hotaks444
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मेरे पति पलंग पर पीछे सहारा ले कर बैठे थे और मैं उनके उपर, उनकी छाती का सहारा ले कर बैठी हुई थी. मेरे पैर फैले हुए थे. उनका एक हाथ मेरी चुचियों से खेल रहा था तो उनका दूसरा हाथ मेरी चूत से खिलवाड़ कर रहा था. मुझे उनके इस खेल मे बहुत मज़ा आ रहा था पर मैं जल्दी ही चुदाई के लिए गरम होने लगी. और उनकी इन सेक्सी हरकतों की वजह से हम दोनो फिर से एक बार हमारा पसंदीदा खेल चुदाई चुदाई खेलने को तय्यार थे.
मेरे कहने पर वो ज़मीन पर, फिर से आईने के सामने खड़े हो गये और मैं उनके सामने खड़ी हो गई. हम दोनो आईने मे अच्छी तरह नज़र आ रहे थे. मैने अपने हाथों से उनकी गर्दन का पिच्छला हिस्सा पकड़ा और उन्होने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर और गंद पकड़ी. फिर मैने एक छलाँग लगा कर, उनकी कमर को अपने पैरों से पकड़ लिया. मैं चाहती तो ये थी की मेरी इस हरकत से उनका तना हुआ लॉडा मेरी चूत मे एक झटके के साथ घुस जाए, मगर ऐसा नही हो सका. आप को मालूम ही है कि ये कितना मुश्किल काम है. अब मैं उनकी कमर को अपने पैरों से पकड़ कर लटकी हुई थी और उनके दोनो हाथ मेरी गंद के नीचे थे जो मुझे संभाले हुए थे. इसी तरह बिना उनका लंड पकड़े, उन्होने और मैने, दोनो ने, उनका लंड अपनी चूत मे डालने और डलवाने की कोशिश की. मैने कई बार अपनी नंगी गंद उपर नीचे की पर उनका लॉडा मेरी चूत मे ना घुस कर इधर उधर हो जाता. अंत मे मैने अपना एक हाथ उनकी गर्दन से हटाया और उनका टनटनाता हुआ लॉडा पकड़ कर अपनी रसीली गरम चूत मे घुसाया. मैने फिर से अपने हाथों से उनकी गर्दन पकड़ ली. मैं जैसे उनकी गर्दन मे अपने हाथ डाल कर, उनके हाथों पर अपने गंद रख कर बैठी हुई थी और मेरी चूत मे था उनका लंबा मोटा चुदाई का औज़ार, उनका लॉडा. मैने अपनी गंद कुछ इस तरह से हिलाई और उन्होने भी अपनी कमर इस तरह अड्जस्ट की, के अब उनका लॉडा मेरी चूत मे पूरी तरह घुस चुका था और हम चुदाई के लिए पूरी तरह तय्यार थे. उनके उपर लटकी हुई मैं अब अपनी गंद उछाल उछाल कर हिला रही थी और इस तरह उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होता हुआ मुझे चोद्ने लगा, मेरी चूत को चोद्ने लगा. हम दोनो ने ही आईने मे अपने आप को चोद्ते और चुद्वाते हुए देखा. हम दोनो को ही अपने आप को देखते हुए चुदाई का आनंद आने लगा. मैं अपनी नंगी, गोल गोल गंद उनके हाथों पर रखे हुए उन के लौडे पर नाच रही थी और इस तरह उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा.
इस बार मैं चाहती थी कि उनके लौडे का प्रेम रस, चुदाई का पानी मेरे साथ ही निकले, क्यों कि मैं तो तीन बार झाड़ चुकी थी पर उनके लंड से अभी तक केवल एक बार ही पानी निकला था. मैं चाहती थी कि अपने लंड रस से मेरी चूत को पूरी भर दें. मैं अपने छूटने झड़ने की तरफ बढ़ रही थी पर मैने अपना पूरा ज़ोर अपने आप को झड़ने से रोकने मे लगा दिया और चाहती थी कि मुझे झड़ने मे जितनी देर हो उतना ही ठीक है ताकि वो मेरी चूत मे अपने लंड का पानी मेरे झड़ने के साथ ही छ्चोड़ें. मैने महसूस किया कि उनको इस तरह खड़े खड़े, मुझे हाथों मे उठा कर चोद्ने मे थोड़ी तकलीफ़ हो रही है तो मैने उन से पलंग पर चलने को कहा.
बिना अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाले, वो मुझे पलंग तक ले आए. मैं उसी तरह उनका लंड अपनी चूत मे लिए बिस्तर पर लेट गई और अपने पैर चौड़े कर लिए. अब वो आसानी से मुझे पुर ज़ोर शोर से चोद्ने लगे. उनका लंड हमेशा की तरह मेरी चूत की गहराइयों मे जाता और फिर बाहर निकल आता. फिर अंदर जाता और फिर बाहर निकल आता. वो ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मुझे चोद्ने लगे और फिर से चुदाई का वोही संगीत फ़चा फॅक……….फ़चा फूच……फ़चा फॅक……….. रूम मे गूनगुनाने लगा. मेरी मस्त चुदाई हो रही थी…फाका फक…..फाका फक,,,,फाका फक. मेरी चूत इतनी बार झड़ने की वजह से इतनी गीली थी कि उनका इतना मोटा, इतना लंबा लॉडा भी मेरी चूत मे आराम से आ जा रहा था. उनकी चुदाई की रफ़्तार, उनके लौडे मे अधिक अकड़न और उनके सुपाडे को मेरी चूत मे आते जाते फूलते हुए महसूस करते हुए मैं समझ गई कि उनके लंड से पानी की धार निकालने मे ज़्यादा वक़्त नही है. मैं तो पहले से ही अपने झड़ने के करीब थी ही.
और हे भगवान…….. हम दोनो ही एक साथ ही ज़ोर से झाड़ गये, हमने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया और और उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों मे घुसा हुआ अपना लंड रस मेरी चूत मे बरसाने लगा. उनका लॉडा नाच नाच कर अपना गरम गरम रस मेरी चूत मे निकाल रहा था. वो मेरे उपर, अपना लॉडा मेरी चूत मे डाले, मुझे पकड़े हुए लेटे हुए थे और हम दोनो ही अपने अपने झड़ने का मज़ा ले रहे थे. मैने उनका मूह चूम लिया.
कुछ समय बाद, उन्होने धीरे से अपने नरम होते लंड को मेरी चूत से निकाला तो उसके साथ ही उनके लंड से निकला रस मेरी चूत से निकले रस मे घुल मिल कर बाहर आ कर मेरी गंद की तरफ बहने लगा.
हम दोनो फिर से एक बार बाथरूम मे आए और एक दूसरे के नंगे बदन को सॉफ किया. जब वो शवर के नीचे खड़े हुए थे तो उनके बदन पर गिरता पानी उनके लंड से बहने लगा जैसे वो मूत रहे हो. मैं अपने आप को रोक नही सकी और उनके नरम लंड से बहते पानी को पीने लगी.
अपना बदन सॉफ कर के हम वापस बेडरूम मे आए. बाहर अभी भी बरसात हो रही थी और बिजलियाँ कड़क रही थी. लेकिन हमारे अंदर का चुदाई का तूफान शांत हो चुका था.
बातें करते करते हम कब एक दूसरे के नंगे बदन को बाहों मे लिए सो गये, ये हमे पता ही नही चला.
क्रमशः...........................
मेरे कहने पर वो ज़मीन पर, फिर से आईने के सामने खड़े हो गये और मैं उनके सामने खड़ी हो गई. हम दोनो आईने मे अच्छी तरह नज़र आ रहे थे. मैने अपने हाथों से उनकी गर्दन का पिच्छला हिस्सा पकड़ा और उन्होने अपने दोनो हाथों से मेरी कमर और गंद पकड़ी. फिर मैने एक छलाँग लगा कर, उनकी कमर को अपने पैरों से पकड़ लिया. मैं चाहती तो ये थी की मेरी इस हरकत से उनका तना हुआ लॉडा मेरी चूत मे एक झटके के साथ घुस जाए, मगर ऐसा नही हो सका. आप को मालूम ही है कि ये कितना मुश्किल काम है. अब मैं उनकी कमर को अपने पैरों से पकड़ कर लटकी हुई थी और उनके दोनो हाथ मेरी गंद के नीचे थे जो मुझे संभाले हुए थे. इसी तरह बिना उनका लंड पकड़े, उन्होने और मैने, दोनो ने, उनका लंड अपनी चूत मे डालने और डलवाने की कोशिश की. मैने कई बार अपनी नंगी गंद उपर नीचे की पर उनका लॉडा मेरी चूत मे ना घुस कर इधर उधर हो जाता. अंत मे मैने अपना एक हाथ उनकी गर्दन से हटाया और उनका टनटनाता हुआ लॉडा पकड़ कर अपनी रसीली गरम चूत मे घुसाया. मैने फिर से अपने हाथों से उनकी गर्दन पकड़ ली. मैं जैसे उनकी गर्दन मे अपने हाथ डाल कर, उनके हाथों पर अपने गंद रख कर बैठी हुई थी और मेरी चूत मे था उनका लंबा मोटा चुदाई का औज़ार, उनका लॉडा. मैने अपनी गंद कुछ इस तरह से हिलाई और उन्होने भी अपनी कमर इस तरह अड्जस्ट की, के अब उनका लॉडा मेरी चूत मे पूरी तरह घुस चुका था और हम चुदाई के लिए पूरी तरह तय्यार थे. उनके उपर लटकी हुई मैं अब अपनी गंद उछाल उछाल कर हिला रही थी और इस तरह उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होता हुआ मुझे चोद्ने लगा, मेरी चूत को चोद्ने लगा. हम दोनो ने ही आईने मे अपने आप को चोद्ते और चुद्वाते हुए देखा. हम दोनो को ही अपने आप को देखते हुए चुदाई का आनंद आने लगा. मैं अपनी नंगी, गोल गोल गंद उनके हाथों पर रखे हुए उन के लौडे पर नाच रही थी और इस तरह उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा.
इस बार मैं चाहती थी कि उनके लौडे का प्रेम रस, चुदाई का पानी मेरे साथ ही निकले, क्यों कि मैं तो तीन बार झाड़ चुकी थी पर उनके लंड से अभी तक केवल एक बार ही पानी निकला था. मैं चाहती थी कि अपने लंड रस से मेरी चूत को पूरी भर दें. मैं अपने छूटने झड़ने की तरफ बढ़ रही थी पर मैने अपना पूरा ज़ोर अपने आप को झड़ने से रोकने मे लगा दिया और चाहती थी कि मुझे झड़ने मे जितनी देर हो उतना ही ठीक है ताकि वो मेरी चूत मे अपने लंड का पानी मेरे झड़ने के साथ ही छ्चोड़ें. मैने महसूस किया कि उनको इस तरह खड़े खड़े, मुझे हाथों मे उठा कर चोद्ने मे थोड़ी तकलीफ़ हो रही है तो मैने उन से पलंग पर चलने को कहा.
बिना अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाले, वो मुझे पलंग तक ले आए. मैं उसी तरह उनका लंड अपनी चूत मे लिए बिस्तर पर लेट गई और अपने पैर चौड़े कर लिए. अब वो आसानी से मुझे पुर ज़ोर शोर से चोद्ने लगे. उनका लंड हमेशा की तरह मेरी चूत की गहराइयों मे जाता और फिर बाहर निकल आता. फिर अंदर जाता और फिर बाहर निकल आता. वो ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मुझे चोद्ने लगे और फिर से चुदाई का वोही संगीत फ़चा फॅक……….फ़चा फूच……फ़चा फॅक……….. रूम मे गूनगुनाने लगा. मेरी मस्त चुदाई हो रही थी…फाका फक…..फाका फक,,,,फाका फक. मेरी चूत इतनी बार झड़ने की वजह से इतनी गीली थी कि उनका इतना मोटा, इतना लंबा लॉडा भी मेरी चूत मे आराम से आ जा रहा था. उनकी चुदाई की रफ़्तार, उनके लौडे मे अधिक अकड़न और उनके सुपाडे को मेरी चूत मे आते जाते फूलते हुए महसूस करते हुए मैं समझ गई कि उनके लंड से पानी की धार निकालने मे ज़्यादा वक़्त नही है. मैं तो पहले से ही अपने झड़ने के करीब थी ही.
और हे भगवान…….. हम दोनो ही एक साथ ही ज़ोर से झाड़ गये, हमने एक दूसरे को कस कर पकड़ लिया और और उनका लंड मेरी चूत की गहराइयों मे घुसा हुआ अपना लंड रस मेरी चूत मे बरसाने लगा. उनका लॉडा नाच नाच कर अपना गरम गरम रस मेरी चूत मे निकाल रहा था. वो मेरे उपर, अपना लॉडा मेरी चूत मे डाले, मुझे पकड़े हुए लेटे हुए थे और हम दोनो ही अपने अपने झड़ने का मज़ा ले रहे थे. मैने उनका मूह चूम लिया.
कुछ समय बाद, उन्होने धीरे से अपने नरम होते लंड को मेरी चूत से निकाला तो उसके साथ ही उनके लंड से निकला रस मेरी चूत से निकले रस मे घुल मिल कर बाहर आ कर मेरी गंद की तरफ बहने लगा.
हम दोनो फिर से एक बार बाथरूम मे आए और एक दूसरे के नंगे बदन को सॉफ किया. जब वो शवर के नीचे खड़े हुए थे तो उनके बदन पर गिरता पानी उनके लंड से बहने लगा जैसे वो मूत रहे हो. मैं अपने आप को रोक नही सकी और उनके नरम लंड से बहते पानी को पीने लगी.
अपना बदन सॉफ कर के हम वापस बेडरूम मे आए. बाहर अभी भी बरसात हो रही थी और बिजलियाँ कड़क रही थी. लेकिन हमारे अंदर का चुदाई का तूफान शांत हो चुका था.
बातें करते करते हम कब एक दूसरे के नंगे बदन को बाहों मे लिए सो गये, ये हमे पता ही नही चला.
क्रमशः...........................