Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 81 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

हिम्मत ने थोड़ी देर उसकी बुर चाट कर गर्म किया और जैसे ही वो झड़ने को हुई उससे पहले उसकी बुर चाटना छोड़ दिया।
सरिता बोली- अंकल जल्दी कुछ करो न … मेरे नीचे कुछ हो रहा है या तो उसे रगड़ो या मेरी उसको चाटो.
हिम्मत :एक बात सुन ले बेटी, मेरे इसको लंड कहते हैं और तेरी इसको बुर …
उसकी बुर पर हिम्मत हाथ घुमाते हुए बोला।

हिम्मत: और हां आज तुझे मजा मैं नहीं … मेरा ये लंड देगा। देख इसमें बहुत मजा आता है चाटने से भी बहुत ज्यादा मजा। पर पहले दिन थोड़ा सा दर्द भी होता है। तुझे वो दर्द सहन करना पड़ेगा, वो भी सिर्फ आज ही बस … कल से तो तुझे बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा, सिर्फ मजा ही मजा आएगा।
सरिता बड़े ध्यान से हिम्मत की बात सुन रही थी।

हिम्मत: एक बात और इस बारे में तो किसी को भी किसी भी हालत में नहीं बताना है. बोल सह लेगी थोड़ा सा दर्द?
सरिता: हां सह लूँगी … पर मजा तो दिलवाओ और आप चिंता न करो, बस खेल शुरू करो।
हिम्मत: तो आज मैं अपने लंड को तेरी इस बुर में घुसाउंगा।
सरिता: पर अंकल वहां तो उंगली भी नहीं जा रही थी, इतना बड़ा लंड कैसे जाएगा?
हिम्मत: सब चला जाएगा. बस थोड़ा सा दर्द सहन करना और चाहे कुछ भी हो जाए चिल्लाना नहीं। नहीं तो बाकि रुपये जैसे ही तू चिल्लाई … नहीं दूंगा।
सरिता- नहीं नहीं अंकल मैं नहीं चिल्लाऊंगी, पर जरा आराम से अन्दर डालना। मुझे डर लग रहा है।
हिम्मत: अब तक हमने जो भी किया है। तुझे डर लगा क्या? डर मत मैं हूँ न तेरे साथ। बस थोड़ी देर के दर्द के बाद जिंदगी भर मजे ही मजे हैं। तू जरा भी चिंता मत कर। अब जरा इसे चूस दे ये आज तुझे बहुत मजे करवाएगा।

उसने हिम्मत के लंड को चूस कर और सख्त कर दिया। हिम्मत ने अपने लंड पर ऊपर तक तेल चुपड़ लिया और उसकी बुर में भी जहां तक तेल जा सकता था, उतना तेल से तर कर लिया। फिर उसकी कमर के नीचे एक तकिया रखा, जिससे उसकी बुर जरा ऊपर को उठ गई।
फिर हिम्मत उसकी टांगों के बीच एक पुराना तौलिया बिछा दिया, ताकि बिस्तर खराब न होने पाए। सारी तैयारी करने के बाद हिम्मत ने अपने लंड का सुपाडा उसकी कोमल सी छोटी सी कुँवारी बुर के मुहाने पर रखा और उस पर उसे रगड़ने लगा।
 
बड़ी फिसलन थी, लंड सेंटर पर लग ही नहीं रहा था। हिम्मत ने एक हाथ से लंड पकड़ कर उसकी टांगें फैलाकर लंड को निशाने पर रखा और उसके होंठों से होंठ मिलाकर एक हल्का सा झटका मारा तो लंड का टोपा अन्दर घुस गया था, पर वो छटपटाने लगी।
हिम्मत ने उसके होंठों पर हाथ रखकर कहा: बस यही दर्द है, थोड़ा सा सहन करो बस अभी थोड़ी देर में ही दर्द सही हो जाएगा।

हिम्मत ने लंड को वैसे ही फंसे रहने दिया और उसे सहलाने चाटने चूसने लगा. उसकी चुचियों को सहलाने से उसका ध्यान दर्द से हटकर उस तरफ हो गया। जिससे थोड़ी ही देर में वो नार्मल हो गयी।
हिम्मत: अब दर्द कम है न सरिता बेटी ?
उसने हां में सर हिलाया।

हिम्मत ने उसे सहलाते सहलाते ही एक झटका और मारा तो लंड थोड़ा सा अन्दर और घुस गया। उसकी बुर तो बहुत ज्यादा टाइट थी, लंड को उसकी बुर के अन्दर जाने में बहुत मेहनत करनी पड़ रही थी।
हिम्मत ने लंड पेलने के बाद जैसे ही उसका मुँह खोला, वो रोने लगी- अंकल नहीं, निकाल लो इसे, मैं नहीं सह पाऊंगी। मुझे बहुत दर्द हो रहा है।
हिम्मत: तो ठीक है बाकि 5 हज़ार रुपये कैंसिल। दर्द सहने के ही तो 10 हज़ार रुपये मिल रहे हैं। वो ही तू सहन नहीं कर पा रही है। मैंने कहा भी था कि थोड़ी देर का दर्द है, थोड़ा औऱ दर्द होगा, फिर कभी नहीं होगा। अभी मजा आने लगेगा. फिर भी नहीं करना तो ठीक है, मैं निकाल लेता हूं। अब यहां आना भी मत।
सरिता रोने लगी- अंकल मैं क्या करूँ मुझे बहुत दर्द हो रहा है … ऐसा लग रहा है आपका लंड नहीं, चाकू अन्दर गया है। मेरी बुर फट सी रही है।

बात तो उसकी सही थी इतनी छोटी सी बुर में इतना मोटा लंड जाएगा, तो उसने फटना ही था। पर हिम्मत ने उसे समझाया- देख आधा दर्द तो तूने सह भी लिया है … बस और थोड़ा सा दर्द होगा फिर 5 हज़ार रुपये भी तेरे और मजा भी आएगा। थोड़ी देर की बात है।

हिम्मत ने उसकी पैंटी को उसके मुँह के अन्दर डाला और उसका मुँह हाथ से दबा लिया। लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर एक जोरदार झटका मारा लंड उसकी बुर फाड़ता हुआ आधा अन्दर घुस गया। उसकी सील टूट चुकी थी। उसका गर्म गर्म निकलता हुआ खून हिम्मत को अपने लंड पर महसूस हो रहा था । हिम्मत का लंड भी उसकी बुर पर बुरी तरह फंसा हुआ था। उसका तो बुरा हाल था. उसके मुँह में पेंटी डाली होने के कारण गूं गूं की ही आवाज बाहर आ रही थी। उसकी आंखें दर्द की अधिकता से बाहर को आने लगी थीं। वो हिम्मत को अपने ऊपर से हटाने की असफल कोशिश कर रही थी।
 
करीब 5 मिनट तक हिम्मत उसके ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा, लंड को जरा भी हरकत नहीं दी। जब वो फिर से जरा सा नार्मल सी लगी, तो हिम्मत ने उससे कहा- बस हो गया सरिता, अब मजा आएगा।

हिम्मत ने उसकी पैंटी उसके मुँह से निकाल दी औऱ फिर उसके होंठ अपने होठों से दबाकर हिम्मत ने फिर से एक जोरदार झटके के साथ ही पूरा लंड उसकी बुर में उतार दिया. वो तो बेहोश हो गयी। थोड़ी देर के लिए तो हिम्मत भी डर गया. बुर खुल चुकी थी लंड बाहर निकालते ही उसमें से खून की धार बाहर आने लगी। पर हिम्मत को पता था ये कमसिन लड़की आराम से लंड ले लेगी. क्योंकि बाहर के देशों में इससे भी कम उम्र की लड़कियां लंड का मजा ले चुकी होती हैं।

हिम्मत ने पास रखे कपड़े से उसकी बुर से निकल रहे खून और अपने लंड पर लगे खून को साफ किया और फिर उसकी बुर में आराम से लंड घुसा दिया। इस बार भी लंड टाइट ही अन्दर गया था, पर वो तो बेहोश पड़ी थी। हिम्मत किसी जानवर की तरह लंड अन्दर बाहर करने लगा ताकि उसके होश में आने से पहले लंड उसकी बुर को पूरा खोल सके।

हिम्मत राव अब पूरा जानवर बन चूका था।वह सरिता के छोटे छोटे निप्पलों को अपने दांतों से काट रहा था। और सरिता की बुर में अपना लंड पूरी ताकत के साथ पेल रहा था।

हिम्मत: साली रंडी तू क्या समझती है बेहोश हो गई तो तुझे छोड़ दूँगा साली रंडी। तुझे तो मैं ऐसे पेलूँगा की आज के बाद तेरी बुर में आदमी क्या घोड़े का भी लंड चला जाएगा। साली क्या गरम कुतिया है तू । तू मेरी ज़िन्दगी में आनेवाली सबसे छोटी रंडी है ।

हिम्मत सचमुच का दरिंदा था।उसने सरिता को कितनी शराफत से सेक्स के लिए तैयार किया था।लेकिन अब अपनी असलियत दिखाने लगा था।

हिम्मत ने आधे घंटे तक बेहोशी में ही सरिता की चूत को फाड़ता रहा।सरिता बेहोशी में भी दर्द से कराहने लगती।अब सरिता की चूत कुछ ढीली हो चुकी थी।

थोड़ी देर बाद वो होश में आने लगी, तो हिम्मत ने धक्के लगाने बंद कर दिए. हिम्मत ने उसे अपनी गोद में बिठा लिया, पर लंड नहीं निकाला। फिर पास में रखी पानी की बोतल से उसे पानी पिलाया और पहले से ही लाई हुई दर्द निवारक गोली भी खिला दी। क्योंकि असली दर्द तो उसे चुदाई के बाद पता चलने वाला था।

सरिता रोने लगी: अंकल मैं मर जाऊंगी … निकाल लो अपना लंड मेरी बुर से. सहन नहीं हो रहा है। मेरी बुर फाड़ दी आपने। इतना दर्द होगा पता होता तो कभी नहीं करवाती। अंकल अपनी माँ को बचाने के लिए रुपये के लालच ने तो मेरी जान ही ले ली।
 
हिम्मत: सरिता आज तक चुदाई से कोई भी नहीं मरा है … सभी लोग चुदाई करते हैं। इससे ज्यादा मजा किसी खेल में नहीं आता है। वैसे भी जो होना था सब हो गया। देख मेरा पूरा लंड तेरी बुर ने निगल लिया है। अब दर्द नहीं सिर्फ मजे ही मजे हैं। इस खेल में तुझे लगता है 5 हज़ार रुपये में तेरी हालत खराब हो गयी है … तो ये ले बाकि के 5 हज़ार रुपये तेरे दर्द सहने के और 1 हज़ार रुपये और दूंगा खेल खत्म होने के बाद।

अब लालच से सरिता की आंखें चमकने लगीं. हिम्मत ने भी समझ लिया मेरा काम बन गया। पैसों के लिए तो अब ये मेरा पूरा लंड उछल उछल कर लेगी।
हिम्मत: चलो अब दर्द से ध्यान हटाओ औऱ मजे में ध्यान लगाओ, फिर तुम्हें दर्द महसूस नहीं होगा।

हिम्मत ने उसकी चूचियां मसलीं और होंठ चूसे तो वो नार्मल होने लगी. हिम्मत ने उसे फिर लिटा दिया औऱ लंड को धीरे धीरे उसकी बुर के अन्दर अन्दर बाहर करने लगा. उसके लंड के हर चोट पर उसकी कराह उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल रही थी। हिम्मत का मजा और बढ़ रहा था। लंड तो खुशी से और बडा हो गया था, जो इस उम्र में भी कमसिन कुंवारी बुर फाड़ रहा था। जिस बुर में अभी अभी बाल आने शुरू ही हुए थे, उसमें हिम्मत का मोटा लंड अन्दर तक घुस कर सवारी कर रहा था।

धीरे धीरे उसकी पूरी बुर गीली हो गयी, शायद उसे भी मजा आने लगा था। अब लंड आराम से अन्दर बाहर हो रहा था। हिम्मत ने रफ्तार बढ़ा दी। उसका पूरा लंड पिस्टन की भांति सरिता की बुर में अन्दर बाहर हो रहा था। हिम्मत के हर धक्के में उसकी कराह निकल रही थी, पर आज किसी बात का डर नहीं था। होटल का कमरा साउंड प्रूफ था। हिम्मत उसे पूरी मस्ती में चोद रहा था। कुछ मिनट तक हिम्मत ने उसे अलग अलग आसनों में चोदा।

उसका भी बुरा हाल था. न जाने कितनी बार वो झड़ चुकी थी। उसकी मस्त बुर मारते मारते हिम्मत के लंड ने भी अब जवाब दे दिया। हिम्मत ने उसकी बुर में लगातार पिचकारी मारनी शुरू कर दी। ऐसा लग रहा था, उसकी बुर हिम्मत के लंड को औऱ अन्दर तक खींच रही थी और हिम्मत अपनी पूरी जान अपने लंड के रास्ते उसकी बुर में जैसे लबालब भर दिया। हिम्मत भी निढाल होकर उसके ऊपर ढेर हो गया।

थोड़ी देर बाद हिम्मत ने जब लंड को उसकी वीर्य से लबालब भरी बुर से बाहर निकाला, तो उसमें से वीर्य और खून की धार बहने लगी। हिम्मत ने उसकी ही पैंटी से अपना और उसका मिक्स वीर्य के साथ निकला खून साफ किया। थोड़ी देर बाद हिम्मत उसे बाथरूम ले गया औऱ अच्छे से उसकी बुर गर्म पानी से साफ की ताकि उसकी बुर की अच्छी सिकाई हो सके।
 
उसकी पूरी बुर फट चुकी थी। हिम्मत उसे उठाकर बिस्तर में लिटा दिया औऱ एक दर्दनिवारक गोली और आईपिल उसे खिला दिया।

उसे बहुत दर्द हो रहा था, पर अपनी माँ को बचाने के लालच में पट्ठी अपनी बुर फड़वा ही चुकी थी। हिम्मत ने उसे थोड़ी देर आराम करने को कहा। वो वही बिस्तर में थोड़ी देर बाद सो गई. शाम को जब वो जगी, तो अब उसका दर्द थोड़ा कम था। पर उसकी चाल लंगड़ा रही थी। आखिर चाल बिगड़ती भी क्यों नहीं, जिस बुर में कभी उंगली तक नहीं गयी थी, आज उसमें वो पूरा का पूरा लंड लेकर बैठी थी।

हिम्मत ने उसे रूम पर ही थोड़ी देर चलाया जब उसकी चाल थोड़ा ठीक हुई, तो हिम्मत ने उससे कहा: सरिता अगर मम्मी ने पूछ लिया लंगड़ा क्यों रही है, तो बात देना आज गली में फिसल गई थी, पर ये चुदाई की की बात बिल्कुल भी मत बताना।
उसने हां में सर हिलाया। हिम्मत का एक बार और उसे चोदने का मन था, पर उसकी हालत बहुत खराब थी। उसकी बुर सूजी हुई थी।

हिम्मत ने उसे कपड़े पहनाये और उसे 5 हज़ार इलाज के और 1 हज़ार दर्द सहने के लिए रुपये देते हुए घर जाकर आराम करने को बोला । और वेटर को बुलाकर उसके साथ लड़की को घर भेज दिया।
वो लड़खड़ाते हुए अपने घर चली गयी।




कुछ देर बाद हिम्मत विक्रांत के एक आदमी के पास मिलने गया। हिम्मत ने उस आदमी को देवा को ख़त्म करने के लिए कुछ उपाय करने को कहा।

उस आदमी ने बताया की विक्रांत के साथ उसके सभी साथी भी जेल में है। आप चिंता ना करे मैं आपके गाँव जाता हूँ वहाँ पड़ोस के जंगल के पास जो दारू का अड्डा है वहाँ मेरी पहचान के कुछ आदमी है मैं उनसे काम करवा लूँगा।आप पैसे दीजिये।हमलोग देवा को जल्दी ही ख़त्म का देंगे।हिम्मत राव उस आदमी को पैसे देकर अपने होटल चला जाता है।


उस दिन झाड़ियों में वही आदमी था।जिससे बाकि आदमी पैसो के लेंन देन की बातें कर रहे थे और उसे बाउजी बोल रहे थे।
 
अपडेट 129 पार्ट 2




अब इधर देवा के पास चलते है।
रश्मी की गांड की दमदार चुदाई के बाद देवा की आँख लग गयी थी।
जब वो उठा तब तक रश्मि जा चुकी थी और वो कच्छे में सोया हुआ था और दोपहर हो चुकी थी।
आज उसे नीलम से भी मिलना था तो वो अपने कपडे पहन कर नदी की तरफ चल पडा।
नड़ी किनारे उसे एक लड़की भी दिखाई दी जो एक चादर बिछाये सलवार कमीज में बैठी हुई थी।
उसकी पीठ देवा की तरफ थी।
देवा को समझने में देर नहीं लगी की वो नीलम ही थी…
देवा: “आज मौसम बड़ा खुशमुना है…”
नीलाम आवाज सुनकर पीछे देखती है और देवा को देख कर कहती है।
“हाँ कुछ अलग ही चल रहा है मौसम आज कल…
मेरा मतलब खुशनुमा बहुत ज्यादा…”
देवा नीलम की बात से मुस्कुराया और उसके पास आकर चादर पर बैठ गया…
देवा “बहुत भूख लगी है ”
नीलाम देवा को देखती है और फिर मुस्कराती है, “क्यों ऐसी क्या मेंहनत करके आये हो अपने खेतो में…”
देवा नीलम की बात सुन कर थोड़ा सोच में पड जाता है।
देवा(मन में), “तेरी बहन चोद कर आ रहा हुँ…”
देवा:“आज ज्यादा काम नहीं था पर तब भी भूख लगी है…”
नीलम देवा को देख कर खाना निकलती है और उसके सामने परोस देती है।
देवा, खाने पर टूट पड़ता है…
नीलम, “देवा तुम तो जानते ही हो की मै तुमसे कितना प्यार करती हूँ…”
देव, “ह्म्मम ” और खाना जारी रखता है…
नीलम, “और मुझे तुम्हारे और रत्ना काकी के सम्बन्ध से भी कोई आपति नहीं है…”
देवा थोड़ा खांस्ता है, उसे नहीं लगा था की नीलम यह बात उससे बोलेगी…
देवा: “हाँ…मुझे पता है…”
नीलम: “हाँ माँ ने तुम्हे बताया ही होगा…”
देवा खाना खाना जारी रखता है…
नीलम:“तुम तो यह भी जानते हो की मेरे भाई और माँ के बीच भी यही सब चल रहा है…”
देव, “हाँ.....”
नीलम: “क्या और भी कुछ बाते है जो मुझसे छूप्पी हुई है मेरे परिवार के बारे में ”
देवा अपने मुँह में खाना चबा रहा था “नूतन भी जानती है सब…”
नीलम: “हाँ मुझे वो भी पता है…”
देवा:“तो और कोई बात नहीं है तुम्हारे परिवार के बारे में”
नीलम:“अब मेरे परिवार का हिस्सा तुम भी हो…”
देवा: नीलम का इशारा थोड़ा थोड़ा समझ रहा था पर तब भी बोला “हाँ मै जानता हूँ.....तो....”
नीलम: “तो यह की मै अब चाहती हूँ की हमारा रिश्ता और मजबूत हो…हम दोनों में राज़ न रखो…जो बाते हो मुझे बता दो बेझिझक…”
नीलम की बात सुनते हुए देवा खाना ख़तम कर चुका था।
देवा: मैं भी तुमसे बेपनाह प्यार करता हूँ, और तुमसे राज़ नहीं रखना चाहता, बताओ क्या जानना है तुम्हे…”
नीलम, “हर वो चीज जिससे तुम्हारी नीलम अन्जान है”।
 
देवा ने गहरी सास ली, और मन में सोचा, “क्या बताना चाहिए मुझे…कही नीलम इस बार मुझसे दुर न हो जाए।”
देवा कुछ पल शांत रहकर सोचता रहता है।
नीलम, “सोचो मत कुछ…ऐसी कोई बात नहीं जो तुम्हारे लिए मेरा प्यार कम कर दे देवा”
और नीलम ने आगे बढ़कर देवा के होठो पर चुम दिया…
देवा तभी अपने सोच से बाहर आते हुए नीलम को सारी बाते बताने के लिए राजी हो गया।
देवा “क्या सच्ची तुम नाराज नहीं होगी और मुझे छोड कर नहीं जाओगी सब जानकार नीलम…अगर तुम दुर हो गयी तो मै जी नहीं पाउँगा…”
नीलम: “तुम भरोसा रखो देवा तुम्हारी नीलम तुम्हे कभी छोड कर नहीं जाएगी… बस मौत ही तुम्हारी नीलम को तुमसे दुर ले जा सकने के लायक है…और
काई भी नहीं…”
देवा ने नीलम के होठो पर ऊँगली रख दी… “मौत आये तुम्हारे दुश्मनो को……ऐसी बात दोबारा मत कहना…”
देवा की बात सुनकर नीलम की आँखों में आंसू आ गए जिन्हे गिरने से पहले देवा ने अपने हाथो में ले लिया…
नीलम: “तुम मेरी ख़ुशी चाहते हो न देवा…तो मुझे उन सभी औरतो के नाम बताओ…और अपने प्यार पर भरोसा रखो तुम्हारे साथ ही रहेगा…”
नीलम की यह बात सुनकर देवा सोचने लगा की नीलम ने ऐसा क्यों कहा की सभी औरतो के नाम बताओ…
आखीर वो यह कैसे जानती है की मेरी जिंदगी में रत्ना के अलावा और भी है…
देवा को थोड़ा शक हुआ…
देवा: क्या तुमने ऐसा क्यों कहा नीलम, की औरतो के नाम बताओ…”
देवा की बात सुनकर नीलम ने अपने मुँह पर हाथ रख दिया…
नीलम: “नहीं मेरा मतलब था की जो औरत तुम्हारी जिंदगी में है उनके बारे में बताओ…”
देवा: झूठ भी बोलना नहीं आता मेरी नीलम को…”
देवा ने नीलम की ज़ुल्फ़े सही करते हुए कहा…
नीलम: “नहीं झूठ नहीं मैं..... देवा……”
देवा: “नीलम बताओ क्या बात है…तुमने ही कहा था की हमारे बीच राज़ नहीं रहना चाहिए…”
नीलम: “नहीं कुछ नहीं है देवा कोई राज़ नहीं है…वो तो मुँह से निकल गया था अचानक…”
देवा: नीलम की आँखों में देखने लगता है लगातार और कुछ ही पल में नीलम अपनी आँखे बंद कर लेती है…
देवा: “अपने प्यार पर भरोसा नहीं तुम्हे…”
नीलम कुछ नहीं बोलती…
देवा: “ठीक है मै समझ गया…”
और देवा उठने लगता है।
तभी एक हाथ उसका हाथ पकड़ लेता है।
जब वह पीछे मुडकर देखता है तो रश्मि को अपने सामने मुस्कराता हुआ पाता है…
 
रश्मि: “नीलम नहीं बोल पायेगी देवा, मै बताती हुँ की आखिर क्या बात है…”
देवा रश्मि को देख कर चौंक जाता है, “तुम यहाँ कब आयी”
रश्मि: “तुम्हारे आने से भी पहले… मै तो यहीं छुपकर तुम लोगो की बाते सुन रही थी”
देवा:“और वो क्यों…”
रश्मि:“पता चल जायेगा जल्दी ही…”
देवा को कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर हो क्या रहा है नीलम अपनी आँखे खोल चुकी थी।
नीलम: “रश्मि नहीं…”
रश्मि: “कोई बात नहीं है नीलम सब ठीक है…”
देवा: “यह हो क्या रहा है…”
रश्मी एक ही साँस में बोल देती है, “साली और जीजाजी की चुदाई का असर है सब देवा…”
देवा की तो यह सुनकर फट कर हाथ में आ जाती है,
उसका दिमाग एकदम सुन्न पड़ जाता है रश्मि की बात से....
रश्मी मुस्कुराते हुए देवा की तरफ और फिर नीलम की तरफ देख रही थी…
देवा: “यह क्या बकवास कर रही है तू रश्मि…”
रश्मि: “अच्छा अब बकवास लग रही है…कोई फायदा नहीं है जीजा जी आपकी होने वाली बीवी ने सब अपनी आँखों से देखा है…कैसे आपने अपनी आधि साली की गांड मारी है…”
देवा की तो एक दम माँ चुद जाती है यह सुनकर की नीलम ने देवा और रश्मि को चुदाई करते हुए देख लिया था।
उसे अचानक ही डर लगने लगता है और वो नीलम की तरफ नहीं देखता है…
रश्मि: “मेरे मोटे लंड वाले जीजा जी क्या हुआ सिट्टी पिट्टी क्यों गुम हो गयी…”
रश्मी हँसते हुए कहने लगी, पीछे से नीलम ने उसे चुप रहने का इशारा दिया…
रश्मि: “अरे मेरी बहना… भोली भाली बहना अब छोड भी दो यह शराफत और अपने होने वाले पति को बताओ की तुमने कितना मजा लिया है अपनी बहन की चुदाई का…”
नीलम रश्मि को एक थप्पड़ मारकर कहती है, “तू मुँह बंद करेगी अपना…”
देवा रश्मि की बात सुन कर सहम जाता है।
उसे डर लग रहा था नीलम से आँखे मिलाने में…
रश्मी अब चुप हो जाती है पर अब भी देवा की तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी…
देवा:मैं चलता हुँ खेतो में काम है…”
देवा आगे बढ़ता है तो नीलम उसे आवाज देने ही वाली थी की अचानक देवा का हाथ किसी ने पकड़ लिया।
देवा: “रश्मि मेरा हाथ छोड़ मुझे जाने दे”
शालु:“मैं शालु हुँ पीछे मुडकर देखो दामाद जी”
देवा के कानो में शालु की आवाज पड़ती है तो वो पीछे मुडता है…
 
देवा “काकी आप कब आयी…”
शालु: “तुमसे भी पहले हम तीनो यहाँ एक साथ आये थे…रश्मि को बहुत रोका मैंने पर वो आ गयी तुम्हारे पास अभी…”
देवा: “क्या आप लोग एक साथ यहाँ थे तो छूप कर क्या कर रहे थे…”
शालु, “तुम्हारे मुँह से सारी बाते सुनने का इन्तजार कर रहे थे पर नीलम के मुँह से गलती से कुछ शब्द निकल गए जिससे तुम्हे भनक लग गयी तो रश्मि मेरे मना करने पर भी बाहर आ गई ।”
देवा का सर चकरा रहा था “आखिर यह हो क्या रहा है…मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है…”

शालू:“देखो देवा यह सारा खेल हमारा रचा हुआ है। कल जब हम तुम्हारे घर से लौटे थे रिश्ता पक्का कर के तो घर पर रश्मि पप्पू से चुदवा रही थी जिसे नीलम ने देख लिया…सबसे बड़ी बात तो यह की रश्मि चुद्वाते हुए तुम्हारे को ही याद कर रही थी और उसने मेरा भी नाम ले लिया की मै भी तुमसे चुदवाती हुँ…इसलिये नीलम को यह सब पता चल गया की हम दोनों तुमसे चुद्वाते है।
पर नीलम ने कुछ बुरा नहीं माना, क्युकी उसे लगा की रश्मि झूठ बोल रही थी, इसलिए सच खुद जानने के लिए कल वो शाम तुम्हारे पास आयी थी और यहाँ आने का कहकर गयी……कल रात को आकर उसने मुझे और रश्मि को सारी बाते बता दी की उसने सब देखा है, पर उसे तब भी यकीन नहीं हुआ था।

मुझे लगा की अब कोई फायदा नहीं छुपा कर नीलम से कुछ, इसलिए उसके सामने सब साबित कर ही देते है तो इससे सबके बीच की बाते साफ़ हो जाएगी, तो मैंने रश्मि से कहा था की तुम आज सुबह उसके पास जाओ और यह बात साबित करवाओ…मैं नीलम को अपने साथ तुम्हारे खेतो पर ले गयी तब तुम रश्मि को अपनी बांहो में उठा कर अंदर ले जा रहे थे, कुछ पल बाद अंदर जाकर तुमने आगे जब करना शुरू किया तो हम लोग खिड़की से देखने लगे, पर जब उसने तुम्हे रश्मि के साथ देखा तो वो तुम्हे रोक ही नहीं पायी आगे करने से… और तुमने बातो ही बातो में सारा राज़ उगल दिया की तुमने उसे उसकी शादी की रात चोदा था और यह भी की तुम मुझे भी चोदते हो…

हम दोनों ने बाहर एक साथ तुम्हे रश्मि की गांड मारते हुए देखा था, जब चुदाई पूरी हो गयी और तुम सो रहे थे तब रश्मि ने दरवाजा खोला और हम अंदर आ गए तो मैंने ही नीलम के सामने तुम्हे कच्छा पहना दिया ताकि अगर अंदर कोई आ जाये तो तुम्हे नंगा न देख ले, फिर हम चले गये, तब तक नीलम को पता चल गया था की तुम अपनी माँ के अलावा मुझे नूतन और रश्मि को भी काफी समय से चोदते आ रहे हो…तो हमे लगा की शायद और भी कई औरते होंगी जिन्हे तुम चोदते हो, इसलिए हमने सोचा की तुमसे ही क्यों न पूछ ले सारा किस्सा…… इसलिए देवा अब सब जान चुके है तो बोल दो सब कुछ आज… नीलम तुमसे दुर नहीं होगी…बस राज़ बेनक़ाब कर दो सारे आज…”
शालु की बातो से देवा की गाण्ड फट गयी।

उसका चेहरा बेनक़ाब हो चुका है अब नीलम के सामने,
पर एक बात सुनकर देवा को ख़ुशी भी हुई की नीलम अब भी उससे दुर नहीं होना चाहती।
 
देवा “तुम सब ने मिलकर यह सब जान बुझ कर किया…”
देवा ने शालु रश्मि की तरफ देखते हुए कहा।
रश्मि: “जीजाजी समझिये नीलम का शक दुर करना जरुरी था नहीं तो वो यही सोचती रहती…अच्छा हुआ उसने हमे सब बता दिया..... हम भी डर गए थे सुनकर पर नीलम को देख कर लगा नहीं की इस बात से उसे बुरा लगा है इसलिए हमने चैन की साँस ली और यह खेल रचा, इसमें सबका अच्छा ही होगा, एक झूठ १०० झूठ को जनम देता है…पर सच भरोसा बढाता है…बोल दो देवा और डरो मत मै वायदा करती हूँ नीलम तुम्हारी ही रहेगी हम पर भी तुम्हारा हक होगा पर तुमपर और तुम्हारे प्यार पर सिर्फ और सिर्फ हमारी नीलम का हक़ होगा…नीलम तुम्हारी बीवी जरुर बनेगी…बस बोल दो कुछ मत छुपाओ…”
देवा फँस चुका था।
उसने पिछ्ली रात ही रत्ना को सब कुछ बताया था।
क्यूंकि रत्ना को बताना आसान था पर नीलम अपनी जान को खोने का डर देवा के मुँह को खुलने नहीं दे रहा था…
शालु: “बोलो देवा, भरोसा रखो हम पर…”
तभी अचानक पीछे नीलम खड़ी हो जाती है।
नीलम: “आप लोग मेरे देवा के पीछे क्यों पड गए हो… देख नहीं रहे उसे कितना पसीना आ गया है”
नीलम पानी की बोतल और रुमाल उठा कर देवा की तरफ बढाती है।
देवा नीलम को अपनी तरफ आता देख अपनी नज़रे नीचे झुका लेता है।
नीलम देवा के पास आकर उसका पसीना पोंछने लगती है और पानी उसे देती है…
देवा बोतल लेकर पानी पीता है।
नीलम: “मै तुमसे प्यार किसी चीज या मोहमाया के लिए नहीं किया है, मै तुम्हे चाहती हूँ, दिल से और जिस्म-ओ-जान से…मेरा रोम रोम तुमसे मोहब्बत करता है देवेन्द्र…”
और नीलम देवा के गले लग जाती है और उसकी आँखों से आँसू बहने लगते है।
देवा के कानो में नीलम के शब्द गूंजने लगते है और उसकी आँखों से पानी भी बहने लगता है…
नीलम देवा को गले लगाए रखती है और उसके कानो में देवा की आवाज पड़ती है…
देवा “पदमा काकी, हिम्मत राव की बीवी रुक्मणी और उसकी बेटी रानी,बिंदिया वैध जी की बहु किरण, मेरी मामी देवकी उनकी बहु और मेरी भाभी कौशल्या, ममता की सास कोमल और ननद प्रिया और खुद ममता, पदमा और काशी पेट से भी है”
नीलम देवा की बात सुनति है उससे गले लगे हुए ही और उसकी आँखे बंद हो जाती है और उसकी आँख से एक आंसू टपक कर गिर जाता है…
शालु और रश्मि, “क्या…इतनी सारी”
शालु और रश्मि का मुँह खुला का खुला रह जाता है…
 
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