Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 69 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

देवा काफी देर से अपनी माँ की चूत को चूसते हुए रत्ना को मजे दे रहा था।
फिर अचानक ही उसने अपनी जीभ उसकी चूत पर चलाते हुए अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में घूसा दी और उसे अंदर बाहर करते हुए अपनी माँ की चूत को चाटने लगा…
रत्ना: आह्ह्ह्ह…
हाय……………बेटा…
हाँ ऐसे ही …………
आहह्ह्ह्ह
और अंदर तक……………
ओह्ह्ह्ह .......उईईईईई माँआआआआआआआ
हा और जोर से......
मेरी जान मेरे देवा……
ऐसे ही चाटो…
उह्ह्ह
और ऊँगली आह्ह्ह अपनी माँ की गांड में……
और जोर जोर से.....
आह......मैं झड़ने वाली हूँ…
आह देवा।
देवा अब भी अपनी जीभ और होठो से रत्ना की चूत का मर्दन करके उसे चाटने में लगा हुआ था…
रत्ना भी पूरी गरम होके अपने हाथो से अपनी चुचियों को मसल रही थी और आह्ह्ह्हह आहह कर रही थी जोर से…
कुछ पलों में ही रत्ना की चूत ने पानी छोडना शुरू कर दिया । जो देवा के मुँह पर आ गिरा…
रत्ना: आह्ह्हहह…
मैं झड रही हूँ………
और काफी पानी देवा ने अपने मुँह में लेकर गटक लिया…
और फिर पूरी चूत को चाटते हुए चूत के पानी की एक एक बूँद को पीने लगा और फिर ऊपर उठ कर रत्ना की तरफ देखा जो अभी आँखे बंद की हुई थी । देवा ने उसके होठो पे अपने होंठ रख दिए और दोनों एक दूसरे के मुँह का सेवन करने लगे…
रत्ना ने देवा के मुँह से थूक अपने मुँह में ले लिया और अपनी चूत के पानी का स्वाद चखा…
दोनो अलग हुए और रत्ना ने एक गटका मारके देवा का थूक निगलते हुए आहह निकाली।
 
अपडेट 106




अपने देवा के मुँह से अपनी ही चूत का पानी पीकर रत्ना बहुत संतुष्ट थी…
उसने पहली बार अपनी ही चूत का पानी चाखा था…
वह भी अपने बेटे के थूक में मिला हुआ…।
और वो भी पहली बार अपने ही सगे बेटे के मुँह को चूसकर…
ये बाते सोचने में ही रत्ना के शरीर में बिजली की लहर दौड़ने लगती है और वो देवा के खड़े लंड को देखने लगती है…
देवा रत्ना से अलग होकर उसकी आँखों में देखता है…
उसे एहसास होता है की उसकी माँ की नजर कहीं और ही है।
तो वो उसकी नज़रो का पीछा करते हुए पाता है की रत्ना की नजर उसके खड़े 9 इंच के मोटे तगडे लंड पर थी…
देवा मुस्कराते हुए कहता है,,,,माँ क्या देख रही हो?
रत्ना:अपने बेटे की लम्बाई को देख रही हूँ मेरे प्यारे देवा।
देव: माँ मेरी लम्बाई?
रत्ना: हाँ तेरी ही लम्बाई देख रही हूँ। बहुत बड़ा होता जा रहा है दिन ब दिन मेरे बेटे का…
मेरा मतलब मेरा बेटा बहुत बड़ा होता जा रहा है…
और रत्ना उसकी तरफ देख कर मुस्कुराती है…
देवा: हाँ माँ आखिर आप की देखभाल जो करनी है…
इसलिये ही तो बड़ा किया है…
मेरा मतलब आप की देखभाल जो करनी है इसलिए बड़ा हो रहा हूँ।
देवा भी रत्ना की शैतानी देखते हुए दोहरी बाते करने लगता है…
और मुस्कराते हुए रत्ना को आँख मारता है…
रत्ना: आह्ह…मेरे देवा.....
अपनी माँ से इतना ज्यादा प्यार करता ही रे तू…
क्या मेरी देखभाल करने के लिये बड़ा कर लिया…
मेरा मतलब…
बड़ा हो गया……
आह…मेरा प्यारा बेटा…
देवा :और क्या मेरी प्यारी सुन्दर माँ…जब माँ की इतनी सुन्दर हो(उसके मम्मो पर हाथ रखते हुए)……
मेरा मतलब जब माँ ही इतनी सुन्दर और प्यार करने वाली हो…।
तो किस बेटे का बड़ा नही होगा…
मेरा मतलब क्यों बेटा बड़ा नही होगा…
और जोर से अपने हाथो में रत्ना की चूचियों को दबाने लगता है…
रत्ना की सिसकिया निकलने लगती है…
आह…………देवा……
आह…कितना प्यार करता है तू अपनी माँ से…
मै भी तुझे बहुत प्यार करुँगी।
यह सुनते ही देवा रत्ना की चुचियों से अपने हाथ हटा लेता है और बिस्तर पर दुबारा लेट जाता है…
देवा का खड़ा मोटा लंड सीधे ऊपर की तरफ पॉइंट करता हुआ रत्ना की आँखों को लुभा रहा था…
रत्ना से रहा नहीं गया और उसका हाथ खुद ब खुद अपने सगे बेटे के लंड पर चला जाता है और अपने आगोश में लेते हुए उसकी गर्मी का एहसास करता है…
 
देवा के लंड की गर्मी को महसूस करके रत्ना के मुँह से एक आह निकलती है और उसके हाथ देवा के लंड की लम्बाई को तराशने लगते है…
देवा: आह्ह्ह्ह
माँ
तुम बहुत ही अच्छी माँ हो……
आह…।
हाँ माँ ऐसे ही…
सहलाओ अपने सुहाग की निशानी को……
ऐसे ही महसूस करो अपनी मरद की मर्दानगी को…
आह……
और ऐसे ही जानो अपने नये पति की ताक़त को……
अपने देवा की लम्बाई को तराशो।
मेरी माँ रत्ना…
और उसे ठण्डा करके अपने देवा को ...अपने सुहाग की आग को ठण्डा करने की कोशिश करो……
आह माँ……
देवा के मुह से प्रेरित करती बातो को सुनकर रत्ना दोबारा गरम होने लगती है।
वह अभी कुछ देर पहले ही झडी थी पर देवा की बाते उसके शरीर में सनसनी फैला देती है…
उसके शरीर में खून तेजी से दौडने लगता है…
जीसकी वजह से उसके हाथ अपने देवा के लंड पर तेजी से चलने लगते है…देवा की आह
निकलने लगती है…
उसकी माँ उसे पहली बार हस्तमैथून जो दे रही थी आखिर……

थोड़ी देर तक देवा आह्ह्ह्हह्ह्ह्ह करते हुए अपने लंड पर अपनी माँ के हाथो के मर्दन को महसूस करते हुए ख़ुशी से आँखे बंद कर लेता है…
यह उसकी जिंदगी की अब तक की सबसे बेहतर हस्तमैथुन जो है…
कुछ टाइम हल्के हाथो से हस्त मैथुन करते हुए रत्ना अब धीरे धीरे अपने हाथो की गती को बढ़ाने लगती है और कुछ ही समय में उसके हाथ काफी तेज चलने लगे थे…
देवा की आह अब और तेज होती जा रही थी…
कुछ देर तक रत्ना अपने बेट के लंड से ऐसे ही खेलते हुए उसे हस्तमैथुन का परम सुख अपने हाथो से देती रही…
पर तभी उसने उसके लंड को छोड दिया…
जीससे देवा की आँखे खुल गयी एक पल में ही…
उसे वह पल बहुत बड़ा लग रहा था।
शायद रत्ना यह नही चाहती थी की उसका बेटा अभी झड जाए इसलिए उसने लंड छोड़ दिया था…।
अगले ही पल रत्ना का हाथ दोबारा देवा के लंड पर चला गया जिसे उसने अपने आग़ोश में ले लिया…
पर इस बार उसने अपने हाथो के बजाए अपनी जीभ निकालकर अपने सगे बेटे के लंड के टोपे को चाटना शुरू कर दिया…
 
जैसे ही देवा को अपने सख्त लंड के टोपे पर एक गीले स्पर्श का अहसास हुआ उसके मुह से सिर्फ एक चीज निकली…
आह रत्ना……
चूस अपने बेटे के लंड को अंदर तक ले के…
आह…मेरी छिनाल माँ चूस अपने बेटे के लौडे को……
कुछ समय रत्ना उसके टोपे को ऐसे ही चाटते हुए अपने बेटे की बाते सुनती रही…
फिर उसने धीरे से एक ही पल में देवा के लंड की गेंदो पर हाथ रखते हुए अपने मुँह को और खोलते हुए लंड पर झुकने लगी…
देवा: आह्हह माँ अब सदा ऐसी ही झुकी रह कर करते रहना इसकी सेवा…
यह आज से तुम्हारा पर्सनल हथियार है खेलने के लिए…
देवा की बात सुनते ही रत्ना की पकड़ उसके गेंदो से होते हुए ऊपर आने लगी और अगले ही पल उसने अपने सगे बेटे के लंड को अपनी मुँह के अंदर उतारते हुए अपने थूक से पूरी तरह गीला कर दिया…
देवा;आहह्ह्ह मेरी माँ
चूस अपने ही बेट के लंड को…
लंड को मुँह में लेने के बाद रत्न ने धीरे धीरे अपने मुँह को उसके लंड पे ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया…
और साथ ही साथ अपने हाथ को भी उसी बहाव में लण्ड पर ऊपर नीचे करने लगी…
देवा के मुँह से परम सुख की आहे निकल रही थी…
अपनी ही माँ के द्वारा दी जा रही लंड चुसाई से देवा बहुत मजे में था…
2 मिनट बाद ही रत्ना का मुँह अपने बेटे के लंड पर ऊपर नीचे होते हुए अब तेज रफ़्तार हासील कर चुका था…
करीब इसी रफ्तार से रत्ना बिना उसके लंड को अपने मुँह से निकाले कई मिनटो तक चुसती रही…
अब देवा बहुत ज्यादा गरम हो गया था।
देवा; आह्ह्ह्हह रत्ना चुस्ती रह बस अपने बेटा का लंड ऐसे ही एक आदर्श माँ की तरह…
आहह्ह्ह
और यह कहते हुए देवा के हाथ अपने आप अपनी माँ की चूचियों पर चले जाते है और वो उन्हें बेरहमी से कुचलने लगता है…
रत्ना को इस बार कोई असर नहीं होता।
क्यूंकि वो अपने ही सगे बेटे के लंड को चूसने में इतनी उतावली हो गयी थी की उसे कुछ एहसास नही हो रहा था की देवा उसकी चुचियों को बहुत ही बेरहमी से मसल रहा है।
 
रत्ना तो प्रेम दीवानी सी अपने बेटे के लंड को चूसने में खो सी गयी थी…
रत्ना का उतावलापन देखकर देवा बहुत खुश था…
उसके हाथ अपनी माँ की चूत पे चले गये और उसने अंदर अपनी 2 उंगलिया घुसा दी…
रत्ना हलकी सी हिली पर उसका लंड चूसना जारी था…
उसे अपने बेटे का अपनी चूत में उँगली होना पता चल गया था पर वो बिलकुल नहीं रुकी और बेटे के लंड को चूसना जारी रखा।
देवा की उंगलिया अब रत्ना की चूत में अंदर बाहर होने लगी थी।
वह अपनी माँ की लंड चूसाई का जवाब उसकी चूत अंदर से रगडते हुए दे रहा था…
रत्ना प्रेम दीवानी सी अपने बेट के मस्त लंड को चुसते हुए अपनी चूत में देवा के स्पर्श का आनन्द ले रही थी…
धीरे धीरे करके देवा ने अब अपनी 2 उंगलिया और चूत में डाल दी और अपनी रफ्तार तेज करते हुए अपने लंड पे अपनी माँ के मुँह को महसूस करते हुए आह आह कर रहा था…
रत्ना की चूत में अब देवा की 4 उंगलिया थी,, जिन्हे महसूस करते हुए उसकी लंड पर पकड़ ढीली सी हो गयी थी।
पर तब भी उसने लंड को चूसना जारी रखा…
ऐसा लग रहा था की दोनो एक दूसरे को हस्तमैथून करा रहे हो…
देवा अपनी उंगलियो से
और उसकी मस्त माँ अपने मुँह से…
करीब ३-४ मिनट तक उसकी चूत को बुरी तरह अंदर से रगडती हुई देवा की ४ उंगलिया चूत से बाहर आ गयी और देवा ने बिना रुके ही वो चारो उंगलिया रत्ना की गांड के अंदर डाल कर अंदर बाहर करने लगा…
रत्ना अब बिलकुल खो सी गयी थी । लंड चूसाई में उसे कुछ ख़ास महसूस नहीं हुआ पर अचानक गांड के अंदर ४ उंगलियो के घूसने से उसके मुँह से अचानक लंड बाहर आ गया…
रत्ना; आहह्ह्ह।
देवा………
मेरे बच्चे……
और अंदर डाल उंगलियाँ अपनी माँ के गांड में।
और देवा ने उसकी गांड के छेद में अपनी ४ उंगलियाँ अंदर बाहर करनी शुरू कर दी…
कई मिनटो तक देवा अपनी माँ की गांड में उंगलियाँ अंदर बाहर करता रहा और रत्ना उसका आनन्द उठाती रही।
फिर देवा अचानक खड़ा हो गया.....
रत्ना की आँखे अचानक इससे खुल गयी और देवा बिस्तर पे खड़ा हो कर अपने लंड को अपनी माँ के मुँह के सामने ले गया और रत्ना ने बिना कुछ कहे अपने देवा के लंड के टोपे को चाटना शुरू कर दिया और उसकी गोलियां सहलाने लगी…
 
रत्ना कुछ देर तक अपने देवा के पूरे लंड को पूरी तरह अपने थूक से भिगो चुकी थी और फिरसे उसके टोपे को जीभ से चाटने लगी।
देवा अपने लंड पर अपनी माँ की जीभ के कोमल स्पर्श को महसूस करके मजे ले रहा था…
उसे अपनी माँ के मुँह की गर्माहट अपने लंड पर साफ़ महसूस हो रही थी।

कुछ पल देवा के लंड को अच्छी तरह अपने जीभ से ऊपर से नीचे तक चाटने और साफ़ करने के बाद प्रेम दीवानी रत्ना दोबारा अपने बेटे के लंड को अपनी मुँह की गहराइयो में उतारते हुए उसकी गेंदो को अपने हाथो में ले के मसलने लगी…
देवा के हाथ नीचे जाकर अपनी माँ की चुचियों को जकड लेते है।
देवा बहुत देर तक अपनी माँ की चुचियों को मसलता हुआ रत्ना के मुँह में अपना लंड उससे चुसवाता रहा…
देवा अब भी बिस्तर पर खड़ा हुआ रत्ना के मुँह में अपना लंड पेलता हुआ उसकी चुचियाँ मसल रहा था…
देवा: आह्ह…
माँ....
तूम बहुत बढ़िया तरह चुसती हो…।
फिर देवा ने अपनी माँ के बालो को पकड़ा और एक घोड़ी की तरह खीचते हुए उसके मुँह में अपना लंड पेलता रहा।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प
देवा; ले साली ले…
बहुत पसंद है न तुझे लंड चूसना…।
ले चूस फिर…।
चूस अपने बेटे के लंड को…
ले चूस अपने पति, अपने देवा के मस्त लौडे को…
अंदर तक लेके चूस साली छिनाल…
साली छिनाल मेरी रंडी माँ ।
रंडी कहीं की…।
अपने बेटे से चुदवाती है तू साली…
बहन की लौडी…
अपने बेटे को मादरचोद बना दिया साली तूने अपनी चूत देकर अपने बेटे को।

अपने बेटे के नाम का मंगलसुत्र पहनके तू छिनाल
अपने ही बेटे की रंडी बन गयी ना तू साली…
देवा लगतार गन्दी गन्दी गालिया देते हुए अपनी रंडी माँ के बाल को खीचते हुए अपने लंड से उसका मुँह चोदे जा रहा था बेरहमी से।
रत्ना: गल्प्प गलप गलल्प।
 
कुछ टाइम तक देवा उसका मुँह इसी तरह चोदता रहा और फिर अपना लंड बाहर निकाल लिया।
रत्ना; खों खों खहहू…खहू ।
रत्ना कुछ टाइम तक खाँसती रही।
वह देवा की ताकत देखके सोचने लगी…
हाय राम मेरे बेटे में तो बहुत ताकत है…
ये तो चोद चोद कर मेरी चूत और गांड दोनों को फार के रख देगा।
और वो देवा को मुस्कराते हुए देखने लगी और अपनी जीभ बाहर निकाल कर अपने होठो पे फिराते हुए वापस अंदर ले गयी।
देवा रत्ना की बेशरमी देख के मुस्कुराया और बिस्तर पर दोबारा लेट गया और रत्ना को अपनी चूत अपने मुँह पे रखने को कहा।
रत्ना भी बिना देर तक उसके मुँह पे अपनी चूत रखके और अपने मुँह को उसके लंड के पास ले गयी।
जी हाँ दोनों माँ बेटे पहली बार 69 पोज में आ गए थे…
रत्ना के हाथ ने दुबारा देवा के लंड को अपने हाथो में भर लिया और उसकी लम्बाई पर अपने हाथ चलाने लगी और देवा ने तभी अचानक रत्ना की गांड में अपनी जीभ डाल दी और उसकी पूरी गांड को अपनी जीभ से चाटने लगा…
फिर रत्ना ने ही धीरे धीरे देवा का लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी…
थोड़ी देर रत्ना की गांड चाटने के बाद देवा ने अपनी जीभ उसकी चूत में घुमानी शुरू कर दी, और साथ ही साथ उसकी चूत को बाहर से काटने भी लगा।
रत्ना अब भी देवा के लंड को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रही थी।।
कुछ देर तक रत्ना देवा के लंड को चुसती हुई देवा से अपनी चूत चटवाती और कटवाती रही और मजे में लेटी रही।
कुछ पलो बाद रत्ना की पकड़ देवा के लंड पर ढीली होती गयी पर देवा पागलो की तरह अपनी जीभ रत्ना की चूत की गहराइयो में घुसाए उसकी चूत के दाने को काटता हुआ रत्ना की गांड अपने हाथो से मसलता रहा…
देवा समझ गया था की रत्ना किसी भी पल झड सकती है।
और कुछ ही पलो में रत्ना अपने बेटे के मुँह के ऊपर अपना सारा पानी छोड देती है जो देवा के पूरे मुँह पे फैल जाता है जिसमे से बहुत सारा पानी देवा गटक लेता है…
झड़ने के बाद रत्ना बेड से उठ के खड़ी हो जाती है और देवा भी उसके सामने आ जाता है…
 
रत्ना अपने बेट के मुह को गीला देख कर हँसती है और अगले ही पल देवा के मुँह को चाटते हुए अपने ही चुत के पानी को चखती है और साथ ही साथ देवा का मुँह भी साफ़ कर देती है…
पर देवा का अब भी खड़ा हुआ था।
रत्ना अपने बेटे की मर्दांनगी देख कर बहुत खुश थी।।
यह है असली मरद....उसने अपने मन में सोचते हुए झुक कर अपना मुँह उसके लंड के मुहाने पर ले आती है और अपने हाथ में उसका लंड पकड़ कर जोर से दबाती हुई ऊपर देवा की तरफ देखति हुई पहले उसके लंड के टोपे को मुँह में लेती है और फिर अपने मुँह को उसके लंड पर आगे पीछे करते हुए चूसते हुए अपने एक हाथ से उसकी गांड दबाती है और दूसरे से उसके लंड पर आगे पीछे करती है।
देवा भी आज रत्ना का जोश देखके थोड़ा हैरान था।
वह सोच रहा था की कुछ महीनो पहले जब मैंने पहली बार माँ को अपनी पत्नी बनाना और उन्हें अपनी पत्नी बनाकर चुदवाने को कहा था तब कितनी अकड दिखा रही थी ये।
और अब खुद पूरी नंगी होकर और झुक कर मेरा लौडा बार बार चूस रही है…
देवा अपनी जीत पर खुश था, उसने आख़िरकार अपनी रत्ना को अपना बना ही लिया था।
कुछ देर तक रत्ना की चूसाई के बाद देवा ने अपना पानी उसके मुँह में छोडना शुरू कर दिया…
जैसे ही रत्ना को अहसास हुआ की देवा ने पानी छोडना शुरू कर दिया है उसने लंड बाहर निकाल दिया और उसके लंड को पकड़ कर अपने मुँह पर मलने लगी…
देवा समझ गया की उसकी माँ अपने बेट के माल को अपने चेहरे पे लगाना चाहती है।
उसने अपना लंड हाथ में पकड़ लिया और रत्ना उसके लंड के सामने बैठी हुई अपनी जीभ बाहर निकाल के बैठ गयी।
देवा ने अपने लंड से निकलता पानी रत्ना के होठो के चारो तरफ फैलाना शुरू कर दिया, और फिर अपने लंड के टोपे को उसके मुँह पे रख के छोड दिया... रत्ना ने दोबारा अपने बेटे के लंड को पकड़ते हुए उसके बचे हुए माल को निचोडने लगी।
कुछ देर तक रत्ना अपने बेटे के लंड को निचोड कर बचा हुआ सार माल पीती रही और फिर अपने चेहरे पे लगे हुए माल को भी अपने हाथो से साफ़ करके अपने मुँह में लेते हुए देवा के सामने अपना मुँह खोलकर उसका माल दिखाया।
और उसे दीखाते हुए सारा गटक गयी…
देवा अपनी माँ का रंडीपन देख के खुश हुआ और फिर दोनों बिस्तर पर नंगे ही लेट गए और आराम से एक दूसरे की बाहों में सो गए…
 
:huh:sexstories said:
:heart: अरे माँ डरने की क्या बात है जागिरदार मुझे खा थोड़ी जायेगा।

रत्ना;शुभ शुभ बोल बेटा। वो देवा के मुंह पे हाथ रख देती है और इस वजह से वो देवा से एकदम चिपक सी जाती है।

रत्ना;के बदन से आती भीनी भीनी पसीने की खुशबु जब देवा के नाक तक पहुँचती है तो उसका दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है ऊपर से नरम नरम जिस्म जो उसके इतने पास होकर भी दूर था।

वो एक हाथ रत्ना के कमर पे रख के उसके पेठ को हलके से दबाता है।
और अपने मुंह पे लगा हुआ रत्ना का हाथ हटा के धीरे से कहता है।
कुछ नहीं होगा माँ डरो मत।

दोनो एक दूसरे के ऑंखों में देखने लगते है।

ये नज़रों का खेल था या जिस्म की भूख दोनों एक दूसरे से अलग होने को तैयार नहीं थे।
तभी बाहर से पदमा के खाँसने की आवाज़ से दोनों होश में आते है और देवा बहार चला जाता है।

थोड़ी देर बाद रत्ना चाय का कप ले के बाहर आती है
और देवा चाय का कप ले तो लेता है पर उसकी कुछ उँगलियाँ रत्ना के हाथ से अनजाने में टकरा जाती है।

इस थोड़े से छुवन से ही रत्ना के जिस्म में सरसराहट पैदा हो जाती है।

बेचारी रत्ना कई सालो से अपने बेटे को देख देख कर आहें भर रही थी।
पर देवा उसपे कोई ध्यान नहीं देता था।
ये पिछले एक महिने से देवा के रवैये में थोड़ा बहुत बदलाव आया था।
जबसे उसने रत्ना को नहाते हुए देखा था।

देवा;चाय पीने के बाद पदमा के साथ पैदल सेठ के हवेली की तरफ निकल जाता है।

पदमा;कमर मटकाते हुए सामने चल रही थी।
रास्ता बिलकुल सुनसान था। गांव का रहन सहन ही कुछ इस तरह का होता है शाम ढले सभी अपने अपने घर को लौट जाते है और कोई गली मोहल्ले में नज़र नहीं आता।

देवा;की नज़र पदमा के हिलते कमर पे ही थी।
आगे आगे चलते हुए पदमा आज थोड़ा ज़्यादा ही कमर मटका रही थी।

कुछ देर बाद दोनों हवेली पहुँच जाते है।
 
अपडेट 107



देवा और रत्ना कुछ समय पहले तक आम माँ और बेटे थे... पर प्यार और जिस्म की गर्मी ने आज माँ बेटे के बीच के रिश्ते की मर्यादा को लांघ लिया था।

दोनो का एक दूसरे के प्रति खिचाव, माँ बेटे के रिश्ते को चुनौत्ती दे के जीत चुका था।

कुछ ही महीनो में माँ बेटे के बीच के रिश्ते ने ऐसी मोड ली की दोनों की जिंदगी अब हमेशा के लिए बदल चुकी थी…

वह रिश्ता अब कभी अपनी पुरानी स्थिति में दोबारा कभी भी नहीं आ पायेगा।

और सिर्फ उन दोनों के बीच माँ बेटे का रिश्ता, सिर्फ नाम का ही रह गया था, क्यूंकि अब रत्ना, तन मन और धन से देवा को ही अपने जिस्म और रूह का मालिक मानने लगी थी।

रत्ना के लिए अब उसका अपना सगा बेटा, उसका देवा ही उसका पति था।

अब देवा ही वो शख्स था जिसे रत्ना अपना शरीर सौप चुकी थी।

अब सिर्फ देवा के लिए प्यासी थी रत्ना।

अब सिर्फ देवा ही उसकी जिंदगी का और उसके तन का हिस्सा बन चुका था।

अब उनकी रूहे आपस में मिल चुकी थी।

अब वो दोनों एक थे…

अब रत्ना सिर्फ देवा की थी…

इन विचारो को अपने मन में बैठाकर आज एक माँ अपने बेटे को अपना तन सौंप चुकी थी.....और उसपे भरोसा करते हुए उसे अपने नंगे सीने से लगा कर घर के अपने कमरे में अपने बिस्तर पर सोई हुई थी…

दूसरी तरफ, शालु अपने घर पहुचती है तो नीलम को बाहर खड़ा देखती है, नीलम की नजर जब उससे मिलती है तो वो अपनी माँ से नज़रे नही मिलाती और अपनी नजर घुमा लेती है।

शालु समझ जाती है की नीलम ने देवा को अपनी माँ को चोदते हुए देख लिया है, और मुस्कुराते हुए घर के अंदर चली जाती है।
 
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