Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 56 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

पीछे से रानी का मुँह जैसे ही देवा की गाण्ड से टकराता है देवा के धक्कों की रफ़्तार अचानक से बढ़ जाती है और रुक्मणी की चीखें भी बढ़ जाती है ।


रुक्मणी;आह्ह्हजी आःह्ह्हजी क्या कर रहे हो आह्ह्ह्ह्ह।
रुक जाओ न बस।अब बस भी करो आहह मुझे दर्द हो रहा है ना आहह आहह माँ।

मगर देवा आज शराब से भी ज़्यादा नशे में था ।

रानी; चोदो देवा मेरी माँ को और ज़ोर से चोदो। बहुत तडपी है मेरी माँ इसी रात के लिए और चोदो इसे।



रुक्मणी;आहह रानी इससे धीरे करने को बोल न आह्ह्ह।
मुझे मार देगा ये ज़ालिम अहा हां यह यह यह यह यह आह आह
मेरी चूत आहह।
वो बहुत दिन बाद चुद रही थी इसलिए बहुत कम टीक पाती है और देवा के लंड पर जैसे पेशाब कर रही हो इतना ढेर सारा चूत का पानी निकाल कर देवा से चिपक जाती है।

रानी;देवा के लंड को रुक्मणी की चूत से निकाल कर अपने मुँह में ले लेती है।
माँ की चूत के पानी की महक उसे देवा के लंड पर महसूस होने लगती है और वो पूरा का पूरा लंड अपने मुँह में लेकर उसे चाटने लगती है।

देवा;रानी को खड़ा कर देता है और एक हाथ से रुक्मणी को भी अपने पास खड़ा कर कर दोनों को बारी बारी चुमने लगता है।

रानी की चूत देवा के लंड से टकरा रही थी
देवा इशारा समझ जाता है और रानी को एक बच्ची की तरह अपनी गोद में उठा लेता है।

रानी की दोनों टाँगें हवा में लटकने लगती है और चूत सीधा देवा के लंड से जा मिलती है।

रुक्मणी;देवा के लंड को हाथ में पकड़ कर एक ऊँगली रानी की गाण्ड में डाल कर लंड को सीधा चूत के मुँह पर लगा देती है और देवा आगे की तरफ धक्का मार देता है।

रानी; माँ आह्ह्ह।

देवा;का लंड माँ की चूत को चोद कर अब बेटी की चूत में चला जाता है और देवा खड़े खड़े रानी को चोदने लगता है।
उसके धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज़ थी।
 
मगर रानी भी चुदक्कड़ लड़की बन चुकी थी हिम्मत और देवा से चुदवा कर।
वो भी हवा में लटके अपनी कमर को आगे पीछे करने लगती है।



रानी; चोद मेरे सैया मेरी माँ की चूत चोद के मेरी माँ के सामने उसकी बेटी को भी आहह चोद....
हम दोनों माँ बेटी की चूत के मालिक आहह चोद न आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी;नीचे बैठ कर देवा के लटकते हुए टेस्टीस को और अपनी बेटी रानी के गाण्ड को चाटने लगती है।

एक तरफ से देवा का लंड दूसरी तरफ से माँ के ज़ुबान रानी के तन बदन में चींटियां रेंगने लगती है और चूत से पानी रिसने लगता है।
जो नीचे बहता हुआ रुक्मणी के होठो को गीला करने लगता है।

दोनो माँ बेटी जैसे सोच कर बैठी थी की देवा को एक पल के लिए भी आराम नहीं करने देंगे।



रुक्मणी;रानी की चूत से लंड बाहर निकालती उसे मुँह में लेकर चुसती और फिर से अपनी बेटी की चूत में ठूँस देती।

उन्हें लग रहा था जैसे देवा बस कुछ देर और चलेगा मगर जैसे जैसे वक़्त बीत रहा था देवा के धक्कों से रानी की कमर काँप रही थी।

वो रानी को बिना नीचे उतारे खचा खच अपने लंड से उसकी चूत को अंदर तक खोदता चला जाता है और रानी अपने देवा के गले में बाहें डाले चीखते हुए चुदती चलि जाती है । 15 मिनट तक देवा रानी को बिना रुके चोदता है और रानी की चूत से पानी का एक एक कतरा बाहर निकाल देता है।

देवा की गोद से रानी जैसे ही नीचे उतरती है।
निचे ज़मीन पर लेट जाती है और लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।

देवा;भी अपनी साँसें धीमी करने के लिए बिस्तर पर लेट जाता है।

रुक्मणी;अपनी चूत को सहलाते हुए देवा के पास आकर लेट जाती है।

दोनो एक दूसरे को देखते है और बिना बोले दोनों के होंठ एक हो जाते है।
 
रुक्मणी;आज मुझे वो मिला है देवा जिसके लिए औरत अपना सब कुछ दे सकती है।
वो अपने नाज़ुक से हाथों में देवा का लंड पकड़ लेती है।



रुक्मणी;देवा क्या तुम इससे मुझे आज रात भर बिना थके चोद सकते हो।

देवा;हाँ चोद सकता हूँ रुक्मणि
सच कहूं तो मै भी तेरी लेने के लिए कई दिन से बेक़रार था।

रुक्मणी;तो फिर लिया क्यों नही।

देवा;डरता था। हिम्मत से नहीं तुम्हारी नाराज़गी से।

रुक्मणी;अपने देवा के सीने पर अपना सर रख देती है
मुझे अपना बना लिया है तूने। मै तुझे अपना सब कुछ मान चुकी हूँ।
आज की रात मेरे लिए सुहागरात से कम नहीं है।
मेरी ये रात बस यादगार बना दे देवा मुझे अपना बिता हुआ कल भुला दे।

देवा; मुँह में ले इसे।

रुक्मणी;देवा के लंड पर झुक जाती है और एक बार फिर से देवा के लंड को चुसने लगती है।
मगर इस बार देवा भी रुक्मणी की कमर को पकड़ कर अपने मुँह की तरफ कर देता है और दोनों चूत और लंड चाटने लगते है गलप्प गलप्प गलप्प.....

देवा;गलप्प आज तो सब कुछ भूल जाएँगी रुकू गलप्प
आज से तेरे तीनो सुराखों में मै अपना लंड डाल कर तुझे चोदा करुँगा।

रुक्मणी;हर रात।

देवा;हाँ हर रात रात भर।

रुक्मणी;कहाँ कहाँ।

देवा;तेरे मुँह में...
तेरी चूत में....

रुक्मणी;और...

देवा;और तेरी गाण्ड में भी गलप्प.....

रुक्मणी;ये सुनकर देवा के लंड को हल्के से काटती है।
 
देवा;तेरी माँ की चूत साली आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी;मेरा है मै कुछ भी करूँ गलप्प
गलप्प.....

देवा;रुक्मणि को अपने ऊपर खीच लेता है और अपनी दोनों टाँगें खोल कर रुक्मणी भी देवा के लंड पर सवार हो जाती है।


वो अपनी चूत को देवा के लंड पर घिसते हुए देवा की आँखों में देखने लगती है।

देवा;क्या देख रही है।

रुक्मणी;देवा के कान में धीरे से कहती है।
मुझे माँ बना दे...

और देवा रुक्मणी की इच्छा पूरी करने के लिए अपना लंड सीधा उसकी चूत में पेल कर उसे जंगली जानवर की तरह चोदने लगता है।

रुक्मणी;हर साँस के साथ सिसक उठती है
आह
आह आय हाय
उइइइइइ आ माँ आह्ह्ह्ह
आह आह्ह्ह्ह
उसकी चूत की चिकनाहट लंड को और आसानी से चूत में आगे पीछे होने में मदद करती है।



देवा;मुझे आज रात तेरी गाण्ड मारनी है रुकु....

रुक्मणी;जो करना है करो पुछो मत अपनी पत्नी से आह्ह्ह्ह्ह्
बस करते जाओ लेकिन अपना माल मेरी चूत में ही गिराना।जल्दी से जल्दी मुझे गाभिन कर दे देवा।
वो दोनों जानती थी की ये रात तो अभी शुरू हुई है।
 
अपडेट 87




रुक्मणि;अपनी छोटी सी ओखली में बड़ा सा मुसल कुटवाकर कसमसा रही थी।
और उसकी कसमसाहट देवा के लंड की नसें और मोटी कर रही थी।
रुक्मणी;को चुदवाने की आदत नहीं थी मगर आज जब बरसों बाद उसे वो मिला था जिसकी उसने खवाहिश दिल में बसा रखी थी तो वो भी दिल खोल कर अपनी चूत देवा के लंड से मरवा रही थी।
अपने दोनों पैरों को देवा के कमर से लपेट कर अपनी कमर को हर धक्के के साथ ऊपर की तरफ उठा उठा कर वो देवा का साथ दे रही थी।

देवा;आहह रुको ऐसी चूत पूरे गांव में किसी की भी नहीं होंगी आह्ह्ह बार बार फिसलता जा रहा है आह्ह्ह।

रुक्मणी;तुम्हारे लिए बचा कर रखी थी उन्हह
ले लो इसे अपनी बना लो हमेशा हमेशा के लिए आह्ह्ह्ह।

चूत और लंड की सरसराहट पूरे रूम में गूँजने लगती है पसीने में लथपथ दो शरीर अपनी काम वासना पूरी करने में लगे हुए थे।

देवा;हिम्मत को पता चल गया की तुम इतनी बड़ी चुदक्कड़ हो तो वो साला किसी की तरफ देखना भी भूल जायेंगा आह्ह्ह।

रुक्मणी;उस हरामि का नाम न लो आह्ह्ह।
औरत उसकी नज़र में दिल बहलाने का सामान है देवा।
वह अपने देवा की मोहब्बत में इस कदर गिरफ्तार हो चुकी थी की हिम्मत का नाम भी सुन नहीं सकती थी।

देवा;अपने लंड को चूत की गहराइयों में उतार देता है जिससे रुक्मणी का मुँह खुल जाता है और ज़ुबान बाहर की तरफ आ जाती है।
अपने मुँह में रुक्मणी की ज़ुबान को लेकर चुसते हुए देवा उसे चोदने लगता है।


पास में लेटी हुए रानी सब सुन भी रही थी और समझ भी रही थी की उसकी माँ अब देवा की हो चुकी है वही देवा जिसे वो कभी अपना दुश्मन समझा करती थी।
मगर जब से उसने देवा से अपनी जवानी बाँटी थी देवा का नशा उसके भी सर चढ़ कर बोल रहा था।

रानी;उठ कर दोनों के पास आ जाती है और रुक्मणी अपनी प्यासी बेटी की तडपती हुई चूत को अपने होठो से लगा लेती है

अपनी माँ के सर को अपनी चूत पर दबा कर रानी सिहर उठती है।
 
दोनो माँ बेटी किसी धंधे वाली औरतों की तरह व्यहवहार कर रही थी । कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था की यी गांव के जागिरदार के घर की औरतें है
जीन पर नज़र उठाने वालो की ऑंखें निकाल दी जाती थी।

देवा;आज बहुत खुश था।
अपने लंड के कमाल की बदौलत ही उसने आज ये मक़ाम हासिल किया था।
लोग अपने पैसे अपने रुतबे की बदौलत बड़ी से बड़ी चीज़ हासिल कर लेते है।
मगर देवा के पास वो बेशक़ीमती चीज़ थी जिस की लालच हर तडपती हुए औरत को होती है।

यही वजह थी की गांव की हर औरत चाहे वो कुँवारी हो या शादीशुदा देवा का नाम जपती थी।

रानी;की चूत से मीठा मीठा पानी रुक्मणी के मुँह में बरसने लगता है।
चटखारे मारते हुए रुक्मणी को पहले कभी अपनी बेटी की चूत चाटने में इतना मजा नहीं आया था जितना की आज वो देवा से चुदाई करते हुए ले रही थी।

दोनो माँ बेटी की चूत एक साथ अकड जाती है और रुक्मणी देवा के लंड को अपनी चूत के पानी से नहलाने लगती है और रानी अपनी माँ के चेहरे को।

हाँफते हुई दोनों औरतें देवा की तरफ देखने लगती है उनकी ऑंखों में बस एक सवाल था देवा के लिए कि
तूम थकते नहीं क्या ।

और देवा के पास उस सवाल का एक ही जवाब था रुक्मणी की चूत में एक और ज़ोरदार धक्का जिससे रुक्मणी की चीख़ निकल पडती है और वो आखिर कर देवा को रुकने के लिए हाथ जोड देती है।

मगर जब तक देवा का पानी नहीं निकल जाता था न वो किसी की गुहार सुनता था न पुकार।

देवा;अपना लंड रुक्मणी की चूत से बाहर निकाल लेता है । रुक्मणी बस चैन की साँस लेती है की देवा उसकी दोनों टाँगें खोल कर अपना मुँह उसी जगह लगा देता है जहाँ कुछ देर पहले उसका लंड था।

अपनी चूत पर देवा के होठो की गर्मी पा कर रुक्मणी की साँसें उखड़ने लगती है।
 
एक रात में औरत एक या दो बार चुदाई सह सकती है और अगर मँझी हुए औरत हो तो तीन बार मगर यहाँ तो देवा था। वो आदमी जिसे दुनिया में सबसे ज़्यादा अगर कोई चीज़ पसंद थी तो वो थी अलग अलग चूत।

रुक्मणी; रुक्क जाओ जी आहह बस भी आह्ह्ह्ह न उन्हह रानी बोल न इन्हें यह यह यह यह आहह्ह्ह्ह्ह।

रानी; आँखें फाड़े सामने का नज़ारा देख रही थी और देवा था की अपनी एक ऊँगली चूत में अंदर बाहर करते हुए न जाने अंदर से क्या बाहर निकालने की कोशिश करने में लगा हुआ था।

न वो रुक रहा था न कुछ बोल रहा था आखिरकार रुक्मणी चीख पडती है।

रुक्मणी;मुझे मुतने तो दे आह्ह्ह्ह।
उसे बहुत ज़ोर से पेशाब आया था।

देवा; अपना मुँह हटा लेता है और रुक्मणी रूम में के बाथरुम में घुस जाती है।
उसकी कमर इस तरह से लचक खा रही थी जैसे मोरनी अपने मोर को रीझाने के लिए नाचती है।

मोटे मोटे हिलते हुए सफेद कमर और उन दोनों के बीच की वो लम्बी सी दरार देख देवा खड़ा हो जाता है और अपने खड़े लंड को सहलाता हुआ रुक्मणी के पीछे पीछे बाथरूम में घुस जाता है।

रुक्मणी;पेशाब करने के लिए झुकती है की पीछे से देवा अपना हाथ उसकी कमर पर रख देता है।

रुक्मणी; आह्ह्ह्ह।
रुको भी थोडी देर....

देवा;अपनी दोनों उँगलियों को मुँह में लेकर गीला करता है और बिना रुक्मणी से कुछ बोले उसे सीधा उस दरार के छोटे से सुराख़ पर रख कर अंदर ठूँस देता है।

एक दर्दनाक चीख रुक्मणी के मुँह से निकलती है।

अपनी कुँवारी गाण्ड के सुराख़ में मोटी मोटी देवा की मरदाना उँगलियाँ घुसते ही वो तड़प उठी थी।

मगर न जाने उसे ये दर्द बहुत अच्छा भी लग रहा था
जहां तक कोई न पहुंचा हो। उस मक़ाम पर जब देवा पहली बार पहुँचता है।
तो ख़ुशी सारे दर्द और गम मिटा देती है।

देवा;अपनी दोनों उँगलियाँ आगे पीछे करने लगता है।रुकमनी की चीख सुनकर रानी भी वहां दौडी चली आती है।
और जब वो देखती है सामने का नज़ारा तो मारे हैरत के उसकी भी चीख निकल पडती है।

रानी;माँ तुम ठीक तो हो...

रुक्मणी; हाँ मै ठिक हूँ। आहह अजी अजी क्या कर रहे हो।
 
देवा;इशारे से रानी को रुक्मणी की चूत के पास बुलाता है और अपनी उँगलियाँ बाहर निकाल लेता है।
जैसे ही रानी अपनी माँ की चूत से चिपकती है देवा का हथियार पीछे से रुक्मणी की गाण्ड पर हल्ला बोल देता है।

और लंड पहली बार कुँवारी रुक्मणी की छोटी सी गाण्ड के सुराख़ को चीरता हुआ अंदर अंदर और अंदर घुसता चला जाता है। हर अंदर जाता हुआ धक्का रुक्मणी की चीख में इजाफ़ा करता चला जाता है। वो तिलमिलाने लगती है मगर देवा तब तक नहीं रुकता जब तक किला फ़तह नहीं कर लेता है।

उसका पूरा का पूरा लंड रुक्मणी के गाण्ड में जा चुका था। दरद बहुत था मगर उस दर्द पर उत्तेजना हावी हो चुकी थी।

रुक्मणी;को अपनी ही बात याद आ जाती है की सब कुछ तुम्हारा ही है।

रुक्मणी;अपने होठो को दाँतो के नीचे दबा लेती है और देवा अपने काम में लग जाता है। खचा खच वो अपने लंड से रुक्मणी की गण्ड को दो मिनट में खोल कर रख देता है जब रुक्मणी से सहा नहीं जाता तो वो चीख़ पडती है।

रुक्मणी;अजी मार डालोगे क्या आह्ह्ह।
बस भी करो न मुतने भी नहीं देते आह्ह्ह्ह।

देवा; मुत साली किसने रोका है तुझे आहह तेरी गाण्ड के पीछे तो कब से था मै। आज मिली है तो मना कर रही है है आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी; ओह मना नहीं कर रही न आह सुनो ना मुझे बहुत ज़ोरों से सु सु आई है आह्ह्ह्ह।


रानी;देवा के लंड को रुक्मणी की गाण्ड से निकाल कर चाटने लगती है गलप्प गलप्प
और मारो मेरी माँ की गाण्ड देवा और मारो गलप्प
वो फिर से उसे रुक्मणी की गाण्ड में घुसवा देती है।

रुक्मणी;आहह छिनाल जब तेरी गाण्ड फाडेगा न तब तुझे पता आहह चलेगा।
आह्ह्ह्ह।


रानी; मैं ले चुकी हूँ इसे वहां भी माँ ....
अब ये तुम्हारी फाड़ेगा गलप्प गलप्पप्प गलप्प्प।
वो दोनों को एक साथ चाटने लगती है अंदर बाहर होते देवा के लंड को और रुक्मणी की चूत को।

काफी देर तक देवा रुक्मिणी की गांड मारता है बीच बीच में देवा अपना लंड रुक्मिणी की गांड से निकाल कर रानी के मुँह में पेलने लगता है जब लंड पूरा साफ हो जाता है तो फिर से रुक्मिणी की गांड फाड़ने लगता है।

जब देवा;के लंड की नसे रुक्मणी की गाण्ड की सुराख़ से दबने लगती है और एक दो ज़ोरदार धक्कों के बाद देवा अपना सारा पानी रुक्मणी की गाण्ड में निकाल देता है
दोनो हाँफने लगते है जैसे ही देवा अपने लंड को बाहर निकालता है रुक्मणि सिसकारियाँ भरते हुए सीधा देवा के लंड पर मुतने लगती है।


देवा;का औज़ार उस पेशाब से नहाने लगता है।
जब रुक्मणी चैन की साँस लेती है तो देवा अपने भीगे हुए लंड को पास में बैठी हुई रानी के मुँह में पेल देता है जीसे रानी बड़े प्यार से चाटने लगती है गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
 
रात से सुबह के पाँच बज जाते है मगर न देवा सोता है और न दोनों माँ बेटी को सोने देता है।रात भर माँ बेटी की चूत और गांड खोल के रख देता है।
सुबह सुबह देवा को दोनों पर तरस आ जाता है और वो सुबह में अपने घर चला आता है।



जब वो घर पहुँचता है तो रत्ना सोई हुई मिलती है।
वो भी अपने रूम में जाकर बिस्तर पर लेट जाता है और थकान की वजह से उसकी आँख लग जाती है।

सुबह से दोपहर हो जाती है मगर देवा की आँख नहीं खुलती आखिर कर रत्ना के जगाने पर वो नींद से जागता है।

रत्ना;आज बड़ी सजी सँवरी नज़र आ रही थी जैसे जैसे देवा का पानी उसके पेट में जा रहा था वैसे वैसे उसके चेहरे पर निखार और चढ़ता जा रहा था।
अब वो ज़्यादातर साडी पहनने लगी थी।
टाइट सी चोली और उस पर खुले गले वाला ब्लाउज।
जीस में से आधे से ज़्यादा उसकी ब्रैस्ट बाहर को लटके हुए होते थे।

देवा;उठ कर बैठ जाता है
कितने बजे है माँ....

रत्ना;
दोपहर हो गई है कुछ खबर भी है लगता है रात भर सोया नहीं तु।

देवा;हाँ वो रखवाली कर रहा था न। खड़ी फसल है कहीं चोरी न हो जाए।

रत्ना; हाँ....
मुझे लगा कहीं तू चोरी करने गया था क्या।

देवा;क्या।

रत्ना;कुछ नहीं चल नहा ले और कुछ खा ले।

देवा;यहाँ बैठो न मेरे पास।

रत्ना;न बाबा मुझे बहुत काम है।
 
देवा;जब देखो काम काम... बैठो भी वो उसका हाथ पकड़ कर अपने पास बैठा देता है।

देवा;माँ ममता के जाने के बाद घर कितना खाली खाली लगता है न।

रत्ना;हम्म खूब समझती हूँ तेरी बातें
शालु की बेटी के खवाब देखने लगा है ना तु।

देवा;रत्ना की ऑंखों में झाँकते हुए बड़े प्यार से कहता है
मै तो अपनी रत्ना के खवाब देखता हूँ दिन रात।

रत्ना;बुरी तरह शर्मा जाती है और उठकर जाने लगती है मगर देवा उसे जाने नहीं देता और अपनी बाहों में जकड लेता है और कितना तडपाना चाहती है मुझे माँ...।

रत्ना;कुछ नहीं कहती बस इधर उधर देखने लगती है
उसकी साँसें फुलने लगती है उसके हावभाव से ऐसा लगने लगता है जैसे वो रात भर तड़प तड़प कर जगी हो।

देवा;अपना एक हाथ रत्ना की जांघ पर रख देता है और उसे हलके से दबा देता है।

रत्ना;आह्ह्ह बेशरम कहीं का।

देवा;मुझे भूख लगी है।

रत्ना;तू उठेंगा तो दूंगी ना।

देवा;मुझे यहाँ से चाहिए।
वो अपनी ऊँगली सीधा रत्ना की चूत की तरफ बढाता है।।

रत्ना;नही ये गलत है।

देवा;अपने बेटे का लंड मुँह में लेना सही है।

रत्ना;अपनी आँखें बंद कर लेती है। उसके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था।
चुत उसकी भी मचल रही थी ।पानी उसकी चूत के मुहाने तक आ चुका था।

देवा;आज तक तुम मेरा लेती थी आज मै अपनी रत्ना की चूत का मीठा मीठा शरबत पिऊँगा।

रत्ना;अह्ह्ह बहुत गन्दा हो गया है तू उन्हह।

देवा;अपनी माँ को अपनी बाहों में समेट लेता है और रत्ना भी किसी बच्चे की तरह अपने देवा की गोद में चढ़ कर बैठ जाती है और अपनी कमर को वो धीरे धीरे देवा के लंड पर घीसने लगती है।
 
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