट्यूशन लगा दी है
और पिया की माँ पम्मी आंटी अमेरिका अपनी माँ के पास गयी हुयी थी
मुझे ऐसा लगा कि मेरे सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं
अगर मैंने चूत का स्वाद नहीं चखा होता तो मैं मुट्ठ मार के खुश था
मगर अब चूत नहीं मिल रही थी तो मैं बावला हो गया
कैसे भी करके मुझे चूत चाहिए थी, कहने को तो मैं चारों तरफ से घिरा हुआ था मेरी चाची और शायद पिया भी
मगर कहीं मेरा गेम सेट नहीं हो पा रहा था और उसके ऊपर से रोज सुबह शाम बाऊजी को ताने मारने के अलावा और कोई काम नहीं था आजकल मेरा मन किसी भी चीज़ में नहीं लगता था किसी भी चीज़ में नहीं
संडे के दिन सुबह 9:30 बजे तक मैं बिस्तर पर ही पड़ा रहा अचानक मेरे कमरे का दरवाजा खुला और बाउजी चिल्लाते हुए घुसे कुंभकरण की औलाद 9:30 बज चुकी है अभी तक पढ़ा हुआ है
बताओ भेनचोद कुंभकरण की औलाद मैं तो कुंभकरण कौन ?
रात को 3:00 बजे तक इंटरनेट पे मसाला देखा और दो बार मुठ मारी
वह तो अच्छा हुआ कि रात को मुठ मारने के बाद में मैंने पजामा पहन लिया था नहीं तो मेरे बाप के सामने नंगा पूरा होता
पिताजी जाने क्या-क्या चिल्लाते रहे मुझे तो कुछ समझ में आया नहीं फिर उन्होंने कहा नहा धो कर
आओ तुमसे काम है तुरंत तैयार हुआ और बाहर जाकर बैठक वाले कमरे में पिताजी के पास गया मैंने कहा "जी बाबू जी"
वो बोले, "भाई सामान पैक कर लो तुम्हें बिजनौर जाना है"
" बिजनौर ? वहां क्या है ?"
"जितना कहा है उतना करो ज्यादा सवाल जवाब मत करो"
फिर वो बोले " अरे वो लल्ली काकी है वहां.....छोटे काका वाली......पिछले साल वो एक्सीडेंट में नहीं मर गए थे.....छोटे काका......वहीँ......काका तो चले गए.....काकी की आंखे चली गयी......जो छोकरी वहां उनका ध्यान रखती थी वो किसी हरामी के साथ भाग गयी.....अब वहां उनका ध्यान रखने वाला कोई नहीं है.....तो उन्हें यहाँ ले आ....."
"जी.....अच्छा......पर....?"
"पर वर क्या ?.....सुबह जाना है और शाम को आना है......बस पकड़ लेना....४-५ घंटे का सफर है"
मैंने कहा लो अब संडे की भी माँ चुदी
भेनचोद किस्मत ही गांडू थी.