hotaks444
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मैं तो साला बाहर खड़ा गुस्से मे लाल हो रहा था ,,माँ की बातों से मुझे लग रहा था कि माँ मेरी बात कर रही है
ऑर अभी मुझे ही बुला लेगी रूम मे ऑर मैं जाके अलका आंटी की मस्त चूत ऑर भारी गान्ड मारूँगा लेकिन ये तो साला कुछ ऑर ही हो गया,,,,साला आज फिर कलपद हो गया,,,,ऑर इधर लंड महाराज का अकड़ मे बुरा हाल हो गया था ,,हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था,,,,,,
माँ,,,,,,क्यू है ना तेरे बैंगन से बेहतर चीज़,,,,इतना बोलकर माँ ने नकली लंड को मूह मे ले लिया ऑर प्यार से चूसने लगी,,
ऑर चूस्ते हुए अलका के पास बैठ गई,,,अलका बड़े हैरान होके माँ की तरफ़ देख रही थी,,,,,
माँ,,,,,,,,,,ऐसे क्या देख रही है क्या तू बैंगन को पहले मूह मे नही लेती चूत मे लेने से पहले,,,,,
अलका,,,,,,,,,नही दीदी मैं तो उसपे आयिल लगा लेती हूँ ऑर भला मूह मे क्यूँ लेना बैंगन को,,,
माँ,,,,,,,,,,,,तो सच मे पागल ही है,,,...थूक आयिल से ज़्यादा चिकना होता है ऑर लंड आराम से चूत मे चला जाता है ऑर
गान्ड मे भी थूक लगा कर लंड लेने से दर्द का एहसास तक नही होता,,,,
अलका,,,,सच मे दीदी थूक लगा कर भी आयिल का काम लिया जाता है क्या,,,,
माँ ,,,,हाई रे मेरी भोली अलका,,,,अब ये मत कहना कि तूने कभी लंड को मूह मे नही लिया,,,,,
अलका,,,,,आपको तो पता ही है दीदी मैने ऐसा कुछ कभी नही किया,,ऑर भला लंड को कोई मूह मे क्यू लेगा,,उसी से मर्द
पेशाब करता है उसी को मूह मे लेने की बात कर रही हो ,,च्चिईिइ,,
माँ ,,,,,,,लगता है तुझे कुछ नही पता,,,शादी के इतने साल हो गये ना तूने लंड मूह मे लिया ठीक से ऑर ना ही गान्ड मे
फिर भला क्या मज़ा ऑर मस्ती की होगी तूने अपने पति के साथ,,,,,,चल आज मैं ही तेरे को सब सिखा देती हूँ,,,,चल पहले
साड़ी निकाल देख पूरी गीली हो गई है,,,,,,
अलका,,,,,,,,ना दीदी मुझे नही निकालनी साड़ी आपके सामने ,,,,,,,,,,,,आप पहले बाहर जाओ,,,,,
माँ,,,अरे पगली मैं भी तो औरत हूँ ,,अब तेरे पास ऐसा क्या ख़ास है जो मेरे पास नही है,,,,चल जल्दी निकाल साड़ी
अलका,,,,,,,नही दीदी मुझे शरम आती है ,,,,
माँ,,,,,,,,निकालती है या मैं खुद निकालु तेरी साड़ी,,,,,माँ इतना बोलके थोड़ा आगे बढ़ी तो अलका जल्दी से उठकर बैठ गई,,,
अलका,,,,,अच्छा अच्छा निकालती हूँ दीदी,,,,,
अलका आंटी बेड पर खड़ी हो गई ऑर अपनी साड़ी खोलने लगी,,मेरा तो बाहर खड़े के होल से देखते देखते ही काम
होने वाला हो गया ,,मैं मन ही मन अपनी माँ को गाली देने लगा कि साली अगर मेरे को बुला लेती तो क्या जाता,,,कुछ देर
मे आंटी ने साड़ी निकाल दी,,,,
माँ,,,,,,,,अब ब्लाउस ऑर पेटिकोट भी निकाल जल्दी से,,,,,,,,,,
अलका,,,,,,,,,,,,,हाई मेरी माँ ,ना बाबा ना,,,,,,,,,,,,ये नही उतारने वाली मैं आपके सामने,,मुझे शरम आती है,,,,,ऑर मेरे
कपड़े उतरवा कर आपने क्या करना है,,,
माँ,,,,,,,,,,अरे बुधु तेरे कपड़े गीले हो गये है धो कर मशीन मे सूखा दूँगी इसलिए बोल रही हूँ उतारने को,,,
अलका,,,,,,,ऐसा बोलो ना फिर दीदी,,,,,,,,,,,लेकिन मैं यहाँ नही उतारने वाली,,
माँ,,,,,,ठीक है जाके बाथरूम मे उतार दे,,मैं तेरे को दूसरा पेटिकोट ऑर ब्लाउस का सेट देती हूँ वो पहन कर बाहर
आ जाना,,,,
अलका,,,ठीक है दीदी,,,,,,,,
अलका उठी ऑर बाथरूम की तरफ चली गई जबकि माँ बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ी हो गई,,,,,
कुछ देर बाद बाथरूम से अलका की आवाज़ आई,,,दीदी दूसरे कपड़े दो मुझे,,,,,,,
वो कपड़े उतार चुकी क्या तू,,,,,माँ ने बाहर से पूछा,,,,
हाँ दीदी उतार दिए है तभी दूसरे कपड़े माँग रही हूँ,,,,
दरवाजा खोल मैं बाहर ही खड़ी हूँ कपड़े मेरे हाथ मे है लेले,,,ऑर जैसे ही अलका ने दरवाजा खोलकर हाथ बाहर
निकाला माँ ने उसके हाथ को पकड़ लिया ऑर बाहर खींच लिया,,,
मैने तो देख कर दंग ही रह गया,,,,अलका आंटी के जिस्म पर एक ब्रा थी बस ,,,वो गीली नही हुई थी इसलिए वो अभी तक पहनी हुई थी ,,,मैं तो साला देख देख कर पागल हुआ जा रहा था,,,,,मेरे सामने एक गोरी चिट्टी मखमली भरे हुए जिस्म की
एक मस्त माल खड़ी हुई थी जिसकी बड़ी मस्त गान्ड ऑर बड़े बड़े बूब्स थे ,,,,दिल कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर
चला जाऊ ऑर जाके लंड पेल दूं अलका आंटी की गान्ड मे ,,लेकिन मजबूर था माँ की वजह से,,,
आंटी ने बाहर आते ही अपनी दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर हाथ भी चूत पर रख लिए,,,,,
क्या करती हो दीदी,,,मुझे शरम आ रही है,,,,,,,छोड़ो मुझे ऑर कपड़े दो जल्दी से,,,
अभी कपड़े क्या करने तूने,,,मैने जो देखना था देख लिया,,,,इतना बोलकर माँ अलका आंटी को बेड की तरफ ले आई,,,आंटी
का एक हाथ माँ के हाथ मे था जबकि एक हाथ चूत पर था वो शर्मा रही थी लेकिन माँ उसको खींच कर बेड पर ले
आई,,,,
क्या कर रही हो दीदी छोड़ो मुझे शरम आ रही है,,,,,कपड़े पहनने दो मुझे,,,,,,
कपड़े पहन कर क्या करेगी वो तो बाद मे भी उतार दूँगी मैं तो टाइम क्यू जाया करना कपड़े पहन कर ,,इतना बोलते
हुए माँ ने आंटी को बेड पर बिठा दिया ओर हल्का सा धक्का देके पीछे लेटा दिया ,,
आंटी बेड पर लेट गई लेकिन उनकी टाँगे घुटनो से नीचे ज़मीन पर थी,,,,आंटी ने जल्दी से बेड पर गिरते ही अपनी
दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर दोनो हाथ भी चूत पर रख लिए,,आंटी का चेहरा शरम से एक दम लाल हो गया,,
हाई री मेरी बन्नो रानी इतना क्यू शरमा रही है,,,,हम लोग पहले भी तो ऐसी बातें कर चुके है कितनी बार ,,याद नही
क्या,,,,,
याद है दीदी लेकिन इतना खुलकर बात नही की जितना अब खुल गई है हम दोनो ,,ऑर बिना कपड़ो के तो आज तक मैं अपने पति के सामने ही गई हूँ आपके सामने कभी नही आई,,,,,,,
जानती हूँ लेकिन आज ये शरम छोड़ दे ऑर खुल का मस्ती कर मेरे साथ,,,जितनी आग है तेरे जिस्म मे सब भुजा दूँगी मैं आज,,,,ऑर वैसे भी तेरे जैसी मस्त औरत किस्मत वालो को मिलती है ,,मुझे तो गुस्सा आ रहा है तेरे पति पर जो इतनी हसीन औरत को अकेले छोड़ कर बाहर चला गया,,काश मैं तेरा पति होती तो कभी तेरे से दूर नही जाती,,,,,सच मे अलकातेरे जिस्म ने तो पागल कर दिया है मुझे,,,,देख मेरी आँखों मे कितना नशा चढ़ने लगा है ,,,,डर है कहीं मदहोश
होके कुछ गड़बड़ नही कर दूं मैं,,,,
ऑर अभी मुझे ही बुला लेगी रूम मे ऑर मैं जाके अलका आंटी की मस्त चूत ऑर भारी गान्ड मारूँगा लेकिन ये तो साला कुछ ऑर ही हो गया,,,,साला आज फिर कलपद हो गया,,,,ऑर इधर लंड महाराज का अकड़ मे बुरा हाल हो गया था ,,हल्का हल्का दर्द भी होने लगा था,,,,,,
माँ,,,,,,क्यू है ना तेरे बैंगन से बेहतर चीज़,,,,इतना बोलकर माँ ने नकली लंड को मूह मे ले लिया ऑर प्यार से चूसने लगी,,
ऑर चूस्ते हुए अलका के पास बैठ गई,,,अलका बड़े हैरान होके माँ की तरफ़ देख रही थी,,,,,
माँ,,,,,,,,,,ऐसे क्या देख रही है क्या तू बैंगन को पहले मूह मे नही लेती चूत मे लेने से पहले,,,,,
अलका,,,,,,,,,नही दीदी मैं तो उसपे आयिल लगा लेती हूँ ऑर भला मूह मे क्यूँ लेना बैंगन को,,,
माँ,,,,,,,,,,,,तो सच मे पागल ही है,,,...थूक आयिल से ज़्यादा चिकना होता है ऑर लंड आराम से चूत मे चला जाता है ऑर
गान्ड मे भी थूक लगा कर लंड लेने से दर्द का एहसास तक नही होता,,,,
अलका,,,,सच मे दीदी थूक लगा कर भी आयिल का काम लिया जाता है क्या,,,,
माँ ,,,,हाई रे मेरी भोली अलका,,,,अब ये मत कहना कि तूने कभी लंड को मूह मे नही लिया,,,,,
अलका,,,,,आपको तो पता ही है दीदी मैने ऐसा कुछ कभी नही किया,,ऑर भला लंड को कोई मूह मे क्यू लेगा,,उसी से मर्द
पेशाब करता है उसी को मूह मे लेने की बात कर रही हो ,,च्चिईिइ,,
माँ ,,,,,,,लगता है तुझे कुछ नही पता,,,शादी के इतने साल हो गये ना तूने लंड मूह मे लिया ठीक से ऑर ना ही गान्ड मे
फिर भला क्या मज़ा ऑर मस्ती की होगी तूने अपने पति के साथ,,,,,,चल आज मैं ही तेरे को सब सिखा देती हूँ,,,,चल पहले
साड़ी निकाल देख पूरी गीली हो गई है,,,,,,
अलका,,,,,,,,ना दीदी मुझे नही निकालनी साड़ी आपके सामने ,,,,,,,,,,,,आप पहले बाहर जाओ,,,,,
माँ,,,अरे पगली मैं भी तो औरत हूँ ,,अब तेरे पास ऐसा क्या ख़ास है जो मेरे पास नही है,,,,चल जल्दी निकाल साड़ी
अलका,,,,,,,नही दीदी मुझे शरम आती है ,,,,
माँ,,,,,,,,निकालती है या मैं खुद निकालु तेरी साड़ी,,,,,माँ इतना बोलके थोड़ा आगे बढ़ी तो अलका जल्दी से उठकर बैठ गई,,,
अलका,,,,,अच्छा अच्छा निकालती हूँ दीदी,,,,,
अलका आंटी बेड पर खड़ी हो गई ऑर अपनी साड़ी खोलने लगी,,मेरा तो बाहर खड़े के होल से देखते देखते ही काम
होने वाला हो गया ,,मैं मन ही मन अपनी माँ को गाली देने लगा कि साली अगर मेरे को बुला लेती तो क्या जाता,,,कुछ देर
मे आंटी ने साड़ी निकाल दी,,,,
माँ,,,,,,,,अब ब्लाउस ऑर पेटिकोट भी निकाल जल्दी से,,,,,,,,,,
अलका,,,,,,,,,,,,,हाई मेरी माँ ,ना बाबा ना,,,,,,,,,,,,ये नही उतारने वाली मैं आपके सामने,,मुझे शरम आती है,,,,,ऑर मेरे
कपड़े उतरवा कर आपने क्या करना है,,,
माँ,,,,,,,,,,अरे बुधु तेरे कपड़े गीले हो गये है धो कर मशीन मे सूखा दूँगी इसलिए बोल रही हूँ उतारने को,,,
अलका,,,,,,,ऐसा बोलो ना फिर दीदी,,,,,,,,,,,लेकिन मैं यहाँ नही उतारने वाली,,
माँ,,,,,,ठीक है जाके बाथरूम मे उतार दे,,मैं तेरे को दूसरा पेटिकोट ऑर ब्लाउस का सेट देती हूँ वो पहन कर बाहर
आ जाना,,,,
अलका,,,ठीक है दीदी,,,,,,,,
अलका उठी ऑर बाथरूम की तरफ चली गई जबकि माँ बाथरूम के दरवाजे के बाहर खड़ी हो गई,,,,,
कुछ देर बाद बाथरूम से अलका की आवाज़ आई,,,दीदी दूसरे कपड़े दो मुझे,,,,,,,
वो कपड़े उतार चुकी क्या तू,,,,,माँ ने बाहर से पूछा,,,,
हाँ दीदी उतार दिए है तभी दूसरे कपड़े माँग रही हूँ,,,,
दरवाजा खोल मैं बाहर ही खड़ी हूँ कपड़े मेरे हाथ मे है लेले,,,ऑर जैसे ही अलका ने दरवाजा खोलकर हाथ बाहर
निकाला माँ ने उसके हाथ को पकड़ लिया ऑर बाहर खींच लिया,,,
मैने तो देख कर दंग ही रह गया,,,,अलका आंटी के जिस्म पर एक ब्रा थी बस ,,,वो गीली नही हुई थी इसलिए वो अभी तक पहनी हुई थी ,,,मैं तो साला देख देख कर पागल हुआ जा रहा था,,,,,मेरे सामने एक गोरी चिट्टी मखमली भरे हुए जिस्म की
एक मस्त माल खड़ी हुई थी जिसकी बड़ी मस्त गान्ड ऑर बड़े बड़े बूब्स थे ,,,,दिल कर रहा था कि दरवाजा तोड़कर अंदर
चला जाऊ ऑर जाके लंड पेल दूं अलका आंटी की गान्ड मे ,,लेकिन मजबूर था माँ की वजह से,,,
आंटी ने बाहर आते ही अपनी दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर हाथ भी चूत पर रख लिए,,,,,
क्या करती हो दीदी,,,मुझे शरम आ रही है,,,,,,,छोड़ो मुझे ऑर कपड़े दो जल्दी से,,,
अभी कपड़े क्या करने तूने,,,मैने जो देखना था देख लिया,,,,इतना बोलकर माँ अलका आंटी को बेड की तरफ ले आई,,,आंटी
का एक हाथ माँ के हाथ मे था जबकि एक हाथ चूत पर था वो शर्मा रही थी लेकिन माँ उसको खींच कर बेड पर ले
आई,,,,
क्या कर रही हो दीदी छोड़ो मुझे शरम आ रही है,,,,,कपड़े पहनने दो मुझे,,,,,,
कपड़े पहन कर क्या करेगी वो तो बाद मे भी उतार दूँगी मैं तो टाइम क्यू जाया करना कपड़े पहन कर ,,इतना बोलते
हुए माँ ने आंटी को बेड पर बिठा दिया ओर हल्का सा धक्का देके पीछे लेटा दिया ,,
आंटी बेड पर लेट गई लेकिन उनकी टाँगे घुटनो से नीचे ज़मीन पर थी,,,,आंटी ने जल्दी से बेड पर गिरते ही अपनी
दोनो टाँगों को आपस मे जोड़ लिया ऑर दोनो हाथ भी चूत पर रख लिए,,आंटी का चेहरा शरम से एक दम लाल हो गया,,
हाई री मेरी बन्नो रानी इतना क्यू शरमा रही है,,,,हम लोग पहले भी तो ऐसी बातें कर चुके है कितनी बार ,,याद नही
क्या,,,,,
याद है दीदी लेकिन इतना खुलकर बात नही की जितना अब खुल गई है हम दोनो ,,ऑर बिना कपड़ो के तो आज तक मैं अपने पति के सामने ही गई हूँ आपके सामने कभी नही आई,,,,,,,
जानती हूँ लेकिन आज ये शरम छोड़ दे ऑर खुल का मस्ती कर मेरे साथ,,,जितनी आग है तेरे जिस्म मे सब भुजा दूँगी मैं आज,,,,ऑर वैसे भी तेरे जैसी मस्त औरत किस्मत वालो को मिलती है ,,मुझे तो गुस्सा आ रहा है तेरे पति पर जो इतनी हसीन औरत को अकेले छोड़ कर बाहर चला गया,,काश मैं तेरा पति होती तो कभी तेरे से दूर नही जाती,,,,,सच मे अलकातेरे जिस्म ने तो पागल कर दिया है मुझे,,,,देख मेरी आँखों मे कितना नशा चढ़ने लगा है ,,,,डर है कहीं मदहोश
होके कुछ गड़बड़ नही कर दूं मैं,,,,