Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 66 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

अपडेट 100





देवा;रत्ना को अपनी तरफ घुमा लेता है।
रत्ना;कसमसाते हुए देवा की आँखों में देखने लगती है।
चेहरे पर हलकी सी मुस्कान लिए न जाने कितने जुगनू जगमगा रहे थे उन दोनों की आँखों में।
एक हसीन खवाब जो मुदत्तों के बाद पूरा होने की कगार पर था।
एक दिल में छुपा हुआ सा एहसास।
वो जिस्म की खवाहिश जो बदन के रौंगटे खड़ा कर दे।
आज ये दो जिस्म बेताब थे अपने अपने रूह को सुकून पहुँचाने के लिये।।
देवा;अपना एक हाथ अपनी माँ की छाती पर रख कर हलके से दबाता है।
रत्ना; आह्ह क्या कर रहे हो । मुझे बहुत नींद आ रही है देवा।
देवा;जिस पल की लिए देवा जी रहा था।
उस पल का हर एक लमहा मै महसूस करना चाहता हूँ माँ।
तेरे बदन की खुशबु मुझे सोने नहीं देती।
तेरे होठो की लर्ज़िश मुझे जीने नहीं देती।
इस खूबसूरत एहसास को पाने के लिए अब तक ज़िंदा है तेरा बेटा वरना कब का मर चूका होता।
रत्ना;अपना हाथ देवा के मुँह पर रख देती है।
ऐसा मत बोल ।
मेरी ज़िन्दगी का मक़सद है तु।
आज से रत्ना तेरी हुई आज से मै तन मन और धन से तुझे अपने आप को सौंपती हूँ।
अपने हर दिल की मुराद को अच्छी तरह से पूरी कर ले।
देवा;अपने हाथ की पकड़ को और मज़बूत करते हुए ब्लाउज के ऊपर से रत्ना की मदमस्त चुचियों को दबाने लगता है।
एक बिजली सी रत्ना के बदन से हो कर गुज़र जाती है।
दोनो के होंठ कांप रहे थे।
वो बस एक गुज़ारिश कर रहे थे।
की उन्हें अपने मेहबूब से मिला दो।
रत्ना;अपने एक हाथ को देवा के सर के पीछे ले जाकर उसके बालों में जकड लेती है और उसे अपने ऊपर झुकाते चली जाती है।

देवा के होंठ जब अपने माँ रत्ना के होठो के इतने करीब थे, की दोनों की साँसें एक दूसरे से टकरा रही थी।
देवा अपने माँ से एक सवाल पूछता है।
क्या तुम मुझे अपना पति स्वीकार करती हो रत्ना।और रत्ना उसे जवाब नहीं देती बस उसे अपने होठो से लगा लेती है,और दोनों के होंठ एक दूसरे से चिपक जाते है।
यूं तो इससे पहले भी ये कई मर्तबा एक दूसरे से मिले थे मगर आज जो जज़्बा दोनों के अंदर था वो इससे पहले कभी नहीं महसूस हुआ था।
 
देवा अपने ज़ुबान को बाहर निकाल कर रत्ना के मुँह में डालने लगता है और रत्ना भी उसका साथ देते हुए अपना मुँह खोल कर देवा की जीभ को चुसने लगती है।
वो इस अंदाज़ में देवा की जीभ चूस रही थी जैसे उसके मुँह में देवा का लंड हो।
चटखारे मारते हुए अपने मुँह का थूक देवा के मुँह में उंडेलती हुई उसके जीभ को चूस रही थी।
देवा का बदन गरम हो चूका था जिस्म पर मौजूद वो टॉवल भी उसे बोझ लग रही थी वो उसे फेंक देता है और रत्ना को मसलते हुए उसके ऊपर चढ जाता है उसका खड़ा लंड रत्ना के साडी के ऊपर से उसकी चूत से जा टकराता है।वो चुभन पहली नहीं थी।मगर आज उस चुभन को अंदर महसूस करना चहती थी रत्ना।
रत्ना;आह ह ह मुझे नंगी कर दे पूरी तरह।
देवा;मुस्कुराते हुए बैठ जाता है और एक झटके में उसका ब्लाउज निकाल देता है।
साडी को कमर से खींच कर अलग कर देता है।
और पेंटी को नीचे उतार देता है।फूलों सी महकती हुई रत्ना हुश्न की मल्लिका अपने पुरे शबाब के साथ देवा के सामने नंगी हो जाती है।
देवा;माँ आज मै तुझे मर्द का एहसास कराना चाहता हूँ।
तेरे मर्द का, तेरे देवा का ,तेरे बेटे के लंड से ,तेरी तडपती हुई चूत को गीला करना चाहता हूँ।
बोल माँ मुझसे चुदाएगी ना ,लेंगी न मेरा लंड तेरी चूत में।
रत्ना;आह ह ह ह ह
मेरी चूत अब मेरी नहीं रही देवा ये
तुम्हारी हो गई है तुम मालिक हो अब इसके साथ जो चाहें वो कर सकते हो ।
आह मसलो मेरी चूत के दाने को
बहुत तडपाती है ये तुम्हारे रत्ना को मेरे लाल।
देवा;अपने माँ की बड़ी बड़ी चुचियों पर टूट पड़ता है
वो बड़े बड़े खरबूज़ की तरह चुचियों को अपने मुँह में भर लेता है गप्प गप

रत्ना की चूत भी चीखने लगती है।
मिलन का वो वक़्त करीब आ गया था।
देवा का हाथ नीचे बढ़ कर रत्ना के चुत को सहलाने लगता है और रत्ना भी अपने नाज़ुक से हाथों में देवा का लंड दबोच लेती है।
दोनो की साँसें फूल चुकी थी दोनों एक दूसरे के अंदर जाने के लिए बेताब थे
मगर ये हसीन वक़्त देवा को बड़े मुददत्तों के बाद नसीब हुआ था वो कोई जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता था।
वो नीचे निप्पल्स को हलके हलके अपने दांतों से काटने लगता है और उसे खीचते हुए एक ऊँगली उसके बाद दूसरी ऊँगली भी रत्ना के चूत में डाल देता है।
रत्ना -आहह मार डालेगा आज तू मुझे आह
आह ह ह ह ह ह।
 
देवा;अभी नहीं जाने मन।
वो नीचे सरकते हुए पेट से होते हुए चूत तक पहुँच जाता है और अपनी माँ की चूत की महक में जैसे खो जाता है।
एक दिलकश जगह वो जगह जो हर किसी को नसीब नहीं होती।
बस देवा जैसे किस्मत वाले उस मुक़ाम तक पहुँच पाते है।
रत्ना अपने दोनों पैरों को और खोल देती है।
देख जब तू इस चूत से निकल रहा था तब भी मेरे पैर ऐसे ही खुले हुए थे।
और आज जब तू इस में दूबारा जायेंगा तब भी ऐसे ही हैं।
आजा अपने माँ की चूत में देवा।
आह अह्ह्ह
देवा अपनी ज़ुबान को रत्ना की चूत पर रख कर गाण्ड के सुराख़ से लेकर चूत के दरार तक चाटने लगता है गप्प गल्प गल्प गल्प गल्प.....
देवा की ज़ुबान लम्बी थी सामने का हिस्सा नुकीला था
वो बहुत कम औरतों के चूत पर झुकता था और जब झुकता था तो उसकी ज़ुबान ही लंड का काम कर देती थी।
औरत अपनी टाँगें खोलने पर मजबूर हो जाती थी
चुत का मीठा मीठा पानी झरने से बहते हुआ देवा के मुँह तक पहुँच जाता था।
रत्ना का भी यही हाल था।

उसकी चूत इतनी पनिया गई थी की ज़ुबान जितने अंदर जाता रत्ना अपने कमर को उतना ऊपर उठा लेती।
इस एहसास में की देवा उसे चोद रहा है मगर वो कहाँ जानती थी की असली एहसास अभी बाकी है।
देवा अपने एक ऊँगली को रत्ना के गाण्ड के भूरे छेद में डाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।
रत्ना का मुँह खुलता चला जाता है।
हलक सुखने लगता है मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल पाता।
ऐसा लगने लगता है रत्ना को जैसे की उसकी जान उसकी चूत से खीच रहा है।
रत्ना अपने दोनों हाथों से देवा के सर को अपने चूत पर दबाने लगती है।देवा काफी देर तक रत्ना की रसीली चूत को अपनी जीभ से चाटता जाता है।
देवा की ज़ुबान अपना काम कर गई थी
रत्ना की चूत का उस रात का पहला पानी बाहर बह निकला था।
जिसे देवा बड़े चाव से चटता चला जाता है।
जब रत्ना की साँसें थोडी धीमी होती है तो वो देवा की तरफ देखने लगती है।
देवा का मुँह पूरी तर्ह रत्ना के पानी से गीला था।
रत्ना की आँखों में खून उमड़ आया था।
वो देवा के तरफ लपकती है और उसके मुँह को चाटने लगती है।
गलप्प मेरी चूत का पानी है ना ये गल्प गल्प गल्प.....
मेरी जान के मुँह पर से मै साफ़ कर देती हु इसे गलप्प
गलप गलप्प
वो दीवानी हो गई थी चूत की आग आज सर में चढ़ गई थी।
 
देवा अपने ज़ुबान को भी बाहर निकाल देता है।और रत्ना उसे भी चाटने लगती है।

मगर जैसे ही वो देवा से और चिपकती है
एक नोकीला मोटा चीज़ उसके पेट से टकरा जाती है।
रत्ना नीचे देखती है।
वो देवा का खड़ा लंड था जो झटके पर झटके मार रहा था।
देवा-माँ तू पेशाब को कैसे बैठती है।
रत्ना नीचे ज़मीन पर बैठ जाती है
ऐसे पेशाब करती है तेरी माँ।पैर खुले हुए चूत चौडे गांड पीछे की तरफ निकले हुए
चूचियाँ सामने की तरफ लटके हुए।
बहुत हसीन लग रही थी रत्ना।
देवा अपने लंड से रत्ना के गाल सहलाने लगता है।
रत्ना- मेरा गला सूख रहा है।मै पानी पीकर आती हूँ।

देवा-पानी तो यही है। चल मुँह खोल।
रत्न देवा के आँखों में देखते हुए जैसे ही अपना मुँह खोलती है देवा उसके मुँह में अपना लंड डाल कर उसका सर पीछे से पकड़ लेता है।
रत्ना को समझ नहीं आता की देवा क्या कर रहा है।
मगर अगले ही पल उसे तब एहसास होता है जब देवा का पेशाब उसके हलक में गिरने लगता है।
पेशाब की महक रत्ना को और मदहोश कर देती है और वो देवा के लंड से निकला पिशाब पीने लगती है
रत्ना अपने हाथ में देवा के टेस्टिस को पकड़ कर उसे दबाने लगती है
जिससे देवा का लंड और मोटा होता चला जाता है।
बहुत सारा पेशाब पीने के बाद रत्ना का बदन ऐंठने लगता है।
उसे लंड चाहीये था अपने चुत में मगर देवा उसका मुँह मीठा किये बिना उसे ये देना नहीं चाहता था।
देवा इशारे से रत्ना को अपने लंड को फिर से मुँह में लेने के लिए कहता है।
और प्रेम दीवानी रत्ना अपने देवा के लंड को अपने मुँह में लेकर उसे सर से लेकर जड़ तक चाटने लगती है
गलप गलप्प
आह गल्प गल्प
मेरा लंड मेरे मुँह में कितन अच्छा लगता है गल्प गलप गलप्प गलप्प आह्ह्ह गलप्प।
मेरे पति का लंड मै रोज चूसूंगी गप गप
देवा;आह माँ धीरे धीरे चूस ना दर्द हो रहा है आह
रत्ना; चूसने दो ना जी गल्प गल्प गाल्प
देवा;बरसों का प्यासा था।
 
आज जब कुआँ खुद चल कर प्यासे के पास आया था तो देवा एक बूंद भी गँवाना नहीं चाहता था वो अपनी रत्ना को रात भर पेलना चाहता था।
उसे रात भर अपने लंड के नीचे लेटाकर चोदना चाहता था।
देवा;अपनी माँ को गोद में उठा लेता है और उसे बिस्तर पर लेटा देता है।
और झट से उसके ऊपर चढ़ जाता है।
अपने दोनों हाथों में रत्ना की चूचियों को पकड़ कर वो रत्ना को चुमते हुए अपने लंड को रत्ना के चूत पर घीसने लगता है।
माँ तेरी चूत मुझे चाहिए।
रत्ना-हाँ हाँ ले ले मेरी चूत बेटा आह आह
चोद डाल अपनी माँ को बना ले तेरे लंड की रानी आह्ह्ह्ह
और मत तडपा मुझे डाल न अंदर आहह्ह्ह।
देवा;कहाँ डालूँ माँ....
रत्ना;नीचे हाथ डाल कर देवा के लंड को अपने हाथ में पकड़ लेती है और उसे अपने चूत के मुहाने पर लगा देती है।
यहाँ मेरे बच्चे यहाँ....
देवा;अब तो मना नहीं करेगी ना.....
रत्ना;नहीं नहीं अब मना नहीं करुँगी जब जहाँ जैसे चाहेगा वहाँ चुदायेगी तेरी माँ तुझसे। बस डाल दे अपना मूसल मेरी चूत के अंदर।
देवा;अपने कमर को ऊपर की तरफ उठाता है और दन से उसे रत्ना की चूत पर दबा देता है।
एक बेटे का लंड पहली बार सारे बंधन तोड कर सारी कस्मे भूल कर अपनी माँ की रसीली चूत में घुस जाता है।
रत्ना चीख पडती है।
जानें कितने बरसों के बाद रत्ना की चूत में कोई लंड गया था।
रत्ना चीख उठती है।
हाय रे ज़ालिम धीरे कर दर्द होता है।
उउन्ह।
देवा;आज वो रात नहीं है जब एक बेटा अपनी माँ के दर्द को सुनकर रुक जाए।
वो दूसरा धक्का देता है और ये वाला धक्के से लंड रत्ना के बच्चेदानि तक जा रहा है।
रत्ना की कमर ऊपर की तरफ उठ जाती है और रत्ना के दोनों पैर देवा के कमर से लिपट जाते है ।
वो लम्बी लम्बी साँसें लेने लगती है।
देवा;कुछ पल उस एहसास को महसूस करता है और फिर अपनी माँ की दोनों चुचियों को मसलते हुए लंड को आगे पीछे करता चला जाता है।
रत्ना;हाय रे ज़ालिम बेटा मेरा आहह मेरी चूत है ना वो आहह....
मेरे बेटे धीरे से कर ना आह
पहले पहले धक्के तो कुँवारी को भी दर्द देते है।
रत्ना तो दो बच्चों की माँ थी।
उसे ज़्यादा वक़्त नहीं लगता खुद को सँभालने में।
जब चूत की चिकनाहट लंड को सहलाने लगती है और जब चूत की दिवारें पूरी तरह खुल जाती है तो रत्ना भी पागल सी हो जाती है।
 
अपने एकलौते बेटे के नीचे टाँगें खोल कर चुदाना उसे दिवाना बना देता है और वो अपने देवा के चेहरे को पकड़ कर उसके होठो को अपने मुँह में लेकर नीचे से दना दन दना दन हर धक्के का साथ देते हुए कमर को ऊपर उठाने लगती है।
आह।और जोर से बेटा और जोर से
आह खूब डाल मुझे अंदर तक हर उस जगह पहुँच जा जहाँ तेरे बापु भी नहीं पहुँच पाये थे आह्ह्ह्ह।
मेरी चूत सिर्फ तेरी है मेरे लाल आहहह.....
चोद अपनी माँ को जोर जोर से चोद मुझे आहहह।

रत्ना वो पहली औरत थी जो देवा के धक्कों को बड़ी आसानी से सह रही थी और मस्ती में उससे और ज़ोर से पेलने के लिए कह रही थी।
सच कहा है किसी ने ग़ुरू ग़ुरू होता है और चेला चेला।
यहाँ वो औरत थी जिस ने इस सांड को पैदा किया था।
भला वो उस लंड से कैसे पनाह माँगती।
आज देवा को अपनी माँ की ताकत का एहसास हुआ था।
देवा;जितने ज़ोर से लण्ड को चूत में घुसाता
रत्ना उतने ही ताकत से अपनी कमर को ऊपर उठा कर उसे और अंदर ले लेती है।
रत्ना पागल हो गई थी अपने दोनों हाथों के नाखुनो से वो देवा के पीठ को कुरेदते हुए उसे और ज़ोर जोर से चोदने के लिए कह रही थी।
जब माँ पुकारती है तो बेटे को आना पड़ता है।
और देवा वही कर रहा था वो रत्ना को जबरदस्त धक्के के साथ पेल रहा था।
और रत्ना अपने बेटे को इतनी आसानी से रुकने देने वालों में से न थी।
रूम में पच पच फच फच की आवाज़ें गूंज रही थी।
रत्ना के बीच बीच में चीखने की आवाजे।
जब देवा का लण्ड उसके बेच्चेदानि से टकरा जाता था तो उसकी चीख निकल जाती थी।
देवा पसीने में नहा चूका था और उसके नीचे लेटी हुई रत्ना भी दम दम हो गई थी मगर दोनों के कमर लगातार हील रही थी।
देवा की पकड़ अपने माँ की चुचियों पर और मज़बूत होती चली जाती है।
और रत्ना की चूत से पानी टिप टिप करके रिसने लगता है।
वो जोश रात भर कम नहीं होने वाला था ये दोनों अच्छी तरह से जानते थे।
दोनो पिछले ३०मिनट से एक दूसरे को धक्के मारने में लगे हुए थे
और लण्ड की मार चूत पर जारी थी।
रत्ना अपना मुँह खोल देती है और उसकी ज़ुबान बाहर की तरफ निकल आती है।
उसे साँस लेने में दिक्कत हो रही थी।
देवा के धक्कों से उसे सँभलने का मौका नहीं मिल रहा था।
रत्ना -चोद मुझे बेटा चोद अपनी माँ को
अपनी माँ को चोद रहा है ना तु
मेरी चूत में अपना लंड डाल कर जहाँ से मैंने तुझे निकाला था वहीँ अपना मोटा लण्ड डाल के आहह्ह्ह
कैसी है तेरी माँ की चूत मेरे लाल
आह और जोर से चोद आहह।
 
देवा;माँ तेरी चूत मुझे पहले मिल गई होती तो कसम से कहीं भी नहीं जाता दिन रात इसी में पडा रहता मै आहह्ह्ह्ह।
रत्ना;आज से इसी में रखूँगी तुझे दिन रात मुझे चोदेगा ना अपनि माँ को। जब दिल कहेगा मेरा आह ह ह माँ ।
देवा;हाँ माँ आज से बस तुझे ही चोदुँगा मैं हर जगह।

रत्ना;कहाँ कहाँ चोदेगा मुझे आहह्ह्ह
देवा;हर जगह माँ हर जगह।
जब तक तेरे तीनो सुराख़ में नहीं डाल देता तब तक नहीं रुकुंगा आज मैं।
रत्ना;तीनो सुराखों में देवा
देवा;हाँ माँ तेरी चूत और मुँह तो ले चुके है मेरा लण्ड बस तेरी गाण्ड बाकी है आहह उसे भी चोद लूँ एक बार तभी रुकेगा तेरा बेटा आहह।
रत्ना;मैं भी तुझे रुकने नहीं दूंगी बेटा।
हर जगह लूँगी तेरा लंड।
देवा: कहाँ कहाँ.......
रत्ना: खेत में
नहाते हुए
पेशाब करते हुए
किचन में
खाना खाते हुए
हर जगह मुझे चोदना मेरी बेटी की चूत चाटते हुए भी चोदना।
मेरी बहु के सामने नंगी करके चोदना मुझे देवा।
देवा;हाँ माँ मैं चोदुंगा तुझे अपनी बहन ममता की चूत पर झुका कर।
तेरी बहु नीलम के सामने भी तुझे चोदुँगा तुझे आहह्ह्ह ले साली मेरा लंड।
एक घंटे तक जबरदस्त चुदाई चलती है फिर दोनो एक दूसरे से चिपक जाते है।
और लम्बी लम्बी साँसें लेते हुए देवा अपना सारा पानी अपनी माँ रत्ना के चूत में निकालने लगता है
उसके साथ साथ रत्ना भी झड़ती चली जाती है।
दोनो एक दूसरे को चुमते हुए अपनी साँसें ठीक करने लगते है।
 
ठीक उसी समय
शालु के घर में-
कुछ इस तरह का माहौल था।

शालु;अपनी गाण्ड और चूत अपनी बहु नूतन से चटवा रही थी।

और नूतन अपनी सास के कमर पर थप्पड मारते हुए दो उँगलियाँ चूत में घुस्सा कर चूत के दाने को चाट रही थी।

वो दोनों नहीं जानती थी की पप्पू अपने लंड को हाथ में लिए उनके पीछे खड़ा है।

नुतन;को तब पप्पू का एहसास होता है जब पीछे से पप्पू अपने लंड को नूतन के गाण्ड की दरार में घीसने लगता है।

दोनो सास बहु पीछे पलट कर देखते है।
पहले तो सहम जाते है फिर पप्पू को भी नंगा देख शालु समझ जाती है की डरने की कोई बात नहीं है।

नुतन;अपनी टाँगें थोड़ा सा खोल देती है और पप्पू पीछे से अपने लंड पर थूक लगा कर उसे नूतन की चूत में पेल देता है।


नुतन ; उईईईईई माँ....
अपनी सास की चूत को ज़ोर से काट लेती है और शालु भी चीख पड़ती है।

उसकी चीख नीलम के कानो तक पहुँच जाती है और वो नींद से जग जाती है।
नीलम को अपनी माँ के रूम से चीखने की आवाज़ सुनाई देती है वो उठ कर जैसे ही दरवाज़े के करीब पहुँचती है सामने का नज़ारा देख उसके पैर वही थम जाते है।
अंदर एक बहु अपनी सास की चूत चाट रही थी और एक बेटा अपनी माँ के सामने अपनी पत्नी को चोद रहा था।

नीलम;के हाथ पैर काँपने लगते है।
ये सब देख कर वो भाग कर अपने बिस्तर पर जाकर कंबल ओढ़ लेती है।
थर थर काँपती नीलम को यक़ीन करना मुश्किल भी था। उसका दिमाग घुमने लगता है।

और पप्पू के धक्के आज नूतन के लिए भी जानलेवा साबित हो रहे थे।
 
शालु; छिनाल काट क्यों रही है मेरी चूत आह्हह्हह्हह्हह।

नुतन : आपका बेटा मेरी चूत को उधेड रहा है ना रोकिये न जी आह्ह्ह्ह।

पप्पू;चुप करो छिनाल रंडी हो तुम दोनों साली आज नहीं छोड़ूँगा तुम दोनों को आह्ह्ह्ह।

एक हसीन रात में दो घरों में दो माएँ अपने बेटों से चुद रही थी।

पप्पू;अपना चप्पु नूतन के बाद शालु पर भी चला देता है।
आज सालों बाद उसे अपने लंड में ताकत का अहसास होता है। आज वो जल्दी झडा भी नहीं था।
बल्कि डटकर अपनी माँ और पत्नी की चूत का सामना कर रहा था।


कुछ देर बाद फिर से रत्ना ने देवा के लण्ड को चूस चूस कर खड़ा कर चुकी थी।
दोबारा उसे अपने अंदर लेने की चाह उसे बेचैन कर रही थी।
देवा;अपने पास में पड़ी हुई तेल की बोतल उठा लेता है और उसे अपने लण्ड पर उंडेल कर लंड चिकना कर देता है।
रत्ना को समझते हुए देर नहीं लगती की देवा ऐसा क्यूँ कर रहा है।

लण्ड पर तेल लगाने के बाद देवा रत्ना को एक करवट लेटा देता है
बडी सी चमकती हुए गाण्ड देवा के सामने आ जाती है
इस गाण्ड को तो देख देख कितनी बार देवा अपने लंड को खड़ा करके
शालु पदमा किरण रानी ममता देवकी की चूत में घुसाया करता था।और आज यही गाण्ड देवा के सामने झुकि हुई थी।
देवा;एक थप्पड अपनी माँ रत्ना के गाण्ड पर जड़ देता है।
रत्ना;आहह्ह्ह्ह
क्या करते हो जी पत्नी हूँ मै आपकी।

देवा;उसे सहलाते हुए
छिनाल भी तो है।
इतने सालों से तडपा जो रही है एक गाण्ड पर थप्पड क्या मारा चीख पड़ी साली रंडी।
रत्ना;अहह दर्द होता है ना।
देवा;असली दर्द अब होंगा मेरी जान को।
देवा अपने लंड को हाथ में पकड़ कर उसे रत्ना के गाण्ड के भूरे टाइट सुराख़ पर घिसता है
रत्ना;अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।
वो जानती थी दर्द भी होंगा मगर मीठा मीठा
और वही होता है देवा के लंड का सुपाडा रत्ना के गाण्ड में अटक जाता है।
रत्ना;आहह गया क्क्या.........
वह पीछे मुड़ कर देखती है।
सिर्फ सामने का हिस्सा गया था और रत्ना की आँखों में ऑंसू आ गये थे।
 
देवा उसे पूरी तरह उलटा लिटा देता है और रत्ना अपने कमर को ऊपर की तरफ उठा लेती है।और अपने दोनों हाथो को पीछे करके अपनी गांड के छेद को फैला देती है।
देवा;दोनों हाथों में कमर को पकड़ कर लंड को धीरे धीरे अपनी माँ रत्ना के गांड में उतारता चला जाता है।

रत्ना अपनी चीखें छूपाने के लिए बेडशीट अपने मुँह में ठूँस लेती है।
मगर गुं गुं हूं की आवाज़ें फिर भी उसके मुँह से निकल रही थी
देवा;तब तक नहीं रुकता जब तक पूरा का पूरा लंड रत्ना की टाइट गाण्ड में नहीं चला जाता।
जब देवा लण्ड को खिचता है तो थोड़ा सा खून भी उसके लंड में लग जाता है।
जो रत्ना के गाण्ड से निकल रहा था।
देवा: बहुत दर्द हुआ क्या मेरी जान।
रत्ना हाँ में सर हिला देती है।
देवा;तुझे दर्द हो रहा था तो मुझे रुकने के लिए बोली क्यूँ नही।
रत्ना;मुड कर देवा की आँखों में देखने लगती है।
बहुत तड़पाया हैं मैंने तुझे
जो तड़प का दर्द तूने सहा है मेरी वजह से उस दर्द के सामने ये दर्द तो कुछ भी नहीं है।
रुक मत खोल दे आज अपनी माँ के हर सुराख़ को।
और देवा अपने माँ की आज्ञा का पालन करते हुए तेल से सना हुवा लंड गप की आवाज़ के साथ अपनी माँ रत्ना की गांड में पूरा उतार देता है।
रत्न;आअह्हह्हह्हह
और ज़ोर से नही.....
ज़लिम और ज़ुल्म कर अपनी माँ पर
तेरा हर ज़ुल्म सहना चाहती हूँ मै आज से हर रात हर सुबह हर घडी ही चोद मुझे आहह्ह्ह।
देवा: घच घच अपनी माँ की गाण्ड मारने लगता है
हलांकी दोनों को दर्द भी हो रहा था मगर वो मोहब्बत ही क्या जिस में दर्द न हो।
सच्ची मोहब्बत में दर्द भी होता है और उस दर्द का मजा भी खूब होता है।

कुछ देर बाद रत्ना को भी मज़ा आने लगता है और वह अपनी गांड ख़ुशी ख़ुशी मरवाने लगती है देवा के हर धक्के का जबाब देने लगती है।

देवा: आह साली रंडी कितनी टाइट गांड है तेरी रत्ना।मेरा लंड फँस गया था।लगता है आज तक तेरी गांड किसी ने मारी नहीं ये बोलकर देवा रत्ना की चूतड़ पर एक थप्पड़ मारता है।
 
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