hotaks444
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उन्होने मेरी गंद पकड़ी और मुझे चोद्ने की सुरुआत की.
सागर किनारे, हमारी चुदाई का खेल पुर ज़ोर से, पूरे जोश से चल रहा था. खुले आसमान के नीचे, चट्टानों के पीछे, दो प्यार करने वाले, दो चुदाई के प्रेमी, दो चुड़क्कड़, मैं और मेरा पति, दुनिया से बेख़बर, अपना चहेता चुदाई का खेल खेलने मे व्यस्त थे.
जैसे जैसे वो मुझे चोद्ते रहे, वैसे वैसे मुझे चुद्वाने का मज़ा आने लगा और धीरे धीरे उनके चोद्ने की रफ़्तार भी बढ़ने लगी. उनका लॉडा तेज़ी से मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनो सातवें आसमान की सैर करने लगे.
जब उनको पता लगा कि मैं चुद्वाते हुए झड़ने वाली हूँ तो उन्होने मुझे चोद्ने की रफ़्तार और भी बढ़ा दी. अब वो मुझे और ज़ोर ज़ोर से, और तेज़ी से चोद्ने लगे. मैं भी अपनी चूत, अपनी गंद आगे पीछे करके उनके चुदाई के औज़ार का मज़ा अपनी गीली चूत मे ले रही थी. उनका लॉडा मेरी चूत के अंदर जा रहा था, बाहर आ रहा था और फिर अंदर जा रहा था. सागर किनारे मेरी चुदाई चल रही थी.
हम दोनो ही नही चाहते थे कि हमारी वो शानदार चुदाई जल्दी ख़तम हो जाए, इसलिए उन्होने मेरी चूत को चोद्ता हुआ अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे उपर लेट गये. वो अपने दोनो हाथों मे मेरी दोनो चुचियाँ ले कर उनको मसल्ने लगे. कुछ ही देर मे मेरी निप्पल उनके मूह मे थी और वो मेरी निप्पक को किसी बच्चे की तरह चूसने लगे. वो मेरी निप्पल को चूस्ते, अपने होठों से पकड़ते, थोड़ा बाहर निकालते और फिर से अपने मूह के अंदर ले कर चूस्ते. ऐसा उन्होने मेरी दोनो निप्पल के साथ बारी बारी किया.
मैं उनके तने हुए लौडे को अपनी जांघों के बीच सॉफ सॉफ महसूस कर रही थी. मैने अपना हाथ नीचे करके उनके तन्तनाते हुए लौडे को पकड़ लिया. उनका लॉडा पूरा गीला था. मैने उनका लॉडा अपनी हथेली मे कुछ इस तरह पकड़ा कि मेरा अंगूठा उनके लंड के सूपदे पर था. अपने हाथ मे उनका खड़ा लंड पकड़ कर मैं अपने अंगूठे को उनके लौडे के गीले सूपदे पर गोल गोल घुमाने लगी ताकि उनका लंड भी पानी निकालने के नज़दीक पहुँच जाए. उनके लौडे पर मेरा ये खेल उनको झड़ने के करीब ले जाएगा, ये मुझे पता था. मेरा तो ये रोज़ का काम था. मुझे पता है कि उनके लौडे से पानी निकलने मे कितना वक़्त लगता है और मैं ये सब इसलिए कर रही थी कि मैं चाहती थी मेरा झड़ना और उनके लौडे से लंड रस निकलना साथ साथ हो. उनके लौडे के सुपाडे पर अपना अंगूठा फिराने का परिणाम जल्दी ही दिखने लगा था. उनका लंड मेरे हाथ मे नाचने लगा था और उनकी गंद भी हिलने लगी थी.
वो बहुत गरम हो चुके थे और जल्दी ही वो और आगे, मेरे उपर आए तो उनका लंड लॉलीपोप मेरे मूह के पास था. मैने तुरंत ही उनके लंड को अपने मूह मे ले लिया और जैसे मैं पहले उनके लंड के सूपदे पर अपना अंगूठा घुमा रही थी, वैसे ही मैं अब अपनी जीभ उनके लौडे के सूपदे पर फिराने लगी. अब उनका लंड अपने मूह मे ले कर उसको चाट ते हुए, चूस्ते हुए, उनके सूपदे पर अपनी जीभ घूमाते हुए, मैं उनका लंड अपने हाथ मे पकड़ कर आगे पीछे करने लगी, यानी मूठ मारने लगी. जल्दी ही वो मेरे मूह को ऐसे चोद्ने लगे जैसे हमेशा मेरी चूत चोद्ते हो. वो अपने गंद हिला हिला कर, आगे पीछे हो कर, अपना लॉडा मेरे मूह मे डाल रहे थे, निकाल रहे थे. जैसे चूत मे लंड अंदर बाहर होता है, वैसे उनका लंड मेरे मूह मे अंदर बाहर होने लगा.
सागर किनारे, हमारी चुदाई का खेल पुर ज़ोर से, पूरे जोश से चल रहा था. खुले आसमान के नीचे, चट्टानों के पीछे, दो प्यार करने वाले, दो चुदाई के प्रेमी, दो चुड़क्कड़, मैं और मेरा पति, दुनिया से बेख़बर, अपना चहेता चुदाई का खेल खेलने मे व्यस्त थे.
जैसे जैसे वो मुझे चोद्ते रहे, वैसे वैसे मुझे चुद्वाने का मज़ा आने लगा और धीरे धीरे उनके चोद्ने की रफ़्तार भी बढ़ने लगी. उनका लॉडा तेज़ी से मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनो सातवें आसमान की सैर करने लगे.
जब उनको पता लगा कि मैं चुद्वाते हुए झड़ने वाली हूँ तो उन्होने मुझे चोद्ने की रफ़्तार और भी बढ़ा दी. अब वो मुझे और ज़ोर ज़ोर से, और तेज़ी से चोद्ने लगे. मैं भी अपनी चूत, अपनी गंद आगे पीछे करके उनके चुदाई के औज़ार का मज़ा अपनी गीली चूत मे ले रही थी. उनका लॉडा मेरी चूत के अंदर जा रहा था, बाहर आ रहा था और फिर अंदर जा रहा था. सागर किनारे मेरी चुदाई चल रही थी.
हम दोनो ही नही चाहते थे कि हमारी वो शानदार चुदाई जल्दी ख़तम हो जाए, इसलिए उन्होने मेरी चूत को चोद्ता हुआ अपना लॉडा मेरी चूत से बाहर निकाला और मेरे उपर लेट गये. वो अपने दोनो हाथों मे मेरी दोनो चुचियाँ ले कर उनको मसल्ने लगे. कुछ ही देर मे मेरी निप्पल उनके मूह मे थी और वो मेरी निप्पक को किसी बच्चे की तरह चूसने लगे. वो मेरी निप्पल को चूस्ते, अपने होठों से पकड़ते, थोड़ा बाहर निकालते और फिर से अपने मूह के अंदर ले कर चूस्ते. ऐसा उन्होने मेरी दोनो निप्पल के साथ बारी बारी किया.
मैं उनके तने हुए लौडे को अपनी जांघों के बीच सॉफ सॉफ महसूस कर रही थी. मैने अपना हाथ नीचे करके उनके तन्तनाते हुए लौडे को पकड़ लिया. उनका लॉडा पूरा गीला था. मैने उनका लॉडा अपनी हथेली मे कुछ इस तरह पकड़ा कि मेरा अंगूठा उनके लंड के सूपदे पर था. अपने हाथ मे उनका खड़ा लंड पकड़ कर मैं अपने अंगूठे को उनके लौडे के गीले सूपदे पर गोल गोल घुमाने लगी ताकि उनका लंड भी पानी निकालने के नज़दीक पहुँच जाए. उनके लौडे पर मेरा ये खेल उनको झड़ने के करीब ले जाएगा, ये मुझे पता था. मेरा तो ये रोज़ का काम था. मुझे पता है कि उनके लौडे से पानी निकलने मे कितना वक़्त लगता है और मैं ये सब इसलिए कर रही थी कि मैं चाहती थी मेरा झड़ना और उनके लौडे से लंड रस निकलना साथ साथ हो. उनके लौडे के सुपाडे पर अपना अंगूठा फिराने का परिणाम जल्दी ही दिखने लगा था. उनका लंड मेरे हाथ मे नाचने लगा था और उनकी गंद भी हिलने लगी थी.
वो बहुत गरम हो चुके थे और जल्दी ही वो और आगे, मेरे उपर आए तो उनका लंड लॉलीपोप मेरे मूह के पास था. मैने तुरंत ही उनके लंड को अपने मूह मे ले लिया और जैसे मैं पहले उनके लंड के सूपदे पर अपना अंगूठा घुमा रही थी, वैसे ही मैं अब अपनी जीभ उनके लौडे के सूपदे पर फिराने लगी. अब उनका लंड अपने मूह मे ले कर उसको चाट ते हुए, चूस्ते हुए, उनके सूपदे पर अपनी जीभ घूमाते हुए, मैं उनका लंड अपने हाथ मे पकड़ कर आगे पीछे करने लगी, यानी मूठ मारने लगी. जल्दी ही वो मेरे मूह को ऐसे चोद्ने लगे जैसे हमेशा मेरी चूत चोद्ते हो. वो अपने गंद हिला हिला कर, आगे पीछे हो कर, अपना लॉडा मेरे मूह मे डाल रहे थे, निकाल रहे थे. जैसे चूत मे लंड अंदर बाहर होता है, वैसे उनका लंड मेरे मूह मे अंदर बाहर होने लगा.