Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही - Page 27 - SexBaba
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Hindi Porn Story कहीं वो सब सपना तो नही

मैं तो साला बाहर खड़ा गुस्से मे लाल हो रहा था ,,माँ की बातों से मुझे लग रहा था कि माँ मेरी बात कर रही है
ऑर अभी मुझे ही बुला लेगी रूम मे ऑर मैं जाके अलका आंटी की मस्त चूत ऑर भारी गान्ड मारूँगा लेकिन ये तो साला कुछ ऑर ही हो गया,,,,साला आज फिर कलपद हो गया,,,,ऑर इधर लंड महाराज का अकड़ मे बुरा हाल हो गया था ,,हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था,,,,,,

माँ,,,,,,क्यू है ना तेरे बैंगन से बेहतर चीज़,,,,इतना बोलकर माँ ने नकली लंड को मूह मे ले लिया ऑर प्यार से चूसने लगी,,
ऑर चूस्ते हुए अलका के पास बैठ गई,,,अलका बड़े हैरान होके माँ की तरफ़ देख रही थी,,,,,

माँ,,,,,,,,,,ऐसे क्या देख रही है क्या तू बैंगन को पहले मूह मे नही लेती चूत मे लेने से पहले,,,,,

अलका,,,,,,,,,नही दीदी मैं तो उसपे आयिल लगा लेती हूँ ऑर भला मूह मे क्यूँ लेना बैंगन को,,,

माँ,,,,,,,,,,,,तो सच मे पागल ही है,,,...थूक आयिल से ज़्यादा चिकना होता है ऑर लंड आराम से चूत मे चला जाता है ऑर
गान्ड मे भी थूक लगा कर लंड लेने से दर्द का एहसास तक नही होता,,,,

अलका,,,,सच मे दीदी थूक लगा कर भी आयिल का काम लिया जाता है क्या,,,,

माँ ,,,,हाई रे मेरी भोली अलका,,,,अब ये मत कहना कि तूने कभी लंड को मूह मे नही लिया,,,,,

अलका,,,,,आपको तो पता ही है दीदी मैने ऐसा कुछ कभी नही किया,,ऑर भला लंड को कोई मूह मे क्यू लेगा,,उसी से मर्द
पेशाब करता है उसी को मूह मे लेने की बात कर रही हो ,,च्चिईिइ,,

माँ ,,,,,,,लगता है तुझे कुछ नही पता,,,शादी के इतने साल हो गये ना तूने लंड मूह मे लिया ठीक से ऑर ना ही गान्ड मे
फिर भला क्या मज़ा ऑर मस्ती की होगी तूने अपने पति के साथ,,,,,,चल आज मैं ही तेरे को सब सिखा देती हूँ,,,,चल पहले
साड़ी निकाल देख पूरी गीली हो गई है,,,,,,

अलका,,,,,,,,ना दीदी मुझे नही निकालनी साड़ी आपके सामने ,,,,,,,,,,,,आप पहले बाहर जाओ,,,,,

माँ,,,अरे पगली मैं भी तो औरत हूँ ,,अब तेरे पास ऐसा क्या ख़ास है जो मेरे पास नही है,,,,चल जल्दी निकाल साड़ी

अलका,,,,,,,नही दीदी मुझे शरम आती है ,,,,

माँ,,,,,,,,निकालती है या मैं खुद निकालु तेरी साड़ी,,,,,माँ इतना बोलके थोड़ा आगे बढ़ी तो अलका जल्दी से उठकर बैठ गई,,,

अलका,,,,,अच्छा अच्छा निकालती हूँ दीदी,,,,,

अलका आंटी बेड पर खड़ी हो गई ऑर अपनी साड़ी खोलने लगी,,मेरा तो बाहर खड़े के होल से देखते देखते ही काम
होने वाला हो गया ,,मैं मन ही मन अपनी माँ को गाली देने लगा कि साली अगर मेरे को बुला लेती तो क्या जाता,,,कुछ देर
मे आंटी ने साड़ी निकाल दी,,,,

माँ,,,,,,,,अब ब्लाउस ऑर पेटिकोट भी निकाल जल्दी से,,,,,,,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,हाई मेरी माँ ,ना बाबा ना,,,,,,,,,,,,ये नही उतारने वाली मैं आपके सामने,,मुझे शरम आती है,,,,,ऑर मेरे
कपड़े उतरवा कर आपने क्या करना है,,,

माँ,,,,,,,,,,अरे बुधु तेरे कपड़े गीले हो गये है धो कर मशीन मे सूखा दूँगी इसलिए बोल रही हूँ उतारने को,,,

अलका,,,,,,,ऐसा बोलो ना फिर दीदी,,,,,,,,,,,लेकिन मैं यहाँ नही उतारने वाली,,

माँ,,,,,,ठीक है जाके बाथरूम मे उतार दे,,मैं तेरे को दूसरा पेटिकोट ऑर ब्लाउस का सेट देती हूँ वो पहन कर बाहर
आ जाना,,,,

अलका,,,ठीक है दीदी,,,,,,,,

अलका उठी ऑर बाथरूम की तरफ चली गई जबकि माँ बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ी हो गई,,,,,

कुछ देर बाद बाथरूम से अलका की आवाज़ आई,,,दीदी दूसरे कपड़े दो मुझे,,,,,,,

वो कपड़े उतार चुकी क्या तू,,,,,माँ ने बाहर से पूछा,,,,

हाँ दीदी उतार दिए है तभी दूसरे कपड़े माँग रही हूँ,,,,

दरवाजा खोल मैं बाहर ही खड़ी हूँ कपड़े मेरे हाथ मे है लेले,,,ऑर जैसे ही अलका ने दरवाजा खोलकर हाथ बाहर
निकाला माँ ने उसके हाथ को पकड़ लिया ऑर बाहर खींच लिया,,,

मैने तो देख कर दंग ही रह गया,,,,अलका आंटी के जिस्म पर एक ब्रा थी बस ,,,वो गीली नही हुई थी इसलिए वो अभी तक पहनी हुई थी ,,,मैं तो साला देख देख कर पागल हुआ जा रहा था,,,,,मेरे सामने एक गोरी चिट्टी मखमली भरे हुए जिस्म की
एक मस्त माल खड़ी हुई थी जिसकी बड़ी मस्त गान्ड ऑर बड़े बड़े बूब्स थे ,,,,दिल कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर
चला जाऊ ऑर जाके लंड पेल दूं अलका आंटी की गान्ड मे ,,लेकिन मजबूर था माँ की वजह से,,,

आंटी ने बाहर आते ही अपनी दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर हाथ भी चूत पर रख लिए,,,,,

क्या करती हो दीदी,,,मुझे शरम आ रही है,,,,,,,छोड़ो मुझे ऑर कपड़े दो जल्दी से,,,

अभी कपड़े क्या करने तूने,,,मैने जो देखना था देख लिया,,,,इतना बोलकर माँ अलका आंटी को बेड की तरफ ले आई,,,आंटी
का एक हाथ माँ के हाथ मे था जबकि एक हाथ चूत पर था वो शर्मा रही थी लेकिन माँ उसको खींच कर बेड पर ले
आई,,,,

क्या कर रही हो दीदी छोड़ो मुझे शरम आ रही है,,,,,कपड़े पहनने दो मुझे,,,,,,

कपड़े पहन कर क्या करेगी वो तो बाद मे भी उतार दूँगी मैं तो टाइम क्यू जाया करना कपड़े पहन कर ,,इतना बोलते
हुए माँ ने आंटी को बेड पर बिठा दिया ओर हल्का सा धक्का देके पीछे लेटा दिया ,,

आंटी बेड पर लेट गई लेकिन उनकी टाँगे घुटनो से नीचे ज़मीन पर थी,,,,आंटी ने जल्दी से बेड पर गिरते ही अपनी
दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर दोनो हाथ भी चूत पर रख लिए,,आंटी का चेहरा शरम से एक दम लाल हो गया,,

हाई री मेरी बन्नो रानी इतना क्यू शरमा रही है,,,,हम लोग पहले भी तो ऐसी बातें कर चुके है कितनी बार ,,याद नही
क्या,,,,,

याद है दीदी लेकिन इतना खुलकर बात नही की जितना अब खुल गई है हम दोनो ,,ऑर बिना कपड़ो के तो आज तक मैं अपने पति के सामने ही गई हूँ आपके सामने कभी नही आई,,,,,,,

जानती हूँ लेकिन आज ये शरम छोड़ दे ऑर खुल का मस्ती कर मेरे साथ,,,जितनी आग है तेरे जिस्म मे सब भुजा दूँगी मैं आज,,,,ऑर वैसे भी तेरे जैसी मस्त औरत किस्मत वालो को मिलती है ,,मुझे तो गुस्सा आ रहा है तेरे पति पर जो इतनी हसीन औरत को अकेले छोड़ कर बाहर चला गया,,काश मैं तेरा पति होती तो कभी तेरे से दूर नही जाती,,,,,सच मे अलकातेरे जिस्म ने तो पागल कर दिया है मुझे,,,,देख मेरी आँखों मे कितना नशा चढ़ने लगा है ,,,,डर है कहीं मदहोश
होके कुछ गड़बड़ नही कर दूं मैं,,,,
 
हाई दीदी ऐसे मत बोलो ना मुझे कुछ अजीब सा फील हो रहा है ,,मैने देखा कि माँ की बाते सुनकर आंटी की साँसे
तेज हो गई उनकी कमर ऑर हल्का मोटा सा पेट तेज़ी से उपर नीचे हो रहा था ,,,एसी मे भी पसीना आ रहा था उनको,,

देखो ज़रा मेरे दिल की धड़कन कितनी तेज हो गई है दीदी,,,,अलका ने माँ को अपने दिल पर हाथ रखके दिखाया,,,,

तभी माँ ने अपने कपड़े निकालने शुरू किए,,,ऑर 2 पल मे ही माँ पूरी नंगी हो गई अलका के सामने,,,अलका के जिस्म पर तो एक ब्रा थी लेकिन माँ तो पूरी तरह नंगी थी,,,,,,,2 भरे हुए जिस्म की औरतें मेरे सामने नंगी थी ऑर मैं यहाँ दरवाजे
के बाहर खड़ा अपने हाथ से अपने लंड को सहला रहा था,,,,लानत थी मेरे पे,,,पर मैं कुछ कर भी नही सकता था,,
बस बाहर खड़ा होके उन दो नंगे खूबसूरत जिस्मो को देख ही सकता था,,,,,

माँ नंगी हो गई ऑर आंटी आँखें फाड़ फाड़ कर माँ को देखने लगी,,,,जिस तरह आंटी पहली बार किसी औरत के
सामने नंगी हुई थी उसी तरह आंटी ने भी आज पहली बार किसी औरत को अपने सामने नंगी देखा था,,,,माँ का जिस्म भी एक दम भरा हुआ था,,,बड़े बड़े बूब्स जो अभी भी काफ़ी हार्ड थे ऑर थोड़ा सा भी झुके नही थे लेकिन अपने आकार के
हिसाब से हल्का सा झुकाव तो नॉर्मल सी बात थी,,,आंटी भी अपने सामने गोरी चिट्टी बदन की नंगी औरत को देख खुद
पर क़ाबू नही पा सकी लेकिन वो कुछ कर भी नही सकती थी,,वो बस माँ को एक टक देखती जा रही थी,,,,,

ऐसे क्या घूर रही है मेरी बन्नो रानी मेरे पास भी वही सब है जो तेरे पास है,,कुछ अनोखा नही है मेरे पास,,इतना
बोलकर माँ बेड पेर चढ़ गई ,,आंटी ने माँ को अपने करीब नंगी देखा तो शरमा कर फेस टर्न कर लिया ,,,

आब इतना भी मत शरमा ,,,आख़िर तू भी औरत है ऑर मैं भी ,,,,फिर औरत का औरत से क्या शरमाना ,,इतना बोलकर माँ
ने आंटी के बूब्स पर हाथ रखके ऑर आंटी की ब्रा को नीचे कर दिया,,,,,तभी आंटी ने माँ के हाथ को पकड़ लिया,,,,
 
क्या कर रही हो दीदी कुछ शरम करो,,,ऐसा मत करो ना ,,,,

अब शरम करने का नही बेशरम बनने का टाइम है तेरा,,,ओर वैसे भी तूने मुझे पूरी तारह नंगी देखा है तो मेरा
भी हक़ बनता है तुझे एक बार पूरी नंगी देखने का,,,,

हयी राम क्या बोलती जा रही हो दीदी,,,मुझे नही होना नंगी वन्गि,,,,जितना देखना था अपने देख लिया ओर वैसे भी अपने देख
कर क्या करना,,,,,

कुछ नही करना मुझे बस एक बार तुझे नंगी देखना है ,,,देखु तो सही मेरी बन्नो कैसी लगती है,,,ऑर वैसे भी तूने
मुझे पूरी नंगी देखा मैं तुझे देख लूँगी ,,हिसाब बराबर,,,,

बस देखना है ना ,,,,,ऑर तो कुछ नही,,,,,,

अरे हां मेरी अलका रानी बस एक बार देखना है उसके बाद तू कपड़े पहन लेना,,,,मैं नही रोकूंगी तुझे,,,,,

आंटी ने अपने हाथ अपनी पीठ पर किए ऑर अपनी ब्रा को खोलने लगी,,,लेकिन जैसे ही आंटी ने अपने हाथ अपनी पीठ पर
रखे ऑर ब्रा को पीछे से खोल दिया ओर आगे से ब्रा को निकालने लगी तो माँ का ध्यान आंटी की चूत पर गया जहाँ अब आंटी
का हाथ नही था माँ ने जल्दी से अपने हाथ को आंटी की चूत पर रख दिया,,,,अब तक आंटी अपनी ब्रा को निकाल चुकी
थी,,,,,

चूत पर हाथ लगते ही आंटी बेड से उछल गई,,,,,,,हईीई क्या कर रही हो दीदी,,,,,,,,माँ ने उसकी कोई बात नही सुनी ऑर
जल्दी से उनकी टाँगों के बीच मे हाथ घुसा कर आंटी की चूत मे अपनी उंगली डाल दी,,,,

अहह मत काररू दीदडिई आपपंनी बूल्ला तहा ईकक बारर मुउज़्झहही न्नंगगीइ दीकखह क्कार्र आअपप
म्मूउजझी ककाप्पड़ड़ी प्पहन्नी दूगीइइई एआसा ट्टू मात्ट काररू ऊरर ककाप्पड़ी द्डू म्मूुझहही

मैने झूठ बोला था मेरी बन्नो ,,,ऐसी नंगी ऑर मस्त चीज़ को मैं बिना छुए ही कपड़े पहनने दूं ऐसा कैसे हो
सकता है ऑर इस से पहले आंटी कुछ ऑर बोलती माँ आंटी के फेस के करीब हो गई ऑर एक पल मे ही माँ ने अपने लिप्स आंटी
के लिस्प पर रख दिया,,,

आंटी माँ की इस हरकत से जल्दी से बेड से उठने लगी तो माँ ने भी जल्दी से अपनी टाँगों को खोला ऑर आंटी के पैट पेर
चढ़के बैठ गई ,,,

क्या कर रही हो दीदी छोड़ो मुझे ,,मुझे ये सब अच्छा नही लग रहा ,,,,मुझे जाने दो,,मुझे अपने घर जाना है,,,,

लेकिन माँ ने आंटी की कोई बात नही सुनी ऑर आंटी के दोनो हाथों को अपने हाथ मे पकड़ कर बेड से लगा दिया ऑर
फिर अपने सर को नीचे करके आंटी को किस करने लगी लेकिन आंटी अपने सर को इधर उधर हिला रही थी,,,,,छ्ूदूओ
म्मूउजझी दडिईयईडीिइ यईी साब्ब टहीकक नाहहीी ,,म्मूउज़्झहही ज्जाननी डू म्मूुझहहे ग्घारर जानना हहाई


माँ ने बड़ी कोशिश की आंटी को किस करने की लेकिन आंटी बार बार अपने सर को हिला रही थी तभी माँ ने अपने एक हाथ
मे आंटी के दोनो हाथ पकड़ लिए ऑर एक हाथ से आंटी के सर को पकड़ लिया ऑर किस करने की कोशिश करने लगी लेकिन आंटी
ने अपनी लिप्स को ज़ोर से बंद कर लिया ऑर मूह को खुलने नही दिया ,,,,लेकिन मेरी माँ भी पक्की खिलाड़ी थी उसने अपने हाथ को
आंटी के फेस से उठा कर आंटी की चूत पर रख दिया ऑर पल भर मे आंटी की चूत मे उंगली घुसा दी ,,,उंगली चूत
मे घुसते ही आंटी के मूह सी आहह निकल गई ऑर आंटी का मूह खुल गया ,,माँ ने कोई देर किए बिना अपने लिप्स को
आंटी के लिप्स पर रख दिया ऑर मूह खुले होने की वजह से माँ ने अपनी ज़ुबान को आंटी के मूह मे घुसा दिया,,,

देखते ही देखते माँ ने उसके लिप्स को अपने लिप्स मे भरके चूसना शुरू कर दिया ,,,आंटी अपने सर को हिलाने की कोशिश
करने लगी लेकिन माँ ने अपने हाथ को चूत से हटा कर आंटी के सर को पकड़ लिया ऑर दूसरे हाथ से भी आंटी के हाथों
को अपने हाथ से छोड़ कर उस हाथ से भी आंटी के सर को कस्के पकड़ लिया ताकि आंटी अपने सर को हिला नही सके,,कुछ
टाइम तो आंटी अपने सर को हिलाने की पूरी कोशिश करती रही लेकिन हिला नही सकी क्यूकी माँ ने उसको पूरी तरह से क़ाबू
मे कर लिया था,,,फिर कुछ देर बाद आंटी का हिलना जुलना बंद हो गया ओर वो शांत हो गई लेकिन अभी भी वो माँ का साथ
नही देने लगी थी,,

लेकिन माँ के लिए इतना ही काफ़ी था कि वो शांत हो गई है तभी माँ ने उसके सर को अपने हाथ से छोड़ा ऑर अपने दोनो हाथ
आंटी के बूब्स पर रख दिए ऑर हल्के से बूब्स को मसलना शुरू कर दिया ,,,,आंटी ने माँ के हाथ को अपने हाथ मे
पकड़ा ऑर माँ को रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन माँ नही रुकी ऑर बूब्स को हल्के हलके प्रेस करने लगी ऑर साथ ही आंटी
के लिप्स पर किस करने लगी,,,,करीब 2 मिनिट बाद ही मुझे आंटी के मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ सुनने लगी,,,मैं समझ
गया कि आंटी माँ के क़ाबू मे आ चुकी है पूरी तरह,,माँ के लिप्स आंटी के लिप्स पर थे इसलिए सिसकियाँ ज़्यादा तेज नही
थी लेकिन इतना ही काफ़ी था कि आंटी ने माँ के आगे हथियार डाल दिए है,,,,
 
माँ ने कुछ देर तक ऐसे ही आंटी को किस करते हुए उनके बूब्स मसलना जारी रखा ओर जब आंटी के हाथ माँ के हाथ से
हट गये तो माँ ने आंटी के हाथों को पकड़ कर अपने बूब्स पर रख दिया ,,आंटी ने अपने हाथों को जल्दी से अलग कर लिया
तो माँ ने फिर से कोशिश की,,, लेकिन आंटी ने इस बार भी अपने हाथ माँ के बूब्स से हटा लिए,,,,,माँ ने 3-4 बार कोशिश
की ऑर तब जाके आंटी ने अपने हाथ माँ के बूब्स से नही हटाए ,,,माँ ने अपने हाथ भी आंटी के हाथ पर रखे ऑर आंटी
के हाथों को अपने बूब्स पर दाब कर आंटी को अपने बूब्स दबाने का इशारा करने लगी ,,,माँ ने अपने हाथ आंटी
के हाथ से हटा लिए ऑर वापिस आंटी के बूब्स पर रख दिए ऑर आंटी ने एक बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया,,,आंटी ने भी
मस्ती मे माँ के बूब्स को सहलाना शुरू कर दिया ऑर शायद माँ को किस का रेस्पॉन्स भी देने लगी ,,क्यूकी आंटी की सिसकियाँ
बंद हो गई थी ,,,

कुछ देर दोनो ऐसे ही किस करती रही ऑर एक दूसरे के उरोज को मसल्ति रही ,,फिर करीब 5 मिनिट के बाद माँ आंटी के उपर
से हाथ गई ऑर साइड पर लेट गई ,,आंटी माँ के ऐसे दूर हो जाने से थोड़ा परेशान हो गई क्यूकी अब आंटी पूरी मस्ती मे
आ चुकी थी ऑर नही चाहती थी कि माँ उनसे दूर हो,,,,माँ भी उसकी आँखों मे देख कर समझ गई ऑर बोली,,,,,डर मत मेरी
बन्नो मैं कहीं नही जा रही यहीं हूँ इतना बोलकर माँ आंटी के साथ लेट गई ऑर आंटी को अपनी तरफ मोड़ लिया
जिस से दोनो के बूब्स आपस मे दब गये ,,माँ ने आगे होके आंटी को किस कारण शुरू किया तो इस बार आंटी ने भी एक ही
पल मे माँ के साथ देना शुरू कर दिया,,,,माँ ने अपने हाथ को आंटी एक बूब्स पर रखा तो आंटी ने भी ऐसा ही किया
लेकिन माँ ने आंटी को ज्याद देर किस नही की ,,माँ ने 2 मिनिट बाद ही अपने लिप्स को आंटी के लिप्स से अलग किया ऑर नीचे
खिसक कर आंटी एक बूब को मूह मे भर लिया,,,,,आंटी के मूह से अहह निकल गई और माँ ने उसके बूब्स को मूह मे
भरके चूसना शुरू कर दिया आंटी भी एक हाथ से माँ के बूब को मसल रही थी लेकिन जल्दी ही आंटी ने अपने दोनो
हाथों से माँ के बूब्स को मसलना शुरू कर दिया ऑर आहें भरने लगी,,,,,अहह दीईदीी यी कय्या कर रहहीी
हहूओ म्मात्त करूऊऊ

लेकिन माँ ने उसकी कोई बात नही सुनी ऑर आंटी के बूब्स को चुस्ती रही,,,कुछ देर तक माँ एक बूब को चुस्ती रही फिर
दूसरे को ओर एक को हाथ मे लेके मसल्ने लगी ऑर तभी माँ ने अपने हाथ को नीचे किया ऑर आंटी की टाँग को उठा कर अपनी
टाँगों पर रख लिया जिसस से आंटी की चूत थोड़ा खुल गई ऑर माँ ने जल्दी से अपने हाथ को आंटी की चूत पर रख दिया
ऑर चूत को उपर से सहलाने लगी ,,,आंटी की सिसकियाँ तेज होने लगी तो माँ का हाथ भी आंटी की चूत पर तेज होने लगा,,


कुछ देर बाद माँ ने अपने सर को आंटी के बूब्स से हटा लिया ऑर पैट पर किस करते हुए चूत की तरफ आने लगी ,,आंटी को
कुछ समझ नही आ रहा था आंटी बस आँखें बंद किए लेटी हुई थी,,,,,कुछ देर बाद माँ ने आंटी की सीधी करके लेटा
दिया ऑर खुद जल्दी से अपनी की टाँगों के बीच मे चली गई इस से पहले आंटी की आँखें खुलती ऑर उनको पता चलता आगे
क्या होने वाला है माँ के लिप्स आंटी की चूत तक चले गये ऑर देखते ही देखते आंटी की चूत माँ के मूह मे घुस्स
गई ऑर माँ ने आंटी की चूत को मूह मे भरके चूसना ऑर चाटना शुरू कर दिया,,,,

आंटी को जब अजीब एहसास हुआ तो आंटी ने अपनी आँखे खोल दी ऑर माँ को ऐसा करते देख थोड़ा परेशान हो गई ऑर जल्दी
से उठ कर अपनी चूत को माँ के मूह से दूर करने लगी लेकिन तभी माँ ने अपने दोनो हाथों से आंटी की टाँगों को
कस्के पकड़ लिया और आंटी की चूत को अपने करीब कर लिया ऑर बड़ी तेज़ी से आंटी की चूत को चूसने लगी ऑर साथ ही मूह
मे भरके हल्के से काटने लगी,,

ईीई कय्या क्कार्र र्राहहीी हहू दीईदीिई यईी गगाणन्दा हाइईईई आहह एआसा मात्ट काऊर्रूऊऊ डीड्डिईईईईईईई
य्याहहानं ससी तूऊ पपीसष्ाब्ब आत्ता हहाीइ ऊओरर आपप इस्ककू छ्चातत्त राहहीी हहूऊ हयीईईईईई
म्मात्त क्काओर्रूऊऊऊ डीईडीिईई यईी गाणन्दाअ हहाईईईईई

आंटी माँ कोरोक रही थी साथ ही सिसकियाँ भी ले रही थी,,,,,

अरे मेरी बन्नो ये मूत्र मार्ग नही स्वर्ग मार्ग है जिसको चूम कर ही अंदर जाना चाहिए ऑर इसका स्वाद किसी अमृत से कम
नही इतना बोलकर माँ ने आंटी की चूत को वापिस मूह मे भर लिया ऑर चूसने लगी,,,,आंटी माँ को रोकती रही कुछ देर
जब माँ नही रुकी और आंटी सर को बेड पर रखके लेट गई ऑर चूत चुसाई का आनंद लेने लगी ,,,,,,ऑर जल्दी ही आंटी की
सिसकियाँ तेज होने लगी,,,,


करीब 5-7 मिनिट माँ ऐसे ही आंटी की चूत को चुस्ती रही फिर चूत से मूह हटा कर आंटी से पूछने लगी,,,,,बोल मेरी
बन्नो कैसा लग रहा है मज़ा आ रहा है या नही,,,,,,,,

बभ्हुत्त् अज्जीबबब ल्लग्ग राहहा हहाीइ डीईईयईडीिइ पफहेल्ल्ली ककाब्भीी एआसा न्नाहहीी क्कीय्या ,,कुउच्च सांमाज़्ज़
नाहहीी आर्रहहा ल्लेककिन्न अक्च्छा ल्लागगग राहहा हहाीइ माज्जा बहीी भ्हुत्त् आ र्राहहा हाीइ ,,,आब्ब्ब आप्प्प रुउक्कू
मॅट यी ग्गन्न्द्दा हहाई तूओ गाणन्दडा साहहीी बास्स आप्प्प एआईसीए हहीी क्काररत्ती रहहूऊ ,,
 
मा ने हँसके वापिस आंटी की चूत को मूह मे भर लिया लेकिन जल्दी से चूत से मूह हटा लिया ,,ऑर पास ही पड़े नकली लंड
को हाथ मे लेके आंटी की चूत मे घुसा दिया ,,,,,,,,,आंटी के मूह से एक तेज आवाज़ निकली जिसमे एक मस्ती भरा सकून
ऑर हल्का दर्द का मिला जुला असर था ,,,उतनी ने सर उठा कर देखा तो माँ ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ नकली लंड आंटी
की दिखाया ऑर वापिस आंटी की चूत मे घुसा दिया ऑर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी,,,,आंटी को इतनी मस्ती चढ़ गई कि
पूरे घर मे आंटी की सिसकियाँ गूंजने लगी,,,,,

धीर्रे आवाज़ कर मेरी बन्नो वरना सन्नी आ जाएगा ,,,मेरा नाम सुनके आंटी डर गई ऑर जल्दी से एक पिल्लो उठा कर अपने
मूह पर रख लिया ऑर अपनी आवाज़ को दबा लिया,,,,माँ कुछ देर आंटी की चूत मे नकली लंड पेलती रही फिर लंड को बाहर
निकाला कर अपने मूह मे भर लिया ऑर फिर आंटी की एक टाँग को उठा कर थोड़ा पीछे करके उनके सर की तरफ मोड़ दिया जिस
से आंटी की गान्ड थोड़ा उपर उठ गई ऑर माँ ने बिना देर किए नकली लंड को आंटी की गान्ड पर रखा ऑर अंदर घुसा दिया

लंड पर आंटी की चूत का पानी ऑर माँ का थूक लगा हुआ था जबकि गान्ड पर आंटी की चूत का पानी बहकर नीचे आ
गया जिस से गान्ड भी चिकनी हो गई ऑर लंड आराम से अंदर चला गया,,,आंटी के मूह से दर्द भरी चीख निकली जो ज़्यादा तेज
'नही थी लेकिन अगर मूह पे पिल्लो नही होता तो वो चीख पूरे घर मे क्या पड़ोसियों के घर मे भी गूंजने लगती

माँ ने लंड को आंटी की गान्ड मे घुसा दिया ऑर हाथ को गोल गोल घुमा कर लंड को अंदर बाहर पेलने लगी ऑर साथ ही आंटी
की चूत को मूह मे भर लिया ,,,आंटी ये दुहरा हमला झेल नही सकी ऑर तेज़ी से चिल्लाते हुए पानी छोड़ने लगी माँ ने आंटी
'की चूत से निकलने वाले पानी को पी लिया ऑर आंटी की गान्ड से लंड को निकाल कर चाट कर ऑर चुस्के सॉफ कर दिया,,माँ
उठकर बेड पर बैठ गई ऑर आंटी के मूह से पिल्लो हटा कर उनकी तरफ देखने लगी,,,आंटी के फेस पर हल्की मुस्कान ऑर
एक सकून था जो ये बता रहा था कि उनकी महीनो की आग जो उनके पति के दूर होने की वजह से उनके बदन मे लगी है
वो काफ़ी हद तक शांत हो चुकी है,,,

क्यू मेरी बन्नो रानी कैसा लगा,,,,मज़ा आया कि नही,,,,,,ऑर कैसा लगा मेरा ये मर्द ऑर ये मूसल,,,,,तसल्ली हुई या नही,,
वैसे एक बात ऑर तू तो बड़ी जल्दी झड जाती है,,,,थोड़ा सबर किया कर अभी तो मस्ती चढ़नी शुरू ही हुई थी,,,,

माँ इतना कुछ बोल गई लेकिन अलका तो बस चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ एक संकून लेके चुप चाप लेटी हुई थी,,,,,

बोल ना कैसा लगा,,,,मज़ा आया या नही,,,,,,शरमा मत आब तो सब कुछ हो गया अब कैसा शरमाना,,,,अगर शरमाएगी तो
फिर से इसको तेरी गान्ड मे घुसा दूँगी,,माँ इतना बोलके हँसने लगी,,, ऑर हाथ को आगे करने लगी जिसमे लंड पकड़ा हुआ था,,

नही नही दीदी अभी नही थोड़ा रुक कर,,,,

थोड़ा रुक कर,,,,अब आई बात ज़ुबान पर,,,,लगता है इतना मज़ा आया तुझे कि अब दोबारा लंड लेने को गान्ड मचलने
लगी है तेरी,,,,,,

अलका आंटी थोड़ा शरमाते हुए,,,,,,वो दडिईडीी मुहह ससी ननीईककला गया,,,,

अभी भी घबरा रही है सीधी तरह बोल ना मज़ा आया,,,,,

अलका,,,,,,,,हाँ दीदी मज़ा आया,,,बहुत मज़ा आया,,,,कितने महीने से भरी हुई थी मैं ,,,एक आग लगी हुई थी जिश्म मे लेकिन आज अपने सारी
आग भुजा दी मेरी,,, बदन इतना हल्का हो गया है कि जैसे मैं एक तितली की तरह हवा मे उड़ रही हूँ,,,,सब आपकी मेहरबानी है दीदी,,,,

माँ,,,,,,,अच्छा इतना मज़ा आया क्या,,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,हाँ दीदी बहुत मज़ा आया ,,,,तभी तो जल्दी झड गई,,,,एक तो ये पता नही क्या है ये ,,,आंटी ने माँ के हाथ की तरफ इशारा
किया,,,,,एक तो इसको पीछे घुसा दिया ऑर उपर से चूत को चाटने लगी,,,,,इतना मज़ा आया कि क्या बोलू दीदी,,,लेकिन आपका चूत को
चाटना मुझे अच्छा नही लगा,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,अच्छा नही लगा,,,,सच मे,,,,माँ ना हँसते हुए मज़ाक मे बोला,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही दीदी अच्छा तो लगा जब आप चाट रही थी लेकिन देख देख कर अजीब लग रहा था,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,अब ये मत बोलना कि करण के डॅड ने आज तक तेरी चूत को भी नही चाटा है,,,,माँ ने सवाल करते हुए पूछा,,,

अलका,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,नही दीदी उन्होने ऐसा कभी नही किया,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,हाई रे मेरी भोली बन्नो फिर तो तूने आज तक कभी उसका लंड भी नही चूसा होगा,,,,

अलका,,,,,,,,,,,,च्ीी दीदी कैसी बात करती हो भला लंड भी कोई चूसने वाली चीज़ है,,मुझे तो सच कर भी उल्टी होने का डर है
पेशाब वाली चीज़ कोई मूह मे भी लेता है क्या,,,,,,

माँ,,,,,,,,तू सच मे भोली है मेरी अलका रानी,,,,जब मैने तेरी चूत को चूसा था तब बोल कैसा लगा था,,मज़ा आया कि नही,,

अलका,,,, मज़ा तो आया दीदी लेकिन भूत गान्ड लगा,,,,,,

मा,,,,,,गणडा वंडा छ्चोड़ ,,बता मज़ा कितना आया,,,,,,

अलका,,,,,बहुत मज़ा आया था दीदी,,,,कभी इतना मज़ा नही आया आज तक,,,,,,

माँ,,,,,,,,ऑर आता भी कैसे,,,किसी ने तेरी चूत को चाटा जो नही आज तक,,,,ऑर ना तूने कभी करण के बाप का लंड लिया है 'मूह
मे ,,तू भी अंजान है अभी तक लंड के स्वाद से ,,पता है कितना मज़ा आता है लंड चूस कर,,,,,मैं ऑर तेरे जीजा जी तो जब
तक एक दूसरे के प्राइवेट पार्ट को अच्छी तरह चूस ऑर चाट नही लेते आगे का प्रोग्राम ही शुरू नही करते,,,,

अलका,,,,सच मे दीदी,,आप लंड चुस्ती हो,,आपको गंदा नही लगता,,,,ऑर क्या जीजा जी भी आपकी चूत चाटते है,,,

माँ,,,,,,ऑर नही तो क्या,,जीजा जी तो खा ही जाते है मेरी चूत को ऑर मैं भी उनके लंड को पूरा का पूरा निगल लेती हूँ,,
अच्छा बाकी सब बाते छोड़ ऑर बता कि तुझे मज़ा कितना आया,,,,

बहुत मज़ा आया दीदी आज पहली बार किसी औरत के साथ ऐसा किया है,,नया तजुर्बा था,,,ऑर वैसे भी भरी हुई थी मैं कब्से
,,जबसे करण के पापा गये है तबसे तरस रही थी लंड के लिए ऑर आज अपने मुझे इतना खुश कर दिया इस नकली लंड से की अब
ओर कुछ नही चाहिए,,,,

माँ,,,,,,,,,,,नकली लंड से बैंगन से भी ज़्यादा मज़ा आया ना,,,सच बोलना,,,

अलका,,,,,हाँ दीदी बैंगन से तो कहीं ज़्यादा मज़ा आया,,ऐसा लग रहा था कोई लंड ही अंदर जा रहा है,,,,

मा,,,,,,,,अच्छा ये बता कि लंड चूत मे लेके मज़ा आया या गान्ड मे,,,

अलका,,,सच बोलू तो दीदी तब ज़्यादा मज़ा आया जब लंड गान्ड मे था ऑर अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर,,2 तरफ से मज़ा आ रहा
था तभी तो जल्दी ही झड गई मैं,,,,

माँ,,,,,,,हाँ ये बात भी है तूने आज तक कभी लंड नही चूसा ऑर ना ही कभी किसी को चूत चटवाई है फिर भला तूने
एक साथ 2 लंड से मज़ा क्या किया होगा,,,,

अलका,,,,,क्या दीदी एक साथ 2 लंड,,,,ऐसा कैसे हो सकता है दीदी,,

माँ,,,,,,,हो सकता है क्यू नही हो सकता,,,मैं तो रोज तेरे जीजा के साथ मस्ती करती हूँ वो भी एक साथ 2 लंड से ,,,जीजा का लंड
चूत मे होता है ओर ये नकली वाला गान्ड मे तो कभी जीजा का लंड गान्ड कम तो ये नकली वाला चूत मे,,,इतना मज़ा आता है की
तुझे क्या बतौ,,,आब तो ट्री जीजा जी बाहर गये है कुछ दीनो क लिए एक लंड से खुद को शांत करने की कोशिश करती रहती हूँ
लेकिन एक लंड से ये काम मुश्किल है ,,आग जितना भुजाने की कोशिश करती हूँ ऑर भी ज़्यादा भड़क जाती है,,,,अब तो सोच
रही हूँ किसी असली लंड से मज़ा करू,,,,

अलका,,,,,,,,,,क्या बोल रही हो दीदी,,होश मे तो हो आप,,,,,

माँ,,,,,,,होश मे हूँ अलका,,तभी तो तेरे को बुलाया है आज यहाँ,,,,,मुझे सिर्फ़ तेरी चूत ऑर गान्ड मे लंड डालके तेरी आग
को भुजाना नही था बल्कि तेरे से एक ज़रूरी बात करनी थी,,अपने जिस्म की आग को भुजाने के बारे मे,,,,

अलका,,,,,,क्या बात करनी है दीदी बोलो,,,,,

माँ,,,,देख मैं जो बोलने वाली हूँ उस बात से तेरे को थोड़ा झटका लगेगा शायद तुझे गुस्सा भी आए लेकिन जो मैं बोलने
लगी हूँ ज़रा ध्यान से सुनना उसको,,,

अलका,,,,क्या बोल रही हो दीदी ,,मैं आपकी बात का गुस्सा क्यू करने लगी,,,अब जो दिल करे वो बोलो,,,अब हम लोगो मे कुछ
परदा थोड़ी रह गया है,,,,

माँ,,हाँ ये बात तो है तभी तो तेरे से बात करने से पहले तेरी आग को शांत करके मैने जो थोड़ी बहुत दूरी थी हम लोगो
मे उसको भी बिल्कुल ख़तम कर दिया,,,,बात ये है अलका कि मुझे आब तेरे जीजा से चुदाई करके मज़ा नही आता,,,

अलका,,,,,,,,,क्यू दीदी ,,,अब क्या हुआ,,,,अभी तो बोल रही थी कि वो बहुत जबरदस्त चुदाई करते है अभी बोल रही हो मज़ा नही
आता,,,,बात क्या है दीदी ,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,मज़ा आता था अलका लेकिन अब नही आता,,,मुझे लगता है तेरे जीजा का किसी ऑर से चक्कर चल रहा है ,,मैने कई
लोगो से सुना भी है कि वो अपने बॅंक की किसी लड़की के साथ बहुत घूमते है,,,वो लड़की उनकी बेटी की उमर की है,,,इसलिए तो
जबसे वो जवान लड़की हाथ लगी है मेरे जैसी बूढ़ी को वो भूल ही गये है,,,तेरा पति तो बाहर देश गया है तू इसलिए तड़प
रही है लंड लेने को लेकिन मेरा पति तो यहाँ है ,,हर रात मेरे साथ सोता है लेकिन मैं फिर भी तड़प रही हूँ उसके
लंड के लिए,,वो सारा दिन उस लड़की के साथ रहता है,,मुझे तो कभी पूछता भी नही,,,माँ की आँखों मे हल्के आँसू आ
गये मैं बाहर खड़ा सोचने लगा कि माँ किसकी बात कर रही है,,फिर लगा कहीं माँ अलका आंटी को बॉटल मे उतारने के लिए
झूठ तो नही बोल रही,,,,,हाँ यही बात है माँ झूठ बोल रही है ऑर कितना सफाई से बोल रही है तभी तो अलका आंटी भी
कितना गौर से सब सुन रही थी,,,,
 
अलका,,,,,,,,,,क्या ये सच है दीदी,,,,,,,,,

माँ,,,,,,,,,हाँ अलका तभी तो मैं तरस रही हूँ लंड लेने के लिए,,,तेरे पति बाहर है तो तू इतने महीने से तड़प रही है
मेरे पति तो यही है फिर भी मैं पिछले 8 महीने से तड़प रही हूँ उनके लंड के लिए ऑर इस नकली लंड से खुद को शांत
कर रही हूँ,,,

अलका,,,,,,,,,,हाई राम दीदी अपने जीजा से बात की क्या इस बारे मे,,,,

माँ,,,,,क्या बात करती,,,अगर वो मना कर देते ये लड़ना झड़ना शुरू कर देते तो पूरे परिवार को इस बात का पता चल जाता
ऑर बच्चो पर क्या असर होता ये जान कर कि उनके माँ बाप की लाइफ अच्छी नही चल रही,,,,

अलका,ये बात भी ठीक है लेकिन अब इसका क्या हाल निकाला अपने दीदी,,,,,,,,बात तो करनी ही होगी एक बार जीजा जी से,,,ऐसे कुछ कैसे हो सकता है अगर आप हाथ पर हाथ रखके बैठी रहोगी,,,,

माँ,,,,,,,,,,बात करके कोई फ़ायदा नही अलका,,,ऑर तुझे किसने कहा कि मैं हाथ पर हाथ धरके बैठ जाउन्गी,,,

अलका,,,,तो फिर क्या करोगी दीदी,,,,

माँ,,,,,,,मैं भी किसी जवान लड़के से चक्कर चला लूँगी ऑर बची खुचि जवानी मे ऐश करूँगी उस लड़के के साथ,,,

अलका,,,,,क्या बोल रही हो सरिता बेहन,,,ऐसा कुछ मत करना,,,,आदमी की इज़्ज़त एक बार खराब हो तो कोई मसला नही लेकिन अगर
औरत की इज़्ज़त खराब हो जाए तो बहुत बदनामी होती है,,,,,

माँ,,,,,,,,मैं जानती हूँ अलका ,,,,,,तभी तो मैने तेरे को यहाँ बुलाया है,,,मेरे पास ऐसा प्लान है कि मैं खुश भी
रहूंगी ऑर मेरी सेट्टिंग भी हो जाएगी एकजवान लड़के से,,ऑर मुझे बदनामी का भी डर नही होगा,,,,ऑर बाद मे मैं तेरे
लिए भी किसी लड़के को तलाश कर सकती हूँ,,,

अलका,,,,,नही दीदी मुझे नही चाहिए कोई लड़का,,,,मुझे बदनाम नही होना,,अगर कल किसी को पता चल गया तो क्या होगा,,
मेरी शादी शुदा ज़िंदगी खराब हो जाएगी,,,,,

माँ,,,,,कुछ नही होगा तू डर मत,,,मैं एक औरत हूँ मुझे अपनी इज़्ज़त बहुत प्यारी है ,,ऑर तेरी भी,,मैं नही चाहती कि
हम कोई ग़लती करे ऑर बदनाम हो जाए,,,लेकिन मेरे पास ऐसा प्लान है कि हम दोनो मस्ती कर सकते है वो भी 10-10 इंच
लंबे लंड के साथ,,,,,

अलका,,,,,,,,क्या बोला दीदी फिर से बोलना,,,,,,10 इंच लंबा लंड,,,,,किसका लंड है ये,,वो कोई इंसान है या घोड़ा,,,,जिसका इतना बड़ा'
लंड है,,,

माँ,,,है तो वो इंसान ही ऑर जवान छोकरा है लेकिन उसका लंड किसी घोड़े के लंड से कम नही,,पूरा 10 इंच का है मैने
अपनी आँखों से देखा है,,,,ऑर 2-2 लंड है पूरे जवान ऑर 10 इंच बड़े ऑर मोटे मोटे भी,,,,

अलका,,,,किसकी बात कर रही हो दीदी जल्दी बताओ ,,देखो मेरी चूत मे फिर से पानी आने लगा है,,,,

माँ,,,मुझे पता था तेरी चूत भी पानी पानी हो जाएगी 10 इंच के लंड के बारे मे सुनकर,,,,ऑर सोच ज़रा जब वो लंड तेरी
चूत मे होगा या तेरी गान्ड मे तो कितना मज़ा आएगा,,,,मेरी भी चूत पानी पानी हो गई थी जब मैने 2-2 लंड देखे
थे 10 इंच लंबे,,,,जी कर रहा था पकड़ कर दोनो को गान्ड ऑर चूत मे घुसा लूँ,,

अलका,,,,,,,दीदी जल्दी बोलो ना किसके लंड है इतने लंबे,,मैने तो अपनी सारी जिंदगी 5 इंच के लंड से ही गुज़ारा किया है,,आज
आपका ये नकली लंड लिया जो बहुत छोटा है लेकिन ये भी करण के बाप के लंड से तो बड़ा ही लग रहा था,,,बोलो ना कॉन है
वो,,

माँ,,,,,,देख गुस्सा मत करना तू,,,

अलका,,,,,अरे दीदी आप मुझे 10 इंच का लंड दिलवाओ ऑर मैं गुस्सा करू,,,,कैसी बात कर रही हो दीदी,,,,,

माँ,,,,,अच्छा तो सुन,,,,,,मैं तेरे बेटे करण ऑर अपने बेटे सन्नी की बता कर रही हूँ,,,,,,

अलका एक दम से घबरा कर ऑर हल्के गुस्से से बोली,,,,,,,,ये क्या बोल रही हो दीदी,,,,वो अपने बेटे है,,,आप उनके बारे मे ऐसा
सोच भी कैसे सकती हो,,,,

माँ,,,,,,,मुझे पता था तू गुस्सा करेगी लेकिन अगर मेरी जगह तू उनके बड़े मूसल लंड देख लेती तो ऐसी बात नही करती,,

अलका,,,,,लेकिन दीदी वो अपने बेटे है,,,,

माँ,,,,,,,,जानती हूँ ,,लेकिन करण तेरा बेटा है ऑर सन्नी मेरा,,,,

अलका,,,,क्या मतलब दीदी,,,,

माँ,,,मतलब कि तू सन्नी के लंड को ले सकती है क्यूकी तू उसकी माँ जैसी है लेकिन माँ नही ऑर मैं करण का लंड ले सकती
हूँ क्यूकी मैं उसकी माँ जैसी हूँ माँ नही,,,

अलका,,,,,ऐसा क्यू बोल रही हो दीदी,,,,कुछ तो सोचो,,

माँ,,,,,,,,,,सोच कर ही तेरे से बात कर रही हूँ,,, मैं करण की माँ नही तो उसका लंड ले सकती हूँ ऑर तू सन्नी का लंड
ले सकती है,,,इसमे कोई बुराई नही,,,,ऑर सच कहूँ तो मुझे दोनो के लंड इतने अच्छे लगे कि अगर सन्नी मेरा बेटा नही
होता तो मैं दोनो के लंड ले लेती अपनी गान्ड ऑर चूत मे,,,,,

अलका,,,,,,,क्या सच मे दोनो के लंड इतनेबड़े है,,,,लेकिन अपने कैसे देखा उनके लंड को,,,

माँ,,,,,,एक बार घर पर कोई नही था ये दोनो सन्नी के रूम मे लॅपटॉप पर वो गंदी वाली मूवी देख रहे थे,,,बाहर
वाला दूर भी लॉक किया हुआ था लेकिन मेरे पास घर की चाबी थी तो मैं अंदर आ गई इन दोनो को मेरे आने का पता नही
चला ,,लेकिन मुझे इनके रूम से कुछ आह उहह की आवाज़ आने लगी जब मैं उपर गई तो देखा कि दोनो अपने लंड को हाथ मे
लेके मसल रहे थे,,,,,पूरे 10-10 इंच का मोटा ऑर लंबा लंड था दोनो का,,,मेरा दिल तो किया था कि अंदर जाके दोनो के
लंड को हाथ मे पकड़ लूँ ऑर खूब मस्ती करूँ लेकिन एक तो मैं सन्नी की माँ हूँ उपर से मेरी हिम्मत नही हुई अपने
पति से धोखा करने की लेकिन अब मेरा पति भी मेरे से धोखा कर रहा है तो मैं भी कर सकती हूँ,,,आख़िर मेरा भी
हक़ बनता है जिंदगी के सुख लेने का,,,मेरी भी कुछ ख्वाहिशे है कुछ सपने है,,मैं भी अपनी बची खुचि ज़िंदगी
मस्ती से गुज़ारना चाहती हूँ,,,,,,,इसलिए आज सोच लिया कि मैं सन्नी से तो नही मगर करण के साथ तो मस्ती कर सकती हूँ
ऑर अगर तू चाहे तो तू भी सन्नी के साथ मस्ती कर सकती है,,,,,,तू भी सन्नी का 10 इंच का लंड अपनी गान्ड मे ले सकती है
उसको मूह मे लेके चूस सकती है,,,इतना बोलकर माँ ने पास पड़े नकली लंड को हाथ मे लिया ऑर मूह मे लेके चूसने लगी
लेकिन जल्दी ही मूह से निकाल लिया ऑर उसको अलका की चूत की तरफ बढ़ा दिया,,,अलका की चूत तो पहले से पानी पानी हो गई थी ऑर उसकी
टाँगे भी खुली हुई थी ,,,,
 
माँ ने एक ही बार मे पूरा लंड घुसा दिया ऑर अलका की अहह निकल गई,,,,

बोल अलका देगी मेरा साथ,,,,फिर इस नकली लंड की ज़रूरत नही पड़ेगी ना तुझे ऑर ना मुझे,,,,ओर ना ही तुझे बैगन की ज़रूरत
महसूस होगी कभी,,,,,क्या बोलती है ,,,माँ साथ साथ बात कर रही थी ऑर साथ साथ लंड पेल रही थी अलका की चूत मे,,,लेकिन
अब तक माँ के हाथ की स्पीलड तेज हो गई थी,,,,

बोल अलका देगी मेरा साथ कि नही,,,सोच ज़रा 10 इंच का लंड किस्मत वाली औरत को नशीब होता है,,,,

तभी अलका मस्ती मे आहें भरती हुई बोल पड़ी,,,,,,अहंंननणणन् हहानं दडिईडीी मैईन दुउन्न्गी आपका सथ्ह्ह लीकिन्न
ये साब हूओगा क्काईससी ,,,,

वो चिंता तू मेरे पर छोड़ दे,,,मैं चाहू तो आज ही करण को मना सकती हूँ लेकिन तुझे भी सन्नी को मनाना होगा,,

लीक्किन्न्न कय्या वू ल्लूग्ग हहूऊम्मार्रीई बाआत मान्नेग्गी,,,,,,,,,,,

करण तेरी ऑर सन्नी मेरी बात नही मान सकता ,,लेकिन करण मेरी ऑर सन्नी तेरी बात ज़रूर मान सकता है आख़िर वो जवान
लड़के है अब तो मूठ भी मारने लगे है गंदी मूवीस देख कर,,,बस तू मेरा साथ दे तो कुछ भी हो सकता है,,,
बोल देगी मेरा साथ,,,,

हान्ं द्दुउन्नगगीइ आपका सात्तह मायन्न म्मूउजझी बहीी 10 इन्नकचछ का ल्लुउन्ड्ड़ च्चहहियईी आहह

उसके बाद माँ ने दोबारा से अलका आंटी को खुश करना शुरू कर दिया,,,ऑर फिर अलका से अपनी चूत मे लंड
पेलवाया,,,,वो लोग रूम मे करीब 4 घंटे तक रहे ऑर इस दौरान अलका आंटी की चूत से 6-7 बार पानी निकाला माँ ने,,

ऑर यहाँ बाहर खड़े मैने भी 2 -3 बार मूठ मार ली अंदर माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर,,,,,,
माँ ऑर आंटी करीब 4-5 घंटे तक रूम मे रहे ऑर माँ ने आंटी की चूत से कम से कम 5-6 बार पानी निकाला ऑर आंटी
ने भी माँ की चूत से 2-3 बार पानी निकाला,ऑर यहाँ बाहर खड़ा मैं माँ ऑर आंटी की रासलीला देख कर 3 बार मूठ
मार चुका था ऑर सारा पानी दरवाजे पर छोड़ दिया था,,,,

जब मा ओर आंटी फ्रेश होके कपड़े पहनने लगी तो मैं भी जल्दी से किचन मे गये ओर एक कपड़े से मा के रूम के
दरजाए को अची तरह सॉफ कर दिया जॅन मेरा स्पर्म लगा हुआ था फिर उन दोनो के रूम से निकलने से पहले ही मैं उपर
अपने रूम मे चला गया,,,,

मुझे पता था अब ये लोग रूम से निकलने वाले है क्यूकी कॉलेज से छुट्टी का टाइम हो गया था सोनिया कभी भी आ सकती
थी ऑर करण ने भी तो आना था अपनी माँ को लेने,,,,,खैर मैं बेड पर लेटा हुआ सोचने लगा कि माँ ने आंटी को मामा भी
लिया है ऑर आंटी भी मेरा लंड लेने को राज़ी हो गई है तो फिर माँ ने मुझे रूम मे क्यूँ नही बुलाया ,,आंटी तो तैयार
थी मैं आज ही उनकी मस्त गान्ड ऑर चूत मार सकता था,,,पता नही माँ ने ऐसा क्यू किया ,,क्या प्लान चल रहा है माँ
के दिमाग़ मे,,,,,चलो जो भी हो एक बात तो पक्का है कि आंटी मेरे से चुदने को तैयार हो गई है ऑर उनको कोई परेशानी
नही अगर करण मेरी माँ को चोदेगा,,,लेकिन अब आगे क्या होगा,,,,कैसे आंटी मेरे हाथ आएगी,,,

मैं अभी सब कुछ सोच ही रहा था कि मेरे रूम का दरवाजा खुला ऑर माँ अंदर आ गई,,,,

क्या कर रह है मेरा राजा बेटा,,,,माँ ने अंदर आके मेरे बेड पर बैठकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोला,,,,

मर गया राजा बेटा,,,अकेले अकेले मस्ती करली माँ आपने आंटी के साथ मुझे क्यू नही बुलाया,,,,मैं कितन तड़प्ता रहा
बाहर दरवाजे पर खड़ा होके,,

जानती हूँ तू दरवाजे पर खड़ा था ऑर सब देख रहा था फिर तो तूने सब सुना भी होगा,,,,,माँ ने हस्ते हुए बोला,,

हाँ माँ सब सुना मैने,,आंटी तो तैयार है मेरा लंड लेने के लिए तो अपने मुझे बुलाया क्यू नही,,,

अरे बेटा औरत को तरसाके ऑर तड़पके चोदने मे जो मज़ा आता है उसकी बात की कुछ अलग होगी है,,,आंटी तैयार है लेकिन एक
दम से सब कुछ करना ठीक नही ,,जल्दबाज़ी से हमेशा काम खराब होता है,,,,ऑर वैसे भी ये चुदाई एक खेल होता है
इसमे थोड़ा मनोरंजन के साथ साथ थोड़ा तड़पाना ऑर तरसाना भी ज़रूरी है,,देख अब मैने कैसे आंटी को मना
लिया क्यूकी मैं जानती थी कि करण के पापा को बाहर देख गये काफ़ी टाइम हो गया है ऑर अलका लंड के लिए प्यासी होगी वो तरस
रही होगी किसी के साथ मस्ती करने के लिए लेकिन डर भी रही होगी,,,,तभी तो मैने उसको मना लिया ऑर अपने साथ मस्ती करने
के लिए राज़ी कर लिया ,,तूने देखा ना वो पहले नही मान रही थी लेकिन फिर जो आग उसके अंदर लगी हुई थी जिसको मैने कुछ ज़्यादा
ही भड़का दिया था उसी आग की गर्मी मे मजबूर होके वो मेरे साथ सब कुछ करने के लिए तैयार हो गई,,,अब वैसे ही तुझे भी
उसको तरसाकर तडपा कर ऑर प्यार से मना कर चोदना है,,,,,समझ गया ना,,,,,

मैने माँ की बात सुनी ऑर हां मे सर हिला दिया,,,,

ऑर वैसे भी तू खुद जितना तडपेगा उतनी ही दमदार चुदाई करेगा उसकी टाइम आने पर,,,,,इतना बोलकर माँ हँसने लगी

चल अब उठ जा तेरी महबूबा नीचे तेरा वेट कर रही है ,,करण तो अभी तक आया नही वो कहती है कि तू उसको घर
छोड़के आए,,,जल्दी से तैयार होके नीचे आजा ऑर कुछ देर मस्ती करके अपनी महबूबा के साथ,,,,माँ हस्ती हुई ये सब बोलकर
मेरे सर पे हल्का हाथ मार कर नीचे चली गई,,,,,

मैं भी जल्दी उठा ऑर तैयार हो गया क्यूकी मुझे बड़ी जल्दी थी उसके साथ जाने की,,,उसको अपनी बाइक पर लेके जाने की,,,आज तो
पूरे रास्ते ब्रेक मारता मारता जाउन्गा ऑर मज़े लूँगा उसके बूब्स के जब वो मेरी पीठ पर दब जाएँगे,,,,मैं सोच-2
कर खुश होता हुआ जल्दी से तैयार होके नीचे चला गया,,,,,

माँ ऑर आंटी सोफे पर बैठ कर बातें कर रही थी ,,,तभी आंटी का ध्यान मेरी तरफ आया आज आंटी के मुझे देखने
का नज़रिया ही बदल गया था,,जैसे कभी मैं नज़रो नज़रो मे आंटी को घूर घूर कर खाने की कोशिश करता था आज
आंटी भी मुझे वैसे ही नज़रो नज़रो मे पूरा का पूरा निगल रही थी,,,,

माँ,,,,,आ गया मेरा बेटा,,,अब तबीयत कैसी है,,,,,

मैं,,,,,ठीक हूँ माँ,,,,पहले से बेहतर हूँ,,,

अलका,,,,,अगर तबीयत ठीक नही है बेटा तो बोल दो मैं टॅक्सी मे चली जाती हूँ,,,

मैने दिल ही दिल मे सोचा तेरे जैसी सेक्सी को टेक्शी मे कैसे जाने दे सकता हूँ तुझे तो आज मैं अपने साथ ही लेके जाउन्गा
अपनी बाइक पर,,,,

जी आंटी मैं ठीक हूँ,,,आप टेन्षन मत लो,,,,

तभी आंटी ने माँ को बाइ बोला ओर सोफे से उठकर खड़ी हो गई,,,,

अच्छा तो दीदी मैं चलती हूँ,,,

माँ ने भी उसके बाइ बोला ऑर हम लोग दरवाजे की तरफ बढ़ने ही लगे थे कि बाहर बेल बजी,,,माँ सबसे आगे चल रही थी तो
माँ ने जाके दरवाजा खोल दिया,,,,साला जिसका डर था वही हुआ,,,आ गया कमीना करण,,,,,

करण को देख कर मैं तो उदास हो गया लेकिन मेरे से ज़्यादा उदास हो गई थी अलका आंटी,,,,क्यूकी वो अब मेरे साथ नही
जा सकती थी,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,अरे बेटा तू लेट क्यू हो गया,,,,,

करण,,,,रास्ते मे थोड़ा काम था आंटी जी इसलिए लेट हो गया,,,,,,तो आप रेडी हो जाने के लिए माँ,,,,इतना बोलकर करण अलका
के पास आ गया,,,

अरे माँ आपने सुबह तो कोई ओर साड़ी पहनी हुई थी ,,,अब ये किसकी साड़ी पहन ली,,,,
 
आंटी करण की बात सुनके चुप हो गई ऑर माँ की तरफ देखने लगी,,,आंटी को कोई जवाब नही सूझ रहा था,,,

तभी माँ बोल पड़ी,,,,बेटा मेरी ग़लती से अलका की साड़ी पर जूस गिर गया था ,,इसलिए इसकी साड़ी को मैने धो कर सूखने
डाल दिया ऑर इसको अपनी साड़ी पहना दी,,,,माँ बात कर रही थी तो करण माँ की तरफ देख रहा था तो माँ ने उसको आँख
मार दी थी,,,,करण समझ गया कि उसकी माँ अभी आज मेरी माँ के साथ मस्ती कर चुकी है,,,वो खुश हो गया

अब चले माँ,,,,इतना बोलकर वो अलका आंटी को साथ लेके बाहर जाने लगा तभी सामने सोनिया आ गई,,,,

दरवाजा अभी खुला हुआ था,,,सोनिया अंदर आते हुए,,,,,हेलो आंटी,,,

अलका,,,,हेलो बेटी ,,हाउ आर यू,,,

सोनिया,,,आइम फाइन आंटी जी ,,,यू टेल,,,,

अलका,,,,आइम ऑल्सो फाइन बेटी,,,,,आज तुम भी लेट हो गई कॉलेज से,,,

सोनिया,,,,जी आंटी जी वो कविता के घर थोड़ा टाइम लग गया,,,,,आप जा रही हो आंटी जी,,,

अलका,,,,हाँ बेटी मैं तो सुबह से आई हुई हूँ अब जा रही हूँ,,,

सोनिया,,,,,ये तो ग़लत बात है आंटी जी मैं आई ऑर आप जा रही हो,,थोड़ी देर रुक जाओ ना,,,

अलका,,,,नही बेटी अब काफ़ी टाइम हो गया है,,फिर कभी आउन्गी,,,,,ऑर हो सके तो तुम भी कभी आ जाना चाइ कॉफी पीने,,

सोनिया,,,,,जी आंटी पक्का आउन्गी ,,ओके बाइ आंटी जी,

अलका आंटी दरवाजे से बाहर चली गई जबकि करण दरवाजे पर ही खड़ा हुआ था ,,उसने सोनिया को ही बोला लेकिन सोनिया ने कोई जवाब नही दिया ,,,करण चुप चाप घर से बाहर अपनी माँ मे पास चला गया ऑर बाइक स्टार्ट करके माँ के साथ अपने
घर की तरफ चल दिया,,,,

हरम्जादा ,,कुत्ता ,कमीना,,,,सोनिया गुस्से से बोलती हुई घर के अंदर चली आई,,

अरे अरे आराम से बेटी ,,ये किसको गलियाँ दे रही हो ऑर क्यूँ,,,,

माँ मैं वूऊओ सोनिया बोलने ही लगी तभी उसका ध्यान मेरी तरफ आ गया,,,,,,,,,,,,उसने जल्दी ही बात पलट दी,,,,,माँ वो रास्ते
मे एक लड़का बत्त्मीजी कर रहा था उसी को गालियाँ दे रही थी,,,,,

अरे बेटी राह चलते लोफेर टाइप के लड़के बदतमीज़ी करते ही रहते है तू टेन्षन मत लिया कर,,,,,चल अब गुस्सा थूक दे

मेरे साथ कोई बदतमीज़ी करके तो देखे माँ मैं उसका सर फोड़ दूँगी,,,,ये बात बोलते हुए भी सोनिया मेरी तरफ देख रही
थी,,मेरी तो साँसे ही अटक गई ,,साला ऐसा लग रहा था जैसे अभी कोई पत्थर उठा कर मार देगी मेरे सर पे,,,,

छोड़ो इन बातों को माँ,,,बोलो खाने मे क्या बनाया है,,,,,

अभी तो कुछ नही बना मेरी बेटी पर तू बोल तुझे क्या खाना है मैं अभी बना देती हूँ 5 मिनिट मे,,,,

कुछ भी बना दो माँ बहुत भूख लगी है तब तक मैं फ्रेश होके आई,,,,सोनिया उपर चली गई ऑर जाते हुए एक बार फिर से
मुझे पूरे गुस्से से घूर कर गई,,,,

मैं समझ गया था की सोनिया करण को गालियाँ दे रही थी तभी तो उसने करण के हाई का रिप्लाइ भी नही किया था,,,,,,मेरी
तो गान्ड फटी हुई थी कहीं सोनिया ने अलका आंटी को रोक लिया ऑर सब बता दिया करण ऑर शिखा के बारे मे तो आज तो करण
ऑर शिखा गये काम से ऑर अलका भी गई मेरे हाथ से,,लेकिन अलका आंटी नही रुकी ऑर सोनिया ने उनको रोका भी नही,,,

आज का दिन भी बोर रहा ऑर रात भी ,,कुछ भी नही हुआ ,,,,ना तो दिन मे किसी की चूत मिली ओर ना रात को,,,बस 2-3 बार
मूठ ज़रूर मारी थी माँ ऑर अलका आंटी को देख कर,,,,,

नेक्स्ट डे जब मैं ड्रॉयिंग रूम से निकल कर अपने रूम की तरफ गया तो देखा रूम का दरवाजा खुला हुआ था सोनिया नही
थी रूम मे मैं जल्दी से बाथरूम मे गया ऑर फ्रेश होके नीचे आ गया ,,,,नीचे मुझे किसी के हँसने की आवाज़ आ रही थी,,

जब नीचे आया तो देखा कि सोनिया ऑर कविता सोफे पर बैठी हुई थी साथ मे मां हही थी,,,,सोनिया ऑर कविता आज काफ़ी चेंज लग
रही थी दोनो अच्छी तरह से तैयार हुई थी जैसे किसी शादी मे जा रही थी,,,,,

मुझे देख कर कविता ने मुझे हाई बोला,,,,

हाई सन्नी,,,,,

हेलो कविता,,,,,,तभी माँ सोफे से उठी ,,,,तेरा नाश्ता डाइनिंग टेबल पर पड़ा है बेटा ,,,

ठीक मैं माँ,इतना बोलकर मैं डाइनिंग टेबल की तरफ बढ़ा तभी माँ अपने रूम मे चली गई,,मैं बैठ कर नाश्ता
करने लगा,,,,

आज तुम तैयार होके कहीं जा रही हो क्या कविता,,,,,मैने डाइनिंग टेबल से ही कविता को आवाज़ लगा कर पूछा,,,

हाँ सन्नी,,,,आज हम दोनो मूवीस देखने जा रहे है,,,,,

मूवी तो सुना था लेकिन मूवीस,,,एक साथ 4 मूवीस देखोगी क्या,,इतना बोलकर मैं हँसने लगा,,,

हाँ सन्नी,,,आज हम सुबह से शाम तक मूवीस देखेंगे ,,काफ़ी टाइम से हम लोग मूवीस देखने नही गई,,,आज पहले
मॉर्निंग शो फिर नून टाइम मे भी मूवी फिर ईव्निंग शो देख कर ही घर वापिस आएँगी,,,,,तूने चलना है तो
तू भी चल हमारे साथ,,,,,

थन्क्ष्क्ष कविता लेकिन मैं नही आ सकता मेरे आने से किसी का दिन खराब हो जाएगा ऑर शायद मूड भी,,,,,तुम जाओ ऑर एंजाय
करो,,,,,

कविता मेरी बात सुनके हँसने लगी क्यूकी वो समझ गई थी मैं सोनिया की बात कर रहा हूँ,,,लेकिन सोनिया मुझे वैसे ही गुस्से
से घूर रही थी,,,,

चल उठ कविता चले टाइम काफ़ी हो गया है ऑर वैसे भी इस से पहले की कोई साथ चलने को तैयार हो जाए हमे अब चलना
चाहिए,,,सोनिया गुस्से से उठी ओर कविता को भी हाथ से पकड़कर अपने साथ बाहर की तरफ ले गई,,,कविता सोनिया के साथ तो
जा रही थी लेकिन मेरी तरफ अजीब नज़रो से देख रही थी,,,,उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी लेकिन आँखों मे क्या था मैं
समझ नही सका,,,,

सोनिया ऑर कविता वहाँ से चली गई,,,

मैं नाश्ता करने लगा ऑर थोड़ी देर मे माँ अपने रूम से तैयार होके बाहर आ गई,,,,

माँ आज आप भी मूवी देखने जा रही हो क्या,,,,मैने हँसते हुए माँ से पूछा,,,,,

नही बेटा मुझे कॉन लेके जाएगा मूवी के लिए मुझे तो अलका के घर जाना है,,,माँ ने हँसते हुए बोला,,,

मैं समझ गया कि माँ आज फिर मस्ती के मूड मे है ,,,,आज फिर माँ ऑर अलका आंटी की मस्ती होगी लेकिन आज वो सब होगा
करण के घर मे,,,,

चल तेरा नाश्ता हो गया तो कॉलेज जाते टाइम मुझे करण के घर ड्रॉप कर देना,,,,,

ठीक है माँ नाश्ता तो करने दो पहले या इतनी आग लगी हुई है,,,,,,

आग तो लगी हुई है बेटा लेकिन मेरे नही अलका की चूत मे,,,,

अच्छा माँ शोबा दीदी कहाँ है फिर गई क्या मामा को लेके बुटीक पर,,,,

नही बेटा वो अपने रूम मे है ऑर मामा गया है बुटीक पर शिखा को लेके ,,,आज उन लोगो का प्रोग्राम घर पर होगा,,

साला मेरा दिल तो किया घर पर ही रुक जाऊ ऑर मामा शोबा ऑर शिखा के साथ मस्ती करू क्यूकी करण के घर जाके माँ ऑर
अलका आंटी के साथ तो अभी मस्ती नही कर सकता था,,,,,

तभी माँ बोली जल्दी कर ना नाश्ता कितना टाइम लगाता है तू,,,

लो कर लिया नाश्ता ,,अब मैं उपर जाके अपना बॅग लेके आता हूँ आप चलो बाहर,,,क्यूकी आपको ज़्यादा जल्दी है ना,,,मैने
हँसते हुए माँ को बोला ऑर उपर अपना बॅग लेने चला गया,,,,

अभी रूम से बाहर ही आ रहा था तभी मोबाइल पर मेसेज आया,,,देखा तो मेसेज कामिनी भाभी का था,,,,जल्दी घर बुलाया
था भाभी ने,,,,

मैं दिल ही दिल मे खुश हो गया ऑर शुक्रिया अदा करने लगा उपर वाले का उसने मेरी भी सुन ली ,,सब लोग मस्ती करने वाले
थे ऑर एक मैं ही था जिसको बोर होना पड़ना था,,,लेकिन अब कामिनी भाभी ने बुलाया था तो आज मैं भी फुल डे मस्ती
करने वाला था,,,,तभी मेरे दिमाग़ मे कुछ आइडिया आया ऑर मैने भुआ के ड्रॉयिंग रूम से एक स्ट्रॅप-ऑन उठाकर अपने
बॅग मे डाल लिया ऑर वहाँ से नीचे आ गया फिर माँ को साथ लेके घर से निकल पड़ा,,,,
 
माँ को करण के घर ड्रॉप किया तो देखा कि करण की बाइक नही थी इसका मतलब है वो कॉलेज जा चुका था ,,,मैने माँ
को ड्रॉप किया ऑर कामिनी भाभी के घर की तरफ चल पड़ा,,,,,
कामिनी भाभी के घर के बाहर आके मैने बाइक को साइड पर पार्क किया ऑर बेल बजा दी ,,,मैं बहुत खुश था भाभी की
वजह से क्यूकी उस दिन तो सूरज था घर मे इसलिए भाभी की गान्ड नही मार सका था ,,हालाकी सूरज की गान्ड मार कर भी
मुझे बहुत मज़ा आया था लेकिन आज दिल मे तमन्ना थी भाभी की गान्ड मारने की ,,क्यूकी उनकी गान्ड एक दम सील पॅक जो थी,
शोबा ने उनकी गान्ड मे नकली लंड पेल कर उसको थोड़ा खोल ज़रूर दिया था ऑर शोबा ने ऐसा इसलिए किया था ताकि भाभी की
गान्ड मेरे मूसल के लिए तैयार ही जाए क्यूकी शोबा उनकी गान्ड नही खोलती और मैं ही अपने मूसल ने उनकी गान्ड की शुरुआत
करता तो पक्का था उनकी जान ही निकल जानी थी,,,,आज भाभी ने मुझे यहाँ बुलाया था मेरे तो मन मे लड्डू फूट रहे
थे यही सोच सोच कर कि आज तो मस्त कुवारि गान्ड मिलने वाली है ,,,आज तो जी भरके मज़ा करूँगा क्यूकी आज घर मे
कोई नही होगा,, कविता तो सुबह ही सोनिया को लेके मूवीस देखने चली गई है वो शाम से पहले नही आने वाली,,,मैं तो
मन ही मन खुश होने लगा,,ऑर भाभी के बाहर आने की वेट करने लगा,,,

तभी सारी खुशी ऑर ख्वाहिशो को किसी की नज़र लग गई ऑर मेरा हँसता हुआ चेहरा एक दम उदास हो गया,,क्यूकी सामने से
सूरज चला आ रहा था ,,,,मैं गेट के उपर से उसको देख रहा था ,,क्यूकी मेरी हाइट लंबी थी ,मेरा चेहरा तो उतर गया
था ऑर मैं उदास हो गया था लेकिन वो मुझे देख कर बहुत खुश था,,,,

उसने आके गेट खोला,,,,,,ऑर मुझे हाई बोला,,,,,मैने भी उसको हाई बोला ऑर घर के अंदर चला गया ,,,,उसने जल्दी से गेट बंद
किया ऑर आगे बढ़ कर घर के मेन डोर खोला ऑर मुझे अंदर आने को बोलने लगा,,,, वो बड़ा खुश लग रहा था उसके हँसते
हुए चेहरे को देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा,,,,जब उसने हँसने के लिए मूह खोला तो मुझे लगने लगा कि मेरा
लंड उसके मूह मे है ओर वो बड़े प्यार से उसको चूस रहा है,,,,कसम से बड़ा मज़ा आया था उस दिन जब सूरज ने मेरे
लड को चूसा था,,,,हालाकी मुझे ये सब अच्छा नही लगता था फिर भी सूरज ने जिस अंदाज़ से मेरे लंड को चूसा था उस
अंदाज़ से आज तक किसी औरत ने मेरे लंड को नही चूसा था,,,,,मैं भाभी की गान्ड के बारे मे सोच सोच कर
खुश हो रहा था ऑर मुझे मस्ती भी चढ़ रही थी लेकिन सूरज को हस्ता देख मुझे ज़्यादा ही मस्ती चढ़ने लगी ऑर मेरा
लंड भी ज़्यादा रफ़्तार से ओकात मे आने लगा,,,,मेरा दिल किया कि अभी साले को पकड़ कर लंड मूह मे डाल दूं इसके,,,,

मैं दरवाजे पर खड़ा हुआ उसको देख रहा था ,,मैं उसके हँसते चेहरे को देख इतना गुम हो गया कि अंदर जाना ही
भूल गया ऑर ये भी भूल गया कि वो दरवाजा खोल कर खड़ा हुआ है ऑर मुझे अंदर जाने को बोल रहा है,,,

क्या हुआ सन्नी कहाँ खो गया,,,,,अंदर नही चलना क्या,,,,,

मैं उसकी आवाज़ से नींद से जागा ऑर अंदर की तरफ चलने लगा,,,ऑर वो मुझे देख कर हँसने लगा,,,,


मैं अंदर जाके सोफे पर बैठ गया ऑर वो भी मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गया,,,,,

हाउ आर यू सन्नी,,,,

आइम फाइन सूरज भाई,,,,हाउ आर यू,,,

मैं भी ठीक हूँ,,,,,

वो मेरे से बात करता हुआ खुश हो रहा था लेकिन मैं भाभी को तलाश कर रहा था ऑर घर मे इधर उधर देख
रहा था,,,

किसको तलाश कर रहे हो सन्नी,,,,

सूरज की बात सुनके मैं उसकी तरफ देखने लगा,,,किसी को भी नही सूरज भाई मैं तो घर को देख रहा हूँ,,,,

घर मे तुम पहली बार आए हो जो घर को देख रहे हो,,,,,वैसे तुम जिसको तलाश कर रहे हो वो अंदर है अभी आ जाएगी
थोड़ी देर मे,,,, तब तक बोलो चाइ लोगे या कॉफी


थॅंक्स्क्स्क्स सूरज भाई मैं अभी घर से नाश्ता करके ही आया हूँ,,,,,

लो आ गई जिसको तलाश कर रही थी तुम्हारी नज़रे सन्नी,,,,,सूरज ने मुझे अपने रूम की तरफ इशारा करते हुए बोला मैने
भी उसकी उंगली का पीछा किया ऑर उस तरफ देखने लगा,,,,,

साला क्या मस्त माल थी कामिनी भाभी ,,जब भी देखो जितनी बार भी देखो दिल ही नही भरता था,,,अभी उसको देख रहा
था तो दिल कर रहा था वो ऐसे ही खड़ी रहे ऑर मैं उसको देखता ही रहूं,,,,अभी भाभी ने एक सॉफ्ट से कपड़े का झीना सा
कुर्ता पहना हुआ था जो उसके घुटनो से काफ़ी उपर था ऑर चूत से बस 3 इंच ही नीचे था ,वो कुर्ता काफ़ी पतले कपड़े का
था ऑर उपर से भाभी अभी अभी शवर लेके बाहर आई थी उसके बलों से पानी की ड्रॉप्स टपक रही थी जो कुर्ते को गीला
कर रही थी ऑर कुर्ता उसने बदन से चिपक रहा था ,,,कुर्ता इतना ज़्यादा गीला हो गया था की देखने से लग रहा था कि भाभी
ने भीगे बदन ही कुर्ता पहन लिया था टवल से खुद के जिस्म को पोच्छा भी नही था जिस वजह से कुर्ता पूरी तरह भीग
कर भाभी के जिस्म से लग गया था ऑर भाभी के पूरा बदन कुर्ते मे होने के बावजूद भी नंगा लग रहा था क्यूकी
कुर्ते के नीचे भाभी ने ना तो ब्रा पहनी हुई थी ऑर ना ही पेंटी ,,,मैं भाभी को देखता ही रह गया ,आज वो कुछ ज़्यादा ही
सेक्सी लग रही थी वैसे जितनी बार भी देखता था भाभी को हर बार वो कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लगती थी ,,पहली बार से भी
ज़्यादा,,,,,,मैं तो खो ही गया था भाभी के खूबसूरत जिस्म मे,,,,
 
तभी भाभी चलती हुई हम लोगो के करीब आ गई ऑर मेरे करीब से गुजर कर सूरज के पास चली गई ऑर जाके सूरज की
गोद मे बैठ गई,,,,

जब भाभी मेरे पास से गुज़री तो भीगे भीगी बदन की खुश्बू से मैं ऑर भी ज़्यादा मस्त हो गया ,,,दिल कर रहा था
कि भाभी को हाथ पकड़ कर अपने करीब खेंच लूँ ऑर सर से पैर तक चूमना शुरू कर दूं,,,,,

क्या देख रहे हो सन्नी ,,,,,ये तुम्हारी ही है,,,,ऐसे घूर कर मत देखो इसको,,कहीं भागी नही जा रही,,,,

भाभी हँसने लगी ओर मैं भाभी को देख कर थोड़ा शरमा गया,,,,,अब हालत ऐसे हो गये थे कि भाभी खुल कर पेश
आने लगी थी जबकि मैं शरमाने लगा था,,,,,

क्या सोच रहे हो सन्नी,,,,

मैं चुप रहा ,,,,

जो सोच रहे वो वो कर भी सकते हो तुम सन्नी लेकिन पहले मुझे खुश करना होगा,,,सूरज अभी बोल ही रहा था कि भाभी
उठी ऑर मेरे पास आ गई ऑर मेरे पास आके सोफे पर लेट गई ओर अपनी टाँगे मेरी टाँगों के उपर रख ली,,,मैं भाबी की
टाँगों की तरफ देख रहा था तो भाभी ने अपने घुटनो को उपर उठा कर टाँगों को खोल दिया ,,मैं तो दंग ही रह गया
भाभी की चूत देख कर ,,,भाभी ने पेंटी नही पहनी हुई थी जिसका मुझे पहले से पता लग चुका था लेकिन अब चूत को
इतना करीब से देख कर मेरे मूह मे पानी आने लगा,,,

भाभी की चूत एक दम सॉफ थी ,,एक भी बाल नही था जैसे भाभी ने अभी अभी शेव की थी ऑर जब भाभी ने अपनी टाँगों
को थोडा ऑर खोला तो भाभी की चूत भी ज्याद खुल गई ऑर अंदर का गुलाबी रंग का हिस्सा देख कर मेरी जान ही अटक गई,,

देख लो जी भरके सन्नी भाई लेकिन टच मत करना अभी,,,,क्यूकी इसको टच करने के लिए पहले मुझे खुश करना ज़रूरी
है,,,,सूरज इतना बोलकर सोफे से उठा ऑर अपने कपड़े उतारने लगा,,,,इधर भाभी भी उठी ऑर मेरे कपड़े उतारने लगी,,,,

मैं ऑर सूरज 2 मिंट मे नंगे हो गये ,,,,ऑर हम लोगो के नंगे होने का बाद भाभी ने भी कुर्ता उतार दिया ऑर नंगी हो
गई,,,,

मेरा लंड जो मस्ती मे पहले ही ओकात मे आ चुका था भाभी ने उसको हाथ मे पकड़ा ऑर हल्के से सहला दिया,,मुझे
ऐसे लगा जैसे कोई सलाब मेरे लंड मे उठ रहा था ऑर अभी बस दीवारें तोड़ कर बहना शुरू हो जाएगा,,,,भाभी
के छोटे छोटे कोमल हाथ लगते ही लंड मे मस्त इतनी ज़्यादा भरने लगी की मुझे हल्का हल्का दर्द होने लगा,,,,

तभी भाभी ने अपने सर को थोड़ा नीचे किया ऑर मेरे लंड पर एक किस करदी,,,मुझे लगा कि भाभी मेरे लंड को मूह मे
लेने लगी है इसलिए मैने खुद को सोफे से हलक उपर उठा दिया ताकि मैं भी अपने लंड को भाभी के मूह मे घुसा
दूं,,,लेकिन भाभी ने तो सिर्फ़ एक किस की मेरे लंड की टोपी पर ऑर मूह उपर उठा लिया ऑर सूरज को पास आने का इशारा किया

सूरज भी जल्दी ही मेरे करीब आ गया,,,,मैं सोफे पर बैठा हुआ था ऑर भाभी भी मेरे साथ ही बैठी हुई थी लेकिन सूरज
आके ज़मीन पर घुटनो के बल बैठ गया ऑर एक ही पल मे उसने सर झुका कर मेरे लंड को मूह मे भर लिया ऑर पहली ही
बार मे लंड को गले से नीचे तक ले गया ऑर बाहर निकाल दिया ऑर मेरे लंड पर थूक दिया फिर हाथ से मेरे लंड को
एक दो बार सहलाया ऑर फिर से सर झुका कर लंड को मूह मे ले लिया,,,,मैं तो मस्ती मे पागल होने लगा था ,,,इतना मज़ा
आने लगा था कुछ ही देर मे कि मैं भूल ही गया कि मेरा लंड भाभी नही सूरज भाई चूस रहा है ऑर मुझे अब फ़र्क भी
नही पड़ने वाला था क्यूकी मुझे बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था इतना मज़ा तो भाभी द्वारा भी नही आना था जितना मज़ा मुझे
सूरज को लंड चुस्वा कर आ रहा था,,

सूरज पूरी मस्ती मे मेरे लंड को मूह मे लेके चूस रहा था ऑर पूरा का पूरा गले से अंदर ले रहा था ,,इतना मज़े से तो
भाभी भी मेरा लंड नही चूस सकती थी ,,,मुझे सच मे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बोलू लेकिन ये मज़ा ज़्यादा देर तक
नही आया,,,,

सूरज ने जल्दी ही मेरे लंड को मूह से निकाल दिया ऑर अपने मूह से थोड़ा थूक अपने हाथ पर थूक कर अपनी गान्ड
पर लगा कर सामने के टेबल पर झुक गया ऑर गान्ड को मेरे सामने कर दिया लेकिन तभी मुझे याद आया कि मेरे बॅग मे
एक स्टर्प-ऑन है ,,मैने जल्दी से स्टर्प-ऑन निकाला ऑर भाभी के तरफ बढ़ा दिया ,,,भाभी कुछ नही समझी तो मैने भाभी को
जल्दी सोफे से खड़ा कर दिया ऑर भाभी को स्ट्रॅप-ऑन पहना दिया ,,,,मुझे थोड़ा टाइम लगा गया स्ट्रॅप-ऑन पहनने मे तो
सूरज पीछे मूड कर हम दोनो की तरफ देखने लगा तो मैने जल्दी सोफे से उठकर सूरज को ये बता दिया कि मैं आ रहा हूँ
ऑर जल्दी से सोफे से उठकर खड़ा भी हो गया,,सूरज ने पल भर क लिए पीछे मूड के देखा था लेकिन इतनी देर मे वो भाभी की
कमर पर बँधे स्ट्रॅप-ऑन को नही देख पाया,,,,,भाभी की कमर पर स्ट्रॅप-ऑन बाँध कर मैने भाभी को मूह से थूक
लेके उस नकली लंड पर लगाने को कहा तो भाभी ने ऐसा ही किया ,,फिर मैं भाभी को सूरज के पीछे ले गया ऑर अपने हाथ मे
थोड़ा थूक लेके सूरज की गान्ड पर लगा दिया ऑर फिर भाभी के नकली लंड को हाथ मे लेके सूरज की गान्ड मे घुसा
दिया ,,,भाभी एक लिए ये पहली बार था तो मैने खुद भाभी की कमर को आगे पीछे किया तो भाभी भी जल्दी ही समझ गई
ऑर अपने हाथ से सूरज की कमर को पकड़ कर सूरज की गान्ड मे नकली लंड पेलने लगी,,,,सूरज एक मूह से हल्की हल्की सिसकियाँ निकलने लगी,,

अहह ऐसे हिी सुन्न्णी प्पूउर्रा ग्घहूऊस्सा दूओ मेरेयिइ गाणन्दड़ म्मी अहह एसए हहीी गाणन्दड़ मरूव मेरेईी
आहह उउहह बड़ा ंमाज़्जा आ र्राहहा हहाीइ उऊहह माआ हहयइईई सूरज सिसकियाँ लेने लगा तभी मैं आगे
बढ़ कर सूरज एक सामने जाके खड़ा हो गया,,,सूरज हैरान होके मुझे देखने लगा उसको समझ नही आ रहा था कि मैं
सामने खड़ा हूँ तो उसकी गान्ड कॉन मार रहा है तभी उसने पीछे मूड कर देखा ऑर भाभी को ऐसे हिलते देख कुछ
समझा नही लेकिन मस्ती ऑर मज़े से वो फिर सिसकियाँ लेने लगा लेकिन मैने उसकी सिसकियाँ बंद कर दी ,,

मैं आगे बढ़ा ऑर टेबल के दूसरी तरफ खड़ा हो गया ऑर अपने लंड को सूरज के करीब कर दिया ,,सूरज ने भी एक ही पल मे मूह,
खोल दिया ऑर मेरे लंड को मूह मे भर लिया,,,,,मैं चाहता तो सूरज की गान्ड मार लेता लेकिन मेरा दिल सूरज के मूह को
चोदने को कर रहा था क्यूकी उसके लंड चूसने का अंदाज़ ही बहुत निराला था,,,,,मैने सूरज के सर को पकड़ा ऑर अपने लंड
को तेज़ी से सूरज के मूह मे पेलने लगा ,सूरज को कोई परेशानी नही हो रही थी वो तो अपने सर को मेरी कमर से भी ज़्यादा
तेज़ी से हिला कर मेरे पूरे लंड को मूह मे लेने मे लगा हुआ था,,,,,मैं आगे से सूरज के मूह को चोद रहा था ऑर भाभी
पीछे से सूरज की गान्ड मार रही थी,,,करीब 10 मिनिट तक मैं सूरज के मूह मे लंड पेलता रहा ऑर फिर मैं सूरज के
पीछे चला गया ऑर भाभी को सूरज के सामने भेज दिया ,,,सूरज भाभी की कमर पर लगे नकली लंड को देख कर खुश भी
था ऑर थोड़ा हैरान भी,,शायद उसने पहली बार स्ट्रॅप-ऑन देखा था ,,लेकिन हैरानी से ज़्यादा उसको मस्ती चढ़ि हुई थी
इसने कामिनी को आगे बढ़ कर लंड को उसके मूह के करीब करने का इशारा किया ऑर कामिनी ने भी आगे बढ़कर लंड 
को सूरज के मूह मे घुसा दिया,,,ऑर मैने पीछे जाके अपने लंड को सूरज की गान्ड मे घुसा दिया,,,,,
 
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