Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 42 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

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रत्ना के आँसू थे की रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
उसे बार बार यही सोच आ रही थी की कही उसका एकलौता बेटा देवा भी अपने बापू की तरह तो हमेशा हमेशा के लिए नहीं चला गया।
अगर ऐसा हुआ तो वो किसके लिए ज़िंदा रहेंगी उसके खानदान का एकलौता चिराग कही वक़्त की आंधी उसे भी तो अपने साथ उड़ा के नहीं ले गई।
वो खुद को ही कोसने लगती है की आखिर उसने देवा को इतनी बुरी तरह क्यों मारा और आखिरी वक़्त में उसे घर वापस न आने के लिए क्यों कहा।
पप्पू;भी रत्ना को दिलासा दे रहा था। शालु भी पास में बैठी रत्ना के ऑसू पोंछ रही थी मगर घर में जैसे मातम सा छ गया था।
पुरा गांव सकते में था की आखिर देवा अचानक से कहाँ चला गया।
सभी ये जानना चाहते थे की आखिर वो क्या बात हुई की सबसे हँसके बोलने वाला देवा ख़ामोशी से कही चला गया।
रत्ना के घर के बाहर गांव के कुछ लोगों में खुसुर फुसुर शुरू हो गई थी।
कोई कहता की उसका बाप भी ऐसे ही चला गया था और फिर कभी नहीं आया।
कोई ये बोल रहा था की किसी दूसरे गांव वाली लड़की के चक्कर में घर से भाग गया। अपनी माँ और बहन की ज़रा भी चिंता नहीं है।
पदमा;को जब देवा के ग़ायब होने की बात पता चली तो वो भागते हुए रत्ना के पास आ पहुंची उससे जानने के लिए की बात क्या है।
मगर रत्न और ममता कुछ भी बताने के स्थिति में नहीं थी।
देवा के ग़ायब होने की बात आग के चिंगारी की तरह पूरे गांव में पता चल चुकी थी। भला हवेली तक ये चिंगारी कैसे नहीं पहुंचती।
हिम्मत राव के एक नौकर ने हिम्मत को देवा के ग़ायब होने के बारे में जब बताता है तो हिम्मत के चेहरे पर एक चमक सी आ जाती है और वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगता है।
वो दिल ही दिल में सोचने लगता है की उसके रास्ते का कांटा हमेशा हमेशा के लिए चला गया।
हिम्मत की बुरी नज़र न सिर्फ रत्ना पर थी बल्कि देवा के वो बाग वाली ज़मीन पर भी।
हिम्मत राव की गन्दी नज़र थी। पूरे गांव में एक हिम्मत के पास और देवा के पास सब से उपजाऊँ ज़मीन थी।
और हिम्मत राव हमेशा से चाहता था की वो ज़मीन भी उसे मिल जाए।
और अब देवा के चले जाने की बात सुन कर उसे अपना वो खवाब पूरा होते हुए नज़र आ रहा था।
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काकी हमने गांव के हर घर वालों से पूछ लिया है मगर देवा का किसी को कोई पता नहीं बस एक घर रह गया है।
रत्ना; किसका।
पप्पू;वैध जी का कही वहां तो नहीं गया देवा।
रत्ना;उठ के बैठ जाती है।
हाँ हाँ वही गया होगा चल मै भी साथ चलती हूँ।
पप्पू;नहीं काकी मै और मेरे दोस्त देख आते है।
रत्ना;नहीं नहीं मुझे भी साथ ली चल बेटा।
पप्पू;ठीक है चलो फिर।
और रत्ना ;पप्पू और उसके दोस्तो के साथ वैध जी के घर की तरफ चल पडते है।
जब वो सभी वहां पहुँचते है तो उन्हें वैध और उसकी बहु किरण ऑंगन में दिखाई देते है।
इतने सारे गांव वालों को एक साथ देख वो थोड़े घबरा से जाते है।
रत्ना;किरण के पास जाती है।
किरण;क्या बात है माँ जी।ये सब लोग यहाँ क्या कर रहे है।
किरण;रत्ना को जानती थी। देवा की माँ होने के कारन किरण उसकी बहुत इज्जत भी करती थी।
मगर रत्न को देवा और किरण के रिश्ते के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था।
रत्ना;किरण बिटिया मेरा देवा यहाँ आया है क्या।
किरण;हाँ आया था।
रत्ना;कब कहाँ है वो मुझे उसके पास ली चलो।


किरण;माँ जी देवा कल रात में यहाँ आया था किसी ने उसे बहुत बुरी तरह से पीटा था।
उसके सर में से खून भी निकल रहा था मैंने और बापु ने उसकी मरहम पट्टी की उसके बाद उसे यही सोने के लिए ऑगन में चारपाई लगा दी।
मगर जब सुबह देखा तो वो यहाँ नहीं था पता नहीं कहाँ चला गया।
बैध जी;हाँ बिटिया उसकी तबियत बहुत ख़राब थी। तेज़ बुखार भी था कुछ जड़ी बुटियों का खुराक़ दिया था
मैने उसे। मगर उसे आराम की बहुत ज़रुरत थी सुबह वो नहीं दिखा तो हमने सोचा की शायद वो घर चला गया होगा।



मै तुमसे पुछने आने ही वाला था उसके बारे में।
ये सुन के रत्ना वही बैठ जाती है।
उसे रात की घटना फिर से याद आ जाती है किस बुरी तरह उसने लकड़ी से देवा की पिटाई की थी।
देवा का खून भी निकल रहा था ये सोच सोच के रत्ना का दिल दहलने लगता है।
पप्पू और उसके दोस्त मिलकर रत्ना को समझा बुझा के घर ले आते है।
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और वो ज़ख़्मी है मगर उसे किसने मारा यही बात गांव के हर आदमी के दिल ओ दिमाग में उलझन पैदा कर रही थी।
पदमा;हवेली में जाके रुक्मणी को देवा के ग़ायब होने की खबर सुनाती है। वो सुनके रुक्मणी बेचैन सी हो उठती है।
सुबह की मार से उसे इतनी तकलीफ नहीं हुई थी जितनी देवा की खबर सुनकर हुई।



रुक्मणी;पदमा तू उसके घर जा न और पता कर न की वो घर आया है के नही।
पदमा;मालकिन उसकी माँ का रो रो के बुरा हाल है।
बैध के घर गया था वो कहते हैं उसके सर पर मार भी लगी हुई थी और तेज़ बुखार भी था।
पता नहीं किस हाल में पड़ा होंगा बेचारा सोच सोच के तो मेरा दिल बैठा जा रहा है।
रुक्मणी; तू जा घर जा और मुझे सुबह जल्दी से आके अच्छी खबर सुना की वो घर आ गया है। जा ना जल्दी।
पदमा; वापस रत्ना के घर की तरफ चली आती है और रुक्मणी की ऑखों से नींद ग़ायब हो जाती है।
वो अपनी पिटाई जैसे कुछ पल के लिए भूल गई थी।
रात के १० बज गए थे। एक एक करके गांव वाले अपने अपने घर लौटने लगते है । शालु भी घर आ जाती है।
मगर नीलम वही ममता का हाथ पकडे दरवाज़े की तरफ टकटकी लगाए बैठी हुई थी।
दोनो के दिल की हालत उस वक़्त वही समझ सकता था जिस ने कभी न कभी किसी न किसी से सच्ची मोहब्बत किया हो।
इधर हवेली में रुक्मणी बिस्तर पर देवा की याद में करवटे बदल रही थी। उधर रानी बाथरूम से नहा कर बाहर निकलती है।
और अपने रूम में हिम्मत राव को देख कर उसका खून खौल उठता है।
मगर वो कुछ नहीं कहती और चुपचाप आकर बेड पर बैठ के अपने बाल सुखाने लगती है उसने सिर्फ टॉवल बांध रखी थी।

उसे अब तक देवा के बारे में पता नहीं था । उसे तो इस बात पर गुस्सा आ रहा था की हिम्मत राव ने रुक्मणी के साथ साथ उसकी भी पिटाई कर दिया था और शायद हिम्मत भी अपनी इसी गलती को सुधारने उस वक़्त वहां मौजूद था।
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रानी;सर उठाके उसके तरफ देखती है मगर कुछ नहीं कहती।
हिम्मत; अच्छा बाबा देख अब हँस भी दे। अरे मेरी जान तू बीच में नहीं आती तो मै तेरे साथ ऐसा कुछ करता क्या। हाँ इधर आजा मेरी बाहों में।
रानी; हटो भी बापू सब जानती हूँ मै आपके बारे में। सुबह मार पिटाई और रात में घिसाई।
हिम्मत;रानी की टॉवल खीच देता है इससे पहले की रानी उसे पकड़ पाती वो जिस्म से अलग हो जाता है और नंगी रानी हिम्मत के सामने आ जाती है।
रानी के जिस्म पर हिम्मत की मार के ज़्यादा निशान नहीं थे। क्यूंकि सबसे ज़्यादा मार तो रुक्मणी को पड़ी थी।

हिम्मत;अपनी धोती कुर्ता उतार के फ़ेंक देता है और रानी की तरफ बढ़ता है मगर रानी पीछे सरकती चली जाती है।
रानी;मेरे पास मत आइये मै बोल देती हूँ बापु।
हिम्मत;क्यूँ मेरी जायदाद है तू जो चाहे वो मै करूँ चुप चाप यहाँ आजा।
रानी;नहीं आऊँगी और अगर ज़ोर ज़बर्दस्ती करेंगे तो मै चिल्लाऊँगी।
हिम्मत;चिल्ला।
हिम्मत रानी का हाथ पकड़ के उसे बेड पर अपने साथ गिरा देता है वो झटपटाने लगती है।
मगर हिम्मत की मज़बूत बाहों से रानी निकल नहीं पाती और थोडी देर हाथ पैर मारने के बाद वो निढाल सी हो जाती है।
हिम्मत;कहाँ लगा है मेरी बिटिया को।
रानी;इतनी बुरी तरह से मारा है आपने बापू जैसे जानवर को मारते है।
हिम्मत;ज़रा देखने दे मुझे भी।
ये कहके हिम्मत रानी के जिस्म पर सवार हो जाता है और सर से चुमता हुआ नीचे चूत तक पहुँच जाता है।
जैसे ही हिम्मत के होंठ रानी की चूत से टकराते हैं रानी अपनी ऑंखें बंद कर लेती है। प्यासी चूत में फिर से पानी आने लगता है।
रानी;आहह बापू वहां नही ना उन्हह ......

हिम्मत;बहुत सूखि सूखि लग रही है बिटिया।
रानी;हैं सूखि है वो। उसे ढेर सारा मीठा मीठा पानी चाहिए अपने बापू के लंड का आहह बाप्पु।
चूत की आग ने रानी को ये भुला दिया था की सुबह वो अपने बापू से बहुत नाराज़ थी।
हिम्मत;रानी की चूत को चाट चाट के लाल कर देता है और जब पहला पानी रानी की चूत से बहने लगता है।
हिम्मत उसे भी अपने मुँह में उतारने लगता है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
पानी पीने के बाद जैसे ही हिम्मत रानी के बगल में आके लेटता है रानी हिम्मत के लंड के पास चली जाती है और उसे अपने होठो से चूम के जगाने की कोशिश करती है।
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रानी;आप देते कहाँ हो जब देखो बिंदिया के पास पड़े रहते हो।
हिम्मत;रानी का मुँह बंद करने के लिए उसके मुँह में लंड पेल देता है।
और रानी अपने बापू का लंड कई दिनों के बाद अपने मुँह की गहराइयों में उतारते चलि जाती है गलप्प गलप्प गलप्प.....
हिम्मत;आहह सली बहुत बडी छिनाल है तू आह्ह्ह्ह।
ऐसे लंड चुसती है जैसे कोई धंधे वाली रंडी हो।
रानी;कितने धंधे वालियों के पास जाते हो बापू गलप्प गलप्प।
हिम्मत;तेरी माँ की साली आहह धीरे बिटिया ऐसे नही ना।
रानी;अपनी पिटाई का सारा ग़ुस्सा अपने बापु के लंड पर निकाल लेती है और उसे चूस चूस के खड़ा कर देती है।
हिम्मत;चल आ जा तेरी इससे पिटाई करता हूँ ज़रा।
रानी;इससे पिटाई के लिए तो मै हमेशा तैयार हूँ बापु
हिम्मत;रानी के पैर खोल देता है और अपने लंड को उसके चूत के मुहाने पर लगा के
रानी के होठो को चुमते हुए लंड अपनी बेटी की चूत में सट से घुस्सा देता है।

रानी की सूखि चूत पर जैसे कोई किसान हल सा चला देता है और रानी हिम्मत के प्यार में सब कुछ भूलते हुए अपनी टाँगें उसकी कमर से लपेट लेती है।
रानी;आहह बापू अब से रोज़ चाहिए मुझे अगर नहीं दिए ना।
आह तो जान से उन्हह मार दूंगी बोल देती हूँ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
हीम्मत भी अपनी कमर को नीचे ऊपर करने लगता है हाँ बिटिया आह
रोज चोदेगा तेरा बापू तुझे। बस तू मेरे और तेरी माँ के बीच में मत आना।
रानी;नहीं आऊँगी बापू आज के बाद कभी नहीं आऊँगी आह्ह्ह्ह्ह।
एक तरफ बाप और बेटी का मिलाप हो रहा था और दूसरी तरफ बेटे के चले जाने का मातम मानाया जा रहा था।
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देवा की फिकर में न रत्ना ने सुबह से कुछ खाई थी और न ममता न।
नीलम दोनों के लिए खाना बना रही थी उसके ऑसू थे की रुकने का नाम नहीं ली रहे थे।
पप्पू पास में गुमसुम सा बैठा हुआ था । शालु घर जा चुकी थी।
खाना बनाने के बाद नीलम रत्ना और ममता को समझा बुझाके खाना खाने के लिए बैठा देती है।
मगर बेटे के गम में चूर दोनों माँ बेटी के हलक से खाने का एक निवाला भी नहीं उतर रहा था।
किसी तरह दोनों पेट की आग को बुझा देते है।
रात काफी गहरी हो चुकी थी। नीलम पप्पू को घर भेजवा देती है और खुद वही ममता और रत्ना के पास सो जाती है।
इस मुश्किल घडी में नीलम एक समझदार होने वाली बहु का रोल बखूबी निभा रही थी।
रत्ना को उस पर बहुत प्यार भी आ रहा था । उसका दिल तो कई दिनों से नीलम को घर ले आने का था।
मगर अब आगे क्या होने वाला था ये रत्न को भी पता नहीं था। बस खुद को कोसते रोते हुए वो नींद की आग़ोश में चली जाती है।
पप्पू घर आता है शालु उस वक़्त पीछे के नए रूम में से घर में आ रही थी।
पप्पू;माँ कहा गई थी तुम।
शालु;वो मै कमरा साफ़ करने गई थी नीलम कहाँ है।
पप्पू;नीलम काकी के वहां रुक गई है।
शालु; अच्छा किया उसने तुम सो जाओ बेटा सुबह देखेंगे क्या होता है।
पप्पू;माँ तुम्हें क्या लगता है कहाँ गया होंगा देवा।
शालु: मुझे क्या पता भला मै क्या जानू। जवान लड़का है कही भी जा सकता है।
तुम फिकर मत कर बेटा आ जाएगा अपने माँ से नाराज़ होके भी कोई बेटा रहा है।
कुछ दिन में ग़ुस्सा चला जायेगा तो घर भी आ जायेगा।
पप्पू;उदास मन के साथ अपने कमरे में सोने चले जाता है।
और शालु बर्तन साफ़ करके अपने बिस्तर पर जाके लेट जाती है।
उसे बिस्तर पर लेटे हुए एक घण्टा बीत जाता है कभी इस करवट तो कभी उस करवट मगर उसे नींद नहीं आती ।
वो उठके बैठ जाती है।
और पप्पू के कमरे में जाके देखती है।
पप्पू;उस वक़्त तक गहरी नींद में सो चूका था।
शालु;थोड़ा सा सरसो का तेल गरम करती है और उसे एक बर्तन में ले के अपने घर के पीछे बने रूम में चली जाती है।
रूम का दरवाज़ा खुलता है और शालु अंदर दाखिल होती है।
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आखीर कब तक ऐसे यहाँ अँधेरे में बैठे रहोंगे तुम।
देवा;शालू की तरफ देखने लगता है।


शालु: मैं तुम्हारी माँ को बताने जा रही हूँ।
देवा;तुमने मेरी सर की कसम खाई है काकी सोच समझ के बाहर कदम रखना।
शालु;के पैर वही रुक जाते है और वो पलट के दरवाज़ा बंद करके देवा के पास जाके बैठ जाती है।
चेहरे पर मुस्कान लिए वो देवा को समझाने लगती है।
शालु;एक तो तू मुझे बताता नहीं की क्या हुआ है।
उपर से मुझे अपने सर की कसम दे रखा है की किसी को बताना नही।
अब मै करू तो क्या करूँ । आखिर कब तक ऐसे चलेगा देवा। गांव वालो को पता चल गया की तू यहाँ मेरे घर में है तो तरह तरह के सवाल उठेंगे।
गांव वाले पुछेंगे नहीं के तू यहाँ क्या कर रहा है।
अरे गांव वालों का छोड़ तेरी माँ और बहन के ऑसू मुझसे नहीं देखे जाते रे।
देख देवा ऐसा मत कर।
देवा;ठीक है मै यहाँ भी नहीं रुकता चला जाता हूँ फिर...
शालु;देवा का हाथ पकड़ लेती है।
और उसी वक़्त उसका पल्लू भी नीचे गिर जाता है।


जब देखो नाक पर ग़ुस्सा रहता है तेरे।
चल वो सब छोड़ मै तेल गरम करके लाई हूँ तेरी मालिश कर देती हूँ।

कितनी बेरहमी से मारा है किसी ने तुझे। कौन था वो।
देवा;मुझे नहीं पता अँधेरे में किसी ने पीछे से मेरे सर पर हमला किया और उसके बाद मुझे नहीं पता की क्या हुआ।
देवा;किरण के घर से मरहम पट्टी कराने के बाद शालु के घर आ गया था।
उसने शालु से झूठ भी कहा था की उसे अँधेरे में किसी ने सर पर मार के उसकी ऐसी हालत कर दी है।
उसके जिस्म पर रत्ना के हाथों मार के निशान थे। पूरी पीठ पर लकड़ी से मार के निशान पड़ चुके थे।
मगर वो अपने घर की बात शालु को बता के, बात को गांव वालों तक पहुँचाना नहीं चाहता था।
शालु;देवा की तरफ देखती है उसकी नज़र शालु के ब्लाउज के उस हिस्से पर टिकी हुई थी जहाँ से पल्लू सरका था।
शालु;बेशरम।
तूझे और कुछ सूझता भी है के नही।
देवा;क्या। क्या किया है मैने।
शालु;सब जानती हूँ तेरे हरामी नज़र को। अगर तू नीलम का होने वाला पति नहीं होता तो कब का मारके घर से भगा देती।
शालु बोलते बोलते हँस पडती है।
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और अगर तुम भी नीलम की माँ नहीं होती तो...
शालु;तो क्या करता।
देवा;पुरी नंगी करके दिन रात पेलता रहता।
शालु;बस बस बड़ा आया...
जिस्म पर घाव देखें है अपने। कुछ भी नहीं कर सकता तू। अभी तो चल लेट जा मै तेल से मालिश कर देती हूँ।
और हाँ कल सुबह तू अपने घर जायेगा समझा की नही।
देवा;एक शर्त पर जाऊँगा।
शालु;क्या।
देवा; शालू की साडी खीच कर उसे बिस्तर पर गिरा देता है।
आज की रात मुझे तुम सब कुछ दोगी।
शालु;उन्हह हाय क्या करता है मुये

देवा;दूध पीला दे काकी आज अपने चूचियों का।
देवा;दोनों हाथों में शालु के ब्रैस्ट को पकड़ के मसलने लगता है।
शालु;उन्हह नहीं देवा अभी नही।
देवा;मुझे नहीं पता अभी मतलब अभी।
शालु;देवा को धक्का दे देती है और उठके खड़ी हो जाती है।
देवा;हसरत भरी निगाहों से शालु को देखने लगता है।
शालु;पहले तेल से मालिश कर ले।
देवा;मुस्कराता हुआ बिस्तर पर लेट जाता है।
शालु;अपनी ऑखें बंद कर ले।
देवा;वैसे ही करता है और जब कुछ देर बाद देवा अपनी ऑखें खोलता है तो शालु को देख हैरान रह जाता है।
शालु;देवा की तरफ पीठ करके खड़ी थी।

भरा हुआ गदराया हुआ बदन शालु के, उस पर मोटी मोटी कमर देख देवा का लंड फुंफकारने लगता है।
दो दिन से उसे चूत के दरशन नहीं हुए थे।
और जिसे वो हमेशा से चोदने के खवाब देखा करता था वो आज खुद नंगी होके उसके सामने खड़ी थी।
शालु;देवा के क़रीब आती है देवा हाथ बढाके उसे अपने पास खीचना चाहता है।
शालु;रुक जा मैंने कपडे इसलिए नहीं उतारे की तू कुछ ऐसी वैसी हरकत करे। मेरे कपडे भी तेल से गंदे हो जाते इसलिए उतारे है।
देवा;तो शुरू कर ना काकी देर किस बात की...
शालु;बड़ा उतावला हो रहा है मुआ।
देवा;इसे देखने के बाद कौन उतावला नहीं होगा।
वह अपने हाथ से शालु की चूत को रगड देता है।
शालु;आहह कमीना कही का।
मुस्कराते हुए शालु अपने हाथों पर तेल लगाती है और देवा के सर से लेकर पैरों तक मालिश करने लगती है।
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वो एक नज़र देवा की तरफ डालती है देवा ने अपनी ऑंखें बंद कर रखी थी।
शालु;चड्डी खीच लेती है और देवा का लंड शालु की ऑंखों के सामने आ जाता है।
9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड देख शालु की चूत में चींटियां रेंगने लगती है मगर शालु एक समझदार औरत थी।
वो देवा को किसी तरह समझा बुझाके घर भेजना चाहती थी मगर वो देवा के लंड को देख सब कुछ जैसे भूल जाती है।
अपने तेल से भींगे हाथों में जब वो देवा का लंड पकड़ती है तो देवा के मुँह से प्यार भरी सिसकारी निकल पडती है।
देवा;आहह श्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
शालु;दोनों हाथों से लंड को पकड़ के उसे नीचे से ऊपर तक मालिश करने लगती है।
देवा से बर्दाश्त नहीं होता वो शालु की कमर में हाथ डाल के उसे भी अपने ऊपर खीच लेता है।
शालु;उईई माँ क्या कर रहा है मैंने मना की थी न तुझे उन्हह।
अपनी चूत पर लंड लगते ही शालु का मुँह बंद हो जाता है।
देवा;अपने बदन से मालिश करो काकी जल्दी आराम मिलेंगा मुझे।
शालु;देवा के ऊपर नंगी लेटी हुई थी। चूत से लंड लगा हुआ था और देवा की चौड़ी छाती से शालू के नरम मुलायम ब्रैस्ट घिस रहे थे।
देवा;दोनों हाथों में शालु के कमर को थाम लेता है और शालु ऑखें बंद करके अपनी चूत को देवा के लंड के ऊपर घीसने लगती है।
शालु की ऑखें बंद हो जाती है।
देवा;धीरे से उसके कानो में कहता है।
शालु अपनी चूत में ड़ालने दो ना मेरी प्यारी काकी।
शालु;नही अभी नही।
देवा;क्यूं सब कुछ तो बता चुकी हो मुझे फिर न क्यूं।
शालु;सब कुछ तुम्हारा है जवाई राजा बस कुछ दिन रुक जाओ सब कुछ सौंप दूंगी तुम्हें आहह धीरे से जमाई जी।

देवा;मुझे बस अंदर ड़ालने दो अभी।
सासू माँ।
शालु;तुम्हें नीलम की कसम जब तक मै न कहूं अंदर मत घुसाना आह्ह्ह्ह।
बस ऐसे ही।
दोनो हाथों से देवा इतनी ज़ोर से शालु के चूतड़ को दबाने लगता है की शालु की चूत से पानी निकलने लगता है।
और वो सीधा देवा के लंड पर गिरने लगता है। शालु देवा से चिपक जाती है और झटके खाते हुए झरने लगती है।
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शालु;नहीं अभी नही सुनो न जवाई राजा।
देवा;मेरा लंड दर्द करता है अगर उसे चूत नहीं मिली तो।
शालु;नीचे नहीं ऊपर से करो मुझे।
देवा;ऊपर से कहाँ से।
शालु;देवा के लंड के पास अपना मुँह ले आती है और उसे खोल देती है।
यहाँ मुँह में लंड डाल के अपनी सासु माँ के मुँह को चूत समझ के चोदो।
देवा;अपने लंड को शालु के मुँह में डाल देता है।

शालु;गलप्प गलप्प गलप्प....
अपनी चूत को सहलाते हुए देवा के लंड को थोडी बहुत राहत देने लगती है।
देवा;आहह साली चूत दिखाती है मगर देती नहीं। साली तू ले तेरे मुँह में....
आज अंदर तक घूस्सा घुस्सा के देता हूँ तुझे आह्हह्हह्हह्हह।


शालु;अपनी चूत को सहलाते हुए देवा के लंड को मुँह की गहराइयों तक लेते चली जाती है।देवा शालू के मुँह को चूत समझकर चोदने लगता है।वह अपना सारा गुस्सा शालू के मुँह में निकलना चाहता है।शालू भी अपने गरम मुँह में देवा के लंड को कुल्फी की तरह चूसने लगती है।
अपने सासु माँ के मुँह की गरमी में देवा झडने लगता है।
उसका गाढा गाढा पानी शालु के सीधा मुँह में गिरने लगता है और शालु भी कुल्फ़ी की तरह लंड को चाटते हुए सारा का सारा पानी पी जाती है।
एक दूसरे को चुमने के बाद शालु उठके अपने कपडे पहनने लगती है।
शालु;कल तुम घर जाओगे ना।
देवा;हाँ में सर हिला देता है।
और शालु मुस्कुराते हुए दरवाजा बंद करके अपने घर में चलि जाती है।
सुबह जब शालु की आँख खुलती है तो देवा उसे उस रूम में नहीं मिलता।
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