hotaks444
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किराया माफ़ (कहानी 01)
मेरा नाम संजय है, हरियाणा का रहने वाला हूँ। हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर यह मेरी पहली कहानी है।
बात उन दिनों की है जब हमारे घर में एक कमरा किराये के लिए खाली था। हम कोई किरायेदार ढून्ढ रहे थे। एक दिन एक लड़की हमारी दुकान पर आई और मुझसे पूछने लगी- मुझे मालूम हुआ है यहाँ कोई कमरा किराये के लिए खाली है।
मैंने हाँ कर दी और कमरा दिखाने ले गया। मैंने अपनी मम्मी को बुलाया और उन्होंने ही सारी बात की लेकिन लड़की ने मना कर दिया क्योंकि किराया ज्यादा था 1500 रूपये। कुछ देर बात करने के बाद मम्मी ने किराया थोड़ा कम कर दिया 1300 रूपये।
उसने हाँ कर दी और बोली- कल से रहने आ जाऊँगी।
अगले दिन वो अपना सामान लेकर आ गई। मैंने उसकी मदद की सामान रखने में, उसके साथ उसका भाई भी था, देखने ठीक था उससे काफी बड़ा था।
वो उसी दिन चला गया था। लड़की करनाल की थी। उसका नाम पलक (बदला हुआ नाम) था। वो यहाँ से बी.टेक कर रही थी। जब उसका भाई चला गया तो मैं उसे देखने उसके कमरे में चला गया। मुझे वो बहुत पसंद थी, मैं उससे दोस्ती करना चाहता था। कुछ देर देखने के बाद वो बाहर आई और बोली- क्या देख रहे हो?
और उसने मेरे बारे में पूछा।
मैंने बताया- मैं भी डिप्लोमा पूरा कर चुका हूँ। अब अगले साल किसी कॉलेज में दाखिला लूँगा क्योंकि घर में दिक्कत थी। इसलिए नहीं लिया इस साल।
मैं उसके लिए कॉफी बना कर लाया उसने पी ली। मैंने उससे उसके बारे में पूछा और कहा- आज रात खाना हमारे यहाँ खा लेना। कल से अपना अलग बना लेना। अभी तुम्हारा सामान सैट नहीं हुआ इसलिए।
उसने मुझे थैंक्स कहा। मैं सोच रहा था कि उसे कैसे कहूँ कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।
अगले दिन वो कॉलेज नहीं गई और मैं भी घर में अकेला था। मम्मी गई थी मार्किट, छोटा भाई स्कूल में और पापा अपने ऑफिस।
मैं वैसे दुकान पर बैठता हूँ, मैं वर्कर्स को काम बताकर खुद उसके कमरे में चला गया और उससे बातें करने लगा और बातों-बातों में मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
तो वो शरमा गई, बोली- तुम जाओ यहाँ से, कोई हमें देखेगा तो क्या कहेगा।
मैंने कहा- तुम डरो मत, कोई कुछ नहीं कहेगा और मेरे साथ खुल कर बातें करो, डरो मत।
तो उसने कहा- नहीं है !
और उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई है?
मैंने भी ना में सर हिला दिया और मैंने कहा- अगर मैं आपका बॉयफ्रेंड बनना चाहूँ तो आपको कोई हर्ज तो नहीं होगा?
उसने कहा- इस बारे में मैंने कुछ सोचा नहीं है। आपको सोच कर बताऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है, कल बता देना।
और चला आया। अब उसकी हाँ का इंतज़ार करने लगा।
अगले दिन वो सुबह उठकर कॉलेज चली गई। जब वो आई तो मेरी हिम्मत नहीं हुई उससे पूछने की लेकिन वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा कर चली गई।
मैं समझ गया कि हाँ है। मैं उसके कमरे में चला गया और उससे पूछा- क्या सोचा फिर आपने?
तो उसने कहा- ठीक है।
मैंने कहा- ठीक से कहो क्या है?
तो वो बोली- आई लव यू।
मैं खुश था।
उसने कहा- वैसे इसमें मेरा ही फायदा है।
"वो कैसे?"
उसने कहा- देखो, एक तो कॉलेज में लड़के तंग नहीं करेंगे, दूसरा किराया भी बच जायेगा।
मैंने कहा- किराया तो मम्मी लेंगी, मैं नहीं।
वो बोली- मैं तुम्हें दे दूँगी, तुम मम्मी को दे दिया करो।
मैंने कहा- देखो, किराया तो देना ही है, मेरे को या मम्मी को ! क्यों न मम्मी को ही दे दिया करो।
उसने कहा- तुम बहुत बुद्धू हो।
मैं समझ तो गया लेकिन जानबूझ कर ऐसा कर रहा था। मैंने कहा- चलो, फिर रात को मिलेंगे।
और चला गया।
रात को हम सब बाहर घूमने गए मार्कीट में।
उसने कहा- मैं कल कॉलेज नहीं जाऊँगी,संजय तुम मेरे साथ मार्कीट चलोगे?
तो मैंने कहा- मम्मी को ले जाना।
और वो मान गई।
अगले दिन पापा को फोन आया कि किसी रिश्तेदार की शादी है, सबको जाना है।
मैंने मना कर दिया जाने से, कहा- अगर सब चले जायेंगे तो पलक अकेली रह जाएगी और वो अभी जानती भी नहीं यहाँ किसी को।
तो पापा बोले- चल तू रह जीयो और दुकान भी खोल लियो।
मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
मम्मी ने मुझे कहा- जा के पलक को बता दे।
मैंने ऐसा नहीं किया, अगर बता देता तो वो शायद कह देती कि मैं भी अपने घर चली जाती हूँ थोड़े दिन के लिए।
मैंने ऐसे ही नाटक किया घर वालों के सामने।
अगले दिन सुबह ही घर वाले चले गए, जब पलक उठी तो उसने देखा कि कोई भी नहीं है। उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- शादी में गए हैं, सब शाम तक आ जायेंगे।
लेकिन वो तो मैं जानता था कि घर वाले दो दिन तक नहीं आएंगे। मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया, तभी पलक आई और बोली- नीचे पानी नहीं आ रहा, ऊपर नहा लूँ?
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन थोड़ा जल्दी नहाना, मैंने भी नहाना है।
वो बाथरूम में चली गई। उसने अन्दर से बन्द कर लिया, मैं उसे दरवाजे के छेद से देखता रहा। मैं देखने में इतना मशगूल हो गया
मेरा नाम संजय है, हरियाणा का रहने वाला हूँ। हिंदी सेक्सी कहानियाँ पर यह मेरी पहली कहानी है।
बात उन दिनों की है जब हमारे घर में एक कमरा किराये के लिए खाली था। हम कोई किरायेदार ढून्ढ रहे थे। एक दिन एक लड़की हमारी दुकान पर आई और मुझसे पूछने लगी- मुझे मालूम हुआ है यहाँ कोई कमरा किराये के लिए खाली है।
मैंने हाँ कर दी और कमरा दिखाने ले गया। मैंने अपनी मम्मी को बुलाया और उन्होंने ही सारी बात की लेकिन लड़की ने मना कर दिया क्योंकि किराया ज्यादा था 1500 रूपये। कुछ देर बात करने के बाद मम्मी ने किराया थोड़ा कम कर दिया 1300 रूपये।
उसने हाँ कर दी और बोली- कल से रहने आ जाऊँगी।
अगले दिन वो अपना सामान लेकर आ गई। मैंने उसकी मदद की सामान रखने में, उसके साथ उसका भाई भी था, देखने ठीक था उससे काफी बड़ा था।
वो उसी दिन चला गया था। लड़की करनाल की थी। उसका नाम पलक (बदला हुआ नाम) था। वो यहाँ से बी.टेक कर रही थी। जब उसका भाई चला गया तो मैं उसे देखने उसके कमरे में चला गया। मुझे वो बहुत पसंद थी, मैं उससे दोस्ती करना चाहता था। कुछ देर देखने के बाद वो बाहर आई और बोली- क्या देख रहे हो?
और उसने मेरे बारे में पूछा।
मैंने बताया- मैं भी डिप्लोमा पूरा कर चुका हूँ। अब अगले साल किसी कॉलेज में दाखिला लूँगा क्योंकि घर में दिक्कत थी। इसलिए नहीं लिया इस साल।
मैं उसके लिए कॉफी बना कर लाया उसने पी ली। मैंने उससे उसके बारे में पूछा और कहा- आज रात खाना हमारे यहाँ खा लेना। कल से अपना अलग बना लेना। अभी तुम्हारा सामान सैट नहीं हुआ इसलिए।
उसने मुझे थैंक्स कहा। मैं सोच रहा था कि उसे कैसे कहूँ कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ।
अगले दिन वो कॉलेज नहीं गई और मैं भी घर में अकेला था। मम्मी गई थी मार्किट, छोटा भाई स्कूल में और पापा अपने ऑफिस।
मैं वैसे दुकान पर बैठता हूँ, मैं वर्कर्स को काम बताकर खुद उसके कमरे में चला गया और उससे बातें करने लगा और बातों-बातों में मैंने उससे पूछा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है?
तो वो शरमा गई, बोली- तुम जाओ यहाँ से, कोई हमें देखेगा तो क्या कहेगा।
मैंने कहा- तुम डरो मत, कोई कुछ नहीं कहेगा और मेरे साथ खुल कर बातें करो, डरो मत।
तो उसने कहा- नहीं है !
और उसने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई है?
मैंने भी ना में सर हिला दिया और मैंने कहा- अगर मैं आपका बॉयफ्रेंड बनना चाहूँ तो आपको कोई हर्ज तो नहीं होगा?
उसने कहा- इस बारे में मैंने कुछ सोचा नहीं है। आपको सोच कर बताऊँगी।
मैंने कहा- ठीक है, कल बता देना।
और चला आया। अब उसकी हाँ का इंतज़ार करने लगा।
अगले दिन वो सुबह उठकर कॉलेज चली गई। जब वो आई तो मेरी हिम्मत नहीं हुई उससे पूछने की लेकिन वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा कर चली गई।
मैं समझ गया कि हाँ है। मैं उसके कमरे में चला गया और उससे पूछा- क्या सोचा फिर आपने?
तो उसने कहा- ठीक है।
मैंने कहा- ठीक से कहो क्या है?
तो वो बोली- आई लव यू।
मैं खुश था।
उसने कहा- वैसे इसमें मेरा ही फायदा है।
"वो कैसे?"
उसने कहा- देखो, एक तो कॉलेज में लड़के तंग नहीं करेंगे, दूसरा किराया भी बच जायेगा।
मैंने कहा- किराया तो मम्मी लेंगी, मैं नहीं।
वो बोली- मैं तुम्हें दे दूँगी, तुम मम्मी को दे दिया करो।
मैंने कहा- देखो, किराया तो देना ही है, मेरे को या मम्मी को ! क्यों न मम्मी को ही दे दिया करो।
उसने कहा- तुम बहुत बुद्धू हो।
मैं समझ तो गया लेकिन जानबूझ कर ऐसा कर रहा था। मैंने कहा- चलो, फिर रात को मिलेंगे।
और चला गया।
रात को हम सब बाहर घूमने गए मार्कीट में।
उसने कहा- मैं कल कॉलेज नहीं जाऊँगी,संजय तुम मेरे साथ मार्कीट चलोगे?
तो मैंने कहा- मम्मी को ले जाना।
और वो मान गई।
अगले दिन पापा को फोन आया कि किसी रिश्तेदार की शादी है, सबको जाना है।
मैंने मना कर दिया जाने से, कहा- अगर सब चले जायेंगे तो पलक अकेली रह जाएगी और वो अभी जानती भी नहीं यहाँ किसी को।
तो पापा बोले- चल तू रह जीयो और दुकान भी खोल लियो।
मेरी ख़ुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा।
मम्मी ने मुझे कहा- जा के पलक को बता दे।
मैंने ऐसा नहीं किया, अगर बता देता तो वो शायद कह देती कि मैं भी अपने घर चली जाती हूँ थोड़े दिन के लिए।
मैंने ऐसे ही नाटक किया घर वालों के सामने।
अगले दिन सुबह ही घर वाले चले गए, जब पलक उठी तो उसने देखा कि कोई भी नहीं है। उसने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- शादी में गए हैं, सब शाम तक आ जायेंगे।
लेकिन वो तो मैं जानता था कि घर वाले दो दिन तक नहीं आएंगे। मैं ऊपर अपने कमरे में चला गया, तभी पलक आई और बोली- नीचे पानी नहीं आ रहा, ऊपर नहा लूँ?
मैंने कहा- ठीक है, लेकिन थोड़ा जल्दी नहाना, मैंने भी नहाना है।
वो बाथरूम में चली गई। उसने अन्दर से बन्द कर लिया, मैं उसे दरवाजे के छेद से देखता रहा। मैं देखने में इतना मशगूल हो गया