Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 54 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

देवा; माँ....
वो आगे कुछ नहीं कह पाता।

रत्ना;अपना वादा भूल गया लगता है तु।

देवा;कौन सा वादा माँ।

रत्ना;वही वादा जो तूने मुझसे किया था।
अपने बापू के बारे में पता लगाने का।

रत्ना; ये कहकर अपने रूम की तरफ बढ़ने लगती है।
देवा;चीख़ पडता है और अपने लंड को पायजामे के ऊपर से पकड़ के कराहने लगता है।

देवा; आह्ह्ह माँ माँ माँ माँ मुझे बचा ले आह्ह्ह
इस में फिर से दर्द होने लगा है।

रत्ना;घबरा कर देवा के पास आकर बैठ जाती है।
बता मुझे कहाँ दर्द हो रहा है।

देवा; वही जहाँ रात में हो रहा था।

रत्ना;इसे उतार।

देवा;अपने पायजामे को नीचे उतार देता है और
अपने लंड को हाथ में पकड़ के हिलाने लगता है।
उसका लंड सच में बहुत कड़क हो चूका था नसे फूल चुकी थी।

रत्ना की ऑखों में उसे देख नशा सा छाने लगता है
वो अपने नाज़ुक से हाथों में देवा के लंड को पकड़ लेती है।

देवा;माँ कुछ भी करो मुझे बहुत दर्द हो रहा है ना।

रत्ना;क्या करूँ मैं।

देवा;वही जो रात में दर्द होने पर की थी तुमने आहह्ह्ह्
माँ मै मर जाऊँगा।

रत्ना;अपने हाथ में देवा के लंड को मज़बूती से पकड़ लेती है और अगले ही पल उसे अपने मुँह में खीच लेती है गलप्प गलप्प गलप्प।

देवा;चैन की साँस लेता है। धीरे से माँ दर्द हो रहा है ना आह्ह्ह

रत्ना;अपनी ज़ुबान को लंड के पूरे हिस्से पर घुम्मा घुम्मा कर उसे चाटने लगती है वो अपनी ऑंखें बंद कर लेती है और इसका फायदा उठाकर देवा उसकी ब्लाउज के दोनों बटन खोल देता है।
 
लंड चूस रही रत्ना को कोई भी परवाह नहीं थी की वो ऊपर से नंगी हो चुकी है बस वो तो अपने देवा के होने वाले लंड के दर्द को कम करने में लगी हुई थी।

देवा;झुक कर रत्ना के ब्रैस्ट को मसलने लगता है और रत्ना भी उसे दबाने देती है वो चटखारे मारते हुए किसी कुल्फ़ी की तरह देवा के लंड को चुसती जाती है गलप्प गलप्प।
हम्म उह्ह्ह गलप्प।



देवा;आहह आराम से माँ आह्ह्ह।
तेरी चूत भी इतनी नरम है रत्ना अहा हां अहा हां आह्ह आह आह आह आह आह्ह

रत्ना;हम्म गलप्प गलप्प
उह्ह्ह गलप्प।

न देवा से बर्दाश्त हो रहा था और न रत्ना से मगर दोनों अपने अपने वादे के आगे मजबूर थे।

रत्ना को महसूस होता है की देवा का पानी छुटने वाला है वो थोड़ा पानी अपने मुँह में गिरने देती है और बाकी का अपने ब्रैस्ट पर।

जब देवा का लंड अपनी बौछार कर चूका होता है तो रत्ना देवा की ऑखों में ऑखें डाल कर दोनों ब्रैस्ट पर गिरी पानी को वही उन पर मल देती है।



और चुपचाप उठ कर अपने रूम में चली जाती है।

देवा;उसे जाता देखता रह जाता है।

थोड़ी देर बाद देवा नहा कर घर से बाहर निकल जाता है
और रत्ना अपने रूम में आईने के सामने बैठी खुद पर और देवा के झूठ पर मुस्कुराने लगती है।
वो जानती थी की देवा ने उसे झूठ बोल कर
जान बूझ कर उससे लंड चुसवाया है।
मगर शायद रत्ना भी यही चाहती थी।

उसे सामने मंगलसूत्र दिखाई देता है।
वो उसे अपने गले में डाल लेती है और खुद को आईने में देख शर्मा जाती है।
 
उधर देवा सीधा पंचायत पहुँचता है।
जहां पहले से हिम्मत और कुछ पंच मौजूद थे।
देवा के आने के बाद वो सभी अपनी अपनी बात एक एक करके पंचो के सामने रखते है।

थोड़ी देर बहस चलती है।
मगर हिम्मत को तो रात को ही पता चल गया था की उसका क्या होने वाला है।
आखीर सभी पंचो की सहमति से हिम्मत राव को फैसला सुना दिया जाता है।

हिम्मत राव को सरपंच पद से बर्ख़ास्त कर दिया जाता है
और उसे 15 दिन के लिए गांव निकाला भी कर दिया जाता है।

हिम्मत;इस फैसले से अंदर ही अंदर टूट भी जाता है और देवा के लिए उसके दिल में नफरत सारी हदें पार कर जाती है।

हिम्मत;हाथ जोड कर सभी पंचो से कहता है की
मै अपनी गलती के लिए शरमिंदा हूँ और आइंदा ऐसी गलती नहीं होंगी वादा करता हूँ।
वो ये कहकर वहां से बाहर जाने लगता है
मगर देवा को देख रुक जाता है और उसके सामने आकर देवा की ऑखों में ऑखें डाल कर दाँत पीसते हुए धीरे से कहता है।
15 दिन बाद जब मै वापस आऊँगा देवा।
याद रखना वो दिन तेरी ज़िन्दगी का आखरी दिन होगा।

देवा;मुझे उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा हिम्मत।
 
अपडेट 84




हिम्मत की ऑखें जहाँ आग उगल रही थी वही देवा का लहु भी अपने बापू के कातिल से बदला लेने के लिए बेताब था।

देवा;के मुँह से निकला वो शब्द।
हिम्मत को तीर की तरह चुभा था उसकी ज़िन्दगी का सिर्फ और सिर्फ एक मक़सद रह गया था।
वापस आकर देवा को इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिये उसके बाप के पास पहुंचा देना।

जैसा की गांव वालों का फैसला था।
हिम्मत को 15 दिन के लिए गांव निकाला जाना था।

हिम्मत; ये बात अपनी पत्नी और बेटी रानी को नहीं बताना चाहता था।
वो रुक्मणी से ये बहाना करके अपनी कार में बैठ कर गांव से चला जाता है की उसके दोस्त की बेटी की शादी है और उसे वहां जाना है।

मगर रुक्मणी और रानी को पता था की असली बात क्या है। वो दोनों बेहद खुश भी थी और थोडी थोडी डरी हुए भी की पता नहीं वापस आकर हिम्मत क्या करेगा।

हिम्मत के चले जाने के बाद देवा हवेली चला जाता है।

देवा;रुक्मणि और रानी के रूम में आकर उन दोनों को पंचायत में हुई सारी बात बताता है और साथ में हिम्मत के दी हुई धमकी भी।

रुक्मणी;तुम चिंता मत करो देवा जब तक मै हूँ तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता।

देवा;चिंता और मुझे बिलकुल नहीं मालकीन।
मै तो उस दिन का इंतज़ार कर रहा हूँ जिस दिन आपका पति वापस आयेगा।
मुझे उस इंसान से बहुत ज़रूरी बात मालूम करनी है
मुझे मेरी मंज़िल तब तक नहीं मिलेगी।
जब तक हिम्मत राव अपना मुँह नहीं खोलेगा।

रानी;कौन सी बात देवा।

रुक्मणी;ओफ़ हो रानी। तू भी जा ज़रा चाये बना ला।
 
रानी;आँखों के ईशारे से रुक्मणी को बात करने के लिए कहती है।
रात में दोनों माँ बेटी नंगी सोई थी अपनी चूत को एक दूसरे पर रगडने से जो चिंगारियाँ फुटी थी उसकी वजह थी की सुबह से रानी रुक्मणी के पीछे पड़ी हुई थी।
देवा के साथ ये 15 दिन और रात बाँटने के लिये।

रानी के जाने के बाद रुक्मणी देवा के क़रीब आकर बैठ जाती है।
अपने इतने क़रीब रुक्मणी को पाकर देवा भी मचल उठता है।
देवा: अच्छी तरह जानता था की रुक्मणी उस गरम लोहे की तरह हो चुकी है जिसे बस एक ज़ोरदार हथोड़े की ज़रुरत है और रुक्मणी उसी रूप में ढ़ल जाएगी।
देवा के हथोड़े से बढ़िया और मज़बूत औज़ार पूरे गांव में नहीं था।

देवा;क्या बात है मालकिन पति के जाने का ज़रा भी गम नहीं तुम्हें।

रुक्मणी;देवा की ऑखों में देखते हुए कहती है।
पति गया कहाँ है।

देवा;क्या मतलब।

रुक्मणि';अपना हाथ सीधा देवा के लंड पर रख देती है
इतना भोला भी नहीं है तु।

देवा;रुक्मणि की ऑंखों में उतरी चमक को भाँप लेता है
औरत जब गरम होती है तो कुत्ते से भी चुदवा लेती है
यहाँ तो हट्टा कट्टा साँड़ बैठा हुआ था।
वो साँड़ जो अपने लंड से रुक्मणी की चूत को उधेड़ के रख देने के सपने पता नहीं कब से देख रहा था।

देवा;अपना एक हाथ रुक्मणी की गर्दन के पीछे डालकर उसे अपनी तरफ खीच लेता है और अपने होठो से रुक्मणी के सुलगते हुए होठो को ठण्डक देने लगता है

रुक्मणी;अपने मेहबूब की बाहों के लिए तो तड़प रही थी।
वो भी देवा के मुँह में मुँह डालकर अपनी ज़ुबन का मीठा मीठा रस देवा को पिलाने लगती है।
गलप्प गलप्प

दोनो की साँसें फुलने लगती है ये दोनों कई महिनो से एक दूसरे की रजामंदी से एक दूसरे की प्यास बुझाना चाहते थे।
 
दोनो को लगने लगता है की आज वो घडी आ गई है जब दोनों अपने प्रेम को अन्जाम तक पहुंचायेंगे।
मगर तभी बाहर से पप्पू के चिल्लाने की आवाज़ सुनाई देती है।

पप्पू;देवा भाई बाहर आओ।

देवा;पप्पू यहाँ क्यों आया है।

रुक्मणी;मत जाओ।

देवा;रात में मुझे खेत में सोने जाना है वहां नहीं जाकर यहाँ चला आऊँगा वैसे भी हिम्मत तो है नही।

रुक्मणी;उसकी बात सुनकर शर्मा जाती है
और अपनी नज़रें झुका कर बस इतना कहती है
जल्दी आना।



देवा;रुक्मणि के होठो को एक बार चुमकर बाहर चला जाता है।


बाहर पप्पू खड़ा था बहुत परेशान सा लग रहा था वो।

देवा;क्या बात है पप्पु।

पप्पू;कहाँ कहाँ नहीं ढूंढा तुझे भाई।
और तुम यहाँ हो मुझे तुमसे बहुत ज़रूरी बात करनी है।।

देवा;अपने लंड को पेंट में एडजस्ट करते हुए दिल में सोचने लगता है।
अगर कोई बेकार बात करेगा न ये गांडु तो सच में इसकी औरत के सामने इसकी गाण्ड मार दूंगा मै आज।।

बोल भी क्या बात है।

पप्पू;यहाँ नहीं मेरे साथ चलो पहले।

देवा;ठीक है भाई चल।
और दोनों दोस्त पप्पू के घर के तरफ चल पडते है।

पप्पू;देवा को लेकर सीधा अपने रूम में आ जाता है
और दरवाज़ा धकेल देता है।

देवा;अबे बात क्या है बोलेगा भी।

पप्पू;भाई मै बहुत मुसीबत में हूँ।
मेरी मदद कर।

देवा;क्या हुआ

पप्पू;वही जिसका मुझे डर था।

देवा;को ग़ुस्सा आ जाता है।
 
अब्बे गांडु सीधा सीधा बोलता क्यों नहीं बात क्या है।
अपने लंड को हाथ में पकड़ के देवा किस तरह यहां आया था वही जानता था। ऊपर से पप्पू था बात घुमा रहा था।

देवा;के मुँह से निकला शब्द गांडु नूतन के पांव दरवाज़े पर ही रोक देते है।

पप्पू;भाई शादी के दिन तक तो ठीक था नूतन भी खुश थी उस दिन।
मगर पता नहीं उसे दिन ब दिन क्या होते जा रहा है
वो बहुत चुदासी हो गई है भाई।
और तुम्हें तो पता है ना एक टिप के बाद मुझसे दूसरे का दम नहीं लगता।

देवा;पप्पू की बात सुनकर हंसने लगता है।
साले हरामी ये सुनाने के लिए तू मुझे वहां से यहाँ लाया है। पता है आज कौन चुदने वाली थी।

पप्पू;कौन भाई।

देवा;बड़ी मालकिन।

पप्पू;क्या बड़ी मालकिन।
वो बुरा सा मुँह बना लेता है।

देवा;क्या हुआ मुँह क्यों फुला रहा है।

पप्पू;तुम्हारा अच्छा है जहाँ देखो शुरु हो जाते हो और एक मै हूँ मेरी किसी को चिंता नहीं है।
तुम्हारी बहन इतनी बड़ी चुदकड़ निकलेंगी मुझे पता नहीं था।
माँ भी नाराज़ है मुझसे उसे लगता है मै दिन रात नूतन की ले रहा हूँ और इधर नूतन को लग रहा होगा मै किसी काम का नही।

देवा को सच में उस पर तरस आ जाता है और वो पप्पू को किसी छोटे से बच्चे की तरह अपने पास बैठा देता है और धीरे से उसके गले को सहलाने लगता है।

पप्पू;भाई कुछ सुझाव बताओ ना।

देवा;सुझाव तो है मगर पता नहीं तुझे कैसा लगेगा।

पप्पू;बताओ न भाई।

देवा;देख जैसे हम दोनों ने मिलकर तेरी बहन रश्मि की आग बुझाई थी वैसे तेरे बीवी नूतन की भी बुझानी पडेगी।
अभी वो नई नई है इसलिए ज़्यादा तड़प रही है एक बार हम दोनों से कुचल जाएगी तो कुछ दिन बाद खुद ब खुद ठण्डी हो जाएगी बोल क्या बोलता है।

पप्पू;फटी फटी नज़रों से देवा को देखने लगता है।
 
और बाहर खड़ी नूतन का दिल इस बात से और ज़ोर से धड़कने लगता है की वो अपने देवा का लंड अपने पति के सामने लेगी।

देवा;सोच क्या रहा है यही एक रास्ता है।
वरना पूरे गांव में तेरे घर की बदनामी हो जाएगी।

पप्पू;अगर किसी को पता चल गया तो...

देवा;तेरी माँ बहन को हम चोदते है किसी को पता है क्या।
मै किसी से कुछ नहीं कहने वाला क्योंकि वो मेरी बहन है। हाँ मगर तेरी माँ को पता चल गया तो उसे तुझे संभालना होगा।

कुछ देर सोचने के बाद पप्पू हाँ कह देता है।

पप्पू;मगर मेरी एक बात तुम्हें भी माननी पडेगी।

देवा;क्या।

पप्पू;रोज़ रोज़ न सही हाँ मगर हफ्ते में तीन चार बार तुम्हें मेरे साथ भी....

देवा;अपने हाथ से पप्पू की छोटी सी पप्पी को दबा देता है।
गांडू का गांडु रहेगा तू सच में।

पप्पू;देवा के लंड को सहलाने लगता है।
क्या करूँ भाई तुम तो अपने गरीब दोस्त की तरफ देखते भी नहीं वरना एक वो दिन हुआ करता था जब रात रात भर हम खेतों में नंगे पड़ा रहा करते थे और तुम्हारा ये लंड मेरी गाण्ड में आराम किया करता था।

देवा;अपने पेंट को खोल कर लंड बाहर निकाल लेता है।
ले चूस ले जी भर कर तेरी माँ को चोदुं।

पप्पू;यही तो चाहता था वो देवा के लंड पर टूट पडता है और उसे झट से अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है गलप्प गलप्प गलप्पप्प।



ये देख नूतन की आँखे फटी की फटी रह जाती है उसे कुछ कुछ पप्पू की हरक़तों पर शक तो था मगर आज उसे सबूत भी मिल गया था । सब कुछ सुनकर और देख कर।

पप्पू;जहाँ एक तरफ देवा के लंड को मुँह से निकालने के लिए तैयार नहीं था वही देवा जल्द से जल्द अपनी रुक्मणी के पास जाना चाहता था।
 
देवा;अपनी पेंट को उतार देता है और पप्पू को बिस्तर पर खीच लेता है एक हाथ से वो पप्पू की पेंट को निकाल लेता है।

पप्पू;अहह भाई धीरे से ना।

देवा;बड़ी आग लगी है ना तेरी गाण्ड में मेरे दोस्त। आ जा बहुत दिन हुए इसे नहीं लिया मैने।

वो पप्पू को लिटा देता है और अपने लंड को सीधा पप्पू की गाण्ड पर घीसने लगता है।

पप्पू;के ऑंखें बंद हो जाती है और मुँह खुल जाता है।

पप्पू;धी से करना देवा।
आह आहह्ह्ह।



देवा;और धीरे से ऐसा हो ही नहीं सकता था।
देवा का लंड पप्पू की गांड को चीरता हुआ अंदर तक धँस जाता है और पप्पू अपनी आवाज़ छूपाने के लिए तकिये को मुँह में भर लेता है।

देवा;आहह साला बहुत छोटा हो गया है तेरा सुराख़....

पप्पू;तुम्हारी वजह से भाई। तुम बहुत दिन से नहीं कर रहे हो न।

देवा;दिल ही दिल में सोचने लगता है जब तेरी माँ बहन मुझे मिल रही है तो मै तेरी गाण्ड क्यो माँरुन्गा।

पप्पू;अपनी गाण्ड के मज़े लेने लगता है और देवा उसे इसलिए ठोकने लगता है की उसकी गाण्ड के भरोसे उसे नूतन की चूत चोदने का लाइसेंस मिलने वाला था वो भी हमेशा की लिये।

उधर रत्ना अपने घर में अभी अभी नहा कर बाहर निकली थी।
देवा का नशा रत्न के बदन पर चढने लगा था।
अब वो खुद का ज़्यादा ख्याल रखने लगी थी
खुद को आईने में देखते हुए वो अपनी ब्रा पहनने लगती है।

छोटा सा ब्लाउज और उस पर छोटा सा पल्लू डाले क़यामत लग रही थी रत्ना।

पप्पू की गाण्ड को 15 मिनट तक ठोकने के बाद जब देवा घर पहुँचता है तो उसे रतना घर दरवाज़े के पास उसका इंतज़ार करते मिलती है।
 
वो अपनी माँ को नीचे से ऊपर तक देखता है और दिल में सोचता है काश उसे उसके बापू के बारे में पता चल जाता तो ये अप्सरा आज उसके लंड के नीचे होती।

देवा;को इस तरह घूरता देख रत्ना अपनी गाण्ड मटकाते हुए घर के अंदर चलि जाती है।

रत्ना;बड़ी देर कर दिया बेटा तुने।
चल आ जा सब तैयार है।

देवा;क्या माँ...

रत्ना;खाना बेटा..
मै लगा देती हूँ तू खा ले।

देवा;की ऑंखों में सुबह से रह रह कर रुक्मणी की चूत घूम रही थी और ऊपर से घर पहुँच कर उसे रतना इस तरह दिखाई देती है।
एक मरद भला खुद को कैसे सँभाले।

रत्ना का ये व्यवहार देवा को समझ में नहीं आ रहा था
जहां एक तरफ वो देवा को अपने ऊपर चढ़ने नहीं दे रही थी वहीँ दूसरी तरफ उसे ललचा रही थी।

देवा;अपनी रत्ना के क़रीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लेता है।

रत्ना;आहह क्या कर रहा है तुम्हें मना की थी न मैंने ऐसा करने से।

देवा;माँ आज तुम बहुत सुन्दर लग रही हो।

रत्ना; अच्छा ऐसा क्या अच्छा लग रहा है मेरे देवा को मुझ में।

देवा;अपना हाथ रत्ना के चिकने पेट पर घुमाने लगता है
ये बहुत खूबसूरत है।

रत्ना; और....

देवा;अपने हाथ को ऊपर बढाते जाता है और रत्ना अपनी आँखें बंद कर लेती है उसकी साँसें देवा को बता रही थी की रत्ना किस हद तक गरम हो चुकी है।

देवा;अपने हाथ को सीधा रत्ना के ब्रैस्ट पर रख के उसे मसलने लगता है।
ये मुझे बहुत पसंद है माँ।
इस से निकलता दूध मुझे कब पिलाओगी।

रत्ना;आहह नही ना....

देवा;अपने होठो को रत्ना की गर्दन पर घुमाते हुए
उसकी गर्दन को चुमने लगता है।
माँ मुझे ये दे दे ना।
वह अपने हाथ की उँगलियों से रत्ना की चूत को साडी के ऊपर से कुरेदने लगता है।

रत्ना;नही वो नहीं दूंगी मैं...आह्ह्ह।

देवा;रत्ना की गर्मी का फायदा उठा कर अपने पेंट को नीचे गिरा देता है और
अपने लंड को रत्ना के हाथ में थमा देता है।
 
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