hotaks444
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पिछली रात काफी दुःख भरी थी।
कई चेहरो पर मायूसी छाई थी।
पर अगली सुबह एक नई रौशनी की आस में शुरू हुई…
सुबह सुबह, मुर्गे ने बांग दी…।
देवा काफी जल्दी सो गया था पर आज उसकी नींद तब खुली जब खिड़की से आती रौशनी की किरण उसके ऊपर पडी।
देवा ने अपनी आँखे खोली और पिछली रात की बाते उसके दिमाग से निकल कर उसे याद दिलाने लगी…
देवा वैसे ही लेटा रहा, हलकी फुलकी नमी आँखों में अब भी थी देवा के…
कुछ पलो बाद देवा उठा और अपनी माँ रत्ना को ढूँढ़ने लगा जो उसे अपने दाँत साफ़ करती हुई मिली…
रत्ना ने जब देवा को देखा तो मुस्करायी, कुल्ला किया और पुछा…
रत्ना:“इतनी जल्दी कैसे उठ गया मेरा जानू…”
देवा रत्ना की बात का जवाब देते हुए बोले, “बस आँख खुल गयी ।” और ग़ुसलख़ाने में घुस गया।
रत्ना को अपने बेटे की आवाज में अब भी उदासी का भाव लगा।
उसने सोचा आखिर वो कैसे अपने बेट के मूड को ठीक करे।
उसने फैसला किया की आज देवा का मनपसंद खाना बनाएगी…
और ऐसा सोचते हुए रत्न रसोई में घुसकर स्वादिष्ट पकवान बनाने में जुट गयी।
देवा ने अपने सुबह के क्रियाकर्म किया और नहाने धोने में लग गया…
नहाकर देवा ने पास ही के मंदिर जाने का मन बनाया,,
देवा रसोई में गया, “माँ मै पास के गाँव के मंदिर जा रहा हूँ। 2 घंटे में आ जाउँगा…”
रत्ना:“अरे बेटा मैंने तुम्हारे लिए बहुत सारा खाना बनाया है, अभी चले जाओगे तो यह ठण्डा हो जायेगा…”
देवा: “कोई बात नहीं माँ आकर खाऊँगा, अभी मेरा मन कर रहा है मंदिर जाने का…”
रत्ना देवा के चेहरे को देख समझ जाती है की वो अपने प्यार की सलामति की दुआ करना चाहता है तभी मंदिर जाना चाहता है।
इसलिये रत्ना उसे नहीं रोकती और जल्दी घर आने का बोलकर उसके गालो पर चुम्बन करके उसे रवाना कर देती है…
वो गाँव यहाँ से लगभग १० किलोमीटर दुर था।
देवा पैदल चलता हुआ अपने नीलम से न बिछड़ने की दुआ करता है।
काफी देर तक चलने के बाद देवा मंदिर पहुँचता है।
ये मंदिर माँ शेरा वाली का है।
देवा अंदर जाकर चुपचाप दरबार में बैठ जाता है और अपनी आखे बंद कर कर बस एक ही शब्द बोलता है…नीलम…नीलम……
पिछली रात काफी दुःख भरी थी।
कई चेहरो पर मायूसी छाई थी।
पर अगली सुबह एक नई रौशनी की आस में शुरू हुई…
सुबह सुबह, मुर्गे ने बांग दी…।
देवा काफी जल्दी सो गया था पर आज उसकी नींद तब खुली जब खिड़की से आती रौशनी की किरण उसके ऊपर पडी।
देवा ने अपनी आँखे खोली और पिछली रात की बाते उसके दिमाग से निकल कर उसे याद दिलाने लगी…
देवा वैसे ही लेटा रहा, हलकी फुलकी नमी आँखों में अब भी थी देवा के…
कुछ पलो बाद देवा उठा और अपनी माँ रत्ना को ढूँढ़ने लगा जो उसे अपने दाँत साफ़ करती हुई मिली…
रत्ना ने जब देवा को देखा तो मुस्करायी, कुल्ला किया और पुछा…
रत्ना:“इतनी जल्दी कैसे उठ गया मेरा जानू…”
देवा रत्ना की बात का जवाब देते हुए बोले, “बस आँख खुल गयी ।” और ग़ुसलख़ाने में घुस गया।
रत्ना को अपने बेटे की आवाज में अब भी उदासी का भाव लगा।
उसने सोचा आखिर वो कैसे अपने बेट के मूड को ठीक करे।
उसने फैसला किया की आज देवा का मनपसंद खाना बनाएगी…
और ऐसा सोचते हुए रत्न रसोई में घुसकर स्वादिष्ट पकवान बनाने में जुट गयी।
देवा ने अपने सुबह के क्रियाकर्म किया और नहाने धोने में लग गया…
नहाकर देवा ने पास ही के मंदिर जाने का मन बनाया,,
देवा रसोई में गया, “माँ मै पास के गाँव के मंदिर जा रहा हूँ। 2 घंटे में आ जाउँगा…”
रत्ना:“अरे बेटा मैंने तुम्हारे लिए बहुत सारा खाना बनाया है, अभी चले जाओगे तो यह ठण्डा हो जायेगा…”
देवा: “कोई बात नहीं माँ आकर खाऊँगा, अभी मेरा मन कर रहा है मंदिर जाने का…”
रत्ना देवा के चेहरे को देख समझ जाती है की वो अपने प्यार की सलामति की दुआ करना चाहता है तभी मंदिर जाना चाहता है।
इसलिये रत्ना उसे नहीं रोकती और जल्दी घर आने का बोलकर उसके गालो पर चुम्बन करके उसे रवाना कर देती है…
वो गाँव यहाँ से लगभग १० किलोमीटर दुर था।
देवा पैदल चलता हुआ अपने नीलम से न बिछड़ने की दुआ करता है।
काफी देर तक चलने के बाद देवा मंदिर पहुँचता है।
ये मंदिर माँ शेरा वाली का है।
देवा अंदर जाकर चुपचाप दरबार में बैठ जाता है और अपनी आखे बंद कर कर बस एक ही शब्द बोलता है…नीलम…नीलम……