hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
रत्ना आहे भरती हुई अपनी चुत पर अपने बेटे के मुँह की गर्माहट को महसूस करके मस्ती में मदहोष होने लगती है…
कुछ समय तक देवा अपनी माँ की चुत को चाटता है और फिर चाटता हुआ अपनी जीभ को चुत की गहराइयो में पेल देता है।
रत्ना: “आह चूस बेटे………आह……तेरा जैसा बेटा मिलना सौभग्य की बात है……आहह…चूस अपनी माँ की तडपती चूत को…आह्ह्ह्ह……”
देवा अपनी माँ की चुत को काटते हुए अपनी जीभ कभी अंदर डालता तो कभी अपनी २ उंगलिओ से चुत को चौड़ा करता…
ऐसे ही कुछ देर तक देवा अपनी माँ की चूत को चाटता चुसता काटता रहता है और फिर उठ जाता है।
देवा:“माँ मुझे तुम्हे चोदना है अभी…”
रत्ना: “तो चोद न रे……किसने रोका है फाड़ डाल…”और देवा नीचे झुक कर अपनी माँ के ऊपर लेट जाता है और अपने होठो को रत्ना के होठों से मिला लेता है और उसकी गर्दन पकड़ कर चुसने लगता है।
देवा और रत्ना पूरी ताकत से एक दूसरे के मुँह को चुसते हुए एक दूसरे के मुह में अपनी जीभ ड़ालने लगते है।
देवा रत्ना के पैर को ऊपर उठाकर बड़े आराम से उसके पैरो के बीच चला जाता है,
और उसका लंड अपनी माँ की तडपती चुत को टक्कर मारते हुए रत्ना की साँसे तेज कर देता है।
देवा बड़े प्यार से रत्ना को चुमते हुए ही अपना लंड हाथो से पकड़ कर अपनी माँ की चुत में घुसाने लगता है…
रत्ना की चुत में देवा अपना पूरा का पूरा लंड उतार देता है और कुछ पल उसे बिना हिलाये अपनी माँ के बालो को सहलाने लगता है।
कुछ पल ऐसे ही देवा रत्ना के चुचे भी दबाता है…
फिर दोबारा रत्ना के होठो को अपने होठो से मिला लेता है।
रत्ना भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके मुँह को चुसने लगती है।
अब देवा अपने लंड को चुत से बाहर निकाल कर दोबारा अंदर डालता है।
और झटके मारना शुरू कर देता है।
देवा रत्ना का मुँह चुसते हुए उसे चोद रहा था।
हर झटके के साथ रत्ना की सिसकिया बढ़ती जा रही थी और वो देवा की राफ्तेर भी…बढ़ती जा रही थी।
रत्ना के मुँह से सिर्फ एक बात निकली… “हाय रे ज़ालिम धीरे कर दर्द होता है……………”
पर देवा अपनी माँ को चोदने में कोई कसर नहीं छोडना चाहता था…
वह पिछले १० मिनट से रत्ना को पेले जा रहा था अब रत्ना को भी दोबारा मजा आने लगा…
कुछ समय तक देवा अपनी माँ की चुत को चाटता है और फिर चाटता हुआ अपनी जीभ को चुत की गहराइयो में पेल देता है।
रत्ना: “आह चूस बेटे………आह……तेरा जैसा बेटा मिलना सौभग्य की बात है……आहह…चूस अपनी माँ की तडपती चूत को…आह्ह्ह्ह……”
देवा अपनी माँ की चुत को काटते हुए अपनी जीभ कभी अंदर डालता तो कभी अपनी २ उंगलिओ से चुत को चौड़ा करता…
ऐसे ही कुछ देर तक देवा अपनी माँ की चूत को चाटता चुसता काटता रहता है और फिर उठ जाता है।
देवा:“माँ मुझे तुम्हे चोदना है अभी…”
रत्ना: “तो चोद न रे……किसने रोका है फाड़ डाल…”और देवा नीचे झुक कर अपनी माँ के ऊपर लेट जाता है और अपने होठो को रत्ना के होठों से मिला लेता है और उसकी गर्दन पकड़ कर चुसने लगता है।
देवा और रत्ना पूरी ताकत से एक दूसरे के मुँह को चुसते हुए एक दूसरे के मुह में अपनी जीभ ड़ालने लगते है।
देवा रत्ना के पैर को ऊपर उठाकर बड़े आराम से उसके पैरो के बीच चला जाता है,
और उसका लंड अपनी माँ की तडपती चुत को टक्कर मारते हुए रत्ना की साँसे तेज कर देता है।
देवा बड़े प्यार से रत्ना को चुमते हुए ही अपना लंड हाथो से पकड़ कर अपनी माँ की चुत में घुसाने लगता है…
रत्ना की चुत में देवा अपना पूरा का पूरा लंड उतार देता है और कुछ पल उसे बिना हिलाये अपनी माँ के बालो को सहलाने लगता है।
कुछ पल ऐसे ही देवा रत्ना के चुचे भी दबाता है…
फिर दोबारा रत्ना के होठो को अपने होठो से मिला लेता है।
रत्ना भी अपने बेटे का साथ देते हुए उसके मुँह को चुसने लगती है।
अब देवा अपने लंड को चुत से बाहर निकाल कर दोबारा अंदर डालता है।
और झटके मारना शुरू कर देता है।
देवा रत्ना का मुँह चुसते हुए उसे चोद रहा था।
हर झटके के साथ रत्ना की सिसकिया बढ़ती जा रही थी और वो देवा की राफ्तेर भी…बढ़ती जा रही थी।
रत्ना के मुँह से सिर्फ एक बात निकली… “हाय रे ज़ालिम धीरे कर दर्द होता है……………”
पर देवा अपनी माँ को चोदने में कोई कसर नहीं छोडना चाहता था…
वह पिछले १० मिनट से रत्ना को पेले जा रहा था अब रत्ना को भी दोबारा मजा आने लगा…