Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Page 77 - SexBaba
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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम

अपडेट 123



देवा बिना कुछ बोले पत्थर बना हुआ जमीन पर पड़ा रहता है,
पप्पू भी समझ जाता है की देवा को झटका लगा है,
इसलिये वो कुछ नहीं बोल रहा…
पप्पू भी देवा के बगल में जमीन पर बैठकर उसके काँधे पर हाथ रखकर उसे दिलासा देने लगता है।
पप्पु:“देवा, देख मै जानता हुँ की तुझे झटका लगा है यह जानकार, पर सच यही है…”
देवा कुछ नहीं बोलता है।
पप्पु: “सुन इतना परेशान मत हो नीलम तेरी ही है अभी भी, उसने यह भी मान लिया है की रत्ना काकी का तेरे साथ जो चल रहा है उसमे उसे कोई आपति नहीं है, और उसने मेरा और माँ का रिश्ता भी क़बूल कर लिया है…”
देवा पप्पू की बात सुनके चौंक जाता है पर यह जानके की जिसे वो जान से भी ज्यादा चाहता है और अपनी जिंदगी बिताना चाहता है।
उसे यह बात पता चल गयी है की देवा ने उसे धोखा दिया है…।
और अब वो उसे अपना चेहरा कैसे दिखायेगा…
ये सोच सोच के पप्पू की कही बाते भी देवा पर कोई फर्क नहीं डालती
पप्पु: “देख देवा, मुझे नहीं लगता है की नीलम ज्यादा ग़ुस्सा है, वो अब भी तुझे बहुत प्यार करती है…”
पप्पू की यह बात देवा के दिल तक पहुच ही जाती है और वो पप्पू की तरफ देखता है।
देवा की आँखों में अपने प्यार से बिछड़ने का गम पप्पू साफ़ साफ देवा की आँखों में देख सकता था जो की आँसुओ के रूप में बाहर आ रहा था…
देवा: “क्या कहा तूने नीलम मुझसे अब भी प्यार करती है…मतलब यह सब जानने के बाद भी की मै और माँ…तु सच कह रहा है न…पप्पू”
पप्पु देवा के चेहरे पर आयी उस हल्की सी ख़ुशी से यह ठान लेता है की नीलम की शादी तो सिर्फ देवा से ही करवाएगा चाहे कुछ भी हो जाए…
उसे देवा की आँखों में अपनी बहन के लिए सच्चा प्यार दिखा था आज…
पप्पू की आँखों में भी नमी आने लगी थी।
पप्पु:“हाँ देवा नीलम अब भी तुझे उतना ही प्यार करती है और वो तेरे और रत्ना काकी के रिश्ते को शायद जल्दी अपना भी ले…”
पर देवा यह बात सुनकर फिर से डर जाता है।
देवा: “पर मै नीलम के सामने किस मुँह से जाऊंगा भला क्या क्या सोच रही होगी वो मेरे बारे में…की मै अपनी ही माँ के साथ यह सब करता हुँ…नही…नीलम का सामने मैं नही कर पाउँगा…वह मुझे नहीं अपनायेगी…”
और ऐसा कहते हुए देवा उठता है और भागना शुरू कर देता है…
 
भागते हुए भी उसके सामने नीलम का वो मासुम और खूबसूरत चेहरा आने लगता है और वो पल भी उसके आगे घुमने लगते है जो उसने नीलम के साथ बिठाये थे…
वह खूबसूरत सा मासुम चेहरा…
और देवा जोर जोर से रोने लगता है…”मैंने उसकी हँसी छीन ली…उसका विश्वास तोड़ दिया……”
पप्पु: (चीखते हुए…) “देवा”
पर देवा बिना रुके २ घंटे तक भागता हुआ एक गाँव को पार करता हुआ दूसरे गाँव के बाहर तक आ जाता है…
ये गाँव का एकमात्र बस स्टैंड था जहाँ पर एक बेन्च थी।
शाम हो चुकी थी इसलिए वहाँ कोई नहीं था।
आखिरी बस शहर के लिए दोपहर को ही निकल गयी थी।

देवा उस बेन्च पर जाकर बैठ जाता है, और अपनी गरदन नीचे कर लेता है।
देवा:“हे भगवन यह कैसी परीक्षा ली है तूने मेरी……”
देवा सर झुकाये रोने लगता है…
आज इस मरद की आँखों से दुबारा आंसू गिरे थे।
पहली बार तब जब नीलम को चोट लगी थी…
और इस बार भी नीलम के दिल पर चोट लगी थी…
कुछ पलो तक ऐसे ही रोने के बाद देवा को अपने सर पर किसी का स्पर्श महसूस होता है।
वह अचानक सिसकना बंद कर देता है,
और ऊपर सर उठाता है…
सामने एक 55-60 साल की औरत थी जो देवा को देख कर मुस्करायी।
औरत, “क्या बात है बेटा “
देवा: “काकी मैंने एक अपने को बहुत बड़ा धोखा दिया है, उसे बहुत दुःख हुआ है”
औरत: “बेटा धोखा तो तुमने खुद को ही दिया है…उसको नहीं”
देवा:“काकी मै समझा नहीं…”
औरत: “बेटा हम अपनों को अपने आखिर कहते ही इसलिए है…ताकि एक दूसरे का हाथ बटां सके, एक दूसरे के दुःख में साथ दे सके, एक दूसरे की भावनाओँ की कदर कर सके,,ओर मुश्किल वक़्त में भी अपनों का साथ ना छोड़े…लेकिन तुम क्या यह बात भूल गए की अगर हम दुःख में होते है तो हमारे अपने हमारे दुःख को देखकर और दुखि हो जायेंगे…अगर हमने किसी अपने को दुःख दिया है और अगर हम उनका दुःख कम करने की बजाये खुद कोने में पड़े उनके दुःख पर दुखि होगे, तो भला उन्हें कौन खुश करेगा बेटा…”
 
Bhai aap bhot achha likhta ho mana puri story padhi ha bhot achhi ha ab aap iska aaga ka part bhi jaldi likha please bhai jaldi
 
देवा: “काकी पर धोखा देने के बाद भला क्या मुँह दिखाउंगा मैं…”
औरत: “धोखा…बेटा तुम्हे पता है…यह शब्द एक बहुत बड़ा मायाजाल है, सही या गलत ही धोखे को जनम देता है…बेशक सचाई का रास्ता काँटो से भरा होता है, पर इस रास्ते पर चलने वालो को हमेशा अपनों का साथ आखिर में जरुर नसीब होता है…मायाजाल से बाहर निकलो और खुद को मत कोसो…”
देवा उस औरत की बात को सुनकर बहुत प्रभावित हो जाता है, वो जमीन पर उसके सामने बैठ जाता है।
“काकी पर मेरी वजह से ही तो मेरा अपना आज कष्ट में है। भला वह मुझे असानी से कैसे माफ़ करेगा…”
औरत: (हँस्ते हुए) “बस इतना ही भरोसा है तुम्हे अपने प्यार पर देवा……”
देवा अपना नाम उस औरत के मुँह से सुन कर चौंक सा जाता है।
देव: “अआपको…आपको मेरा नाम …नाम कैसे पता…”
औरत: “बेटा अपनी नीलम को समय दे थोड़ा…अपने प्यार पर और खुद पर भरोसा रख…ऐसा प्यार ढूँढ़ने से भी नहीं मिल सकता है…”
अब देवा बहुत हैरत में पड गया था।
आखीर कौन है यह औरत जो उसके और नीलम के बारे में सब जानती है…
देवा और कुछ बोलता उस औरत ने उसके सर पर हाथ रखा और कहा… “अपने घर जाओ बेटा अब…अपने घर जाओ…”
और उसके कानों में उस औरत की वही बात बार बार गूँजने लगी… “बस इतना ही भरोसा है तुम्हे अपने प्यार पर देवा……”


इसके अलावा देवा के कानो में और कुछ नहीं पड़ा…।
फिर वह औरत चली गई तब देवा अपने गाँव की तरफ चल पड़ा । कुछ देर बाद उसने खुद को अपने ही गाँव के बाहर एक तालाब के सामने पाया, यहाँ से उसका घर ज्यादा दुर नहीं था।
देवा के हाथ पैर काम्पने लगे की आखिर वो यहाँ इतना जल्दी कैसे पहुंचा।
उसे कुछ याद नहीं आ रहा था।ऐसा लग रहा था की उसका दिमाग सुन्न पड़ गया हो।
और वो औरत कौन थी और उसे उसका नाम कैसे पता था।
देवा इस सोच में पड़ गया था।

हम अपने पाठकों को बताते चलते है की यह औरत जिस दिन नीलम को चोट लगी थी वैध जी के पास दवा लेने देवा के गाँव गई थी जहाँ उसने देवा और नीलम के प्यार के बारे में देखा और सुना था। इसलिए वो देवा और नीलम के बारे में इतना सब जानती थी।


सुरज डूब चुका था पर अब भी थोड़ी रौशनी थी।


पर तभी देवा के कानो में कुछ पड़ा…
 
झाड़ियो के पीछे कुछ लोग बातें कर रहे थे।
आदमी 1: “बाउजी आप फिकर मत करो हम सब देख लेंगे……”
आदमी 2: “हाँ आप बस हमारा एडवांस दे दो आपका काम हो जाएगा…।”
देवा के कानो में कुछ ऐसी ही आवाजे पड़ी थी जो पास की झाड़ियो से आ रही थी, उसने अपनी नजर आस पास की झाड़ियो की तरफ से आती हुई आवाज की तरफ दौड़ायी…
पर उसे आसपास कोई नहीं दिखा…
तो वो आगे बढ़कर इधर उधर झाडिया हिलाते हुए आगे बड़ा…
आदमी 1: “बाउजी आप समझो आपका काम इतना आसान नहीं है…बहुत लोग रहते है यहाँ…इतने कम रूपये से काम नहीं चलेगा…”
देवा के कानो में यह आवाज पड़ी तो उसने सोचा की कुछ गड़बड़ तो है।
कुछ खिचडी तो पक रही है यहाँ…।
आदमी 1 “इस बहन के लौडे को गाँव से तो भागना पड़ेगा वरना यह काम करना मुश्किल होगा बहुत…”
देवा अब सबर नहीं कर पाया…
“कौन है वहाँ…”
वह जोर से चिल्लाया।
कुछ पल में शांति सी छा गयी…
कही से भी कोई आवाज नहीं आयी…
देवा “मैने पूछा कौन है वहां और क्या बाते हो रही है यहाँ……”
देवा गरजदार आवाज में बोला।
तभी झाड़ियो के हिलने की तेज आवाज आयी,
और जंगल की तरफ 4 परछायी भागति हुई देवा को दिखाई पड़ी…
देवा भी उनका पीछा करते हुए भागने लगा जंगल की तरफ।
देवा: “रुक जाओ…मैंने कहा रुक जाओ…”
आदमी 1:“भागो इसने पकड़ लिया तो सब ख़तम।भागो……”
देवा लगतार उनके पीछे भाग रहा था।
कुछ पल ऐसे ही वो दोनों का पीछा करता हुआ जंगल के अंदर तक चला गया था
की एक मोड़ पर उसे महसूस हुआ की वो चारो लोग अब उसकी नजर में नहीं थे।
तो देवा ने भी भागना बंद कर दिया और गाँव की तरफ वापस लौटने लगा…
देवा ने अब तक सिर्फ दो लोगो की ही आवाज सुनी थी वो दोनों किसी बाउजी का नाम ले रहे थे और पैसो का लेन देन भी कर रहे थे किसी काम के बदले में…
खैर देवा आज पहले से ही परेशान था तो उसने इस बात को भूलने का ही सोचा।
और घर की तरफ चलने लगा…
 
अब अँधेरा पसर गया था।
देवा अपने घर की तरफ जा रहा था रास्ते में पप्पू का घर भी पडा।
देवा ने पप्पू के घर की तरफ देखते हुए अपने कदमो को थाम लिया और नीलम के साथ बिठाये हुए ख़ुशनुमा पलो को याद करने लगा…
वह पल जब उसकी वजह से नीलम खुश होती।
वह पल जिसमे वो मुस्कराती,
वह पल जिसमे देवा नीलम को प्यार भरी निगाहों से देखता और वो शर्मा कर मुस्कराती,
वह पल जब नीलम ने देवा को पहली बार चुमा था…।
और इसी के साथ देवा की आँखे बंद हो गयी और उनमें से आंसू निकलने लगे…
पप्पु: “देवा…”
देवा के कान में पप्पू की आवाज पड़ी और उसने धीरे से अपनी आँखे खोली…
सामने शालु और पप्पू थे…
शालु ने देवा के आंसू देख लिए थे जिससे उसे कष्ट पहुंचा, पप्पू ने उसे बता दिया था की उसने देवा को सब बता दिया है।
शालु: “इस मरद की आँखों में मैंने आज दूसरी बार आंसू देखे है…”
और शालु भी रोते हुए देवा के गले लग जाती है।
शालु: “देवा तू फिकर मत कर तेरी यह माँ सब संभाल लेगी, नीलम तेरी होके रहेगी मै वादा करती हूँ…मैं कल ही रत्ना के पास आकर अपनी बेटी के लिए शादी की बात चलाऊँगी…और जल्द से जल्द तुम दोनों को इस रिश्ते में बांधूंगी…”
शालु की बातो का देवा पर कुछ ख़ास असर नहीं पड़ा वो अब भी नीलम के साथ बिताए अपने खुशनुमा पल याद करता हुआ टप टप आंसू बहा रहा था।
तभी एक आवाज से देवा वापस असल दुनिया में लौटा…
 
अपडेट 124




रश्मि“देवा क्या हुआ तुम रो क्यों रहे हो…”
देवा ने रश्मि को अपने सामने खड़ा पाया।
उसने एक नाईट ड्रेस पहनी हुई थी और उसके चेहरे पर शिकन थी।
शायद देवा को रोता देख कर…
देवा: (हलके से) “तू यहाँ कैसे……”
पप्पु, “आधे घंटे पहले ही आई है अपने पति से झगड़ कर देवा…”
रश्मी ने गुस्से से पप्पू की तरफ देखा…
रश्मि: “नामरद है वो साला लडू न तो क्या करुं”
शालु, “तुम दोनों शांत राहोगे, देख नहीं रहे देवा कितना परेशान है अभी, यह सब बाते बाद मे करना। देवा तुम मुझपर भरोसा रखो तुम्हारी माँ जैसी काकी सब ठीक कर देगी…सब कुछ पहले से ज्यादा अच्छा हो जायेगा…तुम परेशान मत हो बिलकुल……”
देवा: “काकी कैसे होगा पहले जैसा…नही होगा कुछ…मेरा प्यार मुझसे दुर हो गया है…मुझे नहीं जीना और…"
शालु देवा को एक थप्पड़ मारती है…
रश्मी और पप्पू इससे चौंक जाते है।
“ख़बरदार अगर कभी कुछ ऐसा कहा दोबारा…” शालु ने कहा।
देवा अपना गाल सहलाने लगता है… “हम्म्म”
शालु उसके चेहरे को पकडती है और जहाँ मारा था वहां एक प्यार भरा चुम्बन करती है…
शालु, “अब तुम घर जाओ…चिंता मत करो कल मै आती हुँ…”
और देवा अपने घर की तरफ चलने लगता है…
शालु पप्पू और रश्मि देवा को अपने घर की तरफ जाते हुए देखते है।
नीलम अपने घर की खिड़की से यह सब तमाशा देख रही थी।
उसने भी देवा को जाते हुए देखा और पाया(उसकी चाल से) उसका मान दुखी और उदास है।
नीलम को भी समझने में देर नहीं लगी की देवा उससे सच में कितना प्यार करता है की उससे बिछडने की सोच से ही अपनी जिंदगी ख़तम कर देना चाहता है।
नीलम ने पाया की देवा उससे अपने दिलो जान से ज्यादा मोहब्बत करता है।
आज तक उसने देवा को अपने अलावा और किसी के लिए रोता नहीं देखा था।
नीलम को भरोसा था की देवा एक अच्छा पति साबित होगा…
पर देवा की उदासी ने उसे डरा भी दिया की कहीं देवा कोई गलत कदम ना उठा ले…।
और वो देवा को अपने घर की तरफ बढ़ता देखती रही और कुछ सोचने लगी।
शालु पप्पू और रश्मि भी वापस अपने घर की तरफ आने लगे।
नीलम खिड़की से हट गयी…
 
देवा वो मरद जो अपने खूखार लंड से हर एक औरत की बजा कर उन्हें रुला देता था आज उसी मरद की आँखों से अपने प्यार से बिछडने के डर से आंसू निकल रहे थे।
देवा वो मरद है जिसके रगो में खून नहीं पिघला हुआ लोहा बहता है, वो लोहा जो उसे शारीरिक रूप से इतना मजबूत्त बना चुका है की कोई भी मरद उसके सामने नहीं टिक पाता, आज वही मरद कमजोर पड़ गया है…
आज यह मरद अपने प्यार के लिए टप टप आँसू बहाता हुआ अपने घर तक आ गया था।
पर अंदर नहीं गया बल्कि बाहर जमीन पर बैठ गया…
कुछ पल बाद घर का दरवाजा खुला और रत्ना ने देवा को वहां बैठा पाया।
रत्ना “अरे जान यहां क्यों बैठो हो…अंदर आ जाओ”
देवा के कान में अपनी माँ रत्ना के शब्द पडते ही उसने अपने आंसू पोंछ लिये।
वह नहीं चाहता था की अभी उसकी माँ को कुछ पता चले।
वह नहीं चाहता था की रत्ना परेशान हो जाये और कहीं उसे दुर भी न हो जाये…
देवा:“हाँ माँ बस आता हूँ आप चलो”
रत्ना को अपने बेटे की आवाज थोड़ी भारी महसूस हुई…
रत्ना: “क्या बात है कुछ समस्या है क्या…”
देवा: “नही तो…कुछ नहीं…मैं आता हु आप चलो…अंदर”
रत्ना को कुछ गड़बड़ लगी पर वो अंदर चलि गयी…
कुछ पलो बाद देवा भी अपना मुँह ठीक कर कर घर के अंदर दाखिल हो गया और पीछे दरवाजा बंद कर लिया
देवा घर के भीतर जाता हुआ अपनी माँ रत्ना के कमरे में आ गया।
उसकी माँ शायद ग़ुसलख़ाने में थी, उसे पानी बहने की आवाज आयी।
रत्ना ग़ुसलख़ाने से बाहर आयी और देवा को सामने बिस्तर पर बैठा पाया।
जो की मुस्कुरा रहा था।
रत्ना भी उसे देख कर मुस्कुरायी पर उसी वक़्त उसकी नजर देवा की रो रो कर लाल पड़ी आँखों पर गयी।
रत्ना: “देवा बात क्या है…”
देवा चौंक गया, “क्या कौन सी बात माँ…”
रत्ना:“मुझसे मत छुपाओ बेटे…कुछ बात तो है…”
देवा: मैं कुछ नही छुपा रहा माँ…मेरा मतलब कोई बात नहीं है …क्या बाते कर रही है आप…”
रत्ना: “अगर कोई बात नहीं है तो तुम्हारी यह आँखे इतनी लाल क्यों पड़ी हुई है…दोपहर तक तो ठीक लग रही थी…”
देवा उठ गया “ नहीं माँ कोई बात नहीं है, मै बिलकुल ठीक हुँ…वो थोड़ी रेत धूल मिटटी चलि गयी थी तो ऐसी हो गयी आँख…मुझे भुख लग रही है खाना खाना है…”
और देवा रत्ना के कमरे से बाहर चला गया।
 
रत्ना को कुछ समझ नहीं आया, की आखिर क्या हुआ है धूल मिटटी से तो नहीं लगता की हुआ है कुछ ऐसा…
रत्ना भी कमरे से बाहर आकर बैठक में आयी जहाँ देवा खड़ा हुआ था।
देवा: “माँ भूख लगी है खाना कब मिलेगा ”
रत्ना: “बना हुआ है बैठ मै लाती हूँ…और अपनी आँखे अच्छे से ठन्डे पानी से धो ले धूल मिटटी निकल जाएगी…कितनि लाल हो रही है। कल सही नहीं हुई तो वैध जी को दिखा आना…”
देवा ने अपना सर हाँ में हिलाया।
रत्ना रसोई में चलि गयी और देवा ग़ुसलख़ाने में जाकर अपनी आँखे धोने लगा और सोचने लगा की मै माँ से कैसे नज़रे मिलाऊँ…
उनको समझ आ गया है की कोई बात तो जरुर है
देवा बैठक में आ गया जहाँ रत्न पहले ही खाने परोसे बैठी थी।
देवा रत्ना के बराबर में आकर बैठ गया और खाना खाने लगा।
जब तक देवा खाना खाता रहा रत्ना उसे बार बार देखती रही।
उसे आज देवा के चेहरे पर शिकन के भाव दिखे…
खाना ख़तम करने के बात देवा ने हाथ धोये और उठ कर आगे जाने लगा की रत्ना बोली।
“तो किसी को पता चल गया है हम दोनों के बीच के रिश्ते के बारे में ?”
देवा के कान में रत्ना के ये शब्द पड़े और उसके कदम वही थम गए…
देवा: “क्या कहा तुमने माँ ?”
रत्ना; मैं तुम्हारी पत्नी से पहले एक माँ भी हुँ।अपने बेटे के चेहरे पे शिकन पहचान लेती हुँ…और आँखे धूल मिटटी से ज्यादा देर तक लाल नहीं रहती है, हाँ पर दिल के दर्द का इनपर काफी देर तक असर रहता है…तो आखिर नीलम को पता चल गया है न सब कुछ…”
देवा का मुँह खुला का खुला रह गया, उसकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी यह सुनकर…
और वो कुछ नहीं बोला और उसकी आँखों ने टप टप पानी बहाना शुरू कर दिया।
देवा भागते हुए अपनी माँ रत्ना की बाहों में समा गया…
और फुट फुट कर चीखते हुए रोने लगा…
देवा: “माँ…आ…मैं नही खो सकता उसे………माँ मै नही जी पाउँगा………माँ नही…माँ…मैं मर जाउँगा………उसके बिना……बिना जिंदगी के……बिना जिंदगी के सांसो का क्या काम…माँ वो जिंदगी है…मेरी…माँ……”
देवा बुरी तरह अपनी माँ के गोद में रोता हुआ बोल रहा था।
 
रत्ना का हाथ अपने बेटे के सर पर चल रहा था।
अपने बेटे के दुःख को उसने अच्छे से भाँप लिया
और वो भी रोने लगी…
रत्ना:“बेटा यह तो एक न एक दिन होना ही था…पर अब हो गया है तो तुझे मजबूत होना होगा…मैं जानती हूँ की नीलम से तो बहुत प्यार करता है…मै उसे तुझसे दुर नहीं होने दूंगी बेटा…तु फिकर मत कर…”
रत्ना देवा के सर पर ममता भरी स्पर्श से सहलाते हुए देवा को दिलासा देती है और वायदा करती है।
कुछ पल देवा अपनी माँ की गोद में पड़ा सिसकता रहता है…
दोस्तो क्या अजीब बात है न, वो मरद जो इतना अपनी चुदाई से अच्छे अच्छो को रुला देता है।
वह मरद जिसकी आवाज इतनी बुलन्द है की लोग डर जाते है।
आज उसी मरद के आंसू नहीं रुक रहे है।
अपनी माँ की गोद में लेटे हुए…
रत्ना अपने बेटे के सर को प्यार से काफी देर तक सहलाती रहती है।

अपने बेटे के दुःख को देख कर रत्ना की आँखों में भी पानी आ जाता है।
देवा कुछ पल ऐसे ही अपनी माँ की गोद में पड़ा रोता रहता है और कुछ देर बाद थक कर उसकी आँख लग जाती है।
रत्ना देवा के सर को ऐसे ही सहलाती रहती है…
और फिर हल्के हाथो से अपने देवा की गरदन को अपनी गोद से उठाकर चारपाई से
उठ जाती है और देवा को सोता हुआ देखने लगती है…
अपने देवा के चेहरे पर रत्ना को आज वो दर्द दिखा है जो वो तब से सहती आ रही है जबसे देवा के बाबू लापता हुए थे।
और इसी बात ने रत्ना को मन ही मन यह डर डाल दिया की देवा की भी जिंदगी में ऐसा दुःख न हो जो मै सहन कर रही हूँ इतने सालो से।
रत्ना: (मैं ) “नही, मै यह नहीं होने दूंगी…”
और रत्ना ने कमरे की लाईट को बुझा दिया और अपने कमरे में जाकर लेट गयी…
आज का यह दिन देवा के लिए बहुत दुःख लाया था।
शायद देवा इस दिन को और नहीं जीना चाहता था।
इसलिये वो सो गया।
अपनी नीलम के ख्वाबो में डूबता हुआ…
 
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