hotaks444
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काकी की विशाल जंघे, गोरी गोरी कमर पर कसी लेग्गींग , हल्का सा बाहर निकला पेट, कमर के दोनो और के उठाव और घुमाव, उनकी विशाल नाभि पर पड़ी पत्दर्शी सफेद टी -शर्ट.
और उसी टी -शर्ट से झँकते दो पपीते. काकी सच्ची मे पॉर्न स्टार लग रही थी मामू .
बस साला ये पॉर्न पिक्चर न्ही थी.
काकी फिर बोली, “ अरे लल्ला……चाय पिएगा क्या….?”
अब बोलना पड़ा.
“ह…ह….हन….काकी…..”
भेनचोद ठरक के मारे मेरा गला सुख गया था. कौए जैसी आवाज़ निकली.
काकी बोली, “ हैं…..बेटा….क्या हुआ….”
मैने गला सॉफ किया और बोला “ ब…ब….ब्ना दो….काकी….”
काकी वहीं पर बनी रसोई की तरफ बढ़ी और मैं उनके पिछवाड़े की लचक देखता रहा.
वहाँ पर एक छोटा स्टूल था…काकी टटोल कर उस पर बैठ गइ. साला इतने से स्टूल पर काकी की विशाल गांड कैसे टिक गइ ?
काकी ने धीरे से गॅस को टटोला और अंदाज़े से बर्तन उठाया. एक बात थी, अंधी काकी को अंदाज़ा और अपने आसपास्स का पूरा ज्ञान था.
वो धीरे से हाथ बढाती मगर चीनी चाहिए तो चीनी ही उठती, चाय पत्ती चाहिए तो चाय पत्ती .
चाय गॅस पर उबलने लगी. काकी बोली, “ लल्ला….वहाँ बर्तन पड़े होंगे….एक ग्लास ले आ…”
मैने ग्लास उठाया और मेरे होश तीतर बटेर हो गये.
ग्लास मेरे हाथ से छूट गया और मेरी साँस ही रुक गयी.
काकी स्टूल पर पैर चौड़े किए बैठी थी. उनकी मुनिया के ठीक उपर लेगिंग ने साँस छोड़ दी थी.
वहाँ की सिलाई उधड़ गयी थी और जन्नत का दरवाज़ा ठीक मेरे सामने……
काकी एक दम से चौंकी
“हाय राम क्या हुआ….”
इधर मेरी आँखें नही हट रही, बाबूराव फंनफना रहा. गिरा हुआ ग्लास फर्श पर गोल गोल घूम रहा और मेरी नज़रें…
काकी की लेगिंग बेचारी काकी के नरम गरम गुदाज गदराये भरे बदन के आगे हार गयी थी.
क्या है बेटे अपनी किस्मत तो कामदेव भगवान ने लिखी थी न .
मर्जानी लेगिंग फटी भी तो कहाँ से….
हा..हा..हा
अपने अंदर का प्रेम चोपड़ा, पापा रंजीत और शक्ति कपूर तीनो एक साथ आउ बोल पड़े.
काकी की मुनिया पर घमासान झांटे थी.
झांट वाली या सफाचट हो, पर प्यारे चूत तो चूत होती है
काकी घबरा गइ थी इस लिए एकदम उठने को हुई तो उन्होने अपने पैर सिकोडे और अपना शो बंद.
परदा गिरा तो अपुन को होश आया.
“अरे…क्या हुआ…लल्ला…..ग्लास कैसे गिर गया….अरे राम तू फिसल तो न्ही गया….?’
“अरे न…न….नही….काकी…..वो….थोड़ा ..फिसल…गया..”
“हाय राम…..लगी तो न्ही….” ये कहकर काकी उठने लगी. मैं बोला “अरे न्ही….न्ही…काकी….मैं ठीक हूँ पर पैर मूड गया”
काकी बोली “ आ इधर आ…मोच आ गइ क्या..?”
अब कुछ न्ही सूझा तो मैने बोल दिया “ह…ह….हाँ ....हाँ …मोच आ गइ”
“आ मेरे पास बैठ, . दिखा पैर…कहाँ पर आई….”
लौड़ा क्या मांगे....चूत.
मैं झट से उनके सामने बैठ गया. अब वो बैठी थी स्टूल पर और मैं ज़मीन पर. पास आते ही उनके गीले टी शर्ट मे से मम्मे और सॉफ सॉफ दिखने लगे. काकी के झुकने से मम्मे मस्ती से झूल रहे थे और उनके साथ ही मेरा बाबूराव भी झूम रहा था.
जैसे की मम्मे बीन और अपने बाबूराव सपोला
काकी ने अपने पैरों को फैलाया और झुकी. मैं तुरंत आगे आया की चलो दरवाजा खुला.
काकी का सर झुकना और मेरा आगे होना एक साथ हुआ और मेरा सर उनके कंधे से जा टकराया. काकी बोली, “ हाय राम….दिखता नही क्या…..मैं तो आँधी हूँ…तू तो आँख वाला है”
आबे अपनी आँखे कहा है क्या बोलू…
“पीछे सरक……ला तेरा पैर बता….”
मैने अपने पैर उठा कर काकी की नाज़ुक नरम हथेली पर रख दिया….इसकी माँ की आँख..... काकी की तो हथेली भी गद्देदार थी. जब काकी मेरे बाबूराव को अपनी मुठ्ठी मे लेकर मसलेगी…
“अरे….कहाँ खो गया रे…..”
“हैं….ह…हन….हन…..क…क्या ….काकी…”
“अरे मैं पूछ रही हूँ कहाँ मोच आई, तलवे मे…..कहाँ….घुटने पर ?”
मैने बगैर सोचे समझे हाँ बोल दिया….काकी का गुदज हाथ मेरे पैरों पर फिसलता हुआ मेरे घुटनो पर आ गया. उन्होने मेरे घुटने की कटोरी टटोली और बोली,
“ मामूली सी मोच लगती है….ज़्यादा दर्द है क्या….?”
“न…न….नही….हल्का सा….”
“ला तेल लगा दूं………”
उन्होने स्टूल पर बैठे बैठे ही पीछे मूड कर तेल की बरनी टटोली.
वो सफेद टी शर्ट इन सब मे और उपर चड गया था और काकी का मांसल पेट और कमर पूरी नंगी मेरे सामने थी.
जिस औरत की मुँह दुनिया ने कभी पूरा नही देखा था मैं उसको ऐसे आधी नंगी हालत मे देख रहा था ये सोच सोच कर मेरे गोटों मे उबाल आने लगा. काकी की दोनो जाँघे तो अब जुड़ चुकी थी मगर मेरी नज़र उनकी घुमावदार कमर के कटाव पर थी.
काकी ने सरसो का तेल उठाया और थोड़ा सा हाथ मे ले कर आगे झुकी….आगे झुकने की लिए उनको फिर से अपनी टाँगें खोलनी पड़ी……
वो मारा पापड़ वाले को..
और उसी टी -शर्ट से झँकते दो पपीते. काकी सच्ची मे पॉर्न स्टार लग रही थी मामू .
बस साला ये पॉर्न पिक्चर न्ही थी.
काकी फिर बोली, “ अरे लल्ला……चाय पिएगा क्या….?”
अब बोलना पड़ा.
“ह…ह….हन….काकी…..”
भेनचोद ठरक के मारे मेरा गला सुख गया था. कौए जैसी आवाज़ निकली.
काकी बोली, “ हैं…..बेटा….क्या हुआ….”
मैने गला सॉफ किया और बोला “ ब…ब….ब्ना दो….काकी….”
काकी वहीं पर बनी रसोई की तरफ बढ़ी और मैं उनके पिछवाड़े की लचक देखता रहा.
वहाँ पर एक छोटा स्टूल था…काकी टटोल कर उस पर बैठ गइ. साला इतने से स्टूल पर काकी की विशाल गांड कैसे टिक गइ ?
काकी ने धीरे से गॅस को टटोला और अंदाज़े से बर्तन उठाया. एक बात थी, अंधी काकी को अंदाज़ा और अपने आसपास्स का पूरा ज्ञान था.
वो धीरे से हाथ बढाती मगर चीनी चाहिए तो चीनी ही उठती, चाय पत्ती चाहिए तो चाय पत्ती .
चाय गॅस पर उबलने लगी. काकी बोली, “ लल्ला….वहाँ बर्तन पड़े होंगे….एक ग्लास ले आ…”
मैने ग्लास उठाया और मेरे होश तीतर बटेर हो गये.
ग्लास मेरे हाथ से छूट गया और मेरी साँस ही रुक गयी.
काकी स्टूल पर पैर चौड़े किए बैठी थी. उनकी मुनिया के ठीक उपर लेगिंग ने साँस छोड़ दी थी.
वहाँ की सिलाई उधड़ गयी थी और जन्नत का दरवाज़ा ठीक मेरे सामने……
काकी एक दम से चौंकी
“हाय राम क्या हुआ….”
इधर मेरी आँखें नही हट रही, बाबूराव फंनफना रहा. गिरा हुआ ग्लास फर्श पर गोल गोल घूम रहा और मेरी नज़रें…
काकी की लेगिंग बेचारी काकी के नरम गरम गुदाज गदराये भरे बदन के आगे हार गयी थी.
क्या है बेटे अपनी किस्मत तो कामदेव भगवान ने लिखी थी न .
मर्जानी लेगिंग फटी भी तो कहाँ से….
हा..हा..हा
अपने अंदर का प्रेम चोपड़ा, पापा रंजीत और शक्ति कपूर तीनो एक साथ आउ बोल पड़े.
काकी की मुनिया पर घमासान झांटे थी.
झांट वाली या सफाचट हो, पर प्यारे चूत तो चूत होती है
काकी घबरा गइ थी इस लिए एकदम उठने को हुई तो उन्होने अपने पैर सिकोडे और अपना शो बंद.
परदा गिरा तो अपुन को होश आया.
“अरे…क्या हुआ…लल्ला…..ग्लास कैसे गिर गया….अरे राम तू फिसल तो न्ही गया….?’
“अरे न…न….नही….काकी…..वो….थोड़ा ..फिसल…गया..”
“हाय राम…..लगी तो न्ही….” ये कहकर काकी उठने लगी. मैं बोला “अरे न्ही….न्ही…काकी….मैं ठीक हूँ पर पैर मूड गया”
काकी बोली “ आ इधर आ…मोच आ गइ क्या..?”
अब कुछ न्ही सूझा तो मैने बोल दिया “ह…ह….हाँ ....हाँ …मोच आ गइ”
“आ मेरे पास बैठ, . दिखा पैर…कहाँ पर आई….”
लौड़ा क्या मांगे....चूत.
मैं झट से उनके सामने बैठ गया. अब वो बैठी थी स्टूल पर और मैं ज़मीन पर. पास आते ही उनके गीले टी शर्ट मे से मम्मे और सॉफ सॉफ दिखने लगे. काकी के झुकने से मम्मे मस्ती से झूल रहे थे और उनके साथ ही मेरा बाबूराव भी झूम रहा था.
जैसे की मम्मे बीन और अपने बाबूराव सपोला
काकी ने अपने पैरों को फैलाया और झुकी. मैं तुरंत आगे आया की चलो दरवाजा खुला.
काकी का सर झुकना और मेरा आगे होना एक साथ हुआ और मेरा सर उनके कंधे से जा टकराया. काकी बोली, “ हाय राम….दिखता नही क्या…..मैं तो आँधी हूँ…तू तो आँख वाला है”
आबे अपनी आँखे कहा है क्या बोलू…
“पीछे सरक……ला तेरा पैर बता….”
मैने अपने पैर उठा कर काकी की नाज़ुक नरम हथेली पर रख दिया….इसकी माँ की आँख..... काकी की तो हथेली भी गद्देदार थी. जब काकी मेरे बाबूराव को अपनी मुठ्ठी मे लेकर मसलेगी…
“अरे….कहाँ खो गया रे…..”
“हैं….ह…हन….हन…..क…क्या ….काकी…”
“अरे मैं पूछ रही हूँ कहाँ मोच आई, तलवे मे…..कहाँ….घुटने पर ?”
मैने बगैर सोचे समझे हाँ बोल दिया….काकी का गुदज हाथ मेरे पैरों पर फिसलता हुआ मेरे घुटनो पर आ गया. उन्होने मेरे घुटने की कटोरी टटोली और बोली,
“ मामूली सी मोच लगती है….ज़्यादा दर्द है क्या….?”
“न…न….नही….हल्का सा….”
“ला तेल लगा दूं………”
उन्होने स्टूल पर बैठे बैठे ही पीछे मूड कर तेल की बरनी टटोली.
वो सफेद टी शर्ट इन सब मे और उपर चड गया था और काकी का मांसल पेट और कमर पूरी नंगी मेरे सामने थी.
जिस औरत की मुँह दुनिया ने कभी पूरा नही देखा था मैं उसको ऐसे आधी नंगी हालत मे देख रहा था ये सोच सोच कर मेरे गोटों मे उबाल आने लगा. काकी की दोनो जाँघे तो अब जुड़ चुकी थी मगर मेरी नज़र उनकी घुमावदार कमर के कटाव पर थी.
काकी ने सरसो का तेल उठाया और थोड़ा सा हाथ मे ले कर आगे झुकी….आगे झुकने की लिए उनको फिर से अपनी टाँगें खोलनी पड़ी……
वो मारा पापड़ वाले को..