Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन - Page 3 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन

डिज़िल्वा का लंड मेरी टाइट गान्ड में 4 इंच तक घुस गया. उसने मुझे ज़ोर से पकड़ के रखा था और मेरे मूह में उसकी उंगलियाँ होने के कारण मेरी चीख दब गयी. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, पर मेरी नज़र मेरी मा के चुदाई पे थी. डिज़िल्वा मेरी गान्ड को सिर्फ़ 4 इंच तक चोद रहा था, इसी मेरा दर्द धीरे धीरे कम होगया और मुझे मज़ा आने लगा. मैने अपनी चूत में अब तीसरी उंगली डाल दी और अपनी मा की चुदाई का नज़ारा का मज़ा लेने लगी. रामू अपना पानी मा के चेहरे पे निकालके उसके मूह की चुदाई देखते हुए अपने बैठे हुए लंड को हिलाने लगा. चंगू और मंगु एक साथ अपने लंड मा के मूह में ठुस रहे थे, दोनो झरने के बहुत करीब थे. अचानक चंगू ने अपना लंड बाहर निकालके ज़ोर से हिलाने लगा
‘में झरने वाला हूँ आआहह…मूह खोलो सावित्री देवी आआअहह…. आआआअहह….’
मंगु ने भी ऐसे ही किया, वो भी झरने के बहुत करीब था.
मा ने बात मान अपना मूह पूरा खोल दिया. चंगू और मंगु एक साथ झरने लगे, उनके लंड से ढेर सारा वीर्य मा के मूह में गिरने लगा और थोड़ा बहुत उसके चेहरे पे गिर रहा था.
पाँच मिनिट तक दोनो ज़ोर से चिल्लाते हुए झरते रहें और मा के मूह में पानी निकालते रहें. रामू का लंड ये सब देख फिर से खड़ा हो गया था. आख़िर चंगू और मंगु का झरना बंद हुआ और उन्होने अपना लंड हिलाना बंद किया. झरने के बाद उन्होने मा के बाल छोड़ दिए. मा नीचे देख के वीर्य अपने मूह से बाहर थूकने लगी.
रामू मा के पीछे आ गया और मा के बाल खीच के उसका सर उपर कर दिया ‘क्या हुआ सावित्री देवी, आपको हम ग़रीबो का पानी अच्छा नहीं लगा ?’ ये कह के रामू ने मा की नाक एक हाथ से बंद कर दी. इससे मा को मजबूरन अपने मूह के अंदर का सारा वीर्य निगलना पड़ा.
‘ये हुई ना बात’
रामू ने ये कह के मा को ज़मीन पे लेटा दिया और मा के पैरों के बीच आकर अपना लंड उसकी चूत पे रख दिया ‘अब देखते हैं कि आपको इस ग़रीब का लंड अपनी चूत में अच्छा लगता हैं या नहीं’
रामू ने एक ज़ोरदार धक्के से अपना पूरा लंड मेरी मा की चूत में घुसेड दिया ‘नहियीईईईई…..’ मा ज़ोर से चीख उठी. रामू ने अपना 8 इंच का लॉडा मा के अंदर डाल के उसको चोदना शुरू कर दिया. सावित्री देवी जैसी औरत को चोदने में उसको बहुत मज़ा आ रहा था. उसको तो अपने नसीब पे भरोसा नही हो रहा था और वो पूरे ज़ोर से मा की चुदाई करने लगा. मा उसके नीचे छटपटा रही थी, वो अपने हाथो से रामू के पीठ पे मार रही थी और अपना सर हिला के ज़ोर से रोते हुए चीख रही थी ‘नहियीईई…. जाने दो मुझे, भगवान के लिए रहेम करो’
रामू की तो जैसे लॉटरी लग गयी थी. मा का गोरा चिकना बदन का एहसास उसको पागल कर रहा था. उसने मा के सर को पकड़ सीधा किया और अपने होंठ उसके होंठो को लगा के ज़ोर से चूमने लगा, और अपनी जीब ज़बरदस्ती उसके मूह में डाल दी. मा ‘म्‍म्म्मममम…. एम्म्म….’ कर के चीखने की कोशिश करती रही. ये सब देख मंगु का बैठा लंड अब फिरसे खड़ा हो गया था और उसको मा को चोदना था.
मंगु ने रामू के पास आके उसको धक्का लगाना शुरू किया ‘हट साले, मुझे चोदना हैं’
पर रामू उसकी थोड़े ही सुनने वाला था. उसने मा की चुदाई जारी रखी. मंगु बहुत उतावला हो रहा था, उसने दोनो हाथो से रामू को साइड से धकेला. ऐसा करने से रामू घूम गया और ज़मीन पे हो गया पर उसने मा पे अपनी पकड़ बनाए रखी और अपना लंड उसके अंदर रखा, अब मा उसके उपर थी. मा की गान्ड उपर की तरफ हो गयी. मेरी नज़र मा की गोरी गोरी गान्ड पे गिरी. नीचे रामू अपनी गान्ड उछाल उछाल के मा की चूत को तेज़ी से चोद्ता रहा और अपने दोनो हाथ मा की गान्ड पे रख उसको मसल रहा था. गांद मसल्ने से मुझे मा की गान्ड का गुलाबी छेद नज़र आ जाता. मा के मूह से अब चीखना बंद हो गया था अब उसके मूह से ‘आआहह… आआआआआआहह’ की आवाज़े आ रही थी.
 
‘देख कैसे मज़े ले रही हैं तेरी मा, एक नंबर की रांड़ हैं, बिल्कुल अपनी बेटी की तरह’ डिज़िल्वा ने मुझे कहा.
जैसे जैसे रामू अपना लंड उपर घुसेड़ता, मा की चिकनी गान्ड उपर उछल जाती. मा की इतनी सेक्सी गान्ड को देख मेरा दिल कर रहा था कि जाके उस गान्ड को मसल डालु, में चाहती थी कि उस गान्ड में कोई अब एक लंड डाल दे. और में चाहती थी वैसा ही हुआ. मंगु ने पीछे से आ के अपना मोटा लंड मा की गान्ड के छेद पे रख एक ज़ोरदार धक्का लगाया. उसका आधा लॉडा मा की गान्ड में 4 इंच तक घुस गया. अचानक 4 इंच का लंड अपनी गान्ड में जाने से मा चोंक गयी ‘नहियिइ ये क्या कर रहें हो, जाने दो मुझे प्लीज़’. मा की टाइट गान्ड का अपने लंड पे एहसास पा के मंगु एकदम उत्तेजित हो गया था, उसने और एक ज़ोरदार धक्का लगा के अपना पूरा लॉडा मा की गान्ड में घुसेड दिया ‘आआहह.. सावित्री देवी क्या गान्ड हैं आपकी आआआआअहह….’
‘आाआआईयईईईईईई… भगवान के लिए जाने दो मुझे आाआऐययईईईईईईई……’ मा दर्द से चिल्ला रही थी, मंगु बेफिकर हो के मा की गांद में अब धक्के लगाने लगा, मा के नीचे रामू भी अपनी गांद उछाल उछाल के मा को तेज़ी से चोद रहा था. डिज़िल्वा ये नज़ारा देख बहुत उत्तेजित हो गया और उसने मेरी गान्ड पूरी मारने की ठान ली. ‘साली अपने बाप से गान्ड चुदवाकर मज़ा ले रही हैं, तू तो तेरी मा से भी बड़ी रांड़ हैं, ये ले’ ऐसा कह के डिज़िल्वा ने एक बहुत ज़ोरदार धक्का लगाया. धक्का इतना ज़ोरदार था कि उसका पूरा लंड मेरी गान्ड में घुस गया और मेरे पैर एक सेकेंड के लिए हवा में उछल गये. डिज़िल्वा ने मुझे कस के पकड़ा था. उसने अब ज़ोर से अपने 10 इंच के लंड से मेरी गान्ड की चुदाइ शुरू कर दी. हरेक धक्के पे मेरे पैर हवा में उछल जाते. डिज़िल्वा कोई जंगली जानवर जैसे मेरी गान्ड मार रहा था. में चीखना चाहती थी पर उसने अब दोनो हाथो से मेरे मूह में उंगली डाल दी थी. में दर्द के मारे अपने दोनो हाथ हवा में मार रही थी पर डिज़िल्वा की पकड़ बहुत मज़बूत थी.
‘फिकर मत कर, दो मिनिट में तुझे इससे भी मज़ा आने लगेगा’.
मेरी नज़र के सामने मेरी मा का भी ये ही हाल था. उसकेए चूत और गान्ड के अंदर दो बड़े लंड थे. दोनो अपना लंड तेज़ी से अंदर बाहर कर रहें थे. मा चिला रही थी ‘प्लीज़ निकालो इसको अंदर से, आआआअहह’. अब चंगू मा के सामने आ गया, उसका लंड अभी भी बैठा हुआ था. उसने मा के बाल खीच के, सर उपर कर दिया और ‘आआआआआहह ये लो सावित्री देवी आआआआआअहह’ करते हुए अपना बैठा हुआ लंड और बॉल्स मा के चेहरे पे घिसना शुरू कर दिया, इससे मा का चिल्लाना बंद हो गया और सिर्फ़ ‘म्‍मह… म्‍म्म्ममह’ की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी. ऐसा करने से उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. दो मिनिट में उसका लंड पूरा खड़ा हो गया. उसने दो हाथो से मा के बाल पकड़ के रखे और अपने पूरे लंड से मा के मूह को चोदने लगा. अब मा के तीनो छेद में तीन लंबे काले लंड थे. तीनो बहुत तेज़ी से अपने लंड मा के अंदर बाहर कर रहें थे.
कुछ मिनाटो तक यू ही मेरी और मेरी मा की बेरहमी से चुदाई जारी रही. धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा, मा के चेहरे को देख के भी लग रहा था कि उसका दर्द कम हो गया हैं.
डिज़िल्वा मेरी गान्ड मारे जा रहा था, में अब झरने के बहुत करीब थी. ज़िंदगी में पहली बार गान्ड मरवाके में मज़ा ले रही थी. डिज़िल्वा का मोटा लंड मेरी छोटी सी गान्ड के अंदर बाहर अब तेज़ी से जा रहा था.
मेरी आँखों के सामने का नज़ारा और डिज़िल्वा के गरम लंड के एहसास से अब मेरा झरना शुरू हो गया. में तीन उंगली अपनी चूत में डाल के ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी. मेरे झरने से मेरी गान्ड डिज़िल्वा के लंड पे सिकुड रही थी और इससे डिज़िल्वा का भी झरना शुरू हो गया, बाहर मा को बुरी तराह से चोदते हुए तीनो का अब एक साथ झरना शुरू हो गया था. में ज़िंदगी में इतनी ज़ोर से कभी नही झरी थी. मेरी गान्ड में मुझे डिज़िल्वा के लंड से गरम वीर्य निकलता महसूस होने लगा.
मा के मूह में चंगू अपना वीर्य निकल रहा था. उसकी चूत और गान्ड से भी मंगु और रामू के वीर्य से चाप चप की आवाज़े आ रही थी. पता नही कितनी देर तक मेरा झरना जारी रहा. आख़िर कुछ देर बाद मेरा और डिज़िल्वा का झरना बंद हुआ. मैं थकान से ज़मीन पर अपने घुटनो तले बैठ गयी.
मा के अंदर से भी अब तीनो ने अपने लंड निकाल दिए थे. तीनो आदमी अब मा के पास खड़े थे और उसको देख रहें थे, उनके लंड बैठे हुए थे और चमक रहें थे, उनमे से थोड़ा थोड़ा वीर्य अभी भी टपक रहा था. मा का हाल बहुत बुरा था, उसकी चूत, गान्ड और मूह में बहुत ही दर्द हो रहा था. वो ज़मीन पे कुत्ति की तरह बैठी थी, इतनी चुदाई के बाद वो बहुत थक गयी थी, वो उन तीन जन्गलियो से दूर जाना चाहती थी और धीरे धीरे अपने हाथ और पैरों तले कमरे के दरवाज़े की ओर जाने लगी. मंगु ने मा को जाते देख उसके पास जा के कहा ‘आप कहाँ जा रही हो सावित्री देवी, अभी तो मैने आपको ठीक से चोदा भी नही हैं’.
‘नही, अब और क्या चाहिए तुम लोगो को, प्लीज़ जाने दो मुझे, रेहेम करो मुझ पर’ मंगु ने मा के बाल दोनो हाथो से पकड़ उसको खीच के ज़मीन पे घसीट के फिर से उन तीन जंगलियो के बीच ला के पटक दिया. मंगु अब घुटनो तले मा के सर के नज़दीक बैठ गया और एक हाथ से मा के गालों पे ज़ोर दे के उसको अपना मूह खोलने पे मजबूर कर दिया, मा का मूह खुलते ही उसने अपना बैठा लंड उसके मूह में पूरा डाल दिया ‘चूसो ज़ोर से सावित्री देवी, खड़ा कर दो मेरे लंड को’
चंगू और रामू दोनो ज़मीन पे बैठ मा के बूब्स को मूह में ले कर ज़ोर से चूसने लगे, और अपने हाथों से अपने बैठे लंड को हिला हिला कर उसको खड़ा करने लगे.
में ज़मीन पे थकावट से ज़ोर से साँसें ले रही थी और मा की चुदाई देख रही थी. डिज़िल्वा पीछे से आया और उसने मेरे बाल पकड़ के खीच दिए और मेरा मूह अपने बैठे लंड के पास ला दिया. ‘मूह खोल मानसी, अपने डॅडी का लॉडा खड़ा कर दे’
 
मेरे मूह खोलते ही डिज़िल्वा ने अपना पूरा बैठा हुआ लॉडा मेरे मूह में डाल दिया. डिज़िल्वा का बैठा हुआ लंड भी इतना बड़ा था कि मुश्किल से पूरा मेरे मूह में समा रहा था. में ज़ोर से डिज़िल्वा का लॉडा चूसने लगी, कुछ मिनाटो के बाद डिज़िल्वा का लंड धीरे धीरे मेरे मूह मैं मुझे खड़ा होता महसूस हुआ. लंड चूस्ते चूस्ते में अपना सर मोडके अपनी मा को उन तीनो के हाथो इस्तेमाल होता देख रही थी. तीनो पागल की तरह मा पे टूट पड़े थे. चंगू और रामू ने अब मा को ज़मीन पे अपने साइड पे लेटा दिया था उन्होने उसकी एक टाँग उपर कर ली थी. चंगू ने अपना मूह मा की चूत पे लगा कर अपनी जीब उसमे डाल दी थी. रामू पागल कुत्ते की तराह मा की गान्ड को चाट रहा था. गान्ड को चाटते चाटते वो अपने दातों से ज़ोर से एक दो बार काट भी लेता. कुछ मिनिट ऐसा करने के बाद उसने अपना मूह मा की गान्ड के छेद पे लगा दिया और अपनी जीब बाहर कर मा के छोटे से छेद के अंदर धकेलने की कोशिश करने लगा.
चंगू और रामू के मूह से ‘स्ल्ल्ल्लर्र्र्र्रप्प्प्प्प स्ल्ल्ल्ल्लर्र्र्र्रप्प्प्प्प्प्प्प की अव्वाज़े आ रही थी’
दोनो की गीली जीब और गीले होंठो के एहसास से मा को मज़ा आ रहा था, उसकी गान्ड और चूत के दर्द पे वो मरहम का काम कर रहा था. पर मंगु अभी भी मा का मूह ज़बरदस्ती अपने बैठे हुए लंड से चोद रहा था. इससे मा को बहुत तकलीफ़ हो रही थी.
डिज़िल्वा ये सब देख के बहुत उत्तेजित हो रहा था, उसको लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था, और वो बेरहमी से मेरे मूह में उससे ठुस रहा था. मुझे डर था कि अगर लंड पूरा खड़ा होने पर डिज़िल्वा मेरे मूह को चोदेगा तो पता नही क्या हाल होगा मेरा. पर डिज़िल्वा को मेरी चूत को चोदनि थी, उसने अब मुझे ज़मीन पे लेट जाने को कहा. वो मेरे दोनो पैरों के बीच बैठ गया और अपना आधा खड़ा लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगा, मेरी चूत पे डिज़िल्वा का गरम लंड मुझे मदहोश कर रहा था. मेरी चूत पूरी गीली हो गयी और दो मिनिट में डिज़िल्वा का लंड पूरा टाइट हो के खड़ा हो गया. डिज़िल्वा के मोटे और लंबे लौडे को खड़ा देख मेरे दिल में हलचल हो रही थी. मुझे वो लंड मेरी चूत के अंदर महसूस करना था. डिज़िल्वा भी अब और इंतेज़ार नही कर सकता था और अपना मोटा लंड मेरी छोटी सी चूत पे रख उसने एक तगड़ा धक्का लगा दिया. इतने दिनो के बाद मेरी चूत में गरम लंड का एहसास पा के मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. डिज़िल्वा ने मेरी चूत में लगातार धक्के लगाना शुरू कर दिए. हम दोनो चोदते और चुदवाते हुए मा की चुदाई देख रहें थे. फिर उसने मेरा सर सीधा करके मेरे होंठो पे अपने होंठ लगा कर मुझे ज़ोर से किस करना शुरू कर दिया. उसकी आँखे मा की चुदाई पे थी. में ज़मीन पे लेटी थी और डिज़िल्वा ने मेरा सर सीधा कर के रखा था. इस वजह से मुझे मा की चुदाई दिखाई नही दे रही थी. में अपना सर मोड़ने की कोशिश कर रही थी पर डिज़िल्वा को मेरा सर सीधा पकड़ अपनी जीब मेरे मूह में डाल के किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था. कुछ मिंटो तक डिज़िल्वा मुझे ऐसे ही किस करके चोदता रहा. उसके लंबे लंड के एहसास से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

मुझे मा की चुदाई की आवाज़ सुनाई दे रही थी. मा उन लोगों से रोते हुए भीक माँग रही थी ‘नही ऐसा मत करो’ ‘रेहेम करो मुझे पे आाआईयईईईईईई…..’ ‘भगवान के लिए जाने दो मुझे’. मुझे ये सब देखने की उत्सुकता हो रही थी पर डिज़िल्वा को मेरे होंठो से अपने होंठ अलग नही करने थे. बहुत देर मुझे किस करने के बाद डिज़िल्वा ने अपने होंठो से मेरे गले को चाटना शुरू किया. मैने मौका पा के अपना सर मोडके मा की तरफ देखा. मा की बहुत ही बुरी हालत थी. चंगू ज़मीन पे लेटा था और उसने मा को अपने उपर लेटा के रखा था, उसका मोटा लंड मा की गान्ड में था. मंगु मा के उपर था और उसकी चूत में अपना लंड तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. रामू अपना लंड मा के मूह में पूरा ठुसने की कोशिश कर रहा था.


मा ‘म्‍म्म्ममममम.. म्‍म्म्मममम..’ करके विरोध कर रही थी और अपने हाथ हवा में मार रही थी. मा का इस तरह से रेप देख मुझे बहुत मज़ा आया और मेरा झरना शुरू हो गया. मा की चुदाई देख मैं बहुत ज़ोर से झर रही थी, डिज़िल्वा का मोटा लंड मुझे पागल बना रहा था. कुछ मिनिट बाद मेरा झरना आख़िर बंद हुआ. डिज़िल्वा अभी भी लगातार मेरी चूत में अपना लॉडा अंदर बाहर कर रहा था.
कुछ देर मेरे गले को चाटने के बाद डिज़िल्वा ने फिर से मेरा मूह सीधा कर दिया और मुझे ज़ोर से किस करने लगा. पता नही कितनी देर तक उसने मुझे जंगली की तरह ज़ोर से चोदा. आख़िर उसका झरना शुरू हो गया, उसने अपनी चुदाई की रफ़्तार और बढ़ा दी, उसके लौडे से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था और मुझे वो गरम गरम वीर्य अपनी चूत मे बहता हुआ महसूस हो रहा था. तीन चार मिनिट तक ज़ोर्से झरने के बाद डिज़िल्वा ने मुझे चोदना बंद किया और मेरे होंठो को किस करना बंद किया. उसके सर छोड़ने पे मैने फिर से अपना सर मोडके मा की ओर देखा. वो तीनो वहाँ से चले गये थे.
मा पूरी नंगी ज़मीन पे पड़ी हुई थी. उसकी गान्ड और चूत से वीर्य बह रहा था. उसके चेहरे और सारे बदन पे वीर्य चिपका हुआ था. उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे. उसका मूह आधा खुला था और उसमे से भी थोड़ा वीर्य बाहर निकल रहा था. वो इतनी थक गयी थी की अपने बदन से वीर्य सॉफ करने की भी ताक़त उसमे नही थी. मेरी सेक्स की भूक मिटने से मेरा दिमाग़ अब धीरे धीरे ठिकाने पे आने लगा. मा का हाल देख मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. डिज़िल्वा रूम में जा के मा के पास गया. उसने मा को उठा के अपने बेडरूम में ले गया. वहाँ उसने मा को नहला कर सॉफ किया और फिर बिस्तर पे लेजा कर उसको धीरे धीरे से चोद के खुश किया. सुबह तक माँ ने डिज़िल्वा को माफ़ कर दिया था. मुझे यकीन नही हो रहा था कि किस हद तक मा को डिज़िल्वा ने अपने जाल में फ़सा के रखा था. मैने एक बार फिर से कसम खा ली कि आज के बाद में कभी भी डिज़िल्वा के साथ सेक्स नही करूँगी. और में जानती थी कि इस बार मेरी कसम को कोई नही तोड़ सकेगा.
कुछ दिन बाद मेरे स्कूल का दोस्त विवेक हमारे घर आया…
 
‘अरे विवेक तुम यहाँ क्या कर रहे हो’ मैने कहा.
‘जी असल में तुम से बात करनी थी’
‘क्या बात हैं कहो’
‘जी मुझे तुम्हारे जाने के बाद सेक्स करने को बहुत दिल करता हैं, प्लीज़ मुझे फिर से अपना बाय्फ्रेंड बना लो’
‘देखो में तुम्हारी गर्लफ्रेंड कभी नही थी’ मैने कहा. मा के बलात्कार के बाद मेने डिज़िल्वा के साथ सेक्स करना बंद कर दिया था. इस बात को अब काफ़ी वक़्त हो गया था. मुझे सेक्स करने को बहुत दिल कर रहा था और मेरे दिमाग़ में एक पल के लिए बात आई कि में विवेक के साथ सेक्स करलू पर उसी वक़्त डिज़िल्वा कमरे में आया.
‘अरे मानसी ये तो तुम्हारा पुराना बाय्फ्रेंड हैं’
उसको देख विवेक की गान्ड फॅट गयी. ‘जी ये मेरे सौतेले डॅडी हैं’ मैने कहा.
‘जी नमस्ते अंकल, मुझे नहीं पता था कि आप मानसी के डॅडी हो’ विवेक ने डरते हुए कहा.
‘विवेक मुझसे फिर से दोस्ती करना चाहता हैं’ मैने डिज़िल्वा को जलाने के लिए कह डाला
डिज़िल्वा बोला ‘देखो विवेक, मानसी मेरी बेटी हैं, और हर बाप की तरह मैं भी उसकी भलाई चाहता हूँ, मुझे कोई एतराज़ नही अगर तुम दोनो दोस्ती करो पर मैं चाहता हूँ कि मानसी की दोस्ती किसी ऐसे लड़के से हो जो बहादुर हो और किसी बात से जिसको डर नही लगे’
‘जी अंकल मैं तो बहुत बहादुर हूँ, मुझे किसी से डर नही लगता’ विवेक ने कहा. मैं समझ गयी कि डिज़िल्वा उस उल्लू को बेवकूफ़ बना रहा हैं.
‘ऐसा करते हैं तुम दो दिन बाद घर आओ में कोई बहादुरी का काम तुम्हारे लिए सोच के रखता हूँ, अगर तुम वो काम कर लोगे तो तुम मानसी को अपनी दोस्त बना सकते हो’
‘ठीक हैं’ विवेक मान गया.
दो दिन बाद विवेक घर आया.
‘आओ विवेक, तुम्हे अपनी बहादुरी दिखाने के लिए दो चीज़ करनी हैं’ डिज़िल्वा ने कहा. ‘एक तो तुम्हे ये छोटे कपड़े और थोड़ा सा मेकप लगाना हैं. और दूसरा तुम्हे 5 मिनिट के लिए ये सब पहन कर कोलीवाड़ा की एक गली में खड़ा रहना हैं.’
‘ठीक हैं मुझे मंज़ूर हैं’ विवेक ने कहा. विवेक ने कपड़े पहने तो में तो दंग रह गयी. डिज़िल्वा ने उसके लिए एक छोटी सी सफेद बनियान और छोटी सी गुलाबी चड्डी चुनी थी. चड्डी में विवेक की गान्ड आधी दिख रही थी. विवेक के गालो पर गुलाबी पाउडर भी लगा दिया.
विवेक चड्डी और गुलाबी गाल में एकदम चिकना लग रहा था. अगर में मर्द होती तो में वही उसकी गान्ड मार देती. में सोच में पड़ गयी कि कोलीवाड़ा के मवाली विवेक को इस रूप में देख कर क्या करेंगे.
 
हम तीनो गाड़ी में कोलीवाड़ा की झोपड़पट्टी के एक इलाक़े में पहुचे. हमे पता नहीं था लेकिन डिज़िल्वा ने कोलीवाड़ा का सबसे ख़तरनाक इलाक़ा चुना था. वहाँ डिज़िल्वा ने गाड़ी पार्क कर दी. थोड़ी दूर सड़क के कोने में चार आदमी थे. ‘जा विवेक उन लोगों के बीच जा कर 5 मिनिट खड़ा रह कर दिखा’
‘पर वो तो काफ़ी ख़तरनाक आदमी लगते हैं’
‘फिकर मत कर अगर उन्होने तुझे हाथ भी लगाया तो मैं वहाँ आ के तुझे वहाँ से ले जाउन्गा, में सिर्फ़ मानसी को दिखाना चाहता हूँ कि तू कितना बहादुर हैं’
‘ठीक हैं’ विवेक वहाँ जा के उन आदमियों के बीच खड़ा हो गया. उसका रंग रूप देख उन लोगों के मन में सवाल आया और वो लोग विवेक के नज़दीक जा कर खड़े हो गये.
‘अरे ये क्या हैं, इतने छोटे कपड़े पहेन के यहाँ क्या कर रहे हो बाबूजी, ये बहुत ख़तरनाक इलाक़ा हैं’
उन आदमियों की नज़र विवेक के गोरे बदन पे थी. ऐसे चिकने लड़के को इतने छोटे कपड़े में देख उनके लौड़ों में हलचल होने लगी थी.
‘जी हां बाबूजी बहुत ख़तरनाक इलाक़ा हैं ये, यहाँ बहुत बलात्कार होते हैं, आप इतना सवर के यहाँ पे क्या कर रहें हो’
विवेक बहुत डर गया था और मूड के हमारी ओर देख रहा था. वो आदमी अब सब उसके नज़दीक आ गये थे.
‘लगता हैं बाबूजी को हम ग़रीब लोगों से दोस्ती करनी हैं, इसीलिए इतना सज सवर के आए हैं’
‘ये चेहरे पे लाली लगा के आप तो बिल्कुल लड़की दिख रहें हो बाबूजी’
उन आदमियों को देख मुझे पता चल गया कि अगर डिज़िल्वा ने उनको रोका नहीं तो आज ज़रूर वो विवेक का रेप कर देंगे. मैने डिज़िल्वा से कहा ‘अब बहुत हो गया, जा कर ले आओ विवेक को’
‘नहीं रे, आज तो उसकी चुदाई देख के ही यहाँ से जाउन्गा’
‘पर तुमने तो उसको कहा था कि तुम उन लोगो को रोक लोगे’
‘मैने उसको झूठ बोला था, सिर्फ़ तुझे दिखाने को कि तू कैसे चूतिए को बाय्फ्रेंड बनाने की सोच रही थी. बस अब तू आराम से उसकी चुदाई का मज़ा ले. और वैसे भी अब उन आदमियों के सर पे सेक्स सवार हैं, मेरे रोकने से वो रुकने वाले नही’
हम दोनो अब कार के अंदर से बाहर झाकने लगे.
विवेक को आदमियों ने घेर के रखा था. एक आदमी साइड पे एक बेंच के उपर बैठा था. उसने कहा ‘बाबूजी आप यहाँ आ कर बैठो’. विवेक डर के मारे उस आदमी के बगल में जा के बैठ गया. वहाँ बैठने पर उस आदमी ने कहा ‘आप मेरे साथ सेक्स करोगे? ‘
‘ये क्या बोल रहा हैं, पागल है क्या’ विवेक ने कहा
‘तो आप क्या यहाँ हम लोगों से बातचीत करने आए हो ?’
‘तुझे इससे क्या साले, अपना काम कर, तेरे जैसे लोगों के में मूह नही लगता’ विवेक ने गुस्से से कहा.
गाड़ी में डिज़िल्वा ने अपने सर पे हाथ मार के कहा ‘कितना बेवकूफ़ हैं साला, ऐसे बात करेगा तो इसको रंडी के जैसे चोदेन्गे’
‘मेरे जैसे, मतलब कैसे ?’ उस आदमी ने विवेक से पूछा
‘तुझ जैसे गंदे फटीचर से, और तेरे ये भिकमन्गे दोस्तों से’ विवेक ने बाकी आदमियों को इशारा करते हुए कहा. मुझे गाड़ी में बैठे उन लोगों का गुस्सा अब दिखाई दे रहा था.
 
विवेक बोलता गया ‘में यहाँ सिर्फ़ 5 मिनिट के लिए मेरे दोस्त के कहने पे आया हूँ, वरना ऐसे गटर जैसी जगाह पे में नही आता और तुम जैसे गंदे लोगों को में मूह नहीं लगाता’
ये बात सुनकर उस आदमी ने अपनी पतलून नीचे कर दी और अपना 8 इंच लंबा काला लंड बाहर निकाल दिया. उसका लॉडा पूरा टाइट हो कर खड़ा था.
‘ओह गॉड ! ये क्या कर रहा हैं’ विवेक लंड देख डर गया.
‘मेरे मूह मत लगो बाबूजी पर मेरे लंड के मूह तो लग सकते हो’
आदमी ने ये बोल अपना हाथ ले कर विवेक के बाल पकड़ उसका सर अपने लंड की ओर खीच लिया.
‘आआईयईई… जाने दे मुझे साले भिकारी’ आदमी ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा था और दूसरे हाथ से विवेक का सर नीचे दबा रहा था. विवेक ने अपना मूह बंद रखने की कोशिश की पर उस आदमी ने अपना लंड उसके होंठो पे ज़ोर से रगड़ रगड़ के विवेक को मूह खोलने पे मजबूर कर दिया. विवेक का मूह खुलते ही पूरा का पूरा लंड विवेक मे मूह में घुस गया.
‘आआअहह.. बहुत खूब बाबूजी बहुत आआआअहह… खूब’ आदमी ने विवेक का सर नीचे दबा के रखा. उसका पूरा लंड विवेक के मूह में था, विवेक ज़ोर से ख़ास रहा था. आदमी ने अब विवेक के मूह में अपना लंड ज़ोर से अंदर बाहर करना शुरू किया.
ये सब नज़ारा देख में और डिज़िल्वा बहुत उत्तेजित जो गये थे. डिज़िल्वा बाहर देखते देखते अपने कपड़े निकाल बैठा था और अपने मोटे लंड को सहला रहा था. मेने भी अपनी पैंटी निकाल अपनी चूत में उंगलिया डाल दी थी. हम दोनो बाप बेटी बेशरम हो कर विवेक की चुदाई का मज़ा ले रहे थे.
ऐसे चिकने लड़के को इन लोगों ने कभी चोदा नहीं था और अब विवेक की मूह की चुदाई देख एक दो आदमी ने अपनी पतलून निकाल दी, उनके भी लंबे और काले लंड पूरे टाइट हो कर खड़े थे. पाँच ही मिनिट में आदमी झरने के बहुत करीब आ गया था ‘आआहह… बाबूजी आप बड़े लोगों की तो बात ही कुछ और हैं आआआहह.. थोड़ा आप भी मेरे लंड से गटर का पानी पे लो’ ऐसा बोल वो आदमी का झरना शुरू हो गया और वो और तेज़ी से अपनी गान्ड उछाल के विवेक का मूह चोदते गया. उसके लंड से ढेर सारा वीर्य निकलता गया. विवेक के पास उससे निगलने के सिवा कोई चारा नहीं था. वीर्य निगलते निगलते थोड़ा बहुत बाहर बह रहा था.
मैने अब अपनी कसम को भूलके अपना हाथ डिज़िल्वा के लंड पे रख दिया और उसको सहलाने लगी. डिज़िल्वा ने मुझे देखा में उसको देख के मुस्कुरा बैठी. हम दोनो जानते थे कि इतना सेक्स चढ़ जाने के बाद मेरी प्यास उंगलियाँ नहीं पर डिज़िल्वा का मोटा लंड ही भुजा सकता हैं.
‘आजा मेरी जान, अपने डॅडी की गोद में आके बैठ जा’ डिज़िल्वा का मोटा लंबा लंड देख मुझ से अब रहा नही गया, में उसके उपर चढ़ गयी और उसका लंड पकड़ के धीरे से अपनी चूत में डाल के नीचे बैठने लगी. मेरी चूत पूरी गीली हो गयी थी, फिर भी डिज़िल्वा का मोटा लंड बहुत ही मुश्किल से अंदर जा रहा था. डिज़िल्वा का लंड मेरी चूत को फैला रहा था और में बहुत ही धीरे धीरे उसको अंदर ले रही थी, कैसे भी कर के मेने उसका आधा लंड अपनी चूत में ले लिया. डिज़िल्वा से सबर नही हो रहा था. उसने अचानक मेरे खंधो पर हाथ रखके मुझे नीचे खीच लिया और साथ ही अपनी गान्ड उछाल के अपना लंड पूरा मेरी चूत में डाल दिया. ‘आाआईयईईई’ में चीख पड़ी. डिज़िल्वा ने मेरे कंधे पे ज़ोर लगा के रखा और मुझे उपर होने से रोक लिया. ‘दो मिनिट में दर्द चला जाएगा, उधर देख क्या हो रहा हैं’
विवेक अपने मूह को उस आदमी के लंड से अलग करने की कोशिश कर रहा था. आदमी पूरा झर चुका था फिर भी उसने विवेक का सर दो मिनिट और नीचे दबा के रखा. ये नज़ारा देख बाकी आदमियों के लंड में हलचल हो रही थी. उनमे से एक ने कहा ‘अब छोड़ भी दे, हमे भी बाबूजी से जान पहचान करनी हैं’. ये सुन कर आदमी ने विवेक का सर छोड़ दिया, विवेक तुरंत खड़ा हो के गाड़ी की तरफ चलने लगा. तभी एक आदमी ने उसको पीछे से पकड़ लिया ‘अरे कहाँ जा रहे हो बाबूजी अभी तो हम सब की बारी बाकी हैं’
‘जाने दे मुझे साले हरामी’ विवेक के चेहरे पे डर था फिर भी वो ऐसे बात कर रहा था
‘हम से दोस्ती नहीं करोगे बाबूजी?’
‘ये क्या बोल रहा हैं साले कुत्ते’ विवेक के ऐसे बात करने से उन लोगों को गुस्सा आ रहा था.
पास के दो आदमियो ने विवेक की चड्डी खीच के उतार दी. विवेक का छोटा सा लंड टाइट हो गया था.
‘अरे लगता हैं बाबूजी को हम कुत्तों के साथ मज़ा आ रहा हैं’
फिर उसने विवेक की गान्ड पे हाथ रख के कहा ‘अब हम आपको बताते हैं कि हम कुत्ते ऐसी चिकनी गांद का क्या हाल करते हैं’
ऐसा बोलके एक आदमी ने विवेक को ज़बरदस्ती ज़मीन पे घुटनो तले बैठा दिया और उसकी पीठ पे पैर रख कि उसको कुत्ते के जैसे कर दिया. पीछे से दूसरा आदमी आया, उसने अपनी पतलून उतार दी थी, उसका मोटा और लंबा काला लंड पूरा खड़ा था.
‘ये लो बाबूजी, कुत्ते का लंड’ बोलके उसने अपना लंड ज़ोर से विवेक की गान्ड के छेद पे रख अंदर घुसेड़ना शुरू किया. ‘आाआऐययईईईईईई’ विवेक चिल्लाया.
उसी वक़्त डिज़िल्वा ने भी अपनी उंगली मेरी गान्ड में घुसेड दी.
 
‘आआआआहह डॅडी आआआअहह’ मेरे मूह से सिसकारी निकल पड़ी. में अब डिज़िल्वा के लंड पे ज़ोर से उपर नीचे हो रही थी. डिज़िल्वा साथ साथ अपनी उंगली मेरी गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था. इतने दिनो बाद डिज़िल्वा का लंड मिलने पे मेरी चूत में आग लग गयी थी. मेरे सारे बदन में आग लग गयी थी. मैने अपने होंठ डिज़िल्वा के होंठो से मिला दिए और उसकी जीब पे अपनी जीब को रगड़ने लगी. मेरी नज़र विवेक की चुदाई पे थी.
बाहर विवेक की गान्ड के अंदर आदमी ने आधा लंड घुसेड दिया था. ‘आआअहह.. बाबूजी, आप की गोरी गान्ड तो बहुत छोटी हैं आआआहह…’. आदमी का काला लॉडा धीरे धीरे विवेक की गान्ड के छोटे से छेद को फैला कर अंदर जा रहा था. विवेक अपनी आँखें बंद कर के बैठा था, उसका छोटा लंड अभी भी खड़ा था. उसको दर्द बहुत हो रहा था पर इतना बड़ा काला और गरम लंड के एहसास से अच्छा भी लग रहा था. एक आदमी अब ज़मीन पे आ कर बैठ गया. वो इस तरह बैठा था कि उसका मोटा लंड विवेक के चेहरे के बहुत नज़दीक था, और वो अपने लौडे को तेज़ी से हिला हिला कर झरने के बहुत करीब आ गया था.
विवेक की गान्ड में लंड अभी भी सिर्फ़ आधा ही घुसा हुआ था, उस आदमी को विवेक की टाइट गान्ड को सिर्फ़ चार इंच तक चोदने में भी इतना मज़ा आया था कि वो झरने वाला था, उसने अब पूरे ज़ोर से अपना लंड आगे धकेल के अपना पूरा 8 इंच तक अंदर डाल दिया और अपने लंड से ढेर सारा वीर्य विवेक की छोटी सी गान्ड में निकालने लगा. विवेक ‘आआआआअहह…’ करके चिल्लाया. चिल्लाते वक़्त उसका मूह खुला तो उसके सामने बैठे आदमी ने अपना लंड उसके मूह में ठुस दिया, और वो भी झरने लगा. विवेक ‘म्‍म्म्ममममम…. गर्रररल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल… म्‍म्म्ममम…’ करके चिल्लाने की कोशिश करता रहा. उसको अपनी गान्ड और लंड के अंदर गरम वीर्य निकलते महसूस हो रहा था.
उन मर्दों के बड़े बड़े मोटे लंड और लंड के नीचे काले बॉल्स को देख मुझे वैसे भी बहुत मज़ा आ रहा था पर अब विवेक के मूह और गान्ड का एक साथ बलात्कार देख मुझे से रहा नही गया और मेरा झरना शुरू हो गया. में पूरी तेज़ी से डिज़िल्वा के लंड पे उपर नीचे होने लगी ‘आआआआअहह… डॅडी क्या लंड हैं तुम्हाराआआआअहह…’
अपनी जवान बेटी को पूरी नंगी अपने लंड के उपर उछलते देख डिज़िल्वा से भी रहा नही गया और वो झरने लगा. ‘ज़ोर से मानसी, और ज़ोर से आआआहह….’ वो भी अपनी गांद उछाल उछाल के मुझे चोदता गया. उसके लौडे से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. गरम गरम पानी मेरी चूत के अंदर महसूस करके मेरा झरना और तेज़ हो गया. हम दोनो तीन चार मिनिट ऐसे ही पागल की तरह चिल्ला चिल्ला कर झरते रहें. आख़िर हमारा झरना बंद हुआ. मेरी चूत के पानी और डिज़िल्वा के वीर्य से कार की सीट पूरी गीली हो गयी थी.
हम ने अपने कपड़े ठीक किए और वहाँ से निकलने को तैयार हो गये. बाहर दो आदमी विवेक के अंदर अपना पानी निकालके हट गये थे और उनकी जगह दूसरों ने ले ली थी. जाते वक़्त मैने एक बार मूड के विवेक को देखा. वो एक आदमी का लंड अपने गान्ड में ले कर उसके उपर बैठा था और अपनी गान्ड ज़ोर से हिला रहा था और उसके सामने दूसरा आदमी खड़ा हो के उसके बाल पकड़ उसका मूह अपने लंड से चोद रहा था. बगल में एक और आदमी अपना खड़ा लंड हाथो मे लिए अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहा था, और बेंच पर बैठे आदमी का भी लंड अब पूरा खड़ा हो गया था. पता नही उसके बाद विवेक का क्या हाल हुआ पर वो मुझसे फिर कभी मिलने नही आया. मैने कुछ दोस्तों से सुना हैं कि उसने कोलीवाड़ा की झोपड़पट्टी में एक कमरा किराए पे लिया हैं, लोगों से वो कहता हैं कि वो समाज सेवा करके ग़रीबो की मदद कर रहा हैं, पर में जानती हूँ कि वो वहाँ किसकी कैसे मदद करता हैं.
डिज़िल्वा के साथ फिर से सेक्स करके मुझे एहसास हो गया कि अगर मेने किसी और को ढूँढा नही तो मेरे जिस्म की भूक मुझे डिज़िल्वा के लंड की ओर खीच के ले जाएगी और में कुछ नही कर पाउन्गि. मैने आख़िर फ़ैसला कर दिया और अगले ही दिन मा को कह डाला ‘मा मुझे अब शादी कर लेनी चाहिए’…
 
मा मेरी बात सुनकर चोंक गयी ‘ये क्या कह रही हो मानसी, तुम अभी सिर्फ़ 18 साल की हो, अभी तो तुम्हे पढ़ाई ख़तम करनी हैं’
‘वो तो में शादी के बाद कर लूँगी, तुम लड़का ढूँढना शुरू कर दो’
कैसे भी करके मैने मा को मना लिया.
मा ने जब डिज़िल्वा को बात कही तो उसने मा को रोकने की कोशिश बहुत की, वो नही चाहता था कि में घर से चली जाओं और उससे मुझे चोदने का चान्स ना मिले. पर आख़िर उसको मानना ही पड़ा.
कुछ दिनो बाद मा मेरे पास आई.
‘मैने तेरे लिए एक बहुत अच्छे परिवार में रिश्ता देखा हैं. सिंघानिया परिवार का नाम तो तूने सुना होगा. सिर्फ़ एक प्राब्लम हैं, लड़के की उमर थोड़ी ज़्यादा हैं वो 45 साल का हैं. उसकी एक बार शादी हुई थी लेकिन 18 साल पहले अपने बेटे की पेदाइश के वक़्त उसकी बीवी गुज़र गयी.’
मैने सोचा कि डिज़िल्वा भी तो 50एक साल का हैं फिर भी कितनी अच्छी चुदाई करता हैं.
‘जी सिंघानिया परिवार तो बहुत राईस लोग हैं, मुझे रिस्ता पसंद हैं’
कुछ समय बाद हम दोनो के परिवार की मुलाकात हुई.
सिंघानिया परिवार में कई साल से कोई औरत नही थी. मेरे पति की मा को गुज़रे 25 साल हो गये थे. घर पे मेरे होने वाले पति, किशोर जी के सिवा दो और मर्द थे. किशोरे के पिता परबत सिंग जो लगभग 70 साल के थे, और मेरा सौतेला बेटा सुभाष जो 18 साल का था.
सुभाष बेचारा पागल था, वो था तो 18 साल का पर उसका दिमाग़ सिर्फ़ कोई 10 साल के लड़के जितना था.
मेरे ससुरजी बहुत बूढ़े थे और लाठी का सहारा लेकर चलते थे. वो बहुत लंबे कद के थे लगभा 7 फुट की उनकी लंबाई थी, वो ज़्यादातर अपने घर पे कमरे में ही रहते थे. उनकी देखभाल करने के लिए घर पे नर्स का इंतज़ाम किया था. मेरे पति और मेरे ससुरजी में बहुत ही फरक था. मेरे पति काफ़ी गोरे और सुंदर दिखते थे, पर मेरे ससुरजी बहुत ही काले थे और काफ़ी बदसूरत भी.
मुझे किशोर से मिलके बहुत अच्छा लगा. हम दोनो रोज़ मिलने लगे.
में उनके साथ सेक्स करना चाहती थी पर वो एक गेंटल्मन थे और शादी के पहले मुझसे सेक्स नही करना चाहते थे. हम सिर्फ़ थोड़ा बहुत एक दूसरे को चूम लेते.
एक दिन में उनके घर पे उनसे मिलने गयी. घर पे ससुरजी की देखभाल करने के लिए तीन नर्स थे. तीनो मर्द थे, एक भी महिला नर्स नही थी, ये मुझे बहुत अजीब लगा था.
मैने किशोर से पूछा ‘किशोर जी आप के पिताजी के लिए कोई महिला नर्स नही है ? ऐसा क्यूँ ?’
मेरे पति के जवाब से में दंग रह गयी ‘अब तुमसे क्या छुपाऊ मानसी, असल में बात बहुत ही शरम जनक हैं, कुछ समय पहले हमने एक लेडी नर्स रखी थी पिताजी का ख्याल रखने के लिए, कुछ दिनो तक तो सब ठीक था लेकिन एक दिन जब घर पे कोई नही था तो पिताजी ने नर्स का रेप कर दिया’
‘क्या..’ मैने चोंक के कहा ‘पर उनकी उमर तो …’
‘हां उस समय भी उनकी उमर 65 साल की थी, दीवाली का समय था और दीवाली के बहाने पिताजी ने सारे नौकरो को बुला के सब को घर भेज दिया. उसके बाद चार घंटे तक उन्होने उस नर्स का बलात्कार किया. अगर में तुम्हे बताऊ तो तुमको यकीन नही होगा कि उन्होने नर्स के साथ उन चार घंटे क्या क्या किया. में शाम को घर आया तो देखा कि कोई नौकर घर में नहीं था. उनके कमरे में जा के देखा तो नर्स बेचारी नंगी बिस्तर पे थी और बेहोश हो गयी थी, और पिताजी उसकी गान्ड मार रहे थे. मैने कैसे भी करके उनको उससे दूर किया. फिर कैसे भी करके उस नर्स और पोलीस वालों को पैसे दे कर उनका मूह बंद किया. लेकिन उसके बाद मैने ठान लिया के पिताजी के लिए कोई महिला नर्स नहीं रखूँगा’
में यह बात सुनकर चोंक गयी थी. मेरे मन में तो ये बात घुस गयी थी कि इतना बूढ़ा आदमी चार घंटे तक कैसे चुदाई कर सकता हैं ? मुझे उत्सुकता हो रही थी कि चार घंटे मेरे ससुर ने उस नर्स के साथ क्या क्या किया, पर में सीधे पूछ भी नहीं सकती.
‘जी चार घंटे थोड़ी ना कुछ किया होगा पिताजी ने, वो नर्स ज़रूर झूट बोलती होगी’
‘नहीं मानसी, पिताजी ने सच मुच चार घंटे उसको चोदा. बेचारी 18 साल की कुँवारी लड़की थी, उसको भी थोड़ी बहुत उत्सुकता थी पहले तो उसको बहला फुसला कर उसकी चूत चाट चाटके उसको खुश कर दिया फिर अपना लंड उससे चुस्वाया. उसके बाद उन्होने उसको चोदने की बात की तो नर्स ने मना किया, क्यूँ कि वो कुँवारी रहना चाहती थी, पर जब मनाने पे नही मानी तो पिताजी ने उसको जबर्जस्ति चोदा, पता नहीं बेचारी पे क्या बीती होगी. और सिर्फ़ एक बार नही पिताजी ने उसको 2 या 3 बार चोदा. और सबसे बुरी बात तो ये हुई कि उसकी चूत चोदने के बाद आख़िर पिताजी ने जब अपना लंड ज़बरदस्ती उसकी गान्ड में डाला तो बेचारी बेहोश हो गयी पर फिर भी पिताजी उसकी गान्ड चोदते रहे. मुझे तो आज तक यकीन नहीं होता कि पिताजी इतनी गंदी हरकत कर सकते हैं’
मेरी उत्सुकता बहुत बढ़ गयी थी, मैने थोड़ा और पूछा ‘पर मुझे यकीन नही होता कि लड़की बेहोश हो गयी ? ऐसे भी क्या कोई बेहोश होता हैं ?’
‘छोड़ो भी मानसी, मुझे ये बात नही करनी, कुछ और बात करो’ मैने सोचा कि किसी और वक़्त में पूरी कहानी की बात उनसे निकलवा लूँगी.
मुझे किशोर जी के साथ बातें करके बहुत मज़ा आता था. आख़िर हमारी शादी का दिन आ ही गया.
सुहाग रात में मैने ठान लिया था कि सारी रात अपने पति के साथ सेक्स करूँगी. इतने महीनो से सेक्स ना करने से मेरे बदन में सेक्स की भूक बहुत बढ़ गयी थी.
सुहाग रात में किशोर जी कमरे में आये तब में बिस्तर पर उनके लिए तैयार हो कर बैठी थी. किशोर जी ने अंदर आ कर, लाइट बंद कर दी. उन्होने फिर बिस्तर पर आ कर मुझे थोड़ी देर तक चूमा, फिर अपना लंड बाहर निकाला पर अंधेरे में मुझे कुछ दिखाई दे नही रहा था, उन्होने मेरी साड़ी उपर कर दी और पैंटी निकाल के अपना लंड मेरी चूत के नज़दीक ला कर कहा ‘पहली बार थोड़ा दर्द होता हैं, तुम डरना मत’ ऐसा कह के अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू किया. लंड मेरी चूत में पूरा घुस चुका था और उसके साथ मुझे पता चला कि मेरे पति का लंड बहुत छोटा था. लंबाई में लगभग 4 या 5 इंच और बिल्कुल भी मोटा नहीं था. मुझे ज़िंदगी में इतनी निराशा कभी नही हुई थी. मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. पाँच मिनिट में ही मेरे पति का झरना शुरू हो गया और वो झार के मेरे बगल में लेट गये.
‘कैसा लगा मानसी बहुत दर्द तो नही हुआ’
‘जी नही, बहुत नही’ मैं कहती भी क्या.
फिर मेरे पति सो गये. में सारी रात रोती रही और अपने नसीब को कोस्ती रही. आख़िर मैने सोचा कि मेरे पति कम्से कम एक अच्छे इंसान तो हैं. मेने फ़ैसला कर दिया कि सारी ज़िंदगी में एक पति व्रता बन के रहूंगी और अपने तन की भूक को काबू में रखूँगी.
ऐसे ही धीरे धीरे वक़्त गुज़रता गया. में दिन में तीन चार बार बाथरूम में जा कर अपनी चूत से खेल के झरती और अपने बदन की प्यास को दबा के रखती. मेरे पति दो तीन हफ्ते में एक बार मुझे चोदते. पर उनकी चुदाई से मुझे खुशी कम और अफ़सोस ज़्यादा होता था. मुझे सारे वक़्त डिज़िल्वा के मोटे लौडे की याद सताती रहती थी. कुछ दिन बाद दीवाली का वक़्त आ गया. मेरे पति दीवाली के दिन भी अपने बिज़्नेस के काम के लिए बाहर गये. घर के सारे नौकर चाकर छुट्टी पे थे. सुभाष घर के बाहर गार्डेन मैं खेल रहा था. मेरे ससुरजी के नर्स भी छुट्टी पे थे. इस कारण में उनके दोपहर की दवाई ले कर उनके कमरे में गयी.
‘जी पिताजी में अंदर आऊ, आपकी दवाई का वक़्त हो गया हैं’
‘अंदर आओ बहू’
 
ससुर जी ज़मीन पे लेटे हुए थे. अपनी पीठ के दर्द के कारण वो ज़मीन पे सोते थे. उन्होने सिर्फ़ अपनी धोती पहेन के रखी थी. उनको देख मुझे घिन आ रही थी. एक तो वो थे बिल्कुल काले, उनके सारे शरीर पे बहुत सारी झुरियाँ थी और गर्मी के कारण उनके शरीर पे बहुत सारा पसीना था, जिससे मुझे बदबू आ रही थी. पर मैने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए उनकी दवाई उनके बगल में रख डाली.
‘शुक्रिया बहू रानी, क्या तुम मुझे उठने में थोड़ा मदद कर दोगि’ ससरजी ने मुझे कहा.
‘जी हां पिताजी’ मैने सोचा कि तबीयत के कारण शायद उनको बैठने में तकलीफ़ हो रही होगी. असलियत तो ये थी कि ससुरजी को मेरा जिस्म उनके जिस्म के नज़दीक महसूस करना था. उनकी तबीयत बिल्कुल ठीक थी.
मैने उनके बगल में जा के उनका हाथ मेरे कंधो पे रख के उनको उठाने लगी. मेरे बड़े बूब्स उनके छाती पे चिपके हुए थे. मैने मेरा सर लिहाज़ रख के झुका के रखा था. मेरे बदन की खुसबू से और मेरे बूब्स उनके छाती से चिपकने से ससुरजी के लंड में हलचल होने लगी थी.
उनका चेहरा मेरे चेहरे से सिर्फ़ एक दो इंच दूर ही था. उनके साँस लेने से उनके मूह से मुझे बदबू आ रही थी. आख़िर कुछ मिनिट के मेहनत के बाद ससुरजी को मैने बैठा दिया.
मुझे पता नही चला था पर ससुरजी का लंड अब पूरा टाइट हो कर खड़ा हो गया था. जब उनको ठीक से बैठा के में पीछे हुई तो मेरी नज़र उनकी धोती पे पड़ी जो आप पूरी उपर हो गयी थी.
मेरे चेहरे पे आश्चर्य देख ससुरजी को असल में मज़ा आ रहा था. उन्होने अपना नाटक जारी रखा.
‘जी, माफ़ करना बेटी, मेरी उमर में अपने शरीर पे काबू नहीं रहता’
‘जी… जी कोई बात नहीं पिताजी’ मैने शरमा के कहा, मेरे गाल अब गुलाबी हो गये थे, में अपनी नज़र उनके धोती से दूर लेना चाहती थी पर मेरी नज़र धोती से हट नही रही थी. ससुरजी मेरे चेहरे को देख रहें थे. उनको पता चल गया था कि मेरे दिल में हलचल हो रही थी.
अब वो ‘आहह.. ऊऊओह… ’ करके दर्द का नाटक करने लगे
‘जी क्या हुआ पिताजी ?’
‘ मेरा लंड इतने ज़ोर से खड़ा हो गया हैं कि बहुत दर्द कर रहा हैं, प्लीज़ कुछ करो’
‘जी... जी मैं क्या कर सकती हूँ पिताजी’
‘तुम अगर इसको थोड़ा हिला दो तो मुझे बहुत आराम मिलेगा बहू’
‘जी ये आप क्या कह रहे हैं पिताजी, ये तो बहुत बड़ा पाप जो जाएगा’ असल में मुझे ससुरजी का लंड देखना था, मेरे बदन पे अब पसीना छा गया था. मेरे सेक्स की भूक, मेरे दिमाग़ को ठीक से चलने से रोक रहा था.
‘बिल्कुल नहीं बहू, एक लाचार बूढ़े की मदद करदोगी तो उसमे पाप कैसा, में खुद ही हिला देता पर मेरे हाथो में अब ताक़त नहीं बाकी रही’
ये कह के पिताजी ने धोती हटा दी और अपना लंड बाहर कर दिया. लंड देख के मेरी आँखें फैल गयी. उनका लंड पूरा दस इंच लंबा और बहुत ही मोटा था. मेरे पति से लगभर लंबाई और मोटाई में दुगना होगा. मुझे देख के डिज़िल्वा की याद आ गयी. मेरा सारा मनोबल एक ही सेकेंड में टूट गया. मेरा हाथ अपने आप आगे बढ़ गया. ससुरजी का खड़ा लंड थोड़े थोड़े झटके खा रहा था. पसीने के कारण उनका लंड चमक रहा था.
मैने अपना हाथ उनके काले मोटे लौडे पे रखा तो उनके मूह से आवाज़ निकल पड़ी.
‘आआआअहह.... बहू रानी तुम्हारा हाथ तो बहुत ही मुलायम हैं’
ससुरजी का लंबा लंड बहुत ही गरम था. उनके कहे बिना मैने अपना हाथ उपर नीचे करके उनके लौडे को हिलाने लगी. लंड हिलाते हिलाते उसके उपर की चॅम्डी आगे पीछे हो रही थी और उनके लंड के उपर का गुलाबी हिस्सा मुझे दिखाई दे रहा था. इतने दिनो के बाद एक तगड़ा लंड देखने पे मेरे मूह में पानी आ गया था. मेरी आँखें उस लंड से हट नही रही थी. ससुरजी मेरे सुंदर चेरे को देख रहें थे और मुझे देख उनको सॉफ पता चल रहा था कि में बहुत उत्तेजित हो गयी हूँ. मुझे इस हाल में देख उनको और मज़ा आ रहा था.
‘थोड़ा ज़ोर से बहू आआअहह....’
मेने उनकी बात मान अपना हाथ ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया. मेरे बदन में अब गर्मी बढ़ गयी थी. मेरी चूत गीली हो गयी. ससुरजी को मेरे कोमल हाथ का एहसास पागल बना रहा था.
‘दूसरे हाथ से मेरे बॉल थोड़े सहला दो बहू, मुझे वहाँ भी बहुत दर्द हो रहा हैं’
में अब बिल्कुल ही सूदबुध गवाँ बैठी थी और ससुरजी की हर बात मान रही थी. मैने उनका लंड हिलाना जारी रखा और अपना दूसरा हाथ उनके बड़े बॉल्स पे रख दिया. उनके बॉल इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में पूरा समा नही रहे थे. मैने उनके बॉल्स को धीरे से मसलना शुरू कर दिया.
‘आआआआहह.... बहू रानी बहुत खूब, दर्द थोड़ा थोड़ा कम हो रहा हैं आअहह....’
ससुरजी कभी मेरे सेक्सी चेहरे को देख रहें थे तो कभी नीचे मेरे गोरे हाथों को उनके काले लंड और बॉल्स पे देख रहें थे. पता नहीं कितनी देर तक में वैसे ही उनके लंड को हिलाती रही.
‘थोड़ा और ज़ोर से बहू आआअहह..’ अब ससुरजी झरने के करीब हो रहें थे. उन्होने अपने हाथ से मेरे हाथ को उनके बॉल्स पे से हटा के अपने लंड पे लगा दिया.
‘दोनो हाथो से हिलाओगी तो दर्द जल्दी ख़तम होगा बहू, पूरे ज़ोर से हिलाओ’
उनकी बात सुनके मैने अब पूरे ज़ोर से दोनो हाथो से उनके लंबे लंड को हिलाना शुरू किया. मेरे दोनो मुलायम हाथो के एहसास से उनसे अब रहा नही गया और उनका झरना शुरू हो गया
‘आआआअहह... बहू रानी और ज़ोर से आआआआआहह....’
ससुरजी का लंड मेरे हाथो में मुझे और मोटा होते हुए महसूर हुआ और एक झटके के साथ लौडे से वीर्य की एक बड़ी सी बूँद छूट के सीधे मेरएए नाक पे गिर पड़ी, वीर्य गिरने से में चोंक गयी और दो सेकेंड के लिए लंड हिलाना रोक लिया.
‘रोको मत बहू, पूरे ज़ोर से हिलाओ आआआआहह....’ मैने फिर से पूरे ताक़त से हिलाना शुरू कर दिया. ससुरजी अब पागल की तरह चिल्ला कर झर रहें थे. उनका मोटा लंड मेरे हाथो में झटके खाते हुए वीर्य छोड़ रहा था. वीर्य मेरे चेहरे पे और गले पे गिर रहा था. तीन चार मिनिट के बाद भी ससुरजी का झरना ख़तम नही हुआ और उनके लंड में से वीर्य भी छूटता रहा. पता नही कितने दिनो का पानी जमा कर के रखा था उन्होने अपने बॉल्स के अंदर. मुझे भी इतने तगड़े लंड का पानी अपने जिस्म पे महसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था. काफ़ी सारा वीर्य बह के मेरे हाथो पे भी आ गया था. आख़िर कुछ देर बाद उनके लंड ने झटके खाना बंद किया और उनका झरना ख़तम हुआ. मैने अपने हाथ अब धीरे धीरे से हिलाना जारी रखा. मेरी नज़र अभी भी उनके लंड पे थी. लौडे को धीरे धीरे हिलाने से जो वीर्य बाकी रह गया था वो अब बाहर बह के मेरे हाथो पे छा गया था.
अब मैने धीरे से अपनी नज़र उपर की और ससुरजी को देखा. ससुरजी के चेहरे पे संतुष्टि की मुस्कान थी और वो मुझे गंदी नज़र से देख रहें थे. उनके आँखो से आँखे मिलाके मुझे अचानक अपनी भूल का एहसास हुआ और में वहाँ से दौड़ के अपने कमरे में चली गयी. कमरे में जा के मैं शीशे के सामने खड़ी हो गयी. पिताजी का वीर्य मेरे चेहरे और गले पे था और काफ़ी सारा गले से बह के मेरे दो बूब्स के बीच जा रहा था. मैं कपड़े निकाल के पूरी नंगी हो गयी और बिस्तर पे जा के लेट गयी. मेरे सारे बदन में गर्मी छा गयी थी. मैने बिस्तर पे जाके एक हाथ को अपनी चूत पे रख उसको सहलाने लगी. दूसरे हाथ की उंगलियाँ से मैं वीर्य को चाट चाट कर सॉफ करने लगी. हाथ से वीर्य चाट के मैने अपने बूब्स और चेहरे से वीर्य इकट्ठा करके अपने मूह में डालने लगी. मेरी आँखें बंद थी. काफे देर तक वीर्य चाट चाट कर मैं ऐसे ही चूत से खेलती रही और अब में झरने के बहुत करीब आ चुकी थी. सारे वक़्त मेरे दिमाग़ मैं मेरे ससुरजी का लंबा लंड था.
‘मज़ा आ रहा हैं बहू ?’
मैने आँखें खोल के देखा तो पता चला कि ससुरजी बिस्तर के साइड पे आके खड़े थे और मेरे नंगे बदन को भूके कुत्ते की तरह देख रहे थे....
 
ससुरजी पता नही कितनी देर से वो मुझे वहाँ खड़े हो कर देख रहें थे. वो अब पूरे नंगे थे और उनका पहाड़ जैसा लॉडा पूरा टाइट हो कर खड़ा था. वो मेरे जिस्म को देखते हुए अपने दोनो हाथो से अपना लंड धीरे धीरे सहला रहे थे. में उनको देख बहुत ही डर गयी. में बिस्तर पर पूरी नंगी थी, मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे था और दूसरा हाथ मेरी चूत पे था और हाथ की दो उंगली मेरी गीली चूत में थी. मेरे दोनो पैर पूरे फैले हुए थे और ससुरजी को मेरी चिकनी चूत का नज़ारा दे रहा था.
‘आप यहाँ से चले जाइए पिताजी’ कह के मैने अपने फैले हुए पैर बंद कर दिए और बिस्तर से उठने लगी. पर में उपर उठ पाऊ उससे पहले ससुरजी ने बिस्तर पर आकर मुझे धकेल दिया और दोनो हाथो से मेरे पैर फैला दिए. उन्होने दोनो हाथो से मेरे पैर पकड़ के रखे और पैरों के बीच आकर अपना विशाल लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगे.
‘नहीं... जाने दो मुझे पिताजी, ऐसा पाप मत करो’ मैने चिल्लाते हुए कहा. उनका गरम लंड मेरी चूत के उपर रगड़ने से मेरे सारे बदन में आग लग रही थी.
मेरे चिल्लाने से उनको कोई फरक नही पड़ा और उन्होने अपने हाथों से मेरे पैर फैला कर रखे और अपनी गान्ड पीछे करके अपना लंड मेरी चूत के छेद पे रख के ज़ोर से मेरी चूत में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया, मेरी चूत बहुत ही गीली थी फिर भी उनका मोटा लंड बहुत ही धीरे से अंदर जा रहा था. ‘नहीं... ऐसा मत करो पिताजी’ में चिल्ला रही थी और अपने हाथो से ससुरजी की छाती पे मार मार के उनको दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी.
ससुरजी अपना पूरा वज़न लगा के मेरी चूत में अपना लंड घुसा रहें थे, और धीरे धीरे उनका मोटा लंड मेरी चूत को फैला के आगे बढ़ रहा था. मेरी टाइट चूत को अपने लंड को जकड़ता महसूस करके ससुरजी पागल हो रहें थे. अपना आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत में डालके वो अब मेरे उपर लेट गये मेरे बड़े बूब्स का उनके छाती पे एहसास पा के उनको बहुत ही मज़ा आ रहा था ‘आआआआहह... बहू रानी आआआहह..’
‘प्लीज़ पिताजी आप मेरे उपर से हटिए और जाइए यहाँ से. हमे ये पाप नहीं करना चाहिए’
‘अभी इतना कर ही दिया हैं तो कुछ और करने में क्या बुरा हैं बहू’ ये कह के पिताजी ने अपनी जीब निकाल के मेरे चेहरे को नीचे से उपर तक चाटना शुरू कर दिया. ससुरजी के मूह से गंदी बदबू आ रही थी. मैं अपना चेहरा उनके जीब से दूर हटाने की कोशिश कर रही थी.
‘ये आप क्या कर रहें हो पिताजी, प्लीज़ जाने दो मुझे, प्लीज़ मेरे अंदर से निकालिए अपना’ उन्होने अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करना अब शुरू कर दिया. मेरे भीक माँगने के बावजूद उन्होने मुझे जाकड़ के रखा और अपनी जीब से मेरे चेहरे को चाटना जारी रखा. उनके बड़े से शरीर के नीचे में पूरी दब गयी थी और मुझसे थोड़ा भी हिला नहीं जा रहा था. उनके शरीर पे पसीने की बदबू से मुझे घिन आ रही थी. ससुरजी ने अब अपना एक हाथ लेके मेरे दोनो गालों पे अपनी उंगलिया दबाकर मुझे अपने होंठ खोलने पे मजबूर कर दिया. मेरे होंठ खुलते ही उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए और अपनी जीब मेरे मूह के अंदर दस के उसको घुमाने लगे.
मैं ‘म्‍म्म्ममम... म्‍म्म्मममम...’ करते हुए उनको रोकने की कोशिश करती रही.
मैं दोनो हाथो से उनके पीठ पे मारके उनको मुझसे दूर करने की कोशिश कर रही थी पर उनको इससे कुछ फरक नही पड़ रहा था. उन्होने मुझे अब लगातार चोदना शुरू कर दिया.
ससुरजी के आने से पहले में वैसे भी झरने के बहुत करीब पहुच चुकी थी और अब उनके मोटे और गरम लंड के एहसास से मेरी गीली चूत में हलचल होने लगी थी. में अपने ससुर के लंड के एहसास से झरना नही चाहती थी पर मेरे बदन ने मुझे फिर से धोका दे दिया था. मुझे अपनी चूत में गर्मी बदती हुई महसूस होने लगी. ससुरजी ने अब अपनी चुदाई की रफ़्तार तेज़ कर दी थी.
आख़िर मेरा झरना शुरू हो गया, मेरे झरने के साथ मेरी चूत ससुरजी के लंड पे सिकुड रही थी.
‘ये क्या बहू रानी, तुम अपने ससुर का लंड ले के झर रही हो, मेने तो सोचा था कि तुम एक सती सावत्री जैसी लड़की हो’
मेरी चूत के सिकुड़ने से उनका भी सबर टूट गया और झरना शुरू हो गया.
‘आआआहह..... ये लो बहू रानी मेरा आशीर्वाद आआअहह....’ ससुरजी के लंड से मेरी चूत में वीर्य बहना शुरू हो गया.
‘नहीं..... प्लीज़ पिताजी मेरे अंदर अपना पानी मत निकालो’ मैने रोते रोते उनसे भीक माँगी. पर उनपे कोई असर नहीं पड़ा. अब तो वो बिल्कुल पागल की तरह तेज़ी से अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर कर रहे थे. उनके लंड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. पता नही कितनी देर हमारा झरना जारी रहा. सारे वक़्त ससुरजी तेज़ी से मुझे चोदते गये और अपना वीर्य मेरी चूत में निकालते गये. पूरा दस इंच का लंड मेरी चूत में महसूस करके में पागल हो रही थी. उनके हरेक धक्के पे चप चाप की आवाज़ आ रही थी. हम दोनो के बदन पसीने से लटपथ हो गये थे. मेरा गोरे जिस्म के पसीने की खुश्बू से ससुरजी को बहुत मज़ा आ रहा था. आख़िर कुछ देर बाद हमारा झरना बंद हुआ. ससुरजी मेरी चूत में फिर भी धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करते रहें. मुझे उनका लंड मेरी चूत के अंदर धीरे धीरे छोटा होता महसूस हो रहा था.
इतनी ज़ोरदार चुदाई के बाद हम दोनो ज़ोर से साँसें ले रहें थे. ससुरजी पूरा मुझपे लेट गये थे, उनके शरीर के वजन के कारण में हिल भी नहीं पा रही थी.
झरने के बाद मेरा दिमाग़ थोड़ा ठिकाने पे आ गया और मुझे एहसास हुआ कि हमारे हाथो कितना बड़ा पाप हुआ था. अपने प्यारे पति के बारे में सोच के मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे और मैने फिर से ससुरजी को रोते हुए कहा ‘प्लीज़ पिताजी अब आब आप यहाँ से चले जाइए’.
पर ससुरजी के गंदे दिमाग़ में कुछ और था ‘अब इतना सब हो जाने के बाद पछताने में कोई फ़ायदा नहीं बहू’
ससुरजी ने अब अपने दोनो हाथो से मेरे हाथो को जाकड़ लिया और अपना लंड मेरी चूत के बाहर निकाला. वो अपने शरीर को उपर की तरफ लेकर मेरी छाती पे आकर बैठ गये. उन्होने अपने दोनो पैरों के नीचे मेरे हाथ दबा दिए, उनका लंड मेरी आँखों से सिर्फ़ 2 इंच दूर था. ससुरजी का काला लंड पूरा बैठ गया था, उनके लंड पे काफ़ी वीर्य लगा हुआ था और मेरी चूत के पानी और पसीने से वो चमक रहा था. उनका बैठा हुआ लंड भी बहुत मोटा और लंबा था और उसपे बहुत सारी झुरियाँ थी. मैने ज़िंदगी में ऐसा घिनोना नज़ारा नही देखा था. मैने अपनी आँखें बंद करली और लंड की बदबू से दूर होने की कोशिश करते हुए अपना सर साइड पे कर लिया.
‘अपनी आँखें खोलो बहूरानी, शरमाती क्यूँ हो एक बूढ़े आदमी की मदद करके तुम बहुत अच्छा काम कर रही हो’ ऐसा कह के ससुरजी ने अपने एक हाथ से मेरे बाल पकड़के मेरा सर ज़बरदस्ती सीधा कर लिया और दूसरे हाथ में अपना गीला लंड पकड़के मेरे चेहरे पे रगड़ना शुरू कर दिया.
उनका लंड मेरे गालों, होंठो और नाक पे रगड़ रहा था. मैने अपनी आँखें बंद रखी.
ससुरजी को अपनी गोरी और खूबसूरत बहू पे अपना लंड रगड़ के बहुत मज़ा आ रहा था, उनको अपना लंड अब मेरे मूह के अंदर डालना था.
उन्होने अपना लंड मेरे बंद होंठो पे रगड़ते रगड़ते कहा ‘आआआहह..... प्लीज़ मूह खोलो बहू रानी आआआहह.... एक बूढ़े आदमी पे थोड़ा रहम करो आआआहह.....’
पर में ये करने को तैयार नही थी और मैने अपना मूह ज़ोर से बंद रखा. मेरे चिकने चेहरे पे अपना लंड घिसके ससुरजी पागल हो रहे थे. उनसे अब सबर नही हुआ और अपना हाथ लेके मेरे दोनो गालों पे अपनी उंगलिया दबाकर मुझे अपने होंठ खोलने पे मजबूर कर दिया. मेरे होंठ खुलते ही उन्होने अपना बैठा हुआ लंड मेरे मूह में ठुस दिया. ससुरजी के लंड का स्वाद उसकी बदबू से भी गंदा था, उनका बैठा हुआ लंड भी इतना बड़ा था कि मुश्किल से पूरा मेरे मूह में समा रहा था.
‘आआहह..... बहू रानी आआअहह... थोड़ा चूसो उसको प्लीज़ आआअहह....’
ससुरजी ने अब अपना लंड धीरे धीरे मेरी मूह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, मुझे अपने मूह में उनका लंड थोड़ा और मोटा होता महसूस हुआ.
ससुरजी दो बार झर चुके थे, एक बार मेरे हाथों से और एक बार मेरी चूत में फिर भी उनका लंड खड़ा हो रहा था. जवान मर्द भी एक साथ तीन बार चुदाई नही कर पाते हैं और ससुरजी तो इतने बूढ़े थे.
 
Back
Top