Hindi Porn Story चीखती रूहें - Page 3 - SexBaba
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Hindi Porn Story चीखती रूहें

"मैं अभी इसी कमरे से कोकीन बरामद कर लूँगा.....और तुम्हें ये भी बताना पड़ेगा कि तुम्हें इस कमरे से कॉन निकाल दिया करता है?"

मिकेल होंठ भिंचे उसे ख़ूँख़ार निगाहों से देख रहा था.

इमरान दरवाज़े पर जमा रहा. जोसेफ के आने पर उस ने एक तरफ हट-ते हुए कहा....."इस आदमी को पकड़े रखो.....मैं कमरे की तलाशी लेता हूँ."

"मिकेल मरने मारने पर उतारू था लेकिन जोसेफ ने उसे काबू मे कर लेने मे देरी नहीं की.

इमरान कमरे की तलाशी लेने लगा. मिकेल बुरी तरह चीख रहा था.......और अगता को गालियाँ दे रहा था जो जोसेफ के साथ ही आ
गयी थी.....बाहरी गेट पर नहीं रुकी थी.

अट लास्ट इमरान ने कोकीन बरामद कर ही लिया और मिकेल से बोला..."तुम और तुम्हारे तरह दूसरे जी स्मिथ के चेले हैं......इसी के
लिए जंगल मे घूमते फिरते हैं. बताओ कि ये तुम्हें कहाँ से मिलती है?"

"तुम से मतलब....? चले जाओ यहाँ से."

अचानक अगता चीख कर कमरे के बीच आ गिरी. किसी ने उसे दरवाज़े के बाहर से धकेल दिया था.

अगले ही पल सुतरां का एक आदमी रिवॉल्वार लिए हुए दरवाज़े मे खड़ा था. उसके वॉर्निंग पर जोसेफ और इमरान ने हाथ उपर उठा लिए थे.

"ओह्ह.....तो तुम हो...." इमरान सर हिला कर बोला. "तुम ही इसे कमरे से निकाल दिया करते थे. तो फिर तुम ही मुझे मोस्सीओ सुतरां का पता भी बता ही दोगे.....क्यों?"

"तुम इन्हें कवर किए रखो समझे...." मिकेल ने नौकर से कहा "मैं अपने दिल का भडास निकालना चाहता हूँ."

"इमरान ने जोसेफ को इशारा किया कि वो चुप चाप खड़ा रहे.

"मिकेल इमरान पर टूट पड़ा. और इमरान चीखा....."अर्रे अर्रे.....इतने ज़ोर से......अब्बे गर्दन छोड़ो.....मरा....मरा....आहह.....तौबा तौबा...."

"मैं तुम्हें मार ही डालूँगा." मिकेल गुर्राया.

"मैं मार डालने से नहीं रोक रहा...." इमरान घिघियाया...."लेकिन इस तरह धमकियाँ तो ना दो कि मरने से पहले की दिल की धड़कन रुक जाए."

"मिकेल उसे पूरे कमरे मे रगड़ता फिर रहा था. जोसेफ को समझ मे नहीं आ रहा था कि बॉस को आख़िर हो क्या गया है. क्या वो ऐसा चूहा है कि मिकेल जैसा कोई भी आदमी उसे रगड़ता फिरे. वो सोच ही रहा था कि अब उसे कुच्छ करना चाहिए कि अचानक इमरान सुतरां
के नौकर से टकराया और फिर जोसेफ इतना ही देख सका की मिकेल और नौकर दोनों उपर नीचे फर्श पर ढेर हो गये.

रिवॉलव अब इमरान के हाथ मे था. अगता ने गहरी साँस ली.

"जोसेफ अब इन्हें इतना मारो कि बस ये मर ना जाएँ."

"देर ना करो.....पता नहीं पापा किस हाल मे हैं." अगता हाँफती हुई बोली.

"ये पिटे बिना नहीं बताएँगे. जोसेफ शुरू हो जाओ."

उसके बाद बस ऐसा लगा जैसे कोई जंगली भैंसा उन दोनों पर पिल पड़ा हो. वो चीखते रहे और पिट'ते रहे. कुच्छ देर बाद मिकेल हांफता हुआ बोला...."बताता हूँ...."

जोसेफ ने इस बुरी तरह उन दोनों की मरम्मत की थी कि उन मे बैठने की भी शक्ति नहीं रह गयी थी. लेकिन वो ज़ुबान तो हिला ही सकते थे.

मिकेल ने बताया कि उसे कोकीन जंगल ही से मिलती थी......और उसकी लत पादरी स्मिथ ही ने डाली थी. उस के आदमी ना केवल कोकीन की कीमत वसूल कर लेते थे बल्कि कभी कभी उन नशेडियों को उन के लिए काम भी करना पड़ता था.

इमरान ने उस से उस जगह का पता पुछा जहाँ से कोकीन मिला करती थी. और इस नतीजा पर पहुँचा कि वो उसी झरने के निकट ही
कहीं हो सकती है जहाँ मिकेल से पहली बार टकराव हुआ था.

मिकेल को वहाँ ले जाना ख़तरे से खाली नहीं था. क्योंकि सूचनाओं के अनुसार पोलीस भी जंगल मे गश्त करती रहती थी. और फिर मिकेल तो अपने पैरों से चलने के लायक भी नहीं रह गया था.

अट लास्ट उसने ये फ़ैसला किया कि जोसेफ को उन दोनों की निगरानी के लिए वहीं छोड़ दे और खुद अकेला जाए. उसे विश्वास था कि उस के साथियों को जंगल ही मे कहीं रखा गया होगा. हो सकता है की सुतरां भी बाली ही की क़ैद मे हो.

जब अगता को पता चला कि वो अकेला जाएगा तो वो भी तैयार हो गयी.

"तुम....?" इमरान मुस्कुराया. "अंधेरे मे ग़लत सलत भी देख सकती हो......इस लिए अच्छा यही होगा कि यहीं रहो. अर्रे हां क्या तुम ने सुतरां की गुमशुदगी की सूचना पोलीस को दे दी है?"

"नहीं...."

"तुम ने ग़लती की है. पोलीस को सूचना दे दो. और रिपोर्ट मे ये भी लिखवाना कि पिच्छली शाम बाली से उन का झगड़ा हुआ था. लेकिन
मेरा ज़िक्र ना आने पाए. और मिकेल की चर्चा भी ना करना."

"इस से क्या होगा?"

"दिमाग़ मे तरावट रहेगी और सपने सॉफ दिखाई देंगे." इमरान झुंजला गया.

"तो गुस्सा क्यों होते हो......मैं तुम्हारे साथ ज़रूर जाउन्गि."

"समय बर्बाद मत करो. जो कह रहा हूँ करो. जाओ रिपोर्ट दर्ज कराओ. मेरे आदमी पर भरोसा करो. वो तुम्हारा घर नहीं लूट ले जाएगा. लेकिन इस समय उसका जुग भारती जाना."

इमरान बाहर निकला. कॉंपाउंड सुनसान पड़ा हुआ था. वो इस समय भी उसी मेक-अप मे था जिस मे वो बाली के घर गया था.

जंगल मे घुसते ही वो बहुत सतर्क हो गया. वो नहीं चाहता था कि पोलीस से सामना हो. ये भी सोच रहा था कि उस के बच निकलने से बाली और साथी भी काफ़ी सावधान हो गये होंगे.

अगर सुतरां उन्हीं के हाथ पड़ा है तो संभव है कि उस ने उन्हें उसके बारे मे बता भी दिया हो. ज़ाहिर है कि बाली उस आदमी के बारे
मे ज़रूर जानना चाहता होगा जिस ने सुतरां के लिए उस से लड़ाई किया था.

वो चलता रहा. उसे विश्वास था कि जिस रास्ते पर वो चल रहा है वो उसे झरने तक ले जाएगा. अभी तक पोलीस की सीटी भी नहीं सुनाई दी थी. लेकिन वो उन की तरफ से गाफील नहीं था.

कुच्छ दूर चलता रहता फिर रुक कर आहटें लेने लगता. उसे यकीन नहीं था कि मिकेल की बताई हुई जगह ही उसकी मज़िल साबित होगी. क्योंकि मिकेल तो एक साधारण सा मोहरा था. जिसे कोकीन का आदि बना कर काम करने पर मजबूर कर दिया गया था. और ये असंभव था की वो ऐसे मामूली आदमी को अपना असली ठिकाना बताया हो.

अचानक वो चलते चलते रुक गया. वो उस नाले के निकट पहुँच चुका था जो पूरब की तरफ पादरी स्मिथ की कोठी के पिछे से गुज़रता था.

ये किसी प्रकार की आवाज़ें ही थीं जो नाले की गहराई की तरफ से आई थीं. वो बड़ी तेज़ी से ज़मीन पर गिर गया और सीने के बल रेंगता हुआ किनारे की तरफ बढ़ने लगा.

यहाँ नाले की गहराई 15 फीट रही होगी. उसे नीचे कुच्छ हिलती डुलती पर्छायी दिखाई दी जो पूरब की तरफ बढ़ रही थीं. उस ने किसी औरत को कहते सुना "अलग हटो....चल तो रही हूँ."

और ये आवाज़ जुलीना फिट्ज़वॉटर के अलावा किसी की नहीं हो सकती थी.

(जारी)
 
और ये आवाज़ जुलीना फिट्ज़वॉटर के अलावा और किसी की नहीं हो सकती थी. इमरान ने सॉफ पहचाना था. वो अंधेरे मे आँखें फाड़ता रहा. साए धीरे धीरे आगे बढ़ते चले जा रहे थे. इमरान बहुत सावधानी से ढलान मे खिसकने लगा. चूँकि उन लोगों का रुख़ स्मिथ की कोठी
की तरफ था.....इस लिए सावधानी ज़रूरी थी. कभी कभी वो मूड कर पिछे भी देख लेता था की कहीं ये भी किसी प्रकार का जाल ना हो
. वरना क्या ये ज़रूरी था कि वो इसी समय इतनी आसानी से मिल जाते......और उन के साथ जूलीया भी होती.

उस ने महसूस किया कि जूलीया को बोलते रहने पर मजबूर किया जा रहा था. इस बार उस ने उसे तेज़ आवाज़ मे कहते सुना "कमीनो....! मुझ से हट कर चलो.....वरना एकाध की मैं जान ले लूँगी."

इमरान जहाँ था वहीं रुक गया. क्योंकि अब साए भी रुक गये थे.

"चटाख...." ये शायद थप्पड़ की आवाज़ सन्नाटे मे गूँजी थी. साथ ही किसी मर्द ने किसी को गंदी सी गाली दी.......और फिर जूलीया
चीखने लगी. बिल्कुल इस तरह जैसे उसी ने उन पर हमला कर दिया हो.

इमरान ने इसी से अनुमान लगाया कि उन लोगों मे चौहान और सफदार नहीं है.......वरना खामोश ना रह सकते थे.तो फिर ये जाल निश्चित रूप से उसे फाँसने के लिए ही बिच्छाया गया है.

अचानक उस ने अपने कंठ से पोलीस की विज़ल(साइरन) की आवाज़ निकाली. और दूसरे ही पल साए एक दूसरे पर गिरते पड़ते
भाग निकले. केवल एक साया वहीं पर आगे पिछे झूल रहा था. फिर वो ज़मीन पर गिर गया.


इमरान अब तक सीने के बल रेंग रहा था. उस से ऐसी मूर्खता नहीं हो सकती थी कि वो उठ खड़ा होता. अगर वो किसी तरह का जाल ही था तो कुच्छ आदमी उस की घात मे ज़रूर होंगे......जो बे-खबरी मे उस पर हमला कर सकें. और ज़रूरी नहीं कि पोलीस पोलीस की विज़ल की आवाज़ पर वो भी उसी तरह बौखला गये हों जैसे दूसरे लोग भाग गये थे.

वो जूलीया के पास पहुँच कर रुक गया. यहाँ भी उस ने ज़मीन नहीं छोड़ी. जूलीया को वहाँ से उठा कर ले जाना एक समस्या था. वो थोड़ी देर कुच्छ सोचता रहा. फिर बाएँ तरफ मूड कर एक तरफ रेंग गया. वास्तव मे अब वो जूलीया के आस पास ही कहीं छुप कर वेट करना चाह रहा था.

***


जुलीना फिट्ज़वॉटर होश मे आई तो उस ने महसूस किया कि जैसे कोई उसे कंधे पर उठाए हुए चल रहा हो. अर्थात उस का मस्तिष्क
अभी सॉफ नहीं हुआ था. लेकिन फिर भी उस ने आज़ाद होने के लिए संघर्ष शुरू कर दिया.

जूलीया के हाथ पैर ढीले पड़ गये और एक बार फिर उस का सर चकरा गया. पोलीस......!! तो अब ये दूसरी मुसीबत.....! जिस मे शायद वो अब हमेशा फँसी रहे. ज़ाहिर बात थी कि वो अपनी असलियत कभी प्रकट नहीं कर सकती थी. इसी उलझन मे उस पर फिर बेहोशी च्छा गयी.

और जब दूसरी बार उसे होश आया तो तुरंत बेहोशी के प्रभाव से दूर हो गयी क्योंकि उसे अपने आस पास पोलीस के बजाए नक़ाब-पोश दिखाई दिए थे. साआँने ही बाली खड़ा उसे घूर रहा था.....जैसे कच्चा ही चबा जाएगा. उस के चेहरे पर नक़ाब नहीं थी.

"तुम अपनी ज़िद नहीं छोड़ोगी?" बाली ने कहा.

"मैं किसी तरह की भी बकवास सुन'ना नहीं चाहती."

"तुम्हें अंदाज़ा नहीं कि तुम्हारे साथियों का क्या हशर होने वाला है."

"वही हशर मेरा भी होगा." जूलीया ने लापरवाही से कहा,

"नादानी की बातें मत करो." बाली ने नरम स्वर मे कहा. "तुम लोग ना तो इस आइलॅंड से निकल सकते हो और ना यहाँ रह सकते हो. हां जैल ज़रूर जा सकते हो."

"मुझे जो कुच्छ कहना था कह चुकी."

"देखो लड़की मुझे गुस्सा मत दिलाओ."

"इस से पहले भी तुम्हें गुस्सा आ चुका था." जूलीया ने लापरवाही से कंधे उच्काये और चारों तरफ देखने लगी. ये शायद कोई अंडर ग्राउंड रूम था. दीवारों की बनावट यही बता रही थी.

एक तरफ एक बड़ी मेज़ पर दो आदमी अचेत पड़े हुए थे. उन मे से एक को तो उस ने पहली नज़र मे पहचान लिया था......क्यों कि उस की तस्वीर वो पादरी की कोठी मे देख चुकी थी. ये पादरी स्मिथ ही हो सकता था. लेकिन दूसरे आदमी को वो पहचान ना सकी......क्यों की वो पहले कभी निगाहों से नहीं गुज़रा था.

वो दोनों या तो सो रहे थे या बेहोश थे.

तभी बाली ने फिर उसे संबोधित किया "क्या तुम ये समझती हो कि वो अर्ध-पागल तुम लोगों के लिए कुच्छ कर सकेगा."

"मैं कुच्छ नहीं समझती."

"फिर ये ज़िद क्यों? इधर देखो......तुम पहली लड़की हो जिस ने मुझे इस तरह प्रभावित किया है वरना आज तक कोई लड़की मेरी ज़िंदगी मे दखल नहीं दे सकी."

जूलीया ने अपने दोनों कानों मे उंगली डाल ली और बाली ने बुरा सा मूह बना कर कहा.

"अच्छी बात है अब देखोगी."

उस की ये बात सुन कर जूलीया ने अपने चेहरे से परेशानी प्रकट नहीं होने दी.

बाली थोड़ी देर कुच्छ सोचता रहा फिर उस के होंठो पर हल्की सी मुस्कुराहट दिखाई दी.

"क्या तुम इन्हें जानती हो?" उस ने बेहोश आदमियों की तरफ इशारा करते हुए पुछा.

जूलीया ने कानों से उंगलियाँ निकाल लीं और बोली...."मैं क्या जानूँ."

"हलाकी तुम जानती हो." बाली मुस्कुराया.

"अगर जानती भी हूँ तो मुझे इस से क्या इंटेरेस्ट हो सकती है?"

"तुम्हारी दिलेरी मुझे पसंद है. तुम ख़तरों मे घिर कर भी अपने को संयमित रखती हो......और मैं भी ऐसा ही हूँ. अच्छा तो सुनो. आज
इस पादरी का खेल ख़तम हो रहा है. आज जंगल की रूहे अंतिम बार चीखेंगी."

"मैं नहीं समझी."

"तुम इस आदमी को ज़रूर पहचानती होगी." उस ने पादरी स्मिथ की तरफ इशारा किया.

"शायद.....मैं ने इस की तस्वीर कोठी मे देखी थी."

"यस......ये पादरी स्मिथ है. आज मैं इसे पोलीस के हवाले कर रहा हूँ. और ये दूसरा आदमी उस का सेक्रेटरी है." बाली बाईं आँख दबा कर बोला. "पोलीस इस की तलाश मे थी. इस लिए मेरा फ़र्ज़ है कि इसे क़ानून के हवाले कर दूं. बस जहाँ ये जैल मे पहुँचा......जंगलों मे
चीखने वाली रूहे हमेशा हमेशा के लिए खामोश हो जाएँगी. लेकिन आज तो उन्हें चीखना ही पड़ेगा. केयी दिनों से खामोश रही हैं. पहले
तो वो किसी अजगर की तरह फुफ्कार्ति थीं......मगर आज अनगिनत रूहे चीखेंगी. समझ रही हो ना मतलब?"

"बिल्कुल नहीं......पता नहीं तुम क्या कह रहे हो. क्या ये सच है कि वो बुरी रूहे पादरी स्मिथ के क़ब्ज़े मे थीं?"

"बुरी रूहे....?" बाली ने ठहाका लगाया. "क्या तुम जैसी चालाक और जीनियस लड़की भी इतनी सीरियस्ली बुरी रूहों की बात कर सकती हैं?"

"मगर इसे पोलीस के हवाले क्यों कर रहे हो?" जूलीया ने पादरी स्मिथ की तरफ इशारा कर के कहा.


(जारी)
 
"इस लिए कि ये पोलीस की निगाहों मे आ गया है. और तुम हमारे बिज़्नेस के बारे मे जानती ही हो. चूँकि हमें इसके लिए जंगल को इस्तेमाल करना पड़ता है......इस लिए हम ने जंगल को बुरी रूहों से भर दिया. धीरे धीरे आइलॅंड की पोलीस होशियार होती गयी. इस गधे स्मिथ से कयि ऐसी मुर्खताये हुईं जिन के कारण पोलीस पूरी तरह हमारी रूहों मे इंटेरेस्ट लेने लगी. अब अगर हम इसे क़ानून के हवाले कर दें तो पोलीस पूरी तरह संतुष्ट हो जाएगी......चैन से एक साइड बैठ जाएगी. और हम अपना काम जारी रख सकेंगे. प्रेज़ेंट सिचुयेशन मे हमारा
काम करना असंभव सा हो गया है.....और हम जंगल का इस्तेमाल भी नहीं कर सकते. क्योंकि रात को पोलीस यहाँ गश्त करती रहती है
. अभी कुच्छ देर पहले जब तुम यहाँ लाई जा रही थीं......तो तुम ने पोलीस की सीटी ज़रूर सुनी होगी. मेरे आदमियों को भागना पड़ा था
और तुम बेहोश हो गयी थीं. और ये बहुत अच्छा हुआ कि पोलीस तुम्हारी तरफ नहीं आई......वरना तुम बहुत परेशानी मे पड़ जाती."

बाली तेज़ी से दरवाज़े की तरफ मुड़ा क्यों की अभी अभी एक आदमी कमरे मे घुसा था जिस के चेहरे पर नक़ाब नहीं थी.

"क्या खबर है?" बाली ने तेज़ नज़रों से उसे देखते हुए पुछा.

"काले आदमी को पकड़ लिया गया है लेकिन वो नहीं मिला. उस ने मिकेल से ठिकाने का पता पुछा था."

"ठिकाने का पता....?" बाली हंस पड़ा. "ओह्ह....तो वो इस ठिकाने का पता पुछ रहा था. डीटेल से बताओ."

आने वाला बताने लगा.

बाली ने पूरी रिपोर्ट सुन कर कहा "वो चालाक है....कोकीन के बारे मे उस ने केवल अनुमान से कहा होगा.....लेकिन उस का अनुमान
ग़लत नहीं है. तो फिर मिकेल ने तो उस को उसी गुफा का पता बताया होगा जहाँ से उन लोगों को कोकीन मिलती है. ओके...."

अचानक मेज़ पर पड़े आदमियों मे से एक ने करवट ली और एक नक़ाब पॉश उसे संभालने के लिए झपटा. इस के बाद एक और नक़ाब पॉश भी आगे बढ़ा और दोनों ने बेहोश आदमी को संभाल कर फिर ऐसी पोज़िशन मे लिटा दिया कि वो नीचे ना गिरे.

बाली उन की तरफ ध्यान दिए बिना कह रहा था "जाओ....उन गुफ़ाओं के आस पास ही उसे तलाश करो. उस का पकड़ा जाना बहुत ज़रूरी है. तुम दोनों यहीं ठहरो...."

उन दोनों नक़ाब पोशो के अलावा और सब चले गये जो बेहोश आदमी को संभालने के लिए मेज़ तक आए थे. बाली फिर जूलीया की तरफ मुड़ा. कुच्छ पल घूरता रहा फिर बोला...."तो तुम मेरी उस प्रस्ताव को रद्द करती हो.....क्यों?"

"मैं उसे ठुकराती हूँ." जूलीया ने नफ़रत से होंठ सिकोड कर कहा.

"अच्छी बात है......तो अब देखो.......मैं तुम्हें....." उस ने निचला होंठ दाँतों मे दबा लिया और फिर दोनों नक़ाब पोशो की तरफ मूड कर बोला...."दूसरे कमरे मे जाओ."

दोनों दरवाज़े की तरफ बढ़े......और जूलीया ने मुत्ठियाँ भींच लीं. एकदम ऐसा ही लग रहा था जैसे कोई बिल्ली किसी तंदुरुस्त कुत्ते से भीड़ जाने का इरादा कर बैठी हो.

लेकिन उस ने देखा कि एक नक़ाब पोश जैसे ही दरवाज़े से पार हुआ दूसरे ने दीवार से लगे हुए एक बटन को दबा दिया. हल्की सी खरख़्राहट के साथ दरवाज़ा बंद हो गया.

आवाज़ पर बाली उसकी तरफ मुड़ा.

"क्यों.....ये क्या हरकत है?" वो गुर्राया..."मैं ने तुम से जाने को कहा था."

"ऐसी सुंदर लड़की के रहते हुए मैं बाहर जा कर मक्खियाँ मारूँगा." नक़ाब पॉश ने उत्तर दिया.

"ओह्ह.....तेरी ये हिम्मत....!! तू होश मे है या नहीं? किस से बातें कर रहा है?"

"एक ऐसे गधे से जो सुंदर लड़कियों को अपनी जागीर समझता है."

"क्या बकता है...." बाली कंठ फाड़ कर दहाड़ा साथ ही उस ने रिवॉल्वार भी निकाल लिया......और उसको हिलाता हुआ बोला...."नक़ाब हटाओ."

"नक़ाब पॉश ने तुरंत पालन किया. बाली ने पलकें झपकाई. उस के माथे पर बाल पड़ गये थे.

"तुम कॉन हो?" उस ने भर्रायि हुई आवाज़ मे पुछा.

"पोलीस............तुम्हारा खेल ख़तम हो गया बाली. क़ानून के नाम पर रिवॉल्वार नीचे गिरा दो. मैं ऑर्डर देता हूँ."

"ऑर्डर.....हहा...." बाली ने रिवॉल्वार को देखते हुए ठहाका लगाया. फिर दहाड़ा...."अपने हाथ उपर उठाओ."

"इंपॉसिबल.....मेरे हाथ केवल अपराधियों पर उठते हैं."

"तो फिर मैं तुम्हें मार ही डालूँगा......लेकिन तुम आइलॅंड के पोलीस से तो नहीं हो सकते....."

"गुसतपो......पॅरिस....." अजनबी ने उत्तर दिया.

"हहा...." बाली ने ठहाका लगाया और साथ ही फिरे भी झोंक मारा. लेकिन वो आदमी तो कमरे के दूसरे भाग मे खड़ा हंस रहा था.

बाली ने उसे आँखें फाड़ कर देखा......और इस के बाद एक के बाद एक तीन फाइयर किए लेकिन अजनबी ने ऐसी उच्छल कूद मचाई
की बाली की आँखें हैरत से फटी रह गयीं. रिवॉल्वार मे अब दो ही गोलियाँ बचे थे और बाली के माथे पर पसीने की नन्ही नन्हीं बूँदें फूट
आई थीं.
'
दो गोलियों मे से केवल एक ही उस के लिए काम का हो सकता था......वो चाहता तो बिजली के बल्ब पर फाइयर कर के कमरे मे अंधेरा कर सकता था. इस तरह से भाग निकलने का मौका मिल सकता था. लेकिन उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो गयी थी. उस ने वो दोनों कारतूस भी अजनबी पर बर्बाद कर दिए.

और ठीक उसी समय जब वो खाली रिवॉल्वार अजनबी पर फेंक मारना चाहता था जूलीया ने उस की कमर पर एक ज़ोर की ठोकर मारा और वो मूह के बल फर्श पर गिर पड़ा.

शायद फाइयर की आवाज़ें इसी कमरे तक सीमित रही थीं वरना दूसरा नक़ाब पॉश निश्चित रूप से यहाँ आया होता. अंडर-ग्राउंड वैसे भी साउंड प्रूफ ही होते हैं.

"उठना बेकार है बाली...." अजनबी ने कहा. "अच्छा यही होगा कि ये हसीन लड़की अभी तुम से कुच्छ और मुहब्बत करे."

बाली ने लेटे ही लेटे अजनबी पर छलान्ग लगाई.....लेकिन वो पिछे हट गया. परिणाम-स्वरूप बाली को फिर मूह के बल फर्श पर आना पड़ा. इतने मे दीवार से लगी एक घंटी बजी लेकिन बाली उस से बेपरवाह हो कर ताज़ा हमले की तैयारी मे था. अजनबी इस समय बंद गेट के सामने ही था......और उस की नज़र बाली पर जमी हुई थी.

अचानक गेट सरकने लगा और एक नक़ाब पॉश ने उस पर छलान्ग लगाई. अजनबी को संभलने का मौका नहीं मिल सका. वो दोनों फर्श पर गिरे. दूसरे ही पल बाली भी टूट पड़ा.

जूलीया की समझ मे नहीं आया कि उसे क्या करना चाहिए. दूसरे नक़ाब पॉश के आने का पता उसे भी ना हो सका था.

अब उसे आशा नहीं थी कि अजनबी संभाल सकेगा. क्यों कि बाली भी उस पर टूट पड़ा था. और अजनबी दोनों के नीचे था.

एका-एक उस ने बाली की कराह सुनी और दूसरे ही पल वो अजनबी के नीचे दिखाई दिया. वो उस के सीने पर सवार था और दूसरे नक़ाब पॉश को हाथों पर उठाने की कोशिश कर रहा था. ये सब कुच्छ इतनी जल्दी हुआ था कि जूलीया को इसका अनुमान भी नही हो सका कि ये सब हुआ कैसे.

देखते ही देखते उस ने दूसरे नक़ाब पॉश को उछाल दिया जो दीवार से टकरा कर किसी चोट खाए हुए भैंसे की तरह डकार रहा था.

पता नहीं अब उस मे दुबारा उठने की शक्ति नहीं रह गयी थी या और पिटना नहीं चाह रहा था. हो सकता है कि बेहोश ही हो गया हो....क्योंकि उस का सर बहुत ज़ोर से दीवार से टकराया था.

इस के बाद वो बाली को रगड़ता रहा. बाली उठ जाने के लिए पूरी शक्ति लगा रहा था लेकिन सफल नहीं हो रहा था.

"लड़की क्या तुम इस से मुहब्बत नहीं करोगी?" अजनबी ने जूलीया से कहा "सॅंडल उतारो और स्टार्ट हो जाओ."

जूलीया जो बुरी तरह झल्लाई हुई थी सच मूच बाली पर टूट पड़ी. कुच्छ ही देर मे उस की नाक से खून बह चला.

"अर्रे.....क्या कीमा बना कर रख दोगि?" अजनबी ने धीरे से कहा...."मेरे काम के लायक भी रहने दो."

जूलीया बौखला कर पिछे हटी......और इस तरह आँखें फाड़ फाड़ कर अजनबी को घूर्ने लगी जैसे उस ने उसे थर्ड वर्ल्ड वॉर स्टार्ट हो जाने की खबर सुनाई हो.


(जारी)
 
और फिर उस ने उसे पहचान लिया. ये इमरान के अलावा और कों हो सकता था. इमरान जो बाली के नक़ाब पोशो मे से एक था.

बाली के हाथ पैर सुस्त पड़ते जा रहे थे. इमरान उसे छोड़ कर हट गया.....लेकिन बाली ने उठने की कोशिश नहीं की.

"तो अब समय क्यों बर्बाद कर रहे हो?" जूलीया जल्दी से बोली "कहीं वो वापस ना आ जाएँ."

"नहीं.......वो इमरान को खोज कर साथ लिए बिना वापस नहीं आएँगे." इमरान एक आँख दबा कर बोला.

बाली हैरत से आँखें फाडे उसे देख रहा था.

"तुम.....तुम........ओह्ह......" उस ने उठने की कोशिश की और इमरान ने खुद ही उसका कॉलर पकड़ कर उठा दिया.

"यस बाली........अब बताओ." उस ने कहा "अगर अभी कसरत से दिल नहीं भरा तो फिर शुरू हो जाओ.....चलो."

लेकिन बाली मे शायद अब हिम्मत और शक्ति दोनों नहीं रह गयी थी. उस के होंठो पर फीकी सी मुस्कुराहट दिखाई दी और उस ने धीरे
से कहा "तुम बहुत नुकसान मे रहोगे. यहाँ की पोलीस तुम्हें किसी तरह भी नहीं छोड़ोगी तुम अब भी हमारी दया पर हो."

"सुनो बाली..........मैं बोघा को मुर्गा बनाने का इरादा लेकर घर से निकला हूँ. इस लिए मुझे धमकियाँ देने की कोशिश मत करो."

"अगर तुम पोलीस के सामने बोघा का नाम लोगे तो यही समझा जाएगा कि तुम्हारा मानसिक संतुलन बिगड़ गया है. क्यों कि पोलीस किसी ऐसे आदमी की अस्तित्व से परिचित नहीं है जिस का नाम बोघा हो. और फिर तुम अपनी असलियत तो प्रकट कर ही नहीं सकोगे. इस लिए तुम्हें सारी ज़िंदगी जैल ही मे काटनी पड़ेगी. क्या समझे?"

"चलो...." इमरान ने उसे मेज़ की तरफ धक्का दिया......और वो लरखड़ाता हुआ आगे बढ़ गया. वो लंगड़ा भी रहा था. शायद पैर मे मोच आई थी.

मेज़ के निकट पहुँच कर पलटा ही था कि इमरान ने लपक कर उस की गर्दन पकड़ ली.

"मैं इन दोनों की असली शकलें(रियल फेसस) देखना चाहता हूँ." इमरान ने मेज़ पर पड़े हुए बेहोश आदमियों की तरफ देख कर कहा.

"असली शकलें?" बाली ने भर्रायि हुई आवाज़ मे दुहराया.

"हां.....असली शकलें....तुम किसी मूर्ख व्यक्ति को और भी मूर्ख बनाने की योग्यता नहीं रखते. चलो जल्दी करो......इन के चेहरों से मेक-
अप ख़तम करो......पता नहीं बोघा के सारे नौकर तुम्हारी तरह गधे हैं या उन मे से कोई अकल भी रखता है."

"पता नहीं क्या बक रहे हो? ये इन की असली ही शकलें हैं." बाली ने कहा और फिर इमरान से लिपट पड़ा. इस बार वो जान की बाज़ी लगा कर हमला कर रहा था. कुच्छ पल के लिए तो इमरान भी चकरा गया. एकदम से ऐसा लग रहा था जैसे ये कोई दूसरा आदमी हो.....बाली ना हो जिसे कुच्छ देर पहले उस ने किसी चूहे की तरह रगड़ा था.

इधर इमरान को बाली से उलझा छोड़ कर जूलीया बेहोश आदमियों की तरफ अट्रॅक्ट हुई. सब से पहले उसका हाथ पादरी स्मिथ की दाढ़ी पर पड़ा और वो बहुत आसानी से उखड़ती चली गयी. कमरे मे ही एक बॉटल मे पानी रखा हुआ था. जूलीया उसे उठा कर मेज़ की तरफ आई.

फिर जल्दी ही वो किसी हद तक उनका मेक-अप समाप्त कर देने मे सफल हो गयी. लेकिन हैरत की अधिकता के कारण उस की
आँखें उबली पड़ रही थीं. क्यों कि ये सफदार और चौहान थे.

उस ने मूड कर उन दोनों की तरफ देखा जो अभी तक एक दूसरे से भिड़े हुए थे. वो उलझन मे थी कि आख़िर इमरान जल्दी से ये किस्सा ख़तम क्यों नहीं कर देता. उसे दूसरे नक़ाब पोषों की वापसी की आशंका थी.

अचानक इमरान ने बाली को भी हाथों पर उठा लिया और बाली अनायास चीखा "नहिन्न्न.....नहिंन्न्न्..."

अब उस मे और अधिक संघर्ष करने की शक्ति नहीं थी. नाक से खून लगातार बहे जा रहा था.

इमरान ने उसे धीरे से फर्श पर खड़ा कर दिया.

"सुतरां कहाँ है?" उस ने पुछा.

"जंगल मे." बाली हांफता हुआ बोला. "लेकिन तुम्हें उस से कोई मतलब नहीं होनी चाहिए."

"हलाकी यूँ उसे इसी लिए पकड़ ले गये थे कि मेरे बारे मे पता कर सको. तुम्हें संदेह था कि वो नौकर जिस ने तुम पर हमला किया था वो मैं ही हो सकता हूँ...........बोघा कहाँ है?"

"मैं नहीं जानता...."

"तुम बिल्कुल मूर्ख हो. बोघा एक अत्यंत सेल्फिश आदमी है. तुम्हें पता होगा कि वो अपने आदमियों को शतरंज के मोहरों से अधिक महत्त्व नहीं देता."

इमरान ने उन आदमियों का रिफ्रन्स दिया जिन्हें बोघा ने बलि का बकरा बना कर इमरान और उस के साथियों को फांसा था. "वो आज भी हमारे देश के किसी जैल मे एडियाँ रगड़ रहे होंगे." उस ने लंबी साँस ले कर कहा...."और एक दिन यही हशर तुम्हारा भी होगा. एकदम
ऐसा ही. क्या समझे? मैं जा रहा हूँ. मुझे कोई भी नहीं रोक सकेगा. लेकिन अगर मैं निकल गया तो क्या बोघा तुम्हें ज़िंदा छोड़ेगा? कभी नहीं
. वो या तो तुम्हें ख़तम करा देगा या तुम लटोशे की जैल मे सड़ जाओगे."

बाली कुच्छ ना बोला.....वो घुटनों पर सर रख कर उकड़ू बैठ गया था.

"याइ.....ये सफदार और चौहान....." जूलीया ने भर्रायि हुई आवाज़ मे कहा.

"मैं जानता था....." इमरान बोला "ये भी केवल संयोग ही है कि इस समय मैं उसी राह पर आ लगा वरना ये दोनों कुच्छ देर बाद पोलीस
की हिरासत मे होते......क्या तुम बता सकती हो कि इस समय कहाँ हो?"

"मैं नहीं जानती."

"स्मिथ की कोठी वाले तहख़ाने मे और उपर पोलीस मौजूद है. प्रोग्राम ये था कि हमें और कुच्छ स्मगल किया हुआ समान यहाँ छोड़ कर भाग जाते और ऐसी हरकतें करते कि पोलीस को तहख़ाने का रास्ता पता चल जाता. हम पकड़े जाते लेकिन पोलीस को अपनी असलियत नहीं बता सकते. पोलीस हमें जैल मे डाल कर निश्चिंत हो जाती कि पादरी स्मिथ का किस्सा ख़तम हो गया. और पादरी स्मिथ का मेक-अप हमारे लिए और भी उलझन पैदा कर देता. पोलीस ये समझती कि कोई ना-मालूम आदमी पादरी स्मिथ के भेष में उन्हें शुरू से ही धोका देता रहा है. अगर हम अपनी असलियत बताते तो हमारी सरकार और फ्रॅन्स की सरकार के बीच संबंध खराब हो जाते. यही एक पॉइंट ऐसा था जिस के आधार पर बोघा ने इतना कष्ट झेल कर हमें यहाँ लाने का प्रोग्राम बनाया था. अगर इस काम के लिए किसी और को फाँसता तो वो बोघा और उसके ऑर्गनाइज़ेशन का नाम ज़रूर लेता. या अगर वो उस से अंजान होता तो खुद उसके बारे मे छान बिन कर के पोलीस सॅटिस्फाइड हो ही सकती थी लेकिन हम अपना अता-पता क्या बताते. हम अगर बोघा का नाम लेते भी तो अपने बारे मे क्या बताते. ज़ाहिर है की इस से बोघा का काम निकल जाता......और एक दुश्मन भी कम हो जाता. लेकिन अब ये बाली........जगह लेगा स्मिथ की........."

"नहीं......नहिन्न्न...." बाली एका-एक अपना सर उठा कर बोला. "तुम ऐसा नहीं कर सकते."

"अभी बताता हूँ कि ये मेरे लिए कितना आसान है. मैं देख रहा हूँ कि यहाँ इस कमरे मे मेक-अप का समान अवेलबल है. मैं तुम्हें बेहोश कर दूँगा और सुतरां का पता मुझे ये बताएगा....." इमरान ने बेहोश नक़ाब-पॉश की तरफ इशारा करते हुए कहा.


(जारी)
 
इमरान ने बेहोश नक़ाब-पॉश की तरफ इशारा करते हुए कहा. ये मुझे उस जगह निश्चित रूप से पहुँचाएगा जहाँ तुम ने सुतरां को रोक रखा
है. सुतरां की बेटी पोलीस को इनफॉर्म कर चुकी है कि सुतरां गायब है और उस से तुम्हारा झगड़ा हुआ था. सुतरां तुम्हारी क़ैद से रिहा हो कर सीधा पोलीस स्टेशन जाएगा और पोलीस को एक इंट्रेस्टिंग कहानी सुनाएगा. यही कि आज शाम को वो अपने फिशिंग बोट्स को देख भाल कर के वापसी मे जंगल से गुज़र रहा था कि उस ने कुच्छ आदमियों को कुच्छ भारी थैले उठाए हुए देखा जो एक पथरीली दरार से गुज़र कर जंगल मे प्रवेश कर रहे थे.......और नीचे दरार के निकट एक बड़ा बोट पानी मे रुका हुआ था. उन लोगों ने सुतरां को पकड़ लिया और इस तहख़ाने मे ले आए. यहाँ पादरी स्मिथ मौजूद था. वो उन लोगों पर बहुत बिगड़ा.....की वो सुतरां को यहीं क्यों लाए......वहीं कहीं मार कर डाल दिया होता. वो उन्हें बुरा भला कहता रहा और इसी पर इतनी बात बढ़ी कि वो आपस मे झगड़ा कर बैठे. कुच्छ आदमी स्मिथ का
फेवर कर रहे थे और कुच्छ विरोध. उन मे मार पीट होने लगा......इतनी अधिक लड़ाई हुई कि कयि ज़ख़्मी हो गये.......और सुतरां लकड़ियों के उन बॉक्सस के पिछे छुप गया. कुच्छ देर बाद शोर थमा और वो सुतरां के बारे मे बात करने लगे. फिर किसी ने कहा शायद वो निकल गया. अब वो उसके बारे मे चिंतित हो गये. उन्होने आपस मे तय किया कि सुतरां को पोलीस तक पहुँचने ना दिया जाए.......वरना सब
पकड़े जाएँगे. सुतरां ने आवाज़ों से अनुमान लगाया कि वो सब चले गये हैं. वो जब बॉक्सस के ढेर से बाहर निकला तब उसकी नज़र स्मिथ पर पड़ी......जो ज़ख़्मी हो कर वहीं बेहोश पड़ा रह गया था. और अब चलिए हुज़ूर वहाँ उस तहख़ाने मे मैं ने सोने के ढेर भी देखे हैं."

बाली बौखला कर खड़ा हो गया. उस के होंठ एक दूसरे पर मज़बूती से जमे हुए थे. साँस फूल रही थी. आँखें बाहर निकली जा रही थीं.

इमरान उस के चेहरे के पास उंगली नचा कर बोला "और तब कितना मज़ा आएगा दोस्त...........जब स्मिथ की दाढ़ी के पिछे से बाली का चेहरा निकलेगा."

"नहीं.....नहीं...." बाली सर पकड़ कर बैठ गया.

"तुम लोगों की स्कीम तो यही थी कि हम खुद ही जाल मे फँस जाएँ." इमरान मुस्कुराया "लेकिन ऐसा ना हो सका. तुम समझते थे कि हम सब जाली करेन्सी नोट जेबों मे ठूंस कर खुशियाँ मनाते फिरेंगे लेकिन अफ़सोस कि केवल बोघा की बेटी और दामाद ही इस चक्कर मे आए. तुम समझे थे कि हम भी पकड़े जाएँगे और उसी बदनाम कोठी का पता बताएँगे लेकिन अपने बारे मे कुच्छ ना बता सकेंगे. तुम लोग कोठी से कुच्छ स्मगल किया हुआ समान भी बरामद करवा देते............जो हमारो ताबूतों मे अंतिम कील साबित होती. और उस के बाद ही जंगल
की रूहे चीखना बंद कर देतीं. मगर वो बड़े शानदार रेकॉर्डरर्स हैं जिन की आवाज़ें लाउड स्पीकेर्स से जंगल मे फैलाते हैं. शायद ये
सारा समान जंगल ही मे किसी गुफा मे होगा......क्यों? एनीवे जब आवाज़ें बंद हो जातीं तो पोलीस यही समझती कि उसने असली मुजरिमों
का सफ़ाया कर दिया है.......है ना यही बात? या फिर ये करते की हम मे से किसी को काबू मे कर के इसी तरह स्मिथ बना देते जैसे
मेरे साथी चौहान को इस समय बनाया था.....और वो बेहोशी की हालत मे ही पोलीस की हिरासत मे पहुँचा दिया जाता. था.....लेकिन अब तुम तैयार हो जाओ बाली..........पासा पलट गया.....मैं इस समय मास्टर ऑफ सिचुयेशन हूँ......और ये तुम्हारे आदमी तो चूहों की तरह भागते फिरेंगे. मुझे दुख है की बोघा ने तुम्हें मेरे बारे मे अंधेरे मे रखा.......वरना तुम कम से कम मुझ से भिड़ने की ज़िम्मेदारी नहीं लेते."

"समझोता कर लो..." अचानक बाली दोनों हाथ उठा कर बोला.

"हंप....." इमरान ने सोचने के अंदाज़ मे अपनी आँखें सिकुडाइ और फिर हंस पड़ा.

"भला तुम से समझौते का क्या रूप होगा....?"

"मैं वादा करता हूँ कि तुम लोगों को यहाँ से निकाल दूँगा."

"और दो-तीन दिन मेरी मेज़बानी करोगे." इमरान मुस्कुराया.

"यस.....मैं वादा करता हूँ."

"अभी और इसी समय तुम्हें मेरे साथ पोर्ट सयीद चलना पड़ेगा. मैं जानता हूँ कि तुम्हारा एक स्टीमर बंदरगाह पर खड़ा है. वो पोर्ट साइड की तरफ जाएगा."

"इंपॉसिबल......तुम बंदरगाह से स्टीमर तक कैसे पहुँचोगे?"

"मैं ये भी जानता हूँ कि जंगल के एक दुर्गम भाग मे एक पथरीली दरार मे तुम्हारी लॉंच हर समय तैयार रहती है......जो आइलॅंड से
5 किलोमेटेर की दूरी पर स्टीमर्स से संपर्क कर सकती है......क्या हम लोगों को लाने के लिए यही तरीका नहीं अपनाया गया था?"

"मगर मुझ मे चलने फिरने की शक्ति नहीं है."

"ये लड़की तुम से मीठी मीठी बातें करती चलेगी......चिंता मत करो. सुंदर नारियाँ तो मुर्दों मे भी जान डाल देती हैं......दादा जी कहा करते थे."

जूलीया जो इस बीच लगातार सफदार और चौहान के चेहरों पर पानी के छिन्टे देती रही थी.....खुशी भरे लहजे मे बोली...."ये होश मे आ रहे हैं."

कुच्छ देर बाद बाली को इमरान की बात पर राज़ी होना पड़ा. इमरान ने अपने चेहरे पर नक़ाब लगा लिया. सफदार और चौहान अब पूरी तरह होश मे आ गये थे.

"मगर तुम मेरे आदमियों मे कब और कैसे आ मिले थे?" बाली ने पुछा.

"पहले तुम बताओ कि इस तरह जंगल मे जूलीया से परेड क्यों करा रहे थे?"

"तुम्हें फसाने के लिए....मुझे विश्वास था कि तुम सुतरां की तलाश के लिए ज़रूर निकलोगे. मुझे सुतरां के नौकर ने जिस आदमी का
हुलिया बताया था उस से मैं ने अंदाज़ लगा लिया था कि वो तुम ही हो सकते हो. सुतरां को इसी लिए पकड़ा था कि तुम उसे तलाश करने जंगल मे आओगे."

"और फिर तुम्हारे आदमियों ने सीटी की आवाज़ सुनी." इमरान बाई आँख दबा कर बोला. "हलाकी वो मेरी ही कंठ से निकली थी."

"नहीं...." बाली के चेहरे पर हैरत भरी बौखलाहट थी.

"बोघा तो गधा है ही......तुम्हें क्या कहूँ....." इमरान मुस्कुरा कर बोला. "जूलीया जहाँ बेहोश पड़ी थी.....वहीं.....नज़दीक ही एक बड़े पत्थर की ओट मे मैं भी छुप गया. तुम कुच्छ देर बाद अपने आदमियों के साथ आए और तुम्हारे कुच्छ आदमी इधर उधर फैल कर पोलीस की आहट लेने लगे. एक भाग्यशाली मेरी तरफ भी आ निकला. बस फिर मैं ने इतनी सावधानी से उस की गर्दन दबाई कि वो हाथ पैर भी ना फेंक सका
. लेकिन मकसद केवल अपना बचाओ था क्यों की उस ने शायद मुझे देख लिया था. ये तो बाद मे पता चला की वो आदमी कितना इंपॉर्टेंट है. सब से काम की चीज़ उसका नक़ाब था. और तुम डरो नहीं......वो मरा ना होगा. बस ये नक़ाब मुझे यहाँ तक ले आई.....................और
हां आज मैं ने तुम्हारी सौतेली माँ से कुच्छ पैसे भी क़र्ज़ लिए थे.......नौकरी मिलते ही वापस कर दूँगा."

"ओह्ह......वो तुम ही थे...." बाली ने हैरत से कहा.

"हां.....कभी कभी मुझ से बुद्धिमानी का काम भी हो जाता है."

"क्या तुम मुझे इसी तरह सीधे चलने पर मजबूर करोगे?"

"बिल्कुल इसी तरह...." इमरान के कोट की जेब मे हाथ डाल कर रेवोल्वर की नाल उसकी बाई पसली से लगा दिया.


***
 
वो जंगल का एक गुफा ही था जहाँ जोसेफ मिला. उस के हाथ पिछे बँधे हुए थे और वो ज़मीन पर बैठा हुआ था.

सुतरां के बारे मे बाली ने बताया कि वो दूसरे गुफा मे रखा गया है. लेकिन उसे पता नहीं कि उसे बाली ने ही पकड़वाया है. उस के आदमी उसे गुफा तक ऐसे लाए थे कि उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी गयी थी. और उसे उसी तरह यहाँ से निकाला भी जाएगा ताकि वो किसी के बारे मे बता नहीं सके.

एनीवे.....सुतरां को छोड़ दिया गया.....लेकिन इमरान उस से नहीं मिला......और ज़रूरत भी क्या थी. वो यहाँ फ्रेंडशिप मिशन पर तो आया नहीं था......की विदाई के समय मिलना ज़रूरी हो.

बाली अपने आदमियों से कह रहा था "उपर के ऑर्डर्स कभी कभी अत्यंत कष्ट दायक होते जाते हैं. अब शायद स्कीम बदल दिया गया है. अभी अभी संदेश प्राप्त हुआ है कि प्रेज़ेंट स्कीम को छोड़ कर के क़ैदियों को पोर्ट सयीद पहुँचा दिया जाए. इस लिए मैं इन्हें ले जा रहा हूँ.
इमरान नहीं मिल सका. उसकी तलाश मेरे नहीं रहने पर भी जारी रखा जाए.......जाओ अब तुम सब अपने अपने ठिकानो पर जाओ."

वो सब चले गये. बाली थोड़ी देर खामोश खड़ा रहा फिर बोला. "अब तो रिवॉल्वार जेब मे रख लो."

"जब तक तुम भी मेरे साथ स्टीमर पर सवार नहीं हो जाते तब तक ऐसा संभव नहीं है." इमरान सर हिला कर बोला...."और स्टीमर पर भी हम दोनों हर समय साथ ही रहेंगे. एक ही कॅबिन मे सोएंगे. तुम से कुच्छ ऐसी ही मुहब्बत हो गयी है......कि एक सेकेंड की भी जूदाइ मेरा कलेजा फाड़ कर रख देगी. क्या समझे प्यारे....."

इस बीच इमरान खुले आम रिवॉल्वार ले कर खड़ा रहा था. प्रकट मे ऐसा लगता था कि वो जूलीया सफदार और चौहान को कवर कर रखा
हो लेकिन बाली अच्छी तरह जानता था कि अगर उस से थोड़ी सी भी ग़लती हो गयी तो खुद उसी का सीना छल्नी हो कर रह जाएगा.

वो नक़ाब निश्चित रूप से बड़े काम की निकली थी......जो इमरान ने बाली के ही एक साथी के चेहरे से उतारी थी. बाली के साथी उसे
अपनों ही मे से कोई व्यक्ति समझ रहे थे.......और शांति से चले भी गये थे. अगर उन्हें थोड़ा भी संदेह हो जाता तो पासा पलट भी सकता था.

बाली ने एक बार फिर कोशिश की कि इमरान उसी समय डिपार्चर के लिए ज़िद नहीं करे लेकिन इमरान नहीं माना. बाली ने बताया कि स्टीमर खुलने मे अभी 2 घंटे बाकी हैं......इस लिए उसे कम से कम घर जाने का मौका तो मिलना ही चाहिए.

"लॉंच पर बैठ कर वेट कर लेंगे." इमरान ने कहा. "वरना कहीं तुम्हें घर पहुँच कर नींद आ गयी तो हम फिर से अनाथों की तरह बिलबिलाते फिरेंगे."

फिर वो सब कुच्छ देर बाद ही लॉंच मे पहुँच गये.......जिस की चर्चा इमरान ने किया था. रिवॉल्वार अब भी बाली की कमर से लगा हुआ था.

"बोघा...." बाली बड़बड़ाया...."वो सच मूच सेल्फिश है. उसे अपने आदमियों की थोड़ी भी फिकर नहीं होती."

"क्या हम लोगों के यहाँ पहुँच जाने के बाद भी तुम्हें बोघा से कुच्छ निर्देश मिले थे?"

"नहीं.....मुझे इस पर भी हैरत है. ऐसा कभी नहीं हुआ कि......संदेश किसी दिन भी नागा हुआ हो. ये पहला मौका है कि कयि दिन उस
ने ट्रांसमीटर पर लटोशे को संबोधित नहीं किया है."

इमरान कुच्छ ना बोला. रात साएन्न....साएन्न कर रही थी. यहाँ पानी स्थिर था.

लगभग 2.30 बजे स्टीमर की सीटी सुनाई दी.....और बाली सम्भल कर बैठ गया. कुच्छ देर बाद उसके हाथों मे एक मोबाइल ट्रांसमीटर दिखाई दिया. वो कह रहा था "हेलो......जी....सिक्स फाइव........जी...सिक्स फाइव......थ्री...एट कॉलिंग......हेलो....इट ईज़ थ्री एट......सेवेंत पॉइंट
पर रूको......एमर्जेन्सी......यस....थ्री एट....."

लॉंच तैरने लगी. बाली ही उसे चला रहा था.

"हमारे इस तरह निकल जाने से तुम्हारा क्या अंजाम होगा?" इमरान ने पुछा.

"देखा जाएगा.....मुझे इस की चिंता नहीं है." बाली ने भर्रायि हुई आवाज़ मे कहा. "पोलीस के हाथों मे पड़ने से कहीं अच्छा है कि बोघा ही का कोई अग्यात एजेंट मुझे शूट कर दे. मैं लटोशे का एक प्रॉमिनेंट पर्सन हूँ. इतना बड़ा अपमान नहीं सह सकता कि पोलीस मुझ से पुच्छ ताच्छ करे......या मैं कोर्ट के कटघरे मे दिखाई दूं."

"लेकिन तुम अपना पेशा भी नहीं छोड़ सकते.....क्यों?"

"अब मुझे इसके बारे मे भी सोचना पड़ेगा."

स्टीमर तक पहुँचने मे एक घंटा लगा.
बाली ने एक बार फिर ट्रांसमीटर ही के द्वारा स्टीमर के कॅप्टन से बात की कि वो कुच्छ लोगों को पोर्ट सयीद तक पहुँचना चाहता है.

स्टीमर से रस्सियों की सीधी लटका दी गयी.


दा एंड
 
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