hotaks444
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धनदास हॉल में आया और फुलवा ने दौड़ कर उसे गले लगाया।
फुलवा रोते हुए धनदास को शुक्रिया अदा कर रही थी जब धनदास ने उसे रोका।
धनदास, "बेटी, मैं धनदास नहीं रहा। अब मैं नारायण हूं! और तुम ने धनदास को मार कर नारायण को बचाया।"
फुलवा, "मैंने? कैसे?"
नारायण, "जब तुम मुझे मिलने आई तब मैं खुदकुशी का मन बना चुका था। लेकिन जब तुमने मुझे अपना आखरी गवाह बनाया तब मैने तय किया कि मैं जीते जी नरक यातना सह लूंगा पर तुम्हें धोखा नहीं दूंगा।"
नारायण ने मुस्कुराकर सबको सोफे पर बिठाया।
नारायण, "जब मैंने अपना सारा पैसा सोने में बदल दिया तो यह बात फैल गई। सबको लगा की मुझे कोई छुपी हुई जानकारी मिली है। उस एक दिन में हमारा साल भर का सोना बिक गया।"
नारायण बैठ कर, "सब लोग मुझे फोन कर रहे थे और उन में मेरा डॉक्टर भी था। आखिर में वह रात को मुझे मिलने आया और बोला की xray machine में खराबी के कारण वह गांठ दिखी थी। मुझे बस मोहन के जाने से सर में दर्द था!"
नारायण उस दिन को याद कर हंसने लगा।
नारायण, "पर मेरे लिए उस दिन धनदास ने खुदकुशी कर ली थी और मैं मोहन के लिए नारायण बनना चाहता था।"
मोहन, "सुधरना इतना आसान नहीं था पर इन्होंने कर दिया।"
नारायण, "जिंदगी भर की आदतें आसानी से नहीं छूटती पर मैंने छोड़ी। लोगों को मदद की, लोगों की गालियां खा कर उनसे माफी मांगी!"
फुलवा, "अब लक्ष्मी एंपोरियम अपने बेटे को देकर यहां मेरा इंतजार कर रहे थे?"
नारायण, "अरे लक्ष्मी एंपोरियम तो मैने तुम्हारे लिए रखा है। मोहन C कॉर्प बना रहा था तब मैं इस देश का सबसे बड़ा सोने का व्यापारी बन गया। आज लक्ष्मी mining Australia और दक्षिण अमरीका में सोने की खदान चलाती है। जो पैसा पीछा करने पर भी धनदास को हासिल नहीं हुआ वह नारायण को बैठे बिठाए मिलता गया।"
मोहन के कंधे पर हाथ रख कर नारायण, "अब मैं सब इसे देकर अपने पापों का प्रायश्चित करता हूं। जब मोहन ने बताया की वह मेरी गाड़ी लेकर बाहर जा रहा है, मुझे पता चल गया कि तुम अपने घर आने को तैयार हो।"
नारायण, "यह तुम्हारा घर है! दो बेडरूम, भरा हुआ रसोईघर, बढ़िया हॉल और घर की चारों ओर एक छोटा सा बगीचा। तुम दोनों इस से काफी बड़ा घर ले सकते हो पर फिलहाल यहीं पर रहो! लोगों को हम बताएंगे कि आप दोनो पिछले 20 सालों से विदेश में थे और अब अपने देश लौटे हो!"
मोहन, "जैसा मैंने कहा था, चिराग तुम ने स्कूल में अच्छे नंबर लाए थे पर स्कूल छोड़ने के बाद तुम्हारा कोई पता नहीं था। इस कंपनी को मैं किसी ऐसे के हवाले नहीं करूंगा जो अपना दिमाग नहीं चला सकता!"
अगर मोहन चिराग को डराना चाहता था तो उसका पासा उल्टा पड़ गया। अब चिराग ने मुस्कुराते हुए अपनी गंदी सी पोटली में से एक बेहतरीन लैपटॉप निकाला।
चिराग, "मां, जब आप ने गरीबी के श्राप की बात की तब मैंने आप को कुछ बताने की कोशिश की थी पर आप ने मेरी बात काट दी। अगर मैं रंडियों की नीलामी में जाता था तो वहां आप को देख कर खरीदना पड़ता। आप के जेल में कमाए पैसों को मैं शेयर बाजार में पिछले कुछ सालों से लगा कर घुमा रहा हूं। मोहन जी बस इतना समझ लीजिए की अगर C कॉर्प एक फैमिली कंपनी नहीं होती तो मैं उसका शेयर होल्डर होता। अगर धनदासजी ने मां को धोखा दिया होता तो भी वह हम अपनी बाकी जिंदगी आराम से जी सकते हैं!"
मोहन और नारायण चिराग का पोर्टफोलियो देख कर उसकी तारीफ कर रहे थे जब फुलवा चकरा कर देख रही थी।
फुलवा, "जरा रुको!! यह सब झूठ है! यह मेरा वहम है! मैं पागल हो गई हूं!!"
चिराग, "क्या हुआ मां!!"
फुलवा, "कल सुबह मैं एक कोठे से नीलाम हो रही रण्डी थी। फिर दोपहर को मुझे आजादी मिली, शाम को मेरा बिछड़ा हुआ बेटा मिला! आज सुबह मुझे पता चलता है कि मैं करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हूं क्योंकि मेरे नसीब ने मुझे कैद में रखते हुए धनवान बनाया। इतना अगर कम है तो मेरा 18 साल का बेटा अपने आप में धनवान है! क्या यह सच हो सकता है? नही!!. नही!!."
चिराग ने फुलवा को गले लगाया।
चिराग, "मां, जब आप ने मुझे गंदे कपड़ों में गाड़ी में रहते हुए देखा तो आप को मुझ पर भरोसा था न? तो अब बस मेरे पास पैसे थोड़े ज्यादा हैं। लड़का तो मैं वही हूं!"
फुलवा को इस बात पर विश्वास हुआ और उसने चिराग की बाहों में समाते हुए अपने सर को हिलाकर हां कहा।
चिराग, "और आप को धनदास पर भरोसा था की वह आप को आप के पैसे लौटाएगा! इसी लिए आप को गरीबी के बारे में सोचते ही इनकी याद आई। अब इन्होंने 17 सालों में आप की अमानत को इस्तमाल कर उसके पीछे 1 शून्य जोड़ दिया है! (मोहन ने मुस्कुराते हुए इशारे से दो शून्य लगाने की बात मानी) तो इसमें बुरा क्या है?"
फुलवा चुपके से, "मुझे डर लग रहा है कि मेरी आंखें खुलेंगी और मैं कोठे पर किसी से चुधा रही हूंगी!"
नारायण, "बेटा ऐसा समझ लो की पिछले जन्म के पाप का हिसाब हो गया है और अब भविष्य में अपने अच्छे कर्मों के फल मिलने हैं!"
मोहन, "अब आप दोनों आराम कर लो। चिराग, कल सुबह 8 बजे मेरे घर हाजिर होना! तुम मेरे नए असिस्टेंट हो! मेरे साथ धंधा करना सीखो। तुम्हारा दाखला मैनेजमेंट कॉलेज में करा देता हूं। साथ साथ डिग्री भी ले लो। अगर मैं तुम पर भरोसा कर पाया तो शायद 10 साल बाद मेरी जगह ले सकते हो! शायद."
नारायण ने बताया की बगल का बड़ा बंगला उनका घर था और कुछ दिनों तक खाना वहीं से आएगा। नारायण और फुलवा ने एक दूसरे का एहसान माना और नारायण मोहन के साथ अपने घर चला गया।
फुलवा ने अपने कमरे में देखा। वहां एक बड़ा बिस्तर था और बगल की अलमारी में ढेर सारे कपड़े थे। फुलवा के कमरे में ही नहाने का कमरा भी था। फुलवा ने नहाकर नए कपड़े पहने और बिस्तर पर लेट गई।
अचानक फुलवा का दिल भर आया और वह रोने लगी।
चिराग फुलवा के बगल में बैठ गया और उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर रोने की वजह पूछने लगा।
फुलवा, "18 साल की थी जब बापू ने मेरी गांड़ मारी थी। उस मनहूस रात के बाद आज पहली बार मैं अकेली सोऊंगी!"
इसी तरह फुलवा सिसक सिसक कर सो गई और चिराग अपनी मां के बदन पर चादर डाल कर अपने कमरे में चला गया।
धनदास हॉल में आया और फुलवा ने दौड़ कर उसे गले लगाया।
फुलवा रोते हुए धनदास को शुक्रिया अदा कर रही थी जब धनदास ने उसे रोका।
धनदास, "बेटी, मैं धनदास नहीं रहा। अब मैं नारायण हूं! और तुम ने धनदास को मार कर नारायण को बचाया।"
फुलवा, "मैंने? कैसे?"
नारायण, "जब तुम मुझे मिलने आई तब मैं खुदकुशी का मन बना चुका था। लेकिन जब तुमने मुझे अपना आखरी गवाह बनाया तब मैने तय किया कि मैं जीते जी नरक यातना सह लूंगा पर तुम्हें धोखा नहीं दूंगा।"
नारायण ने मुस्कुराकर सबको सोफे पर बिठाया।
नारायण, "जब मैंने अपना सारा पैसा सोने में बदल दिया तो यह बात फैल गई। सबको लगा की मुझे कोई छुपी हुई जानकारी मिली है। उस एक दिन में हमारा साल भर का सोना बिक गया।"
नारायण बैठ कर, "सब लोग मुझे फोन कर रहे थे और उन में मेरा डॉक्टर भी था। आखिर में वह रात को मुझे मिलने आया और बोला की xray machine में खराबी के कारण वह गांठ दिखी थी। मुझे बस मोहन के जाने से सर में दर्द था!"
नारायण उस दिन को याद कर हंसने लगा।
नारायण, "पर मेरे लिए उस दिन धनदास ने खुदकुशी कर ली थी और मैं मोहन के लिए नारायण बनना चाहता था।"
मोहन, "सुधरना इतना आसान नहीं था पर इन्होंने कर दिया।"
नारायण, "जिंदगी भर की आदतें आसानी से नहीं छूटती पर मैंने छोड़ी। लोगों को मदद की, लोगों की गालियां खा कर उनसे माफी मांगी!"
फुलवा, "अब लक्ष्मी एंपोरियम अपने बेटे को देकर यहां मेरा इंतजार कर रहे थे?"
नारायण, "अरे लक्ष्मी एंपोरियम तो मैने तुम्हारे लिए रखा है। मोहन C कॉर्प बना रहा था तब मैं इस देश का सबसे बड़ा सोने का व्यापारी बन गया। आज लक्ष्मी mining Australia और दक्षिण अमरीका में सोने की खदान चलाती है। जो पैसा पीछा करने पर भी धनदास को हासिल नहीं हुआ वह नारायण को बैठे बिठाए मिलता गया।"
मोहन के कंधे पर हाथ रख कर नारायण, "अब मैं सब इसे देकर अपने पापों का प्रायश्चित करता हूं। जब मोहन ने बताया की वह मेरी गाड़ी लेकर बाहर जा रहा है, मुझे पता चल गया कि तुम अपने घर आने को तैयार हो।"
नारायण, "यह तुम्हारा घर है! दो बेडरूम, भरा हुआ रसोईघर, बढ़िया हॉल और घर की चारों ओर एक छोटा सा बगीचा। तुम दोनों इस से काफी बड़ा घर ले सकते हो पर फिलहाल यहीं पर रहो! लोगों को हम बताएंगे कि आप दोनो पिछले 20 सालों से विदेश में थे और अब अपने देश लौटे हो!"
मोहन, "जैसा मैंने कहा था, चिराग तुम ने स्कूल में अच्छे नंबर लाए थे पर स्कूल छोड़ने के बाद तुम्हारा कोई पता नहीं था। इस कंपनी को मैं किसी ऐसे के हवाले नहीं करूंगा जो अपना दिमाग नहीं चला सकता!"
अगर मोहन चिराग को डराना चाहता था तो उसका पासा उल्टा पड़ गया। अब चिराग ने मुस्कुराते हुए अपनी गंदी सी पोटली में से एक बेहतरीन लैपटॉप निकाला।
चिराग, "मां, जब आप ने गरीबी के श्राप की बात की तब मैंने आप को कुछ बताने की कोशिश की थी पर आप ने मेरी बात काट दी। अगर मैं रंडियों की नीलामी में जाता था तो वहां आप को देख कर खरीदना पड़ता। आप के जेल में कमाए पैसों को मैं शेयर बाजार में पिछले कुछ सालों से लगा कर घुमा रहा हूं। मोहन जी बस इतना समझ लीजिए की अगर C कॉर्प एक फैमिली कंपनी नहीं होती तो मैं उसका शेयर होल्डर होता। अगर धनदासजी ने मां को धोखा दिया होता तो भी वह हम अपनी बाकी जिंदगी आराम से जी सकते हैं!"
मोहन और नारायण चिराग का पोर्टफोलियो देख कर उसकी तारीफ कर रहे थे जब फुलवा चकरा कर देख रही थी।
फुलवा, "जरा रुको!! यह सब झूठ है! यह मेरा वहम है! मैं पागल हो गई हूं!!"
चिराग, "क्या हुआ मां!!"
फुलवा, "कल सुबह मैं एक कोठे से नीलाम हो रही रण्डी थी। फिर दोपहर को मुझे आजादी मिली, शाम को मेरा बिछड़ा हुआ बेटा मिला! आज सुबह मुझे पता चलता है कि मैं करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हूं क्योंकि मेरे नसीब ने मुझे कैद में रखते हुए धनवान बनाया। इतना अगर कम है तो मेरा 18 साल का बेटा अपने आप में धनवान है! क्या यह सच हो सकता है? नही!!. नही!!."
चिराग ने फुलवा को गले लगाया।
चिराग, "मां, जब आप ने मुझे गंदे कपड़ों में गाड़ी में रहते हुए देखा तो आप को मुझ पर भरोसा था न? तो अब बस मेरे पास पैसे थोड़े ज्यादा हैं। लड़का तो मैं वही हूं!"
फुलवा को इस बात पर विश्वास हुआ और उसने चिराग की बाहों में समाते हुए अपने सर को हिलाकर हां कहा।
चिराग, "और आप को धनदास पर भरोसा था की वह आप को आप के पैसे लौटाएगा! इसी लिए आप को गरीबी के बारे में सोचते ही इनकी याद आई। अब इन्होंने 17 सालों में आप की अमानत को इस्तमाल कर उसके पीछे 1 शून्य जोड़ दिया है! (मोहन ने मुस्कुराते हुए इशारे से दो शून्य लगाने की बात मानी) तो इसमें बुरा क्या है?"
फुलवा चुपके से, "मुझे डर लग रहा है कि मेरी आंखें खुलेंगी और मैं कोठे पर किसी से चुधा रही हूंगी!"
नारायण, "बेटा ऐसा समझ लो की पिछले जन्म के पाप का हिसाब हो गया है और अब भविष्य में अपने अच्छे कर्मों के फल मिलने हैं!"
मोहन, "अब आप दोनों आराम कर लो। चिराग, कल सुबह 8 बजे मेरे घर हाजिर होना! तुम मेरे नए असिस्टेंट हो! मेरे साथ धंधा करना सीखो। तुम्हारा दाखला मैनेजमेंट कॉलेज में करा देता हूं। साथ साथ डिग्री भी ले लो। अगर मैं तुम पर भरोसा कर पाया तो शायद 10 साल बाद मेरी जगह ले सकते हो! शायद."
नारायण ने बताया की बगल का बड़ा बंगला उनका घर था और कुछ दिनों तक खाना वहीं से आएगा। नारायण और फुलवा ने एक दूसरे का एहसान माना और नारायण मोहन के साथ अपने घर चला गया।
फुलवा ने अपने कमरे में देखा। वहां एक बड़ा बिस्तर था और बगल की अलमारी में ढेर सारे कपड़े थे। फुलवा के कमरे में ही नहाने का कमरा भी था। फुलवा ने नहाकर नए कपड़े पहने और बिस्तर पर लेट गई।
अचानक फुलवा का दिल भर आया और वह रोने लगी।
चिराग फुलवा के बगल में बैठ गया और उसकी पीठ पर हाथ घुमाकर रोने की वजह पूछने लगा।
फुलवा, "18 साल की थी जब बापू ने मेरी गांड़ मारी थी। उस मनहूस रात के बाद आज पहली बार मैं अकेली सोऊंगी!"
इसी तरह फुलवा सिसक सिसक कर सो गई और चिराग अपनी मां के बदन पर चादर डाल कर अपने कमरे में चला गया।