Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 78 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

अपडेट 125



पिछली रात काफी दुःख भरी थी।
कई चेहरो पर मायूसी छाई थी।
पर अगली सुबह एक नई रौशनी की आस में शुरू हुई…
सुबह सुबह, मुर्गे ने बांग दी…।
देवा काफी जल्दी सो गया था पर आज उसकी नींद तब खुली जब खिड़की से आती रौशनी की किरण उसके ऊपर पडी।
देवा ने अपनी आँखे खोली और पिछली रात की बाते उसके दिमाग से निकल कर उसे याद दिलाने लगी…
देवा वैसे ही लेटा रहा, हलकी फुलकी नमी आँखों में अब भी थी देवा के…
कुछ पलो बाद देवा उठा और अपनी माँ रत्ना को ढूँढ़ने लगा जो उसे अपने दाँत साफ़ करती हुई मिली…
रत्ना ने जब देवा को देखा तो मुस्करायी, कुल्ला किया और पुछा…
रत्ना:“इतनी जल्दी कैसे उठ गया मेरा जानू…”
देवा रत्ना की बात का जवाब देते हुए बोले, “बस आँख खुल गयी ।” और ग़ुसलख़ाने में घुस गया।
रत्ना को अपने बेटे की आवाज में अब भी उदासी का भाव लगा।
उसने सोचा आखिर वो कैसे अपने बेट के मूड को ठीक करे।
उसने फैसला किया की आज देवा का मनपसंद खाना बनाएगी…
और ऐसा सोचते हुए रत्न रसोई में घुसकर स्वादिष्ट पकवान बनाने में जुट गयी।
देवा ने अपने सुबह के क्रियाकर्म किया और नहाने धोने में लग गया…
नहाकर देवा ने पास ही के मंदिर जाने का मन बनाया,,
देवा रसोई में गया, “माँ मै पास के गाँव के मंदिर जा रहा हूँ। 2 घंटे में आ जाउँगा…”
रत्ना:“अरे बेटा मैंने तुम्हारे लिए बहुत सारा खाना बनाया है, अभी चले जाओगे तो यह ठण्डा हो जायेगा…”
देवा: “कोई बात नहीं माँ आकर खाऊँगा, अभी मेरा मन कर रहा है मंदिर जाने का…”
रत्ना देवा के चेहरे को देख समझ जाती है की वो अपने प्यार की सलामति की दुआ करना चाहता है तभी मंदिर जाना चाहता है।
इसलिये रत्ना उसे नहीं रोकती और जल्दी घर आने का बोलकर उसके गालो पर चुम्बन करके उसे रवाना कर देती है…
वो गाँव यहाँ से लगभग १० किलोमीटर दुर था।
देवा पैदल चलता हुआ अपने नीलम से न बिछड़ने की दुआ करता है।
काफी देर तक चलने के बाद देवा मंदिर पहुँचता है।
ये मंदिर माँ शेरा वाली का है।
देवा अंदर जाकर चुपचाप दरबार में बैठ जाता है और अपनी आखे बंद कर कर बस एक ही शब्द बोलता है…नीलम…नीलम……
 
अपने प्यार से देवा किसी भी हाल में अलग नहीं होना चाहता था…
देवा(मन में): “प्यार…एक शब्द है…एक बेजान सा शब्द…इसका एहसास और असलियत तब पता चलती है जब हमे किसी से प्यार होता है…उससे लगाव होता है…और माता…मेरे लिए तो इस शब्द का एहसास सिर्फ नीलम ने ही कराया है…वह है तो सब सही लगता है…वो नहीं तो कुछ अच्छा लगता ही नहीं…जैसे कुछ है ही नहीं…यह दुनिया…लोग…और खुद मैं…कुछ महसूस नहीं होता…आज तेरे दरबार मै आके बस इतनी ही उम्मीद लगा रहा हुँ की मेरा प्यार मेरे से दुर नहीं होगा…मेरी जिन्दगी, मेरी जान मेरी ही रहेंगी…नही रहेगी तो यह साँसे तभी रुक जाये तो अच्छा रहेगा…”
और ऐसा कहकर देवा मंदिर का घण्टा बजा कर बाहर आ गया…
कुछ दुर तक मंदिर के बाहर भिखारी बैठे थे।
देवा ने उन लोगो को कुछ पैसे दिए, उन्होंने दुआये दी…
फिर देवा अपने घर की तरफ चलने लगा, रास्ते में एक पल उसके दिल में एक आवाज गुंजी…
“बेटे, अपने प्यार पे भरोसा रख…”
ये आवाज सुनते ही देवा के कदम थम गये, यह आवाज कुछ जानी पहचानी सी लगी देवा को…
वह सोचने लगा की आखिर यह आवाज उसने कहा सुनी है…
देवा यह सोच ही रहा था की वही आवाज फिर से उसके मन में गूँज पड़ी…
“बेटे, मन को शांत कर ले तेरी ख़ुशी में ही बहुत लोगो की ख़ुशी बसती है…सिर्फ उनके लिए दुखि मत हो और अपने प्यार पर भरोसा रख…”
ये बात सुनकर देवा मुडकर देखा पीछे कोई नहीं दिखा उसने चारो तरफ देखा पर वहाँ कोई भी नहीं दिखा…
देवा सोच में पड़ गया कहीं यह वही कल वाली औरत तो नहीं…या उसकी आवाज मेरे मन में गूँज रही है।
देवा ने उसकी कही बातो पर विचार करते हुए अपना सफ़र जारी रखा लगभग घंटे भर बाद देवा अपने घर पहुंचा।
उसने अपने घर का दरवाजा खटखटाया…।
देवा बाहर की तरफ देख रहा था।
दरवाजा खुला और देवा ने दरवाजे की तरफ कदम बढ़ाते हुए अपनी नजर भी उधर घुमाई…
और उसके कदम थम गए…
सामने कोई और नहीं नीलम खड़ी थी…
और वो देवा को देख रही थी…
नीलम को अपने सामने अचानक देख कर देवा की सिट्टी पिट्टी गूम हो गयी…
उसके कदम घर के अंदर पड़ने की बजाये पीछे जाने लगे…
 
कुछ कदम पीछे जाने के बाद देवा ने अपनी गरदन नीचे झुका लिया।
नीलम ने उसे कुछ पल देखा और दरवाजा खुला छोड कर घर के भीतर चलि गयी…
देवा ने जब सर उठा कर ऊपर देखा तो उसे सामने कोई नहीं दिखा।
वह समझ गया की नीलम उससे नाराज तो है…
देवा भी घर के अंदर धीरे धीरे इधर उधर झाँकता हुआ चल दिया।
और एक आवाज से उसके कदम थम गए…
रत्ना: “देवा बेटा…आ गए तुम”
देवा ने मुडकर देखा तो वहाँ नीलम,
शालु और रत्ना बैठे हुए थे।
मेज पर नाश्ता लगा हुआ था…
देवा :“हाँ…हैं माँ…बस…मैं अभी…आया…”
नीलम देवा की तरफ न देख कर इधर उधर देख रही थी…
शालु: “सुबह सुबह मंदिर कैसे चले गए आज…”
देवा: “बस…काकी…मन किया …आज…तो…आज…बस…ऐसे ही…”
देवा को हकलाता देख शालु सोचने लगी… “देवा बहुत दुखी है अब भी…”
फिर देवा बिना बोले घर के अंदर चला जाता है और बिस्तर पर बैठ जाता है और नीलम के चेहरे को याद करने लगता है…
जो उसे गुस्से से भरा लग रहा था…
देवा को अपने प्यार के खोने का डर अब भी लग रहा था…
अंदर ही अंदर शेरा वाली से वो बस नीलम के लिए ही दुआ कर रहा था…
कुछ पल बाद देवा के कान में बाहर का दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई पड़ती है…
देवा समझ जाता है की शालु और नीलम शायद जा चुकी है।
इसलिये वो अहिस्ता अहिस्ता झांकता हुआ चलने लगता है।
रत्ना: “वो लोग जा चुके है झाँकने की जरुरत नहीं…”
देवा वही खड़ा हो जाता है… “तो क्या हुआ फिर…”
रत्ना: “मतलब क्या… क्या हुआ ?”
देवा: “मतलब यह की आखिर क्या बाते हुई…”
रत्ना:“तुम नाश्ता करो बताती हुँ फिर…”
रत्ना रसोई में घुसकर देवा के लिए पकवान गरम करने लगती है ।
देवा की उत्सुक्ता बढ़ती जा रही थी और उसका डर भी…
 
रत्ना ने सारे पकवान गरम किये और देवा को बुलाया…
छोले भठूरे…हलवा…पनीर……खीर…सब देवा का मनपसंद खाना उसके आगे रत्ना ने बड़े प्यार से सजाया…
देवा ने यह सब देखा और रत्ना से कहा… “इतना सारा कैसे खाउंगा माँ।”
रत्ना:“तुम्हारे अकेले के लिए नहीं है मै भी तो हूँ…”
और रत्ना हँसने लगी…
रत्ना को हँसते देख देवा खाने बैठा…
उत्सुक्ता के मारे देवा की भूख भी कम हो गयी थी।
उसने थोड़ा बहुत खाया और हाथ मुँह धो कर आ गया,
रत्ना ने भी तब तक ख़तम कर लिया था खाना…
देवा: “माँ अब बताओ न…”
रत्ना: “क्या बताऊं…”
देवा:“अरे आप जानती हो। मैं बहुत डर रहा हुँ माँ…”
रत्ना को भी लगा की देवा आज दुखी तो है ही और डर भी रहा है…
रत्ना: “अभी जरा फुर्सत से बताऊँगी बेटा…तुम खेतो पे क्यों नहीं हो आते तब तक…मैं जरा काम निपटा लुँ घर के…”
और रत्ना जल्दी से उठ कर सारे बर्तन जमा करने लगी।देवा: “क्या माँ, यहाँ जान निकल रही है…नीलम ने आज मुझे देखा भी नहीं…”
रत्ना:“देवा, अभी मुझे काम करना है दोपहर में बताऊँगी खाने पे…जाओ अब तुम खेतो पे…”
और रत्ना रसोई में चलि जाती है…
देवा अपनी उक्सुकता पे काबू करते हुए खुद से वायदा करता है और उस औरत की बात को याद करता है… “अपने प्यार पर भरोसा रख…”
देवा घर से एक दुखि ह्रदय के साथ खेतो की तरफ रवाना होता है…
खेतो पर पहुँच कर देवा ट्रेक्टर निकाल कर हल चलाता है काफी घण्टो की मेंहनत करके देवा के पसीने निकल जाते है तो वो पास ही के पेड़ के नीचे जा कर लेट जाता है…
उसकी आँख लग जाती है।
देवा उस पेड़ के निचे बहुत आराम महसूस करता हुआ नींद के आग़ोश में चला जाता है।
कुछ देर बाद बारिश शुरू हो जाती है जिससे उसकी नींद खुल जाती है…
देवा बारिश से बचने के लिए खलियान में चला जाता है।
जहां खेतो में काम करने का सामन खाद वग़ैरह रखी रहती है।
खालियान भी कुछ ख़ास अच्छा नहीं बना हुआ था।
छत से पानी तपक रहा था।
देवा खैर जमीन पर जाकर बैठ जाता है और पिछले कुछ दिनों को याद करने लगता है की कैसे उसकी जिंदगी ने एक अलग ही मोर ले लिया है।
देवा इस सोच में डूबे हुए अपनी किस्मत को कोसता है की…
“अगर नीलम मुझसे दुर हो गयी तो मै कैसे जियूँगा…।।मर जाऊंगा मै तो नीलम के बिना…”
और देवा फिर से रोने लगता है
 
कुछ पल रोने के बाद देवा को फिर से उसी औरत की बात याद आ जाती है और वो रोना बंद कर देता है,
और वही बैठे बारिश के रुकने का इन्तजार करता है…
लगभग आधे घंटे चलि बारिश की वजह से खेत में काम करना आज मुमकिन नहीं था।
इसलिये देवा ने अपने घर लौटने का फैसला लिया और चल दिया।
रास्ते में उसके कान में किसी की आवाज पड़ी जो उसका नाम ले रही थी।
देवा ने पीछे मुड़कर देखा तो यह वैध जी की बहु किरण थी।
किरण देवा को देखकर मुस्करायी, देवा के चेहरे पर का भाव नहीं बदला।
किरन :“कैसे हो देवा…”
देवा:“ठीक हूँ…”
किरण: “भाभी को तो याद ही नहीं करते अब, पदमा में ही लगे रहते हो क्या…”
देवा:“नहीं भाभी वो तो पेट से है वैसे भी, और ऐसा कुछ नहीं है…मै तो आपसे कुछ दिन पहले मिलने की सोच ही रहा था पर क्या करता काम से फुर्सत नहीं मिलति, रात को थक कर सो जाता हूँ…”
किरण: “पदमा को पेट से तो होना ही था। आखिर इतना तगड़ा लंड जो मिला था…”
किरण ने देवा के लंड पर हाथ चलाते हुए कहा।
देवा:“यह क्या कर रही हो तुम यहाँ खुले आम…”
देवा किरण का हाथ झटक कर हटा देता है।
किरण हँसती है, “शर्म आ रही है तुम्हे यहां तो आओ घर चलते है मेरे…”
देवा “नहीं इस समय मन नही है मेरा, कुछ दिन में आता हूँ।”
और देवा किरण को पीछे छोड आगे बढ़ जाता है।
किरण को थोड़ा बुरा लगता है पर उसे भी लगता है की देवा इस वक़्त परेशान है।
उसके चेहरे के हाव भाव से।
देवा भारी मन के साथ अपने घर की तरफ चलते जा रहा था।
किरण से मिलने के बाद उसका मन और भारी हो गया था।
ये याद करके की उसने अपनी माँ और नूतन के अलावा भी कितनी सारी औरतो के साथ सम्बन्ध बनाये है।
नीलम को जब पता चलेगा तो वो अपने प्यार के बारे में क्या क्या सोचेगी…
देवा घर पहुँच जाता है और रत्ना उसका स्वागत करती है।
रत्ना: “आओ…खाना तैयार है, हाथ मुह धो आओ…”
देवा हाथ मुँह धोके आ जाता है।
रत्ना और देवा साथ खाना खाते है…
खाना खाते हुए देवा रत्ना से फिर से पूछता है…
“माँ अब तो बताओ की क्या बात हुई थी…”
 
अपडेट 126




देवा बड़ी आस लगाता हुआ अपनी माँ रत्ना से पूछता है की आखिर शालु और नीलम क्या कह कर गए है सुबह.......

रत्ना देवा को देखती है और कहती है… “बात साफ़ साफ़ करके गए है वह…”
देवा डर जाता है, “मतलब क्या साफ़ करके ?”
रत्ना: “मतलब यह की आखिर कितनी जल्दी यह शादी करायी जा सकती है……………”
और यह कहते हुए रत्ना मुस्कुराती है…
देवा रत्ना की बात को समझने में थोड़ा समय लगाता है और उसकी मुस्कान से समझ जाता है।
देवाचौंकते हुए) “क्या”

रत्ना हँसने लगती है, “हाँ बेटा, तुम दूल्हे राजा बनने वाले हो बहुत जल्द…नीलम को हमारा रिश्ता क़बूल है…”
देवा को यह सुनकर ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहता और वो तुरंत उठकर अपनी माँ को गले से लगा लेता है…।
“माँ सच्ची कह रही हो न…।”
रत्ना “मुची…”
देवा का तो ख़ुशी का कुछ ठिकाना ही नहीं रहता वो वही खड़ा नाचना शुरू कर देता है यह जानकार की नीलम ने हाँ कर दी है शादी के लिए और उसका और उसकी माँ के बीच के रिश्ते को भी क़बूल कर लिया है।
देव, “माँ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है की नीलम को हमारा रिश्ता क़बूल है…यह कैसे हुआ ”
रत्ना: “हैरान तो मै भी हूँ, जब सुबह माँ बेटी आये तो मुझे लगा की क्या होगा, मै तो नीलम से नजर तक नही मिला पा रही थी, कुछ देर बाद सब बाते खुलकर सामने आने लगी, फिर नीलम ने मेरा हाथ पकड लिया और मुझसे कहा की वो समझती है मेरे दर्द को इसलिए उसे हमारे बीच के रिश्ते से कोई नाराजगी नहीं है…”
देवा रत्ना की बातो को गौर से सुनता है और जान कर थोड़ा हैरान भी होता है की नीलम ने ऐसा कहा।

रत्ना:“उसे तुमसे कोई शिकायत नही, वो जानती है की तुम उसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हो, और जो हमारे बीच चल रहा है उसका उसकी जिंदगी पर असर ज्यादा नहीं पड़ने वाला…।वह तुमसे अब भी उतना ही प्यार करती है देवा…”
देवा मन ही मन शेरा वाली का धन्यवाद करता है और उस औरत की बातो को याद करता है की उसने बिलकुल सही कहा था अपने प्यार पर भरोसा रखने वाली बात के बारे में।
देवा की ख़ुशी उसकी आँखों से निकलते ख़ुशी के आँसुओ से भी पता लग रही थी।
 
वह बहुत ज्यादा ख़ुशी से अपनी माँ की बातो को सुनता हुआ रो रहा था…।
एक मजबूत मरद है देवा।
लेकिन प्यार से दुर होने का दर्द अच्छे अच्छो को रुला देता है,
और अंदर ही अंदर तोड़ देता है।
देवा खुद को ख़ुशनसीब मानता है की उसे नीलम जैसी प्रेमिका मिली है जो उसके और उसकी माँ के बारे में भी सोचती है…
देवा:“माँ मै बहुत खुश हूँ आज मेरा मन तो कर रहा है की अभी जाकर नीलम से लिपट जाऊँ…”
रत्ना:“नही अभी नही, ज्यादा मत उडो…कही नाराज न हो जाये इस बार…कुछ दिन रुको…”
देवा हँसता है और सोचता है की माँ सही ही कह रही है…
फिर देवा खाना खाने दोबारा बैठ जाता है और खाना ख़तम करके दोबारा अपनी माँ से लिपट कर अपनी ख़ुशी जाहिर करता है…
रत्ना “अब तो खुश है न तू बेटा, तेरी नीलम तेरे से दुर नहीं हो रही है…बल्कि अब तो तुम दोनों के रिश्ते में और गहराई आ जायेगी जैसे जैसे तुम एक दूसरे के बारे और जानते जाओगे…।”
देवा: “माँ मै सच्ची बहुत खुश हूँ । मेरा जैसे नया जनम हुआ हो आज ऐसा लग रहा है, माँ का धन्यवाद की मेरी नीलम मुझसे दुर नहीं हुई…और नहीं तुम्हारे और मेरे बीच के रिश्ते को कोई आंच आयी...”
रत्ना: “हाँ बेटे अब जबकि नीलम सब जानती है तो आगे की जिंदगी अच्छे से बीतेगी…सब कुछ पहले ही साफ़ हो जाये तो अच्छा रहता है…”
रत्ना शैतानी मुस्कान के साथ यह कहती है।
देवा भी रत्ना की बातो को समझता हुआ मुस्कराता है…
माँ बेटे कुछ देर ऐसे ही बाते करते है।
देवा “माँ तो शादी कब करनी है…”

रत्ना:“अभी पंडित को बुलाएँगे, शालु भी चाहती है की जल्द से जल्द यह शादी सम्पन हो जाये…ताकि वो भी अपने घर मजे कर सके अच्छे से…”
देवा:“माँ नीलम से तो पक्का कर लिया है न उसे तो कोई ऐतराज नहि जल्दी शादी से ?”
रत्ना: “हाँ बेटा मैंने पूछ लिया था, उसे कोई ऐतराज नहीं…वो भी जल्दी से जल्दी तुम्हारी बहु बनकर इस घर में आना चाहती है”
देवा ख़ुशी से पागल हो चुका था, नीलम के साथ अपनी शादी की बात सुनकर।
देवा:“माँ मुझे तो यह सब सपना लग रहा है अब भी…।”
रत्ना: “यह हक़ीकत है मेरे बच्चे…”
रत्ना देवा का सर सहलाते हुए घर के कामो के लिए चलि जाती है।
 
देवा बैठा अपनी ख़ुशी को थामे आने वाले समय के बारे में सोचने लगता है।
फिर देवा वहां से उठ कर अपने घर के बारामदे में चला जाता है।
बारिश फिर से शुरू हो गयी थी।
वह वही खड़ा बारिश की ठण्डक को महसूस करने लगता है।
मिट्टी की खुशबु का आनंद लेने लगता है…।
अब उसका मन थोड़ा हल्का महसूस करता है…
अब भी थोडा भारी था और वो इसलिए क्युकी वो अभी तक नीलम से सही से नहीं मिला था।
पर रत्ना ने उसे कुछ दिन नीलम से मिलने जाने के लिए मना कर दिया था।
जिस वजह से वह मजबूर था…
कुछ पल देवा अपने बारामदे में खड़े बारिश की गिरती हुई बूंदो को देखता हुआ गहरी गहरी साँस लेता हुआ खुद को रिलैक्स करता है।
अपनी आँखों को बंद करके…
और कुछ पलो के बाद उन्हें खोलता है।
उसे तब अपने घर से कुछ फुट दुर नीलम बारिश में खड़ी भींगती हुई उसे ही देखती दिखाई देती है।
वह पूरी भीगी हुई थी और एक टक देवा को ही देख रही थी…
देवा नीलम को वहां खड़े देख चौंक जाता है, की आखिर नीलम यहाँ क्या कर रही है…
क्या वो जो देख रहा है वो सच भी है या फिर उसे सिर्फ भ्रम हुआ है की सामने नीलम खड़ी है…
देवा मूरत बना यह सब खड़े खड़े देखता रहता है और यही नहीं समझ पा रहा है की जो कुछ हो रहा है वो सच भी है या नहीं…
नीलम देवा को एक टक देखती हुए बिना हिले बारिश में भीग रही थी…
देवा को कुछ पलो बाद एहसास होता है की शायद नीलम सच में वहां है…
इसलिये वो ख़ुशी से और पागल हो जाता है और अपनी बांहे खोल देता है और नीलम को अपने गले लगाने की पोज़ मारता है…
नीलम देवा को ऐसा करते देखती है।
और उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाती है…
नीलम को खुश देखकर देवा के मन को और राहत पहुँचती है वो कहता है।
देवा: “नीलम अपने देवा को पूरा करो……”
नीलम देवा की बात सुनकर दौडते हुए देवा की तरफ आने लगती है।
 
बारीश का पानी नीलम के पूरे बदन को भिगो चुकी थी।
उसके भागने की वजह से पानी उसके चारो तरफ छलक रहा था, नीलम एक प्यारी सी मुस्कान के साथ जो किसी भी मरद को लुभा ले नीलम अपने देवा की तरफ भागते हुए ला रही थी…
नीलम के हर छोटे कदम के साथ देवा की ख़ुशी बढ़ती जा रही थी।
ये लम्हा किसी रोमांटिक मूवी की तरह हो रहा था।
वक्त ने तो जैसे सिर्फ इन दो प्रेमियो की ख़ुशी के लिए अपनी चाल हलकी कर दी हो ऐसा प्रतीत हो रहा था…
देवा और नीलम का प्यार एक मिसाल बनने लायक है।
ऐसा प्यार जो सिर्फ जिस्मानी नहीं है रूह से रूह बँधा हुआ है।
देवा और नीलम दो जिस्म एक जान है, लैला मजनू, हीर राँझा के बाद देवा नीलम वाली उपाधि भी शायद इनके प्यार को एक छोटा सा मुकाम दे इतना बड़ा है इनका प्यार…
देवा बांहे फ़ैलाये अपनी नीलम से गले लगने को बेताब थे।
नीलम भी भागति हुई अपने देवा की बांहो में बसना चाहती थी यह उसकी उत्तेजना से पता चल रहा था जिसके बल पर नीलम बारिश में भीगती हुई भाग रही थी…
ये लमहा तो जैसे समय की चाल को धीरे कर चुका था।

आखिरकार,नीलम देवा की बांहो में समां गई और देवा ने उसे अपने सीने से जकड लिया
और दोनों ने एक गहरी लम्बी साँस लेते हुए जोर जोर से रोना शुरू कर दिया…
दोनो एक दूसरे से कस कर लिपटे हुए थे।


नीलम के भिगने की वजह से उसे देवा के शरीर की गर्मी और अच्छी लग रही थी।
और देवा के होठो को सिर्फ अपने प्यार के स्पर्श मात्र ने ही मंत्रमुग्ध कर दिया था।
उसकी तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा था।
दोनो एक दूसरे से कस कर लिपटे हुए थे और रो रहे थे…
देवा: “नीलम…”
नीलम: “नहीं…कुछ मत बोला नहीं…बस कुछ नहीं…।
नीलम देवा को शांत करके बस उससे लिपटी रहती है…
ये सबुत है सच्चे प्यार का…
नीलम को अपने प्रेमी से किसी बात की आशा नही है सिवाये इसके की वह उसे बेइन्तेहा मोहब्बत करे……
जो की देवा करता ही है…
ये एक और वजह थी की नीलम को देवा और रत्ना के रिश्ते से परेशानी नही थी।
नीलम देवा को और कस कर अपनी बाहों में जकड लेती है।
 
उसकी आँखों से गिरते आंसू ख़ुशी के थे।
उस ख़ुशी के जिसकी वजह से देवा और नीलम और क़रीब हो गए थे एक दूसरे के…
देवा भी अपनी नीलम को बांहो में जकड़े उसके स्पर्श से अपने मन को ढिला कर देता है, देवा की सारी परेशानिया, सारा दुःख जैसे छू मंतर हो गया था…
दोनो प्रेमी एक दूसरे से ऐसे ही लिपटे चुपचाप अपने प्यार की गर्मी से एक दूसरे को ठण्डक पंहुचा रहे थे…

नीलम के नारी स्पर्श देवा को अलग ही एहसास पहूँचाती है, चुदाई का नहीं पर उस बेहिसाब मोहब्बत को जिस मे कोई वासना नही होती।
होता है तो बस अनकंडीशनल लव…
ऐसे ही दोनों एक दूसरे से लिपटे बिना बोले अपने प्यार का इज़हार करते है।
फिर देवा नीलम का सर अपने सिने से पकड़ कर ऊपर करता है और उसके माथे पे चुमता है।
नीलम देवा की आँखों से निकलते आसुओ को देख कर उसके सीने से फिर से लिपट जाती है।
नीलम:“यह आंसू…”
देव, “हम्म ....खुशी के है…सिर्फ ख़ुशी के…अपनी जिंदगी से…अपने पुनर्जन्म से…मिली ख़ुशी के…”
नीलम अपनी गर्दन ऊपर उठती है और अपनी उंगलियो से देवा के आंसू पोछते हुए उसके गालो पर चुमती है…
नीलम: “तुम्हारी जिंदगी तुम्हारे पास ही थी देवेंद्र…”
नीलम ने देवा का पूरा नाम लेते हुए उससे कहा।
देवा “और हमेशा साथ ही रहेगी…”
देवा ने नीलम के हाथ को चुमते हुए कहा…
नीलम मुस्कुराती हुई देवा से अलग हुई…
नीलम: “कल मिलते है…मैं चाहती हुँ की हमारा प्यार और गहराये…”
देवा: “मतलब…”
नीलम(मुस्कुराते हुए): “कल मिलते है…नदी किनारे…आ जाना…मैं इन्तजार करूंगी…दोपहर के खाने के वक़्त…मेरे साथ ही खाना…”

देवा “पर यह तो बताओ की…”
नीलम : इस्सश्ह…कल…”
और नीलम आगे बढ़कर देवा के होठो को एक पल के लिए चुम लेती है…
देवा भी अपनी नीलम को चुमने लगता है…
बहुत प्यार भरा था इस चुम्बन में आज…
नीलम पीछे कदम रखते हुए मुस्कुराते हुए वहां से भाग जाती है…
 
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