Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 72 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

जब सारे बटन खुल गए तो वो देवा को देखते हुए अपनी नाइटी को अपने जिस्म पर से हटाने लगी।
और देवा के सामने उसकी माँ धीरे धीरे करके ब्रा और पेंटी में सामने दिखने लगी…
देवा यह नजारा देख कर और गरम हो रहा था…
आज पहली बार उसकी अपनी माँ उसके लिए तैयार हुई थी वो भी एक पत्नी की तरह जो अपने पति के लिए तैयार होती है हर रात चुदाई से पहले।
और फिर धीरे धीरे करके अपने सारे कपडे उतार कर अपने पति से चुदवाती है।


रत्ना मुस्कूराते हुए अपनी नाइटी को निकाल कर देवा के ऊपर फेकती है देवा उसे पकड़ लेता है और अब रत्ना अपने देवा के सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में ही थी।
“तो मेरे पति देव आज रात कहाँ अपनी पत्नी को चोदने वाले है अपने तगडे लंड से?” रत्ना ने मुस्कराते हुए देवा से सवाल किया।
“जहाँ मरजी हो मेरी जान तुम्हारी वहां चोदूँगा तुम्हे खुलकर, पर अभी पहले अपने जिस्म से तो रूबरू करवाओ” देवा ने कहा…
यह सुनकर रत्ना देवा के सामने से गुजरती हुई बिस्तर पर बैठ जाती है।

देवा रत्ना की अदाओ को देखकर अपनी धोती पर से ही अपने लंड मसल रहा था उसने यह भी पाया की उसकी माँ इस समय भी उसके नाम का मंगलसुत्र अपने गले में पहनी हुई थी…
“आज देवा पूरा मूड में है, असली मजा तो आज आयेगा चुदाई का अपने बेटे के साथ” रत्ना ने मन में सोचा।
लगता है आज रत्ना ने कुछ सोच कर रखा है अपने मन में…
शायद वो कुछ अच्छा करना चाहती है अपनी चुदाई में…
“माँ अब जल्दी से यह बाकी कपडे भी निकाल दो ना, मै मरा जा रहा हु तुम्हे नंगा देखने के लिए” देवा ने कहा
“हाँ हाँ मेरे बेटे मै भी मरी जा रही हु तेरे सामने नंगी होने को, और तेरे से खुल कर चुदवाने को भी…
आज मै चाहती हूँ की तू मुझे पूरी रात नंगा रखे और चोदता रहे…
मेरी चूत गांड और मुँह तीनो छेदों में अपना लंड डाले और मुझे चोदता रहे…” रत्ना ने अपनी चुचियों से खेलते हुए कहा…
यह सुनके देवा ने अपनी धोती का नाड़ा खीचा और धोती को नीचे कर दिया और अपना कुर्ता भी ऊपर करके निकल दिया फिर बोला।
“आज मै तुम्हारी सारी गर्मी निकाल दूंगा माँ…
देखती जा आज तेरे बेटे का लंड नहीं थकेगा बिलकुल…
आज मै तेरे हर चीज को भर दूंगा अपने वीर्य से और तेरी मतवाली गाँड को मार मार कर सुजा दुँगा…।
चल जल्दी से नंगी हो जा साली छिनाल”
कमरे में देवा की गालिया गूंज रही थी…
 
वह कमरा जिसमे आज एक माँ और बेटा एक दूसरे के सामने सिर्फ आंतरिक वस्त्रो में बेशरम से खड़े हुए थे…
वही कमरा जिसमे आज एक बेटा और माँ पूरी रात चुदाई करने वाले है…
वही कमरा जिसमे आज देवा अपनी रत्ना को नंगा करके उसके मदमस्त जिस्म को तार तार कर देगा…
देवा की बात सुनकर रत्ना के शरीर में एक लहर सी दौड जाती है…
वह बिस्तर पर बैठे हुए अपने बाल पीछे करती है।
देवा “चलो भी माँ अपने बेटे को और मत तरसाओ और अपने जिस्म की नुमाईश कराओ…”
रत्ना देवा की बाते सुनकर धीरे धीरे गरम होती जा रही थी। वह भी आज चुदाई के पूरे मजे लेना चाहती थी और अपने देवा को भी पूरे मजे दिलवाना चाहती थी इसलिये वह हर वो चीज करने वाली थी जिससे देवा और गरम हो और उसकी जबरदस्त चुदाई करे…

आज रत्ना खुल कर देवा से चुदवाना चाहती थी, वो चाहती थी की आज वो खुल कर जोर जोर से सिसकी ले और चीखे जब देवा अपना लंड उसकी चूत में डाले तो…
रत्ना खड़ी हो जाती है।
देवा उसके उभारो को ब्रा में देख कर अपने लंड के ऊपर हाथ चलाने लगता है और रत्ना धीरे धीरे अपनी गांड मटकाते हुए बिस्तर से उठ कर कमरे के बीच में आ जाती है…
रत्ना “देवा मेरे बच्चे आज अपनी माँ को जम कर चोदना है तुम्हे…
जितना दम है सारा लगा डालना मेरी चुदाई में…
चाहे मै कितना मना करू पर जब तक सुबह ना हो जाए मुझे चोदते रहना…
मै बस तुम्हारा वो मोटा लंड अपनी चूत और गांड की गहराइयो तक महसूस करना चाहती हूँ…
और तुम्हारे वीर्य और पेशाब से नहाना चाहती हूँ…
मेरे बच्चे आज अपनी मर्दानगी दिखा देना अपनी माँ की इज्जत लूट कर…
ये कहते हुए रत्ना देवा की तरफ पीठ कर लेती है और अपनी उँगलियाँ अपने पेंटी पर ले जाती है।
और फिर उसे धीरे धीरे नीचे करने लगती है।
रत्ना की गांड की दरार अब देवा को दिखने लगी थी और उसने भी देर न करते हुए अपना बनियान निकाल दिया, अब वो सिर्फ कच्छे में खड़ा हुआ था।
अब रत्ना ने अपनी रफ्तार बढ़ाते हुए अपनी पेंटी को एक तरफ को नीच कर के गांड की दरार में फँसा दिया
ये दृश्य देख कर देवा की आँखों में चमक आ गयी…
 
उसकी माँ की गांड के टुकड़े एकदम मस्त लग रहे थे देवा का तो मन ही कर रहा था की उसकी गांड में अपनी जीभ डाल दे और पूरी तरह चाट डाले…
रत्ना कुछ पल ऐसे ही खड़ी रही और फिर उसने अपने पेंटी को नीचे करना शुरू कर दिया।
और ऐसा करके उसने अपनी पेंटी को निकाल कर देवा के मुँह पर फेंक दिया, और रत्ना देवा की तरफ अपनी नंगी गांड किये खड़ी हुई थी, उसने अपना एक हाथ पीछे किया और देवा को देखते हुए अपनी गांड पर एक चाँटा मारा और एक शैतानी मुस्कराहट के साथ देवा को अपना कच्छा उतारने का इशारा किया।
देवा ने भी देर ना करते हुए अपने कच्चे को उतार दिया, उसके कच्छे की वजह से उसे अपने खड़े लंड में दर्द भी महसूस हो रहा था।
अपना कच्छा रत्ना की मोटी गांड को देखते हुए देवा उतार देता है।
अब वो बिलकुल नंगा रत्ना के पीछे खड़ा था।
उसका लंड पूरा औकात में खड़ा हुआ था जिसे देख कर रत्ना ने अपने जीभ अपने होठो पर चलाइ और बिना कुछ कहे पीछे मुडी और अपने हाथ अपनी ब्रा पर ले जाते हुए उसे उतारने लगी।
कुछ ही पलो में रत्ना ने अपनी ब्रा निकाल दी और अपने दोनों हाथो से अपनी चूचियों को ढ़क लिया।
अब उस कमरे में एक माँ और उसका सगा बेटा एक दूसरे के सामने एक बार फिर से पूरे नंगे हो चुके थे, और पूरी रात की होने वाली चुदाई के बारे में सोच सोच कर और गरम होते जा रहे थे…
देवा: “रत्ना मेरी जान मुझसे ही अपने जिस्म को छुपाओगी तो दिखाओगी किसे?”
देवा की बात सुन कर रत्ना शरमाते हुए एक जादू भरी मुस्कुराहट लाती है और अपनी चुचियों पर से अपने दोनों हाथो को हटा देती है और अपने बालो को सही करती हुई कहती है…
“तुमसे क्या छुपाउंगी…
आखीर सब कुछ अब तुम्हारा ही तो है मेरे परमेश्वर…
तुम्हरी रत्ना के यह मस्त मस्त चूचियां अब तुम्हारी जागीर है मेरी जान…
तुम्हारा अब अपनी माँ के शरीर पर पूरा अधिकार है…
बस आज की रात हम दोबारा एक हो जाएंगे जान…”
ये कहते हुए रत्ना अपनी बाहें फैलाती है…
देवा रत्ना की ओर बढ़ ही रहा होता है की घर के दरवाजे पर हुई एक दस्तक से दोनों चौंक जाते है ।
 
अपडेट 113




दरवजे पर हुई दस्तक से देवा और रत्न चौंक से जाते है, आखिर कौन आया होगा इस समय...
रत्ना भागते हुए अपने नंगे जिस्म पर अपनी नाइटी ढ़क लेती है और देवा को दरवाजा खोलने को कहती है।
देवा भी जल्दी में अपने कपडे पहनता है और दरवाजे की तरफ भागता है, दरवाजे पर काफी देर से कोई खटखटा रहा था।
देवा ने अपने कपडे पहने और दरवाजा खोला
सामने पदमा खड़ी थी।
पदमा: अरे देवा बेटा इतनी देर क्यों लगा दी दरवाजे को खोलने में। मैं कितनी देर से खटखटा रही हूँ।
देवा: काकी वो मै अंदर था तो पता नहीं चला तुरंत।
पदमा: अच्छा और तेरी माँ कहाँ है।
देवा: वह माँ अभी नहा रही है।
ये सुनते ही पदमा देवा की तरफ बढी और अपने हाथो से उसके लंड को पकड़ लिया।
पदमा: क्या बात है क्या मुझे ही याद कर रहा था जो लौडा खड़ा हुआ है तेरा?
देवा: अरे हाँ काकी तुम्हारी चूत की ही याद आ रही थी बहुत। कितना टाइम हो गया है चोदे हुए…
पदमा: हाँ मुझे भी तेरे तगडे लंड की बड़ी याद आती है और मेरी चूत भी तब गीली हो जाती है जब मै उन पलो को याद करती हु जब तू मेरी चूत में जड़ तक लंड ड़ालके चोदता था…
क्या दिन थे वो…अब बहनचोद इस अवस्था में साल भर तक चुदाई ख़तम हो जाती है…
ये कहते हुए पदमा की पकड़ देवा के लंड पर और सख्त हो गयी पर जल्द ही उसने अपने हाथ उस पर से हटा लिए और उसके होठो की तरफ अपने होंठ बढाने लगी।
देवा समझ गया था की पदमा क्या चाहती है, पर यह जगह और समय उसके लिये बिलकुल ठीक नहीं थे तो उसने कहा।
“काकी वैसे आना क्यों हुआ, कुछ काम है क्या?”
पदमा देवा की बात सुनकर समझ जाती है की देवा को अपने घर पर यह सब करने से डर लग रहा है, इसलिए वो भी कुछ नहीं करती आगे और कहती है।
“क्यों क्या अपने देवा से तभी मिलने आती हूँ। जब कोई काम होता है?”
“नहीं ऐसा नहीं वो ....” देवा ने कहा।
पदमा ने अपने हाथ में पकडे हुए थैले से कुछ सामान निकाला और कहा।
“यह ले तेरे लिए लाई हूँ बेटा…गाजर का हलवा, देसी घी का…तुझे बहुत पसंद हैं न और रत्ना को भी खिलाना,”
पदमा ने कटोरदान देवा को देते हुए कहा।
“अरे वाह गाजर का हलवा…धन्यवाद काकी…” देवा ने कहा।
“और चाहिए हो तो कह देना ठीक है, चल अब मै चलती हूँ घर पर खाना भी परोसना है अपने पति को…”
पदमा यह कहते हुए घर से निकल जाती है और उसके जाते ही देवा पीछे से दरवाजा बंद कर लेता है और अंदर से ताला भी लगा देता है…
 
वह नहीं चाहता था की उसके और उसकी माँ की आज की रात की चुदाई के बीच कोई भी आए
उसने घर की खिड़किया भी अंदर से बंद कर दी और परदे भी डाल दिए…
देवा का घर ऐसा था की अगर कांच की खिड़किया बंद हो तो घर के अंदर की आवाजें बाहर बिलकुल नहीं जाती थी।
चाहे अंदर कोई कितना भी चिल्लाता रहे…पर बाहर कोई आवाज नहीं महसूस होती…
अब देवा ने फैसला कर लिया था की अब चाहे घर के दरवाजे पे कोई भी आये चाहे नीलम या शालु ही क्यों न हो, वो दरवाजा नहीं खोलेगा और नहीं अपनी माँ को खोलने देगा।
उसने आज ठान के रख लिया था की आज वो अपनी माँ को जम कर बिना किसी रोक टोक के पूरी रात चोदता ही रहेग।।उसकी चूत गांड चुचियाँ और मुँह हर जगह अपने लंड की छाप छोड़ेगा…
ऐसा मन में ठाने हुए देवा सीधे रत्ना के कमरे में चला जाता है और अंदर घुसते ही उसे अपनी माँ सामने ही बिस्तर पर बैठी हुई मिल जाती है, उसने अब नाइटी दोबारा पहनी थी पर अंदर और नीचे कुछ नहीं पहने थी।
“कौन था देवा”, रत्ना ने पुछा।
“पदमा काकी, गजर का हलवा देकर गयी है” देवा ने कह
“यह पदमा को कोई और समय नहीं मिला था, मजा किरकिरा कर गयी,…” रत्ना बोली।
“हाँ कोई बात नहीं अब चलि गयी, मैंने सारे दरवाजे खिड़किया बंद कर दी है, अब हम घर में जितना भी शोर करे बाहर कोई आवाज नहीं पहुचेगी, इसलिए अब अगर कोई भी आयेगा तो हम दरवाजा नहीं खोलेंगे”
देवा ने आदेश देते हुए कहा।
“हाँ सही कह रहे हो बेटा।
काई न कोई वरना आता रहेगा और हमारा समय बर्बाद करता रहेगा…
अब वो दरवाजा कल ही खुलेगा…
आज रात को सिर्फ 3 ही दरवाजे खुलेंगे और वो है मेरी चूत और गांड और मुँह के दरवाजे सिर्फ और सिर्फ मेरे देवा के लंड के लिए”,
ये कहते हुए रत्ना मुस्कराते हुए खड़ी हो जाती है और बाथरूम के दरवाजे के सामने आ जाती है।
देवा “माँ क्या पेशाब करने जा रही हो?”
रत्ना “नहीं बेटा नहाने की सोच रही हूँ…”
देवा: “अब रात में क्या करोगी नहा कर, मै भी तो नहीं नहाया हूँ आज”
ये बात बोलते ही रत्ना के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट आ जाती है…
जीसे देवा बहुत आराम से समझ जाता है…
देवा:“वैसे यह इतना भी बुरा ख्याल नहीं है, नहाना तो जरुरी होता ही है…” और देवा आँख मारता है…
रत्ना “और क्या नहाओगे नहीं तो गंदे रहोगे क्या?
चलो अभी नहाओ तुम भी…” यह कहते हुए रत्ना हँसती है।
 
देवा “मैं नहीं नहाऊंगा, पर अगर मेरी माँ मुझे नहलाये आज जैसे बचपन मै नहलाती थी तो शायद मै नहाने को तैयार हो जाऊँ…”
रत्ना “तुम अगर यह कहते भी नहीं तब भी आज मै तुम्हे नहलाने वाली थी मेरे देवा…
पर अगर मै तुम्हे नहलाऊंगी तो मै कैसे नहाउंगी…और कब नहाउंगी आखिर????”
रत्ना ने जब यह कहा तो देवा का लंड खड़ा होने लगा…
देवा “मेरे ख्याल से मुझे अपनी माँ की मदद करने में बहुत ख़ुशी होगी, आखिर माँ की सेवा करना ही तो बेटे का परम कर्त्तव्य होता है…”
देवा ने आँख मारते हुए कहा।
और रत्ना शर्मा जाती है…
और सर हिलाकर उसकी बात में हामी भर देती है…
आज एक माँ और बेटे एक दूसरे के साथ नहाने वाले है…
और जाहिर है यह एक आम माँ बेटे के नहाने से काफी अलग होगा क्यूकी आज एक माँ नहीं एक रंडी माँ अपने बेटे के सामने आँखों में आँखे ड़ालते हुए गले में मंगलसुत्र पहने और मादरजात नंगी सी अपने बेटे से चुदते हुए खुद भी नहायेगी और अपने बेटे को भी नहलाएगी और आख़िरकार चूत और गांड में भी करवाएगी!
रत्ना और देवा मुस्कराते हुए एक दूसरे के सामने बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़े हुए थे।
की देवा ने अपने कपडे रत्ना के सामने ही उतारने शुरू कर दिए और बहुत जल्द ही उसकी आँखों के सामने ही नंगा हो गया।
उसका लंड पूरा औकत में सीधा खड़ा हुआ था जिससे देखकर रत्ना की साँसे तेज हो गयी थी।
आज रत्ना की चाहे दूसरी चुदाई हो पर असल चुदाई आज ही होगी !
देवा धीरे धीरे से रत्ना की तरफ बढ़ते हुए अपने लंड को हाथ में पकडते हुए बाथरूम की तरफ बढ़ता है और उसके बिलकुल पास आकर बोलता है…
”जान अपने सारे कपडे उतार कर आना अंदर बस यह मंगलसुत्र पहने रहना।
आज तुम्हारा पति तुम्हे अच्छे से नहलायेगा और बाद में निचोड़ेगा भी…
आज तुम्हारे चुचियों को अच्छे से साफ़ कर दूंगा…बिल्कुल चमकेंगे”।
यह कहते हुए देवा ने अपने एक हाथ से रत्ना के बाए चूची को दबाया और बाथरूम में अंदर चला गया।

रत्ना वही खड़ी अपनी आँखे बंद कर लेती है।
देवा की बाते उसे मंत्रमुग्ध कर देती है।
और यह एहसास की आज वो पहली बार अपने बेटे के साथ नहाने वाली है उसके शरीर में एक बिजली सी पैदा कर रही थी।
अंदर देवा पहुँच कर अपना लंड हाथ में लिए हिला रहा था और रत्ना के आने का इन्तजार कर रहा था…
कुछ पल रत्ना इस पल को सोचती हुई अलग ही दुनिया में रहती है, पर जब बाथरूम से देवा की आवाज आती है…
“रत्ना मेरी जान अपने बेटे को और मत तरसाओ और अपने हुस्न को बेनक़ाब करके अपने बेटे को दिखाओ…”
वह असल दुनिया में वापस आती है और अपनी नाइटी को ऊपर से उतारने लगती है…
 
अपडेट 114



रत्ना अपनी नाइटी को अपने शरीर से निकालने लगती है, वो यह अच्छी तरह जानती थी की जब वो अंदर जाये अपने देवा के पास तब उसके शरीर पर कपडे का नामो-निशान न हो।
उसे बिलकुल नंगी अपने बेटे के सामने जाना था…
अब रत्ना अपनी नाइटी को अपने चुचियों पर से हटा कर नीचे कर देती है।
उसकी चुचियाँ अब खुली हवा में नंगी लटक रही थी।
उसने सबसे पहले अपने सुडौल चुचियों को निहारा और पाया की उसकी चुचियाँ वाक़ई में किसी को भी लुभा सकती है।
और आज देवा यानि उसका बेटा और सुहाग उसके इन्हे चुचियों पर अपना काम करेगा और इनको और सुन्दर बनाएगा…
ऐसा सोचते हुए रत्ना के हाथ अपनी चुचियों पर चले जाते है और वो उन्हें साथ मिला लेती है।
उसका मंगलसुत्र उसके चुचियों के बीच फंस जाता है,और ऐसा करते हुए रत्ना अपनी बड़ी बड़ी चुचियों को बड़े गौर से देखती है।
कुछ पलो तक रत्ना अपने भारी सुडौल वक्षो को हलके हलके बडबडाते हुए सिसकारी लेती है जिन्हे सुन कर देवा का लंड और सख्त होने लगता है।
वह उस समय इतना गरम हो चुका था की अपनी माँ को पूरी रात बिना रुके चोदने की सोच रहा था।
बाहर रत्ना अपनी चुचियों को अच्छे से हिला डुला कर अपनी खुबसुरती पर चार चाँद लगा रही थी।
वाकई रत्ना एक बेहद खूबसूरत औरत थी, शायद यही बात है जिस वजह से देवा का दिल उस पर आ गया है,
मेरा मानना तो यही है की रत्ना ही इस कहानी की अहम औरत है, नीलम से भी ज्यादा।
मै शायद ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्युकी रत्ना वो औरत है जो अब अपने बेटे को पूरी तरह अपने पति के रूप में स्वीकार कर चुकी है।

चाहे कोई औरत सुन्दर हो या नहीं पर अगर वो अपने पति को या अपने मरद को दिलो जान से अपना मान चुकी है(चाहे वो उसका सगा बेटा ही क्यों न हो) तो वो रिश्ता किसी भी रिश्ते से बड़ा बन जाता है।
इसलिये रत्ना इस कहानी की सबसे अहम औरत है, और अगर देवा की पत्नियो की सूचि(लिस्ट) बनी, तो पहला स्थान रत्ना को ही मिलेगा !
तो अब रत्ना अपनी चुचियों पर से हाथ हटाते हुए अपने नाइटी पर ले जाती है और उसे नीचे करने लगती है।
और धीरे धीरे अपनी गांड की दरार में फँसी हुई नाइटी के हिस्से को भी साथ साथ नीचे करने लगती है।।
धीरे धीरे हौले हौले रत्ना अपने खूबसूरत शरीर को बेपरदा करते हुए नाइटी को अपने पैरो पर से निकालने लगती है।
 
नाइटी निकालते ही एक माँ अपने बेटे के लिए पूरी नंगी हो जाती है और अपने शरीर को महसूस करते हुए अपनी अदाओ के जलवे बिखेरने लगती है।
रत्ना के पूरे नंगे ब्रेस्ट उसकी गरदन में टंगे मंगलसुत्र की सुंदरता को बढा देते है…
ये भूरे रंग के निप्पल उसकी चुचियों पर सुंदरता की मोहर का काम कर रहे है।
और उसकी जवानी को लूटने का फरमान भी जारी कर रहे है…
रत्ना बाहर खड़ी अपने मदमस्त बदन पर अपने हाथ चला रही थी और हलकी हलकी सिसकिया भी ले रही थी।
देवा: “माँ और कितना इन्तजार कराओगी । मेरे लंड पर तो तरस खाओ …”
अपने नए नए साजन के मुँह से निकले यह शब्द रत्ना के कानो में गुदगुदी कर देते है।
जीसके परिणाम स्वरुप प्रेम दिवानी रत्ना अपने बेटे
अपने पति,
अपने सुहाग,
अपने देवा के लिए अपने बदन पर हाथ चलाना हल्का करती हुई,
अपने दिल में अपने बेटे के सामने दोबारा नंगी जाने की ठानते हुए मटकती गांड के साथ पलट जाती है।
“आज जिंदगी की असल रात होगी और मै इस रात को अपने लिए और अपने देवा के लिए यादगार बना दूंगी
और हमारे बीच के माँ बेटे के रिश्ते को एक अलग ही मुकाम पर,
एक शीर्ष पर,
एक उचाई पर पंहुचा दूंगी।
आज की रात मै अपने बेटे के सामने नंगी रहकर अपने हुश्न का दीदार देते हुए,
उसके उस दमदार हथियार को अपनी चूत, गांड़, मुँह और चुचियों के बीच ले जाकर अपने जिस्म की उस ज्वाला को बुझाने और साथ ही साथ उस बूझी हुई जवानी की आग को फिर से ज्वाला दूंगी…
और अपने नए पति यानि अपने सगे बेटे देवा को बहुत प्यार करुँगी”
ये एक माँ के विचार थे आज की रात और आने वाली रातो के बारे में अपने बेटे के लिये, उस माँ के लिए जो अब अपने ही बेटे को अपना जिस्म, रूह सौंप चुकी थी।
उस माँ के जो अब अपनी बुझी हुई चुदाई की आग को दोबारा जला चुकी थी…
ऐसा विचार एक आम माँ के मन में अपने बेटे के लिए आना वाकई में बहुत मुश्किल है।
पर अगर बेटा सही दिशा में मेंहनत करे,
कोशिश करे तो मै इस बात का भरोसा दिलाता हूँ की उसकी माँ एक दिन उसके सामने अपनी चूत और गांड जरूर खोल देगी…
और जमकर चुदाई भी करवाएगी…
खैर यह मुकाम तो इस वक़्त देवा हासील कर ही चुका है और खुश भी क्यों ना होगा।
आखीर जिस चूत पर फ़तह हासील किया है वो कोई आम चूत नहीं…
लाखो में एक ही ख़ुशक़िस्मत होता है ऐसा।
 
मुस्कराती हुई एक नंगी माँ गहरी साँसे लेती हुई अपने और अपने नंगे बेटे के बीच के उस बाथरूम के परदे को एक झटके से हटा देती है और सामने उसका देवा अपना लंड खड़ा किये सामने खड़ा मिलता है।
रत्ना की नजर अपने बेटे के लंड पर जाती है सीधी
जो उसकी तरफ ही सीधा खड़ा हुआ था।
देवा भी अपनी माँ को अपने सामने पूरा नंगा देख कर खुश होता है।
अपने बेटे के लंड को ललचायी नजारो से देखती एक माँ अपने बेटे के द्वारा कुछ पल पहले ही पूछे गये सवाल का जवाब देती है।
“लंड पर तरस खाऊँ? जान अगर तुम कहो तो मै तुम्हारा यह ताक़तवर लंड तक पूरा खा जाऊँ…तरस खाना तो बहुत मामूली सी बात है।
 
“लंड पर तरस खाऊँ? जान अगर तुम कहो तो मै तुम्हारा यह ताक़तवर लंड तक पूरा खा जाऊँ…तरस खाना तो बहुत मामूली सी बात है।


अब आगे.......





अपडेट 115




ऐसा कहते हुए देवा की दीवानी रत्ना अपनी उछलती चुचियों के साथ मुस्कराते हुए अपने देवा की तरफ बढ़ने लगती है।
देवा अपनी माँ को नंगी अपनी तरफ बढ़ता देखकर अपनी बांहे खोल देता है।
रत्ना मुस्कराते हुए उसकी तरफ आती है और फुव्वारा (शावर) खोल देती है, जिससे पानी निकलने लगता है और रत्ना और देवा के नंगे जिस्म को भिगोने लगता है।
कुछ ही पल में रत्ना देवा की बाहों में आ कर अपने छाती का भार उसपर डाल कर अपने हाथ उसके गरदन पर ले जाकर उसे प्यार से पकड़ लेती है, और उसके होठो को अपने रसिलें होठो में ले लेती है, देवा भी उसका जवाब देते हुए, अपने हाथ उसकी चुचियों के नीचे ले जाते हुए अपने हाथ आगे बढाने लगता है।

उसी पल देवा का खड़ा हुआ लंड अपनी माँ की सुंदरता की वजह से और खड़ा हो गया था और सीधा उसकी चूत पर छुने लगा, जिसको रत्ना ने भाँपा पर चुम्मे को बरक़रार रखती हुई अपनी गरम चुत पर देवा के गरम लंड के एहसास का मजा भी लेती रहती है।
देवा उसके होठो को पूरे जोश और ताकत से चूसता है, और अपनी जीभ उसके मुँह में ड़ालने लगता है, रत्ना भी अपने बेटे की जीभ का अपना मुँह खोलकर स्वागत करती है, और अपनी जीभ भी उसके मुँह में डाल देती है।
देवा और रत्ना फव्वारे के नीचे खड़े होकर एक दूसरे के भीगे जिस्मो को अपनी बांहो में भरे हुए पूरे जोश में चूम रहे थे, इस वक़्त रात के सिर्फ ८ ही बजे है।
उन दोनों का चुम्बन देखके कोई भी यह नहीं सोच सकता की एक माँ अपने बेटे को इतना कुछ मान सकती है, पर यह सच था की रत्ना अब देवा की दीवानी हो चुकी है और अब उससे कुछ छुपाने का मन नहीं था, वो अपने बेटे, अपने सुहाग का पूरा आनंद लेते हुए उससे चुदाई का पूरा सुख लेना चाहती थी।
उनका चुम्बन काफी समय से चल रहा था और हर पल के साथ वो और गहरा और तेज होने लगा था देवा के हाथ रत्ना को चुमते हुए उसकी चुचियों के नीचे ही थे, जिन्हे रत्ना ने अपने हाथो में लेकर सीधे अपनी सुडौल चुचियों पर ला रखी, और अपना चुम्बन जारी रखा,
अब देवा रत्ना को चूमते हुए बहुत ही प्यार से उसकी चूचियों को भी सहला रहा था…
कुछ और पल चूसाई का यह सिलसिला जारी रहा और फिर रत्ना देवा से अलग हुई और अपनी पीठ देवा की तरफ करते हुए अपनी बड़ी बडी चुचियों को फव्वारे के पानी से भिगोने लगी, देवा के हाथ अब उसकी चुचियों पर से हट गए थे, जिन्हे रत्ना दुबारा अपने हाथो से पकड़ कर वापस अपनी चुचियों पर ले आती है,
और इतना ही नही, रत्ना अपना हाथ देवा के हाथो पर से नहीं हटाती, बल्कि अपने हाथो से देवा के हाथो को जोर से दबाने लगती है अपनी चुचियों पर, जिसकी वजह से देवा के हाथ अपने आप रत्ना की चुचियों को मसलने लगते है…
 
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