Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 40 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

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नही नहीं तुम झूठ बोल रहे हो भला वो अपनी पत्नी को क्यों मारने लगे नहीं मुझे विश्वास नहीं होता।
बिंदिया ;अरे मै सच कह रही हूँ।
मुझे भी इसी शर्त पर वो यहाँ ले के आया है।
देवा;मगर तुम मुझे ये सब क्यों बता रही हो।
बिंदिया;सच कहूं देवा।
मुझे तुझसे पहली नज़र में ही प्यार हो गया था। हाँ जानती हूँ तू क्या सोचेगा की मै एक रखेल हूँ बातें बनाना जानती हूँ।
देवा;नहीं ऐसे बात नही।
बिंदिया ;हाँ हाँ मुझे सब पता है।
मगर मै हमेशा से ऐसी नहीं थी। एक सीधे साधे किसान की बेटी थी जिस पर हिम्मत राव की बुरी नज़र पड़ गई। शादी तो मेरी होने से रही हिम्मत ने इसी का फायदा उठाके पूरे गांव भर में मुझे मशहूर करवा दिया की मै उसकी रखेल हूँ और कोई उससे शादी न करे।
मै उस दिन बहुत रोई थी मगर उस कमिने ने मुझे झूठे वादे करके फँसा लिया। ये कहके की वो मुझसे एक दिन शादी करेंगा और अपने साथ हवेली में रखेगा मगर मुझे कुछ ही दिन पहले पता चला है की पास के एक गांव में भी चंपा नाम की औरत के साथ वो यही कर चुका है ।
उस दिन मैंने सोच लिया की मै अपनी बर्बादी का बदला हिम्मत राव से ज़रूर लुंगी मगर किस्मत भी देख।
मुझे तू मिल गया।


तेरी भोलेपन को देख के मुझे एक बात तो समझ आ गई की हिम्मत की बूरी नज़र तुझ पर ज़रूर किसी वजह से है भला तूने उसका क्या बिगाड़ा होगा। ये बात मुझे समझ नहीं आई।
देवा;यही बात तो मुझे भी पता करनी है बिंदिया।
बिंदिया ;वो तेरी बडी मालकिन को मारके उसकी जायदाद हड़पना चाहता है और मै जानती हूँ की वो जायदाद मिलने के बाद मुझे भी नहीं पहचानेगा।
देवा;अपने कपडे पहनने लगता है।
चलो देर बहुत हो गई है।
बिंदिया;देख देवा तूने मेरी सर की कसम खाई है ये बात किसी को पता न चलने पाये वरना हिम्मत राव मुझे भी जान से मार देगा उसकी पहुँच बड़े बड़े लोगों में है।
तूझे मेरी कसम है देवा।
देवा;मैंने तेरे सर की कसम खाया हूँ न। बस तुम फिकर मत करो मै ये बात किसी को भी नहीं बताऊँगा। बस किसी तरह मुझे अपने बापू के बारे में पता चल जाए अगर उनके ग़ायब होने के पीछे भी हिम्मत राव हुआ तो बहुत पछतायेगा वो हरामी।
बिंदिया ;तेरे बापू। क्या हुआ तेरे बापू को।
देवा;वो अचानक ग़ायब हो गये थे। हिम्मत राव की हवेली से उसके बाद कभी नहीं आए।
बिंदिया ;ज़रूर इस में भी उस कमिने का हाथ रहा होगा। भोले भाले लोगों को फँसना उसे अच्छी तरह आता है । देख देवा वो बहुत खतरनाक आदमी है उसे ज़रा बच के रहना तुम।
देवा;बचना तो अब उसे मुझसे पड़ेगा । देख लेना तुम अगर तुम्हे कोई बात पता चले तो मुझे ज़रूर बताना।
बिंदिया : मैं आज ही से पता लगाने की कोशिश करती हुए हूँ। क्योंकि शराब पीने के बाद उसे कुछ होश नहीं रहता की वो क्या बोल रहा है। एक दिन शराब पीते पीते ही उसने मुझे चंपा कहके पुकारा था। उसी दिन मेरा माथा ठनका था और मैंने चंपा के बारे में सब कुछ पता लगा ली थी । तेरे बापू के बारे में भी मै ज़रूर पता लगा लुंगी देवा । तू फिकर मत कर बस मेरा ख्याल रखने आ जाया कर हवेली पर।
देवा; हँस पडता है और बातो बातों में वो दोनों हवेली पहुँच जाते है।
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देवा;रुक्मणि के रूम में चला जाता है।

हाँ मालकिन आपने बुलाया मुझे।
रुक्मणी;मालकिन के बच्चे कहाँ था तू और क्या कर रहा है उस कमिनी के साथ। मुझे बिलकुल भी पसंद नहीं है ये सब देवा बोल देती हूँ।
देवा;मुस्कराता हुआ रुक्मणी के एकदम क़रीब पहुँच जाता है इतने क़रीब की दोनों की साँसे एक दूसरे से टकराने लगती है तब रुक्मणी को एहसास होता है की उसने क्या गलती की है।
देवा;ईई इधर देखो।
रुक्मणी;सर उठाके देवा की तरफ देखने लगती है।
देवा;क्या बात है एक आवाज़ में सुनने लगी हो तुम तो....
रुक्मणी;क्या है देवा।
देवा;एक बात बताओ मुझे। तुम मुझे एक पत्नी की तरह क्यों डांट रही हो।
बात क्या है।
रुक्मणी;शरमा के धड़कते हुए दिल के साथ अपने गरदन मोड़ देती है। अब वो क्या बताती की देवा मैं तन मन धन से तेरी हो चुकी हूँ।
मुझे तुमसे बात नहीं करनी जाओ यहाँ से।
देवा;सच्ची चला जाऊं । सोच लो एक बार गया तो लौट के नहीं आऊँगा।
रुक्मणी; घरबरा के देवा की तरफ घूम जाती है मैंने ऐसा तो नहीं कहा।
देवा;तो फिर।
रुक्मणी;शरमा जाती है।
उससे कुछ भी कहा नहीं जाता।
देवा;सच बताओ तुम मुझे ऐसे क्यों डांट रही थी मालकिन।
रुक्मणी;सबसे पहली बात की मुझे अकेले में मालकिन मत बोला करो।
दूसरी बात मै नहीं चाहती की तुम उस बुरी औरत के संगत में आके बिगड जाओ। गांव के शरीफ बच्चे हो तुम इसलिये।


देवा;बच्चा...... लगता है इसे दिखाना पड़ेगा तीसरा पांव मेंरा।
उसने ये बात धीमी आवाज़ में कहा था मगर सरगोशी रुक्मणी की कानो तक पहुँच गई थी जिसे सुनके वो बुरी तरह शरमा भी गई थी।
रुक्मणी;क्या कुछ कहा तुमने।
देवा;नहीं नहीं। तो अच्छा मै चलता हूँ रात बहुत हो गई है
रुक्मणी;कल आओगे ना।
देवा;तुम चाहती हो।
रुक्मणी;अपनी नज़रें झुका के..
नही मै तो इसलिए कह रही थी की तुम अपना काम कर सको।
देवा;सच कौन सा काम।
वो खुश होता हुआ रुक्मणी के क़रीब आ जाता है।
रुक्मणी;बड़े बड़े ऑंखें से देवा को देखते हुए।
वही काम जो मैंने तुम्हे करने के लिए कही थी। बिंदिया के बारे में पता लगने का काम।
देवा;ओह्ह वो काम ठीक है। मै कर लूँगा मुझे लगा....
रुक्मणी;क्या क्या लगा तुम्हें।
देवा;कुछ नही।
सर झटकता हुआ देवा रूम से बाहर निकल जाता है और रुक्मणी अपने मुँह में ऊँगली दबाये मुस्कुरा देती है।
रुक्मणी;पगला कही का।
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कुछ ही देर में वो गहरी नींद में सो जाता है।
ममता; भाभी भइया तो थक के सो गये।
कौशल्या;अपनी चूत को सहलाते हुए हाँ रे मगर इसका क्या।
ममता;अपनी ज़ुबान बाहर निकाल के होठो पर फेरते हुए कौशल्या से कुछ कहती है और कौशल्या मुस्कुराते हुए ममता का हाथ पकड़ के उसके रूम में चलि जाती है।

सुबह जब देवा की आँख खुलती है तो वो खुद को बहुत तरो ताज़ा महसुस करता है उसे अपने आस पास कोई नज़र नहीं आता तो वो उठके ममता के रूम में देखने चला जाता है और जब वो ममता के रूम में पहुँचता है तो ममता और कौशल्या को बिलकुल नंगी एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए पाता है तो उसे बहुत गुस्सा आता है की रात को इनदोनों ने मुझे जगाया भी नहीं और खुद नंगी मस्ती कर रही थी वैसे भी देवा को तेज पेशाब लगी हुई थी।
देवा कुछ सोच के अपने सारे कपडे उतार देता है।
और अपने लंड को हाथ में पकड़ के सीधा ममता और कौशल्या के मुँह पर पेशाब करने लगता है।
पेशाब मुँह पर पडते ही दोनों जग जाती है और उठके बैठने के बजाये मुँह खोल के पेशाब सीधा मुँह में लेने लगती है।
देवा का पेशाब सीधा ममता और कौशल्या के मुँह में छाती पर गिरने लगता है।
पेशाब करने के बाद देवा वही बैठ जाता है और ममता अपने मुँह में का पेशाब कौशल्या के मुँह में उंडेल के उसके होठो को चुमने लगती है। गलप्प गलप्प्प गलप्प्प।
ये देख देवा उन दोनों को अपने पास खीच लेता है
और ममता को दोनों ब्रैस्ट एक साथ पकड़ने के लिए कहता है।
ममता जैसे ही दोनों ब्रैस्ट आपस में पकड़ती है देवा उन दोनों के बीच में अपना लंड घुस्सा देता है।
ममता;आहह भइया।
हमारी चूत को प्यासा रख के खुद सो गए थे ना तुम।

देवा;अब जग गया हूँ न बहना। अपनी प्यारी से बहन के चूत की प्यास बुझाने।
देवा;अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है और उसे हाथ में पकड़ के ममता के चेहरे पर रगड़ने लगता है।
जैसे ही ममता अपना मुँह खोलती है कौशल्या लपक के देवा के लंड को हाथ में ले लेती है।
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बिना देरी किये वो देवा के लंड को अपने मुँह में उतार देती है गलप्प गलप्प।
ममता;भइया।
देवा;रुक जा भाभी मेहमान है ना।
कौशल्या; लंड को हिलाते हुए देवा आज माँ आने वाली है तेरी। ज़रा कस के गाण्ड में डाल दे मेरी उसके बाद चूत में भी पेल देना रे।
देवा; ये सुनके कौशल्या को उल्टा लिटा देता है और पीछे से दोनों टांगों के बीच कौशल्या को लेके अपने लंड पर थूक लगा के सन्न देने से लंड कौशल्या की गाण्ड में उतार देता है।
कौशल्या;मर गई रे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
कौशल्या;आहह देवा मेरे बच्चे के बाप आहह खोल दे मेरी गाण्ड को आह्ह्ह्ह।
बहुत तडपती रहती है तेरे बिना ये उन्हह इसमें बहुत खुजली होती है रे.....
देवा;ममता की तरफ देखते हुए कौशल्या की गाण्ड मारने लगता है। उसकी बहन उसके सामने अपनी चूत सहला सहला के उसे बुला रही थी मगर वो भी एक बड़े दिल वाला था। उसे भी अपने भाभी की इच्छा पूरी करनी थी। बिना रुके वो कौशल्या की गाण्ड मारता जाता है।
कौशल्या;की चूत और गाण्ड दोनो रात में ममता ने खूब चाटी थी इसलिए बहुत जल्द उस में चिकनाहट आने लगती है।
देवा;का लंड बडी आसानी से अंदर बाहर होने लगता है।
ममता;उठके कौशल्या के मुँह के पास जाके बैठ जाती है और अपनी दोनों टाँगे खोल देती है।
कौशल्या;के मुँह के एकदम सामने ममता की चूत थी वो अपनी ज़ुबान बाहर निकाल के ममता की चूत पर रख देती है।


कौशल्या;आहह पीछे से भाई का गरम लंड और सामने से बहन की चिकनी चूत चाटने से कौशल्या की चूत पनिया जाती है।
और वो चीखते हुए ममता की चूत के अंदर ज़ुबान घुस्सा देती है।
कौशल्या;आहह देवा ज़ोर से हाँ हाँ ऐसे ही आह्ह्ह्ह्ह्ह।
एक और जबरदस्त धक्का कौशल्या की चूत से पानी के फुवार निकाल देता है जैसे ही कौशल्या की चूत से पानी निकलता है।
देवा ;उसके गाण्ड से लंड बाहर निकाल लेता है और ममता बिजली की तेजी से देवा के लंड को अपने भाई के लंड को अपने मुँह में ले लेती है।
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देवा;आहह तेरा ही तो है बहना आहह धीरे कर मुझे दर्द हो रहा है।
ममता;क्यों कल किसी की गाण्ड में डाल के आये थे क्या इसे।
देवा की ऑखें बडी सी हो जाती है मगर वो जल्द ही खुद को सँभाल लेता है।
बहन की चूत से अच्छा भला मुझे कही मिल सकती है आहह क्या।
ममता; जल्दी से चढ़ जाओ मेरे सांड भइया अपनी बहन के ऊपर । आज माँ आने वाली है अगर
उसने देख लिया तो.....
देवा;ममता के दोनों पैर खोल के अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के पूछता है।
अगर देख ली तो....
ममता ;मुझे नहीं पता बस इतना पता है की मुझे ये लंड किसी भी किमत पर चाहिये आखिर बहन का अधिकार है ये आहह माँ।
उह्ह्ह्ह।
देवा;का लंड सीधा ममता की बच्चेदानी से जा टकराता है।

कौशल्या;देवा पानी बाहर निकालना वरना ममता पेट से ना रह जाए मेरी तरह।
ममता;पेट से तो मै भैया के पानी से ही होऊंगी शादी के बाद। करोगे न भाई मुझे पेट से। अपने बच्चे की माँ बनाएंगे ना मुझे।
देवा;हाँ ममता बनाऊँगा न आह्ह्ह्ह।
देवा;अपनी बहन की दोनों टाँगे खोल के लंड को चूत के गहराइयों में उतारता चला जाता है।
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देवा अपनी बहन की चूत में लंड उतार देता है।
ममता;अपने भाई के चेहरे को देखने लगती है उसका मुँह खुला ही रहता है। देवा के ज़ोरदार धक्के उसे साँस लेने भर की भी फुर्सत नहीं दे रहे थे।
ममता;भैया मै बहुत खुशनसीब वाली हूँ जो आप जैसा भाई मुझे मिला है। मै सारी ज़िन्दगी आपके साथ गुज़ार दूंगी भैया उईईईईई माँ।
कौशल्या ;पास में लेटे हुए देवा और ममता को ही देख रही थी।
देवा ने उसकी गाण्ड बुरी तरह सुजा दिया था।
देवा;अपनी रफ़्तार बढा देता है। वो जानता था रत्ना किसी भी वक़्त घर पहुँच सकती है।
नीचे लेटी ममता की चूत पर तो जैसे कहर टूट पड़ा था। देवा दोनों हाथों में कमर को दबोचे सटा सट ममता की चूत में लंड पेलते जाता है और ममता चीखते हुए आखिर कर देवा के लंड पर ही झरने लगती है।
देवा;एक लम्बी चीख़ मारता है उसी वक़्त कौशल्या देवा का लंड हाथ में पकड़ के बाहर खीच लेती है और देवा का गाढा गाढा पानी ममता की जांघ पर चूत के ऊपर गिरने लगता है।तभी बाहर से आवाज़ आती है...

रत्ना;ममता अरे ओ ममता कहाँ है सब के सब।
बाहर से रत्ना की आवाज़ सुनके सभी चौंक जाते है।
ममता;और कौशल्या रूम में भागते है और देवा बाथरूम में।
रत्ना;आँगन में बैठी हुई थी उसके साथ रामु भी आया हुआ था।
थोड़ी देर बाद जब कोई बाहर नहीं आता तो रत्ना घर के अंदर आने लगती है तभी वो कौशल्या से टकरा जाती है।
रत्ना;क्या बहु कहाँ थी तुम, और ममता कहाँ है।
कौशल्या;वो माँ जी ओ......

रत्ना;क्या माँ जी लगा रखी है देवा खेत में गया के नही।
ममता भी अपने कपडे पहन के रत्ना के पास आ जाती है
कौशल्या और ममता की हालत बिगडी हुई थी बाल खुले हुए जिस्म से अजीब सी गंध आती हुई। रत्ना गौर से कौशल्या और ममता को देखने लगती है
रत्ना;कहाँ से आ रही है भागी भागी। क्या कर रही थी अंदर
कौशल्या;रत्ना के पास आती है और धीमी आवाज़ में उससे कहती है।
माँ जी ममता की माहवारी पीरियडस शुरू है।
रत्ना;ओह्ह अच्छा अच्छा जा बाहर रामु बैठा है कितना सामान दे दिया है भाई ने। उठाया भी नहीं जाता। जा ज़रा ले के आजा। देवा कहाँ है?
ममता;माँ भैया नहा रहे है।
रत्ना;अभी उठा है क्या । ज़रा घर से क्या गई सारा घर सर पर उठा रखा है तुम दोनों ने।
रत्ना;बात बढ़ाते हुए देवा के रूम की तरफ चली जाती है और ममता कौशल्या को देख के अपने दिल पर हाथ रख देती है जैसे बोल रही हो की आज तो बाल बाल बच गये।
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देवा;अरे माँ तुम कब आई।
रत्ना: बस अभी अभी पहुंची हूँ बेटा।
देवा;किसके साथ आई हो।
रत्ना;वो रामु आया है कौशल्या को साथ भी ले जायेगा अपने। अच्छा सुन यहाँ बैठ।
देवा;रत्ना के पास जा के बैठ जाता है।
हाँ माँ क्या हुआ।


रत्ना;अरे एक बहुत अच्छी बात है।
एक लड़का है तेरे मामा के गांव का ही है हरी नाम है उसका । खेती बाड़ी है चार पांच भैंसें भी हैं एकलौता बेटा है अपने माँ बाप का । मै उनके यहाँ चलि गई थी देवकी के साथ। बातों बातों में पता चला वो लोग एक बहु ढूंढ रहे हैं।
देवकी;को तू जानता ही है । उसका मुँह बंद रहता है क्या।
उसने वहां अपने ममता के बातचीत कर दी। वो लोग आने वाले है कल ममता को देखने।
देवा;सच माँ ये तो बहुत अच्छी खबर सुनाया है तुने।
रत्ना;बस भगवान करे ये रिश्ता जुड़ जाए मै गंगा नहा लुंगी।
देवा;माँ तूने अच्छे से जाँच पड़ताल तो की है ना।
रत्ना;हाँ हाँ सब अच्छे से कर चुकी हूँ तू भी देख लेना और मिलके पता भी लगा लेना लड़के के बारे में और सुन घर पर ही रहना कल वरना चला जायेगा खेत में।
देवा;अपने कपडे पहनने लगता है।
ठीक है तुम चिंता मत करो देख बिचार के दूंगा मै अपनी ममता का हाथ किसी के हाथ में।
देवा; ये कहके बाहर रामु से मिलने चला जाता है।
रामु;खेत का काम मज़दूरों के भरोसे छोड के आया था। उसे घर जाने की बहुत जल्दी थी या फिर शायद कौशल्या को चोदने की। वो कौशल्या को अपने साथ ले जाता है।
और कौशल्या जाते जाते अपने होने वाले बच्चे के बाप को घर आने का बोल जाती है । जाते वक़्त भी उसके ऑखों में ऑसू थे जैसे अपने पति से दूर जा रही हो। ममता बहुत खुश थी ये सोच के की अब रात भर देवा सिर्फ उसे मसलेगा।
देवा;अपने खेत में चला जाता है और रत्ना शादी वाली बात ममता से करती है।
शादी की बात सुनके हर लड़की शरमा जाती है मगर ममता बेचैन सी हो गई थी। वो रत्ना के पास से उठके अंदर चली जाती है और रत्ना ये समझ बैठी है की ममता शरमा गई है।
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न हिम्मत राव रानी की तरफ ध्यान दे रहा था और न उसकी प्यासी चूत की उसे कोई परवाह थी जबसे बिंदिया हवेली में आई थी रानी की चूत पर पानी की एक बूंद भी नहीं गिरी थी।

रानी;हिम्मत राव के पास जाके बैठ जाती है।
रानी;बापू मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
हिम्मत राव;उस वक़्त ऑंखें बंद किये चिलम फूँक रहा था।
वो ऑखें खोल के रानी की तरफ देखता है और वापस अपने चिलम में ध्यान लगा देता है।
रानी;ओफ हो मैंने कुछ कहा है सुनाई दिया की नही।
हिम्मत राव;आवाज़ निचे करके बात कर बोल क्या बात है।
रानी;वो जो आपके साथ आई है आपके दोस्त की बीवी वो और कितने दिन यहाँ रुकने वाली है।
हिम्मत राव;क्यूं।
रानी;नहीं बस मै इसलिए पूछ रही थी की उसके आने से आप बहुत ज़्यादा बदल गए हो मेरे कमरे में दिखाई भी नहीं देते। माँ के साथ ज़्यादा मजा आ रहा है क्या।
हिम्मत राव;रानी की तरफ देखता है और अपने हाथ से रानी की चूत को रगड देता है।


रानी;बापू आहह मत छूओ उसे।
हिम्मत राव;क्यूं तू मेरी जायदाद है मै कुछ भी करुं।
रानी;बस बस देख भाल तो कर नहीं सकते बड़े आये हुकूमत करने वाले हूँहह।
हिम्मत राव;अरे बिटिया मै थोड़ा परेशान हूँ आज कल। इसलिए तेरे पास नहीं आ रहा हूँ बस थोड़े दिन और रहेंगी बिंदिया यहाँ पर उसके बाद सब ठीक हो जायेगा।
रानी;दिल में सोचने लगती है जब तक क्या मै अपने चूत में बैगन डालु क्या। वो हरामी देवा भी माँ के पीछे पीछे घुमता रहता है मूआ। आज कल तो दिखाई भी नहीं देता।
हिम्मत राव;क्या हुआ क्या सोच रही है।
रानी;बुरा सा मुँह बनाके अपने रूम में चली जाती है।


रात घिर जाती है और देवा थका माँन्दा अपने घर लौट आता है । आज उसे पप्पू कही नज़र नहीं आया था।
वो एक पल के लिए उसके घर की तरफ जाने का सोचता है मगर फिर कुछ सोचके अपने घर के अंदर चला जाता है।
रत्ना ममता के साथ रोटियां पका रही थी।
ममता की ऑखें सूजी हुई दिखाई दे रही थी।रत्ना ने ममता से पूछा भी की आँख क्यों सूज गई है मगर उसने कचरा चला गया कहके बात ख़तम कर दी। जब देवा ममता के चेहरे की तरफ देखता है तो बात समझते उसे देर नहीं लगती की बात क्या है।
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देवा;माँ तेरे हाथ के खाने की बात ही कुछ और है बहुत याद आती है मुझे तेरी जब तू घर में नहीं होती है ना ममता।
ममता: हाँ....
रत्ना;तू खाना नहीं खाएँगी क्या बडी चुप चुप सी है।
ममता;मुझे भूख नहीं है माँ। ये कहके ममता रूम में चली जाती है।
देवा;खाना ख़तम करके रत्ना के पास बैठ जाता है और इधर उधर की बातें करने लगता है मगर उसका पूरा ध्यान ममता की तरफ ही था।
रत्ना;ममता को आवाज़ देती है जब ममता वहां आती है तो रत्ना उसे बिस्तर लगाने को कहती है और उसका बिस्तर भी साथ लगाने को कहती है।
ममता;अपने भाई देवा की तरफ देखती है बडी आशा भरी नज़रों से। वो देवा से कुछ बात करना चाहती थी मगर रत्ना की मौजूदगी में उसे वो मौका नहीं मिल पा रहा था। ममता अपना और रत्ना का बिस्तर साथ लगा देती है और देवा अपने रूम में चला जाता है। थकान के कारन उसे तो बहुत जल्दी नींद आ जाती है मगर ममता रात भर ऑखों आँखों में निकाल देती है ।

उधर
हवेली में हिम्मत रुक्मणी के सोने के बाद दबे पांव बिंदिया के रूम में चला जाता है। रुक्मणी उस वक़्त तक सोई नहीं थी वो बस देखना चाहती थी की हिम्मत किस हद तक गिरता है।
बिंदिया;अपने रूम में हिम्मत का ही इंतज़ार कर रही थी मगर आज उसकी ऑखों में वो प्यार नहीं था जो हर रात हिम्मत के साथ हुआ करता था।
अब बिंदिया की चूत और गाण्ड पर देवा का क़ब्ज़ा था।
हिम्मत ;बिंदिया को अपनी बाहों में जकड लेता है।
बिंदिया;आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह क्या करते हैं जी आज नहीं। मुझे बहुत दर्द हो रहा है कमर में।
हिम्मत;क्या दर्द हो रहा है तो मै क्या करुं। चल आजा।
बिंदिया ;नहीं ना जी सुनो ना आहह नहीं सुनो आज नही।
हिम्मत राव;चपाट करके एक ज़ोरदार चपत बिंदिया के मुँह पर जड़ देता है तो तुझे मेरा नहीं चाहिए।
बिंदिया;कैसी बात कर रहे हैं आप ये।
हिम्मत;छी साली एक और चपत बिंदिया के मुँह पर पडता है और बिंदिया रोने लगती है।
हिम्मत राव;अपनी लुंगी उतार के लंड बाहर निकाल लेता है और बिंदिया के बाल पकड़ के उसे अपनी तरफ खीचता है ।चल मुँह खोल। साली छिनाल है तू मेरी । तेरा काम है मेरी सेवा करना बदले में तुझे लंड मिलेगा मेरा । चल आ जा।
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हिम्मत ;अपने लंड को बिंदिया के मुँह में अंदर बाहर करने लगता है।
आह छिनाल साली चल कुतिया बन जा यहाँ मेरे सामने।
बिंदिया;उठके अपनी सलवार उतार के कुतिया की तरह झुक जाती है और हिम्मत पीछे से जाके उसकी कमर पर दो चार और थप्पड जड़ देता है।
बिंदिया;आहह दर्द होता है न जी।

हिम्मत;अपने लंड पर थूक लगाता है और पीछे से बिंदिया की चूत और गाण्ड पर रगडने लगता है।
बिंदिया; ये माँ आहह।
हिम्मत राव; हाय मेरी छिनाल साली आहह।

हिम्मत;का लंड सीधा अंदर घुस जाता है और वो दोनों हाथों में बिंदिया की मोटी मोटी कमर पकड़ के लंड को अंदर बाहर करने लगता है औरत का दिल कहे या ना कहे मगर जब लंड उसके चूत में उतर जाता है तो उसे भी मस्ती चढ़ ही जाती है । बिंदिया का भी वही हाल हुआ था हिम्मत की लंड से उसकी चूत भी रोने लगती है और चिपचिपा सा पानी बिंदिया की चूत से बहने लगता है।
रुक्मणी; बाहर खड़ी अपने पति को देखने लगती है ये नज़ारा उसके लिए नया नहीं था मगर उसे एक बात तो पता चल गई थी की उसके पति को औरत की कोई परवाह नहीं वो बस अपने काम से मतलब रखता है। बिंदिया की चीख़ें रुक्मणी की चूत को और उकसा देती है और लंड लेने की इच्छा उसकी चूत में और ज़्यादा बढ़ती चली जाती है।

सुबह 7 बजे।
रत्ना;सुबह जल्दी जग गई थी और उसने शालु को भी घर बुला ली थी ममता को तैयार करवाने के लिये।
देवा;भी नहा धोके मेहमानो के इंतज़ार में बैठा हुआ था।
ममता को शालु तैयार तो कर रही थी मगर ममता का पूरा ध्यान देवा की तरफ था।
ममता;काकी देवा भैया को यहाँ भेज दोगी मुझे कुछ काम है।
शालु;अभी भेजती हूँ।
शालु;देवा अरे वो देवा इधर आ ममता को कुछ काम है तुझसे।
देवा;उठके ममता के पास आ जाता है।
हाँ बोल ममता क्या बात है।
रत्ना;अरे देवा तू यहाँ क्या कर रहा है मैंने तुझे मिठाई लाने के लिए कही थी न। लाया तु....
देवा;हाँ माँ मै अभी लाता हूँ।
ममता ;भैयाआआ।
कहते कहते रुक जाती है।
देवा: मैं अभी आता हूँ न ममता।
ये कहके देवा दुकान की तरफ चला जाता है।
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