hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
अपडेट 100
देवा;रत्ना को अपनी तरफ घुमा लेता है।
रत्ना;कसमसाते हुए देवा की आँखों में देखने लगती है।
चेहरे पर हलकी सी मुस्कान लिए न जाने कितने जुगनू जगमगा रहे थे उन दोनों की आँखों में।
एक हसीन खवाब जो मुदत्तों के बाद पूरा होने की कगार पर था।
एक दिल में छुपा हुआ सा एहसास।
वो जिस्म की खवाहिश जो बदन के रौंगटे खड़ा कर दे।
आज ये दो जिस्म बेताब थे अपने अपने रूह को सुकून पहुँचाने के लिये।।
देवा;अपना एक हाथ अपनी माँ की छाती पर रख कर हलके से दबाता है।
रत्ना; आह्ह क्या कर रहे हो । मुझे बहुत नींद आ रही है देवा।
देवा;जिस पल की लिए देवा जी रहा था।
उस पल का हर एक लमहा मै महसूस करना चाहता हूँ माँ।
तेरे बदन की खुशबु मुझे सोने नहीं देती।
तेरे होठो की लर्ज़िश मुझे जीने नहीं देती।
इस खूबसूरत एहसास को पाने के लिए अब तक ज़िंदा है तेरा बेटा वरना कब का मर चूका होता।
रत्ना;अपना हाथ देवा के मुँह पर रख देती है।
ऐसा मत बोल ।
मेरी ज़िन्दगी का मक़सद है तु।
आज से रत्ना तेरी हुई आज से मै तन मन और धन से तुझे अपने आप को सौंपती हूँ।
अपने हर दिल की मुराद को अच्छी तरह से पूरी कर ले।
देवा;अपने हाथ की पकड़ को और मज़बूत करते हुए ब्लाउज के ऊपर से रत्ना की मदमस्त चुचियों को दबाने लगता है।
एक बिजली सी रत्ना के बदन से हो कर गुज़र जाती है।
दोनो के होंठ कांप रहे थे।
वो बस एक गुज़ारिश कर रहे थे।
की उन्हें अपने मेहबूब से मिला दो।
रत्ना;अपने एक हाथ को देवा के सर के पीछे ले जाकर उसके बालों में जकड लेती है और उसे अपने ऊपर झुकाते चली जाती है।
देवा के होंठ जब अपने माँ रत्ना के होठो के इतने करीब थे, की दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी।
देवा अपने माँ से एक सवाल पूछता है।
क्या तुम मुझे अपना पति स्वीकार करती हो रत्ना।और रत्ना उसे जवाब नहीं देती बस उसे अपने होठो से लगा लेती है,और दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।
यूं तो इससे पहले भी ये कई मर्तबा एक दूसरे से मिले थे मगर आज जो जज़्बा दोनों के अंदर था वो इससे पहले कभी नहीं महसूस हुआ था।
देवा;रत्ना को अपनी तरफ घुमा लेता है।
रत्ना;कसमसाते हुए देवा की आँखों में देखने लगती है।
चेहरे पर हलकी सी मुस्कान लिए न जाने कितने जुगनू जगमगा रहे थे उन दोनों की आँखों में।
एक हसीन खवाब जो मुदत्तों के बाद पूरा होने की कगार पर था।
एक दिल में छुपा हुआ सा एहसास।
वो जिस्म की खवाहिश जो बदन के रौंगटे खड़ा कर दे।
आज ये दो जिस्म बेताब थे अपने अपने रूह को सुकून पहुँचाने के लिये।।
देवा;अपना एक हाथ अपनी माँ की छाती पर रख कर हलके से दबाता है।
रत्ना; आह्ह क्या कर रहे हो । मुझे बहुत नींद आ रही है देवा।
देवा;जिस पल की लिए देवा जी रहा था।
उस पल का हर एक लमहा मै महसूस करना चाहता हूँ माँ।
तेरे बदन की खुशबु मुझे सोने नहीं देती।
तेरे होठो की लर्ज़िश मुझे जीने नहीं देती।
इस खूबसूरत एहसास को पाने के लिए अब तक ज़िंदा है तेरा बेटा वरना कब का मर चूका होता।
रत्ना;अपना हाथ देवा के मुँह पर रख देती है।
ऐसा मत बोल ।
मेरी ज़िन्दगी का मक़सद है तु।
आज से रत्ना तेरी हुई आज से मै तन मन और धन से तुझे अपने आप को सौंपती हूँ।
अपने हर दिल की मुराद को अच्छी तरह से पूरी कर ले।
देवा;अपने हाथ की पकड़ को और मज़बूत करते हुए ब्लाउज के ऊपर से रत्ना की मदमस्त चुचियों को दबाने लगता है।
एक बिजली सी रत्ना के बदन से हो कर गुज़र जाती है।
दोनो के होंठ कांप रहे थे।
वो बस एक गुज़ारिश कर रहे थे।
की उन्हें अपने मेहबूब से मिला दो।
रत्ना;अपने एक हाथ को देवा के सर के पीछे ले जाकर उसके बालों में जकड लेती है और उसे अपने ऊपर झुकाते चली जाती है।
देवा के होंठ जब अपने माँ रत्ना के होठो के इतने करीब थे, की दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी।
देवा अपने माँ से एक सवाल पूछता है।
क्या तुम मुझे अपना पति स्वीकार करती हो रत्ना।और रत्ना उसे जवाब नहीं देती बस उसे अपने होठो से लगा लेती है,और दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।
यूं तो इससे पहले भी ये कई मर्तबा एक दूसरे से मिले थे मगर आज जो जज़्बा दोनों के अंदर था वो इससे पहले कभी नहीं महसूस हुआ था।