Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 62 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

वैध;आप सब बाहर जाए देवा तुम यहीं रुको।

वैध;सभी को बाहर कर देता है और किरण के साथ मिलकर दोनों वैध नीलम को ठीक करने में जुट जाते है।

बाहर शालु रत्ना और ममता का बुरा हाल था।
सभी रो रहे थे। दुवाएं मांग रहे थे।

नीलम दुबली पतली लड़की थी।
जितना उसका खून गया था उस से लग रहा था की वो शायद नहीं बच पाएगी।



बैध और किरण पूरी कोशिश कर रहे थे की खून बहना बंद हो जाए।
वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे और पास में खड़ा देवा बस नीलम को देख रहा था।

देवा;खुद को बहुत लाचार महसूस कर रहा था।

बीच बीच में नीलम देवा को पुकार रही थी।

किरण;देवा तुम नीलम का हाथ पकड़ लो।
और देखो घबराओ मत नीलम को कुछ नहीं होगा।

देवा;नीलम के पास आकर बैठ जाता है उसके हाथ को अपने हाथों में थाम लेता है।

देवा;देख नीलम मै यहीं हूँ तेरे पास।
जब तक तो आँखें नहीं खोलती कसम है मुझे तेरी मै भी आँखें नहीं खोलूंगा।

शायद मौत के फ़रिश्ते भी देवा की मोहब्बत देख नीलम की रूह जिस्म से निकालने से रुक गए होंगे।

बैध अपना काम कर चुके थे।

रत्ना शालु और ममता अंदर आ जाते है।

शालु;वैध जी मेरे बेटी ठीक तो हो जाएगी ना।

बैध;अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
इसका खून बहुत बह चूका है।

सुबह तक इंतज़ार करिये ऊपर वाले ने चाहा तो नीलम को कुछ नहीं होगा।
और अगर नीलम सुबह तक होश में नहीं आई तो.....

शालु;तो क्या वैध जी बोलिये न तो क्या।

बैध ;कुछ नहीं कहता मगर उसकी ख़ामोशी सब कुछ कह देती है।
 
नीलम;बेहोश थी और पास में बैठा देवा अभी अपनी आँखें बंद कर चूका था।
मगर दिल की धड़कने जब भी दिल को चु कर जाती बस एक कसक उस से निकलती।
नीलम तू ठीक हो जा
नीलम तू ठीक हो जा।

रात घिरने लगती है।
गांव वाले अपने घर को लौट जाते है।

बैध और किरण भी कुछ देर बाद सोने चले जाते है।

मगर देवा अपनी नीलम को अपने से अलग नहीं होने देता।

रत्ना;देवा को पानी देती है मगर वो मना कर देता है।

हर कोई अपनी ज़िन्दगी में मोहब्बत करता है
मगर ऐसी हालत का सामना बहुत कम करते है।
अपने मोहब्बत को मरता हुआ कोई भी देखना पसंद नहीं करता।
जब कोई अपना आँखों के सामने दम तोड़ता नज़र आता है तो पत्थर दिल भी पिघल जाता है।

रात ख़त्म होने लगती है और धीरे धीरे सुबह की रौशनी चारों तरफ बिखरने लगती है।

सुबह की रौशनी अपने साथ खुशियाँ भी लाई थी।

नीलम;अपने देवा के पास लौट के आ चुकी थी।

नीलम को होश आ जाता है वैध जी की दवा और देवा की दुआ बेकार नहीं जाती।

नीलम;आँखें खोलो देवा।

वो जो रात भर से जग रहा था जो बस इस सुरीली आवाज को सुनने के लिए जी रहा था की कब उसकी नीलम होश में आये और वो उसे नाम लेकर पुकारे।
अपनी आँखों खोल देता है।
सामने लेटी हुई नीलम को देख देवा का दिल बा स्याही कहता है।

हम ने काटि हैं तेरी याद में रातें अक्सर,
दिल से गुज़री हैं सितारों की बरातें अक्सर,

इश्क़ रहज़न न सही इश्क़ के हाथों फिर भी,
हम ने लुट्टी होइ देखी हैं बरातें अक्सर।

हमसे एक बार भी न जीता है न जीतेगा कोइ,
वह तो हम जान के खा लेते हैं मातें अक्सर।

उन से पुछो कभी चेहरा भी पढे हैं तुम ने,
जो किताबों की किया करते हैं बातें अक्सर।

हाल कहना हो किसी से तो मुख़ातिब है कोई,
कितनी दिल्चस्प हुआ करती हैं बातें अक्सर।

और तू कौन है जो मुझ को तस्सली देता।
हाथ रख देती हैं दिल पर तेरी यादें अक्सर।

देवा की दिल की आवाज़ नीलम के दिल तक पहुँच जाती है।

और नीलम अपने देवा के आँखों की तपीश अपने चेहरे पर सह नही पाती।
वो अपना हाथ देवा की आँखों पर रख देती है।
 
अपनी आँखों पर रखे नीलम के हाथ को देवा अपने हाथों में पकड़ लेता है और उन खूबसूरत हाथों को चूम लेता है।

आँसु अब भी बह रहे थे मगर अब इन आंसुओं में ख़ुशी थी।

दोनो एक दूसरे को देख रहे थे।
खामोशियाँ चारों तरफ थी मगर दिल बेचैन थे।

देवा;बड़े प्यार से नीलम के माथे को चूम लेता है
जान ही निकाल दी थी तूने मेरी जान।

नीलम;बुरी तरह शर्मा जाती है।
कल रात देवा से उसकी शादी की बात पक्की हुई थी
और अब वो देवा की गोद में सर रख कर लेटी हुई थी।

नीलम;धीरे से देवा से कहती है।
अब बस भी करो। क्या आप भी ना
मै तो आपके दिल का हाल जानने के लिए बेहोश हुई थी।

देवा;नीलम की बात सुनकर हँस देता है और उसकी हंसी पास में सोये हुए सभी लोगों को जगा देती है।

देवा भी जानता था की नीलम की नई ज़िन्दगी मिली है।

शालु रत्ना और ममता का ख़ुशी का ठिकाना नहीं था।

मगर देवा नहीं भुला था की आज नीलम की ये जो हालत हुई है।
आज जो दर्द उसने सहा है वो किसकी वजह से हुआ है।

देवा;जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहता था और उसके बाद वो सीधा एक शख्स से मिलना चाहता था।
 
अपडेट 95




बैध जी से ज़रूरी दवायें लेकर शालु देवा की मदद से नीलम को अपने घर ले आती है।

नीलम;काफी कमज़ोरी महसूस कर रही थी।
बैध जी ने साफ़ साफ़ कहा था की उसे ज़्यादा से ज़्यादा आराम करने दिया जाए।

नीलम;अपने रूम में सोई हुई थी मगर बाहर बैठे सभी लोग हिम्मत के बारे में बात कर रहे थे।
हर कोई उसे बुरा भला कह रहा था मगर देवा खामोश था।
उसके कानो में सभी की आवाज़ आ रही थी।
काई हिम्मत राव को गलियां दे रहा था था तो कोई कोस रहा था मगर देवा जब से नीलम को लेकर घर आया था उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकला था।

एक लावा जो अंदर ही अंदर धधक रहा था।
जीस्म का खून इस हद तक उबल चूका था। देवा की आँखें उस खून से लाल हो चुकी थी।
जीस्म की गर्मी जब दिमाग में चलि जाती है तो इंसान न किसी से कुछ बोलता है और न किसी की सुनता है वही करता है जो उसे करना होता है।

हिम्मत ने देवा पर चोरी का इलज़ाम लगाया था।

दूर एक कोने में बैठी रत्ना देवा को ही देख रही थी।
कल रात से रत्ना का मन बदल गया था।
उसे लगता था की देवा इस दुनिया में सबसे ज़्यादा प्रेम उससे करता है मगर देवा और नीलम के बीच इस कदर प्रेम देख वो कहीं न कहीं रो रही थी।

अब तक सिर्फ देवा के दिल में रत्ना के लिए मोहब्बत का दिया जल रहा था मगर
आज रत्ना को अहसास हुआ था की वो भी देवा से बेपनाह मोहब्बत करती है।

वो खुद के दिल को समझा रही थी की अगर देवा नीलम से प्यार करता है तो वो भी देवा को बता देगी की देवा उसकी ज़िन्दगी में कितनी अहमियत रखता है और उसे अपने बेटे देवा से कितनी शिदत से प्यार है।
देवा;रत्ना की तरफ देखता है।
जैसे ही दोनों की नज़रें एक होती है।

रत्ना अपनी नज़रें झुका लेती है और चुपचाप उठकर देवा की तरफ एक बार देखते हुए अपने घर चली आती है।
 
देवा;के अंदर बेशुमार ग़ुस्सा था।
वो जल्द से जल्द हिम्मत को सबक सिखाना चाहता था।

वो शालु को वैध की दी हुई दवायें देकर हिम्मत की हवेली की तरफ निकल पडता है।

उधर हिम्मत राव अपने रूम में बैठा शराब पी रहा था।
एक तरफ देवा का ग़ुस्सा था तो दूसरी तरफ हिम्मत बदले की आग में जल रहा था।
उसे देवा एक दिन भी इस दुनिया में बर्दाश्त नहीं था।
जीस की वजह से उसका गांव निकाला हुआ था जिसकी वजह से उसकी पंचायत में बेइज़्ज़ती हुई थी उस इंसान को वो हमेशा हमेशा के लिए ख़तम कर देना चाहता था।

रुक्मणी और रानी सहमी सहमी सी अपने रूम में बैठी थी।

उन दोनों को डर था की हिम्मत उन दोनों को भी नहीं छोड़ेगा।
रुक्मणी के रूम का दरवाज़ा खुलता है और हिम्मत शराब की बोतल हाथ में लिये और दूसरे हाथ में चाबुक लहराता हुआ रुक्मणी और रानी के पास चला आता है।

हिम्मत; अच्छा तो तुम दोनों यहाँ हो।
छिनाल रंडी तुझे किसने कहा था वहाँ आकर अपनी गाण्ड हिलाने को।
साली अपने पति की गांव वालों के सामने इज़्ज़त नीलाम करके तुझे क्या मिला । बोल.......

वो नशे में बडबडाता हुआ चाबुक हवा में लहराने लगता है।

रुक्मणी और रानी डरी हुई आँखों से हिम्मत को देखने लगती है।
उन दोनों के पास कोई जवाब नहीं था की उन दोनों ने देवा को क्यों बचाया।

हिम्मत;शराब की बोतल ज़मीन पर फ़ेंक कर रूक्मणि के बाल खीचते हुए उसे बेड से नीचे ले आता है।
आज तेरी चमड़ी उधेड कर उस में भुसा न भर दूँ तो मेरा नाम भी हिम्मत राव नही।

रुक्मणी;आह्ह्ह छोड़िये मुझे मै भी इंसान हूँ कोई जानवर नही।
वो खुद को छुड़ाने लगती है मगर हिम्मत नशे और ग़ुस्से की हालत में आज सब कुछ भूल चूका था।
रुक्मणी के रूप में उसे एक नागिन नज़र आ रही थी। ऐसी नागिन जो उसे डस सकती थी और हिम्मत उस नागिन का सर कुचलना चाहता था।
 
हिम्मत जैसे ही रुक्मणी की पीठ पर वो चाबुक बरसाने के लिए हाथ उठाता है देवा पीछे से वो चाबुक पकड़ लेता है।

रुक्मणी और रानी पीछे खड़े देवा को देख चैन की साँस लेती है।
वही हिम्मत तिलमिला जाता है।

हिम्मत;मादरचोद साले तू.... अच्छा हुआ तू यहाँ आ गया।आज तू नहीं बचेगा।

देवा;कौन किसका क्या उखाड लेता है वो तो अभी पता चल जायेगा हिम्मत।
कुत्ते की औलाद तूने मेरी नीलम को जान से मारने की जुर्रत की।
वो हिम्मत के हाथों में से चाबुक छीन लेता है और हिम्मत को एक ज़ोरदार लात मारकर दूर गिरा देता है।

देवा;रुक्मणि दरवाज़ा बंद कर।
आज एक जानवर इंसान के हाथों मरने वाला है।

रुक्मणी;जल्दी से उठकर दरवाज़ा बंद कर देती है
जैसे ही दरवाज़ा बंद होता है।

देवा;का हाथ बिजली की रफ़्तार से चलने लगता है और
सट सट सट सट देवा उस चाबुक से हिम्मत की पिटाई शुरु कर देता है।
वो हिम्मत को सँभलने का मौका भी नहीं देता
गालियों के साथ हिम्मत की पीठ पर चाबुक बरसने लगता है।

हिम्मत;अहह नही आहह।
हरामी आहह ओह्ह्ह्हह
मै तुझे आहह न न आह्ह्ह
नही नही मुझे माफ़ कर आह
आह बस बस देवा।


पुरे रूम में हिम्मत के चीखने चिल्लाने की आवाज़ें गूँजने लगती है।

देवा;हराम के जने मुझे जान से मारेगा तू ले साले।
लातों घूँसों के साथ वो हिम्मत को इतनी बुरी तरह मारने लगता है की हिम्मत के ऊपर की साँस ऊपर और नीचे की साँस नीचे ही रुकने लगती है।
 
एक ताक़तवर मरद और उस के हाथ में एक चाबुक और सामने एक शराब के नशे में धुत अधेड़ उम्र का इंसान जब आता है तो नज़ारा देखने लायक होता है।

रुक्मणी;और रानी सब देख रही थी मगर उन दोनों में से कोई भी देवा को नहीं रोकता।

हिम्मत के मुँह से खून बहने लगता है।
हाथ पैर सब सुन्न पड़ जाते है आँखों के सामने अँधेरा सा हो जाता है तब देवा अपना हाथ रोक लेता है।

देवा;हिम्मत की गर्दन अपने हाथों में पकड़ लेता है।
साले देख तेरे सामने खड़ा हुआ हूँ।

मार मार न मुझे जान से मारना चाहता था न तू मुझे कुत्ते के औलाद।
मुझ पर चोरी का इलज़ाम लगाया था न तुने।
जानता है मै यहाँ क्यों आया था कल।

तेरी बेटी और पत्नी को चोदने आया था मैं।
ये दोनों मेरी बन चुकी है।
इन दोनों के जिस्म से खेलता हूँ मैं।
खूब गाण्ड उछाल उछाल कर चुद्वाती है ये दोनों मुझसे।

हिम्मत की आँखें ये सुनकर खुली की खुली रह जाती है
वो रुक्मणी की तरफ देखता है और रुक्मणी इस मर्तबा अपने पति की आँखों में देखते हुए देवा के क़रीब चली जाती है।

रुक्मणी;देख क्या रहा है हरामी।
हाँ मेरा देवा सच कह रहा है।
चुद्वाती हूँ मै देवा से...
और आज हम दोनों माँ बेटी तेरी आँखों के सामने करके बतायेंगी भी और वो इसलिए की मै तेरी पत्नी तुझे ये बताना चाहती हूँ की
बस बहुत हुआ । अब मै तुझसे नहीं डरती क्यूंकि हमारे साथ अब वो इंसान है जिसका तू बाल भी बाँका नहीं कर सकता।
अरे तू वो कायर इंसान है जो सिर्फ औरतों और मज़लूमों पर अत्यचार करना जानता है।

रुक्मणी;रानी तू डर मत यहाँ आ।
आज तेरे बाप को बता दे की तू इससे नहीं डरती।

दोनो माँ बेटी देवा के पास चलि जाती है और हिम्मत की आँखों में देखते हुए
देवा की चौड़ी छाती से चिपक जाती है।

दोनो औरतों को अपने बाहों में समेट कर देवा
उन्हें चुमने लगता है।
 
हिम्मत;जो सोच भी नहीं सकता था आज वो देख रहा था।
उसकी सारी ठाकुर गीरी खाक में मिल चुकी थी।
एक क़ैदी की तरह वो खून में लथपथ घुटनो के बल बैठा देवा और अपनी बेटी और पत्नी को देख रहा था।

रानी;देवा की शर्ट उतार कर फ़ेंक देती है।
और रुक्मणी अपनी साडी खोल देती है।

दोनो माँ बेटी हिम्मत की मौजूदगी में अपने सारे कपडे निकालने लगती है।

उन दोनों में ये ताकत सिर्फ और सिर्फ देवा की वजह से आई थी।
वो जान गई थी की असली मरद कौन है और कौन खोखला इंसान है।

देवा;दोनों नंगी माँ बेटी को नीचे बैठा कर अपने लंड से चिपका लेता है।

रुक्मणी;एक बार मुड कर हिम्मत की तरफ देखती है
हिम्मत अपना सर झुका लेता है।
और रुक्मणी मुस्कुराते हुए देवा के लंड को अपने मुँह में ले लेती है।

कुछ देर पहले जिस रूम में हिम्मत की दर्द से चीखने चिल्लाने की आवाज़ें गूंज रही थी उसी रूम में माँ बेटी अपने घर के मुखिया के सामने देवा के लंड को चुसते हुए चटखारे मार रही थी।

रानी;देवा के लंड को दोनों हाथों में लेकर चूसने लगती है
गलप्प गलप्प अहह गलप्प।
हाँ माँ तुम सच कहती हो हमें डरने की कोई ज़रूरत नहीं गलप्प गलप्प गलप्पप्प गलप्प।
ये हमारा कुछ नहीं बिगाड सकता गलप्प गलप्प्प।
देवा दोनों के मुँह को जोड़ देता है और उसके बीच में अपना मोटा लंड पेलने लगता है।दोनों के गरम होंटो की गर्मी से देवा का लंड और गरम होते चला जाता है।
फिर देवा दोनों के मुँह के बारी बारी चोदने लगता है।

देवा;का लंड देख एक पल के लिए हिम्मत भी हैरत में रह जाता है
इतने बड़े लंड को दोनों औरतें इतनी आसानी से अपने मुँह में ले रही थी । ये देख हिम्मत को यक़ीन हो जाता है की रुक्मणी और रानी हमेशा से देवा से चुदवाती आई है।

देवा;अपने लंड को हाथ में लहराता हुआ रुक्मणी और रानी को बिस्तर पर ले आता है।
 
रानी;अपनी माँ की चूत पर झुक कर चूत चाटने लगती है और देवा अपने लंड को रुक्मणी के मुँह में डाल कर हिम्मत की तरफ देख उसे आगे पीछे करने लगता है।

देवा;देख हिम्मत गौर से देख।
तेरी ऑंखों के सामने क्या हो रहा है।
अब तुझे समझ आ गया होगा की मरद कौन है और हिजड़ा कौन है।

रुक्मणी;देवा मुझे चोदो न मेरी चूत में आग लगी है।

रुक्मणी के बोलते ही देवा बड़े प्यार से अपना लंड उसके मुँह से निकाल कर रुक्मणी की चूत से लगा देता है और एक झटके में उसे रुक्मणी की चूत में उतार देता है।

रुक्मणी;आहह आह्ह्ह्ह
चोदो मुझे और ज़ोर से आह्ह्ह्ह।


रुक्मणी की चूत इस बात से बेहद खुश थी और पानी बहा रही थी की वो आज वो काम कर रही थी जो बहुत कम शादीशुदा औरतें कर पाती है।
सही मरद का चुनाव।

देवा;देख कुत्ते कैसे चुद्वाती है तेरी औरत मुझसे।
गांडू देख भी इधर। नीचे क्या देख रहा है।

रुक्मणी की चीखें साफ़ बता रही थी की उसे बहुत मजा आ रहा है।
देवा का हर दमदार धक्का रुक्मणी के मुँह से आह्ह्ह्ह
निकाल रहा था।

हिम्मत न चाहते हुए भी अपना सर उठा कर उनकी तरफ देखता है और ठीक उसी समय देवा अपने लंड को चूत की गहराइयों में उतार देता है।

हिम्मत को ऐसा महसूस होता है जैसे देवा रुक्मणी को नहीं बल्कि उसकी गाण्ड मार रहा है।

वो अपना सर झुका लेता है।
बेबस लाचार हिम्मत.....
अंदर ही अंदर घुटन महसूस कर रहा था।
बेबसी और लाचारी क्या होती है आज उसे पता चली थी।
जीस्म इस कदर लहुलुहान हो चूका था की वो ठीक से खड़ा भी नहीं हो सकता था उसे मजबूरन वहीँ बैठ कर सब देखना पड़ रहा था।
 
रूम में रुक्मणी की सिसकारियों की आवाज़ें उसे उसकी लाचारी पर रोने पर मजबूर कर रही थी।
मगर हिम्मत वो हरामी इंसान था जो पलट कर वार करता था।
एक घायल भेड़िये की तरह वो अपने मौके के इंतज़ार में था।
वो जानता था की आज नहीं तो कल उसे इन्तक़ाम का मौका ज़रूर मिलेगा।
देवा ने उसे ज़िंदा छोड़ कर बहुत बड़ी गलती की थी।

जीसका फायदा हिम्मत ज़रूर उठाने वाला था।

देवा;दोनों औरतो को एक दूसरे से चिपका कर पीछे से रुक्मणी की कमर को पकड़ उसे अंदर तक चोदने लगता है।



आज जानबूझ कर देवा रुक्मणी को ज़ोर ज़ोर से पेल रहा था।
इसलिए की रुक्मणी चीखें और उसकी चीख हिम्मत के कान के परदे हिला दे। उसकी अंतर आत्मा उसे झिंझोड़ कर रख दे और वो अपने ही नज़रों में गिर जाए।

गाँव का सबसे शक्तिशाली आदमी आज घुटनो के बल बैठा अपनी पत्नी और बेटी को गांव के मामूली आदमी से चुदते देखने पर मजबूर था।

देवा;के हाथों पिटाई ने ये बात तो उसे बता दी थी की देवा अपने प्यार करने वालों पर हमला होने से तिलमिला जाता है।
और इसी कमज़ोरी का फायदा हिम्मत राव आगे चल कर उठाने वाला था।

देवा;अपने लंड पर कभी रुक्मणी तो कभी रानी को बैठा कर दना दन दना दन चोदे जा रहा था और दोनों औरतें भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाये जा रही थी।

रानी;अपनी चूत में देवा का लंड घुसाए अपनी माँ रुक्मणी को चुमते हुए सिसकारियां भर रही थी।

रानी;माँ मेरी चूत फाड़ दी देवा ने आह्ह्ह्ह।

रुक्मणी;मर्द है वो हमारा उसे सब अधिकार है हमें हर तरह से चोदने का।

रानी; हाँ माँ आह्ह्ह्ह
आह्ह्ह
ह मेरी चूत आह्ह्ह्ह्ह।
 
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