hotaks444
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वैध;आप सब बाहर जाए देवा तुम यहीं रुको।
वैध;सभी को बाहर कर देता है और किरण के साथ मिलकर दोनों वैध नीलम को ठीक करने में जुट जाते है।
बाहर शालु रत्ना और ममता का बुरा हाल था।
सभी रो रहे थे। दुवाएं मांग रहे थे।
नीलम दुबली पतली लड़की थी।
जितना उसका खून गया था उस से लग रहा था की वो शायद नहीं बच पाएगी।
बैध और किरण पूरी कोशिश कर रहे थे की खून बहना बंद हो जाए।
वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे और पास में खड़ा देवा बस नीलम को देख रहा था।
देवा;खुद को बहुत लाचार महसूस कर रहा था।
बीच बीच में नीलम देवा को पुकार रही थी।
किरण;देवा तुम नीलम का हाथ पकड़ लो।
और देखो घबराओ मत नीलम को कुछ नहीं होगा।
देवा;नीलम के पास आकर बैठ जाता है उसके हाथ को अपने हाथों में थाम लेता है।
देवा;देख नीलम मै यहीं हूँ तेरे पास।
जब तक तो आँखें नहीं खोलती कसम है मुझे तेरी मै भी आँखें नहीं खोलूंगा।
शायद मौत के फ़रिश्ते भी देवा की मोहब्बत देख नीलम की रूह जिस्म से निकालने से रुक गए होंगे।
बैध अपना काम कर चुके थे।
रत्ना शालु और ममता अंदर आ जाते है।
शालु;वैध जी मेरे बेटी ठीक तो हो जाएगी ना।
बैध;अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
इसका खून बहुत बह चूका है।
सुबह तक इंतज़ार करिये ऊपर वाले ने चाहा तो नीलम को कुछ नहीं होगा।
और अगर नीलम सुबह तक होश में नहीं आई तो.....
शालु;तो क्या वैध जी बोलिये न तो क्या।
बैध ;कुछ नहीं कहता मगर उसकी ख़ामोशी सब कुछ कह देती है।
वैध;सभी को बाहर कर देता है और किरण के साथ मिलकर दोनों वैध नीलम को ठीक करने में जुट जाते है।
बाहर शालु रत्ना और ममता का बुरा हाल था।
सभी रो रहे थे। दुवाएं मांग रहे थे।
नीलम दुबली पतली लड़की थी।
जितना उसका खून गया था उस से लग रहा था की वो शायद नहीं बच पाएगी।
बैध और किरण पूरी कोशिश कर रहे थे की खून बहना बंद हो जाए।
वो अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे थे और पास में खड़ा देवा बस नीलम को देख रहा था।
देवा;खुद को बहुत लाचार महसूस कर रहा था।
बीच बीच में नीलम देवा को पुकार रही थी।
किरण;देवा तुम नीलम का हाथ पकड़ लो।
और देखो घबराओ मत नीलम को कुछ नहीं होगा।
देवा;नीलम के पास आकर बैठ जाता है उसके हाथ को अपने हाथों में थाम लेता है।
देवा;देख नीलम मै यहीं हूँ तेरे पास।
जब तक तो आँखें नहीं खोलती कसम है मुझे तेरी मै भी आँखें नहीं खोलूंगा।
शायद मौत के फ़रिश्ते भी देवा की मोहब्बत देख नीलम की रूह जिस्म से निकालने से रुक गए होंगे।
बैध अपना काम कर चुके थे।
रत्ना शालु और ममता अंदर आ जाते है।
शालु;वैध जी मेरे बेटी ठीक तो हो जाएगी ना।
बैध;अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
इसका खून बहुत बह चूका है।
सुबह तक इंतज़ार करिये ऊपर वाले ने चाहा तो नीलम को कुछ नहीं होगा।
और अगर नीलम सुबह तक होश में नहीं आई तो.....
शालु;तो क्या वैध जी बोलिये न तो क्या।
बैध ;कुछ नहीं कहता मगर उसकी ख़ामोशी सब कुछ कह देती है।