Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 76 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

रत्ना आहे भरती हुई अपनी चुत पर अपने बेटे के मुँह की गर्माहट को महसूस करके मस्ती में मदहोष होने लगती है…
कुछ समय तक देवा अपनी माँ की चुत को चाटता है और फिर चाटता हुआ अपनी जीभ को चुत की गहराइयो में पेल देता है।
रत्ना: “आह चूस बेटे………आह……तेरा जैसा बेटा मिलना सौभग्य की बात है……आहह…चूस अपनी माँ की तडपती चूत को…आह्ह्ह्ह……”
देवा अपनी माँ की चुत को काटते हुए अपनी जीभ कभी अंदर डालता तो कभी अपनी २ उंगलिओ से चुत को चौड़ा करता…
ऐसे ही कुछ देर तक देवा अपनी माँ की चूत को चाटता चुसता काटता रहता है और फिर उठ जाता है।
देवा:“माँ मुझे तुम्हे चोदना है अभी…”
रत्ना: “तो चोद न रे……किसने रोका है फाड़ डाल…”और देवा नीचे झुक कर अपनी माँ के ऊपर लेट जाता है और अपने होठो को रत्ना के होठों से मिला लेता है और उसकी गर्दन पकड़ कर चुसने लगता है।
देवा और रत्ना पूरी ताकत से एक दूसरे के मुँह को चुसते हुए एक दूसरे के मुह में अपनी जीभ ड़ालने लगते है।
देवा रत्ना के पैर को ऊपर उठाकर बड़े आराम से उसके पैरो के बीच चला जाता है,
और उसका लंड अपनी माँ की तडपती चुत को टक्कर मारते हुए रत्ना की साँसे तेज कर देता है।
देवा बड़े प्यार से रत्ना को चुमते हुए ही अपना लंड हाथो से पकड़ कर अपनी माँ की चुत में घुसाने लगता है…
रत्ना की चुत में देवा अपना पूरा का पूरा लंड उतार देता है और कुछ पल उसे बिना हिलाये अपनी माँ के बालो को सहलाने लगता है।
कुछ पल ऐसे ही देवा रत्ना के चुचे भी दबाता है…
फिर दोबारा रत्ना के होठो को अपने होठो से मिला लेता है।
रत्ना भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके मुँह को चुसने लगती है।
अब देवा अपने लंड को चुत से बाहर निकाल कर दोबारा अंदर डालता है।
और झटके मारना शुरू कर देता है।
देवा रत्ना का मुँह चुसते हुए उसे चोद रहा था।
हर झटके के साथ रत्ना की सिसकिया बढ़ती जा रही थी और वो देवा की राफ्तेर भी…बढ़ती जा रही थी।
रत्ना के मुँह से सिर्फ एक बात निकली… “हाय रे ज़ालिम धीरे कर दर्द होता है……………”
पर देवा अपनी माँ को चोदने में कोई कसर नहीं छोडना चाहता था…
वह पिछले १० मिनट से रत्ना को पेले जा रहा था अब रत्ना को भी दोबारा मजा आने लगा…
 
रत्ना: “आह चोद बेटा चोद अपनी माँ को और जोर से पूरा लंड डाल दे अंदर तक……और चूस मेरे चुचो का काट मेरे निप्पल्स को……आहह”
देवा बहुत तेजी से रत्ना की चुत में अपना लंड पेले जा रहा था…कुछ देर में ही रत्ना झड़ने लगी।उसकी चूत में देवा का लंड फुल स्पीड में अंदर बाहर हो रहा था।
कुछ ही पल में देवा का पानी निकलने वाला था तो उसने अपना लंड रत्ना की चुत से बाहर निकाला और कहा।
देवा:“चूस मेरा लंड माँ…”
और रत्ना तुरंत उसके लंड के सामने आयी और अपने मुह में लेने लगी।
रत्ना देवा के लंड के टोपे को चूसते हुए अपनी चूत का रस भी पीने लगी जो उस पर लगा था।
कुछ देर ऐसे ही रत्ना अपने बेटे का लंड चुसती रही और देवा ने अपना पानी निकालना शुरू कर दिया जो उसकी माँ के मुँह से निकलने लगा…
देवा का माल रत्ना के मुँह से बहता हुआ बाहर आकर उसके चुचो पर गिरने लगा…
देवा ने अपना लंड रत्ना के मुँह से निकाला और उसे हिलाने लगा।
रत्ना किसी कुतिया की तरह अपनी जीभ बाहर निकालकर उसके बाकी माल को अपने मुँह में लेने का इन्तजार करने लगी…
देवा ने बाकी माल भी अपनी माँ के मुँह में छोड दिया जिसे रत्ना गटक गयी…
अपने चुचो पर गिरे माल को रत्ना ने वही मल दिया और देवा के लंड के आगे बैठी हुई उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगी…
देवा: “आह मजा आ गया…मादरचोद बनने में तो बड़ा फायदा है”
और रत्ना और देवा हँसने लगे…
फिर देवा और रत्ना साथ साथ नहाये और रत्ना ने एक नाइटी डाल ली।
और घर की साफ़ सफाई में जुट गयी…
देवा ने बस अंडरवियर पहन लिया और अपनी माँ को काम करता हुआ देखता रहा…
 
अपडेट 121



(रत्ना के घर पर तो चुदाई चल रही है माँ बेटे की पर शालु के घर पर……)
नीलम अपने सवालो में खो सी गयी थी।
और अभी वो अपनी माँ के कमरे के बाहर ही आयी थी की अचानक उसकी और शालु की टक्कर हो जाती है और नीलम जमीन पर गिर जाती है।
नीलम… “आहहहह”
शालु नीलम को सहारा देते हुए उसे दोबारा खड़ी करती है।
शालु: “चोट तो नहीं लगी…देख कर चला कर”
शालु को लगा की नीलम लगता है अब भी खोयी हुई है…
वही देवा और रत्ना वाली बात की वजह से…
उसे नीलम थोड़ी उदास भी लगती है, जिसकी वजह से शालु को भी कष्ट हो रहा होता है…
दोस्तो जाहिर सी बात है अपने महबूब को किसी और के साथ रासलीला करते देख हसीना दुखी तो होगी ही…
इसलिये शालु को लगता है की शायद नीलम को ज्यादा धक्का लगा है…


नीलम ने शालु की बात का जवाब नहीं दिया और आगे बढ़ने लगी पर कुछ पल आगे जाने के बाद वो पीछे मुडी, और अपनी माँ को देखते हुए कहा “देखने की वजह से ही तो कुछ समझ नहीं आ रहा माँ...”
नीलम के शब्दो में शालु को बहुत भार लगा और उसके आंसू निकल पड़े…
अपनी माँ के आंसू देखते ही नीलम उसकी तरफ आयी और उसे अपने सीने से लगा लिया…
ओर खुद भी रोना शुरू कर दिया।
शालु: “अंदर आ जा बेटी…”
और शालु और नीलम अंदर आकर बिस्तर पर बैठ गई।
शालु: “बेटी मै जानती हूँ की तू किस दुविधा में फँसी है…पर हिम्मत मत हार…”
शालु की बात से नीलम चौंक जाती है…
नीलम: “आपको कैसे पता…”
शालु: “मैने अपनी आँखों से तुझे बाहर निकलते देखा था देवा के घर से कल सुबह…मैं भी वहां थी जब तू वहाँ थी…”
नीलम मन में सोचने लगी हे भगवन माँ ने भी देवा को यह करते देखा है…।
पर लगता है उन्हें यह नहीं पता की मैंने भी उन्हें भाई से चुद्वाते देख लिया है…
नीलम: “हम्म…माँ मै उस बात को लेकर ही दुविधा में हूँ…मैं जानती हूँ की देवा मुझसे प्यार करता है…पर मैं उसके और उसकी माँ के बीच हो रही…क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा माँ…”
शालु, “देख बेटा मै जानती हूँ की देवा तुझसे बहुत प्यार करता है…और जो उसके और उसकी माँ के बीच जो हो रहा है, मुझे लगता है की इससे तुझे ज्यादा फर्क नहीं पडेगा, क्युकी देवा तुझे नहीं भुलेगा, चाहे उसकी माँ उसके पास हमेशा यह करने के लिए हो…”
 
नीलम शालु की बात सुनके थोड़ी हैरत में आ जाती है, भला माँ ऐसी कैसी बात कह रही है।
क्या वो भी यही चाहती है की मै देवा और उसकी माँ के रिश्ते को क़बूल कर लुँ और जो चल रहा है चलने दूँ…
ऐसा सोचते हुए नीलम ने सोचा शायद मुझे माँ से पहले उसके और भाई के बीच हो रही चुदाई की बात करनी चाहिये।
और माँ को यह विश्वास दिलाना चाहिए की मैंने उनके इस रिश्ते को क़बूल कर लिया है तो शायद माँ मुझे यह बता दे की आखिर वो मुझसे देवा और उसकी माँ के रिश्ते को क़बूल करने को क्यों कह रही है…

नीलम: “माँ, इस बात से पहले मै आपसे कुछ और बात साफ़ करना चाहती हूँ…मैं नहीं चाहती की मै आपसे कुछ छुपाऊँ…”
शालु: “ऐसी क्या बात है…”
नीलम ने गहरी साँस लेते हुए कहा… “माँ मुझे आपके और भाई के बीच हो रही उस बात का पता है, और मुझे यह भी पता है की भाभी भी आपका साथ दे रही है…”
शालु की गांड फट गयी नीलम की यह बात सुनकर,, और उसका सर नीचे झुक गया…
नीलम, “मैने सब देख लिया था अपनी आँखों से परसो रात को…इसलिये अगर आप यह बात ध्यान में रखकर बोल रही हो की जैसे नूतन भाभी आपका साथ दे रही है वैसे ही मै भी देवा और रत्ना काकी का दूँ…तो उसके लिए आपको मुझे समझाना होगा की मै ऐसा क्यों करुं…और यह कितना सही होगा…”
शालु नीलम की बात सुन रही थी, पर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम थी नीलम की बात से…
नीलम: “माँ आप कुछ बोलो भी…”
शालु: “वोओओओ मैं…वो दरअसल…क्या कहू”
नीलम: “माँ आप फिकर मत करो मै आपके और भाई के बीच जो चल रहा है उसपे कोई सवाल नहीं कर रही हूँ बस मुझे जानना है की जो आप करने को कह रही हो वो सही रहेगा या नहीं…कही ज्यादा गलत तो नहीं हो जाएगा।”
शालु थोड़ी सोच में पड़ गयी थी उसका सर भारी हो गया था, क्युकी नीलम ने अचानक ही जो बोल दिया था इतना…
नीलम समझ रही थी की उसके अचानक सच बोलने से माँ थोड़ी डर गयी है इसलिए वो उससे कहती है…
नीलम: “माँ आप डरो मत मै समझ सकती हूँ की आपकी भी अपनी जरूरतें है, और अपने ही परिवार के लोग काम न आयेंगे तो भला कौन आएगा…मैं यह जान गयी हूँ की परिवार वालो के बीच यह सब होना बहुत कम देखने को मिलता है, पर यह गलत नहीं है…बल्की इसका भी अपना अलग ही मजा आता है…और बदनामी का भी कोई डर नहीं…इसलिये मै आपके लिए खुश हुँ…आप मुझसे बेझिझक बोलिये जो भी बोले…बस मुझे बताइए…”
 
शालु को थोड़ा सा ताज्जूब हुआ की नीलम कैसे यह सब बोल रही है पर उसे ख़ुशी भी हुई की नीलम को यह सब गलत नहीं लगता…।
शालु: “बेटी तूने मुझे सच मे डरा दिया था…और हाँ इसमें कुछ गलत नहीं है…तेरा भाई मै और बहु साथ में करते है…और जहाँ तक रत्ना की बात है तो सुन बेटी उस बेचारी ने बहुत दुःख सहा है…इतने सालो से उसने किसी आदमी का स्पर्श तक नहीं पाया था…इसलिये मुझे लगता है की जो देवा कर रहा है वो बिलकुल सही है…वह उसे वो ख़ुशी दे रहा है जिसकी वो हक़दार है…।
बेटी इसलिए कभी उसे उसकी माँ से दुर मत करना…।अब जब तुम्हे सब पता है, और यह तुमने खुद कहा की यह सब गलत नहीं है तो उनका रिश्ता भी क़बूल कर लो……तुम सब खुश रहोगे…जो चल रहा है वो चलने दो…जैसे हम लोग खुश रहते है एक साथ तुम तीनो भी रह सकते हो बेटी……”
नीलम शालु की बाते सुनकर बहुत हैरान थी
की वो अपनी बेटी को सब कुछ जैसा चल रहा है चलते रहने को कह रही है…
नीलम: “माँ मै सब समझ रही हूँ की रत्ना काकी की ख़ुशी इसमें ही है, और इसमें कुछ गलत भी नहीं है…पर मेरा दिल नहीं मान रहा…आप मेरी नजर से नहीं समझा सकती…मुझे इस बारे में भाभी से ही बात करनी होगी, आखिर उनको कैसा लगता है जब भाई आपके साथ यह करता है…आखीर वो ऐसे रिश्ते को कैसे निभा रही है मुझे बस वो जानना है……”
नीलम इतना कह ही रही थी की तभी नूतन शालु को पुकारती हुई आ गयी कमरे में…।




नुतन को समझ नहीं आ रहा था की आखिर नीलम परेशान किस बात से है।
इसलिये उसने सोचा क्यों न अपनी सास से ही पूछ ले की क्या बात है…
इसलिये वो रसोई से बाहर निकल कर शालु के कमरे में गयी।
नुतन: “माँ……”
नूतन जब अंदर घुसी तो उसने देखा की नीलम पहले से ही वहां मौजूद है, और शालु उससे कुछ बाते कर रही थी…
नुतन के कमरे में आते ही नीलम ने उसकी तरफ देखा और अपनी बात बोलना बंद कर दिया
शालु के माथे पर पसीना पसरा हुआ था जिसे नूतन ने महसूस किया…
शालु: “क्या बात है बहु…”
शालु ने बडी हल्की आवाज में कहा…
इससे पहले की नूतन कुछ बोलती....
नीलम उठ खड़ी हुई…
नीलम: “भाभी आइये…आप भी बैठ जाइये…यहाँ…”
शालु: “नीलम अभी नही, तुम बाहर जाओ मै तुम्हारा वही इन्तजार करती हूँ…”
नीलम, “क्यू माँ…मैं बात करना चाहती हूँ बस…।”
नीलम बोलने वाली थी की बाहर से पप्पू की आवाज आयी।
पप्पु: “नूतन…जरा यहां आओ…”
और शालु की जान में जान आयी।।
”जाओ नूतन मै तुमसे बाद में बात करुँगी…”
नूतन को कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर क्या माजरा है।
पर शालु की शक्ल देख कर नूतन ने वहां से जाना ही ठीक समझा।
नुतन के जाते ही नीलम दोबारा वहां बैठ गयी…
नीलम: मै क्या करू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है………सिर्फ भाभी ही मेरी इसमें मदद कर सकती है…

शालु: “नीलम…पहले तू वादा कर की यह बात तू अपने बापू को नहीं पता लगने देंगी…”
नीलम: “अब आपने जो रास्ता चुना है, मैंने काफी सोचा है, मुझे कोई ऐतराज नही आपके और भाई के रिश्ते से…इसलिये मुझे उस बारे में और कुछ नही बोलना, नहीं मै किसी को कुछ कहूँगी…”
शालु ने चैन की साँस ली…
असल में हुआ है कुछ यू…
 
शालु अब चैन की साँस ले रही थी क्युकी उसे यकीन था की नीलम यह बाते किसी को नहीं कहेगी…
शालु: “बेटा तू फिकर मत कर.....मैं भी नूतन से बात करुँगी…और देवा के घर पे भी…सब साफ़ साफ़…”
नीलम कुछ नहीं बोलती, आखिर यह बाते ज्यादा समय तो छुप नहीं पाएगी, बाहर तो निकलनी ही है।
नीलम सर हिलाती हुई अपने कमरे में चलि जाती है…
शालु भी किचन में जाती है जहाँ नूतन और पप्पू खड़े किस्सिंग कर रहे थे…
शालु, “तुम दोनों ऐसे ही मत किया करो…माना पति पत्नी हो…पर तब भी घर में जवान बेटी है…।”
पप्पु, नूतन अलग अलग हो जाते है।


नुतन: “हाँ माँ उसी जवान बेटी की बात करनी है मुझे…आखिर क्या चल रहा है।”
पप्पु: “क्या चल रहा है मतलब क्या कुछ समस्या है।”
शालु: “हाँ समस्या ही है…”
नुतन: “क्या बात है बताइये…नीलम कल से काफी परेशान भी लग रही है।”
शालु:“उसे हम तीनो के बारे में पता चल गया है…”
नूतन और पप्पू की गाण्ड फट जाती है शालु के मुँह से यह सुन कर…
नुतन और पप्पु: “कैस्स्स्सस्स्ससे”
शालु: “परसो रात उसने हमारा कार्यक्रम देख लिया था…”
पप्पु: “हे भगवान…यह क्या हो गया……माँ…अब क्या करेंगे हम लोग…कैसे मुँह दिखाउंगा अपनी बहन को मैं…”
शालु: “डरने की बात नहीं है, उसे इस सब से कोई दिक्कत नहीं उसने हमारा रिश्ता क़बूल कर लिया।
पप्पू और नूतन की जान में जान आती है पर हैरानी भी होती है… “पर कैसे…”

शालु: “उसे यह लगने लगा है की यह सब परिवार के लोगो में होना कोई गलत बात नही…इसलिए उसे इससे कोई दिक्कत नहीं…”
पप्पू और नूतन शालु की बात से खुश हो जाते है।
नुतन: “तो माँ आखिर फिर समस्या क्या है…”

शालु, “देवा और रत्ना…”
पप्पू और नूतन… “क्या……मतलब…वह क्यों…”
शालु पप्पू और नूतन को सब बताती है की देवा अपनी माँ को चोदने लगा है…
नीलम ने यह देख लिया है…
और यह भी की उसे समझ में आता है की यह सब उनके बीच जो हो रहा है उसमे कोई बुराई नहीं……
पप्पू और नूतन काफी हैरान थे यह जानकार की देवा भी अपनी माँ को चोदने लगा है…
 
नुतन:“तो माँ वो मुझसे क्या चाहती है…आपके कमरे में जब आयी थी तो उसने मुझसे कहा था की उसे मुझसे बात करनी है…”
फिर शालु ने बताया की आखिर नीलम क्या बात करना चाहती है…
नूतन यह सुनकर मुस्कुराने लगती है…
शालु: “मुस्कुरा क्यों रही है…”
नुतन:“मैं उससे सच कैसे कहूँ की मै एक चुदक्कड़ लड़की हूँ जो अपने भाई से और खुद देवा से चुदवा चुकी हुँ…और अपने ही पति को उसकी माँ के साथ चुदाई करता देख मुझे मजा आता है…पर मै जानती हूँ की मेरा पति मुझसे ही असली वाला प्यार करता है…


अपनी माँ से कभी उस तरह का प्यार नहीं किया जा सकता चाहे वो कितनी ही चुदाई ना कर ले…वह प्यार वाला एहसास सिर्फ बीवी को ही मिलता है…चुदाई का क्या है वो तो किसी के बीच हो सकती है…उसका मतलब पर यह तो नहीं है की उसे भी उसी तरह क्या प्यार है…और यही प्यार बीवी को माँ से अलग करता है…नूतन को शालु से…और नीलम को रत्ना से…या किसी भी और लड़की से… यही वजह है की मै इस रिश्ते को मानती हूँ।
शालु नूतन की बाते सुनकर हैरान थी।
क्यूंकि उसके दिमाग में यह बात आयी ही नहीं…
वह मन ही मन सोचने लगी की नीलम सही सोच रही थी की जो लड़की यह सब अनुभव कर रही है वही यह सही तरह समझा सकती है…
नुतन: “पर अगर नीलम को छोड़कर कोई लड़की हुई तो उसे भी मै यह सब सही से समझा सकती हूँ…”
पप्पू और शालु सोच में पड़ गए की आखिर नीलम के मन मै कैसी भावनाये है चुदाई को लेके…
पर रसोई में खड़े यह लोग इतने आराम से बाते कर रहे थे की उन्होंने यह भी ध्यान नहीं दिया की नीलम पहले से बाहर खड़े उनकी सारी बाते सुन चुकी थी।
और अब उसे अपनी भाभी से जो जवाब चाहिए था वो भी उसे मिल गया था…
उसकी आँखों से आंसू भी गिर रहे थे।
 
अपडेट 122




शालु पप्पू और नूतन रसोई में बाते कर रहे थे।
पर उन्हें नही पता चला की नीलम ने सब सुन लिया है…
नीलम रो रही थी, उसके मन में जीतने सवाल थे उसे उन सब के जवाब मिल गए थे…
पर दोस्तों, दुखि ना हो…।
नीलम रो तो रही थी पर उसकी आँखों में जो आंसू थे वो ख़ुशी के आंसू थे ना की गम के…
नीलम नूतन की बात से समझ गयी की बीवी के लिए पति का प्यार किसी से भी अलग होता है।
चाहे पति कितनो से शारीरिक संबंध बना ले,
मन और दिल में तो अपनी पत्नी के लिए अलग ही भावनाये होती है।
जो अपनी माँ को चोदकर भी नहीं आ सकती या किसी और लड़की को भी…
नीलम के मन में चल रहे सवालो ने आख़िरकार समाधान मिला पर नीलम यह जानकार थोड़ा हैरान थी की नूतन भी देवा से चुदवा चुकी है।
उससे थोड़ा ग़ुस्सा भी आया नूतन पे…
और सोचने लगी की भला देवा अपनी ही बहन को चोद चुका है…
नीलम ने सोचा की अभी सही वक़्त नहीं ज्यादा बोलने का किसी से भी।
इसलिये वो उठी
और अपने कमरे में जाकर सोचने लगी की आखिर सब कुछ कैसे सही किया जाए की जो सब चल रहा है वो चलते रहे पर देवा उसका हो जाये…


दूसरी तरफ, देवा का घर....

चुदाई की थकावट से माँ बेटे ने थोड़ा समय चुदाई न करने की ठानी।
अब देवा कच्छा पहने हुये ही बैठक मै बेठा अपनी माँ को घर के काम करता देख रहा था की दरवाजे पर दस्तक हुई तभी देवा को याद आया की कल रात को भी उन्होंने २ बार घर का दरवाजा नहीं खोला था
क्या यह वही आदमी होगा।।
देवा ने पास ही पड़ा अपना कुर्ता और धोती डाली और दरवाजे के पास जा कर देखा, वो पप्पू था।
पप्पु: “देवा भाई…क्या बात है बड़ी देर में आये कितनी देर से दरवाजा खटखटा रह हुँ…”
देवा: रुक आता हुँ अभी”
और देवा घर के अंदर जा कर रत्ना को ढूँढ़ने लगता है जो उसे अपने कमरे में मिलती है झाड़ू लगाते हुए…
देवा: “माँ पप्पू आया है मै उसके साथ जरा खेतो तक जा रहा हूँ कुछ समय में आ जाउँगा…”
रत्ना: “अच्छा ठीक है बेटा…”
और देवा यह कह कर घर के बाहर आ जाता है।
उसे पप्पू मुस्कराता हुआ मिलता है।
देवा: “क्यो बे चूतिये, गधो जैसा क्यों मुस्कुरा रहा है”
पप्पु। “चल जरा खेतो तक हो आते है…”
और देवा और पप्पू खेतो की तरफ चल पडते है…
रास्ते में बात भी शुरू होती है…
 
पप्पु, “और भाई क्या बात है बड़े खुश लग रहे हो…।कुछ मिल गया है क्या…”
देवा: “मैं तो रोज की तरह ही हुँ…क्या मिलेगा भला…”
पप्पु: “नहीं आज बहुत अलग लग रहा है, क्या बात है २-३ दिन से सही से मिलने भी नहीं आया…कहाँ लगा हुआ था…”
देवा:“कहीं नहीं घर पर ही तो था मैं…”
पप्पु, “घर पर था…पर कल रात को जब मै आया था तब दरवाजा क्यों नहीं खोला फिर…कहाँ मशरूफ़ था…”

देवा समझ गया की ११ बजे यही साला आया था।
देवा “हम लोग सो गए थे जल्दी कल…कब आया था तू वैसे…कोई जरुरी काम था क्या.....”
पप्पु: “वो कल रात को ही नूतन को अपनी माँ भाई की याद आ रही थी तो मैंने कहा की कल चलते है …और तुझसे भी पुछ लेते है साथ चलने को इस बहाने ममता से भी मिल आयेगा…पर तू बाहर ही नहीं निकला…फिर नूतन ने भी कहा की ३-४ दिन बाद ही चल लेंगे सब साथ…”
देवा:“अच्छा…माँ भी कल कह रही थी की ममता को कुछ दिन के लिए ससुराल से ले आओ…कुछ दिन यहाँ रह लेगी…”
पप्पू फिर से गधो की तरह मुस्कुराने लगा…
देवा: “लगता है तेरा गांड मराने को बहुत मन कर रहा है काफी दिनों से मारी भी नहीं है मैंने…”
पप्पु, “क्यों भाई मेरी क्या मारोगे…जब इतना कड़क माल अपने ही घर में तुम्हे मिल गया हो…रात दिन मारने के लिए…”
पप्पू की बात सुनकर देवा चौंक गया।
देवा: “कैसा माल…कोंन सा माल…क्या बोल रहा है तू…”
पप्पु: “चोर की दाढी में तिनका…साले माँ ने सब बता दिया है…आखिरकर रत्ना काकी को भी शामिल कर ही लिया ना तूने…”
देवा समझ जाता है की पप्पू को पता है सब, इसलिए बहाना बनाने का कोई फायदा नहीं…
देवा:“शालू..... बहन की लौड़ी के पेट में कुछ रुकता नहीं…”
पप्पू और देवा हँसने लगते है।
पप्पु: “लौड़ा डाल दे मुँह में कुछ नहीं बोल पाएगी,,,,”
और देवा जोर जोर से हँसने लगता है…
देवा: “पर साले और किसी को मत बताइयो यह बात अभी…”
पप्पू मन में सोचता है।
क्या देवा को बताना चाहिए की नीलम को सब पता चल गया है?
 
पप्पु, “अच्छा…पर अगर किसी को पता चल गया तो…मेरा मतलब कोई ऐसा जिसे
हम इन सब में शामिल न कर सके…”
देवा: “बहन के लौडे कहना क्या चाहता है…और किसे पता चल गया है…”
पप्पु डर जाता है…”किसी को भी नहीं…”
पर देवा समझ गया था की पप्पू छुपा रहा है कुछ…
देवा (ग़ुस्से में) “तू बताता है या गांड मारुं तेरी साले”
पप्पु: “किसी को भी नहीं पता चला है देवा भाई, सच कह रहा हूँ।
देवा: “तेरी शकल और हाव भाव से तो ऐसा नहीं लग रहा की तू सच कह रहा है…देख साले बता दे सच की आखिर क्या बात हुई है…किसे क्या पता चल गया है…अगर कोई बाहर का हुआ तो माँ और मैं मुँह दिखाने लायक नहीं रहेंगे गाँव में…”
पप्पु सोचने लगता है की एक न एक दिन तो यह बात देवा को पता चलनी ही है, पर उसे डर भी लग रहा था की कहीं देवा कुछ गलत न कर बैठे यह जानकार की जिससे वो अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता है उसने देवा को अपनी माँ चोदते हुए देख लिया है…
पप्पू का सर घुमने लगता है।

पप्पु: “भाई बताता हूँ पर यहाँ नहीं आओ खेतो की तरफ चलो जहाँ लोग न हो…”
देवा और पप्पू चलते हुए देवा बाजू वाले खेत में खलियान पर आ जाते है…
देवा: “मुझे बता आखिर बात क्या हुई है…कुछ गड़बड़ तो है…”
देवा के चेहरे पे पप्पू ने आज दूसरी बार शिकन की लकीर देखी थी।
पहली बार तब देखी थी जब नीलम जख्मी हुई थी हिम्मत राव से देवा की लडाई के वक़्त…
पप्पू ने तब भी हिम्मत जुटाई, और कहा…
“नीलम को भी सब कुछ पता चल गया है की मै अपनी माँ को नूतन के साथ चोदता हुँ, और यह भी की तूने भी नूतन को चोदा है जो की तेरी बहन है…और सबसे ज्यादा यह बात की तू अपनी माँ को चोदता है उसने यह सब अपनी आँखों से देखा था कल सुबह जब तू अपनी माँ की गांड मार रहा था…”
पप्पू के मुँह से यह बात सुनकर देवा बेसुध होकर पत्थर सा बन जाता है…
उसे जैसे साँप सुंघ गया हो…
देवा एक पत्थर की मूरत जैसा धडाम से नीचे गिर पड़ता है और अपना सर पकड़ लेता है।
 
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