Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र - Page 3 - SexBaba
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Hindi Porn Stories कंचन -बेटी बहन से बहू तक का सफ़र

" आज तो जश्न मनाने का दिन है. आज मैं तेरे लिए बहुत अच्छी अच्छी चीज़ें बनाउन्गि. बोल तुझे क्या इनाम चाहिए?"

" भाभी आप जानती हैं मैं तो सिर्फ़ इसका दीवाना हूँ, ये ही दे दीजिए"मैं भाभी की चूत पर हाथ रखता हुआ बोला.

" अरे वो तो तेरी ही है जब मर्ज़ी आए ले लेना. आज तू जो कहेगा वही करूँगी."

" सच भाभी ! आप कितनी अच्छी हो." यह कह कर मैने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठ भाभी के रसीले होंठों पर रख दिए. मैं दोनो हाथों से भाभी के मोटे मोटे चूतर सहलाने लगा और उनके मुँह में अपनी जीभ डाल कर उनके होठों का रस पीने लगा. ज़िंदगी में पहली बार किसी औरत को इस तरह चूमा था. भाभी की साँसें तेज़ हो गयी. अब मैने धीरे से भाभी की सलवार का नाडा खोल दिया और सलवार सरक कर नीचे गिर गयी.

" रामू, तू इतना उतावला क्यों हो रहा है ? मैं कहीं भागी तो नहीं जा रही. पहले खाना तो खा ले फिर जो चाहे कर लेना. चल अब छोड़ मुझे." यह कह कर भाभी ने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की. मैने कुर्ते के नीचे हाथ डाल कर भाभी के छूटरो को उनकी सॅटिन की कछि के उपर से दबाते हुए कहा,

" ठीक है भाभी जान, छोड़ देता हूँ, मगर एक शर्त आपको माननी पड़ेगी."

" बोल क्या शर्त है ?"

" शर्त यह है की आप अपने सारे कपड़े उतार दीजिए, फिर हम खाना खा लेंगे." मैं भाभी के होंठ चूमता हुआ बोला.

" क्यों तू किसी ज़माने में कौरव था जो अपनी भाभी को द्रौपदी की तरह नंगी करना चाहता है?" भाभी मुस्कुराते हुए बोली. मैं भाभी की कछि में हाथ डाल कर उनके चूतरो को मसल्ते हुए बोला,

" नहीं भाभी आप तो द्रौपदी से कहीं ज़्यादा खूबसूरत हैं, और मैने अपनी प्यारी भाभी को आज तक जी भर के नंगी नहीं देखा."

" झूट बोलना तो कोई तुझसे सीखे. कल तूने क्या किया था मेरे साथ? बाप रे ! सांड़ की तरह ……. ……..भूल गया?"

" कैसे भूल सकता हूँ मेरी जान, अब उतार भी दो ना." यह कहते हुए मैने भाभी का कुर्ता भी उपर करके उतार दिया. अब भाभी सिर्फ़ ब्रा और छ्होटी सी कछि में थी.

"अच्छा तेरी शर्त मान लेती हूँ लेकिन तुझे भी अपने कपड़े उतारने पड़ेंगे." और भाभी ने मेरी शर्ट के बटन खोल कर उतार दिया. इसके बाद उन्होने मेरी पॅंट भी नीचे खींच दी. मेरा लौदा अंडरवेर को फाड़ने की कोशिश कर रहा था. भाभी मेरे लौदे को अंडरवेर के उपर से सहलाते हुए बोली,

" रामू, ये महाशय क्यों नाराज़ हो रहे हैं?"

" भाभी नाराज़ नहीं हो रहे बल्कि आपको इज़्ज़त देने के लिए खड़े हो रहे हैं."

" सच ! बहुत समझदार हैं." यह कहते हुए भाभी ने मेरा अंडरवेर भी नीचे खींच दिया. मेरा 10 इंच का लौदा फंफना कर खड़ा हो गया. भाभी के मुँह से सिसकारी निकल गयी और वो बारे प्यार से लौदे को सहलाने लगी. मैने भी भाभी की ब्रा का हुक खोल कर भाभी की चुचिओ को आज़ाद कर दिया. फिर मैने दोनो निपल्स को बारी बारी से चूमा और भाभी की कछि को नीचे सरका दिया. गोरी गोरी जांघों के बीच में झांतों से भरी भाभी की चूत बहुत ही सुन्दर लग रही थी.

" अब तो मैने तेरी शर्त मान ली. अब मुझे खाना बनाने दे." ये कह कर वो किचन की ओर चल पड़ी. ऊफ़ ! क्या नज़ारा था ! गोरा बदन, घने चूतरो तक लटकते बाल, पतली कमर और उसके नीचे फैलते हुए भारी नितूंब, सुडोल जंघें और उन मांसल जांघों के बीच घनी लंबी झांतों से भरी फूली हुई चूत. चलते वक़्त मटकते हुए चूतर और झूलती हुई चूचियाँ बिल्कुल जान लेवा हो रही थी. भाभी किचन में खाना बनाने लगी. मैं भी किचन में जा कर भाभी के चूतरो से चिपक कर खड़ा हो गया. मेरा 10 इंच का लौदा भाभी के चूतरो की दरार में फँसने की कोशिश करने लगा. मैं भाभी की चूचिओ को पीछे से हाथ डाल कर मसल्ने लगा.

" छोड़ ना मुझे, खाना तो बनाने दे." भाभी झूठ मूठ का गुस्सा करते हुए बोली और साथ ही में अपने चूतरो को इस प्रकार पीछे की ओर उचकाया की मेरा लौदा उनके चूतरो की दरार में अच्छी तरह समा गया और चूत को भी छ्छूने लगा. भाभी की चूत इतनी गीली थी की मेरा लौदे के आगे का भाग भी भाभी की चूत के रस में सन गया. इतने में भाभी कुच्छ उठाने के लिए नीचे झुकी तो मेरे होश ही उड़ गये. भाभी के भारी चूतरो के बीच से भाभी की फूली हुई चूत मुँह खोले निहार रही थी. मैने झट से अपने मोटे लौदे का सुपरा चूत के मुँह पर रख कर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. मेरा लौदा चूत को चीरता हुआ 3 इंच अंडर घुस गया.
 
"आआ…….ह. क्या कर रहा है रामू? तुझे तो बिल्कुल भी सबर नहीं. निकाल ले ना." लेकिन भाभी ने उठने की कोई कोशिश नहीं की. मैने भाभी की कमर पकड़ के तोड़ा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगाया. इस बार तो करीब 8 इंच लौदा भाभी की चूत में समा गया.

"आ…आ..आ…आ..आ ..वी मया..आआ.. मर गयी, छोड़ ना मुझे. पहले खाना तो खा ले." भाभी सीधी हुई पर लौदा अब भी चूत में धंसा हुआ था. मैने पीछे से हाथ डाल कर भाभी की चूचिया पकड़ ली.

" भाभी, आप खाना बनाइए ना आपको किसने रोका है?" उसके बाद भाभी उसी मुद्रा में खाना बनाती रही और मैं भी भाभी की चूत में पीछे से लौदा फँसा कर भाभी की पीठ और चूतरो को सहलाता रहा.

" चल रामू खाना तैयार है, निकाल अपने मूसल को." भाभी अपने चूतर पीछे की ओर उचकते हुए बोली. मैने भाभी के चूतर पकड़ के दो तीन धक्के और लगाए और लौदे को बाहर निकाल लिया. मेरा पूरा लंड भाभी की चूत के रस से सना हुआ था. भाभी ने टेबल पर खाना रखा और मैं कुर्सी खैंच कर बैठ गया.

" आओ भाभी, आज आप मेरी गोद में बैठ कर खाना खा लो."

" हाई राम तेरी गोद में जगह कहाँ है? एक लंबी सी तलवार निकली हुई है." भाभी मेरे खड़े हुए लंड को देखती हुई मुस्कुरा कर बोली.

क्रमशः.........
 
गतान्क से आगे ......

" भाभी आपके पास म्यान है ना इस तलवार के लिए." यह कहते हुए मैने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया. भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौदा भी चूत के रस में सना हुआ था. जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरा खड़ा लंड भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया.

" एयाया…..आआहह..ऊऊहह …..अया .. कितना जंगली है रे तू. 10 इंच लंबा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या ?"

" सॉरी भाभी चलो अब खाना खा लेते हैं." हमने इसी मुद्रा में खाना खाया. खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठी तो मेरा लंड फ़च की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया. बर्तन समेटने के बाद भाभी आई और बोली,

" हां तो देवर्जी अब क्या इरादा है ?"

" अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है." मैने कहा.

" तो अभी तक क्या हो रहा था ?"

" अभी तक तो सिर्फ़ ट्रैलोर था. असली पिक्चर तो अब स्टार्ट होगी." ये कहते हुए मैने नंगी भाभी को अपनी बाहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया. मैं खड़ा हुआ था , मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थी. भाभी की चूत मेरे पैट से चिपकी हुई थी और मेरा पैट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था. मैने खड़े खड़े ही भाभी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड भाभी की चूत में प्रविष्ट हो गया. इसी प्रकार मैं भाभी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तेर पर पीठ के बल लिटा दिया. भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर टीका दिया. अब भाभी से ना रहा गया,

" रामू, तंग मत कर. अब और नहीं सहा जाता. जल्दी से पेल. जी भर के चोद मेरे राजा. फाड़ दे मेरी चूत को." मैने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड भाभी की चूत में पेल दिया.

" आआआअ………….आाऐययइ…….ह…अघ… मर गयी मेरी मा…. आह.. फॅट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स…इससस्स….ऊवू…. आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा. कितना मोटा है रे तेरा लंड. इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया. आ…आआआः." भाभी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थी. मैने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक भाभी की चूत में पेल दिया. मेरे अमरूद भाभी के चूतरो से टकराने लगे. मैं भाभी की सुंदर चूचिओ को मसल्ने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा. भाभी चूतर उच्छल उच्छल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थी. पाँच मिनिट की भयंकर चुदाई के बाद भाभी पसीने से तर हो गयी थी और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी. फ़च….. फ़च…. फ़च… की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. भाभी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गये. मैने भाभी के होंठ चूमते हुए कहा,

" भाभी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो नकाल लूँ."

" चुप बदमाश ! खबरदार जो निकाला. अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी."

" भाभी आपने कभी भैया का लंड चूसा है ?"

" नहीं रे, कहा ना तेरे भैया को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है. काम कला तो उन्होने सीखी ही नहीं."

" आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौदा चूसने का?"

" किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है की मर्द भी उसकी चूत चाते."

" भाभी मेरी तो आपकी चूत चूमने की बहुत तमन्ना है." मैने अपना लंड भाभी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया.
 
गतान्क से आगे ......

" भाभी आपके पास म्यान है ना इस तलवार के लिए." यह कहते हुए मैने भाभी को अपनी गोद में खींच लिया. भाभी की चूत बुरी तरह से गीली थी और मेरा लौदा भी चूत के रस में सना हुआ था. जैसे ही भाभी मेरी गोद में बैठी मेरा खड़ा लंड भाभी चूत को चीरता हुआ जड़ तक धँस गया.

" एयाया…..आआहह..ऊऊहह …..अया .. कितना जंगली है रे तू. 10 इंच लंबा मूसल इतनी बेरहमी से घुसेड़ा जाता है क्या ?"

" सॉरी भाभी चलो अब खाना खा लेते हैं." हमने इसी मुद्रा में खाना[size=large]" भाभी आप मेरे उपर आ जाओ और अपनी प्यारी चूत का स्वाद चखने दो." मैने भाभी को अपने उपर खैंच लिया. भाभी का सिर मेरी टाँगों की तरफ था. भाभी की टाँगें मेरे सिर के दोनो तरफ थी और उनकी चूत ठीक मेरे मुँह के उपर. मैने भाभी के चूतरो को पकड़ के उनकी चूत को अपने मुँह की ओर खींच लिया. मैने कुत्ते की तरह भाभी की झांतों से भरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. भाभी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी. भाभी की चूत की सुगंध मुझे पागल बना रही थी. चूत इतना पानी छोड़ रही थी कि मेरा मुँह भाभी की चूत के रस से सुन गया. इस मुद्रा में भाभी की आँखों के सामने मेरा विशाल लंड था. भाभी ने भी मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया. मेरा लंड तो भाभी के ही रस से सना हुआ था. भाभी को मेरे वीर्य के साथ अपनी चूत के रस के मिश्रण को चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था. अब भाभी ने मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया. इतना मोटा लंड बड़ी मुश्किल से उनके मुँह में जा रहा था. जी भर के लंड चूसने के बाद भाभी उठी और मेरे मुँह की तरफ मुँह करके मेरे लंड के उपर बैठ गयी. चूत इतनी गीली थी कि बिना किसी रुकावट के पूरा 10 इंच का लौदा भाभी की चूत में जड़ तक घुस गया. भाभी ने मुझे चूमना शुरू कर दिया और ज़ोर ज़ोर से अपने चूतर उपर नीचे करके लौदा अपनी चूत में पेलने लगी. मैं भाभी की चूचिओ को चूसने लगा. पाँच मिनिट के बाद तक के मेरे उपर लेट गयी और बोली,
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" रामू, तू आदमी है कि जानवर. इतनी देर से चोद रहा है लेकिन अभी तक झाड़ा नहीं.मैं अब तक तीन बार झाड़ चुकी हूँ."



" मेरी प्यारी भाभी मेरे लंड को आपकी चूत इतनी अच्छी लगती है कि जब तक इसकी प्यास नहीं बुझ जाती ये नहीं झरेगा. आपने मुझे जानवर कहा ही है तो अब मैं आपको जानवर की तरह ही चोदुन्गा."



" हे भगवान ! कल ही तो तूने सांड़ की तरह चोदा था. अब और कैसे चोदेगा ?"



" कल आपको गाय बना कर सांड़ की तरह चोदा था आज आपको कुतिया की तरह चोदुन्गा."



" चोद मेरे राजा जैसे चाहता है वैसे चोद. अपनी भाभी को कुतिया बना के चोद. लेकिन ज़रा मुझे बाथरूम जाने दे." इतनी देर चुदाई के बाद भाभी को पेशाब आ गया था. वो उठ कर बाथरूम में गयी लेकिन दरवाज़ा खुला ही छोड़ दिया. इतना चुदवाने के बाद भाभी की शर्म बिल्कुल ख़तम हो गयी थी. बाथरूम से प्सस्सस्सस्स……… की आवाज़ आने लगी. मैं समझ गया भाभी ने मूतना शुरू कर दिया है. भाभी के मूतने की आवाज़ सुन कर मैं भाभी को चोदने की लिए तडप उठा. भाभी वापस आई और मुस्कुराते हुए कुतिया बन कर बोली,



" आ मेरे राजा तेरी कुतिया चुदवाने के लिए हाज़िर है." भाभी ने अपने चूतर उपर उठा रखे थे और उनका सीना बिस्तर पर टीका हुआ था. उनके विशाल चूतरो के बीच से झँकति हुई चूत को देख कर मेरा लौदा फंफनाने लगा. मैं भाभी के पीछे बैठ कर भाभी की चूत को कुत्ते की तरह सूंघने और चाटने लगा.



" अया…. ऊऊओ .. क्या कर रहा है. तू तो सचमुच कुत्ता बन गया है."



" भाभी अगर आप कुतिया हैं तो मैं तो कुत्ता हुआ ना. कुतिया कोतो कुत्ता ही चोद सकता है." मैं पीछे से भाभी की चूत चाटने लगा. मेरे मुँह में नमकीन स्वाद आ रहा था, क्योंकि भाभी अभी मूत कर आई थी. इस मुद्रा में चूत चाटने से मेरी नाक भाभी की गांद में लग रही थी. अब मैने भाभी के दोनो चूतर फैला दिए. भाभी की गांद का गुलाबी छेद बहुत ही सुन्दर लग रहा था. मैने अपनी जीभ से उस गुलाबी छेद हो भी चाटना शुरू कर दिया और एक दो बार जीभ गांद के छेद में भी डाल दी.


[size=large]क्रमशः......... खाया. खाना खाने के बाद जब भाभी झूठे बर्तन रखने के लिए उठी तो मेरा लंड फ़च की आवाज़ के साथ उनकी चूत में से बाहर आ गया. बर्तन समेटने के बाद भाभी आई और बोली,[/size]

" हां तो देवर्जी अब क्या इरादा है ?"

" अपना इरादा तो अपनी प्यारी भाभी को जी भर के चोदने का है." मैने कहा.

" तो अभी तक क्या हो रहा था ?"

" अभी तक तो सिर्फ़ ट्रैलोर था. असली पिक्चर तो अब स्टार्ट होगी." ये कहते हुए मैने नंगी भाभी को अपनी बाहों में भर के चूम लिया और अपनी गोद में उठा लिया. मैं खड़ा हुआ था , मेरा विशाल लंड तना हुआ था और भाभी की टाँगें मेरी कमर से लिपटी हुई थी. भाभी की चूत मेरे पैट से चिपकी हुई थी और मेरा पैट भाभी की चूत के रस से गीला हो गया था. मैने खड़े खड़े ही भाभी को थोड़ा नीचे की ओर सरकाया जिससे मेरा तना हुआ लंड भाभी की चूत में प्रविष्ट हो गया. इसी प्रकार मैं भाभी को उठा कर उनके कमरे में ले गया और बिस्तेर पर पीठ के बल लिटा दिया. भाभी की टाँगों के बीच में बैठ कर मैने उनकी टाँगों को चौड़ा किया और अपने लंड का सुपरा उनकी चूत के मुँह पर टीका दिया. अब भाभी से ना रहा गया,

" रामू, तंग मत कर. अब और नहीं सहा जाता. जल्दी से पेल. जी भर के चोद मेरे राजा. फाड़ दे मेरी चूत को." मैने एक ज़बरदस्त धक्का लगाया और आधा लंड भाभी की चूत में पेल दिया.

" आआआअ………….आाऐययइ…….ह…अघ… मर गयी मेरी मा…. आह.. फॅट जाएगी मेरी चूत… आ.. इश्स…इससस्स….ऊवू…. आआआः… खूब जम के चोद मेरे राजा. कितना मोटा है रे तेरा लंड. इतना मज़ा तो ज़िंदगी भर नहीं आया. आ…आआआः." भाभी इतनी ज़्यादा उत्तेजित हो गयी थी कि अब बिल्कुल रंडी की तरह बातें कर रही थी. मैने थोड़ा सा लंड को बाहर खींचा और फिर एक ज़बरदस्त धक्के के साथ पूरा जड़ तक भाभी की चूत में पेल दिया. मेरे अमरूद भाभी के चूतरो से टकराने लगे. मैं भाभी की सुंदर चूचिओ को मसल्ने और चूसने लगा और उनके रसीले होठों को भी चूसने लगा. भाभी चूतर उच्छल उच्छल कर मेरे धक्कों का जबाब दे रही थी. पाँच मिनिट की भयंकर चुदाई के बाद भाभी पसीने से तर हो गयी थी और उनकी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी. फ़च….. फ़च…. फ़च… की आवाज़ से पूरा कमरा गूँज़ रहा था. भाभी की चूत में से इतना रस निकला कि मेरे अमरूद तक गीले हो गये. मैने भाभी के होंठ चूमते हुए कहा,

" भाभी मज़ा आ रहा है ना ? नहीं आ रहा तो नकाल लूँ."

" चुप बदमाश ! खबरदार जो निकाला. अब तो मैं इसको हमेशा अपनी चूत में ही रखूँगी."

" भाभी आपने कभी भैया का लंड चूसा है ?"

" नहीं रे, कहा ना तेरे भैया को तो सिर्फ़ टाँगें उठा कर चोदना आता है. काम कला तो उन्होने सीखी ही नहीं."

" आपका दिल तो करता होगा मर्द का लौदा चूसने का?"

" किस औरत का नहीं करेगा? औरत तो ये भी चाहती है की मर्द भी उसकी चूत चाते."

" भाभी मेरी तो आपकी चूत चूमने की बहुत तमन्ना है." मैने अपना लंड भाभी की चूत में से निकाल लिया और मैं पीठ के बल लेट गया.
 
गतान्क से आगे ......

" एयाया…ह …एयाया ऊऊऊः रामू बहुत अच्छा लग रहा है." काफ़ी देर तक मैने भाभी की चूत और गांद चॅटी. मैं भाभी को कुतिया की तरह चोदने के लिए तैयार था. अब मैने उठ कर अपने लौदे का सुपरा भाभी की चूत के मुँह पर रखा और उनकी कमर पकड़ के ज़ोरदार धक्का लगाया. चूत बहुत ही गीली थी और इतनी देर से हो रही चुदाई के कारण चौड़ी हो गयी थी. एक ही धक्के में पूरा 10 इंच लौदा भाभी की चूत में समा गया. अब मैने ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. फ़च….फ़च….फ़च….फ़च .. का मधुर संगीत कमरे में गूंज़ने लगा.

" भाभी मज़ा आ रहा है मेरी जान ?"

" ऊहह…अयाया बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा. अयाया…. फाड़ डालो मेरी चूत को आज. मार डालो मुझे… औइ मा….. मैं मर जाउन्गी."

" भाभी मेरा इनाम कब दोगि?"

"…अया….. ऊवू…. जब मर्ज़ी लेले. ऊवू बोल …अया … क्या चाहिए?"

" भाभी मैं आपकी गांद में अपना लंड डालना चाहता हूँ."

" नहीं रे तेरा मूसल तो मेरी गांद फाड़ देगा. ना बाबा ना. कुच्छ और माँग ले."

" भाभी मेरी जान जब से आप इस घर में आई हो आपकी मोटी गांद देख कर ही मेरा लंड फंफना जाता है. एक बार तो इस लौदे को अपनी गांद का स्वाद लेने दो"

" तू तो बहुत ही ज़िद्दी है. ठीक है अगर तुझे मेरी गांद इतनी पसंद है तो लेले. लेकिन मेरे राजा बहुत धीरे से डालना, तेरा लंड बहुत ही मोटा है."

" हां भाभी बिल्कुल धीरे से डालूँगा." मैं जल्दी से वॅसलीन ले आया. भाभी के पीछे बैठ कर उनके चूतर दोनो हाथों से फैला दिए और उस गुलाबी छेद को कुत्ते की तरह चाटने लगा. जीभ को भी गांद के अंडर घुसेड दिया.मैने ढेर सारी वॅसलीन अपने लौदे पर लगाई और फिर ढेर सारी अपनी उंगली पर ले कर भाभी की गांद में लगाई. अब मैने अपने लंड का सुपरा भाभी की गांद के छेद पर रखा और धीरे से दबाव डाल कर सुपादे को भाभी की गांद में सरका दिया. भाभी की गांद का छेद मेरे मोटे लंड के घुसने से बुरी तरह फैल गया.

"आआआआआईयईईईईईईईईईईई…………….आआआहहा…वी माआआआ………. मर गयी . बस कर रामू आआआः…..निकाल ले बहुत दर्द हो रहा है" भाभी बहुत ज़ोर से चीखी. थोरी देर में जब भाभी का दर्द कम हुआ तो मैने तोरा और दबाव डाल कर करीब तीन इंच लंड भाभी की गांद में पेल दिया. भाभी को पसीने छ्छूट गये थे. मैने और थोड़ा इंतज़ार किया और भाभी की चुचियाँ और चूतरो को सहलाता रहा. फिर मैने भाभी की कमर पकड़ के एक हल्का सा धक्का लगाया और 5 इंच लंड भाभी की गांद में पेल दिया.

"आआआः …… ऊऊओ…….आआआः…..इसस्सस्स और कितना बाकी है रामू? फॅट जाएगी मेरी गांद."

" बस मेरी जान थोड़ा सा और" ये कहते हुए मैने एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. अब तो करीब करीब 9 इंच लंड भाभी की गांद में समा गया.

"आआआआअ………..आआआआआआआ….ओईईईईईईईईईई…..छोड़ दे मुझे ज़ालिम

कहीनका.आआआआआआ……………. मुझे नहीं चुदवाना. प्लीज़ रामू मैं तेरे हाथ जोड़ती हूँ निकाल ले. मैं नही सहन कर सकती.वी माआ……. आआहह." मैं थोड़ी देर तक बिना हीले लंड गांद में डाले हुए पड़ा रहा. जब भाभी का दर्द कम हुआ तो मैने बहुत ही धीरे धीरे अपना लंड भाभी की गांद में अंडर बाहर करना शुरू किया. भाभी का दर्द अब काफ़ी कम हो गया था. मैने अब पूरा लंड बाहर निकाल कर जड़ तक पेलना शुरू किया.मैने देखा कि भाभी भी अब अपने चूतर पीछे उचका कर मेरा लंड अपनी गांद में ले रही थी.

" भाभी कैसा लग रहा है ?" मैने भाभी की चूचियाँ दबाते हुए पूछा.

" आअहह…… अब अच्छा लग रहा है मेरे राजा. थोड़ा और ज़ोर से चोद." अब तो मैं भाभी के चूतर पकड़ कर अपने 10 इंच के लौदे को भाभी की गांद में जड़ तक पेलने लगा. धीरे धीरे मेरे धक्के तेज़ होते गये.

" अया….. ऊवू एयेए……ह….ऊऊऊओ …आऐईयईईई, बहुत मज़ा आ रहा है. फाड़ दे अपने लौदे से मेरी गांद. अया….. पीछे से तो अब मैं तेरी बीवी हो गयी हूँ ….एयाया……एयाया…सुहाग रात को तेरे भैया ने मेरी कुँवारी चूत चोदि थी और आज तू मेरी कुँवारी गांद मार रहा है. वी मया…..आआ….चोद मेरे राजा चोद मुझे. जी भर के चोद."

मेरे धक्के और भी भयंकर होते जा रहे थे. भाभी की जिस गांद ने मेरी नींद उड़ा दी थी, आज उसी गांद में मेरा 10 इंच का लौदा जड़ तक घुसा हुआ था. भाभी को चोद्ते हुए अब करीब दो घंटे हो चले थे. मैं भी अब झरने वाला था. 15 – 20 धक्कों के बाद मैने ढेर सारा वीर्य भाभी की गांद में उंड़ेल दिया. मेरा वीर्य भाभी की गांद में से निकल कर चूत की ओर बहने लगा. मैने अपना लंड भाभी की गांद में से बाहर निकाल लिया. भाभी ने उठ कर बारे प्यार से लंड को अपने मुँह में ले कर चाटना और चूसना शुरू कर दिया. भाभी ने पूरे लंड और मेरे अमरूदों को चाट कर ऐसे सॉफ कर दिया मानों मेरे लंड ने कभी चुदाई ही ना की हो.
 
“भाभी दर्द तो नहीं हो रहा?”

“10 इंच का मूसल मेरी गांद में डालने के बाद पूछ रहा है दर्द तो नहीं हो रहा. लगता है एक महीने तक ठीक से चल भी नहीं पाउन्गि”

“तो फिर आपको मज़ा नहीं आया?”

“कैसी बातें कर रहा है? इससे चुदवाने के बाद किस औरत को मज़ा नहीं आएगा? लेकिन तेरे दिल की तमन्ना पूरी हुई कि नहीं?” भाभी मेरे लॉड को प्यार से सहलाते हुए बोली.

“ हां मेरी प्यारी भाभी.आपके भारी नितंबों को मटकाते देख कर मेरे दिल पर छुरी चल जाती थी. मेरा लंड फंफना उठता था और आपके चूतरो के बीच में घुसने को बेकरार हो जाता था.आज तो मैं नहाल हो गया.”

“ सच ! मुझे नहीं पता था कि मेरे नितंब तुझे इतना तड़पाते हैं. मैं बहुत खुश हूँ कि तेरे दिल की तमन्ना पूरी हुई. अब तो तू एक बार मेरी गांद मार ही चुका है. जब भी तेरा दिल करेगा तुझे कभी मना नहीं करूँगी. तेरी ही चीज़ है.”

“ आप कितनी अच्छी हो भाभी.देखना अब आपके नितंबों में कितना निखर आएगा. राह चलते लोगों का लंड आपके चूतरो को देख कर खड़ा हो जाएगा.”

“ मुझे किसी का लंड नहीं खड़ा करना. तेरा खड़ा होता रहे उतना ही काफ़ी है. अभी तो मेरी गांद का छेद फटा सा जा रहा है.”

“ एक बात पूछूँ भाभी? भैया आपको कॉन कॉन सी मुद्राओं में चोदते हैं?”

“ अरे ! तेरे भैया तो अनारी हैं. उन्हें तो सिर्फ़ मेरी टाँगों के बीच बैठ कर ही चोदना आता है. अक्सर तो पूरी तरह नंगी भी नहीं करते. सारी उठाई और पेल दिया. 15-20 मिनिट में ही काम ख़तम!”

“आपको नंगी हो कर चुदवाने में मज़ा आता है?”

“हां मेरे राजा. किस औरत को नहीं आएगा? और फिर मरद को भी तो औरत को पूरी तरह नंगी करके चोदने में मज़ा आता है. तू बता तुझे किस मुद्रा में चोदना अच्छा लगता है?”

“भाभी आपके जैसी खूबसूरत औरत को तो किसी भी मुद्रा में चोदने में मज़ा आता है, लेकिन सबसे ज़्यादा मज़ा तो आपको गाय बना कर, आपके मोटे मोटे चूतर फैला कर सांड़ की तरह चोदने में आता है. इस मुद्रा में आपकी फूली हुई रस भरी चूत और गुलाबी गांद, दोनो के दर्शन हो जाते हैं और दोनो को ही आसानी से चोदा जा सकता है.”

“ अच्छा तो तू अब काफ़ी माहिर हो गया है.”

अब तो मैं और भाभी घर में हमेशा नंगे ही रहते थे और मैं दिन में तीन चार बार भाभी को चोद्ता था और गांद भी मारता था. एक दिन भैया वापस आ गये. वापस आने के बाद तीन चार दिन तो भैया ने भाभी को जम कर चोदा, लेकिन उसके बाद फिर वोही पुराना सिलसिला शुरू हो गया. भाभी की चूत की प्यास को मिटाने की ज़िम्मेदारी फिर मेरे 10 इंच के लौदे पर आ पड़ी. अब तो भाभी को गांद मरवाने का इतना शौक हो गया कि हफ्ते में दो तीन बार मुझे उनकी गांद भी मारनी पड़ती थी. तो दोस्तो ये तो हुई मेरी देवर रामू से चुदाई की कहानी जिसे आपने मेरे देवर की ज़ुबानी सुना लेकिन मेरा सफ़र यहा ख़तम नही हुआ मुझे अब भी अपने भाई का लंड अपनी आखो के सामने दिखता था दोस्तो आपको तो मालूम है मैने अपने भाई का लंड अपनी चूत मे एक बार लेने की ठान ली थी क्या मैं अपने भाई का लंड अपनी चूत मे ले पाई ये जानने के लिए पढ़ते रहिए मस्तानी हसीना के आगे के पार्ट

क्रमशः...........
 
गतान्क से आगे ......

खैर इस सब के बाद भी मैं अपने भाई विकी को नहीं भुला सकी. अब तो मैं कुँवारी भी नहीं थी. सोच लिया था कि इस बार मायके गयी तो विकी से चुदवाने की तमन्ना ज़रूर पूरी करूँगी. आख़िर वो दिन भी आ गया. मायके से बुलावा आ गया. मम्मी ने होली पे एक महीने के लिए बुलाया था.

होली पे ये मुझे मायके छ्चोड़ने आए. मम्मी ने मुझे इस बार कम से कम एक महीने रुकने के लिए कहा. एक महीने बिना चुदाई के गुज़ारना तो बड़ा मुश्किल मालूम पर रहा था. जाने से एक रात पहले इन्होने मुझे पूरी रात चोदा. मैने भी जी भर के चुडवाया क्योंकि अगला एक महीना तो सूखा ही जाने वाला था. शादी के बाद पहला मोका था जब मैं इतने लंबे समय के लिए मायके रहने आई थी. अगले दिन ये वापस चले गये. जिस दिन ये गये उसी दिन विकी का दोस्त सुधीर घर पे आया. केयी दिनों से मैने उनकी बातें नहीं सुनी थी. दरवाज़े के पीछे खड़ी हो गयी कान लगा के. सोचा था अब किसी और लड़की की बातें करते होंगे. लेकिन जो सुना वो सुन के तो मेरा पसीना छूट गया.

“ हाई, सुधीर बारे दिनों के बाद आया है. लगता है कुत्ते की तरह मेरी दीदी को सूघता हुआ आ गया.”

“ सूंघ कैसे सकता हूँ यार तूने कभी इस कुत्ते को अपनी दीदी की चूत सूँघाई ही नहीं. तेरी दीदी अगर एक बार भी मेरे सामने अपनी चूत खोल कर बैठ जाए तो तेरी कसम सारी उमर कुत्ता बनने को तैयार हूँ.”

“ हा हा. हा. कुत्ता बन के क्या करेगा?

“ सारी उमर तेरी दीदी की चूत चाटूंगा. कल बाज़ार में देखा था. सच शादी के बाद से तो जवानी और भी निखर आई है. चूटर क्या फैल गये हैं. तेरे जीजाजी ज़रूर उसकी गांद भी मारते होंगे.”

“ नहीं यार शायद जीजाजी दीदी की गांद नहीं मारते.”

“तुझे कैसे पता?”

“ क्योंकि कल रात मैने दीदी और जीजाजी की रास लीला देखी. पूरी रात चोदा उन्होने दीदी को लेकिन गांद नहीं मारी. ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की की चुदाई देखी, और वो भी अपनी बेहन की.”

“ वाह प्यारे! तू तो बहुत तेज़ निकला. लेकिन देखा कैसे? बता ना यार क्या क्या देखा.?”

“ ऐसे नहीं बताउन्गा. कुच्छ फीस देनी परेगी.”

“ जो तू कहेगा वो दूँगा.जल्दी बता.”

“ अगर तू अपनी बहन की चूत दिलवाएगा तो बताउन्गा.”

“ उसकी चूत तो मैने भी नहीं ली.”

“ अच्छा चल दर्शन ही करा दे.”

“ ठीक है यार करा दूँगा. कल मेरे घर चल. जब नहाने जाएगी तो देख लेना. अब तो बता दे”

“ यार मुझे मालूम था कि दीदी और जीजा जी आने वाले हैं और दीदी यहाँ एक महीने रहेगी. मेरे और दीदी के कमरे के बीच एक दरवाज़ा है. मैने दीदी के कमरे के दरवाज़े में बड़ा सा छेद कर दिया और उसमे लकड़ी का गुटका फँसा दिया. वैसे देखने में पता ही नहीं लगता है कि वहाँ इतना बड़ा छेद है. जीजा जी आज जाने वाले थे. मुझे मालूम था कि रात में दीदी की चुदाई ज़रूर होगी. मैने ही दीदी का कमरा उनके आने से पहले तैयार किया था. मैने उनका बेड ठीक छेद के सामने और दरवाज़े के नज़दीक इस प्रकार से लगाया की सोने वाले की टाँगें छेद की तरफ हों. छेद में से सब कुच्छ बिल्कुल सॉफ दिखाई देता है. रात में अगर वरामदे की लाइट ऑन कर दो तो अंडर काफ़ी रोशनी हो जाती है क्योंकि रोशनदान और खिड़की से काफ़ी लाइट अंडर जाती है. सुबसे अच्छी बात तो ये हुई की जीजाजी ने भी नाइट लॅंप ऑफ नहीं किया. नाइट लॅंप और रोशनदान से आती हुई रोशनी से अंडर काफ़ी उजाला हो गया था. इसके इलावा जीजाजी लेटने से पहले बाथरूम गये ओर बाथरूम का दरवाज़ा और लाइट दोनो खुले छोड़ आए. अब तो अंडर उजाला ही उजाला था. अपना प्लान ज़रूरत से ज़्यादा कामयाब हो गया.”

“ फिर क्या हुआ? जल्दी बता, मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है.”

“ रात में खाना खाने के बाद जीजाजी जल्दी ही दीदी को ले कर अपने कमरे में चले गये. मैने भी अपने कमरे में पहुँच कर लाइट बंद कर दी और लकड़ी का गुटका दरवाज़े के छेद में से निकाल लिया. अब अंडर सब कुच्छ सॉफ नज़र आ रहा था और उनकी बातें भी सुनाई पड़ रही थी. जीजाजी काफ़ी उतावले लग रहे थे. उन्होने कमरे में घुसते ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गये. काफ़ी मोटा लंड है उनका. अपने कपड़े उतार कर दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगे. फिर उन्होने दीदी का कुर्ता उतार दिया और एक झटके से सलवार का नाडा खींच दिया. दीदी की सलवार खुल के नीचे गिर गयी. अब दीदी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी में थी. जीजाजी का लॉडा भी तन गया था. दीदी ने पंजों के बल थोड़ा सा ऊपर हो कर उनका लॉडा अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. वो दीदी के होंठों का रास्पान करते हुए उसकी पीठ और चूतर सहला रहे थे. ऊफ़ क्या विशाल चूतर थे! शादी से पहले एक बार देखे थे लेकिन अब तो खूब निखर आए थे और फैल भी गये थे. दीदी की पॅंटी तो उसकी चूतरो की दरार में घुसी जा रही थी. जीजाजी ने दीदी पीठ पे हाथ फेरते हुए ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को उतार के बिस्तेर पे फेंक दिया. क्या ज़ालिम चूचियाँ थी! मैने कयि बार दीदी की ब्रा में झाँका था लॅकिन कल रात पहली बार दीदी की चुचियाँ नंगी देखी. जीजाजी दीदी की चुचिओ को मसल रहे थे और दीदी ने भी उनके लॉड को सहलाना शुरू कर दिया था. अब जीजाजी ने दीदी की पॅंटी भी उतार दी. ऊफ़ क्या ग़ज़ब का नज़ारा था. दीदी की चूत पे इतने घने बाल थे की पूरा जंगल लग रहा था. बाल दीदी की नाभि से आधा इंच नीचे ही शुरू हो गये थे और पूरी चूत को ढक रखा था. दीदी की चूत के दर्शन तो उसकी शादी से पहले भी कर चुक्का हूँ पर कल रात तो पहली बार पूरी तरह नंगी देखा. बहुत ही खूबसूरत लग रही थी.
 
दीदी की मादक सिसकियाँ सुन के मेरा बुरा हाल था. तभी जीजाजी ने दीदी को उठा के बिस्तेर पे लिटा दिया. दीदी ने अपनी टाँगें मोड़ के चुदवाने की मुद्रा में चौड़ी कर ली. अब तो घनी झांतों के बीच से दीदी की चूत सॉफ नज़र आने लगी. टाँगों को फैलाने से चूत की दोनो फाँकें चौड़ी हो गयी थी और चूत के उभरे हुए होंठ खुले हुए थे. ट्रेन में जब मैने दीदी की कुँवारी चूत के दर्शन किए थे तब तो ये होंठ इतने उभरे हुए नहीं थे और खुले तो बिल्कुल भी नहीं थे. अब तो ऐसा लग रहा था जैसे दीदी की चूत मुँह फाडे लंड को निगलने का इंतज़ार कर रही हो. शायद दो साल की चुदाई से चूत की ये हालत हो गयी थी. इस मुद्रा में दीदी के विशाल चूतर भी फैल गये थे और उनके बीच में से छ्होटा सा गुलाबी छेद नज़र आ रहा था. दीदी की गांद देख कर तो मेरा लंड झरते झरते बचा. मुझे पूरा विषवास था कि दीदी की गांद ज़रूर मारी जाएगी. मुझे जीजाजी से जलन हो रही थी. मेरी दीदी की मेरे ही सामने चुदाई होने जा रही थी और मैं लंड हाथ में पकड़ के लाचार बैठा था. जीजाजी दीदी की फैली हुई टाँगों के बीच में बैठ गये और लंड का सुपरा चूत के खुले हुए होंठों के बीच टीका दिया. फिर उन्होने दीदी की चुचिओ को दोनो हाथों से पकड़ के करारा सा धक्का लगा दिया. जीजाजी का लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा अंडर घुस गया. दीदी के मुँह से ऊफ़ ऊफ़ अया…आआहह अया ऊओह ऊवू की आवाज़ें आ रही थी. जीजाजी लंड पूरा बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगे. दीदी की चूत से फ़च फ़च फ़च का संगीत निकल रहा था. दीदी भी चूतरो को उछाल उछाल के लंड अंडर ले रही थी. करीब आधे घंटे की भयंकर चुदाई के बाद जीजाजी झाड़ गये. लगता था उनके लंड ने ढेर सारा वीर्य दीदी की चूत में उंड़ेल दिया था क्योंकि उनका वीर्य दीदी की चूत से निकल के उसकी गांद की ओर बहने लगा था. थोड़ी देर में दीदी की गांद का छेद वीर्य से धक गया. जीजाजी ने लंड को बाहर खींच लिया. लंड प्लॉप की आवाज़ के साथ बाहर आ गया. फिर जीजाजी ने टवल से दीदी की चूत को सॉफ किया और अपने लंड को भी सॉफ किया. दोनो लेटे हुए बातें कर रहे थे और दीदी धीरे धीरे जीजाजी के लंड को सहला रही थी. थोरी देर में लंड फिर से खरा हो गया और जीजाजी ने एक बार फिर दीदी की को चोदा. इस तरह रात में चार बार दीदी की चुदाई हुई. लेकिन यार जीजाजी ने एक बार भी दीदी की गांद नहीं मारी. चोदा भी सिर्फ़ एक ही मुद्रा में. लगता है जीजाजी काम कला में अनारी हैं.”“ तू सच कह रहा है यार विकी. इतनी खूबसूरत औरत के तो तीनो छेद चोदने में मज़ा आ जाए.”

“ सच यार, हम तो अपना लंड हाथ में पकड़े अपनी आँखों के सामने अपनी ही बहन की चुदाई देखते रहे. काश इस लॉड को भी दीदी की चूत नसीब हो जाए!” विकी आहें भरता हुआ बोला.

विकी और सुधीर की बातें सुन कर मैं दंग रह गयी. हे भगवान! विकी ने तो मेरी चुदाई तक देख ली.

अब तो मैने सोच लिया की इस एक महीने के अंडर ही मैं विकी से ज़रूर चुदवाउन्गि. विकी का लॉडा अब भी मेरी आँखों के सामने घूम जाता था. अब तो मुझे मालूम था कि विकी दरवाज़े के छेद में से मेरे कमरे में झँकता है. मैं रोज़ रात को कपड़े बदलने के बहाने नंगी हो कर केयी पोज़ में उसे अपने बदन के दर्शन कराने लगी. मेरी चूत के बॉल इतने लंबे थे की मेरी चूत पूरी तरह ढक जाती थी. मैने चूत के होंठों के चारों ओर के बॉल काट के छ्होटे कर दिए. अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में बेड पर लेट कर नॉवेल पढ़ने का बहाना करती. पेटिकोट को इतना ऊपर चढ़ा लेती की दरवाज़े के छेद से झँकते हुए विकी को मेरी फूली हुई चूत के दर्शन आसानी से हो जाते.
 
एक दिन मैं रात को विकी के कमरे में जा के बोली,

“ विकी, मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा, मैं तेरे बाथरूम में नहा लूँ?”

“ ज़रूर दीदी, इसमे पूछने की क्या बात है. नहा लीजिए.”

मैने विकी के बाथरूम में नाहया और जान बूझ कर अपनी उतरी हुई पॅंटी को विकी के बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छोड़ आई. अपने कमरे में आ के मैने लाइट बंद कर ली और दरवाज़े के छेद में फँसे लकड़ी के गुटके को निकाल के विकी के कमरे में झाँकने लगी. विकी अपने बाथरूम में गया. जब वो बाहर निकला तो उसके हाथ में मेरी पॅंटी थी. वो मेरी पॅंटी को सूंघ रहा था और उसके चेहरे पर उत्तेजना थी. उसने अपने कपड़े उतार दिए. जैसे ही उसने अपनी पॅंट उतारी मैं तो बेहोश होते होते बची. उसका लॉडा बुरी तरह से फंफना रहा था. इतना मोटा और लंबा था की मैने आज तक किसी ब्लू फिल्म में भी इतना बड़ा लंड नहीं देखा था. अब मेरी समझ में आया कि क्यों मम्मी भी इस भयानक लॉड को देख के घबरा गयी थी. लॉडा कहाँ था, ये तो वाकाई बिजली का खंबा था! अपनी आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी आदमी का लंड इतना बड़ा भी हो सकता है. मैं सोचने लगी की इस राक्षस को झेल भी पाउन्गि की नहीं. ये तो सुचमुच मेरी चूत फाड़ देगा. ये बिजली का खमबा तो मेरी चूत को किसी और के लायक छोड़ेगा ही नहीं. इतने में विकी ने मेरी पॅंटी को उस जगह चूमना शुरू कर दिया जहाँ मेरी चूत पॅंटी पे रगड़ती थी. फिर उसने पंटी को अपने लंड के सुपरे पे रख लिया और अपने लंड को हाथ से आगे पीछे करने लगा. उसके लंड पे तंगी मेरी छ्होटी सी पॅंटी ऐसी लग रही थी जैसे किसी नारियल के पेड पर तंगी हुई हो. थोरी देर मूठ मारने के बाद विकी झार गया और सारा वीर्य मेरी पॅंटी पर उंड़ेल दिया. पॅंटी से अपने लंड को सॉफ करके उसने मेरी पॅंटी वापस अपने बाथरूम में रख दी.

जल्दी ही वो मोका भी हाथ लग गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था. मम्मी पापा को किसी शादी में दो दिन के लिए जाना था. जिस दिन मम्मी पापा गये उसी रात का प्लान मैने बनाया. रात को नहा के मैने वो गाउन पहन लिया जो मेरे पति ने मुझे हनिमून के दौरान दिया था. ये गाउन सिल्क का था और मेरे घुटनों से 6 इंच ऊपर रहता था. गाउन के नीचे मैने ब्रा और पॅंटी नहीं पहनी. अब तो मैं उस छ्होटे से गाउन के नीचे बिल्कुल नंगी थी. मैने लकड़ी का गुटका निकाल के विकी के कमरे में झाँका. विकी के बदन पे सिर्फ़ एक लूँगी थी ओर वो बिस्तेर पे लेटा हुआ कोई नॉवेल पढ़ रहा था. उसका एक हाथ लंड को सहला रहा था.

क्रमशः.........
 
गतान्क से आगे ......

मैं समझ गयी, ज़रूर वो कोई गंदा नॉवेल पढ़ रहा था. मैं उसके कमरे में गयी. मुझे देख कर वो नॉवेल च्छुपाने की कोशिश करने लगा. मैने उसकी ओर जाते हुए पूचछा,

“ विकी क्या पढ़ रहा है?”

“ कुच्छ नहीं दीदी ऐसे ही”

“ मुझे दिखा क्या है.”

“ नहीं दीदी क्या देखोगी, ये तो हिस्टरी की किताब है.”

मैने झपट्टा मार के विकी से किताब छ्चीन ली. विकी ने वापस किताब छीनने की कोशिश की लेकिन में अपने कमरे में भाग गयी और अंडर आके लाइट बंद करके एक कोने में छिप गयी. विकी भी मेरे पीछे भागा. कमरे में आके जब उसकी आँखें अंधेरे में अड्जस्ट हुई तो उसने मुझे कोने में च्छूपा देख लिया और मेरे साथ छीना झपटी करने लगा. उसने किताब वापस छीन ली. मैने उसे ज़ोर से धक्का दे के अपने बिस्तेर पे गिरा दिया और उसके सीने पे चढ़ बैठी. विकी चित पड़ा हुआ था. मेरा गाउन छ्होटा सा तो था ही उसके ऊपर बैठने के कारण सामने से खुल गया. मेरी नंगी चूत विकी के सीने से टच करने लगी, लेकिन अंधेरा होने के कारण वो देख नहीं सका. मैने विकी को गुदगुदाना शुरू कर दिया और थोड़ा सा सरक के नीचे की ओर हो गयी. नीचे की ओर सरकने से विकी का लंड मेरे भारी नितंबों के नीचे दब गया. ऊऊफ़! उसका लंड मेरे नंगे चूतरो के नीचे बिल्कुल नंगा था! शायद छ्चीना झपटी में विकी की लूँगी खुल गयी थी. लंड खड़ा होने लगा था लेकिन बेचारा मेरे भारी चूतरो के नीचे दबे होने का कारण उसके पेट से चिपका हुआ था. बाप रे! इतना लंबा था कि उसकी नाभि तक पहुँच रहा था. मैं सोचने लगी कि जो लॉडा इसकी नाभि तक पहुँच रहा है वो तो मेरी चूत फाड़ के छाती तक घुस जाएगा. अब तो चाहे चूत फॅट जाए मैने चुदवाने की ठान ली थी. मेरा बदन वासना की आग में जलने लगा. इतने मोटे लंड का स्पर्श पा कर मेरी चूत रस छ्चोड़ने लगी. मैं विकी को गुदगुदाने के बहाने उसके ऊपर आगे पीछे होने लगी और उसके मूसल को अपने चूतरो की दरार में रगड़ने लगी. कभी थोडा आगे झुक जाती तो उसका मोटा लॉडा मेरी चूत की दोनो फांकों के बीच फँस जाता और गीली चूत उसके लंड पे रगड़ जाती. मेरी चूत के रस से उसका लॉड के नीचे का भाग बॉल्स से ले कर सुपरे तक गीला हो गया था. अब तो मैं उसके लंड पे आगे पीछे फिसल रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था. बड़ा ही मादक खेल था. अकसर उसके लंड का सुपरा मेरी चूत के होंठों को चूम लेता और छेद में दाखिल होने की कोशिश करता. विकी ने जिस हाथ में किताब पकड़ रखी थी उसने उस हाथ को अपने सिर के ऊपर सीधा कर रखा था जिससे वो मेरी पहुँच से बाहर हो गया था. किताब तक पहुँचने के लिए आगे सरकना ज़रूरी था. ये तो बहुत अच्छा मोका था. आगे सरकने के बहाने मैं अपनी चूत विकी के मुँह पे रगड़ सकती थी. मुझे अच्छी तरह याद था जब पिच्छली बार मैने अपनी चूत विकी के मुँह पर रगडी थी. लेकिन उस वक़्त मैने पॅंटी पहनी हुई थी. किताब छ्चीनने के बहाने मैं तेज़ी से आगे की ओर हुई. अब मेरी चूत ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी. मैने झपट्टा मारा और उसके हाथ से किताब छ्चीनने के बहाने उसके मुँह पर गिर गयी. ऊऊओफ़! मेरी नंगी गीली चूत विकी के होंठों से चिपक गयी. मैने अपनी चूत को 5 सेकेंड तक विकी के मुँह पर ज़ोर से दबा दिया. मेरी चूत इतना रस छोड़ रही थी कि विकी के होंठ और मुँह गीले हो गये. ये ही नहीं मेरी झाँटें भी उसके मुँह में घुस गयी. विकी हड़बड़ा गया और मैं किताब छ्चीनने में कामयाब हो गयी. किताब छ्चीन के मैं जैसे ही उठने लगी विकी ने मुझे गिरा लिया और मेरे ऊपर चढ़ बैठा. अब मैं पेट के बल पड़ी हुई थी और विकी मेरी पीठ पर बैठा हुआ था. मैने किताब को अपने नीचे दबा लिया. विकी हांफता हुआ बोला,

“ दीदी किताब दे दो नहीं तो छ्चीन लूँगा.”

“ अरे जा, जा. इतना दम है तो छीन ले.” मैं उसे चिड़ाती हुई बोली.
 
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