hotaks444
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फुलवा हाईवे के सुनसान इलाके में ढाबे से कुछ दूर एक बंद पड़े दुकान के बाहर लाल दिया लटकाकर उसके नीचे बैठ गई।

फुलवा की ललचाती जवानी को देख कर लगभग हर ट्रक उसे उठाने के लिए रुका। शेखर ने बताया था की ट्रक पीले रंग का है जिस पर नीली नक्काशी की गई है। फुलवा ने उस ट्रक के इंतजार में बाकी सब को भगाया।
रात को 11 बजे शेखर ने बताया हुआ ट्रक तेजी से ढाबे में से बाहर निकला और धूल उड़ाता फुलवा के सामने आकर रुका।
ड्राइवर एक दुबला पतला आदमी था जिसने वासना भरी नजरों से फुलवा को देखते हुए अपने क्लीनर को इशारा किया।
क्लीनर, "ऐ लड़की! तू यहां क्या कर रही है?"
फुलवा हंसकर, "मुन्ना अगर तुझे यही पूछना है तो आगे जा और दूध पी। ये बला तेरे लिए नहीं है!"
ड्राइवर ने क्लीनर को आंख मारी।
क्लीनर, "चल हमारे साथ। हम तुझे अगले गांव छोड़ देते हैं!"
फुलवा, "मुन्ना टाइम बरबाद मत कर! हजार रुपए देगा तो ही आउंगी वरना फूट यहां से!"
ड्राइवर ने अपना सर हिलाया।
क्लीनर, "हम यहां नए नहीं हैं! 500 में दोनों को बिठाने का भाव है!"
फुलवा ने जमीन पर थूंका, "आगे जा! अगले मोड़ पर तेरी मां बैठी है। वो तुझे 500 में लेगी। लेकिन इतनी ढीली है की कलकत्ते पहुंचने पर भी तू सिर्फ गांड़ हिला रहा होगा!"
क्लीनर, "700!"
फुलवा, "लैला रात में सिर्फ एक बार सवारी करती है। हर आटू झाटू की लैला नहीं! हजार के नीचे की बात की तो अगली बार 1200 होगा!"
ड्राइवर ने क्लीनर को हां कहा तो क्लीनर ने फुलवा को ऊपर चढ़ने के लिए हाथ दिया। फुलवा ने क्लीनर के हाथ को झटक कर अपना हाथ आगे बढाया।
फुलवा, "तेरी गाड़ी बिना तेल के आगे जाती है क्या? पहले रोकड़ा फिर मैं चढ़ेगी!"
ड्राइवर हंस पड़ा और क्लीनर ने अपनी कमर की बंदूक पर से हाथ उतारा। ड्राइवर ने बटवे में से 1000 निकाले और क्लीनर ने नीचे उतर कर वह फुलवा को दिए। फुलवा ने क्लीनर से छुपाकर वह रुपए एक गमले के नीचे छुपाए और शेखर ने दिए Maxxx Condom का पैकेट लेकर ट्रक में चढ़ने लगी। क्लीनर ने फुलवा को ट्रक में चढ़ाते हुए उसकी गांड़ को दबाया।
फुलवा ने ट्रक में देखा तो ड्राइवर और क्लीनर की सीट के पीछे एक छोटा बिस्तर बना हुआ था। फुलवा ने Maxxx Condom का पैकेट ड्राइवर को दिया।
फुलवा, "मैं सस्ता माल और सस्ते लोग नहीं लेती!"
ड्राइवर ने फुलवा को पीछे के बिस्तर पर जाने का इशारा किया और अपनी पैंट घुटनों तक उतार कर कंडोम पहना। फुलवा बिस्तर पर अपने घुटनों और हथेलियों से आगे बढ़ रही थी जब ड्राइवर ने उसे पीछे से पकड़ लिया।
ड्राइवर ने फुलवा का घागरा उठाया और कमर पर रखते हुए उसकी नीली पैंटी उतार कर उसके घुटनों पर रख दी। फुलवा को अपनी चूत पर कंडोम पहना सुपाड़ा महसूस हुआ और उसने एक गहरी सांस ली।

फुलवा की चीख निकल गई, "मां!!.
आ!!.
आ!!.
आह!!.
हरामी.
धीरे!!."
ड्राइवर ने फुलवा की सुखी चूत में पूरा लौड़ा एक झटके में पेल दिया था। कंडोम पर लगी चिकनाहट से फुलवा को कुछ मदद हुई। फुलवा ने अपने दाहिने हाथ को अपनी चूत पर लगाया। फुलवा की उंगलियों ने उसकी जवानी को सहलाते रहे उसकी चूत में यौन रस का बहाव होने में मदद की।
फुलवा, "मादर.
चोद.
अपनी मां
को भी
ऐसे ही
करता है क्या?
हराम के
पिल्ले
तेरी बीवी
इसी लिए
तुझे
भगा देती
होगी!
पहले औरत को
मज़ा देना
सीख लेता
तो आज
रात में
ट्रक न चलाता!"
फुलवा अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए तपने लगी जब उसकी गालियों से ड्राइवर और चाव में उसे चोद रहा था। ड्राइवर के धक्के तेज होने लगे तो फुलवा ने अपनी चूत के दाने को दबाया।
फुलवा की जवानी ने आह भरते हुए झड़ना शुरू किया। ड्राइवर का लौड़ा निचोड़ा गया और वह आहें भरते हुए फुलवा के ऊपर गिर गया।
क्लीनर, "गुरु?"
ड्राइवर ने भरे हुए कंडोम को नीचे फेंकते हुए अपनी पैंट कमर में बांध ली और क्लीनर को इशारा किया। क्लीनर ट्रक में चढ़ गया और ट्रक तेजी से चल पड़ा।
ड्राइवर, "मस्त माल है! पूरा वसूल कर ले!"
क्लीनर ने फुलवा को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी नीली पैंटी उतार फैंकी। क्लीनर फुलवा पर झपटा पर डर कर रुक गया।

फुलवा ने एक छोटा चाकू क्लीनर के लौड़े की जड़ पर लगाया था।
फुलवा, "मुन्ना! ज्यादा होशियारी ठीक नहीं! बिना कंडोम पहने जो कुछ भी अंदर जायेगा दुबारा वापस बाहर नहीं आयेगा!"
ड्राइवर ने गाड़ी चलाते हुए एक हाथ पीछे ला कर क्लीनर को थप्पड़ मारा।
ड्राइवर, "बीमारी से मरना चाहता है क्या? उस से बेहतर तो तू रस्ते पर लेट जा!"
जवान लड़का मुंह फुलाकर पीछे हो गया। क्लीनर ने अपनी पैंट उतार दी और अपने लौड़े पर फुलवा का लाया Maxxx कंडोम पहन लिया। वह फुलवा के ऊपर लेट गया तो फुलवा ने उसे अपनी बाहों में ले लिया। फुलवा से मिली साथ से क्लीनर खुश हो गया। क्लीनर ने अपने लौड़े को फुलवा की कसी हुई गीली जवानी पर लगाया और धीरे धीरे उसे चोदने लगा।
फुलवा को मजा आने लगा और उसने क्लीनर को अपनी टांगों से पकड़ लिया।
क्लीनर जोर जोर से हांफते हुए फुलवा को तेजी से चोद रहा था। फुलवा ने क्लीनर को उसकी चोली खोलते हुए पाया तो उसने खुद अपनी चोली खोल दी।
क्लीनर तकरीबन उसी की उम्र का था। क्लीनर ने खुशी से एक हाथ में फूलवा का बायां मम्मा दबोच लिया और दायां मम्मा पकड़ कर उस पर उभरी चूची चूसने लगा। फुलवा पिछली चुधाई से गरम क्लीनर का सर अपने मम्मे पर दबाते हुए चुधवाने लगी।
चाप!!.
थाप!!.
ऊंह!!.
आह!!.
उन्ह्ह!!.
उम्म!!.
आन्ह्हा!!.
चालू ट्रक आवाजों से भर गया और फुलवा ने लगातार झड़ना शुरू कर दिया। क्लीनर इस पिघलती जवानी को झेल नहीं पाया और खुद भी झड़ कर पस्त हो गया।
अचानक फुलवा को राज नर्तकी की बदबू आने लगी और वह डर गई। फुलवा ने क्लीनर को अपने ऊपर से गिरा दिया और अपनी पैंटी पहन कर ड्राइवर के बगल में बैठ गई।
फुलवा, "काम हो गया है। आगे खुली जगह पर रोक दो!"
ड्राइवर, "हमारे साथ दिल्ली चलो! घुमा भी देंगे और पांच हजार रुपए देंगे!"
फुलवा, "मैं किसी एक के साथ जाने वाली औरत नही हूं! चल अब गाड़ी रोक! उल्टे रास्ते जाती कोई दूसरी गाड़ी मुझे मिल जायेगी।"
फुलवा ने ट्रक में से उतरते हुए देखा की शेखर ने ड्राइवर को उसके दरवाजे में से दबोच लिया था। बंटी ने फुलवा को उनकी गाड़ी में बिठाया और तेजी से वहां से निकल गया।
फुलवा, "शेखर भैया?."
बंटी हंसकर, "तुम चिंता मत करो। शेखर भैया और बबलू उन दोनों को किसी सुनसान जगह पर खामोशी की दवा देंगे। फिर दोनों हमें अगले शहर में कल शाम को मिलेंगे!"
फुलवा, "खामोशी की दवा?"
बंटी, "उन दोनो को डराएंगे की वह ये भूल जाएं की उन्होंने किसी औरत को अपने साथ बिठाया था। नही तो अगला शिकार हाथ नही आयेगा!"
फुलवा ने अपना डर भुलाने की कोशिश करते हुए अपने पैरों को अपने सीने से चिपका दिया।
फुलवा हाईवे के सुनसान इलाके में ढाबे से कुछ दूर एक बंद पड़े दुकान के बाहर लाल दिया लटकाकर उसके नीचे बैठ गई।

फुलवा की ललचाती जवानी को देख कर लगभग हर ट्रक उसे उठाने के लिए रुका। शेखर ने बताया था की ट्रक पीले रंग का है जिस पर नीली नक्काशी की गई है। फुलवा ने उस ट्रक के इंतजार में बाकी सब को भगाया।
रात को 11 बजे शेखर ने बताया हुआ ट्रक तेजी से ढाबे में से बाहर निकला और धूल उड़ाता फुलवा के सामने आकर रुका।
ड्राइवर एक दुबला पतला आदमी था जिसने वासना भरी नजरों से फुलवा को देखते हुए अपने क्लीनर को इशारा किया।
क्लीनर, "ऐ लड़की! तू यहां क्या कर रही है?"
फुलवा हंसकर, "मुन्ना अगर तुझे यही पूछना है तो आगे जा और दूध पी। ये बला तेरे लिए नहीं है!"
ड्राइवर ने क्लीनर को आंख मारी।
क्लीनर, "चल हमारे साथ। हम तुझे अगले गांव छोड़ देते हैं!"
फुलवा, "मुन्ना टाइम बरबाद मत कर! हजार रुपए देगा तो ही आउंगी वरना फूट यहां से!"
ड्राइवर ने अपना सर हिलाया।
क्लीनर, "हम यहां नए नहीं हैं! 500 में दोनों को बिठाने का भाव है!"
फुलवा ने जमीन पर थूंका, "आगे जा! अगले मोड़ पर तेरी मां बैठी है। वो तुझे 500 में लेगी। लेकिन इतनी ढीली है की कलकत्ते पहुंचने पर भी तू सिर्फ गांड़ हिला रहा होगा!"
क्लीनर, "700!"
फुलवा, "लैला रात में सिर्फ एक बार सवारी करती है। हर आटू झाटू की लैला नहीं! हजार के नीचे की बात की तो अगली बार 1200 होगा!"
ड्राइवर ने क्लीनर को हां कहा तो क्लीनर ने फुलवा को ऊपर चढ़ने के लिए हाथ दिया। फुलवा ने क्लीनर के हाथ को झटक कर अपना हाथ आगे बढाया।
फुलवा, "तेरी गाड़ी बिना तेल के आगे जाती है क्या? पहले रोकड़ा फिर मैं चढ़ेगी!"
ड्राइवर हंस पड़ा और क्लीनर ने अपनी कमर की बंदूक पर से हाथ उतारा। ड्राइवर ने बटवे में से 1000 निकाले और क्लीनर ने नीचे उतर कर वह फुलवा को दिए। फुलवा ने क्लीनर से छुपाकर वह रुपए एक गमले के नीचे छुपाए और शेखर ने दिए Maxxx Condom का पैकेट लेकर ट्रक में चढ़ने लगी। क्लीनर ने फुलवा को ट्रक में चढ़ाते हुए उसकी गांड़ को दबाया।
फुलवा ने ट्रक में देखा तो ड्राइवर और क्लीनर की सीट के पीछे एक छोटा बिस्तर बना हुआ था। फुलवा ने Maxxx Condom का पैकेट ड्राइवर को दिया।
फुलवा, "मैं सस्ता माल और सस्ते लोग नहीं लेती!"
ड्राइवर ने फुलवा को पीछे के बिस्तर पर जाने का इशारा किया और अपनी पैंट घुटनों तक उतार कर कंडोम पहना। फुलवा बिस्तर पर अपने घुटनों और हथेलियों से आगे बढ़ रही थी जब ड्राइवर ने उसे पीछे से पकड़ लिया।
ड्राइवर ने फुलवा का घागरा उठाया और कमर पर रखते हुए उसकी नीली पैंटी उतार कर उसके घुटनों पर रख दी। फुलवा को अपनी चूत पर कंडोम पहना सुपाड़ा महसूस हुआ और उसने एक गहरी सांस ली।

फुलवा की चीख निकल गई, "मां!!.
आ!!.
आ!!.
आह!!.
हरामी.
धीरे!!."
ड्राइवर ने फुलवा की सुखी चूत में पूरा लौड़ा एक झटके में पेल दिया था। कंडोम पर लगी चिकनाहट से फुलवा को कुछ मदद हुई। फुलवा ने अपने दाहिने हाथ को अपनी चूत पर लगाया। फुलवा की उंगलियों ने उसकी जवानी को सहलाते रहे उसकी चूत में यौन रस का बहाव होने में मदद की।
फुलवा, "मादर.
चोद.
अपनी मां
को भी
ऐसे ही
करता है क्या?
हराम के
पिल्ले
तेरी बीवी
इसी लिए
तुझे
भगा देती
होगी!
पहले औरत को
मज़ा देना
सीख लेता
तो आज
रात में
ट्रक न चलाता!"
फुलवा अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए तपने लगी जब उसकी गालियों से ड्राइवर और चाव में उसे चोद रहा था। ड्राइवर के धक्के तेज होने लगे तो फुलवा ने अपनी चूत के दाने को दबाया।
फुलवा की जवानी ने आह भरते हुए झड़ना शुरू किया। ड्राइवर का लौड़ा निचोड़ा गया और वह आहें भरते हुए फुलवा के ऊपर गिर गया।
क्लीनर, "गुरु?"
ड्राइवर ने भरे हुए कंडोम को नीचे फेंकते हुए अपनी पैंट कमर में बांध ली और क्लीनर को इशारा किया। क्लीनर ट्रक में चढ़ गया और ट्रक तेजी से चल पड़ा।
ड्राइवर, "मस्त माल है! पूरा वसूल कर ले!"
क्लीनर ने फुलवा को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी नीली पैंटी उतार फैंकी। क्लीनर फुलवा पर झपटा पर डर कर रुक गया।

फुलवा ने एक छोटा चाकू क्लीनर के लौड़े की जड़ पर लगाया था।
फुलवा, "मुन्ना! ज्यादा होशियारी ठीक नहीं! बिना कंडोम पहने जो कुछ भी अंदर जायेगा दुबारा वापस बाहर नहीं आयेगा!"
ड्राइवर ने गाड़ी चलाते हुए एक हाथ पीछे ला कर क्लीनर को थप्पड़ मारा।
ड्राइवर, "बीमारी से मरना चाहता है क्या? उस से बेहतर तो तू रस्ते पर लेट जा!"
जवान लड़का मुंह फुलाकर पीछे हो गया। क्लीनर ने अपनी पैंट उतार दी और अपने लौड़े पर फुलवा का लाया Maxxx कंडोम पहन लिया। वह फुलवा के ऊपर लेट गया तो फुलवा ने उसे अपनी बाहों में ले लिया। फुलवा से मिली साथ से क्लीनर खुश हो गया। क्लीनर ने अपने लौड़े को फुलवा की कसी हुई गीली जवानी पर लगाया और धीरे धीरे उसे चोदने लगा।
फुलवा को मजा आने लगा और उसने क्लीनर को अपनी टांगों से पकड़ लिया।
क्लीनर जोर जोर से हांफते हुए फुलवा को तेजी से चोद रहा था। फुलवा ने क्लीनर को उसकी चोली खोलते हुए पाया तो उसने खुद अपनी चोली खोल दी।
क्लीनर तकरीबन उसी की उम्र का था। क्लीनर ने खुशी से एक हाथ में फूलवा का बायां मम्मा दबोच लिया और दायां मम्मा पकड़ कर उस पर उभरी चूची चूसने लगा। फुलवा पिछली चुधाई से गरम क्लीनर का सर अपने मम्मे पर दबाते हुए चुधवाने लगी।
चाप!!.
थाप!!.
ऊंह!!.
आह!!.
उन्ह्ह!!.
उम्म!!.
आन्ह्हा!!.
चालू ट्रक आवाजों से भर गया और फुलवा ने लगातार झड़ना शुरू कर दिया। क्लीनर इस पिघलती जवानी को झेल नहीं पाया और खुद भी झड़ कर पस्त हो गया।
अचानक फुलवा को राज नर्तकी की बदबू आने लगी और वह डर गई। फुलवा ने क्लीनर को अपने ऊपर से गिरा दिया और अपनी पैंटी पहन कर ड्राइवर के बगल में बैठ गई।
फुलवा, "काम हो गया है। आगे खुली जगह पर रोक दो!"
ड्राइवर, "हमारे साथ दिल्ली चलो! घुमा भी देंगे और पांच हजार रुपए देंगे!"
फुलवा, "मैं किसी एक के साथ जाने वाली औरत नही हूं! चल अब गाड़ी रोक! उल्टे रास्ते जाती कोई दूसरी गाड़ी मुझे मिल जायेगी।"
फुलवा ने ट्रक में से उतरते हुए देखा की शेखर ने ड्राइवर को उसके दरवाजे में से दबोच लिया था। बंटी ने फुलवा को उनकी गाड़ी में बिठाया और तेजी से वहां से निकल गया।
फुलवा, "शेखर भैया?."
बंटी हंसकर, "तुम चिंता मत करो। शेखर भैया और बबलू उन दोनों को किसी सुनसान जगह पर खामोशी की दवा देंगे। फिर दोनों हमें अगले शहर में कल शाम को मिलेंगे!"
फुलवा, "खामोशी की दवा?"
बंटी, "उन दोनो को डराएंगे की वह ये भूल जाएं की उन्होंने किसी औरत को अपने साथ बिठाया था। नही तो अगला शिकार हाथ नही आयेगा!"
फुलवा ने अपना डर भुलाने की कोशिश करते हुए अपने पैरों को अपने सीने से चिपका दिया।